Health and fitness यह ब्लॉग आयुर्वेदिक ज्ञान , औषधियों और जडी-बूटी की पूरी जानकारी के बारे में है ।
Guru Ayurveda
रविवार, 3 नवंबर 2024
ऐसे खायें लहसुन कई रोग जड से खत्म
ऐसे खायें लहसुन कई रोग जड से खत्म
शुक्रवार, 1 नवंबर 2024
पान के पत्ते खाने के फायदे और नुकसान in hindi.
पान के पत्ते खाने के फायदे और नुकसान in hindi.
पान के पत्ते का उपयोग भारत में पारंपरिक रूप से होता आया है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी माने जाते हैं। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान के बारे में:
पान के पत्तों के फायदे
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पाचन में मदद:–
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पान के पत्तों में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो पाचन में सुधार करते हैं। ये पाचन एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ाते हैं और पाचन तंत्र को साफ रखते हैं।
श्वसन संबंधी समस्याएं:–
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पान के पत्तों में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो सर्दी, खांसी और गले के संक्रमण में राहत दिला सकते हैं।
मुँह की सेहत:–
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पान का पत्ता मुँह के बैक्टीरिया को मारने में सहायक होता है। यह मसूड़ों को मजबूत करता है और मुँह की दुर्गंध को दूर करता है।
एंटीऑक्सिडेंट गुण:–
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इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और इम्यूनिटी को बढ़ावा देते हैं।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करना:–
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कुछ अध्ययन बताते हैं कि पान के पत्ते ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।
पान के पत्तों के नुकसान
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तम्बाकू के साथ उपयोग:-
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पान के पत्तों का तम्बाकू या चूने के साथ सेवन करने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। तम्बाकू के साथ इसका सेवन हानिकारक हो सकता है।
एसिडिटी:-
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अधिक मात्रा में पान के पत्ते का सेवन करने से पेट में एसिडिटी बढ़ सकती है, जिससे गैस्ट्रिक समस्याएं हो सकती हैं।
दाँतों की समस्या:–
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अगर इसमें चूना मिलाकर खाया जाए तो यह दांतों के लिए हानिकारक हो सकता है। चूने की अधिकता दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है।
लिवर पर असर:–
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लंबे समय तक इसका अत्यधिक सेवन करने से लिवर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
नींद पर प्रभाव:–
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ज्यादा पान का सेवन नींद को प्रभावित कर सकता है और यह कुछ लोगों में अनिद्रा जैसी समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है।
निष्कर्ष–
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पान के पत्ते का सीमित मात्रा में सेवन फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसे तम्बाकू, सुपारी या अन्य हानिकारक चीजों के साथ खाने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसे प्राकृतिक रूप में और सही मात्रा में सेवन करना बेहतर रहता है।
सोमवार, 28 अक्टूबर 2024
पेट की चर्बी कम करने का तरीका जाने
पेट की चर्बी कम करने का तरीका जाने
पेट की चर्बी
पेट की चर्बी कम करने के लिए सही डाइट, नियमित व्यायाम, और जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जो पेट की चर्बी कम करने में सहायक हो सकते हैं:
1. संतुलित आहार लें:–
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फाइबर और प्रोटीन युक्त आहार को अपनी डाइट में शामिल करें। इससे पेट भरा महसूस होता है, और आप अतिरिक्त खाने से बच सकते हैं।
चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। इससे कैलोरी का सेवन भी नियंत्रित होता है।
दिन में कम से कम 3-4 लीटर पानी पिएं।
2. नियमित व्यायाम:–
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कार्डियो एक्सरसाइज जैसे चलना, दौड़ना, साइक्लिंग और तैराकी से पेट की चर्बी को तेजी से कम किया जा सकता है।
पेट के व्यायाम (Abdominal Exercises) जैसे क्रंचेज़, लेग रेज़, और प्लैंक करें। ये व्यायाम पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में सहायक होते हैं।
योग भी पेट की चर्बी कम करने में फायदेमंद होता है, जैसे कि सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, और धनुरासन।
3. जीवनशैली में बदलाव:-
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नींद पूरी करें:–
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पर्याप्त नींद न लेने से शरीर में तनाव बढ़ता है, जिससे पेट की चर्बी बढ़ सकती है।
तनाव कम करें:–
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उच्च तनाव से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जिससे पेट की चर्बी बढ़ सकती है। इसके लिए मेडिटेशन या ध्यान का अभ्यास करें।
छोटी-छोटी भोजन की आदत डालें:-
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दिन में 5-6 बार हल्का भोजन करने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन घटाने में मदद मिलती है।
