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सोमवार, 21 मार्च 2022

पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.

 पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.



#गाय का गव्य क्या है?In Hindi.

Dr.VirenderMadhan.

What is gaveya of cow?

जो गाय से प्राप्त हो । जैसे—दूध, दहीं, घी, गोबर, गोमूत्र आदि ।

#पंचगव्य किसे कहते हैं?

गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का पानी को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है।

#पंच गव्य कैसे बनता है?

गोबर व 1.5 लीटर गोमूत्र में 250 ग्राम गाय का घी अच्छी तरह मिलाकर मटके या प्लास्टिक की टंकी में डाल दें। अगले तीन दिन तक इसे रोज हाथ से हिलायें। अब चौथे दिन सारी सामग्री को आपस में मिलाकर मटके में डाल दें व फिर से ढक्कन बंद कर दें। इसके बाद जब इसका खमीर बन जाय और खुशबू आने लगे तो समझ लें कि पंचगव्य तैयार है।

#पंचगव्य पीने से क्या होता है?

- यह बच्चों व बड़ों में पाचनक्रिया को मजबूत करने और भूख बढ़ाने का काम करता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन-ए, डी व ई पाए जाते हैं। यह दिमाग व शारीरिक विकास के लिए फायदेमंद है। इससे आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है और मिर्गी, लकवा, कमजोरी, जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस व याददाश्त में सुधार होता है।

{पंचगव्य प्राशनम्‌ महापातक नाशनम्‌’}

पंचगव्य को सर्वरोगहारी माना गया है। अलग-अलग रूपों में प्रत्येक गव्य त्रिदोष नाशक नहीं हैं। परन्तु पंचगव्य के रूप में एकात्मक होने पर यह त्रिदोषनाशक हो जाता है। अत: त्रिदोष से उत्पन्न सभी रोगों की चिकित्सा ‘पंचगव्य’ से सम्भव है।

पंचगव्य एक अच्छा प्रोबायोटिक है। प्रोबायोटिक रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मनुष्य को उपयोगी किस्म का फ्लोरा उपलब्ध कराते हैं। प्रोबायोटिक शरीर की व्याधियों को कम करके प्राणी की उत्पादन क्षमता, प्रजनन क्षमता ओज और रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। पंचगव्य एक अच्छा एन्टीआक्सीडेन्ट तथा एक अच्छा विषशोधक है। पंचगव्य में मौजूद घी विष शोधक का कार्य करता है। उपर्युक्त गुणों के अतिरिक्त पंचगव्य का प्रयोग रक्तचाप, शुगर, मिर्गी तथा अन्य बहुत से रोगों में भी लाभकारी हैं इस प्रकार से सर्वविदित है कि कैंसर जैसे रोगों के अलावा अन्य कई रोगों में भी ‘पंचगव्य’ की भूमिका महत्वपूर्ण है।

पंचगव्य चिकित्सा क्या है?

पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगनिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। गोमूत्र में प्रति ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है।

पंचगव्य घृत कैसे बनाया जाता है?

इसको बनाने के लिए 5 तरह के पदार्थों का प्रयोग किया जाता है :

1  भाग गाय का घी,1 भाग गोमूत्र, 2 भाग गाय के दूध का दही, 3 भाग गाय का दूध, 1/2 भाग गाय का गोबर

इन सभी को धीमी आंच पर लकड़ी के पात्र में तब तक पकाया जाता है जब तक कि वे सभी वाष्प रूप में परिवर्तित ना हो जाएँ, तब पात्र में सबसे अंत में जो पदार्थ प्राप्त होता है, वही यह घी है।

इस घी को 2 तरह से उपयोग किया जाता है, 

(1) नाक में डालने के लिए और 

(2) खाने के लिए।

#नाक के ड्राप के लिए पंचगव्य घी के उपयोग

दिमाग, आँखें और हड्डी के मज़्ज़ा से सम्बंधित रोगो और डिसऑर्डर को दूर करता है

शरीर में वात पित्त और कफ को संतुलित करता है

सर्दी-ज़ुकाम, माइग्रेन और साइनस से सम्बंधित रोगो को दूर करता है

अवसाद या डिप्रेशन, नींद काम आना आदि में काफी लाभकारी है। दिमाग को ठंडक देता है और मेमोरी को तेज़ करता है

नर्वस सिस्टम को मज़बूत बनता है

#पंचगव्य घी के फायदे:-

वात और पित्त वाले शरीर में यह घी अत्यंत फायदेमंद है

शरीर के कमज़ोरी, कमज़ोर इम्युनिटी और तनाव भरे दिमाग की अवस्था को स्वस्थ रखता है

शारीरिक कमज़ोरी और थकान को दूर करता है

वात शरीर वालों के लिए यह वज़न बढ़ाता है

जोड़ो में दर्द, जोड़ो के समस्याओं और अर्थिरिटिस में बहुत फायदा करता है

सूखी त्वचा, सूखा गाला और सोरिसिस में फायदा करता है

अन्य दूसरे लाभ

चूँकि इस घी में गोमूत्र का भाग भी होता है जो शरीर के अंदर के ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकलता है जो किसी लत या ख़राब खाने की वजह से अंदर जमा हो जाते हैं

