Guru Ayurveda

शनिवार, 18 जून 2022

सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे|Methi ke chamatkar.in hindi.

 सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे|Methi ke chamatkar.in hindi.



 An Incredibly Easy Method That Works For All in hindi.

सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे.हिन्दी में जाने.

* पाचन क्रिया :-

 जिन लोगों को कुपच व कब्ज की परेशानी है, उन्हें मेथी का पानी पीने की आदत डाल लेनी चाहिए। 

* कोलेस्ट्रॉल:-

कोलेस्ट्रॉल को बैलेंस मे रखने के लिए मेथी के पानी का प्रयोग किया जाता है।

* सर्दी खांसी में आराम आराम मिलता है

 * डायबिटीज को कंट्रोल करने मे मदद करता है।

* वजन कंट्रोल करने के मेथी का पानी उत्तम है।

* भूख लगने की समस्या से निजात पाने के लिए मेथी का पानी पीना चाहिए।

* मेथी का पानी किडनी के लिए लाभदायक होता है।

#किस रोग मे और कैसे पीयें मेथी काढा या पानी?



#सुबह खाली पेट मेथी खाने से क्या फायदा होता है?

सवेरे खाली पेट मेथी खाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रण से लेकर हृदय रोगों से भी बचाव होता है। इसको सही मात्रा में उपयोग करने से फायदा मिलता है।

- इम्युनिटी बढाता है और इंफेक्शन को नियंत्रण मे रखता है।

- मेथी स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ाता है।

-पुरुषों की यौन क्षमता को बढाता है।

- बढे हुये कैलेस्ट्रोल को कम करता है ।

-शरीर पर किसीभी जगह सूजन हो तो उसमें फायदेमंद होती है।

#मेथी उबालकर (क्वाथ बना कर ) पीने से क्या फायदा होता है?

यह एसिडिटी, कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याओं दूर करने में मदद करता है. 

- दालचीनी और मेथी का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है

#मेथी का पानी कब पीना चाहिए?

मेथी के पानी को पीने का उत्तम समय सुबह उठकर  खाली पेट पीएं. सुबह खाली पेट मेथी पानी पीने से शरीर में मौजूद विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं।

#मेथी खाने से क्या (हानि ) नुकसान होता है?

मेथी उष्ण वीर्य होती है यानि तासीर गर्म होती है। ज्यादा सेवन करते हैं तो मूत्र में गर्मी उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में जलन के साथ साथ यूरिन में दुर्गंध की परेशानी हो सकती है। 

- कई बार अधिक मात्रा में मेथी का सेवन करने से पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, अपच आदि भी होती है।

- मेथी पानी के अधिक पीने से दस्त, मतली और पाचन तंत्र से संबंधित नुकसान हो सकते हैं      - कुछ लोगों को चक्कर और सिरदर्द की समस्या भी हो जाती है।

- अधिक मात्रा में मेथी के पानी का सेवन करने पर निम्न रक्त चाप की आशंका रहती है।

#बालों के लिए मेथी:-

#मेथी का पानी बालों में कैसे लगाएं?

- मेथी दानों को पीसकर उसका पाउडर तैयार कर लें. एक कटोरी में इस पाउडर को डालकर और उसमें 1 चम्‍मच नारियल का तेल मिलाएं. अब इसे अच्‍छी तरह मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं. जब बाल अच्‍छी तरह सूख जाएं तो शैम्‍पू से धो लें

#मेथी का पानी वजन घटाने के लिए?

- वजन घटाने के लिए भी   मेथी का पानी इस्तेमाल किया जाता है. 

 आपको इसके लिए रात में एक गिलास पानी में एक चम्मच मेथी के दाने डालकर भिगोने हैं. अब सुबह खाली पेट इस पानी को छानकर पी लें.