पेट की चर्बी को कम करने के लिए नियमितता और संयम महत्वपूर्ण है।
आयुर्वेदिक दवा-
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आयुर्वेद में कुछ ऐसी जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ हैं जो पेट की चर्बी कम करने में सहायक हो सकती हैं। हालांकि, इनका उपयोग किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए। यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ दी गई हैं:
1. त्रिफला:–
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त्रिफला (आंवला, हरड़ और बहेड़ा) का मिश्रण पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में मदद करता है।
त्रिफला चूर्ण को रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेने से पाचन में सुधार होता है और पेट की चर्बी कम हो सकती है।
2. गुग्गुल:–
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गुग्गुल एक प्रभावी जड़ी-बूटी है, जो मेटाबॉलिज्म बढ़ाती है और चर्बी घटाने में मदद करती है।
इसका नियमित सेवन शरीर के कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है और वजन घटाने में सहायक है।
3. आंवला:–
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आंवला में विटामिन C होता है, जो मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
आंवला जूस या चूर्ण को सुबह खाली पेट लेने से वजन घटाने में मदद मिलती है।
4. मेथी:-
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मेथी का सेवन करने से पाचन में सुधार होता है और शरीर में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।
मेथी दाना रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से पेट की चर्बी घटने में मदद मिल सकती है।
5. अलसी के बीज (Flax Seeds):-
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अलसी के बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो वजन घटाने और पेट की चर्बी कम करने में सहायक होते हैं।
इसे पानी में भिगोकर या इसका चूर्ण बनाकर नियमित सेवन किया जा सकता है।
6. अश्वगंधा:-
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अश्वगंधा तनाव को कम करने में सहायक है, जिससे शरीर में कोर्टिसोल का स्तर नियंत्रित रहता है। इससे पेट की चर्बी पर नियंत्रण में मदद मिल सकती है।
इसे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है।
7. दालचीनी:–
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दालचीनी मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में सहायक होती है और इसे सुबह गर्म पानी में मिलाकर पीने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
8. शिलाजीत:-
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शिलाजीत मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में सहायक है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।
यह ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है और वजन घटाने में सहायक हो सकता है।
इन आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग किसी प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही करें। आयुर्वेदिक दवाओं का प्रभाव धीरे-धीरे दिखता है, इसलिए धैर्य रखना आवश्यक है।
घरेलू उपाय
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पेट की चर्बी कम करने के लिए कुछ आसान घरेलू उपाय भी अपनाए जा सकते हैं। यहाँ कुछ प्रभावी घरेलू नुस्खे दिए गए हैं:
1. गुनगुना नींबू पानी:–
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सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में आधा नींबू और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और पेट की चर्बी कम करने में मदद मिलती है।
2. जीरा पानी:-
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रात में एक चम्मच जीरा पानी में भिगोकर रखें और सुबह इसे छानकर खाली पेट पिएं। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और वजन घटाने में सहायक होता है।
3. सौंफ का पानी:-
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एक चम्मच सौंफ को रात भर पानी में भिगोकर रखें और सुबह इस पानी को छानकर पिएं। सौंफ पाचन में सुधार करती है और पेट की चर्बी को घटाने में मदद करती है।
4. दालचीनी और शहद: -
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आधा चम्मच दालचीनी पाउडर और एक चम्मच शहद को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लें। यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और भूख को नियंत्रित करने में सहायक है।
5. अजवाइन का पानी: -
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रात में एक चम्मच अजवाइन को पानी में भिगो दें और सुबह इसे छानकर पी लें। अजवाइन का पानी शरीर में जमा चर्बी को घटाने में मदद करता है।
6. ग्रीन टी:-
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दिन में 1-2 बार ग्रीन टी पिएं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं और वजन घटाने में सहायक होते हैं।
7. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar): -
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एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर भोजन से पहले पीने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। यह पेट की चर्बी कम करने में भी सहायक है।
8. खीरा और पुदीने का पानी:-
