Guru Ayurveda

रविवार, 4 सितंबर 2022

क्या होता है वैरिकाज़ वेन.हिंदी में।

 क्या होता है वैरिकाज़ वेन.हिंदी में।



What is Varicose Vein in Hindi?

Dr.VirenderMadhan. 

क्या होता है वैरिकाज़ वेन.हिंदी में।

#GuruAyurvedaInFaridabad.

क्या होता है वैरिकाज़ वेन?.हिंदी में।

#वैरिकाज़ वेन|Varicose Vein

जब त्वचा के नीचे की नीली नीली नसें फैल जातीं हैं, पतली और तनी हुई होती है, तो इसे वैरिकाज़ नस के रूप में जाना जाता है। नसों की दीवारों का पतला होना, भीतर के वाल्वों की विफलता के कारण होता है, फिर रक्त का जमाव होने लगता है, और उभरी हुई, पतली नसें दिखने लगती हैं जो तकलीफ देने लगती हैं। यह दिखाई दे भी सकती है 

#वैरिकोज नसों का कारण Causes of varicose veins

* रक्तचाप|High blood pressure.

जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो उसके कारण नसों में दबाव बढ़ जाता है और वे चौड़ी होने लगती हैं. जैसे-जैसे नसें खिंचने लगती हैं, वैसे-वैसे नसों में एक दिशा में खून का प्रवाह करने वाले वॉल्व अच्छे से काम करना बंद कर देते हैं.

#वंशानुगत|Heriditical

- यह वंशानुगत भी होता है और परिवारों में चलता है

- पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं

- एक से अधिक बार गर्भधारण

- डीप वेन थ्रोम्बोसिस

- मोटापा|Obesity.

- लंबे समय से खड़े होने वाले काम करते रहने से

#वेरिकोज आफ वेन के लक्षण:

Symptoms of Varicose of Vein:

- पैरों में सूजन

- पैरों में जलन, 

- दर्द या ऐंठन

- टखने के चारों ओर ब्राउन-ग्रे रंग का हो जाना

- टांगों में दर्द या भारीपन महसूस होना

- वैरिकाज़ नस के उपरी त्वचा मे उभरी हुई होना

- खुजली होना।



#वैरिकाज़ के उपाय (चिकित्सा)

Varicose Remedies (Medicine)

- जीवनशैली सुधारें

- ज्यादा देर तक बैठे या खड़े न रहें।

- अपना वजन संतुलन में रखें।

- नियमित व्यायाम करें।

- कम्प्रेशन वाले मोज़े पहनें।

- तंग कपड़ों और ऊँची एड़ी के जूते/सैंडल से बचें।

- व्यायाम करें (Regular Exercise)

- धूम्रपान बंद करें (Avoid Smoking)

- वजन कम करें और स्वस्थ भोजन करें

- समय रहते वैरिकाज़ नसों का उपचार करे

#वेरिकोज वेन्स होने पर क्या खाना चाहिए 

Food To Eat In Varicose Veins In Hindi

फल:-

सेब, केला, सेब और नाशपाती जैसे फलों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है।

चेरी खायें।

- चुकंदर को भोजन में सम्मिलित करें।

अदरक का काढा बनाकर दिन मे एक बार पीयें।

हल्दी का दूध या हल्दी वाला दूध लेः

हरी पत्तेदार सब्जियां खूब खायें।

आयुर्वेदिक चिकित्सा

अखरोट रोज खायें

अजमोदा 4-5 ग्राम दिन में 2 बार लें।

#एप्पल सिडार विनेगार (सेब का सिरका) 

Apple Cider Vinegar

- एप्पल साइडर विनेगार वैरिकोज वेन्स के लिए एक अद्भुत उपचार है। यह शरीर की सफाई करने वाला है जिससे बंद रक्त का बहना शुरु हो जाता है। 

- इसके लिए एक गिलास पानी में दो चम्मच एप्पल साइडर विनेगार को मिलाकर पीये। 

#लाल शिमला मिर्च:-

#Red Capsicum :-

* लाल शिमला मिर्च वैरिकोज वेन्स के उपचार में फायदेमंद  

- गर्म पानी में एक चम्मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर इस मिश्रण का एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है।

#जैतून का तेल और वैरिकोज वेन्स ।

Olive oil and varicose veins.

