षड्बिंन्दू तैल
(रावण सहिंतानुसार)
शिरोरोग की यह एक प्रमुख औषधि है।
शिरोरोग:-
सूर्यावर्त(आधा शीशी),सभी सिरदर्द, नजला, सर्दी जुकाम, नाक के रोग,नाशार्श,नाशाशोथ,बालों का झडना, गंजापन, गले के रोग. आदि शिरोरोग होते है।
#षड्बिंन्दू तैल निर्माण के लिए औषध द्रव्य:-
एरण्ड की जड,तगर,सोया,जीवन्ती,रास्ना,सैंधानमक, भंगरैया, भाभीरंग,मुलेठी और सौठ।
#निर्माण विधि:-
कालेतिल का तैल मे उपरोक्त सभी द्रव्यों का कल्क (चटनी कीतरह का पेस्ट) मिलाकर चार गुना बकरी का दूध और चार गुना भांगरा का स्वरस डालकर धीमी आंच से पकायें।
ठंडा होने पर छानकर सुरक्षित रख ले.
मात्रा:-
इनकी छः बूंद नाक मे डालने से समस्त प्रकार के शिरोरोग नष्ट होते है।
उपयोग:-
. सर्व शिरोरोग मे उपयोगी है। जैसे बालों का झडना, दांतों का हिलना ठीक हो जाता है।आंखों की कमजोरी होना।इसके प्रयोग से गरुड़ जैसी दृष्टि और शरीर में बल बढ जाता है।
नाक के मस्से,पुराने से पुराने नजले को ठीक करने के काम आता है।
धन्यवाद!
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