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मंगलवार, 27 सितंबर 2022

किडनी का सिकुड़ना क्या होता है?In hindi

किडनी का सिकुड़ना|kidney shrinkage

kidanee ka sikudana kya hota hai?

#किडनी का सिकुड़ना क्या होता है?In hindi

#DrVirenderMadhan.

#What is kidney shrinkage?



जब फेफड़ों और रक्त नलिकाओं में रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है। ऐसे में रक्त कम पहुंचने से किडनी सिकुड़ जाती हैं। कम मात्रा में पानी पीने से किडनी व मूत्राशय में संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है।
किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका काम हमारे शरीर से विषैले पदार्थों बाहर निकाले का हाेता है।  

#कारण जो किडनी काे नुकसान पहुंचाते हैं:-

- दूषित भोजन करना

गुर्दों को खराब करने में कुछ अन्य आदतें जैसे:-
- शराब पीना, पर्याप्त आराम न करना, सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा ज्यादा लेना,

- अधिक नमक लेना

आहार मे जो नमक हम खाते हैं उसका 95 प्रतिशत हिस्सा किडनी अवशोषित कर लेती है। लेकिन अत्यधिक नमक खाने पर गुर्दों की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। जिससे इस अंग को नुकसान पहुंचता है।

- देर तक भूखे रहना,  

   -तला-भुना या मसालेदार चीजें खाना, 
- मांसाहार खाना भी किडनी को दूषित करता है।

- धूम्रपान-

तम्बाकू की लत
भी किडनी पर दबाव बनाते हैं। - फेफड़ों और रक्त नलिकाओं में रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है। ऐसे में रक्त कम पहुंचने से किडनी सिकुड़ जाती हैं।

- पानी कम पीना

कम मात्रा में पानी पीने से किडनी व मूत्राशय में संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है।  इससे किडनी में स्टोन की आशंका भी बढ़ जाती है। दिनभर में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए।

- मधुमेह में लापरवाही:-

मधुमेह के शिकार लगभग 35% लोगों को किडनी से जुड़ी बीमारी हो जाती है मधुमेह रोगी को भोजन पर,विहार पर नियंत्रण रखना जरूरी है।

- मूत्र रोकने की आदत

रातभर में मूत्राशय पूरी तरह मूत्र से भर जाता है, जिसे सुबह उठते ही खाली करना जरूरी है। लेकिन आलस्य के कारण मूत्र न जाने पर या लंबे समय तक इसे रोकने की आदत किडनी पर दबाव बढ़ा देती है। जो धीरे-धीरे हमारी मूत्र रोकने की क्षमता को खत्म करती है।

- दर्दनिवारक दवाएं-

गलत रूप से दर्दनिवारक या किसी अन्य रोग के लिए ली जाने वाली दवा किडनी पर दुष्प्रभाव छोड़ती हैं। इसलिए किसी भी तरह की दवा लेने से पहले डॉक्टरी राय जरूर लें।


#किडनी सिकुड़ने पर इसकी पहचान कैसे की जा सकती है?

 - शुरु में इसके लक्षण काफी सूक्ष्म होते हैं, जिसके चलते उनकी पहचान करना काफी मुश्किल होता है। किडनी से जुड़ी किसी भी बीमारी की पहचान तब की जाती है जब वह 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ चुकी होती है। 
- किडनी की सिकुड़न काफी बढ़ जाने पर शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:-
- पेशाब की मात्रा में परिवर्तन
- त्वचा का काला पड़ना.
- शरीर में खनिज जमा होने के कारण रूखी या खुजलीदार त्वचा होना.
- मतली और उल्टी आना
- क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ना
- अनिद्रा.
- किडनी की कार्यक्षमता कम होना
- खाने की असहनीयता
- एसिडोसिस,एनोरेक्सिया, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन होना.
- भयानक सरदर्द होना
-  नज़रों की समस्या होना.
- छाती में दर्द होना.
- सांस लेने मे तकलीफ होना
-अनियमित दिल की धड़कन का होना.
-  मूत्र में रक्त होना.
-  छाती, गर्दन, या कान में तेज दर्द होना

#किडनी सिकुडने के बाहरी लक्षण:-

- हाथ, पैर, टखना और चेहरा में सूजन मिलती है।
- सामान्य से पेशाब का रंग गाढ़ा होना।
- पेशाब की मात्रा का बढ़ना या अधिक कम होना।
- बार-बार पेशाब आने का अहसास होना
- पेशाब में झाग आना।
- शरीर में कमजोरी, थकान या हार्मोन स्तर गिर जाना.
- शरीर में ऑक्सीजन का कम होना।
- गर्मी में ठंड महसूस होना
- बुखार होना।
- रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ जाना.
- मुंह से बदबू आना.
- फेफड़ों में फ्लूइड जमा हो जाना, जिससे सांस लेने में असुविधा होना.

#किडनी की सिकुड़न का आयुर्वेदिक उपचार :-

#सिकुडी हुई किडनी का घरेलू ईलाज क्या?