वैरिकोज वेन्स के इलाज के लिए रक्त परिसंचरण को बढ़ाना आवश्यक होता है। जैतून के तेल की मालिश से ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने में मदद मिलती है, इससे दर्द और सूजन कम होता है। 

#लहसुन:-

लहसुन वैरिकोज वेन्स के उपचार में फायदेमंद 

लहसुन खाने से रक्त का जमना, आमवात, बैड कोलेस्ट्रॉल आदि सभी ठीक हो जाते है

इसके लिए लहसुन भुन कर खा सकते है।

लहसुन का दूध पीयें।

आयुर्वेदिक चिकित्सक जलौका से चिकित्सा करते है।

[अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य करें]

धन्यवाद


शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

हृदयशूल हो तो करें 10 उपाय।हिंदी में

 हृदय शूल|Angina



हृदयशूल हो तो करें 10 उपाय।हिंदी में

Dr.VirenderMadhan.

* हृदय रोग हो जाने पर जब रक्त की धमनी के भीतर वसा[आम] की परतें जम जाने से वह पूर्ण रूप से बंद हो जाती हैं अथवा खून का थक्का (ब्लड क्लोट) बन जाने से धमनी में रक्त प्रवाह का मार्ग एकाएक अवरुद्ध हो जाता है और हृदय को ऑक्सीजनयुक्त रक्त मिलना बिल्कुल बंद हो जाता है, तब छाती में अचानक असहनीय तेज दर्द उठता है, 

#हृदय रोग के लक्षण, कारण,  और उपचार

- हाथ-कमर और जबाडा में दर्द होना।

- हाथों में दर्द होना,

- कमर में दर्द होना,

- गर्दन में दर्द होना और यहां तक की जबाडे में दर्द होना भी दिल की बीमारियों का एक लक्षण हो सकता है।

- चक्कर आना या सिर घूमना: कई बार चक्कर आने, 

- बेहोश होने और बहुत थकान होने जैसे लक्षण भी एक चेतावनी हैं।

क्यों होता है? हृदयशूल

- हृदयाघात

- रुमेटिक हृदय रोग

 - जन्मजात खराबियां

- हृदय की विफलता

- पेरिकार्डियल बहाव



#आयुर्वेद के अनुसार कारण:-

* हृदय रोग का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान करना, पारिवार में किसी को इस बीमारी का होना, बहुत ज्यादा मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप होना, सुस्त जीवनशैली का का होना, दैनिक जीवन में शारीरिक श्रम न करना, बहुत ज्यादा तनाव लेना और फास्टफूड का सेवन करना।

#हृदय शूल के आयुर्वेदिक 10 उपाय:-

1- चितल के सिंग की भस्म घी मिलाकर खिलाने से हृदयशूल मे तुरंत आराम मिलता है यह सर्वोत्तम तथा चमत्कारी औषधि है।

2-अर्जुन की छाल का रस 4 किलो घी एक किलो मिलाकर घृतपाक कर जब घी मात्र रह जाये तो छान कर रखें 

उसमे से 10-10 ग्राम घी को दूध के साथ लेने से हृदयशूल तथा हृदय के अधिकतर रोग ठीक हो जाते है।

3- बादामी रंग की गाजर लेकर 100 ग्राम रस निकालें उसमें10 ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में 2-3 बार पीयें यह दिल के लिए उत्तम टोनिक है।

4-असली सफेद चंदन को घीसकर 1 ग्राम ले उसे एक गिलास पानी में घोलकर पीयें यह दिल के घबराहट की अच्छी दवा है।

5- हृदयशूल के बाद केला गौदूध के साथ खिला देने से मृत्यु का भय कम हो जाता है।

6- बडी ईलायची का पाउडर बना कर रखें 2 ग्राम चूर्ण शहद मे मिला कर चाटने से सभी प्रकार के हृदय रोगो मे आराम मिलता है।

7- तरबूज के बीज की मिगी का चूर्ण 6 ग्राम देते रहने से दिल की घबराहट ठीक हो जाती है।

8- 250 ग्राम घीया (लौकी)  कसी हुई लौकी को या तो  ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। फिर उसे कपड़े से रस छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डाल लें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4  पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा। 

9-  पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।



10- एकाएक दर्द होने पर एक हरा या सुखा आंवला खायें।

[अपने चिकित्सक से सलाह करना जरूरी है]

हृदय रोग के अधिक पूछे जाने वाले सवाल:-

#हृदय रोग की पहचान क्या है?

