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गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

#सिर दर्द Headache क्या है और क्या है उपाय?In hindi.


 #सिर दर्द Headache क्या है और क्या है उपाय?In hindi.

सिर दर्द क्या है?

By:-

#Dr_Virender_Madhan.


* सिर दर्द सिर के किसी भी हिस्से में होने वाला दर्द है। सिरदर्द, सिर के एक या दोनों तरफ हो सकते हैं। यह सिर में एक बिंदु से शुरू होकर पूरे सिर में फैल जाता है या फिर किसी एक निश्चित स्थान पर होने लगता है।

सिर मे शूल की तरह दर्द होना।यह शिरोरोग मे आता है।आमभाषा मे इसे सिर दर्द कहते है।यह कोई रोग नही होता है केवल किसी रोग का लक्षण मात्र होता है।सिरदर्द क्यों होता यह जानना जरुरी होता है।

सिर दर्द का सबसे आम प्रकार तनाव (टेंशन) के कारण होने वाला सिरदर्द है। तनाव सम्बन्धित सिरदर्द आपके कंधों, गर्दन, खोपड़ी और जबड़े की मांसपेशियों के कसने (तंग होने) के कारण होते हैं। ये सिरदर्द अक्सर तनाव, अवसाद या चिंता से सम्बन्धित होते हैं। बहुत ज्यादा काम करने, पर्याप्त नींद न लेने, भोजन में अनियमितता बरतने या शराब का सेवन करने पर आपको तनाव सम्बन्धित सिरदर्द होने की अधिक संभावना है।


11प्रकार के सिरदर्द [आयूर्वेद के अनुसार]

१-वातज    २- पित्तज

३-कफज     ४-सन्निपातज

५-रक्तज      ६ -क्षयज

७-कृमिज     ८-सुर्यावर्त

९-अनन्तवात १०-शंखक

११-अर्ध्दावभेदक

ये ११प्रकार के सिरशूल के भेद है।

लक्षण :-

वातज सिरदर्द :- 

अगर बिना कारण यकायक तेज सिरदर्द हो जाये और रात्रि मे और भी तेज हो तथा बांधने से , तैल लगाने से आराम मिल जाये तो.इसे वातज सिरशूल समझना चाहिए।

पित्तज सिरशूल:-

अगर सिरदर्द के साथ मस्तक आग की तरह गर्म हो, नेत्र ,नाक से गर्म सांस निकले तो पित्तज सिरदर्द समझे।

कफज सिरदर्द:-

यदि रोगी को सिर कफ भर अनुभव हो ,सिर जकड़ा हुआ लगे,सिर ठंडा भी लगे,आंखों के कोर सुजे लगे तो यह कफज सिर दर्द के लक्षण होते है।इसमें रोगी उदास दिखता है।

त्रिदोषज सिरशूल:-

वात, पित्त, कफ,तीनो दोषो के लक्षण मिले तो त्रिदोषज सिर शूल होता है।


आधुनिक विज्ञान के अनुसार:-

सिरदर्द के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं –


1. तनाव आधारित सिरदर्द – इसके लक्षणों में सिर के दोनों हिस्सों में दबाव और हल्के से मध्यम सिरदर्द शामिल हैं। दर्द आमतौर पर गर्दन और सिर के पिछले हिस्से से चारों ओर फैलता है।


2. माइग्रेन सिरदर्द का प्रकार – यह सिर के एक तरफ अक्सर मध्यम से तीव्र दर्द पैदा करता है। सिरदर्द के साथ मतली, उल्टी, और प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता हो सकती है। 


3. क्लस्टर (cluster) सिरदर्द  – क्लस्टर सिरदर्द बहुत तीव्र होता है, जो आमतौर पर सिर के एक तरफ स्थित आँख या कान के आसपास होता है। चेहरे के एक तरफ स्थित आँख का लाल होना और पानी निकलना, नाक का बहना और पलक का सूख जाना या सूजन भी हो सकते हैं।


4. रिबाउंड (rebound) सिरदर्द – इससे गर्दन में दर्द, बेचैनी, नाक का बंद होना और नींद में कमी आ सकती है। रीबाउंड सिरदर्द अनेक लक्षणों का कारण हो सकता है और इसका दर्द हर दिन अलग हो सकता है।


5. थंडरक्लैप (thunderclap) सिरदर्द – जो लोग इस अचानक होने वाले गंभीर सिरदर्द का अनुभव करते हैं, उन्हें तुरंत चिकित्सकीय जाँच करवानी चाहिए। इस दर्द को अक्सर "मेरे जीवन का सबसे खराब सिरदर्द" कहा जाता है।


सिरदर्द के कारण - Headache Causes 

सिरदर्द क्यों होता है?