खून को शुद्ध करता है और लीवर के फंक्शन को मज़बूत बनता है

जिनको दिमागी रूप से कोई बीमारी या डिसऑर्डर है वे निसंकोच इस घी का इस्तेमाल कर सकते हैं, और जो अवसाद या डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनके लिए यह रामबाण है और लम्बे समय तक उपयोग करने पर वे डिप्रेस्शन दूर करने वाली टेबलेट से भी छुटकारा पा सकते हैं

हड्डी के रोगो के लिए भी अत्यंत लाभकारी है

मात्रा:-

पंचगव्य घी को 10 -20 ग्राम रोज़ सुबह गुनगुने पानी के साथ लें या शुद्ध गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं

पंचगव्य घी नाक की ड्राप : सोने के पहले नाक के दोनों भागो में 2 बूंद डालें

पंचगव्य से साबुन भी बनता है जो त्वचा रोगों मे उपयोगी साबित हुआ है।


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धन्यवाद!



शरीर की 7 धातु क्या है? In hindi.

 #शरीर की 7 धातु क्या है?

Dr.Virender Madhan.



हमारे शरीर की पूरी संरचना इन्हीं सातों धातुओं से मिलकर हुई है।तीनों दोषों (वात,पित्त, और कफ) की ही तरह इन सातों धातुओं का निर्माण भी पांच तत्वों (पंच महाभूत) से मिलकर होता है। हर एक धातु में किसी एक तत्व की अधिकता होती है।

#7धातु कौन सी है?

सात धातुओं के नाम

1- रस :  प्लाज्मा

2- रक्त : खून (ब्लड)

3- मांस : मांसपेशियां

4- मेद : वसा (फैट)

5- अस्थि : हड्डियाँ

6- मज्जा :  बोनमैरो

7- शुक्र : प्रजनन संबंधी ऊतक (रिप्रोडक्टिव टिश्यू )


#धातुओं का निर्माण कैसे होता है?

हम जो भी खाना खाते हैं वो पाचक अग्नि द्वारा पचने के बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरते हुए इन धातुओं में बदल जाती है। आपके द्वारा खाया गया खाना आगे जाकर दो भागों में बंट जाता है : 

सार और मल। 

सार का मतलब है भोजन से मिलने वाला पोषक तत्व और उर्जा, जिससे हमारा शरीर ठीक ढंग से काम कर सके। 

- मल से तात्पर्य है कि भोजन को पचाने के बाद जो अपशिष्ट बनता है जिसका शरीर में कोई योगदान नहीं वो मल के रुप में शरीर से बाहर निकल जाता है। 

ये सारी धातुएं एक क्रम में हैं और प्रत्येक धातु अग्नि द्वारा पचने के बाद अगली धातु में परिवर्तित हो जाती है। 

भोजन से रस

रस से रक्त

रक्त से मांस

मांस से मेद

मेद से अस्थि

अस्थि से मज्जा

मज्जा से शुक्र

इसी तरह यह क्रम चलता रहता है। 

#धातुओं के कार्य,और विकृति.

1- रस धातु

तीनों दोषों, सात धातुएं, पांच तत्व, शरीर, इन्द्रियां और मन के सारे कार्य इसी रस धातु से ही होते हैं। रस धातु का निर्माण पाचन तंत्र में होता है और फिर यह रस रक्त द्वारा पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। दोषों में गड़बड़ी होने पर धातुओं के स्तर में भी बदलाव होने लगता है। रोग की उत्पत्ति होती है। जिस धातु के दूषित होने से रोग की उत्पप्ति होती है वह रोग उसी धातु के नाम से जोड़कर बोला जाता है। जैसे रस धातु के दूषित होने से “रसज रोग”कहते है।

* रस धातु के कार्य

इस रस का मुख्य काम तृप्ति करना है। यह संतुष्टि और प्रसन्नता प्रदान करता है और अपने से अगली धातु (रक्त) का पोषण करता है।

* रस धातु बढ़ने के लक्षण:-

रस धातु की वृद्धि होने पर कफ प्रकोप के सामान लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे पाचन शक्ति की कमी, जी मिचलाना, ज्यादा लार बनना, उल्टी साँसों से जुड़े रोग और खांसी आदि।

* रस धातु में कमी के लक्षण:-

- मुंह सूखना, थकान, रूखापन, दिल में दर्द और धड़कन तेज होना, तेज साँसे चलना आदि रस धातु में कमी के लक्षण हैं।


रस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग

- भूख ना लगना,

- कुछ भी अच्छा ना लगना

- मुंह का बुरा स्वाद

- बुखार

-- बेहोशी

- नपुंसकता

- पाचन शक्ति में कमी

- त्वचा पर झुर्रियां पड़ना

उपचार:-

रसज रोगों के इलाज के लिए रसायन और ताकत देने वाली औषधियों का उपयोग करना फायदेमंद माना जाता है।

2- रक्त धातु ( खून या ब्लड) :

रक्त धातु के कार्य :

रक्त हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसकी मदद से बाकी सभी अंगों को पोषण मिलता है। यह धातु रंग को निखारता है और बाकी इन्द्रियों से जो ज्ञान मिलता है वह भी रक्त के कारण ही संभव है। रक्त से आगे चलकर मांस धातु बनती है। रक्त में ही सभी धातुओं के पोषक तत्व मिले हुए होते हैं।