#हृदय रोग के दो रूप कौन सा है?

#हृदय रोग से बचने के लिए क्या करें?

धन्यवाद!

बुधवार, 31 अगस्त 2022

टोमैटो फ्लू|Tomato Flu एक नई आफत।हिंदी में.

 टोमैटो फ्लू|Tomato Flu एक नई आफत।हिंदी में.



Dr.VirenderMadhan.

 देश में अभी कोविड महामारी अभी थमी नहीं कि टोमैटो फ्लू [Tomato Flu] नाम की एक नई बीमारी और आ गई है. इस फ्लू का असर सबसे ज्यादा बच्चों में देखने को मिल रहा है. केरल के बच्चों में यह संक्रमण ज्यादा फैल रहा है.

 स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि Tomato flu के मामले ज्यादा बढ़ सकते हैं. 

#टोमैटो फ्लू क्या है?

क्या है टोमैटो फ्लू?

टोमैटो फ्लू (Tomato Flu) एक अनजान फीवर (Fever) है. यह केरल में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में पाया गया है. 

* फ्लू से संक्रमित बच्चों के शरीर पर चकत्ते और छाले आ रहे हैं. देखने में लाल-लाल दाने जैसे फोड़े शरीर पर निकल रहे हैं. यही वजह है कि इसे टोमैटो फीवर कहा जा रहा है. 

#क्या है टोमैटो फ्लू Tomato Flu के लक्षण?



*  टोमैटो फ्लू से संक्रमित लोगों को पहले 

- बुखार होता है 

- त्वचा पर दाने पड़ने लगते हैं. 

- खुजली होने लगती है. 



- डिहाइड्रेशन हो जाता है   

- रोगी को थकान, घुटने में दर्द, - पेट में दर्द, डायरिया होती है

- सर्दी,कफ व श्वास की परेशानियां भी बताई हैं. 

- कुछ मरीजों में नाक बहने के भी लक्षण देखे गए हैं. 

- मरीज तेज बुखार की समस्या से जूझता है।


क्या है टोमैटो फीवर का इलाज?

इसका अभी कोई सटीक ईलाज नही है।

#टोमैटो फ्लू है तो रोगी क्या करें?

 टोमैटो फ्लू से सबसे ज्यादा बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. ऐस मे संक्रमित बच्चे को दूसरे बच्चों से दूर रखें

 - पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि बचा किसी छाले को न खुरचे।

- बच्चे साफ कपड़े पहनें और संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाए. कमरों को हर बार सैनिटाइज कर दिया जाए. 

- टोमौटो फ्लू की चपेट में आ रहे हैं वे डिहाइड्रेशन का भी शिकार हो रहे हैं. ऐसे में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.  

-रोगी को लिक्विड डाईट दें.

- नारियल पानी पीलायें।

-किवी दें।

-जैसे ही टोमैटो फ्लू के लक्षण सामने आएं तत्काल अपने डॉक्टर को दिखाएं.

धन्यवाद!

आयु व स्वास्थ्य बढाने के लिए हरड खाने के तरीके.हिंदी में.

 आयु व स्वास्थ्य बढाने के लिए हरड खाने के तरीके.हिंदी में.

Myrobalan |हरीतकी|हरड ।



#किस समय अधिक रसायन गुण करती है?

#हरड कैसे और कब खायें?

#हरड क्या है?

Dr.VirenderMadhan.

हरड़, जिसे हरीतकी भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है। यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। भारत में इसका इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब किया जाता है। 

टर्मिनलिया चेबुला, जिसे आमतौर पर ब्लैक- या चेबुलिक मायरोबलन के रूप में जाना जाता है, टर्मिनलिया की एक प्रजाति है, जो भारत और नेपाल से दक्षिण-पश्चिम चीन और दक्षिण में श्रीलंका, मलेशिया और वियतनाम से दक्षिण एशिया की मूल निवासी है।

#किस समय खाने से अधिक रसायन गुण करती है?

