Guru Ayurveda

सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

अगर जुकाम-नजला है तो कैसे करें उपचार. हिंदी में.

 अगर जुकाम-नजला है तो कैसे करें उपचार. हिंदी में.

प्रतिश्याय|जुकाम।सरदी|पीनस रोग।Rhinitis|जुकाम



By:- DrVirenderMadhan.

#जुकाम का रोग परिचय, कारण, एवं लक्षण:-

बहती हुई नाक तथा आंखों में खुजली होना हवा में उपस्थित दूषित कण एलर्जी का कारण बनते है जो सांस के द्वारा अन्दर खीच जाते है।शरीर में प्रतिरोधक शक्ति के कारण रोगी को बार बार छिकें आती है।

प्रतिश्याय दो प्रकार से होता है

1- सद्दोजनक ( जिसमे तुरंत रोग उत्पन्न होता है)

2- संचयक्रम से उत्पन्न होकर, जिससे दोष संचय होकर कुपित होता है.

अन्य या सहायक कारण:-

मल,मूत्रादि का वेग रोकना ,अजीर्ण, नाक मे धूल जाना, बहुत अधिक बोलना, अतिक्रोध करना, ऋतु परिवर्तन, रात्रि जागरण व दिन में सोना के कारण, अत्यधिक जल पीना,सर्दी लगने के कारण, ओस मे रहने से, अत्यधिक रोने से, शोक करनेसे जुकाम शुरू हो जाता है।

प्रतिश्याय के लक्षण:-

* छिकें आना.

* सिर मे बोझा होना.

* अंग जकडन

* रोंगटे खड़े होना.

* नाक मे धूवाँ सा भरना.

*नाक मुंह से स्राव होना.

प्रतिश्याय 18 प्रकार का होता है.

1. वातज प्रतिश्याय

2. पित्तज प्रतिश्याय

3. कफज प्रतिश्याय

4. सन्निपातज प्रतिश्याय

5. रक्तज प्रतिश्याय

6. पीनस या दूष्ट प्रतिश्याय

7. पतिनाश प्रतिश्याय

8. नाशार्श प्रतिश्याय

9.भ्रंशथु प्रतिश्याय

10. क्षवथु प्रतिश्याय

11. नासानाह प्रतिश्याय

12. पूतिरक्त प्रतिश्याय

13. अर्बुद प्रतिश्याय

14. दूष्ट पीनस प्रतिश्याय

15.नाशाशोथ प्रतिश्याय

16. घ्राण पाक प्रतिश्याय

17. पूयस्राव प्रतिश्याय

18. दिप्तक प्रतिश्याय

जुकाम (प्रतिश्याय) के लिये 20 घरेलू अनुभूत प्रयोग:-

- गरम दूध में 10-12 कालीमिर्च और मिश्री मिलाकर पीने से सिर का भारीपन,कफ व जुकाम से आराम हो जाता है।

- वायविंडग, सैंधानमक, हींग, गुग्गुल, मैनसिल, और वच बारीक पीसकर छान लें। इस चूर्ण को सुंघाने से प्रतिश्याय नष्ट हो जाता है।

- अदरक रस व शहद 6-6 ग्राम मिलाकर चाटने से जुकाम दूर हो जाता है।

- बडी हरड का छिलके का बारीक चूर्ण 6 ग्राम बराबर शहद मे मिलाकर चाटने से प्रतिश्याय ठीक हो जाता है।

- बन्फशा का शर्बत 25 ml मात्रा में सेवन करने से गरमी का नजला ,जुकाम ठीक हो जाता है।

-  सतू मे घी तैल मिलाकर आग मे डालकर रोगी को धुंवा देने से  हिचकी, प्रतिश्याय, खाँसी ठीक होती है

- इमली के पत्तों का काढा बनाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।

- काले जीरे के सुंघने से जुकाम मे आराम मिल जाता है।

-दशमुल का काढा जुकाम के लिये बहुत लाभदायक है।

- गुड मे अदरक मिलाकर खाने से प्रतिश्याय ठीक हो जाता है।

- जुकाम अन्दर ही सुख जाने पर मिश्री युक्त दूध पीयें साथ मे वच का चूर्ण सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।

- अनार के फूलों का रस अथवा

दूब का रस अथवा गुलाब जल सूंधने से जुकाम के साथ नाक से रक्त आना भी बन्द हो जाता है।

- कालीमिर्च, मुन्नका, मिश्री, और मुलहठी बराबर मात्रा में लेकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें.2-2 गोली सवेरे शाम खाने से सब प्रकार की जुकाम, खाँसी ठीक हो जाती है।

-रूमाल मे कपूर रखकर सूंधने से राहत मिल जाती है।

- सौठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल समान मात्रा मे लेकर चूर्ण बनाकर चौगुणा गुड मिलालें 500 mg.की गोली बना ले. सवेरे शाम खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।

-कालीमिर्च, हल्दी, कालानमक आधा आधा चम्मच 250 ग्राम पानी मे डालकर उबालें जब 125 ग्राम रह जाय तो गुणगुणा रोगी को पीलायें तो सर्दी, जुकाम ठीक हो जाता है।

- सुखी तुलसी के पत्तों का काढा नाक मे कुछ बूंदें टपकाने से नजला जुकाम ठीक होता है।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र_मढान.

शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

खाँसी की 20 चमत्कारिक घरेलू व आयुर्वेदिक औषधियाँ,हिंदी में।

 खाँसी की 20 चमत्कारिक घरेलू व आयुर्वेदिक औषधियाँ,हिंदी में।



#डा०वीरेंद्र मढान.

#खाँसी, कास के 20 उपाय:-

1.बाँसे के हरे पत्तों का रस 10 ग्राम,शहद 10 ग्राम दोनों को मिलाकर थोड़ा थोड़ा चाटने से खाँसी नष्ट हो जाती है।

2. बहेडे के छिलके, पीपल छोटी - दोनों बराबर बराबर लेकर बारीक चूर्ण बना लें. 1-1 ग्राम लेकर शहद मे मिला कर रोगी को चटायें। यह खाँसी की अद्भुत दवा है।

3. केवल बहेडे के छिलक को चूसने से खाँसी ठीक हो जाती है।

4. 10 ग्राम गुड मे 20 ग्राम घी मिलाकर खाने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।

5. सरसौ के 10 ग्राम तैल मे 10 ग्राम गुड मिलाकर 21 दिन खिलाने से खाँसी और हर प्रकार का दमा दूर हो जाता है।

6.गर्म दूध 400 ग्राम गरमागरम जलेबी खाने से सुखी खाँसी जड से ठीक हो जाती है।

7. गुदा पर दिन में3-4 बार सरसों का तैल लगाने से खाँसी ठीक हो जाती है।

8. 250 ग्राम पानी में 10 ग्राम गेहूं डालकर उबालें 80 ग्राम रहने पर छानकर 1ग्राम नमक मिलाकर पीने से हर प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।

9. शहद 10 ग्राम सौठ 2 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम मिलाकर सवेरे शाम चटने से बलगम वाली खाँसी ठीक हो जाती है।

10. कालीमिर्च चूर्ण 50 ग्राम मे 200 ग्राम गुड कूटपीसकर मिलाकर आधा आधा ग्राम की गोली बना लें 1-1 गोली दिन में3-4 बार चूसने से हर प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।

11. मदार के 3-4 सूखे पत्ते जलाकर राख कर लें रात को 1गिलास पानी मे धोलकर रख दें सवेरे छानकर 30-40 मि०ली० पीने से खाँसी ठीक हो जाती है यह अचूक और चमत्कारिक औषधि है।

12. छोटी पीपल 1ग्राम शहद 6ग्राम मे मिलाकर रात्रि में चाटकर सो जाये खाँसी ठीक हो जाती है।

13. पीपल शहद सवेरे शाम चाटने से बलगमी खाँसी ठीक हो जाती है।

14. लिसौडे दाने 14 जौ कूटकर 250 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें सवेरे उबाल ले जब एक चौथाई रहे कुछ ठंडा करके गुनगुना पिला दें वात,पित से उत्पन्न जुकाम व सुखी खाँसी शर्तिया ठीक होती है। यह खाँसी की अद्वितीय औषधि है।

15. काकडासींगी के चूर्ण की पानी से चने के बराबर गोली बना ले 1-1 गोली सवेरे शाम सेवन करने से सब प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।यह परिक्षित प्रयोग है।

16. बनफशा, ईसबगोल, लिहसौडिया,उन्नाव, बीहिदाना- प्रत्येक 5-5 ग्राम वंशलोचन, दालचीनी 30-30 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें 2-3 बार 1-1 ग्राम मुख मे रखकर चूसने से खाँसी नष्ट हो जाती है यह रामबाण औषधि है।

17. पान के पत्ते मे 1 ग्राम अजवाइन रखकर चबायें रस पी ले । सूखी खाँसी की यह अत्यंत लाभकारी है।

18.पिसी हुई हल्दी 3-3 ग्राम दिन मे 2-3 बार पानी से खाने से पुरानी से पुरानी खाँसी थोड़े ही दिनों मे ठीक हो जाती है।19. मुलहठी 40 ग्राम , कीकर का गोंद 40 ग्राम छोटी पीपल 10 ग्राम  सबको पीसकर शीशी में भरकर रख लें। फिर 1-2 ग्राम मुख में रखकर चूसे ।

फिर इसका चमत्कार देखें सब प्रकार की खाँसी ठीक हो जाती है।

20. मुन्नका के बीज निकाल कर 3 कालीमिर्च रख कर चबा कर सो जाये 6-7 दिनों मे खाँसी ठीक हो जाती है।

धन्यवाद!

