Guru Ayurveda

रविवार, 21 अगस्त 2022

ऐप्पल साइडर ,सिरका क्या है?हिंदी में.

 ऐप्पल साइडर|Apple cider vinegar.



By :-Dr.Virender Madhan.

ऐप्पल साइडर ,सिरका क्या है?हिंदी में.

सेव कि सिरका किन किन रोगो मे ले सकते है?

[सेव के सिरके के लाभ व हानि क्या क्या होते है जानने के लिए लेख को अन्त तक पढे।]

#ऐप्पल साइडर क्या होता है?

ऐप्पल साइडर सिरका, या साइडर सिरका, किण्वित सेब के रस से बना एक सिरका है, और सलाद ड्रेसिंग, मैरिनेड, विनैग्रेट्स, खाद्य संरक्षक और चटनी में उपयोग किया जाता है।  इसे सेबों को कुचलकर, फिर रस निचोड़कर बनाया जाता है

aippal saidar siraka, ya saidar siraka, kinvit seb ke ras se bana ek siraka hai, aur salaad dresing, mairined, vinaigrets, khaady sanrakshak aur chatanee mein upayog kiya jaata hai. ise sebon ko kuchalakar, phir ras nichodakar banaaya jaata hai

#सुबह खाली पेट में सेब सिरका पीने के फायदे

- वजन कम करता है

 सेब का सिरका पीने से तेजी से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। 

-पाचन समस्या को ठीक करता है।

- इम्यून सिस्टम मजबूत बनाए।

- कोलेस्ट्रोल कम करता है।

- डायबिटीज को कंट्रोल करता है।

- जोड़ों के दर्द में आराम

#सेव के सिरका और मोटापा:-

- सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है, और पेट की चर्बी भी कम होती है। सेब के सिरके में मौजूद एसेटिक एसिड पेट की चर्बी कम करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है।


#सेब का सिरका और पाचन शक्ति :-

पाचन के लिए

यह आपके पेट के पीएच लेवल को संतुलित रखता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। सुबह खाली पेट पीने के अलावा आप थोड़ी मात्रा में सेब के सिरके का सेवन भोजन से पहले भी कर सकते हैं। इससे पाचक रस उत्तेजित होते हैं और पाचन क्रिया अच्छी होती है।


#सेब का सिरका और मधुमेह:-

सेब का सिरका शरीर में एल्कलाइन स्तर को बढ़ाता है जो कि मधुमेह के रोगी के लिए लाभकारी होता है। मधुमेह के रोगी एक दिन में एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब के सिरके को डालकर पिएं। इसका सेवन रोजाना करने से उन्हें फायदा होगा। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि इसका ज्यादा अधिक प्रयोग सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।


#सेब का सिरका और थायरॉयड:-

- अगर थाइराइड रोगी सेब के सिरके का सेवन करते हैं, तो इससे हार्मोन्स के संतुलित करने मे मदद मिलती है। 

#सेब का सिरका और कैंसर:-

सेब के सिरके में कई विटामिन, एंजाइम, प्रोटीन और लाभ पहुंचाने वाले बैक्टीरिया भी मौजूद होते हैं। एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर सिरका डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। यह कैंसर, हृदय की समस्याओं और हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है।

#युरिक एसिड और सेव का सिरका:-

सेब का सिरका यूरिक एसिड में क्या काम करता है?

यूरिक एसिड की समस्या को दूर करने के लिए सेब का सिरका काफी लाभदायक माना जाता है। दरअसल, सेब के सिरके में भरपूर मात्रा में एंटी-इमफ्लेमेंटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं, जो ब्लड में पीएच लेवल को बढ़ाने का काम करता है और साथ ही शरीर में मौजूद यूरिक एसिड को कंट्रोल करते हैं।

#सेब का सिरका और इम्यूनिटी:-

सेब का सिरका (Apple cider vinegar) कुचले हुए सेब से बना किण्वित (fermented) रस है। इसमें एसिटिक एसिड (acetic acid) और विटामिन C और B विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं। इम्यूनिटी बढती है।

#सेब का सिरका के नुकसान:-

सेब के सिरके के नुकसान -

सेब के सिरके में एसिड होने के कारण यह शरीर में मौजूद ब्लड में पोटैशियम के स्तर को कम करता है। सेब के सिरके को सीधा दांतों पर इस्तेमाल करने से दांतों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा इसका सीधा प्रयोग करना दांतों में पीलेपन की समस्या को भी बढ़ाता है।

#सेव के सिरके की मात्रा:-

10 Ml.सिरका पीनी मे मिलाकर लेना चाहिए इसे अकेले नही पीना चाहिये।

*इसके प्रयोग से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरुर करें।

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खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi

 खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi.