हरड यानि हरीतकी मे प्रमुख मात्रा रसायन गुण है।अतः हरीतिकी को आयुर्वेद में अलग अलग ऋतुओं मे अलग अलग अनुपान के साथ लेने से रसायन गुण मिलते है बताया है।

जैसे :- 

1- बर्षो ऋतु में हरीतिकी चूर्ण 3-5 ग्राम तक इच्छा अनुसार सैंधानमक मिलाकर सेवन करें।

2- शरद ऋतु में मिश्री चूर्ण के साथ ले

3- हेमन्त ऋतु में सौंठ के साथ लें।

4- शिशिर ऋतु में पिप्पली चूर्ण के साथ मे सेवन करें।

5- बसंत ऋतु में मधू के साथ तथा 

6- ग्रीष्म ऋतु में गुड के हरितकी रसायन का सेवन करें।

तब हरड अधिक रसायन का गुण देती है।

इस प्रकार ऋतु अनुसार हरीतिकी का प्रयोग करने का विधान हमारे आयुर्वेद के शास्त्रों मे मिलता है।

धन्यवाद!

रविवार, 28 अगस्त 2022

काली मिर्च के फायदे और 11 घरेलू उपाय / Black Pepper Benefitsin hindi.


 #11घरेलू नुस्खे #healthtips #आयुर्वेद #जडीबुटी

काली मिर्च के फायदे / Black Pepper Benefits.in hindi. 

By:-Dr.VirenderMadhan. 

#काली मिर्च के फायदे / Black Pepper Benefits 

 काली मिर्च क्या है? 

काली मिर्च (Black Pepper) की लता होती है। इस पर गुच्छों में फल लगते है। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के होते है और पकने पर लाल रंग के होते है और सूखने पर काले रंग के हो जाते है। 

#आयुर्वेद के अनुसार कालीमिर्च के गुण:-

 काली मिर्च #Black Pepper:-अग्निदीपक, कफ तथा वायु को शमन करनेवाली, उष्णवीर्य, पित्तकारक तथा श्वास, शूल और कृमिनाशक है। यह रुके हुए कफ को निकालने वाली,हृदयरोग, प्रमेह और बवासीर का नाश करनेवाली है। 

काली मिर्च  को मात्रापूर्वक सेवन करने से ह्रदय, वृक्क (Kidney), मूत्रपथ तथा आंतों की श्लेष्मधराकला (चिकनी त्वचा) को उत्तेजना मिलती है। 

अतिमात्रा में सेवन करने पर पेट दर्द, उल्टी, मूत्राशय व मूत्रस्त्रोतों में उत्तेजना पैदा करती है। 

  #हानिनिवारक द्रव्य :- 

घी,शहद का प्रयोग करते है। 

#मिर्च के अभाव मे:- 

पीपल प्रयोग करें। 

काली मिर्च के उपयोग:-

 - काली मिर्च (Kali Mirch) का आयुर्वेदिक दवाओं में बहुत उपयोग होता है। यह आमाशय (Stomach) को उत्तेजना देनेवाली, रुके हुए मल को तोड़नेवाली और कफ को बहानेवाली है। 

यह कफ को पतला करती है और पेट में कृमि नहीं होने देती। 

- काली मिर्च (Kali Mirch) भूख लगाती है और अन्न को पचाती है। काली मिर्च  तीक्ष्ण होने से लाला रस का स्त्राव बढ़ाती है इस लिये यह रुचिकारक है। रुक्ष होने के कारण यह अत्यंत कफहर (कफनाशक) गुण रखती है। 

 #आयुर्वेदीक औषधियों में काली मिर्च को मिलाने के कारण:   

काली मिर्च के आयुर्वेदिक योग और गुण:- 

[त्रिकटु] 

यह अग्निदीपक और अन्न को पाचन करने के लिये सुप्रसिद्ध योग ‘त्रिकटु’ (सोंठ, काली मिर्च  और पीपर) का यह एक भाग है। यह अग्नि दीप्त करता है।श्वास, कास, त्वचा के रोग, गुल्म, प्रमेह, कफ,स्थूलता, मेद, श्लीपद और पीनसरोग इन सब को नष्ट करता है। 

[चतुरूषण] 

सौठ,मिर्च, पीपल मे पीपलामूल मिलने से चतुरूषण बनता है।इसके गुण त्रिकटु से अधिक हो जाते है।

 [मरीचादि वटी]