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022

दुग्धिका|दुद्धी के गुण व उपयोग क्या क्या है? हिन्दी में.

 दुग्धिका|दुद्धी के गुण व उपयोग क्या क्या है? हिन्दी में.



#दुद्धी सामान्य घास नही दिव्य औषधि है।

दुग्धिका(Euphorbiaceae)Asthma-plant.

By:-DrVirenderMadhan.

>> दुग्धिका के अन्य नाम - 

नागार्जुनी,स्वादुपर्णी,विक्षीरिणी,दुद्धी ,केरई,दोहक, हजार दाना,

यह बहुशाखायुक्त रोमश क्षुप भुमि पर प्रसरणशील होता है इसकी पत्तियां तोडने से दूध निकलता है।पुष्प - फल वर्षा ऋतु में आते है.

#दुद्धी सामान्य धास नही है।

यह बहुत फायदेमंद घास होती है। इसका भी उपयोग उपचार और औषधि के रूप में किया जाता है। यह स्वाद में कड़वी होती है। दस्त, मुंहासे, दमा, शुगर, खुजली, गंजापन आदि जैसी बीमारियों में दूधी घास का इस्तेमाल किया जाता है।

#आयुर्वेद के अनुसार दुग्धिका के गुण:-

गुण- गुरु, रुक्ष, तीक्ष्ण

रस(स्वाद)- कटू, तिक्त, मधुर

विपाक- कटू

वीर्य(तासीर) - उष्ण

#दुद्धी का शरीर के संस्थानों पर कर्म :-

>> दोषकर्म :-(दोष वात,पित्त,कफ पर):-

यह कफ वात शामक है।

इस लिए इसका प्रयोग कफवात विकारों मे किया जाता है।

>> संस्थानिक कर्म बाह्य (External )--

यह जन्तुध्न, विषध्न और कुष्ठध्न है।

इसलिए इसका प्रयोग चर्मरोग मे लेप करने मे करते है।


>> आभ्यंतर(Internal)- पाचन संस्थान Digestive system:-

यह अनुलोमन, भेदन, कृमिनाशक है.

इसका प्रयोग उदर रोग, विबन्ध(Constipation), कृमि (Worms) मे करते है.

- अतिसार(Diarrhea)-

10 ग्राम दूधी को सुबह-शाम जल के साथ पीसकर पीने से अतिसार में लाभ होता है। कुछ दिनों तक सेवन करने से आंतों को बल मिलता है। अतिसार-दुग्धिका पञ्चाङ्ग का कल्क बनाकर, उसमें शर्करा मिलाकर प्रयोग करने से अतिसार में लाभ होता है। जलोदर (Ascites)-दूधी के पञ्चाङ्ग का अर्क, जलोदर के रोगी को पानी की जगह पिलाया जाय तो बहुत लाभ होता है।

- इसकी सूखी पत्तियों और बीजों को बच्चों को आंत की शिकायतों और कृमि से राहत के लिए दिया जाता है। मिश्री के साथ इस पौधे का रस शरीर को शीतलन प्रभाव देता है और शुक्रपात को भी ठीक करता है।

>> रक्तवह संस्थान Blood Circulatory System:-

यह उत्तेजक और रक्तशोधक है इसलिए हृदयदौर्बल्य, ,उपदंश, फिरंग आदि रक्तविकार के रोगों में इसका प्रयोग करते है।



>> श्वसन संस्थान Respiratory System :-

यह कफनिसारक और श्वास हर होता है इसीलिए यह कास और श्वास मे बहुत उपयोगी है. इसको पीस कर पानी में घोलकर पीने से श्वास मे मे आराम हो जाता है.

-नाक से खून निकलने पर दूधिया के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करें.

>> मूत्रवहसंस्थान urinary system:-

यह मुत्रल है इसका प्रयोग मूत्रकच्छ, और पूयमेह मे लाभप्रद रहता है।

>> प्रजननसंस्थान - 

यह वृष्य और आर्तवजनन है।शुक्र मेह और रजोवरोध मे प्रयोग करने से रोगी ठीक होता है.यह बांझपन, नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसी बीमारियों को भी दूर करती है.