साथ मे पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए

#मेथी के पानी के अन्य 5 फायदे

- शुगर के मरीजों के लिए यह तरीके बेहद कारगर है। 

- जोड़ों में दर्द के लिए भी मेथी का पानी एक अचूक इलाज है। 

- ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या है, तो मेथी का पानी आपके लिए बेहद मददगार है।

#मेथी का पानी कैसे बनाएं

इसको बनाने के लिए आपको बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं. एक से डेढ़ चम्मच मेथी दानों को रात को एक गिलास साफ पानी में भिगो दें. सुबह उठकर इस पानी को अच्छे से छान लें और फिर इसे खाली पेट पीएं. अगर आप चाहे तो मेथी दाने को भी बाद में खा सकते हैं.

# मेथी का पानी कितने दिन तक पीना चाहिए?

 [डॉक्टर से सलाह लें, इसके बाद ही दिन तय करें। ]

वैसे एक महीने तक इसका प्रयोग किया जा सकता है।

धन्यवाद!


बुधवार, 15 जून 2022

श्वास लेने में तकलीफ हो तो क्या करें?In hindi.

 #श्वास लेने में तकलीफ हो तो क्या करें?In hindi.

Dr_Virender_Madhan.

श्वास काठिन्य,



- सांस की तकलीफ का मतलब सांस का धीमी चलना, हांफना, 

 एक दिन में बार-बार सांस लेने में कठिनाई का अनुभव करते हैं  जैस कोरोना मे सांस लेने में कठिनाई होना,

- पुरानी लगातार खांसी से भी

सांस लेने में कठिनाई होती है।श्वास का कठिनाई से लेना

 को डिस्पनिया,dyspnoea कहते है.

- यह अत्यधिक श्रम का एक आम लक्षण होता है फिर भी यदि यह अप्रत्याशित स्थिति में उत्पन्न हो तो यह एक रोग बन जाता है।

-  सांस लेने में तकलीफ के ऐसे कारण हो सकते हैं जो किसी  बीमारी की वजह से नहीं हों। 

* उदाहरण:-

 व्यायाम, ऊंचाई, तंग कपड़े, बिस्तर पर आराम की लंबी अवधि, या एक गतिहीन जीवन शैली के कारण श्वास मे कठिनाई हो सकती है.

धुवें के कारण;-

- छोटे बच्चों और धूम्रपान करने वालों को प्रभावित करता है जो सिगरेट या किसी धुम्रपान के धुवें से सांस लेते हैं  उनके फेफड़े सीधे प्रभावित होते हैं।

-  हृदय रोगियों, मुख्य रूप से अधिक आयु वर्ग के लोगों में सांस फूलने की समस्या होने की संभावना अधिक होती है।

#सांस फूलने के मुख्य कारण:-

अस्थमा:-

 अस्थमा वायुमार्ग को प्रभावित करता है। खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

निमोनिया:-

- यह बड़े वायुमार्ग में संक्रमण के कारण होता है। यह ब्रोंकाइटिस से भी ज्यादा प्रभावित हो सकता है। निमोनिया के लक्षण- भूख में कमी, पसीना, कंपकंपी और सिरदर्द हैं। बहुत अधिक खांसी होना सांस फूलने का एक कारण हो सकता है।

हृदय रोग:-

  दिल रोगी मे देखा जाता है जहां लोग ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं। ये द्रव दबाव बना सकते हैं और इस अतिरिक्त तरल पदार्थ से सूजन हो सकती है जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है।

पल्मोनरी एम्बोलिज्म:-

 - यह फेफड़ों में रक्त वाहिकाओं के रुकावट का कारण बनती है। इससे सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इलाज से आप बीमारी से निजात पा सकते हैं।

चिंता:-

 बहुत से लोग अलग-अलग चीजों को लेकर चिंतित रहते हैं  - लक्षण हृदय गति का तेज होना, बीमारी, पसीना, सिरदर्द होना.