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खीरे के स्लाइस, पुदीने की पत्तियाँ और एक नींबू को एक लीटर पानी में डालकर रातभर फ्रिज में रखें। इस पानी को दिनभर पिएं। यह डिटॉक्स वाटर के रूप में कार्य करता है और वजन घटाने में सहायक है।
9. हल्दी वाला दूध:-
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रात में सोने से पहले एक गिलास हल्दी वाला दूध पीने से शरीर में सूजन कम होती है और मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है।
10. लहसुन का सेवन:-
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रोज़ सुबह खाली पेट 1-2 कच्ची लहसुन की कलियों का सेवन करें। यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और चर्बी घटाने में सहायक है।
इन घरेलू उपायों को अपने नियमित दिनचर्या में शामिल करने से पेट की चर्बी कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी बनाए रखें।
गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024
घुटनों में गैप होने पर ओपरेशन से बचने के लिए क्या करें
घुटनों में गैप होने पर ओपरेशन से बचने के लिए क्या करें
घुटनों में गैप (knee joint space narrowing) होने पर ऑपरेशन से बचने के लिए कुछ उपाय और जीवनशैली में बदलाव मददगार हो सकते हैं। ये उपाय घुटने के दर्द और सूजन को कम करने और स्थिति को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं:
वजन नियंत्रित करें:–
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अधिक वजन घुटनों पर अतिरिक्त दबाव डालता है। वजन कम करके आप घुटनों पर दबाव कम कर सकते हैं और उनकी सेहत में सुधार कर सकते हैं।
फिजिकल थेरेपी:–
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फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श लें और उनके द्वारा बताए गए व्यायामों को करें। यह मांसपेशियों को मजबूत करने और लचीलापन बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे घुटनों पर दबाव कम होता है।
हल्के व्यायाम:–
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तैराकी, साइकिल चलाना और योग जैसे हल्के व्यायाम घुटनों के लिए अच्छे होते हैं। ये घुटनों पर दबाव नहीं डालते और उन्हें सक्रिय रखते हैं।
गर्म और ठंडी सिकाई:–
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दर्द और सूजन को कम करने के लिए ठंडी और गर्म सिकाई का प्रयोग करें। यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और दर्द को नियंत्रित करता है।
ओमेगा-3 और विटामिन सप्लीमेंट्स:–
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ओमेगा-3 फैटी एसिड, ग्लूकोसामीन और कोंड्रोइटिन जैसे सप्लीमेंट्स जोड़ दर्द को कम कर सकते हैं और जोड़ों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही इन्हें लें।
हर्बल उपचार और आयुर्वेदिक उपाय:–
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कुछ जड़ी-बूटियाँ जैसे हल्दी और अदरक सूजन को कम करने में सहायक हो सकती हैं। आयुर्वेदिक तेल मालिश भी घुटनों के लिए फायदेमंद हो सकती है।
इंजेक्शन थेरेपी:-
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डॉक्टर की सलाह से हायल्यूरोनिक एसिड या स्टेरॉयड इंजेक्शन भी एक विकल्प हो सकते हैं। यह घुटनों में लुब्रिकेशन बढ़ाकर दर्द को कम करता है और चलने में मदद करता है।
आराम और उचित मुद्रा:–
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लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने से बचें। सही मुद्रा में बैठें और घुटनों को अतिरिक्त दबाव से बचाएं।
इन उपायों से ऑपरेशन को टालने में मदद मिल सकती है, लेकिन किसी भी तरह के उपचार से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।
आयुर्वेदिक उपाय
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घुटनों में गैप और दर्द के लिए आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपाय हैं जो सूजन को कम करने, दर्द से राहत देने और घुटनों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय निम्नलिखित हैं:
1. हर्बल तेल मालिश (अभ्यंग)–
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महानारायण तेल या अश्वगंधा तेल: इन तेलों से मालिश करने से जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम मिलता है। यह मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
रोजाना हल्के गर्म तेल से घुटनों की मालिश करें, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है और घुटनों का दर्द कम होता है।
2. हल्दी और अदरक
हल्दी:–
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इसमें मौजूद करक्यूमिन सूजन को कम करता है। आप हल्दी को दूध में मिलाकर या पानी में उबालकर पी सकते हैं।
अदरक:–
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अदरक में सूजनरोधी गुण होते हैं। आप इसे चाय में डालकर सेवन कर सकते हैं या भोजन में उपयोग कर सकते हैं।
3. गुग्गुल–
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गुग्गुल एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग जोड़ों की सूजन और दर्द के इलाज में किया जाता है। यह वात दोष को संतुलित करता है और जोड़ को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
4. अश्वगंधा–
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अश्वगंधा एक प्रभावी जड़ी-बूटी है, जो शरीर को ताकत देती है और घुटनों के जोड़ों को मजबूत बनाती है। यह तनाव और सूजन को भी कम करती है।
5. रस्नादि काढ़ा–