>> त्वचा Skin :-

 यह कुष्ठध्न है विषध्न भी है।इसका प्रयोग त्वचा रोगों में लेप करने के लिए करते है.

प्रयोज्य अंग-Part for use:- 

पंचांग का प्रयोग करते है.

मात्रा :-

कल्क (पेस्ट)10 - 20 ग्राम

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

पीठ में दर्द हो तो क्या करें पीठ दर्द का पक्का इलाज ?in Hindi.

 पीठ में दर्द हो तो क्या करें पीठ दर्द का पक्का इलाज ?in Hindi.



#पीठ दर्द का पक्का इलाज?

डा०वीरेंद्र मढान

कमर व पीठ का दर्द

Waist and backache

कमर व पीठ का दर्द आज के समय में एक सामान्य सी बात हो गयी है|   

आजकल Lifestyle की वजह से आज कल युवाओं में भी कमर दर्द काफी  देखने को मिलता हैं|


कमर के दर्द,गर्दन, कुल्हे, पाँव को भी प्रभावित करता है| 

यह दर्द कुल्हे और पैरों में भी जा सकता है| इस स्थिति में रोगी को लेटने, बैठने में भी परेशानी होने लगती है| कुछ लोगों को गर्दन में भी दर्द होने लगता है अर्थात रीढ़ की हड्डी से जुड़े सभी अंगों में दर्द होने लगता है|

#कमर दर्द होने पर क्या करें?

- पेन किलर का सेवन ना करें.

 पेन किलर के बहुत अधिक नुकसान होते हैं जैसे किडनी फेल, कोमा में जाना, लीवर में समस्या आदि| 

#क्यों उठता है कमर में दर्द

Why arises in waist?

 *मुख्य कारण 

1. आयु:- उम्र बढ़ना 

बढती उम्र में हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं.

2. ज्यादा वजन उठाना

3. कुआसन

गलत तरीके से  बैठना या लेटना.

4.  झुककर काम करते रहना.

5.  नरम गद्दों पर सोना या पडे रहना.

6.  चोट लगना.

7. कुर्सी पर लगातार बैठना रहना.

घरेलू उपाय

- गेहूं की रोटी और तिल का तेल

एक रोटी केवल एक ही तरफ से सकें और दूसरी तरफ से उसे कच्चा छोड़ दें| अब रात को सोते समय रोटी के कच्चे वाले हिस्से पर तिल का तेल लगायें और इस रोटी को अपनी कमर पर दर्द वाले हिस्से पर बांध लें और सो जाएँ| सवरे खोल दें. ऐसा करने से कुछ दिनों में दर्द गायब हो जायेगा.


- सरसों का तेल और लहसुन

दोनों से एक लेप(तैल)तैयार कर लें. इसके लिए आप आधा कटोरी सरसों के तेल 40 ग्राम,लहसुन की कलियाँ छीलकर डाल लें| अब इसमें एक से दो चम्मच अजवायन मिला लें|

हल्की आंच पर गर्म करें| तब तक इसको गर्म करें जब तक लहसुन और आजवायन काले ना पड़ जाएँ| अब इसे ठंडा होने पर प्रयोग में लाये.

- गर्म पानी की भाप लें

 कमर में दर्द उठे तो किसी बड़े बर्तन में पानी गर्म कर लें| अब एक नर्म और सुखा तौलिया लेकर गर्म पानी में डालें और उसे निचोड़ लें|प्रभावित अंग पर सेक करें.

- एलोवेरा के लड्डू बनाकर खाएं

 एलोवेरा जेल निकाल कर 4गुणा आटा मिला दें. इसको आप गाय के शुद्ध देसी घी में भून लीजिये और इसमें थोड़ी खांड मिला लीजिये| अब आपको इसके छोटे छोटे लड्डू बनाने हैं| 

रोजाना सुबह उठकर एक लड्डू का सेवन करें| एक महीने तक रोजाना सुबह खाली पेट इस लड्डू को खाने से पुराने से पुराना दर्द भी ठीक हो जाता है| यह नुस्खा एक चमत्कारी है.

एरण्ड, आक और धतूरे के पत्ते

- एरण्ड, आक और धतूरे के पत्ते 250-250 ग्राम पत्ते तीनों के ले लें| साफ करके पत्तों को कुटपीस कर रस निकाल कर रखले|इसे एक लीटर तिल में इन पत्तों के रस को पका लें| धीमी आंच पर इस मिश्रण को पकने दें| जब यह ठंडा हो जाए तो आप इसे किसी शीशी में भरकर भी रख लें

दर्द वाले हिस्से की मालिश  करने के बाद दर्द वाले हिस्से को किसी सूती कपडे से ढक लें| इस प्रकार आपको रोजाना इस तेल से मालिश करनी है| 


- काली मिर्च, लौंग और सूखी अदरक(सौठ)

 5 काली मिर्च लें और 5 ही लौंग ले लें| एक चौथाई चम्मच सौठ ले.इन्हें एक गिलास पानी में उबालें जब पानी आधा रहे.