एनीमिया:-

 इसमे हमारे पास कम लाल रक्त कोशिकाएं हैं या कम हीमोग्लोबिन है। कुछ लक्षण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकते हैं। इसमें थकान, बेहोशी महसूस होना और सांस फूलना शामिल हो सकता है। 

मोटापा:-

 अधिक वजन होना, सांस फूलने का एक बड़ा कारण हो सकता है। आपके वजन में कमी आपको बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद कर सकती है। 

फेफड़े की स्थिति:-

 यह सूजन या संकीर्ण वायुमार्ग जैसे विभिन्न कारणों से सांस फूलने का कारण हो सकता है। ये आपके फेफड़े को सख्त और लोचदार बना सकते हैं। अस्थमा, ब्रोन्किइक्टेसिस और फेफड़ों के कैंसर होने पर फेफड़े की स्थिति अधिक कष्टकारी होती है।

*श्वास काठिन्य के अन्य कारणों   भी हो सकते हैं:

- वजन घटना

- गलग्रंथि की बीमारी

- गुर्दे की बीमारी

- मांसपेशीय दुर्विकास आदि.

#सांस फूलने के क्या लक्षण होते है?

- सांस लेने में कठिनाई होना.

- नाड़ी दर में वृद्धि होना.

- छाती में दर्द होना.

- ठंडी और पीली त्वचा होना.

- सांस लेते समय ऊपरी छाती या मांसपेशियों की मदद लेना

- छाती में संक्रमण होना.

- दिल की कोई बीमारी होना.

#सांस लेने में कठिनाई है तो क्या करें?

- अदरक के टुकड़ों को चबाकर खायें या फिर अदरक की चाय बनाकर पीनी है इससे आपको काफी हद तक राहत मिलेगी. 

- सौंफ :-

आयुर्वेद के मुताबिक, सौंफ सांस की समस्या को दूर करने में मदद कर सकती है. सौंफ बलगम को निकालते हैं और सांस की परेशानियों को दूर करते हैं. इसमें मौजूद आयरन से एनीमिया की समस्या में भी राहत मिलती है.

- चुकंदर :-

कई बार एनीमिया की वजह से भी सांस लेने में लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है, इसके लिए चुकंदर का सलाद या फिर जूस के तौर पर इसका सेवन कर सकेत हैं. इसमें फाइबर,कैल्सियम और पोटैशियम होता है

 लहसुन-

 लहसुन के एण्टीबैक्टिरियल है, लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी  का आधा चम्मच सेवन दो महीने तक लगातार करने से ठंड के दौरान आक्रमक होने वाली दमा जैसी घातक बीमारी में बेहद राहत मिलती है 

- अजवायन व लौंग फायदेमंद

ठंड में अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फ़ायदा होता है। 

-  अडूसा की पत्तियां

अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है जिससे अस्थमा में अतिशीघ्र आराम मिलता है।  अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है।

- बड़ी इलायची

बड़ी इलायची खाने से खांसी, दमा, हिचकी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है। बड़ी इलायची, खजूर व अंगूर की समान मात्रा लेकर, कुचलकर शहद में चाटने से खांसी, दमा और शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।

- पान व पालक का जूस

 पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों का चूर्ण की एक चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है।

 -पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।

- अंगूर का रस गुणकारी

लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके स्वास या दमा के रोगी को पिलाया जाए तो सांस लेने की गति सामान्य हो जाती है।

- अनंतमूल की जड़ें

दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3-3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर लें तो फ़ायदा होता है, ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है।

- बच व ब्रह्मी

बच, ब्रह्मी, पिपली, हरड और अडूसा की समान मात्रा को पीसकर इस मिश्रण को लेने से गले की समस्या जैसे गला बैठ जाना, टांसिल्स आदि में अतिशीघ्र आराम मिलता है। 

- बहेड़ा

पुरानी खांसी में 100 ग्राम बहेड़ा के फलों के छिलके लें, उन्हें धीमी आंच में तवे पर भून लीजिए और इसके बाद पीस कर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण का एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन से चार सेवन बहुत लाभकारी है।

- भुट्टा 

मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख तैयार कर ली जाए और इसे पीस लिया जाए, इसमें अपने स्वाद के अनुसार सेंधा नमक डालकर दिन में 4 बार एक चम्मच फ़ांकी लेने से खांसी, कफ़ और सर्दी में आराम मिलता है। 

नीलगिरी का तेल

- नीलगिरी का तेल एक सूती कपड़े में लगा दिया जाए और सर्दी और खांसी होने पर सूंघा जाए तो आराम मिलता है। गले में दर्द होने पर भी ये फायदा करता है। 

- मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरख और शहद को धीमी आंच पर कुछ देर गर्म करके रोगी को पिलाने से अस्थमा रोग में आराम मिलता है। 

- तुलसी 

गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से लेना चाहिए.