* रक्त धातु बढ़ने के लक्षण

रक्त धातु में बृद्धि होने पर त्वचा और आंखों में लालिमा दिखाई देती है।

* रक्त धातु में कमी के लक्षण :

रक्त धातु में कमी होने पर रक्त वाहिकाएँ कमजोर हो जाती हैं। इसकी कमी होने पर त्वचा की चमक फीकी पड़ जाती है और त्वचा रूखी हो जाती है। रक्त धातु की कमी होने पर रोगी को अम्लीय और ठंडी चीजें ज्यादा अच्छी लगती हैं।

* रक्त धातु के असतुलन से होने वाले रोग :-

- कुष्ठ रोग

- ब्लड कैंसर

- महिलाओं के जननांगो से 

- रक्तस्राव

- मुंह में छाले

- लिंग का पकना

- प्लीहा (स्प्लीन) के आकार में वृद्धि

- पेट में गाँठ

- काले तिल और मुंह पर झाइयाँ

- दाद

- सफेद दाग

- पीलिया

- जोड़ों का रोग

उपचार:-

रक्त धातु से होने वाले रोगों के लिए रक्त को शुद्ध करना, पोषण और विरेचन सबसे अच्छे उपाय है।

3- मांस धातु

मांस धातु के कार्य

मांस धातु का मुख्य कार्य है लेपन अर्थात हमारी मांसपेशियों का निर्माण। जैसे किसी मकान को बनाने में सीमेंट या मिट्टी से लेप किया जाता है वैसे ही शरीर के निर्माण में मांसपेशियों का लेपन होता है। मांसपेशियों से शरीर को शक्ति मिलती है। ये शरीर के पूरे ढांचे को सुरक्षा प्रदान करता है।

* मांस धातु बढ़ने के लक्षण

शरीर में मांस धातु के बढ़ने से गर्दन, हिप्स, गालों, जांघों, टांगों, पेट, छाती आदि अंगों में मांस बढ़ने से मोटापा बढ़ जाता है। इससे शरीर में भारीपन आता है।७

* मांस धातु की कमी के लक्षण

मांस धातु की कमी से अंगों में दुबलापन, शरीर में रूखापन, शरीर में कुछ चुभने जैसा दर्द और रक्त वाहिकाओं के कमजोर होने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।

* मांस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-

- जांघों के मांस में वृद्धि

- गले की ग्रंथियों के आकार में वृद्धि

- जीभ, तलवे और गले में गांठे होना

4- मेद धातु

मेद धातु- वसा (फैट) । 

* मेद धातु के कार्य

इस धातु का मुख्य काम शरीर में चिकनाहट और गर्मी लाना है। यह शरीर को शक्ति, सुरक्षा, दृढ़ता और स्थिरता देता है 

* मेद धातु के वृद्धि के लक्षण:-

शरीर में मेद धातु बढ़ जाने से गले की ग्रंथियों में बढ़ोतरी, पेट का आकार बढ़ने जैसे लक्षण नज़र आते हैं। 

- थोड़ी सी मेहनत करने पर थक जाना, 

- स्तनों और पेट का लटकना,

 - शरीर से दुर्गंध आना मेद धातु के मुख्य लक्षण हैं।

* मेद धातु में कमी के लक्षण:-

- आखें मुरझाना, 

- बालों और कानों में रूखापन,  - प्लीहा में वृद्धि आदि मेद धातु की कमी के मुख्य लक्षण है। 

* मेद धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-

- हाथ-पैर में जलन

- बालों का उलझना या जटाएं बन जाना

- मुंह, गला और तलवे सूखना

- आलस,बहुत अधिक प्यास लगना

- ज्यादा पसीना निकलना

- शरीर सुन्न पड़ना

उपचार:-

मेद धातु बढ़ने का सीधा मतलब है शरीर का मोटापा बढ़ना। 

5- अस्थि धातु

हमारे शरीर का ढांचा हड्डियों से ही निर्मित होता है। 

* अस्थि धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग

- बालों और नाखूनों में तेजी से वृद्धि, दांतों का आकार सामान्य से ज्यादा होना, हड्डियों व दांतों में दर्द, दाढ़ी-मूंछ के रोग होना 

* अस्थि धातु में कमी के लक्षण:-

शरीर में अस्थि धातु की कमी होने पर हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं। हड्डियों और जोड़ों में दर्द, दांतों व नाखूनों का टूटना और रुखापन, बालों और दाढ़ी के बालों का झड़ना आदि अस्थि धातु में कमी के लक्षण हैं।

उपचार:-

अस्थि धातु बढ़ जाने पर तिक्त द्रव्यों से तैयार बस्ति देनी चाहिए। अस्थि धातु कमजोर होने पर कैल्शियम युक्त आहार, दूध, मट्ठा, पनीर, छाछ, ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें। इसके अलावा हड्डियों में कमजोरी होने पर ताजे फल, हरी सब्जियां, चना आदि दालों का सेवन करें। हड्डियों की मजबूती के लिए आप मुक्ताशुक्ति व शंखभस्म आदि भी ले सकते हैं।