सिर में उपस्थित दर्द-संवेदी ढाँचों (pain-sensing structures) में जलन या चोट लगने के कारण सिरदर्द  होता है। जो संरचनाएँ दर्द को महसूस कर सकती हैं, उनमें खोपड़ी, माथा, सिर का ऊपरी भाग, गर्दन और सिर की मांसपेशियों, सिर की प्रमुख धमनियों और नसों, साइनस और मस्तिष्क के चारों ओर मौजूद ऊतकों को शामिल किया जा सकता है।


सिरदर्द तब हो सकता है, जब इन संरचनाओं में दबाव, ऐंठन, तनाव, सूजन या जलन होती है। हल्के सिरदर्द को शुरू करने वाली घटनायें उन लोगों के बीच व्यापक रूप से होती हैं, जिन्हे सिरदर्द की बीमारी होती है। 

#शास्त्रोंक्त आयुर्वेदिक ओषधियाँ:-

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*षड्बिन्दु तैल -नस्य के लिए

*महादशमूल तैल - शिरोरोग मे मालिस के लिए.

*शिरशूलव्रजरस -सभी शिरोरोग के लिए.

*महालक्ष्मीविलास रस 

*चन्द्रकान्त रस

अन्य:-

*महावातविध्वंन रस

*स्वर्णभूपति रस

*पंचामृत रस

*नवजीवन रस

*वेदांन्तक रस

*जयावटी

*स्वर्णसुतशेखर रस

*पथ्यादि क्वाथ

*च्यवनप्राश

*ब्रह्मरसायन


#घरेलू अनुभूत प्रयोग:-

*100 बार धोया हुआ धी सिर पर लगाने से पित्तज सिरशूल ठीक हो जाता है।

*सौंठ और केशर अथवा दालचीनी को पीसकर लेप बनाकर लगाते है।

*पुराना गुड और सौंठ इक्कठा पीस कर नस्य लेने से लाभदायक रहता है।

*मिश्री, दाख,और मुलहठी पीसकर नस्य लेने से पित्तज सिरशूल मे लाभ मिलता है।

*गाय के घी और दूध को मिलाकर नस्य लेने से पित्तज सिरशूल मे आराम मिलता है।

*कायफल के चूर्ण का नस्य से कफज सिरशूल नष्ट होता है।

*दशमूल को दूध मे औटा कर नस्य लेने से त्रिदोषज सिरशूल ठीक हो जाता है।

*करंज, सहजने के बीज, त्रिकूटा सबको बकरी के दूध में मिलाकर नस्य लेने से सब प्रकार के सिरशूल ठीक होते है।

*तिल को दूध मे पीसकर नस्य लेने से सूर्यावर्त्त रोग मेआराम मिलता है।

*गाय के घी मे सैधवनमक मिलाकर नाक मे डालने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।

#सिरदर्द मे क्या करें और क्यानकरें?

*कफ से उत्पन्न सिर मे बासी व मीठा भोजन, कफबर्ध्दक पदार्थों का सेवन न करें।

*दिन में न सोयें।

*अधारणीय वेगों -छींक, जंभाई, मूत्र, आंसू, नींद, अधोवायु न रोकें।

*पसीना देना,नस्य देना, जुलाब देना,लंघन करना, रक्तमोक्षण, करना पथ्य है।

*पुराना धी, पुराना चावल, युष,दूध, संहजना, दाब , बरूआ ,करेला ,आंवला ,अनार ,आम , खस, नारियल, सुगंधित पदार्थ, ग्वारपाठा, भांगरा, कूठ, हरड आदि सब सिरदर्द मे पथ्य है अर्थात लेने चाहिए।


#Dr_Virender_Madhan.

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