#आयुर्वेदिक औषधि:-

श्वास चिंता मणी रस

श्वसकुठार रस

कनकासव

चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इन औषधियों का प्रयोग कर सकते है.

धन्यवाद!



सोमवार, 13 जून 2022

कैल्शियम की कमी के लक्षण,कारण,और चिकित्सा.in hindi.

 कैल्शियम की कमी के लक्षण,कारण,और चिकित्सा.in hindi.



#Dr.Virender Madhan.

#calcium|कैल्शियम की कमी.in hindi.

जब शरीर में पर्याप्त कैल्शियम की कमी हो जाती है तो उसे कैल्शियम की कमी के नाम से जाना जाता है।

-  महिलाओं मे पुरुषों की तुलना में इसके होने की संभावना अधिक होती है।  -पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं मे,और

- प्रसूता महिलाओं में कैल्शियम की कमी आमतौर पर हो जाती है।

 - कैल्शियम हड्डियों और दांतों के विकास और विकास में सहायता करता है।

- यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है, रक्त जमावट में सहायता करता है, और

 -   तंत्रिका तरंगों को स्वतंत्र रूप से बहने देता है। 

- बहुत अधिक कैल्शियम सूजन और कब्ज पैदा कर सकता है।

#कैल्शियम की कमी से शरीर में क्या होता है?

कैल्शियम की कमी से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस, या भंगुर हड्डियों का कारण बन सकता है, लापरवाही करने पर

कैल्शियम की कमी के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

-  शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर हड्डियां कमजोर और दर्द होने लगता है.

- कैल्शियम की कमी होने पर मांसपेशियों में ऐंठन होती है.

- मेमोरी में भी कमी आ जाती है.

 - शरीर सुन्न होने लगता है और हाथ-पैरों में झुनझुनाहट रहती है.

- पीरियड में गड़बड़ी होने लगती है.

- दांत कमजोर हो जाते हैं.

* आक्षेप

 * थकान

* अनिद्रा

* शुष्क त्वचा

* नाज़ुक नाखून

* रुखे बाल

* खालित्य

* खुजली

* सोरायसिस

* दांतों की समस्या आदि समस्या कैल्शियम की कमी मे मिलती है।

#कैल्शियम की कमी से कौनसा रोग हो जाता है?

- ​​हृदय रोग-

 कैल्शियम की कमी से हार्ट संबंधी रोगों के जोखिम का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. 

- कोलेस्ट्रॉल का लेवल:-

शरीर में पर्याप्त कैल्शियम होने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल कंट्रोल रहता है. इससे हृदय की बीमारियों का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है.

- ब्लड प्रेशर:-

 ​ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है- कई बार कैल्शियम की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या भी हो जाती है

#कैल्सियम की कमी कैसे दूर करें?

कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए उपाय- 

- रोजाना डेयरी प्रोडक्ट्स का अधिक से अधिक सेवन करें। इसके लिए दूध, दही, पनीर, मक्खन आदि चीजों को डाइट में शामिल करें। 

- बच्चों को रोजाना एक गिलास दूध पीने को दें। 

- सीफूड में भी कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।

- सोयाबीन- सोयाबीन में कैल्शियम और ऑयरन भरपूर होता है.

- तिल- करीब 1 चम्मच तिल में अच्छा कैल्शियम होता है. 

- बादाम- बादाम को सुपरफूड कहा जाता है.


#कैल्शियम कौन कौन सी चीजों में होता है?