 - यह कफ नाशक (कफ को पतला कर बहाने के लिये) खांसी को कम करने के लिये (प्रसिद्ध औषधि मरीचादि वटी में काली मिर्च  का योग है, काली मिर्च  फुफ्फुस आदि में  -उत्पन्न कफ को बाहर निकालकर खांसी को कम करनेवाली औषधियों में से एक है)

 [विडंगारिष्ट] 


कालीमिर्च वातनाशक, पेट की गैस को नाश करने के लिये कृमिनाशक (विडंगारिष्ट)   है।

काली मिर्च की मात्रा:- 


अधिक से अधिक 0.97 ग्राम। 
क्वाथ:-10ml से 20ml 

 #काली मिर्च के 11 घरेलू नुस्खे:-


 1 - खाये हुए घी को पचाने के लिये – 
काली मिर्च  का चूर्ण सेवन करना चाहिये। 
2- खांसी पर – 
काली मिर्च  के चूर्ण को घी, शहद और मिश्री के साथ चाटने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है।  
3- प्रवाहिका में – 
काली मिर्च  का बारीक चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से प्रवाहिका नष्ट होती है। 4- 20 काली मिर्च गुलाब जल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाकर प्रातःकाल गरम पानी से धोने से कील, मुँहासे, झुर्रीया साफ होकर चेहरा चमकने लगता है।
 5- ज्वर (बुखार) उतारने के लिये
 – काली मिर्च  का चूर्ण गर्म जल के साथ देने से या काली मिर्च  का क्वाथ या मरिच (काली मिर्च ) तुलसी पत्र का क्वाथ देने से पसीना आकार विषम ज्वर उतार जाता है। 6- काली मिर्च, सैंधा नमक, जीरा, सोंठ, सभी समभाग लेकर चूर्ण बनाकर मधु में मिलाकर 3 से 6 माशा तक दिन भर में 2-3 बार चाटने से संग्रहणी, बवासीर, गुल्म (पेट की गांठ) इत्यादि समस्त रोग नष्ट हो जाते है। 

7- गरम दूध में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर अथवा काली मिर्च मिलाई हुई गरम चाय पीने से नया जुकाम ठीक हो जाता है। 
8-सब प्रकार की पीनस (जुकाम सड़कर नाक में कीड़े पड़ना) में – 
काली मिर्च और गुड को दही के साथ खाना चाहिये इससे पीनस में शांति होती है। 

9- 30 ग्राम मक्खन से 8 काली मिर्च और शक्कर मिलाकर नित्य प्रति चाटने से स्मरणशक्ति बढ़ जाती है। मस्तिष्क में तरावट आती है तथा कमजोरी भी दूर होती है। 

10- काली मिर्च 5-7 दानें, अजवायन 2 माशा, तुलसी 1 तोला (1 तोला=11.66 ग्राम) को पीसकर 10 तोला जल में क्वाथ बनाकर 5 तोला जल शेष रह जाने पर छानकर सुबह-शाम पीने से मलेरिया बुखार नष्ट हो जाता है। 

11- दो ग्राम पिसी हुई काली मिर्च को फांककर ऊपर से नीबू का रस मिले गरम जल को पानी से सायंकाल और रात को 10-12 दिन तक निरंतर पीये। पेट में गैस बनने का रोग नष्ट हो जाता है।
धन्यवाद!

शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.

 कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.


By:-DrVirenderMadhan.

[कब्ज|Constipation]

कब्ज का-मलग्रह, मलावरोध, मलस्तंभ, मलबंधन, मलनिग्रह, मलसंग, बद्धकोष्ठ ,आदि नामों से आयुर्वेद में वर्णन मिलता है।

#क्या है?मलावरोध|Constipation?

जब व्यक्ति को आसानी से मलत्याग न हो, व्यक्ति एक सप्ताह में तीन से कम मल त्याग करता है या उसे मल त्याग करने में कठिनाई होती है।

 #कब्ज के लक्षण क्या हैं?

एक सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग।

- मल त्याग करना मुश्किल या दर्दनाक।

- सूखा, सख्त और या ढेलेदार मल।

- सूजन और मतली।

- पेट दर्द या ऐंठन।

एक मोशन के बाद ऐसा महसूस होना की मल त्याग ठीक से नहीं हुआ।

कब्ज के कारण

#प्रमुख कारण

सामान्य कारणों में

कब्ज के ऐसे कारण हो सकते हैं जो शरीर की बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:- निर्जलीकरण, आहार फाइबर की कमी, शारीरिक निष्क्रियता या दवा के दुष्प्रभाव शामिल हैं।

- कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना .

- भोजन में फाईबर (Fibers) का अभाव।

- अल्पभोजन ग्रहण करना।

- शरीर में पानी का कम होना

- कम चलना या काम करना।

-किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना.

- आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना।

- कुछ खास दवाओं का सेवन करना

- बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण 

* कुछ शरीर के रोग भी कब्ज का कारण बनते है.बीमारियां, जैसे स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग और डायबिटीज।

आंतों की रुकावट, आईबीएस, या डायवर्टीकुलोसिस सहित बृहदान्त्र या मलाशय की समस्याएं

- जुलाब का ज्यादा प्रयोग या दुरुपयोग

- हार्मोनल समस्याएं, जैसे थायरॉयड ग्रंथि का कम काम करना.

#कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।

1- त्रिफलादि योग:-

त्रिफला, कालीहरड,सनाय,गुलाब के फूल, मुन्नका, बादाम की गिरी, बनफ्शा,

सभी द्रव्य 25-25 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें।

रात को सोते समय एक चम्मच(6 ग्राम ) गर्म दूध के साथ ले ले. सवेरे पेट साफ हो जायेगा।  

2- मुन्नका:-

मुन्नका को दूध में उबालकर खायें और ऊपर से दूध पीले।रोज इसका प्रयोग करने से पेट भी साफ रहता है।

3- त्रिफले का दूसरा योग:-

 त्रिफला- 50 ग्राम,

 बादाम -50 ग्राम,

 सौफ -50 ग्राम,

 सौठ -10 ग्राम,

मिश्री - 30 ग्राम,

सबका महीन चूर्ण बनाकर रखलें। 

रात्रि में सोते समय दवा की 6 ग्राम मात्रा मे दूध के साथ लें।

कब्ज दूर करने की यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है यह न तो को खुश्क करती है और न ही कमजोरी लाती है।

यह योग कब्ज को दूर कर दिमाग को शक्ति प्रदान करता है।

4- सनाय की गोली:-

सनाय के पत्ते - 20 ग्राम,

मुन्नका - 30 ग्राम,

पहले सनाय का बारीक चूर्ण बना ले फिर मुन्नका को चूर्ण के साथ धोटकर गोली बनाने लायक  करलें छोटे बेर जैसी गोली बना ले.

रात मे 1 से 2 गोली दूध या पानी से ले ले। सवेरे पेट साफ हो जायेगा।

5 - काबूली हरड:-

काबूली हरड को  आधा कप पानी मे भिगो दे प्रातः हरड को थोडा घीसकर (एक हरड 4-5 दिन चलती है) उसी पानी मे धोल ले थोड़ा सा नमक मिला कर पीलें।

एक मास मे वर्षों पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।

6 - कास्ट्रोल ओयल:-

20 से 31 Ml कास्ट्रोल ओयल मिश्री मिला गर्म दूध में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है।


[अधिक जानकारी के लिए अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरुर लें।]

धन्यवाद!

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.


 गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.

#Gurde ke derd ka chamatkarik illaj.in hindi.

गुर्दे का दर्द.

By:- Dr.VirenderMadhan.

 गुर्दे, पीठ में निचली पसलियों के नीचे स्थित अंगों में शारीरिक परेशानी होना या दर्द होना।सामान्य कारणों में गुर्दे में दर्द के कुछ ऐसे कारण हो सकते हैं जो बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:-

- मूत्र को बहुत देर तक रोके रखना, 

- आघात या पेशी-कंकालीय पीठ दर्द जो वास्तव में गुर्दे से नहीं आ रहा है।

#किडनी का दर्द कहां होता है?

* किडनी का दर्द कोक (बगल) में अनुभव होता है, जो आपकी रीढ़ की हड्डी (पसलियों) के नीचे और आपके कूल्हों के बीच का हिस्सा है। 

- यह शरीर के एक तरफ होता है, लेकिन यह दोनों तरफ भी हो सकता है। 

दर्द के प्रकार:-

किडनी में पथरी होने पर किडनी का दर्द तेज होता है और संक्रमण होने पर हल्का दर्द होता है।

#किडनी में दर्द होने के लक्षण (Symptoms of Kidney pain)

किडनी के दर्द के निम्न ल ण होते है।

 -पेट में दोनों तरफ और कमर में दर्द रहना.