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रस्नादि काढ़ा का सेवन घुटने के दर्द और सूजन में राहत देने के लिए किया जाता है। यह वात दोष को संतुलित करता है और जोड़ो की लचीलापन बढ़ाता है।
6. पंचकर्म थेरेपी–
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पंचकर्म आयुर्वेद का एक प्रमुख उपचार है, जो शरीर को शुद्ध करता है और जोड़ों में आई अशुद्धियों को बाहर निकालता है। इसमें वस्ती (एनिमा) और कटीबस्ती (घुटनों के लिए औषधीय तेल का प्रयोग) प्रमुख हैं, जो विशेष रूप से घुटनों के लिए उपयोगी होते हैं।
7. मेथी, सोंठ और हल्दी पाउडर–
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इन तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से घुटनों के दर्द में राहत मिलती है और सूजन कम होती है।
8. त्रिफला चूर्ण–
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त्रिफला चूर्ण शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक है। इसे रात में गर्म पानी के साथ लेने से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है, जो घुटनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
9. आहार और दिनचर्या–
संतुलित आहार:–
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आयुर्वेद के अनुसार, वात दोष को कम करने वाले आहार का सेवन करना चाहिए, जैसे कि गर्म, तेलयुक्त, और पौष्टिक खाद्य पदार्थ।
हड्डियों को मजबूत करने के लिए कैल्शियम युक्त भोजन: जैसे तिल के बीज, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, और दूध से बने उत्पाद।
अत्यधिक ठंडी चीजों से बचें:–
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ठंडा भोजन और पानी वात दोष को बढ़ा सकता है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकते हैं।
इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से घुटनों के दर्द और गैप में राहत मिल सकती है, लेकिन किसी भी उपाय को नियमित रूप से और विशेषज्ञ की सलाह के साथ ही करना चाहिए।
केला खाने से क्या फायदे होते है|Health Benefits in hindi.
केला खाने से क्या फायदे होते है|Health Benefits in hindi.
Dr.VirenderMadhan
केला खाने से कई फायदे होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहाँ कुछ मुख्य फायदे दिए गए हैं:
ऊर्जा का स्रोत:–
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केला एक अच्छा प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। यह तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है, इसलिए व्यायाम से पहले या बाद में इसे खाना फायदेमंद होता है।
पाचन में सुधार:–
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केले में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाने में मदद करता है।
पोटैशियम का स्रोत:–
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केला पोटैशियम से भरपूर होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
मूड सुधारता है:–
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केले में ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड होता है, जो शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाकर मूड को सुधारने में मदद करता है और तनाव को कम करता है।
हड्डियों को मजबूत बनाता है:-
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केले में मैग्नीशियम होता है, जो हड्डियों के विकास और मजबूती में सहायक होता है।
वजन बढ़ाने या घटाने में मदद:–
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केले को वजन बढ़ाने के लिए खाया जा सकता है, खासकर जब इसे दूध के साथ लिया जाए। वहीं, कम मात्रा में इसका सेवन वजन घटाने में भी सहायक हो सकता है क्योंकि यह आपको लंबे समय तक संतुष्ट रखता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद:–
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केले में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन C होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और इसे चमकदार बनाने में मदद करते हैं।
केला सेहत के लिए एक आसान और स्वादिष्ट फल है, जिसे आप अपने नियमित आहार में शामिल कर सकते हैं।
दिल के लिए लाभकारी:–
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केले में फाइबर, पोटैशियम, विटामिन C और B6 होते हैं, जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करता है और फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है:–
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केले में मौजूद पेक्टिन नामक फाइबर और प्रतिरोधी स्टार्च (विशेषकर अधपके केले में) रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। यह मधुमेह रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है, लेकिन उन्हें इसके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए।
मांसपेशियों के लिए फायदेमंद:–
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केले में पोटैशियम और मैग्नीशियम की मौजूदगी मांसपेशियों के संकुचन और शिथिलता में मदद करती है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द की समस्या कम होती है।
खून की कमी (एनीमिया) से बचाता है:–
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केले में आयरन की थोड़ी मात्रा होती है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करने में मदद कर सकती है। इसके साथ ही यह विटामिन B6 का अच्छा स्रोत है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है।
इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है:–
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केले में विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं।
बालों के लिए फायदेमंद:–
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केले में सिलिका (Silica) होती है, जो बालों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। यह बालों की मजबूती और चमक को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
एसिडिटी से राहत:–
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केला पेट की एसिडिटी को कम करने में मदद करता है और इसे एक प्राकृतिक एंटासिड के रूप में जाना जाता है, जो पेट के अल्सर और एसिडिटी से आराम दिलाता है।
दिमागी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी:–
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केले में पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो मस्तिष्क के कार्यों में सुधार लाते हैं। यह एकाग्रता और याददाश्त को भी बढ़ाता है।
इन सभी गुणों के कारण केला एक संपूर्ण और पोषण से भरपूर फल है, जिसे नियमित रूप से खाने से संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
शनिवार, 19 अक्टूबर 2024
आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के सुनहरे नियम | सही समय और तरीका|Healthy tips
आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के सुनहरे नियम | सही समय और तरीका|Healthy tips
आयुर्वेद में भोजन करने के कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। यहां कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक नियम दिए गए हैं:
शांत वातावरण में भोजन करें:–
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भोजन करते समय ध्यान और शांति का माहौल बनाए रखें। तनाव, जल्दीबाजी, या अव्यवस्था में भोजन न करें। यह पाचन को प्रभावित करता है।
भूख लगने पर ही खाएं:–
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जब आपको वास्तविक भूख लगे तभी भोजन करें। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भूख नहीं है और फिर भी भोजन किया जाता है, तो यह पाचन अग्नि को कमजोर करता है।
सही मात्रा में खाएं:–
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आधा पेट भोजन से भरें, एक चौथाई पानी और बाकी चौथाई को हवा (वात) के लिए छोड़ दें। ओवरईटिंग से बचें।
ताजे और गर्म भोजन का सेवन करें:–
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ताजा, गर्म और पकाया हुआ भोजन पाचन के लिए सबसे अच्छा होता है। ठंडे, बासी या प्रोसेस्ड भोजन से बचें क्योंकि यह पाचन को धीमा कर सकता है।
भोजन को अच्छी तरह चबाएं:–
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भोजन को धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाएं। इससे पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से काम करने में मदद मिलती है।
भोजन के बीच में पानी न पिएं:–
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भोजन के बीच में पानी पीने से पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है। अगर पानी पीना आवश्यक हो तो थोड़ा गुनगुना पानी पिएं और भोजन के 30 मिनट पहले या बाद में पिएं।
ऋतु और शरीर के अनुसार भोजन का चयन करें:–
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आयुर्वेद में बताया गया है कि मौसम और शरीर के प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के अनुसार भोजन का चयन करना चाहिए। गर्मियों में हल्का और ठंडा भोजन, सर्दियों में गरम और पोषक भोजन करें।
भोजन करने का समय नियमित रखें:–
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भोजन हमेशा नियमित समय पर करें और सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना अपने समय पर लें। बहुत देर रात में भोजन करने से बचें।
भोजन से पहले प्रार्थना करें:–
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भोजन करने से पहले प्रार्थना या ध्यान करें ताकि भोजन को आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा मिले।
रात का भोजन हल्का और जल्दी करें:–
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रात का भोजन हमेशा हल्का और सोने से कम से कम 2-3 घंटे पहले करें, ताकि पाचन ठीक से हो सके और नींद में बाधा न आए।
विपरीत आहार से बचें:–
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आयुर्वेद में कुछ खाद्य पदार्थों को एक साथ नहीं खाने की सलाह दी जाती है, जैसे दूध और मछली, दूध और खट्टे पदार्थ, फल और दूध। इनसे पाचन में समस्या हो सकती है और शरीर में विष (टॉक्सिन्स) बन सकते हैं।
भोजन के बाद तुरंत न सोएं:–
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भोजन के तुरंत बाद सोना या लेटना पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करता है। भोजन के बाद थोड़ी देर टहलना पाचन के लिए फायदेमंद होता है।
शुद्ध और सात्विक आहार लें:–
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आयुर्वेद में सात्विक भोजन का महत्व बताया गया है, जिसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और पौष्टिक चीजें शामिल हैं। तामसिक (ज्यादा तला-भुना, मसालेदार) और राजसिक (अत्यधिक मसालेदार और उत्तेजक) भोजन से बचें।
सभी छह रसों का सेवन करें:–