* कंद में - नारियल का गुड़, शकरकंद, प्याज, लेमन ग्रास, गन्ना आदि कैल्शि‍यम के अच्छे स्त्रोत हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता है। 

- हरी सब्जी, और फल खाने से भी कैल्शियम की पुर्ति होती है।

कैल्शियम से भरपूर सब्जियों में पालक, ब्रोकली, एवोकाडो, भिंडी, कोलार्ड और केला शामिल हैं।

सफेद बीन्स, सोयाबीन और फ्लैट बीन्स जैसे बीन्स भी आहार में कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।

 कुछ कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ हैं:

दुग्ध उत्पाद

फलियाँ

अंजीर

ब्रोकोली

टोफू

सोय दूध

पालक

दृढ़ अनाज


#कैल्शियम की कमी मे आयुर्वेदिक दवा

-गिलोय चूर्ण,गिलोय रस का प्रयोग.

- 1 ग्राम कैल्शियम रोजाना चाहिए।

 इसके लिए आप मुक्ता शुक्ति 1 ग्राम और मोतिपिष्टी एक चौथाई भाग लेकर सेवन करे। इसमें अधिक मात्रा में कैल्शियम पाई जाती हैं। जो इस कमी को पूरा करेगी।

- मुक्तावटी से कैल्शियम म इजाफा होता  है।

- हल्दी, मेथी, ,सौंठ, सुरंजान और अश्वगंधा और शतावर का सेवन करे।

- कर्पद भस्म,शंख भस्म, मोती भस्म, मुक्ताशुक्ति ,प्रवाल पिष्टी या भस्म का प्रयोग चिकित्सक के अनुसार करने से शीध्र लाभ मिलता है।

- हल्दी वाला दूध पीने से आराम मिलता है।

धन्यवाद!


रविवार, 12 जून 2022

#बुद्धि कैसे बढ़ाएं?In hindi.


 #बुद्धि कैसे बढ़ाएं?In hindi.

# आयुर्वेद से बुद्धि कैसे बढ़ाएं ?In hindi.

स्मरणशक्ति एवं बुद्धि बढ़ाने वाली आयुर्वेद औषधियां व जड़ी बूटियाँ- जैसे शंखपुष्पी, बच, शतावरी, ज्योतिष्मती, अश्वगंधा, आंवला, शहद आदि और खाद्य-पदार्थों में अनार, बथुवा, जौ , लहसुन, सैंधा नमक, गाय का दूध और घी, मालकांगनी, | बैंगन आदि बुद्धि-वर्धक हैं।

#दिमाग को तेज करने वाली कौन सी दवा है?

मस्तिष्क के लिए बेहतरीन टॉनिक है ब्राह्मी 

- ब्राह्मी मस्तिष्क के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक औषधि मानी जाती है. अगर आप ब्राह्मी के अर्क का सेवन हर रोज नियमित रूप से करते हैं, तो इससे आपकी याददाश्त तेज, अल्जाइमर, सोचने-समझने की क्षमता, व्यवहारिक दक्षता आदि को बढ़ाने में सहायता मिलती है.

#दिमाग को बढाने के लिये क्या खायें?

कमजोर दिमाग को तेज करने के लिये अपने भोजन में शामिल करें.

केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां डाइट , तेज दिमाग के लिए पालक, केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां सहायक होती हैं.

अंडा का सेवन लाभदायक होता है.

अखरोट खाने से दिमाग को बल मिलता है.

#बुद्धि को बढाने के लिए क्या करें?

- सही भोजन का सेवन करे .

- रोजाना एक्सरसाइज करे.

-समय पर , सही मात्रा में नींद ले.

-  कुछ समय के लिए मनोरंजन करें.रोजाना गाने सुने

ब्रेन गेम्स को खेले

 #आयूर्वेद मे ब्रेन टॉनिक क्या है?

बीएचयू के आयुर्वेद विभाग के द्रव्य गुण विभाग में मण्डूकपर्णी के पौधे पर रिसर्च कर ब्रेन टानिक के रूप में उन गुणों को पाया गया है, जिनसे टेंशन, डिप्ररेशन, कमजोर यादाश्त से लड़ा जा सकता है। मण्डूकपर्णी के पौधे का रस दिमाग की इन्द्रियों को फ्रेश रखता है।

 टेंशन और घबराहट के लिए 'ब्रेन टॉनिक' है

#आयुर्वेदिक बुद्धि बर्द्धक औषधि :-

शंखपुष्पी सीरप

गुरु ब्रनिका सीरप

सारस्वतारिष्ट

अश्वगंधारिष्ट

- डाक्टर को कब दिखायें?

