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रविवार, 21 अगस्त 2022

खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi

 खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi.



#Know yourself what is the nature of your body?In hindi.

प्रकृति कितने प्रकार की होती है?

#अपनी प्रकृति के दोष को कैसे शांत करें [लेख को पुरा पढें]

#Khud jane apne sharir ki prakriti kya hain ?

Nature of body|शरीर की प्रकृति.

By:-Dr.VirenderMadhan.

जन्म के समय माता-पिता के आर्तव,शुक्र मे उपस्थित वातादि दोषों के स्थिति यानि कौन सा दौष कम या अधिक है उसीसे मानव के शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है।ये 7 प्रकार की होती है।

#प्रकृति के प्रकार

प्रकृति सात प्रकार की होतीं हैं।

1- वातज

2- पित्तज

3- कफज

4- वात-कफज

5- पित्त-कफज

6- वात-पित्तज

7-वात-पित्त-कफज(समदोषज)


मुख्य तीन प्रकृति होती है।

वात प्रकृति – Vata Nature

पित्‍त प्रकृति – Bile Nature

कफ प्रकृति – Phlegm 

#अपने शरीर का स्‍वयं Nature परीक्षण करें – Test Your Body Yourself

आयुर्वेद के अनुसार आपका शरीर एक निश्चित प्रकृति का होता है।जो 

 शरीर के बनावट, 

हमारे स्‍वभाव, 

आदत, के अनुसार हमारे शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है । 

 #प्रकृति के लक्षण देखकर अपनी प्रकृति जाने।

#वात प्रकृति के लक्षण – Signs of Vata Nature

वात प्रकृति के लोग

- छरहरे शरीर के या पतले-दुबले होते हैं ।

- शरीर का वजन कम होता है ।

- रूखी त्‍वचा, 

- बालों का रंग गहरा होता है ।

- यें वाचाल स्‍वभाव के बातुनी होते है मतलब ज्‍यादा बोलने वाले होते हैं ।

-यें व्‍यक्ति जल्‍दबाज होते हैं मतलब किसी भी काम को जल्‍दी करना चाहते हैं ।  -सहनशीलता कम पाई जाती है।

- स्‍मरण शक्ति कमजोर होता है।

- चिंता करना और जल्‍दी से डर जाना वात प्रकृति के लोगों का पहचान होता है ।

- किसी भी बात को आसानी से समझ सकते हैं । 

- शरीर में सक्रियता अधिक होती हैं जैसे बैठे हुए भी हाथ-पैर हिलाते रहते हैं । 

- इन्हें ठंड अधिक लगती है ।

#वात बर्द्धक विहार:-

अत्यधिक परिश्रम करना, अधिक चिंता करना, अधिक ठंडे स्थान मे रहना,तेज हवा का सेवन करना,रात्रि जागरण करना,दुस्साहस करना, आदि।

#वातवर्धक आहार

- गैस बनाने वाले भोज्‍य पदार्थ जैसे आलू एवं आलू से बने पदार्थ, छोले, मठर,कढी,गोभी आदि ।

#वातशमनकारीआहार:- 

-मेथी दाना, दालचीनी, गर्म पानी, शुद्धतेल, चूना, दही, छाछ, फल सब्जियों का रस, और रेशेदार भोजन आदि ।


पित्तप्रकृति:-

#पित्त प्रकृति के लक्षण – Signs of Bile Nature

पित्त प्रकृति के व्‍यक्तियों का -शारीरिक बनावट सामान्‍य होता है, 

- शरीर का वजन भी सामान्‍य होता है । 

- त्‍वचा का रंग गोरा या चमकदार, 

- बालों का रंग हल्‍का काला होता है ।

- यें व्‍यक्ति गुस्‍सैल स्‍वभाव के होते है मतलब इन्‍हें जल्‍दी ही गुस्‍सा आता है । 

- जल्‍दी ही अधीर हो जातेहै और ईर्ष्‍यालु होते हैं।

- मानसिक रूप से सक्षम बुद्धिमान होते हैं । 

- याददाश्‍त तेज होती है।

- ये भूक्‍कड़ स्‍वभाव के होते हैं  - इन्‍हें भूख-प्‍यास अधिक लगता है । 

- पित्त प्रकृति के लोगों गर्मी अधिक लगती है । 

- शरीर से दुर्गन्‍ध आ सकती है।

पितबर्द्धक विहार:-

गर्म स्थान पर रहना,अत्यधिक धूप सेवन करना, क्रोध करना, खाली पेट रहना, नशा-शराब गांजा आदि लेना।

#पित्त वर्धक आहार:-

-चाय, काफी, मिर्च-मसाले, तीखे तले पदार्थ, शराब, बीड़ी सिगरेट, गुटका आदि मांसाहार, पनीर

#पित्त शमनकारी आहार

-जीरा हिंग, देशी गाय का घी, नारियल खीरा, ग्‍वारभाटा घृतकुमारी, जामुन, घडे का पानी.

कफ प्रकृति:-

कफ प्रकृति के लक्षण – Signs of Phlegm Nature

कफ प्रकृति के

- व्‍यक्ति के शरीर मे वजन अधिक होता है, ज्‍यादातर लोग मोटे होते हैं ।

-इनकी त्‍वचा तैलीय, बालों का रंग भूरा होता है । 

- यें लोग बेफ्रिक स्‍वभाव के होते हैं किसी बात की ज्‍यादा चिंता नहीं करते । 

- आलसी होते है।

- इन्हें जल्‍दी गुस्‍सा नहीं आता है। अधिकतर शांत स्‍वभाव के होते हैं । 

- यें देर में समझते हैं, आसानी से बात समझ में नहीं आती ।

कफ बर्द्धक विहार:-

ठंडे पेय लेना,ठंडे स्थान में रहना, आलस्य मे रहना, बिस्तर पर पढे रहना,व्ययाम न करना, आदि।

#कफवर्धक आहार:-

-दूध, मलाई, चावल, पनीर, केला, कुल्‍फी तथा तले हुये पदार्थ ।

#कफशमनकारीआहार:-

-गुड, मेथी, शहद, अदरक, सोठ, हल्‍दी, सौफ, गौमूत्र, लहसून

आयुर्वेद के अनुसार हर व्‍यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है, समय के अनुरूप, मौसम के अनुकूल एवं आयु के अनुकूल दोष उत्‍पन्‍न हो सकते हैं । इन दोषों को अपने खान-पान एव रहन-सहन में अनुशासन लाकर दूर किया जा सकता है । आपका शरीर जिस प्रकृति का है उसके वर्धक भोज्‍य पदार्थ लेने से बचें एवं शमनकारी भोज्‍य पदार्थ का सेवन करें । 

*इन लक्षणों के आधार पर हम अपने शरीर की प्रकृति तय कर सकते हैं । 

अपने शरीर की प्रकृति जानने के बाद  आहार विहार मे परिवर्तन करके बहुत से रोगो से बचा जा सकता है।इस लिए ही हमने प्रकृति के साथ ही वात पित और कफ बर्द्धक आहार का वर्णन किया है

-- योग्‍य वैद्य से सलाह लें ।

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