-पेशाब में खून आना।

- बार-बार पेशाब जाना

- पेशाब करते समय दर्द होना

--झागदार पेशाब आना

- उल्टी और जी मिचलाना

- बुखार आना, 

- ठंड लगना

* पथरी होने की दशा में गुर्दे मे दर्द की तीव्रता हल्की से बहुत गंभीर हो सकती है। 

#गुर्दों के दर्द की चमत्कारिक आयुर्वेदिक औषधियां:-

(तत्कालिक चिकित्सा व निर्दोष  औषधियां)

1- मक्का के बाल

- एक मक्का के भुट्टे के ऊपर वाले बाल-20 ग्राम०

-पानी 250 ग्राम०

लेकर उबालें।100 ग्राम रहने पर बालों को मसल कर छान लें।गुनगुना रहने पर ही रोगी को पीला दें।

यह हर प्रकार के गुर्दो के दर्द के लिए रामबाण औषध है।

2- क्षारावलेह:-(इस योग का नाम हमने सुविधा के लिए रखा है)

यवाक्षार( जवाखार),सज्जीक्षार,कच्चा सुहागा,नौशादर, कालीमिर्च, सेंधानमक, हीरा हींग, कलमीशोरा,सांमभर नमक, ये सभी 6-6 ग्राम लेकर पीसकर एक बर्तन में रखे उसमे अंग्रेजी सिरका इतना डाले कि अवलेह ( हलवा सा)बन जाये।

*जब दर्द हो तो 3-3 ग्राम हर 20 मिनट पर चाटे।

2-3 खुराक लेने से ही दर्द ठीक हो जाता है।

यह ऐसी चमत्कारी ,अद्भुत एवं अद्वैत औषधि है।

3- तुलसी आदि चूर्ण:-

तुलसी के सुखे पत्ते - 20 ग्राम
अजवायन - 20 ग्राम
सैंधवनमक - 10 ग्राम
तीनों को एक साथ पीसकर रख ले। जरूर पडने पर  3ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी से दे दें।
इस योग से गुर्दे के दर्द के अलावा ..

पेट दर्द, अफारा, बदहजमी, खट्टे डकारें, कब्ज , उल्टी ,नजला , जुकाम, खाँसी की रामबाण औषधि है .इसे बनाकर प्रतिएक घर मे रखना चाहिए।

इसे दंतमंजन की तरह भी प्रयोग किया जाता है यह दांत दर्द, दांतों का मैलापन, मवाद ,बूदबु को दूर. करता है।

4- खरबूजे के छिलके :-

गर्मी के दिनों में खरबूजे के छिलको पेस्ट(कल्क) बनाकर 6ग्राम ले उसे 250 Ml पीने मे घोलकर पीला दें।
सर्दियों में सुखे खरबूजे के छिलको का चूर्ण पानी मे धोलकर पीला दें। या
छिलकों की भस्म बनाकर गुनगुने पानी से खिला देने से गुर्दा का दर्द बंद हो जाता है।यह भी एक चमत्कारी औषधि है।

5- कलमीशोरा व खुरासानी अजवाइन 

इन दोनों को मिलाकर चूर्ण बनालें इसमे से 1ग्राम चूर्ण ताजा पानी से खाने से गुर्दा का दर्द ठीक हो जाता है।

6- आकाशबेल का योग:-

आकाशबेल 10 ग्राम
  गुलदाउदी - 6 ग्राम 
150 ग्राम पानी मे चाय की तरह पकायें जब एक कप शेष रह जाये तो छानकर गुनगुना ही रोगी को पीला दे। आधा घंटे बाद ही रोगी ठीक हो जायेगा। यह दिव्य औषधि है।

7 - लालमिर्च के पत्ते:-

लालमिर्च के पत्ते 20 ग्राम
कालीमिर्च 6-7 दाने
नौशादर 1 ग्राम 
100 ग्राम पानी में सब को घोट पीस कर फिर छानकर रोगी को पीने से दर्द में आराम मिल जाता है।

किसी भी औषधि के प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरूर करें।


धन्यवाद।