इसमें से 30-30ml दिन में दो तीन बार लेने से दर्द में आराम मिलता है।

धन्यवाद!

शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

क्या और कैसे करें अगर आपका ब्लडप्रेशर कम रहता है?हिंदी में.

 क्या और कैसे करें अगर आपका ब्लडप्रेशर कम रहता है?हिंदी में.

What and how to do if your blood pressure remains low? In Hindi.



#लो ब्लडप्रेशर|Hypotension

#DrVirenderMadhan.


Low blood pressure रोग,

रक्तभार कम होना| क्षीण व्याना कुंचन बल|Hypotension|बी०पी०कम होना आदि नामों से जाना जाता है।

यदि किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 90/60 से भी कम हो जाता है तो ऐसी स्थिति को निम्न रक्त चाप या लो ब्लड प्रेशर कहते हैं. मेडिकल की भाषा में इसे हाइपोटेंशन कहा जाता है. सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों में से कोई भी यदि अपने न्यूनतम स्तर से नीचे जाते हैं तो उसे लो ब्लड प्रेशर माना जाता है.


#Hypotension|रक्तभार कम होने के कारण?

- Medicine:-

ऐलोपैथिक की कई दवाई B.P. को कम कर देती है।

- संक्रमण Infection :-

कुछ रोगों के लम्बे समय तक चलने से बी पी कम हो जाता है जैसे टायफाइड मे।

- हृदय रोग के कारण :-

जैसे हार्टअटैक के समय,

-रक्तस्राव के कारण:-

 जैसे रक्तप्रदर ,बवासीर, पेपटिक अल्सर आदि रोगों में होता है।

- कुपोषण के कारण:-

कमजोरी, रक्ताल्पता, पानी की कमी मे,प्रोटीन न मिलने पर बी पी कम हो जाता है।

-अत्यधिक चिंता:-

अत्यधिक चिंता करने पर या गर्भावस्था में बी०पी०कम हो जाता है।

#बी०पी०कम होने के लक्षण क्या है?

-सिरदर्द होना।

-चक्कर आना,आंखों के आगे अंधकार का होना।

-थोड़े परिश्रम से थकान होना और सांस फुल जाना।

#कुछ अन्य कारण :-

- अधिक देर तक खडा रहने के काम के कारण,

- रक्तनलिकाओ के फुल जाने के कारण, 

-- लू लग जाने से,

- किडनी के रोग के कारण

- बहुत अधिक परिश्रम व चिन्ता से

- रोगी चुपचाप पडा रहता है

- मांसपेशियों में एंठन बनी रहती है।


#आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियाँ:-

-बादाम पाक

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

-मकरध्वज वटी

1-1 गो सवेरे साय दूध से

-नवजीवन रस

1-1 गो सवेरे साय दूध से

-द्राक्षावलेह

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

- द्राक्षासव

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम

-ब्रह्मरसायन

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

-अश्वगंधा चूर्ण

1-1 चम्मच शहद मिलाकर सवेरे शाम दूध से

-अश्वगंधारिष्ट

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम

- च्वनप्राश

1-1 चम्मच सवेरे शाम दूध से

-लोहासव

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम

#पेटेंट आयुर्वेदिक औषधि :-

* ग्रोविटा सीरप:-

१-२ चम्मच सवेरे शाम ले।

* गुरु पुष्टि कैपशूल

1-2 सवेरे शाम दूध से.



# घरेलू अनुभूत योग:-

- देशी चना 50 ग्राम 40 किशमिश एक कटोरी पानी मे भिगोकर रख दें सवेरे


-चना,किशमिश खाले उपर से शेष पानी भी पी लें।

- 5-7 बादाम को पानी में भिगोकर रख दें सवेरे निकाल कर दूध के साथ खायें।

- सुखे आवलों का चूर्ण बराबर मिश्री मिलाकर कर रख लें रोज 1-1 चम्मच सवेरे शाम पानी से ले।

- आंवलों की रस मे शहद मिलाकर 1-1चम्मच रोज खाये.

- मौनव्रत करके कुछ देर लेटे रहने से बी०पी० ठीक हो जाता है।

- अच्छा हिंग मूंग के दाने बराबर 1गिलास छाछ मे मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।

#क्याकरे क्या न करें?