#Know yourself what is the nature of your body?In hindi.

प्रकृति कितने प्रकार की होती है?

#अपनी प्रकृति के दोष को कैसे शांत करें [लेख को पुरा पढें]

#Khud jane apne sharir ki prakriti kya hain ?

Nature of body|शरीर की प्रकृति.

By:-Dr.VirenderMadhan.

जन्म के समय माता-पिता के आर्तव,शुक्र मे उपस्थित वातादि दोषों के स्थिति यानि कौन सा दौष कम या अधिक है उसीसे मानव के शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है।ये 7 प्रकार की होती है।

#प्रकृति के प्रकार

प्रकृति सात प्रकार की होतीं हैं।

1- वातज

2- पित्तज

3- कफज

4- वात-कफज

5- पित्त-कफज

6- वात-पित्तज

7-वात-पित्त-कफज(समदोषज)


मुख्य तीन प्रकृति होती है।

वात प्रकृति – Vata Nature

पित्‍त प्रकृति – Bile Nature

कफ प्रकृति – Phlegm 

#अपने शरीर का स्‍वयं Nature परीक्षण करें – Test Your Body Yourself

आयुर्वेद के अनुसार आपका शरीर एक निश्चित प्रकृति का होता है।जो 

 शरीर के बनावट, 

हमारे स्‍वभाव, 

आदत, के अनुसार हमारे शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है । 

 #प्रकृति के लक्षण देखकर अपनी प्रकृति जाने।

#वात प्रकृति के लक्षण – Signs of Vata Nature

वात प्रकृति के लोग

- छरहरे शरीर के या पतले-दुबले होते हैं ।

- शरीर का वजन कम होता है ।

- रूखी त्‍वचा, 

- बालों का रंग गहरा होता है ।

- यें वाचाल स्‍वभाव के बातुनी होते है मतलब ज्‍यादा बोलने वाले होते हैं ।

-यें व्‍यक्ति जल्‍दबाज होते हैं मतलब किसी भी काम को जल्‍दी करना चाहते हैं ।  -सहनशीलता कम पाई जाती है।

- स्‍मरण शक्ति कमजोर होता है।

- चिंता करना और जल्‍दी से डर जाना वात प्रकृति के लोगों का पहचान होता है ।

- किसी भी बात को आसानी से समझ सकते हैं । 

- शरीर में सक्रियता अधिक होती हैं जैसे बैठे हुए भी हाथ-पैर हिलाते रहते हैं । 

- इन्हें ठंड अधिक लगती है ।

#वात बर्द्धक विहार:-

अत्यधिक परिश्रम करना, अधिक चिंता करना, अधिक ठंडे स्थान मे रहना,तेज हवा का सेवन करना,रात्रि जागरण करना,दुस्साहस करना, आदि।

#वातवर्धक आहार

- गैस बनाने वाले भोज्‍य पदार्थ जैसे आलू एवं आलू से बने पदार्थ, छोले, मठर,कढी,गोभी आदि ।

#वातशमनकारीआहार:- 

-मेथी दाना, दालचीनी, गर्म पानी, शुद्धतेल, चूना, दही, छाछ, फल सब्जियों का रस, और रेशेदार भोजन आदि ।


पित्तप्रकृति:-

#पित्त प्रकृति के लक्षण – Signs of Bile Nature

पित्त प्रकृति के व्‍यक्तियों का -शारीरिक बनावट सामान्‍य होता है, 

- शरीर का वजन भी सामान्‍य होता है । 

- त्‍वचा का रंग गोरा या चमकदार, 

- बालों का रंग हल्‍का काला होता है ।

- यें व्‍यक्ति गुस्‍सैल स्‍वभाव के होते है मतलब इन्‍हें जल्‍दी ही गुस्‍सा आता है । 