मानसिक कमजोरी याददाश्त को भी प्रभावित करता है. इससे व्यक्ति को चीजें याद कर बोलने में भी मुश्किल हो सकती है. इसके अलावा चीजों को बोलने में कंफ्यूजन हो जाना भी दिमाग के नसों की कमजोरी से जुड़ा होता है. ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

#कौन सा फल खाने से दिमाग तेज होता है?

स्ट्रॉबेरी में सभी गुण होते हैं, जो आपके मानसिक संतुलन को बनाए रखने में आपकी मदद कर सकती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉएड्स मौजूद होता है, जो ब्रेन सेल्स को मजबूत करता है। दिमाग की शक्ति को बढ़ाता है। खासतौर से बढ़ते बच्चों के लिए स्ट्राबेरी खाना लाभदायक हो सकता है।

#बुद्धि बढ़ाने के हैं ये 6 बेहतरीन तरीके

- जीवन मे कुछ नया कीजिए .

- रोजना नियमित व्‍यायाम अपने बल के अनुसार करते रहें.

- दिमागी कसरत करें जैसे पहेलियां सोल करना.

- पोजेटिव सोच रखें।

सकारात्‍मक सोच रखने से दिमाग की ताकत बढती है. 

- सात्विक व स्‍वस्‍थ पोष्टिक आहार लेना चाहिए. 

- ज्ञान बर्द्धक ,मोटीवेशन करनेवाली किताब पढ़ें.

धन्यवाद!

शनिवार, 11 जून 2022

ब्रेन, दिमाग के लिये कौन सा आयुर्वेदिक टोनिक है? In hindi.


  ब्रेन दिमाग के लिये कौन सा आयुर्वेदिक टोनिक है? In hindi.

10 सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक ब्रेन टॉनिक सिरप मे से एक

गुरू ब्रैनिका सिरप

#Guru Brainica Syrup 

- सभी के लिए आयुर्वेदिक ब्रेन टॉनिक सिरप - 

“ गुरू ब्रैनिका सिरप ”

मस्तिष्क एक उच्च ऊर्जा वाला अंग है जिसे पूरे दिन केंद्रित रहने के लिए बहुत सारे अच्छे खुराक की आवश्यकता होती है।  स्वस्थ रहने के लिए कुछ पोषक तत्वों के सेवन की आवश्यकता होती है।  

ब्रह्मी

शंखपुष्पी

वच

जटामांसी

यष्टिमधु

सौठ

मरिच

विड़ंग

 जैसे तत्व मस्तिष्क की कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत में मदद करते हैं, जबकि एंटीऑक्सिडेंट सेलुलर तनाव और सूजन को कम करते हैं, जो मस्तिष्क की उम्र बढ़ने और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से जुड़े होते हैं।  

* मानसिक स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण चीज है इसकी अच्छी देखभाल करना बेहद जरूरी है।  आज बाजार में ऐसे कई उत्पाद हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं, 

 1. तंत्रिका तंत्र 

तंत्रिका तंत्र को फिर से जीवंत करने के लिए गुरु ब्रैनिका  सिरप.

ब्रैनिका  सिरप एक आयुर्वेदिक मेमोरी स्टिमुलेटर सिरप है जो मस्तिष्क की याददाश्त और शक्ति में सुधार के लिए अद्भुत काम करता है।  यह टॉनिक कई हर्बल और प्राकृतिक अवयवों के लाभों के साथ एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जो मस्तिष्क को शक्ति में आवश्यक बढ़ावा देने और विभिन्न कार्यों को करते समय इसकी दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करता है।  यह सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है, चाहे वे युवा हो या बच्चे.

 2. तनाव कम करने के लिए.