परहेज़:-

रोगी को प्रोटीन युक्त भोजन दे जैसे-दूध,अण्डे, पनीर, मक्खन सुरजमूखी के बीज,आदि 

धन्यवाद

#डा०वीरेंद्र मढान,

मंगलवार, 27 सितंबर 2022

किडनी का सिकुड़ना क्या होता है?In hindi

किडनी का सिकुड़ना|kidney shrinkage

kidanee ka sikudana kya hota hai?

#किडनी का सिकुड़ना क्या होता है?In hindi

#DrVirenderMadhan.

#What is kidney shrinkage?



जब फेफड़ों और रक्त नलिकाओं में रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है। ऐसे में रक्त कम पहुंचने से किडनी सिकुड़ जाती हैं। कम मात्रा में पानी पीने से किडनी व मूत्राशय में संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है।
किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका काम हमारे शरीर से विषैले पदार्थों बाहर निकाले का हाेता है।  

#कारण जो किडनी काे नुकसान पहुंचाते हैं:-

- दूषित भोजन करना

गुर्दों को खराब करने में कुछ अन्य आदतें जैसे:-
- शराब पीना, पर्याप्त आराम न करना, सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा ज्यादा लेना,

- अधिक नमक लेना

आहार मे जो नमक हम खाते हैं उसका 95 प्रतिशत हिस्सा किडनी अवशोषित कर लेती है। लेकिन अत्यधिक नमक खाने पर गुर्दों की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। जिससे इस अंग को नुकसान पहुंचता है।

- देर तक भूखे रहना,  

   -तला-भुना या मसालेदार चीजें खाना, 
- मांसाहार खाना भी किडनी को दूषित करता है।

- धूम्रपान-

तम्बाकू की लत
भी किडनी पर दबाव बनाते हैं। - फेफड़ों और रक्त नलिकाओं में रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है। ऐसे में रक्त कम पहुंचने से किडनी सिकुड़ जाती हैं।

- पानी कम पीना

कम मात्रा में पानी पीने से किडनी व मूत्राशय में संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है।  इससे किडनी में स्टोन की आशंका भी बढ़ जाती है। दिनभर में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए।

- मधुमेह में लापरवाही:-

मधुमेह के शिकार लगभग 35% लोगों को किडनी से जुड़ी बीमारी हो जाती है मधुमेह रोगी को भोजन पर,विहार पर नियंत्रण रखना जरूरी है।

- मूत्र रोकने की आदत

रातभर में मूत्राशय पूरी तरह मूत्र से भर जाता है, जिसे सुबह उठते ही खाली करना जरूरी है। लेकिन आलस्य के कारण मूत्र न जाने पर या लंबे समय तक इसे रोकने की आदत किडनी पर दबाव बढ़ा देती है। जो धीरे-धीरे हमारी मूत्र रोकने की क्षमता को खत्म करती है।

- दर्दनिवारक दवाएं-

गलत रूप से दर्दनिवारक या किसी अन्य रोग के लिए ली जाने वाली दवा किडनी पर दुष्प्रभाव छोड़ती हैं। इसलिए किसी भी तरह की दवा लेने से पहले डॉक्टरी राय जरूर लें।


#किडनी सिकुड़ने पर इसकी पहचान कैसे की जा सकती है?

 - शुरु में इसके लक्षण काफी सूक्ष्म होते हैं, जिसके चलते उनकी पहचान करना काफी मुश्किल होता है। किडनी से जुड़ी किसी भी बीमारी की पहचान तब की जाती है जब वह 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ चुकी होती है। 
- किडनी की सिकुड़न काफी बढ़ जाने पर शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:-
- पेशाब की मात्रा में परिवर्तन
- त्वचा का काला पड़ना.
- शरीर में खनिज जमा होने के कारण रूखी या खुजलीदार त्वचा होना.
- मतली और उल्टी आना
- क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ना
- अनिद्रा.
- किडनी की कार्यक्षमता कम होना
- खाने की असहनीयता
- एसिडोसिस,एनोरेक्सिया, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन होना.
- भयानक सरदर्द होना
-  नज़रों की समस्या होना.
- छाती में दर्द होना.
- सांस लेने मे तकलीफ होना
-अनियमित दिल की धड़कन का होना.
-  मूत्र में रक्त होना.
-  छाती, गर्दन, या कान में तेज दर्द होना

#किडनी सिकुडने के बाहरी लक्षण:-

- हाथ, पैर, टखना और चेहरा में सूजन मिलती है।
- सामान्य से पेशाब का रंग गाढ़ा होना।
- पेशाब की मात्रा का बढ़ना या अधिक कम होना।
- बार-बार पेशाब आने का अहसास होना
- पेशाब में झाग आना।
- शरीर में कमजोरी, थकान या हार्मोन स्तर गिर जाना.
- शरीर में ऑक्सीजन का कम होना।
- गर्मी में ठंड महसूस होना
- बुखार होना।
- रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ जाना.
- मुंह से बदबू आना.
- फेफड़ों में फ्लूइड जमा हो जाना, जिससे सांस लेने में असुविधा होना.