6- मज्जा धातु (बोनमैरो)

  बोनमैरो हड्डियों के जोड़ों के बीच चिकनाई का काम करती है और उन्हें मजबूत बनाती है।

* मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग:-

पूरे शरीर और खासतौर पर आंखों में भारीपन और हड्डियों के जोड़ों में बड़े बड़े फोड़े फुंसियाँ होना मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण हैं।

* मज्जा धातु के बढ़ने से निम्नलिखित रोग हो सकते हैं।

- ब्लड कैंसर

- उंगलियों के जोड़ों में दर्द और उनके अंदर फोड़े होना

- चक्कर आना

- बेहोशी

- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना

* मज्जा धातु में कमी के लक्षण:-

- हड्डियों में खोखलापन

आस्टियोपीनिया

- ऑस्टियोपोरोसिस

- रुमेटाइड आर्थराइटिस

- हड्डियों और जोड़ों का टूटना

- चक्कर आना

- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना 

7- शुक्र धातु

इसे सबसे अंतिम, शक्तिशाली और महत्वपूर्ण धातु है।इससें ओज की प्राप्ति होती है।

रविवार, 20 मार्च 2022

बवासीर|Piles|क्यों होती है|कारण|लक्षण|उपाय|in hindi.

 #बवासीर|Piles|क्यों होती है|कारण|लक्षण|उपाय|in hindi.



Dr.Virender madhan.

*बवासीर को Piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है। 

- बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा (Anus) के अंदर और बाहर तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। करीब 60 फीसदी लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है। रोगी को सही समय पर पाइल्स का इलाज (Piles Treatment) कराना बेहद ज़रूरी होता है। समय पर बवासीर का उपचार नहीं कराया गया तो तकलीफ काफी बढ़ जाती है।

#बवासीर के लक्षण क्या होते है?

 - शौच के बाद पेट साफ ना होने का एहसास होना, 

- शौच के वक्त काफी ज्यादा दर्द होना, 

- गुदा के आसपास सूजन रहना, 

-खुजली रहना और लालीपन आना, 

- बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना और गुदा के आसपास कठोर गांठ जैसा महसूस होना एवं उसमें दर्द होना आदि।

» बवासीर के कारण क्या हैं? 

- कब्ज पाइल्स की सबसे बड़ी वजह होती है। कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इसकी वजह से पाइल्स की शिकायत हो जाती है। 

-  ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

#अर्श की सरल चिकित्सा

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- 'बवासीर रोग' मे सबसे पहले रोगी का पेट साफ करना चाहिए ।

- पकी हुई नीम की निबौलियों पुराने गुड के साथ मिला कर सेवन करें ।

- नीम की निबौली और रसोंत समान मात्रा में मिला करके गाय के घी मे पीसकर मस्सों पर लेप करें ।

- रसौंत को घिसकर बवासीर पर लेप करें।

- आक के पत्तों का लेप बनाकर गुदा पर लेप लगायें।

- पंचकोल( पीपल, पीपलामूल, चव्य, चित्रक, और सौंठ ) का काढा सेवन करने से कफज बवासीर ठीक हो जाती है ।

- अदरक का काढा बनाकर पीने से कफज बवासीर ठीक हो जाते है।

- दारुहल्दी, खस, नीम की छाल का काढा पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।

- नागकेसर को मिश्री के साथ धी मे मिलाकर सेवन करने से *खूनी बवासीर* में आराम मिलता है।

- बिना छिलका के तिल 10 ग्राम मक्खन 10 ग्राम मे मिलाकर सेवन करने से रक्त स्राव बन्द हो जाते है।

- मट्ठा मे पीपल चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर ठीक होती है।

- बकरी का दूध प्रातः पीने से बवासीर के रक्तस्त्राव मे आराम मिलता है।

- गैंदे के फूलों 10 ग्राम मे 3-4 काली मिर्च पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से खूनी बवासीर- Piles- में आराम मिलता है।

-करेले या करेलो के पत्तों का रस मिश्री मिलाकर पीने से खूनी "बवासीर" नष्ट हो जाती है।

-प्याज के रस मे धी और मिश्री मिला कर पीने से बवासीर नष्ट हो जाती है ।

- बडी हरड को धी मे भूनकर बराबर का बिड्नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें उस मे से। तीन ग्राम पानी से सोते लें बवासीर भी ठीक होती है और कब्ज भी दूर होती है।

- गिलोय के सत्व को मक्खन के साथ मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट हो जाती है।

-छाछ मे भुना जीरा ,हींग, पुदीना, सैंधवनमक मिलाकर पीयें।

#बवासीर है तो क्या करें क्या न करें ?