- जल्‍दी ही अधीर हो जातेहै और ईर्ष्‍यालु होते हैं।

- मानसिक रूप से सक्षम बुद्धिमान होते हैं । 

- याददाश्‍त तेज होती है।

- ये भूक्‍कड़ स्‍वभाव के होते हैं  - इन्‍हें भूख-प्‍यास अधिक लगता है । 

- पित्त प्रकृति के लोगों गर्मी अधिक लगती है । 

- शरीर से दुर्गन्‍ध आ सकती है।

पितबर्द्धक विहार:-

गर्म स्थान पर रहना,अत्यधिक धूप सेवन करना, क्रोध करना, खाली पेट रहना, नशा-शराब गांजा आदि लेना।

#पित्त वर्धक आहार:-

-चाय, काफी, मिर्च-मसाले, तीखे तले पदार्थ, शराब, बीड़ी सिगरेट, गुटका आदि मांसाहार, पनीर

#पित्त शमनकारी आहार

-जीरा हिंग, देशी गाय का घी, नारियल खीरा, ग्‍वारभाटा घृतकुमारी, जामुन, घडे का पानी.

कफ प्रकृति:-

कफ प्रकृति के लक्षण – Signs of Phlegm Nature

कफ प्रकृति के

- व्‍यक्ति के शरीर मे वजन अधिक होता है, ज्‍यादातर लोग मोटे होते हैं ।

-इनकी त्‍वचा तैलीय, बालों का रंग भूरा होता है । 

- यें लोग बेफ्रिक स्‍वभाव के होते हैं किसी बात की ज्‍यादा चिंता नहीं करते । 

- आलसी होते है।

- इन्हें जल्‍दी गुस्‍सा नहीं आता है। अधिकतर शांत स्‍वभाव के होते हैं । 

- यें देर में समझते हैं, आसानी से बात समझ में नहीं आती ।

कफ बर्द्धक विहार:-

ठंडे पेय लेना,ठंडे स्थान में रहना, आलस्य मे रहना, बिस्तर पर पढे रहना,व्ययाम न करना, आदि।

#कफवर्धक आहार:-

-दूध, मलाई, चावल, पनीर, केला, कुल्‍फी तथा तले हुये पदार्थ ।

#कफशमनकारीआहार:-

-गुड, मेथी, शहद, अदरक, सोठ, हल्‍दी, सौफ, गौमूत्र, लहसून

आयुर्वेद के अनुसार हर व्‍यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है, समय के अनुरूप, मौसम के अनुकूल एवं आयु के अनुकूल दोष उत्‍पन्‍न हो सकते हैं । इन दोषों को अपने खान-पान एव रहन-सहन में अनुशासन लाकर दूर किया जा सकता है । आपका शरीर जिस प्रकृति का है उसके वर्धक भोज्‍य पदार्थ लेने से बचें एवं शमनकारी भोज्‍य पदार्थ का सेवन करें । 

*इन लक्षणों के आधार पर हम अपने शरीर की प्रकृति तय कर सकते हैं । 

अपने शरीर की प्रकृति जानने के बाद  आहार विहार मे परिवर्तन करके बहुत से रोगो से बचा जा सकता है।इस लिए ही हमने प्रकृति के साथ ही वात पित और कफ बर्द्धक आहार का वर्णन किया है

-- योग्‍य वैद्य से सलाह लें ।

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गुरुवार, 18 अगस्त 2022

हमेशा जवान(दीर्घायु) कैसे रहें?In hindi.

 #हमेशा जवान कैसे रहें?In hindi.



#हमेशा स्वस्थ कैसे रहे?

#दीर्घायु कैसे प्राप्त करें?

Longevity|दीर्घायु

Dr.VirenderMadhan.

हर व्यक्ति चाहता है कि वह लम्बे समय तक जीवित रहे, हमेशा जवानों की तरह जीवन व्यतीत करें मगर काल के वसीभूत होकर व्यक्ति उम्र बढने के साथ साथ कमजोर होता जाता है स्मरण शक्ति, धारणाबुद्धि का ह्रास होता चला जाता है इसके रोकथाम के लिए आयुर्वेद मे ऋषि मूनियों ने रसायन विद्या बताई है।

रसायन का आचरण व सेवन करके हम सदा युवा की तरह जीवन व्यतीत कर सकते है।

रसायन के सेवी व्यक्ति दीर्घायु होते है रसायन से स्मरण शक्ति, धारणाबुद्धि, स्वास्थ्य, शरीरिक सुन्दरता, और वाकसिद्धि प्राप्त हो जाती है। अतुल बल की प्राप्ति हो जाती है।