#किडनी की सिकुड़न का आयुर्वेदिक उपचार :-

#सिकुडी हुई किडनी का घरेलू ईलाज क्या?

* जीवनशैली ठीक करना-
व्यक्ति को बीमार होने के बाद उपचार देने से अच्छा है कि व्यक्ति की जीवनशैली को स्वस्थ कर उसे बीमारी होने से ही रोका जाए।   
* किडनी के लिए निम्नलिखित औषधियों का उपयोग कर सकते हैं :-
- वरूण की छाल का काढा बना कर 30-40 मि०लि० की मात्रा मे दिन में 2 बार रोगी को पीलायें।
-धनिया और गोखरु का क्वाथ दिन मे दो बार दें।
- विधारा के पत्तों को पानी में डालकर कर छोड दे फिर उसका केवल पानी पिलाते रहें.
-चम्पा के फूलों की पेस्ट बनाकर पानी मे शरबत की तरफ बनाकर रोगी को पीलायें.
- अन्नानास के रस मे मिश्री मिलाकर दें.
- कुलथी की दाल का पानी पीलायें.
- गिलोय :-
इस बेल के तने, पत्ते और जड़ का रस निकालकर या सत्व निकालकर प्रयोग किया जाता है। 
- अश्वगंधा :-
अश्वगंधा की जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाकर इसे प्रयोग में लाया जाता है। इस चूर्ण को उबालकर इसके सत्व का प्रयोग किया जाता है 
- नीम :-
 नीम का रस बनाकर पीने से किडनी मे बहुत लाभ मिलता है।
-पीपल की छाल का काढा पीने से भी बहुत लाभ मिलता है
-पुनर्नवा के पत्तों को कालीमिर्च के साथ घोटकर पीलायें.
-नारियल के पानी को बार बार पीने को दें।

#शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियां.

- चन्द्रप्रभा वटी-2-2 गोली गोक्षुरु क्वाथ के साथ लें।
- चित्रकादि धृत - 1-1 चम्मच दूध मे मिलाकर पीने को दें.
- चन्दनादि बटी 1 से 2 गोली पानी से दें.
- चन्दनासव की 20- 30 ml बराबर पानी मिलाकर पीने को दे.

#क्या खाये क्या न खाये?

*पथ्य- 

जो खाना चाहिए.
-गोक्षुरु, धीकवार(एलोवेरा),खजुर, नारियल गिरी, नारियल पानी, ताड वृक्ष का अगला भाग,ताड फल की गिरी, ककडी, छोटी ईलायची, शीतल बालु मे उत्पन्न बेल के फल,जैसे ककडी, खरबूजे, तरबूज आदि खाने चाहिए.

*अपथ्य-

 जो नही खाने चाहिए,जो नही करना चाहिए।
-  सभी  प्रकार की मध (शराब) ,अधिक प्ररिश्रम, स्त्री संग,हाथी धोडे,मोटर साईकिल, साईकिल, की सवारी न करें,
- विरुद्ध आहार न करें,
- पान,मछली, लवण,अदरक ,तेल मे तले भोजन, तिल और तिल के बने पदार्थ, हिंग ,सरसौ का प्रयोग न करें.
- न कम खायें और न अधिक खायें,
-मल मूत्र आदि वेगों को न रोके.
- विदाही यानी जलन करने वाले, रुक्ष , अम्ल (खट्टे) पदार्थों का परहेज़ रखना है।
धन्यवाद!

#GuruAyurvedainFaridabad.

रविवार, 25 सितंबर 2022

पक्षाघात का उपचार क्या होता है?In hindi.


 Paralysis|पक्षाघात,

#DrVirenderMadhan.

#पक्षाघात क्या होता है?In hindi.

Complete or partial loss of muscle function.मांसपेशियों के कार्य का पूर्ण या आंशिक नुकसान पक्षाघात कहलाता है।

आयुर्वेद के अनुसार आधे अंग का निश्क्रिय होना अर्धांग पक्षाघात या फालिज Hemiplegia कहलाता है।किसी एक तरफ का भाग बेकाम हो जाताहै। इन सबको Paralysis|अधंरग कहते है।

#पक्षाघात के लक्षण;-

- अधंरग के लक्षणों में शरीर के एक हिस्से का अचानक सुन पड़ जाना, मुंह का एक साइड टेड़ा होना, एक दम से बोलने और दूसरों की आवाज को समझने में मुश्किल आना, बिना किसी कारण सिर में बहुत तेज दर्द का होना, बाजू व टाग कमजोर होना व अचानक एक आख से दिखाई न देना शामिल है।

इस रोग के अलग अंगों होने से अलग अलग नाम हो जाते है।

जिस हिस्से में यह रोग होता है उस अंग की स्पर्श ज्ञान शक्ति, ईच्छा अनुसार हिलाने ढुलाने की शक्ति एकाएक समाप्त हो जाती है।

#पक्षाघात के क्या क्या कारण हो सकते है?