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पुराने चावल,  मूंग, 

चने की दाल,  कुलथी की.दाल,

बथुआ , सौफ, सौंठ, परवल,

करेला, तोरई, जमीकन्द, गुड छाछ , छोटी मूली ,

कच्चा पपीता, दूध , धी , मिश्री , जौ , लहसुन , चूक 

आंवला, सरसौ का तैल , हरड, गौ मूत्र ये सब पथ्य है ।

खाने के योग्य है।

* अपथ्य ( परहेज )

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- उडद, पिठ्ठी, दही, सेम, 

-गरिष्ठ भोजन, तले भुने पदार्थ, 

- धूप में रहना, मल मूत्र आदि वेगो को रोकना, कठोर सीट पर बैठना, मांस मछली, मैदे के पदार्थ लेना , 

- उकडू बैठना बवासीर के रोगी को मना है ।

[खूनी बवासीर में ]

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लहसुन, सेम , विरुध आहार, दाहक पदार्थ ,खट्टे पदार्थ लेना मना है। अधिक मेहनत करना भी मना है।

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शनिवार, 19 मार्च 2022

#हृदय सुरक्षा के प्रश्न-उत्तर।in hindi.

 #हृदयरोग #घरेलूउपाय #Ayurvedictreatment,

#हृदय सुरक्षा के प्रश्न-उत्तर।in hindi.

Dr.Virender Madhan.

प्रश्‍न:  सामान्‍य व्‍यक्‍ति के लिए अपने हृदय की सुरक्षा के लिए क्‍या उपाय हैं?

उत्‍तर : 

* धूम्रपान न करें ,

* वर्क-आउट/व्यायाम करें ,

* स्वस्थ-आहार ग्रहण करें।

* ऐल्कोहॉल का सेवन न करें ,

* तनाव कम करें' 

*रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की निगरानी करना'

*अपने वजन को नियन्त्रित रखें ,

प्रश्‍न : क्‍या नॉनवेज फूड (मछली) हृदय के लिए अच्‍छा है?

उत्‍तर: नहीं

प्रश्‍न : क्‍या हृदय रोग वंशानुगत होते हैं?

उत्‍तर: जी हां,हो सकता है।

प्रश्‍न : हृदय पर तनाव क्यों

बढ़ जाता है? क्‍या उपाय करना चाहिए?

उत्‍तर: अपने विचारों को बदलें। जीवन में स‍ब कुछ आपके अनुसार होगा ऐसा न सोचें। कर्म करते जाये बस फल ईश्वर के ऊपर छोड दें।

प्रश्‍न : क्‍या कम ब्‍लडप्रेशर वाले लोग हृदय संबंधी रोगों से ग्रसित हो सकते हैं?

उत्‍तर: बेहद ही कम।

प्रश्‍न : क्‍या कोलेस्‍ट्रोल कम आयु मे भी संचित होना शुरु हो जाता है 

उत्‍तर: कोलेस्‍ट्रोल का स्‍तर बचपन से ही बढ़ना शुरु हो जाता है।

और अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/oFPpgu02Gng

प्रश्‍न : खानपान की अनियमित आदतें किस तरह आपके हृदय को प्रभावित कर सकती हैं ?

उत्‍तर: खानपान की आदतें अनियमित होने के दौरान आप जंक फूड खाते हैं जिससे आपका पाचन तंत्र गड़बड़ हो जाता है। और अधिक कोलेस्‍ट्रोल संचित करता है।


प्रश्‍न :  क्या बिना दवा के मैं कोलेस्‍ट्रोल को कैसे नियमित रख सकता हूं?

उत्‍तर: खानपान की आदतों को नियमित करें, टहलें और अखरोट का सेवन करें।

अर्जुन की छाल का काढा भी सहायक हो सकता है।


प्रश्‍न : हृदय के लिए सबसे अच्‍छा और सबसे नुकसानदेह भोजन क्‍या है?

उत्‍तर: फल और सब्‍जियां सबसे बेहतर हैं और तेल सबसे अधिक नुकसानदेह है।

प्रश्‍न : हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले क्‍या कदम उठाए जाएं?

उत्‍तर: व्‍यक्‍ति को लेटने में सहायता करें, रोगी में मुंह में कोई एस्‍प्रिन टेबलेट रखें या कोई सोब्रिट्रेट गोली दें (यदि उपलब्‍ध हो), और जल्‍द से जल्‍द उसे किसी कोरोनरी केयर यूनिट में ले जाएं, क्‍योंकि पहले एक घंटे में ही हार्ट अटैक की अधिकतम रोकथाम संबंधी उपाय किए जाते हैं।

प्रश्‍न : युवाओं में तेज़ी से बढ़ती हृदय समस्‍याओं का कारण क्‍या है? 

उत्‍तर: बढ़ते तनाव ने इस समस्‍या को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा गतिहीन जीवनशैली, धूम्रपान, जंक फूड और व्‍यायाम की कमी इस समस्‍या को बढ़ावा देते हैं। भारतीयों में हृदय रोगों का खतरा यूरोप या अमेरिका की तुलना में तीन गुना अधिक होता है।

प्रश्‍न : क्‍या कॉफी/चाय के अधिक सेवन से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है?

उत्‍तर : नहीं।

प्रश्‍न: जंक फूड की परिभाषा आप क्‍या देंगे?

उत्‍तर : तला भोजन जैसे केंटकी, मैकडॉनल्‍ड, समोसे और यहां तक कि मसाला डोसा।

प्रश्‍न: कभी-कभी व्‍यस्‍त दिनचर्या के कारण हमें व्‍यायाम का समय नहीं मिल पाता है, तो क्‍या रोज़ाना के काम-काज के दौरान टहलना, सीढि़यों पर चढ़ना आदि क्‍या व्‍यायाम का विकल्‍प बन सकता है?

