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गुरुवार, 17 मार्च 2022

बसन्त ऋतु में जीवनशैली कैसी हो?In hindi.

 #Life style in doing|बसन्त ऋतु में जीवनशैली कैसी हो?

By:- #Dr_Virender_Madhan.


#ऋतु चर्या, वसन्त (Spring)

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ऋतु    हिन्दू मास, वसन्त (Spring)   चैत्र से वैशाख (वैदिक मधु और माधव)   मार्च से अप्रैल तक होता है।


#बसंत ऋतु कब होती है?

Basant Panchami से यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है. बसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है. इस अवसर पर प्रकृति के सौन्दर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है. वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और बसंत में उनमें नई कोपलें आने लगती है जो हल्के गुलाबी रंग की होती हैं


#वसंत ऋतु आने पर क्या क्या परिवर्तन होते हैं?

- इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं I अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है और इसे ऋतुराज कहा गया है।

#वसंत ऋतु के कौन से दो महीने होते हैं?

वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं।

#बसंत ऋतु में कौन से फल और सब्जियों की है?

- इस मौसम में मौसमी सब्जियों का सेवन लाभदायक होता है जैसे - 

- करेला, लोकी, पालक आदि। ऐसे में कच्ची सब्जिया जैसे गाजर, मूली, शलगम, अदरक आदि का भी खूब सेवन करना चाहिए। 

* मौसमी फल जैसे - 

संतरा, चीकू, आम, अमरूद, पपीता भी बहुत लाभदायक होते है।

#बसंत के मौसम क्या पहनें?

* बसंत के मौसम में कॉटन के ही कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि इस तरह के कपड़े पहनने से इस मौसम में आप आराम महसूस करेंगे। इस मौसम में हमेशा शर्ट, टी-शर्ट, कुर्ता पहनना अच्छा माना जाता है। आपके लिए सिल्क और ऊनी कपड़ों के बजाय ट्राउजर और कुर्ते पहनें। बसंत में अकसर लोग आरामदेह कपड़े पहनना पसंद करते हैं।

#बसन्त ऋतु में होने वाले रोग?

बसन्त ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस समय सूर्य की तेज किरणों के कारण शरीर में संचित कफ दोष प्रकुपित हो जाते हैं जिससे शरीर की अग्नि मंद होने के कारण शरीर में अनेक रोग जैसे

मौसम बदलते हुए कुछ खास बीमारियों व संक्रमणों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. जो कि खासतौर से बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों के कारण होती हैं. जैसे-

अस्थमा,फ्लू, पेट में दर्द, खांसी, गले में दर्द, आंख आना, कीड़े-मकोड़े की एलर्जी, पेट में अल्सर, नाक बंद होना, छाती में जकड़न,सिरदर्द, पेट में गैस बनना, भूख कम लगना, सर्दी, जुकाम, पाचन शक्ति कम होना, एलर्जी, आदि हो सकते है।

यह भी देखे - 

https://youtu.be/WSJWSO3DfNI


#बसंत ऋतु (मार्च से मई) मे क्या खायें क्यान खायें?

इस मौसम में जौ, चना, ज्वार, गेहूँ, चावल, मूँग, अरहर, मसूर की दाल, बैंगन, मूली, बथुआ, परवल, करेला, तोरई, अदरक, सब्जियाँ, केला, खीरा, संतरा, शहतूत, हींग, मेथी, जीरा, हल्दी आँवला आदि कफनाशक पदार्थों का सेवन करें।

* गन्ना, आलू, भैंस का दूध, उड़द, सिंघाड़ा, खिचड़ी व बहुत ठंडे पदार्थ, खट्टे, मीठे, चिकने, पदार्थों का सेवन हानिकारक है। ये कफ में वृद्धि करते हैं।

आगामी बसंत ऋतु में दही का सेवन न करें क्योंकि बसंत ऋतु में कफ का स्वाभाविक प्रकोप होता है एवं दही कफ को बढ़ाता है। अतः कफ रोग से व्यक्ति ग्रसित हो जाते हैं।

नियमित ये काम करें

* रूखा, कड़वा, तीखा और कसैले रस वाली चीजों का खूब प्रयोग करें।

* सुबह खाली पेट बड़ी हरड़ का 3-4 ग्राम चूर्ण शहद के साथ लें।

* एक साल पुराना जौ, गेहूं, चावल का प्रयोग करें। इससे सुपाच्यता बढ़ेगी।

* सूर्योदय से पूर्व दैनिक क्रिया से निवृत होकर व्यायाम, योगासन करें।

* सुबह के समय तेल से मालिश कर 20-30 मिनट तक धूप में रहें।

* ठंडी, चिकनाई युक्त, गरिष्ठ, खट्टे एवं मीठे द्रव्य का प्रयोग नहीं करें।

* सक्रिय दिनचर्या अपनाएं। एक जगह पर देर तक बैठना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

* ठंडे पेय, आइसक्रीम, मैदे से बनी चीजें, खमीरवाली चीजों का प्रयोग बिल्कुल न करें।

चावल खाने से बचें। 

यहां क्लिक करें-
https://youtu.be/WSJWSO3DfNI

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