ब्रैनिका  सिरप एक ब्रेन टॉनिक स्वास्थ्य पूरक है यह आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करके मस्तिष्क बूस्टर के रूप में कार्य करता है।  यह एक उच्च गुणवत्ता वाला मस्तिष्क स्वास्थ्य पूरक है जो आपके दैनिक कार्यों के बारे में जाने के साथ-साथ बेहतर संज्ञानात्मक कार्य प्राप्त करने में आपकी सहायता के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को जोड़ता है।  यह मस्तिष्क में तनाव और थकान को दूर करने के साथ-साथ याददाश्त को तेज करने में मदद करता है।

 4.  मस्तिष्क टॉनिक सिरप

चिंता के लिए दिमागी शक्ति दाई.

ब्रैनिका  सिरप स्मृति और तंत्रिका तंत्र को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है।  सिरप तनाव और चिंता को कम करने के साथ-साथ एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने में प्रभावी है।तथा एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकते हैं।

ब्रनिका सिरप अवसाद के उपचार और बुद्धि की वृद्धि में सहायता करता है। 

 5. एकाग्रता के लिए.

ब्रैनिका  सिरप में आयुर्वेदिक तत्व होते हैं जो मस्तिष्क को तेज करने में सहायता करते हैं।  यह याददाश्त बढ़ाने और मानसिक थकान को कम करने में मदद करता है।   इसका उपयोग फोकल संवेदी प्रणाली पर अपनी गतिविधि के लिए किया जाता है, जो स्मृति और बुद्धि को बेहतर बनाने में मदद करता है।

यह खराब एकाग्रता, स्मृति, बुद्धि, लोभी शक्ति और नींद की गड़बड़ी में मदद करता है।  यह पाचन और आंत से अवशोषण में सहायता करता है, साथ ही कीड़े के विनाश में भी सहायता करता है “ब्रैनिका  सिरप”

धन्यवाद!

Guruparma2000@gmail.com.


 

बुधवार, 8 जून 2022

वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा.in hindi.

 वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा.in hindi.

Basantkusmaker ras.



वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है.

क्योंकि यह ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य और स्थिर करता है। इसका उपयोग एंटी-हाइपरग्लाइकेमिक, कामोत्तेजक और कार्डियोप्रोटेक्टिव एजेंट के रूप में भी किया जाता है।

#रसेन्द्रसारसंग्रह के अनुसार वसंत कुसुमाकर रस।

वसंत कुसुमाकर रस के घटक द्रव्य:-

सोनाभस्म 2 भाग,

चांदी भस्म 2 भाग,

वंग भस्म  3 भाग,

वंगभस्म 3 भाग,

कांतलौह भस्म 3 भाग,

अभ्रक भस्म 4भाग,

मूंगा भस्म और मोती 4-4 भाग,

भावना द्रव्य -

गाय का दूध, ईख का रस, अडूसे के पत्तों का रस, लाख का क्वाथ, सुगंधवाला रस , केले के की जड का रस,केले के फूलों का रस, शतावर का रस, मालती के फूलों का रस,

सुगंध के लियें कस्तूरी का क्वाथ,

बसन्तकुसुमाकर रस बनाने की विधि:-

सभी भस्मो को मिलाकर खरल करें फिर भावना द्रव्यों मे से एक-एक द्रव्यो की अलग अलग भावना 7-7 बार दें.

बाद मे 2-2 रत्ती की गोली बना लें।

अनुपान:- 

मिश्री, शहद,धृत के साथ दें।

मात्रा:-

1से2गोली सवेरे शाम या 

चिकित्सक के अनुसार

इस औषधि का प्रयोग चिकित्सक की सलाह लेकर ही करें।

उपयोग:-

बसंतकुसुमार रस-कान्ति ,काम ,पुष्टि की बृद्धि करता है।

बसन्तकुसुमाकर रस के प्रयोग से वली,पलीत,और श्रुतिभ्रंश रोड को नष्ट करता है।

यह पुष्टि, बल,और आयुबर्द्धक है।पुत्रदा(संन्तान ) दायक है.

इससे बीस प्रकार के प्रमेह,11प्रकार के क्षय,और साध्यसाध्य सोमरोग नष्ट होते है.

इस औषधि के अब तक कोई साईड इफ्कट सामने नही आये है।

(रसेन्द्रसारसंग्रह)

धन्यवाद!