उत्‍तर : बेशक। लंबे समय तक कुर्सी पर बैठने से बचने और बार-बार घूमने या टहलने से भी आपके हृदय को खतरे से बचाया जा सकता है।

प्रश्‍न: क्‍या हृदय समस्‍याओं और ब्‍लड शुगर में कोई संबंध है?

उत्‍तर: जी हां। अधिक डायबिटीज़ से पीडि़त व्‍यक्‍ति को हृदय समस्‍याओं का अधिक खतरा होता है।

प्रश्न:-हृदय को मजबूत करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय बताये?

- अलसी हार्ट के लिए फायदेमंद। सेब का जूस और आंवला से हार्ट मजबूत होता है। बादाम खाने से हार्ट मजबूत होता है। जामुन, सेब का सिरका भी फायदेमंद है।

बीन्स, मटर, चना, दाल, जामुन, ब्रोकोली

, चिया और अलसी के बीज,नट्स, टमाटर,हरी पत्तेदार सब्जियां खुब खायें।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें-

https://youtu.be/oFPpgu02Gng

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शुक्रवार, 18 मार्च 2022

हल्दी वाले दूध का कमाल।in hindi.


 #हल्दी वाले दूध का कमाल।in hindi.

#Dr;Virender_Madhan

हल्दी का दूध:-

एक गिलास दूध मे आधा चम्मच हल्दी मिलाकर 10 मिनट उबालने से “हल्दी का दूध” तैयार हो जाता है।

#रात को हल्दी वाला दूध पीने के क्या फायदे हैं?

हल्दी वाला दूध पीने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है। हल्दी वाला दूध पीने से बॉडी में गर्माहट आती है ।

हल्दी वाला दूध पीने से कोलेस्ट्रॉल, जोड़ों का दर्द, कब्ज, खून साफ होने के साथ खांसी-जुकाम और बुखार जैसी बीमारी नही होती है. 

यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता। 

* शारीरिक दर्द - शरीर के दर्द में हल्दी वाला दूध आराम देता है। हाथ पैर व शरीर के अन्य भागों में दर्द की शिकायत होने पर रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें।

#किसे हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए।

एलर्जी की समस्या वाले लोगों को और जिसने किसी गर्म चीज या गर्म मसाले,मछली, मूली, दही, पनीर आदि खायें है तो ऐसे में आपको हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए। 

#कितने दिन हल्दी वाले दूध को पी सकते है?

जिससे दिनभर आपके शरीर में एनर्जी बनी रहती है. कैल्शियम शरीर की एक बड़ी जरूरत होती है. ऐसे में अगर आप हर दिन एक गिलास हल्दी वाले दूध का सेवन करते हैं तो इससे आपको कैल्शियम की कमी महसूस नहीं होती है. इसके अलावा काम करने के लिए अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की जरूरत है तो वो एनर्जी है.

#दूध, हल्दी चेहरे पर लगाने से क्या होता है?

कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से स्किन की सेल्स रिजनरेट होती हैं और कलर फेयर होता है। यह कॉम्बिनेशन स्किन की इलास्टिसिटी बढ़ाता है। इससे स्किन टाइट होती है और रिंकल्स से बचाव होता है। इस कॉम्बिनेशन से कोलेजन प्रोडक्शन बढ़ता है जिससे बढ़ती उम्र का असर चेहरे पर नजर नहीं आता।

नोट:-इसके प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

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धन्यवाद!

गुरुवार, 17 मार्च 2022

बसन्त ऋतु में जीवनशैली कैसी हो?In hindi.

 #Life style in doing|बसन्त ऋतु में जीवनशैली कैसी हो?

By:- #Dr_Virender_Madhan.


#ऋतु चर्या, वसन्त (Spring)

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ऋतु    हिन्दू मास, वसन्त (Spring)   चैत्र से वैशाख (वैदिक मधु और माधव)   मार्च से अप्रैल तक होता है।


#बसंत ऋतु कब होती है?

Basant Panchami से यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है. बसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है. इस अवसर पर प्रकृति के सौन्दर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है. वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और बसंत में उनमें नई कोपलें आने लगती है जो हल्के गुलाबी रंग की होती हैं


#वसंत ऋतु आने पर क्या क्या परिवर्तन होते हैं?

- इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं I अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है और इसे ऋतुराज कहा गया है।

#वसंत ऋतु के कौन से दो महीने होते हैं?

वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं।

#बसंत ऋतु में कौन से फल और सब्जियों की है?

- इस मौसम में मौसमी सब्जियों का सेवन लाभदायक होता है जैसे - 

- करेला, लोकी, पालक आदि। ऐसे में कच्ची सब्जिया जैसे गाजर, मूली, शलगम, अदरक आदि का भी खूब सेवन करना चाहिए। 

* मौसमी फल जैसे - 

संतरा, चीकू, आम, अमरूद, पपीता भी बहुत लाभदायक होते है।

#बसंत के मौसम क्या पहनें?