रसायन

“रसायन" एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है सार का मार्ग।  यह एक प्रारंभिक आयुर्वेदिक चिकित्सा शब्द है जो जीवन काल को लंबा करने और शरीर को स्फूर्तिदायक बनाने के लिए तकनीकों का उल्लेख करता है।  यह संस्कृत साहित्य में चिकित्सा के आठ क्षेत्रों में से एक है।  वैदिक रसायन विज्ञान के संदर्भ में, "रस" का अनुवाद "धातु या खनिज" भी होता है।

 “रसायन" शब्द रस और आयन से मिलकर बना है। इसका अर्थ 'रस प्राप्ति का मार्ग' है। अत: रसायन उसे भी कहते हैं जो ओज की वृद्धि करे।

रसायन की वह शाखा जो बीमारियों या रोगों के उपचार से संबंधित होती है, रसायन चिकित्सा(Chemotherapy) कहलाती है।

रसायन दो विधि से करने का वर्णन हमारे शास्त्रों में मिलता है। A-इंडोर (कुटीप्रवेशिका), B-आउटडोर

आयुर्वेदिक रसायन के लाभ:-

आयुर्वेद के अनुसार रसायन को लेने वाला की आयु, स्मरण शक्ति एवं बुद्धि वृद्धि होती है। साथ ही तरुण वय (वृद्धावस्था में भी युवा जैसा), शरीर व इंद्रियों में उत्तम बल की प्राप्ति, उदारता, वाक सिद्धि एवं सुरीला स्वर आदि गुणों की वृद्धि होती है।

सबसे पहले जुलाब देकर शरीर का मल साफ कर देना चाहिए क्योंकि मैले शरीर मे रसायन लेने से कोई भी लाभ नही मिलता है।

सर्व प्रथम धी से युक्त हरड 3 से 5 दिनो तक खायें ताकि शरीर से सार मल निकल जाये।

रसायन सेवी व्यक्ति को सदा स्वच्छ व सुरक्षित स्थान पर रह कर रसायन का सेवन करना चाहिए।

- इसके बाद

* मुलहठी, वंशलोचन, पीपल, सैन्धव नमक, लोहभस्म,सोना भस्म, चांदी भस्म, ताम्र भस्म, वच,मधू, धृत, 

इन सबको अलग अलग त्रिफला, मिश्री के साथ मिलाकर खायें।

इनकी मात्रा आप अपन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सिक से पूछ कर ले क्योंकि इन द्रव्यों की मात्रा अलग अलग है तथा आयु, प्रकृति,काल,स्थान भेल से मात्रा अलग अलग होती है।

इस प्रयोग से व्यक्ति के सभी रोग नष्ट हो जाते है तथा आयु,बुद्धि, स्मरण शक्ति मे बृद्धि हो जाती है।

मण्डूकपर्णी

* मण्डूकपर्णी के स्वरस या

मुलहठी

मुलहठी चूर्ण को दूध के साथ पान करें   या

*गिलोय रस का प्रयोग करें।

शंखपुष्पी

* शंखपुष्पी के फुलों का कल्क बनाकर लें।

गोक्षुर

* गोक्षुर की जड को फुलों सहित छाया में सुखा ले फिर चूर्ण बनावे फिर गोक्षुर पंचांग के स्वरस से भिगोयें (भावना) दे.

बाद मे सुखाकर चूर्ण बनाकर रखले. उसमे से 30-40 ग्राम चूर्ण गाय के दूध के साथ खायें ऊपर से केवल शाली चावल खायें।

शिलाजीत

* शिलाजीत 5-6 ग्राम त्रिफला क्वाथ से या मुलहठी क्वाथ से लें।

साथ मे गोखरू चूर्ण भी दे सकते है।

हरीतिकी प्रयोग

* रोज भोजन से पहले-

या हरड गुड से

या शहद से  

या पीपर से

या सोंठ से

या सैंधानमक के साथ मिलाकर खाते रहे।ये अनुपान आप मौसम के अनुसार बदल बदल कर ले सकते है।

अन्य रसायन:-

आमलकी रसायन

हरीतिकी रसायन

त्रिफला रसायन

अमृतारसायन

धन्यवाद!