 

कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

 कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

#ईसबगोल|Plantago ovata क्या है?In hindi.



#DrVirenderMadhan.

- इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है।इसके बारे मे अधिकतर लोग कुछ न कुछ जाते हैं।

 यह पौधा देखने में बिल्कुल गेहूँ के जैसा होता है जिसमें छोटी छोटी पत्तियां और फूल होते हैं। इस पौधे की डालियों में जो बीज लगे होते हैं उनके ऊपर सफ़ेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे ही इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) कहते हैं।

#इसबगोल कहाँ पैदा होता है?

 ईसबगोल उत्पादन एवं क्षेत्रफल में भारत का स्थान प्रथम है। भारत में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से गुजरात ,राजस्थान ,पंजाब , हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टर में हो रहा हैं।



#इसबगोल की तासीर कैसी होती है?

इसबगोल की तासीर ठंडी होती है, यह कब्ज़, पेचिश और आंत के रोगों के लिए बहुत अच्छी होती है .

#इसबगोल कब्ज के लिए है रामबाण औषधि है।

कई फायदों वाला है इसबगोल ​कब्ज में राहत तथा ​दस्त रोकने में मददगार है।

- ​ब्लड शुगर कम करने मे मददगार होती है।

- यह ​कलेस्ट्रॉल कम करने मे उपयोगी होती है.

- इसबगोल ​दिल को स्वस्थ रखता है।

- ​वेट लॉस में मददगार होती है इसबगोल।

- ​ओवरइटिंग रोकने में मददगार है



#10 रोगों का उपाय एक ईसबगोल ?

ईसबगोल के उपाय - 

1  डाइबिटीज मे - 

 ईसबगोल का पानी के साथ सेवन करें इससे रक्त में बढ़ी हुई शर्करा को कम करने में सहायक होती है। 

 2  अतिसार -

 ईसबगोल पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है । 

3 - बवासीर - 

 ईसबगोल खूनी बवासीर में अत्यंत लाभकारी ईसबगोल का प्रतिदिन सेवन आपकी इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। पानी में भि‍गोकर इसका सेवन करना लाभदायक है। 

4 पाचन तंत्र - 

आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से राहत दिलाता है। प्रतिदिन भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है। 

* कब्ज होने पर ईसबगोल गुनगुने पानी के साथ सोने से पहले लिया जाता है। दस्त होने पर ईसबगोल दही में मिलाकर खाया जाना चाहिए। दो चम्मच ईसबगोल तीन चम्मच दही में मिलाकर दिन में दो बार खाने से दो दिन में ही दस्त से आराम मिलता है। यही नहीं, पेट में होने वाले दर्द और मरोड़ मे भी ईसबगोल आराम दिलाता है।

5  जोड़ों में दर्द - 

जोड़ों में दर्द होने पर ईसबगोल का सेवन राहत देता है। 

-यह दांत दर्द में भी यह उपयोगी है। वि‍नेगर के साथ इसे दांत पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है। 

6 वजन कम करे -

वेटलोस, वजन कम करने के लिए भी फाइबर युक्त ईसबगोल उपयोगी है। इसके अलावा यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। 

7 कफ -

 कफ के जमा होने पर ईसबगोल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ निकलने में आसानी होती है। 

8  सिर दर्द - 

Headache, ईसबगोल का सेवन सि‍रदर्द के लिए भी उपयोगी है। 

नीलगिरी के पत्तों के साथ इसका लेप दर्द से राहत देता है, - प्याज के रस के साथ इसके उपयोग से कान का दर्द भी ठीक होता है। 

 9नकसीर - 

 नाक में से खून आने पर ईसबगोल और सिरके का सर पर लेप करने से आराम होता है।

10- सांस की दुर्गन्ध -  

ईसबगोल के प्रयोग से सांस की दुर्गन्ध से बचाता है, इसके अलावा खाने में गलती से कांच या कोई और चीज पेट में चली जाए, तो ईसबगोल सकी मदद से वह बाहर निकलने में आसानी होती है। 

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धन्यवाद!