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बुधवार, 15 जून 2022

श्वास लेने में तकलीफ हो तो क्या करें?In hindi.

 #श्वास लेने में तकलीफ हो तो क्या करें?In hindi.

Dr_Virender_Madhan.

श्वास काठिन्य,



- सांस की तकलीफ का मतलब सांस का धीमी चलना, हांफना, 

 एक दिन में बार-बार सांस लेने में कठिनाई का अनुभव करते हैं  जैस कोरोना मे सांस लेने में कठिनाई होना,

- पुरानी लगातार खांसी से भी

सांस लेने में कठिनाई होती है।श्वास का कठिनाई से लेना

 को डिस्पनिया,dyspnoea कहते है.

- यह अत्यधिक श्रम का एक आम लक्षण होता है फिर भी यदि यह अप्रत्याशित स्थिति में उत्पन्न हो तो यह एक रोग बन जाता है।

-  सांस लेने में तकलीफ के ऐसे कारण हो सकते हैं जो किसी  बीमारी की वजह से नहीं हों। 

* उदाहरण:-

 व्यायाम, ऊंचाई, तंग कपड़े, बिस्तर पर आराम की लंबी अवधि, या एक गतिहीन जीवन शैली के कारण श्वास मे कठिनाई हो सकती है.

धुवें के कारण;-

- छोटे बच्चों और धूम्रपान करने वालों को प्रभावित करता है जो सिगरेट या किसी धुम्रपान के धुवें से सांस लेते हैं  उनके फेफड़े सीधे प्रभावित होते हैं।

-  हृदय रोगियों, मुख्य रूप से अधिक आयु वर्ग के लोगों में सांस फूलने की समस्या होने की संभावना अधिक होती है।

#सांस फूलने के मुख्य कारण:-

अस्थमा:-

 अस्थमा वायुमार्ग को प्रभावित करता है। खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

निमोनिया:-

- यह बड़े वायुमार्ग में संक्रमण के कारण होता है। यह ब्रोंकाइटिस से भी ज्यादा प्रभावित हो सकता है। निमोनिया के लक्षण- भूख में कमी, पसीना, कंपकंपी और सिरदर्द हैं। बहुत अधिक खांसी होना सांस फूलने का एक कारण हो सकता है।

हृदय रोग:-

  दिल रोगी मे देखा जाता है जहां लोग ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं। ये द्रव दबाव बना सकते हैं और इस अतिरिक्त तरल पदार्थ से सूजन हो सकती है जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है।

पल्मोनरी एम्बोलिज्म:-

 - यह फेफड़ों में रक्त वाहिकाओं के रुकावट का कारण बनती है। इससे सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इलाज से आप बीमारी से निजात पा सकते हैं।

चिंता:-

 बहुत से लोग अलग-अलग चीजों को लेकर चिंतित रहते हैं  - लक्षण हृदय गति का तेज होना, बीमारी, पसीना, सिरदर्द होना.

एनीमिया:-

 इसमे हमारे पास कम लाल रक्त कोशिकाएं हैं या कम हीमोग्लोबिन है। कुछ लक्षण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकते हैं। इसमें थकान, बेहोशी महसूस होना और सांस फूलना शामिल हो सकता है। 

मोटापा:-

 अधिक वजन होना, सांस फूलने का एक बड़ा कारण हो सकता है। आपके वजन में कमी आपको बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद कर सकती है। 

फेफड़े की स्थिति:-

 यह सूजन या संकीर्ण वायुमार्ग जैसे विभिन्न कारणों से सांस फूलने का कारण हो सकता है। ये आपके फेफड़े को सख्त और लोचदार बना सकते हैं। अस्थमा, ब्रोन्किइक्टेसिस और फेफड़ों के कैंसर होने पर फेफड़े की स्थिति अधिक कष्टकारी होती है।

*श्वास काठिन्य के अन्य कारणों   भी हो सकते हैं:

- वजन घटना

- गलग्रंथि की बीमारी

- गुर्दे की बीमारी

- मांसपेशीय दुर्विकास आदि.