* बसंत के मौसम में कॉटन के ही कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि इस तरह के कपड़े पहनने से इस मौसम में आप आराम महसूस करेंगे। इस मौसम में हमेशा शर्ट, टी-शर्ट, कुर्ता पहनना अच्छा माना जाता है। आपके लिए सिल्क और ऊनी कपड़ों के बजाय ट्राउजर और कुर्ते पहनें। बसंत में अकसर लोग आरामदेह कपड़े पहनना पसंद करते हैं।

#बसन्त ऋतु में होने वाले रोग?

बसन्त ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस समय सूर्य की तेज किरणों के कारण शरीर में संचित कफ दोष प्रकुपित हो जाते हैं जिससे शरीर की अग्नि मंद होने के कारण शरीर में अनेक रोग जैसे

मौसम बदलते हुए कुछ खास बीमारियों व संक्रमणों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. जो कि खासतौर से बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों के कारण होती हैं. जैसे-

अस्थमा,फ्लू, पेट में दर्द, खांसी, गले में दर्द, आंख आना, कीड़े-मकोड़े की एलर्जी, पेट में अल्सर, नाक बंद होना, छाती में जकड़न,सिरदर्द, पेट में गैस बनना, भूख कम लगना, सर्दी, जुकाम, पाचन शक्ति कम होना, एलर्जी, आदि हो सकते है।

यह भी देखे - 

https://youtu.be/WSJWSO3DfNI


#बसंत ऋतु (मार्च से मई) मे क्या खायें क्यान खायें?

इस मौसम में जौ, चना, ज्वार, गेहूँ, चावल, मूँग, अरहर, मसूर की दाल, बैंगन, मूली, बथुआ, परवल, करेला, तोरई, अदरक, सब्जियाँ, केला, खीरा, संतरा, शहतूत, हींग, मेथी, जीरा, हल्दी आँवला आदि कफनाशक पदार्थों का सेवन करें।

* गन्ना, आलू, भैंस का दूध, उड़द, सिंघाड़ा, खिचड़ी व बहुत ठंडे पदार्थ, खट्टे, मीठे, चिकने, पदार्थों का सेवन हानिकारक है। ये कफ में वृद्धि करते हैं।

आगामी बसंत ऋतु में दही का सेवन न करें क्योंकि बसंत ऋतु में कफ का स्वाभाविक प्रकोप होता है एवं दही कफ को बढ़ाता है। अतः कफ रोग से व्यक्ति ग्रसित हो जाते हैं।

नियमित ये काम करें

* रूखा, कड़वा, तीखा और कसैले रस वाली चीजों का खूब प्रयोग करें।

* सुबह खाली पेट बड़ी हरड़ का 3-4 ग्राम चूर्ण शहद के साथ लें।

* एक साल पुराना जौ, गेहूं, चावल का प्रयोग करें। इससे सुपाच्यता बढ़ेगी।

* सूर्योदय से पूर्व दैनिक क्रिया से निवृत होकर व्यायाम, योगासन करें।

* सुबह के समय तेल से मालिश कर 20-30 मिनट तक धूप में रहें।

* ठंडी, चिकनाई युक्त, गरिष्ठ, खट्टे एवं मीठे द्रव्य का प्रयोग नहीं करें।

* सक्रिय दिनचर्या अपनाएं। एक जगह पर देर तक बैठना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

* ठंडे पेय, आइसक्रीम, मैदे से बनी चीजें, खमीरवाली चीजों का प्रयोग बिल्कुल न करें।

चावल खाने से बचें। 

यहां क्लिक करें-
https://youtu.be/WSJWSO3DfNI

बुधवार, 16 मार्च 2022

यकृतशोथ [Hepatitis]|कारण|लक्षण|उपाय।in hindi.

 #घरेलूउपाय #लीवरकीसुजन #आयुर्वेदिकउपाय 

#यकृतशोथ [Hepatitis]|कारण|लक्षण|उपाय।in hindi.



#Hepatitis लीवर बढ़ना क्या है?In hindi.

By- Dr.Virender Madhan.


लीवर का सामान्य से ज़्यादा बड़ा आकार हो जाना लीवर बढ़ने की समस्या है। 

- लीवर बढ़ना कोई बीमारी नहीं है। परन्तु ये किसी होने वाली बीमारी का कारण हो सकता है जैसे, लीवर खराब होना,

 लिवर कैंसर या

 कंजेस्टिव हार्ट फेल होना (congestive heart failure​: हृदय का ढंग से शरीर में खून न भेज पाना जिससे सांस लेने में परेशानी, थकान, टांगों में दर्द आदि हो सकता है)। 

*लिवर बढ़ने [ यकृतशोथ]के लक्षण - Enlarged Liver Symptoms in Hindi


#लिवर बढ़ने के लक्षण क्या हैं?


अगर आपका लिवर किसी अन्य लिवर की बीमारी के कारण बढ़ रहा है तो उससे निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं :


- पेट में दर्द 

- थकान 

- उलटी आना 

-.त्वचा और आँखों के सफ़ेद हिस्से का पीला पड़ना (पीलिया होना)


* लीवर बढ़ने के कारण और जोखिम कारक - Enlarged Liver Causes and risk factors in Hindi

[लीवर बढ़ने के कारण क्या हैं?]