बुधवार, 17 अगस्त 2022

Migraine आधासीसी kya hain.In hindi.

 आधासीसी|Migraine



माईग्रेन क्या है हिंदी में.

Migraine kya hain.In hindi.

माइग्रेन एक ऐसी अवस्था है जिसमें इंसान के सिर मे बार-बार गंभीर सिरदर्द का  होता है। आमतौर पर इसका प्रभाव आधे सिर में देखने को मिलता है और दर्द आता-जाता रहता है। 

 कई लोगों में यह दर्द पूरे सिर में भी होता है। माइग्रेन साधारण सिरदर्द से हटकर एक विशेष तरह का सिरदर्द है और आजकल इससे कई लोग पीड़ित हैं।

माईग्रेन के लक्षण क्या है?

इसमें व्यक्ति को हल्का या तेज सिरदर्द होता है. इसमें लोगों को सिर में झनझनाहट भी महसूस होती है. आमतौर पर इसमें सिर के आधे हिस्से में दर्द होती है. माइग्रेन के शिकार होने पर उल्टी, मतली, आवाज और प्रकाश से संवेदनशीलता होने लगती है.

#आधासीसी के दर्द के आयुर्वेद व घरेलू उपाय।

1- सांठी[पुनर्नवा]की जड जौ के बराबर लेकर सुई मे पिरोकर  जिधर के सिर मे दर्द है उधर के कान मे सुर्योदय से पुर्व बांध दे।जैसे जैसे जडी सूखेगी दर्दे दूर होता जायेगा जब ठीक हो जाये तो जडी को बहते जल मे छोड दें।

2-अगर केशर को गौ के धी मे मिलाकर सूंघाये तो आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।

3-जिस ओर दर्द हो उस और के कान में गुमा [द्रोणपुष्पी ] का रस भरने से दर्द बन्द हो जाता है।

4-सौठ का चूर्ण 3ग्राम, बकरी का दूध 50 ग्राम दोनों को मिलाकर नस्य ले अर्थात् नाक मे डाले।दर्द तुरन्त बंद हो जाता है।

5- गन्ने का सिरका 100 ग्राम, नमक 10 ग्राम दोनों को मिलाकर रखले जब अच्छे से मिल जाये 3-3 बूंद रोगी केनाक मे डालने से भयानक स भयानक आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है। कफ की जमी हुई गांठ घुल कर निकल जाती है।

6- ब्रह्मीबूटी 50ग्राम, सौफ 50 ग्राम, बादाम गिरी 100 ग्राम तीनो को कुटपीस कर रखे बाद मे 3-3 ग्राम की मात्रा मेगौ दूध के साथ सेवन करें। दर्द ठीक होगा साथ ही साथ स्मरण शक्ति बढेगी।

7- कटहल की जड 50 ग्राम लेकर 250 ग्राम पानी में उबालकर काढा बना ले उसमे से 4-5 बूंद नाक मे सडकने से एक दिन मे ही आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।

8 - सिरस के बीजों को अत्यंत बारीक पीसकर शीशी में भरकर रख लें. जिस तरफ दर्द हो उसके उल्टी तरफ के नथुने मे सूंघाये 7-8- मिनट बाद छिकें आकर सिर दर्द ठीक हो जाता है।

9- समुद्रफल को बारीक पीस कर रख लें. आवश्यकता पडने पर उल्टे नथुने मे सुंघाये तुरन्त आराम मिलता है।

धन्यवाद

डा०वीरेंद्र मढान.

सोमवार, 15 अगस्त 2022

षड्बिंन्दू तैल क्या है?हिंदी में.


 षड्बिंन्दू तैल

(रावण सहिंतानुसार)

शिरोरोग की यह एक प्रमुख औषधि है।

शिरोरोग:-

सूर्यावर्त(आधा शीशी),सभी सिरदर्द, नजला, सर्दी जुकाम, नाक के रोग,नाशार्श,नाशाशोथ,बालों का झडना, गंजापन, गले के रोग. आदि शिरोरोग होते है।

#षड्बिंन्दू तैल निर्माण के लिए औषध द्रव्य:-

एरण्ड की जड,तगर,सोया,जीवन्ती,रास्ना,सैंधानमक, भंगरैया, भाभीरंग,मुलेठी और सौठ।

#निर्माण विधि:-

कालेतिल का तैल मे उपरोक्त सभी द्रव्यों का कल्क (चटनी कीतरह का पेस्ट) मिलाकर चार गुना बकरी का दूध और चार गुना भांगरा का स्वरस डालकर धीमी आंच से पकायें।

ठंडा होने पर छानकर सुरक्षित रख ले.