#सांस फूलने के क्या लक्षण होते है?

- सांस लेने में कठिनाई होना.

- नाड़ी दर में वृद्धि होना.

- छाती में दर्द होना.

- ठंडी और पीली त्वचा होना.

- सांस लेते समय ऊपरी छाती या मांसपेशियों की मदद लेना

- छाती में संक्रमण होना.

- दिल की कोई बीमारी होना.

#सांस लेने में कठिनाई है तो क्या करें?

- अदरक के टुकड़ों को चबाकर खायें या फिर अदरक की चाय बनाकर पीनी है इससे आपको काफी हद तक राहत मिलेगी. 

- सौंफ :-

आयुर्वेद के मुताबिक, सौंफ सांस की समस्या को दूर करने में मदद कर सकती है. सौंफ बलगम को निकालते हैं और सांस की परेशानियों को दूर करते हैं. इसमें मौजूद आयरन से एनीमिया की समस्या में भी राहत मिलती है.

- चुकंदर :-

कई बार एनीमिया की वजह से भी सांस लेने में लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है, इसके लिए चुकंदर का सलाद या फिर जूस के तौर पर इसका सेवन कर सकेत हैं. इसमें फाइबर,कैल्सियम और पोटैशियम होता है

 लहसुन-

 लहसुन के एण्टीबैक्टिरियल है, लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी  का आधा चम्मच सेवन दो महीने तक लगातार करने से ठंड के दौरान आक्रमक होने वाली दमा जैसी घातक बीमारी में बेहद राहत मिलती है 

- अजवायन व लौंग फायदेमंद

ठंड में अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फ़ायदा होता है। 

-  अडूसा की पत्तियां

अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है जिससे अस्थमा में अतिशीघ्र आराम मिलता है।  अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है।

- बड़ी इलायची

बड़ी इलायची खाने से खांसी, दमा, हिचकी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है। बड़ी इलायची, खजूर व अंगूर की समान मात्रा लेकर, कुचलकर शहद में चाटने से खांसी, दमा और शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।

- पान व पालक का जूस

 पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों का चूर्ण की एक चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है।

 -पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।

- अंगूर का रस गुणकारी

लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके स्वास या दमा के रोगी को पिलाया जाए तो सांस लेने की गति सामान्य हो जाती है।

- अनंतमूल की जड़ें

दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3-3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर लें तो फ़ायदा होता है, ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है।

- बच व ब्रह्मी

बच, ब्रह्मी, पिपली, हरड और अडूसा की समान मात्रा को पीसकर इस मिश्रण को लेने से गले की समस्या जैसे गला बैठ जाना, टांसिल्स आदि में अतिशीघ्र आराम मिलता है। 

- बहेड़ा

पुरानी खांसी में 100 ग्राम बहेड़ा के फलों के छिलके लें, उन्हें धीमी आंच में तवे पर भून लीजिए और इसके बाद पीस कर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण का एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन से चार सेवन बहुत लाभकारी है।

- भुट्टा 

मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख तैयार कर ली जाए और इसे पीस लिया जाए, इसमें अपने स्वाद के अनुसार सेंधा नमक डालकर दिन में 4 बार एक चम्मच फ़ांकी लेने से खांसी, कफ़ और सर्दी में आराम मिलता है। 

नीलगिरी का तेल

- नीलगिरी का तेल एक सूती कपड़े में लगा दिया जाए और सर्दी और खांसी होने पर सूंघा जाए तो आराम मिलता है। गले में दर्द होने पर भी ये फायदा करता है। 

- मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरख और शहद को धीमी आंच पर कुछ देर गर्म करके रोगी को पिलाने से अस्थमा रोग में आराम मिलता है। 

- तुलसी 

गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से लेना चाहिए.

#आयुर्वेदिक औषधि:-

श्वास चिंता मणी रस

श्वसकुठार रस

कनकासव

चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इन औषधियों का प्रयोग कर सकते है.

धन्यवाद!



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