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आयुर्वेद के अनुसार, भोजन में सभी छह रसों (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) का संतुलित सेवन करना चाहिए। इससे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
रात में भारी और कच्चे भोजन से बचें:–
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रात के समय भारी और कच्चे भोजन का सेवन पाचन के लिए मुश्किल हो सकता है। हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करें, जैसे सूप, खिचड़ी, या उबली हुई सब्जियां।
सीज़नल फल और सब्जियां खाएं:–
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हर मौसम में उत्पन्न होने वाले फलों और सब्जियों का सेवन आयुर्वेद में लाभकारी माना गया है, क्योंकि ये मौसम के अनुसार शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
मन से संतुष्ट होकर भोजन करें:–
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हमेशा ऐसे भोजन का सेवन करें जिससे आपको मानसिक संतुष्टि और आनंद मिले। यह पाचन और स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
भोजन को पवित्रता के साथ ग्रहण करें:–
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भोजन करने से पहले अपने हाथ, मुंह और पैर धो लें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए आवश्यक है और पाचन को बेहतर करता है।
भोजन का आनंद लें:–
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खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं है, बल्कि यह शरीर को पोषण और ऊर्जा देने का माध्यम है। हर निवाले का आनंद लें और स्वाद का अनुभव करें।
इन सभी आयुर्वेदिक नियमों का पालन करने से न केवल आपका पाचन तंत्र मजबूत होगा, बल्कि आपका शरीर और मन भी संतुलित और स्वस्थ रहेंगे।
गुरुवार, 17 अक्टूबर 2024
दोबारा गर्म करने से कौन सा भोजन जहर बन जाता है
दोबारा गर्म करने से कौन सा भोजन जहर बन जाता है
डा०वीरेंद्र
दोबारा गर्म करने से जहर बनने वाले भोजन
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कुछ खाद्य पदार्थों को दोबारा गर्म करने से उनकी संरचना बदल सकती है, जिससे वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ हैं:
चावल:–
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पके हुए चावल को अगर कमरे के तापमान पर अधिक समय तक रखा जाए और फिर दोबारा गर्म किया जाए, तो इसमें Bacillus cereus नामक बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जो फूड पॉइज़निंग का कारण बन सकते हैं।
अंडे:–
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पके हुए अंडों को दोबारा गर्म करने पर उनमें प्रोटीन की संरचना बदल सकती है, जिससे पाचन में समस्या हो सकती है।
आलू:–
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अगर पके हुए आलुओं को ठंडा करके लंबे समय तक बाहर रखा जाए, तो उनमें बैक्टीरिया विकसित हो सकते हैं। दोबारा गर्म करने पर यह हानिकारक हो सकता है।
मुर्गी (चिकन):–
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चिकन में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है, और इसे दोबारा गर्म करने पर प्रोटीन की संरचना बदल सकती है, जिससे पाचन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
पालक:–
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पालक में नाइट्रेट होता है, जो दोबारा गर्म करने पर नाइट्राइट में बदल सकता है। नाइट्राइट कैंसरजनक (carcinogenic) हो सकता है।
इन खाद्य पदार्थों को सही तरीके से स्टोर करना और दोबारा गर्म करने से बचना स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
कुछ अन्य खाद्य पदार्थ भी हैं जिन्हें दोबारा गर्म करने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं:
मशरूम:–
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मशरूम में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है, और अगर इन्हें पकाने के बाद लंबे समय तक रखा जाए और फिर दोबारा गर्म किया जाए, तो इनकी प्रोटीन संरचना बदल सकती है, जिससे पेट खराब होने या अपच की समस्या हो सकती है।
बीन्स (राजमा, लोबिया आदि):–
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कुछ प्रकार के बीन्स जैसे राजमा या लोबिया में phytohaemagglutinin नामक टॉक्सिन होते हैं, जो इन्हें पर्याप्त तरीके से पकाए बिना खाने पर हानिकारक हो सकते हैं। दोबारा गर्म करने से भी इनके पोषक तत्वों की गुणवत्ता कम हो सकती है।
चुकंदर (Beetroot):–
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चुकंदर में नाइट्रेट होता है, और इसे दोबारा गर्म करने पर नाइट्रेट नाइट्राइट में बदल सकता है, जिससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
समुद्री भोजन (Seafood):–
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जैसे झींगा, मछली आदि को दोबारा गर्म करने पर इनमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं, खासकर अगर इन्हें सही तापमान पर स्टोर नहीं किया गया हो। इससे फूड पॉइज़निंग का खतरा बढ़ जाता है।
तेल युक्त भोजन:–
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खासकर वे खाद्य पदार्थ जो बहुत अधिक तेल में तले जाते हैं, जैसे कि समोसे, पकौड़े आदि। दोबारा गर्म करने पर उनमें ट्रांस फैट्स का निर्माण हो सकता है, जो हृदय रोगों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
खाद्य पदार्थों को सही तरीके से स्टोर करना और आवश्यकता होने पर ही दोबारा गर्म करना स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित है।