Paralysis|पक्षाघात,
#DrVirenderMadhan.
#पक्षाघात क्या होता है?In hindi.
Complete or partial loss of muscle function.मांसपेशियों के कार्य का पूर्ण या आंशिक नुकसान पक्षाघात कहलाता है।
आयुर्वेद के अनुसार आधे अंग का निश्क्रिय होना अर्धांग पक्षाघात या फालिज Hemiplegia कहलाता है।किसी एक तरफ का भाग बेकाम हो जाताहै। इन सबको Paralysis|अधंरग कहते है।
#पक्षाघात के लक्षण;-
- अधंरग के लक्षणों में शरीर के एक हिस्से का अचानक सुन पड़ जाना, मुंह का एक साइड टेड़ा होना, एक दम से बोलने और दूसरों की आवाज को समझने में मुश्किल आना, बिना किसी कारण सिर में बहुत तेज दर्द का होना, बाजू व टाग कमजोर होना व अचानक एक आख से दिखाई न देना शामिल है।
इस रोग के अलग अंगों होने से अलग अलग नाम हो जाते है।
जिस हिस्से में यह रोग होता है उस अंग की स्पर्श ज्ञान शक्ति, ईच्छा अनुसार हिलाने ढुलाने की शक्ति एकाएक समाप्त हो जाती है।
#पक्षाघात के क्या क्या कारण हो सकते है?
लकवा के आम तौर पर दो कारण माने जाते हैं.
- एक कारण तो ब्रेन हैम्ब्रेज है यानी ब्रेन में जाने वाली ब्लड की पाइप फट जाना.
- दूसरा कारण है इस रक्तवाहिनियों में कोई ना कोई ब्लॉक हो जाना.
यह रोग हड्डी टूटने से, मेरुदण्ड। या स्नायु पर किसी फोडे का दबाव पडने पर, स्नायुओ मे धाव या रोग हो जाने पर, कि विष के कारण, कई रोगों के कारण भी पक्षाघात हो जाता है।जैसे कण्ठमाला, उपदंश Syphilis,तथा मिर्गी रोग मे पक्षाघात होते देखा है।
#पेरालाईसिस के लक्षण:-
- रक्तभार का इतिहास मिलता है.
- कभी कभी एक भाग में रक्तसंचार की कमी हो जाती है।
- कमजोरी, व निष्क्रियता आना, अंग मे सुन्नता आना,
- तापमान व नाडी मे मंदता मिलती है। वह अंग शीतल व स्वेद युक्त होता है।
- अंग मे विवर्णता मिलती है।
#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियों:-
-एकांगवीर रस,
150 mg दिन में तीन बार शहद से.
- योगेंद्र रस,
125 mg 3 बार दिन मे शहद से,
- रसराज रस,
125 mg 1-1 गोली दिन में 2-3 बार शहद से.
- अग्नितुण्डी वटी,
1 से 2 गोली दिन मे 2 बार दें।
- वृ० वातचिन्तामणी रस
125 mg दिन में 2बार शहद से दे।
- अर्धागंवातारि रस
125 मि०ग्राम की गोली दिन में 2 बार दे.
- महारास्नादि क्वाथ,
3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में 2 बार।
- महायोगराज गुग्गुल
1-2 गोली दिन मे 3 बार दे.
-दशमुलारिष्ट,
3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।
-अश्वगंधारिष्ट,
3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।
-बलारिष्ट,
3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।
- महानारायण तैल की मालिस करें।
-महामाष तैल:- मालिस करें।
- प्रसारिणी तैल:-मालिस करें।
-बला तैल:- मालिस करें।
-पृश्निपर्णी तैल;- मालिस करें।
#घरेलू उपचार कैसे करें?
- बलामूल का काढा 4-4 चम्मच दिन मे तीन बार ले।
- लहसुन का प्रयोग जरुर करें।
कलौंजी, जैतून, मूली का तैल की मालिस करें।
- दिन में 2-3 बार पानी मे शहद मिलाकर पीलायें।
-1 कटोरी पानी में 15 कुचले डालकर रख दें,रोज 15 दिनों तक पानी बदलते रहे फिर उसका छिलका उतार दे,उन्हें जलाकर भस्म बना लें.
राख के बराबर कालीमिर्च मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर कालीमिर्च के बराबर गोली बनाले.
इन गोलियां को आयु अनुसार उचित मात्रा दिन मे 2 बार दें
इन गोली को खाने से लकवा, गठिया रोग ठीक हो जाते है.
- कौंच की जड पीसकर 3 से5 ग्राम पानी या दूध से लेने से अर्धांग वात ठीक हो जाता है।
- रोगी को कब्ज नही होनी चाहिए अगर कब्ज है तो 2 चम्मच एरण्ड तैल दूध मे मिलाकर पीलायें.
-उडद के आटे के बडे बनाकर मक्खन के साथ खिलाये.
-उडद को सौठ के साथ पानी में उबालकर प्रातः सायः पानी पीलाने से लाभ हो जाता है।
#क्या खायें क्या न खायें?
- रोगी को तरल भोजन पर रखें।
- रोगी को बाद मे गेहूँ की पतली रोटी, चावल का भात,परवल, सहजन, लहसुन, अदरक, देशी धी, पर्याप्त दूध देना चाहिए।
-रोगी को ठंडा पानी न दे।
-ताजे फलों का रस दे।
धन्यवाद!
“गुरु आयुर्वेद इन फरिदाबाद"