लकवा के आम तौर पर दो कारण माने जाते हैं. 

- एक कारण तो ब्रेन हैम्ब्रेज है यानी ब्रेन में जाने वाली ब्लड की पाइप फट जाना. 

- दूसरा कारण है इस रक्तवाहिनियों में कोई ना कोई ब्लॉक हो जाना. 

यह रोग हड्डी टूटने से, मेरुदण्ड। या स्नायु पर किसी फोडे का दबाव पडने पर, स्नायुओ मे धाव या रोग हो जाने पर, कि विष के कारण, कई रोगों के कारण भी पक्षाघात हो जाता है।जैसे कण्ठमाला, उपदंश Syphilis,तथा मिर्गी रोग मे पक्षाघात होते देखा है।

#पेरालाईसिस के लक्षण:-



- रक्तभार का इतिहास मिलता है.

- कभी कभी एक भाग में रक्तसंचार की कमी हो जाती है।

- कमजोरी, व निष्क्रियता आना, अंग मे सुन्नता आना,

- तापमान व नाडी मे मंदता मिलती है। वह अंग शीतल व स्वेद युक्त होता है। 

- अंग मे विवर्णता मिलती है।


#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियों:-

-एकांगवीर रस,

150 mg दिन में तीन बार शहद से.

- योगेंद्र रस,

125 mg 3 बार दिन मे शहद से,

- रसराज रस,

125 mg 1-1 गोली दिन में 2-3 बार शहद से.

- अग्नितुण्डी वटी,

1 से 2 गोली दिन मे 2 बार दें।

- वृ० वातचिन्तामणी रस

125 mg  दिन में 2बार शहद से दे।

- अर्धागंवातारि रस 

125 मि०ग्राम की गोली दिन में 2 बार दे.

- महारास्नादि क्वाथ,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में 2 बार।

- महायोगराज गुग्गुल

1-2 गोली दिन मे 3 बार दे.

-दशमुलारिष्ट,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।

-अश्वगंधारिष्ट,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।

-बलारिष्ट,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।

- महानारायण तैल की मालिस करें।

-महामाष तैल:- मालिस करें।

- प्रसारिणी तैल:-मालिस करें।

-बला तैल:- मालिस करें।

-पृश्निपर्णी तैल;- मालिस करें।


#घरेलू उपचार कैसे करें?

- बलामूल का काढा 4-4 चम्मच दिन मे तीन बार ले।

- लहसुन का प्रयोग जरुर करें।

कलौंजी, जैतून, मूली का तैल की मालिस करें।

- दिन में 2-3 बार पानी मे शहद मिलाकर पीलायें।

-1 कटोरी पानी में 15 कुचले डालकर रख दें,रोज 15 दिनों तक पानी बदलते रहे फिर उसका छिलका उतार दे,उन्हें जलाकर भस्म बना लें.

राख के बराबर कालीमिर्च मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर कालीमिर्च के बराबर गोली बनाले.

इन गोलियां को आयु अनुसार उचित मात्रा दिन मे 2 बार दें

इन गोली को खाने से लकवा, गठिया रोग ठीक हो जाते है.

- कौंच की जड पीसकर 3 से5 ग्राम पानी या दूध से लेने से अर्धांग वात ठीक हो जाता है।

- रोगी को कब्ज नही होनी चाहिए अगर कब्ज है तो 2 चम्मच एरण्ड तैल दूध मे मिलाकर पीलायें.

-उडद के आटे के बडे बनाकर मक्खन के साथ खिलाये.

-उडद को सौठ के साथ पानी में उबालकर प्रातः सायः पानी पीलाने से लाभ हो जाता है।


#क्या खायें क्या न खायें?

 - रोगी को तरल भोजन पर रखें।

- रोगी को बाद मे गेहूँ की पतली रोटी, चावल का भात,परवल, सहजन, लहसुन, अदरक, देशी धी, पर्याप्त दूध देना चाहिए।

-रोगी को ठंडा पानी न दे।

-ताजे फलों का रस दे।

धन्यवाद!

“गुरु  आयुर्वेद इन फरिदाबाद"