#हमेशा जवान कैसे रहें?In hindi.
#हमेशा स्वस्थ कैसे रहे?
#दीर्घायु कैसे प्राप्त करें?
Longevity|दीर्घायु
Dr.VirenderMadhan.
हर व्यक्ति चाहता है कि वह लम्बे समय तक जीवित रहे, हमेशा जवानों की तरह जीवन व्यतीत करें मगर काल के वसीभूत होकर व्यक्ति उम्र बढने के साथ साथ कमजोर होता जाता है स्मरण शक्ति, धारणाबुद्धि का ह्रास होता चला जाता है इसके रोकथाम के लिए आयुर्वेद मे ऋषि मूनियों ने रसायन विद्या बताई है।
रसायन का आचरण व सेवन करके हम सदा युवा की तरह जीवन व्यतीत कर सकते है।
रसायन के सेवी व्यक्ति दीर्घायु होते है रसायन से स्मरण शक्ति, धारणाबुद्धि, स्वास्थ्य, शरीरिक सुन्दरता, और वाकसिद्धि प्राप्त हो जाती है। अतुल बल की प्राप्ति हो जाती है।
रसायन
“रसायन" एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है सार का मार्ग। यह एक प्रारंभिक आयुर्वेदिक चिकित्सा शब्द है जो जीवन काल को लंबा करने और शरीर को स्फूर्तिदायक बनाने के लिए तकनीकों का उल्लेख करता है। यह संस्कृत साहित्य में चिकित्सा के आठ क्षेत्रों में से एक है। वैदिक रसायन विज्ञान के संदर्भ में, "रस" का अनुवाद "धातु या खनिज" भी होता है।
“रसायन" शब्द रस और आयन से मिलकर बना है। इसका अर्थ 'रस प्राप्ति का मार्ग' है। अत: रसायन उसे भी कहते हैं जो ओज की वृद्धि करे।
रसायन की वह शाखा जो बीमारियों या रोगों के उपचार से संबंधित होती है, रसायन चिकित्सा(Chemotherapy) कहलाती है।
रसायन दो विधि से करने का वर्णन हमारे शास्त्रों में मिलता है। A-इंडोर (कुटीप्रवेशिका), B-आउटडोर
आयुर्वेदिक रसायन के लाभ:-
आयुर्वेद के अनुसार रसायन को लेने वाला की आयु, स्मरण शक्ति एवं बुद्धि वृद्धि होती है। साथ ही तरुण वय (वृद्धावस्था में भी युवा जैसा), शरीर व इंद्रियों में उत्तम बल की प्राप्ति, उदारता, वाक सिद्धि एवं सुरीला स्वर आदि गुणों की वृद्धि होती है।
सबसे पहले जुलाब देकर शरीर का मल साफ कर देना चाहिए क्योंकि मैले शरीर मे रसायन लेने से कोई भी लाभ नही मिलता है।
सर्व प्रथम धी से युक्त हरड 3 से 5 दिनो तक खायें ताकि शरीर से सार मल निकल जाये।
रसायन सेवी व्यक्ति को सदा स्वच्छ व सुरक्षित स्थान पर रह कर रसायन का सेवन करना चाहिए।
- इसके बाद
* मुलहठी, वंशलोचन, पीपल, सैन्धव नमक, लोहभस्म,सोना भस्म, चांदी भस्म, ताम्र भस्म, वच,मधू, धृत,
इन सबको अलग अलग त्रिफला, मिश्री के साथ मिलाकर खायें।
इनकी मात्रा आप अपन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सिक से पूछ कर ले क्योंकि इन द्रव्यों की मात्रा अलग अलग है तथा आयु, प्रकृति,काल,स्थान भेल से मात्रा अलग अलग होती है।
इस प्रयोग से व्यक्ति के सभी रोग नष्ट हो जाते है तथा आयु,बुद्धि, स्मरण शक्ति मे बृद्धि हो जाती है।
मण्डूकपर्णी
* मण्डूकपर्णी के स्वरस या
मुलहठी
मुलहठी चूर्ण को दूध के साथ पान करें या
*गिलोय रस का प्रयोग करें।
शंखपुष्पी
* शंखपुष्पी के फुलों का कल्क बनाकर लें।
गोक्षुर
* गोक्षुर की जड को फुलों सहित छाया में सुखा ले फिर चूर्ण बनावे फिर गोक्षुर पंचांग के स्वरस से भिगोयें (भावना) दे.
बाद मे सुखाकर चूर्ण बनाकर रखले. उसमे से 30-40 ग्राम चूर्ण गाय के दूध के साथ खायें ऊपर से केवल शाली चावल खायें।
शिलाजीत
* शिलाजीत 5-6 ग्राम त्रिफला क्वाथ से या मुलहठी क्वाथ से लें।
साथ मे गोखरू चूर्ण भी दे सकते है।
हरीतिकी प्रयोग
* रोज भोजन से पहले-
या हरड गुड से
या शहद से
या पीपर से
या सोंठ से
या सैंधानमक के साथ मिलाकर खाते रहे।ये अनुपान आप मौसम के अनुसार बदल बदल कर ले सकते है।
अन्य रसायन:-
आमलकी रसायन
हरीतिकी रसायन
त्रिफला रसायन
अमृतारसायन
धन्यवाद!