लीवर एक बड़े के आकार का अंग है। ये हमारे शरीर में पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में होता है। लिवर का आकार आपकी उम्र, लिंग और शरीर के आकार पर निर्भर करता है। ये निम्नलिखित वजहों से बढ़ सकता है :

लीवर की बीमारियां :


1-सिरोसिस 

वायरस के कारण हेपेटाइटिस होना - हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी - या फिर ये संक्रमित मोनोन्यूक्लिओसिस (mononucleosis) के कारण भी हो सकता है।  

फैटी लिवर की बीमारी होना 

- लीवर में असामान्य रूप से अधिक मात्रा में प्रोटीन एकत्रित होना (अमीलॉइडोसिस)

- लीवर में अधिक मात्रा में कॉपर इकठ्ठा होना (विलसन्स डिसीज)

 - लीवर में अधिक मात्रा में आयरन इकठ्ठा होना (हेमाक्रोमैटोसिस)

-लिवर में वसा इकठ्ठा होना (गोचरस डिसीज)

- लिवर में तरल पदार्थ से भरे खाने होना (लिवर सिस्ट)

- लिवर ट्यूमर जिससे कैंसर होने का जोखिम ना हो

- पित्त की थैली या बाईल डक्ट में रूकावट होना ।

-टॉक्सिक हेपेटाइटिस (Toxic hepatitis)


2. कैंसर :

कैंसर जो किसी अन्य अंग में शुरू हो कर लीवर तक फैल जाए 

ल्युकेमिया 

लीवर कैंसर 

लिंफोमा 


3. हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोग :


* लिवर बढ़ने के क्या कारण होते हैं?


- अगर आपको लीवर की बीमारी है तो आपका लिवर आकार में बढ़ सकता है। 


 - बहुत ज़्यादा शराब पीना -

अत्यधिक शराब पीने से आपके लिवर को हानि पहुँच सकती है। 

- संक्रमण -

वायरस, बैक्टीरिया या अन्य जीवाणुों के कारण होने वाली बिमारियों से आपके लिवर को हानि पहुँच सकती है। 


- हेपेटाइटिस वायरस -

हेपेटाइटिस ए, बी या सी से लिवर खराब हो सकता है। 

ढंग से खाना न खाना -

ज़्यादा वजन होने से आपको लिवर की बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है,

-  पौष्टिक खाना न खाने से और ज़्यादा वसा या चीनी वाला खाना खाने से भी आपको लिवर की बीमारी होने का खतरा है। 


- लीवर बढ़ने से बचाव उपाय। 

#लीवर बढ़ने से कैसे बचें?


-परहेज:-

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- कोई भी दवाई, विटामिन या शरीर में कमी की पूर्ति करने वाली दवाइयां लेते समय ध्यान रखें - आपको जितनी दवाई लेने के लिए कहा गया है उतनी ही लें। 

 - केमिकल से दूर रहें - सफाई करने वाले स्प्रे, कीटनाशक और अन्य केमिकल का इस्तेमाल हवादार इलाकों में करें। केमिकल का इस्तेमाल करते समय पूरी बाजू के कपड़े, दस्ताने और मास्क पहने। 

 

 -जिन खाद्य पदार्थों में ज़्यादा चीनी या वसा होती है उन्हें ना खाएं। 

-चिकनाई वाले पदार्थ न लें ।

-गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली, अण्डा न लें .

-शराब छोड दें.

 -धूम्रपान न करें - 

 -कुछ दवाइयां आपके लिवर को हानि पहुंचाती हैं।


* जीवनशैली

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-सवेरे उठकर घूमने की आदत डालें।

-शराब पीना छोड़ दें

- स्वास्थ्य आहार खाएं 

-नियमित रूप से एक्सरसाइज करें 

-अगर आपका वजन ज्यादा है तो वजन कम करें .

- भुख लगने ही खाये

-अत्यधिक मात्रा में भोजन न करें.

-जल्दी सोना व जल्दी उठने की आदत बनाए.


#Ayurvedic treatment of Hepatitis#

*यकृतशोथ का आयुर्वेदिक चिकित्सा*

-मुकोलिव सीरप की 2-2 चम्मच दिन में 2-3 बार देने से लीवर के रोग शीध्र शांत हो जाते है।

-त्रिफला कषाय -रात्रि मे त्रिफला पानी मे डालकर छोड़ दें सवेरे छानकर पीलायें.

-भूमिआमला का 2-2 चम्मच रस सवेरे शाम पीलायें.

-ऊटनी का दूध मे यवक्षार मिलाकर पीने से यकृतशोथ मे आराम मिलता है।

-पीपल चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन देने से लीवर के रोग ठीक होते है.

 शास्त्रीय योग:-


- रोहितकारिष्ट

Rohitakarishta

-पुनर्नवारिष्ट

Punarnavarishtha  

- द्राक्षादि लेह

Drakshadi Leha

-Sri Sri Tattva Sudarshan Vati Tablet

- कासीसभस्म

Kasis Bhasma

-पुनर्वादिमण्डूर

Punarnavadi Mandoor

-आरोग्यबर्ध्दिनी बटी

 Arogyavardhini Bati  


< अपनी चिकित्सा खुद न करें किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।>


~ क्या यह लेख आपके लिए उपयोगी है कृपा कोमेंट मे बताये।

धन्यवाद!