मात्रा:-

इनकी छः बूंद नाक मे डालने से समस्त प्रकार के शिरोरोग नष्ट होते है।

उपयोग:-

. सर्व शिरोरोग मे उपयोगी है। जैसे बालों का झडना, दांतों का हिलना ठीक हो जाता है।आंखों की कमजोरी होना।इसके प्रयोग से गरुड़ जैसी दृष्टि और शरीर में बल बढ जाता है।

नाक के मस्से,पुराने से पुराने नजले को ठीक करने के काम आता है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शनिवार, 13 अगस्त 2022

बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी में.


#आयुर्वेदिकउपाय #Healthtips #ghareluillaj #bechonkawazan

 बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी में.

प्रश्न-बच्चों को खाया पीया नही लगता क्या करें?

प्रश्न-बच्चे का वजन कैसे बढ़ाएं   

प्रश्न-बच्चों की हेल्थ बनाने के क्या उपय है?

प्रश्न-क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

प्रश्न-क्या मेवा जैसे काजू और बादाम दें कर शिशु को स्वस्थ कर सकते है?

प्रश्न-क्या अण्डा और आलू शिशु का वजन बढ़ाने के लिए दे सकते है ?

प्रश्न-क्या मलाई वाला दूध पिलाकर बच्चे को मोटा कर सकते है?

इन सभी प्रश्नों का जवाब जानने के लिए पढें

By--Dr.VirenderMadhan.

इस प्रकार के प्रश्न हमसे रोज पुछे जाते है।

लेकिन सब से पहले बच्चे हेल्दी क्यों नही हो रहे है उनके कारण का पता करना चाहिए।

#बच्चों को खाया पीया न लगने के मुख्य कारण:-

लीवर का कमजोर होना।

समय पर भुख न लगना।

कुपोषण

बच्चों को हर समय कुछ न कुछ खिलाते रहना।

कोई बीमारी होना।

कारण का पता करने के लिए एक बार अपने चिकित्सक को जरूर दिखायें।

#क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

हां..अगर बच्चे का पाचन (डाइजेशन) ठीक है तो उसकी उम्र के अनुसार मक्खन दिया जा सकता है।

- शिशु का वजन, दाल का प्रोटीन बढ़ाता है दाल खिलायें।

- अगर बेबी का वजन नहीं बढ़ रहा है तो केला खिलायें।

- आप खिचड़ी, दाल, चावल में देसी घी डालकर बच्चों को खिला सकते हैं। 

- आप बच्चों को अरहर, मूंग दाल खिला सकते हैं।

-  केला खिलायें

केला पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिनी बी6 और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है।

-  दालें 

दालों में प्रोटीन, मैग्‍नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फाइबर और पोटैशियम होता है।

* कुछ अन्य वजन बढाने वाले पदार्थ:-

- मलाई सहित दूध, बच्चे का वजन अगर कम है तो उसे मलाई वाला दूध पिलाना सही माना जाता है। 

- अंडे 

अंडे प्रोटीन से भरपूर होते हैं। 

- आलू 

आलू वजन बढ़ाने के लिए उपयोगी होते हैं। 

- शकरकंद 

शकरकंद फाइबर, पोटेशियम, विटामिन ए,बी और सी से भरपूर होते हैं। 

- बच्चों को दही खिलायें।

समय पर भोजन कराये

समय पर बच्चे को सोने दे नीद भी स्वस्थ्य के लिऐ बहुत जरुरी होता है।

धन्यवाद!

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

अश्वगंधा शक्ति का खजानाऔर रोगों दुश्मन कैसे?हिन्दी में.

 #अश्वगंधा शक्ति का खजानाऔर रोगों दुश्मन कैसे?हिन्दी में.



अश्वगंधा क्या है?

अश्वगंधा (वानस्पतिक नाम: 'विथानिआ सोमनीफ़ेरा' - Withania somnifera) एक झाड़ीदार रोमयुक्त पौधा है। कहने को तो अश्वगंधा एक पौधा है, लेकिन यह बहुवर्षीय पौधा पौष्टिक जड़ों से युक्त है। अश्वगंधा के बीज, फल एवं छाल का विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इसे 'असंगध' एवं 'बाराहरकर्णी' भी कहते हैं।

- यह विदानिया कुल का पौधा है; विदानिया की विश्व में 10 तथा भारत में 2 प्रजातियाँ पायी जाती हैं।

- इसकी जड व पत्तों में बेशुमार गुण भरे होते है।

#अश्वगंधा और हमारा दिमाग:-

अश्वगंधा मस्तिष्क शामक है ।

प्राचीन काल से अश्वगंधा का प्रयोग व्यक्ति तनाव को दूर करने के लिए करता आया है. इसकी मदद से स्ट्रेस हार्मोन को कम किया जा सकता है.    *दिमाग तेज करने के लिए एक चम्मच अश्वगंधा का चूर्ण रात को सोने से 30 मिनट पहले गर्म दूध में डालकर पीएं. 

* अश्वगंधा का प्रयोग मूर्छा, भ्रमरोग,अनिद्रा मे करते है।

#अश्वगंधा और हमारा पाचनतंत्र:-

- यह दिपन, अनुलोमन, और कृमिनाशक है अतः इसका प्रयोग उदर रोग, कृमिनाशक के रूप मे प्रयोग करते है।

* अश्वगंधा रक्तवहसंस्थान पर रक्तभारशामक, रक्तशोधक और शोथहर का गुण रखता है।

*श्वसनसंस्थान पर कास, श्वास मे इसका चूर्ण, क्षार धृत आदि का प्रयोग करते है।



#अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए?

- एथलेटिक प्रदर्शन में लाभदायक होता है।

- यौन सुख बढ़ाने में मददगार है।

- इरेक्टाइल डिसफंक्शन में मदद करता है।

- प्रजनन क्षमता में वृद्धि करता है।

-शुक्राणु की गतिशीलता में वृद्धि करता है।

- शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में बृद्धि करता है।

- मांसपेशियों में सुदृढता लाता है।

#महिलाओं में अश्वगंधा का सेवन करने के क्या होता है?

1 - महिलाओं के सेक्सुअल फंक्शन में सुधार लाता है।

2 - मेनोपॉज के दौरान अश्वगंधा लाभकारी होता है।

3 - एंटी एजिंग के रूप में अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है।

4 - घुटनों के दर्द को कम करने में अश्वगंधा मददगार साबित होता है।

5 - थायराइड मे अश्वगंधा लेने से राहत होती है

6 - वेजाइनल इंफेक्शन होने पर अश्वगंधा का प्रयोग कारगर साबित होता है।

7 - फर्टिलिटी की समस्या मे इसका प्रयोग किया जाता है।

#अश्वगं

धा के फायदे और नुकसान:-

अश्वगंधा ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है।

अश्वगंधा कैंसर से लड़ने में सहायक होता है :

अश्वगंधा कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करता है

 अश्वगंधा तनाव दूर करता है अश्वगंधा एंग्जायटी दूर करता है अश्वगंधा पुरुषों में प्रजनन क्षमता बढ़ाता है।

#अश्वगंधा और दूध पीने से क्या होता है?

* अश्वगंधा और दूध का साथ में सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक रहता है।  

* दूध और अश्वगंधा के सेवन से आपकी हड्डियां मजबूत रहती हैं और शारीरिक कमजोरी भी दूर हो सकती है। इन दोनों को मिलाकर आप रात में पी सकते हैं। 

* इससे नींद भी अच्छी आती है।

#अश्वगंधा को कितने दिन तक खाना चाहिए?

* तनाव को कम करने के लिए आपको महीने भर तक रोजाना 500 से 600 एमजी अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए। 

* प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए आपको कम से कम तीन महीने तक 5 ग्राम अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए। 

* ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए आपको दिन में 250 एमजी अश्वगंधा लेना चाहिए।

#अश्वगंधा के साइड इफेक्ट क्या है?

-अश्वगंधा का अगर सही मात्रा और सही तरीके से सेवन न किया जाए तो यह नुकसान पहुंचा सकता है. 

 अश्वगंधा की तासीर गर्म होती है. इसलिए अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से यह गैस, अफरा, उलटी, दस्त, ज्यादा नींद आना जैसी समस्या पैदा कर सकता है