* जीवनशैली ठीक करना-
व्यक्ति को बीमार होने के बाद उपचार देने से अच्छा है कि व्यक्ति की जीवनशैली को स्वस्थ कर उसे बीमारी होने से ही रोका जाए।   
* किडनी के लिए निम्नलिखित औषधियों का उपयोग कर सकते हैं :-
- वरूण की छाल का काढा बना कर 30-40 मि०लि० की मात्रा मे दिन में 2 बार रोगी को पीलायें।
-धनिया और गोखरु का क्वाथ दिन मे दो बार दें।
- विधारा के पत्तों को पानी में डालकर कर छोड दे फिर उसका केवल पानी पिलाते रहें.
-चम्पा के फूलों की पेस्ट बनाकर पानी मे शरबत की तरफ बनाकर रोगी को पीलायें.
- अन्नानास के रस मे मिश्री मिलाकर दें.
- कुलथी की दाल का पानी पीलायें.
- गिलोय :-
इस बेल के तने, पत्ते और जड़ का रस निकालकर या सत्व निकालकर प्रयोग किया जाता है। 
- अश्वगंधा :-
अश्वगंधा की जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाकर इसे प्रयोग में लाया जाता है। इस चूर्ण को उबालकर इसके सत्व का प्रयोग किया जाता है 
- नीम :-
 नीम का रस बनाकर पीने से किडनी मे बहुत लाभ मिलता है।
-पीपल की छाल का काढा पीने से भी बहुत लाभ मिलता है
-पुनर्नवा के पत्तों को कालीमिर्च के साथ घोटकर पीलायें.
-नारियल के पानी को बार बार पीने को दें।

#शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियां.

- चन्द्रप्रभा वटी-2-2 गोली गोक्षुरु क्वाथ के साथ लें।
- चित्रकादि धृत - 1-1 चम्मच दूध मे मिलाकर पीने को दें.
- चन्दनादि बटी 1 से 2 गोली पानी से दें.
- चन्दनासव की 20- 30 ml बराबर पानी मिलाकर पीने को दे.

#क्या खाये क्या न खाये?

*पथ्य- 

जो खाना चाहिए.
-गोक्षुरु, धीकवार(एलोवेरा),खजुर, नारियल गिरी, नारियल पानी, ताड वृक्ष का अगला भाग,ताड फल की गिरी, ककडी, छोटी ईलायची, शीतल बालु मे उत्पन्न बेल के फल,जैसे ककडी, खरबूजे, तरबूज आदि खाने चाहिए.

*अपथ्य-

 जो नही खाने चाहिए,जो नही करना चाहिए।
-  सभी  प्रकार की मध (शराब) ,अधिक प्ररिश्रम, स्त्री संग,हाथी धोडे,मोटर साईकिल, साईकिल, की सवारी न करें,
- विरुद्ध आहार न करें,
- पान,मछली, लवण,अदरक ,तेल मे तले भोजन, तिल और तिल के बने पदार्थ, हिंग ,सरसौ का प्रयोग न करें.
- न कम खायें और न अधिक खायें,
-मल मूत्र आदि वेगों को न रोके.
- विदाही यानी जलन करने वाले, रुक्ष , अम्ल (खट्टे) पदार्थों का परहेज़ रखना है।
धन्यवाद!

#GuruAyurvedainFaridabad.

रविवार, 25 सितंबर 2022

पक्षाघात का उपचार क्या होता है?In hindi.


 Paralysis|पक्षाघात,

#DrVirenderMadhan.

#पक्षाघात क्या होता है?In hindi.

Complete or partial loss of muscle function.मांसपेशियों के कार्य का पूर्ण या आंशिक नुकसान पक्षाघात कहलाता है।

आयुर्वेद के अनुसार आधे अंग का निश्क्रिय होना अर्धांग पक्षाघात या फालिज Hemiplegia कहलाता है।किसी एक तरफ का भाग बेकाम हो जाताहै। इन सबको Paralysis|अधंरग कहते है।

#पक्षाघात के लक्षण;-

- अधंरग के लक्षणों में शरीर के एक हिस्से का अचानक सुन पड़ जाना, मुंह का एक साइड टेड़ा होना, एक दम से बोलने और दूसरों की आवाज को समझने में मुश्किल आना, बिना किसी कारण सिर में बहुत तेज दर्द का होना, बाजू व टाग कमजोर होना व अचानक एक आख से दिखाई न देना शामिल है।

इस रोग के अलग अंगों होने से अलग अलग नाम हो जाते है।

जिस हिस्से में यह रोग होता है उस अंग की स्पर्श ज्ञान शक्ति, ईच्छा अनुसार हिलाने ढुलाने की शक्ति एकाएक समाप्त हो जाती है।

#पक्षाघात के क्या क्या कारण हो सकते है?

लकवा के आम तौर पर दो कारण माने जाते हैं. 

- एक कारण तो ब्रेन हैम्ब्रेज है यानी ब्रेन में जाने वाली ब्लड की पाइप फट जाना. 

- दूसरा कारण है इस रक्तवाहिनियों में कोई ना कोई ब्लॉक हो जाना. 

यह रोग हड्डी टूटने से, मेरुदण्ड। या स्नायु पर किसी फोडे का दबाव पडने पर, स्नायुओ मे धाव या रोग हो जाने पर, कि विष के कारण, कई रोगों के कारण भी पक्षाघात हो जाता है।जैसे कण्ठमाला, उपदंश Syphilis,तथा मिर्गी रोग मे पक्षाघात होते देखा है।

#पेरालाईसिस के लक्षण:-



- रक्तभार का इतिहास मिलता है.

- कभी कभी एक भाग में रक्तसंचार की कमी हो जाती है।

- कमजोरी, व निष्क्रियता आना, अंग मे सुन्नता आना,

- तापमान व नाडी मे मंदता मिलती है। वह अंग शीतल व स्वेद युक्त होता है। 

- अंग मे विवर्णता मिलती है।


#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियों:-

-एकांगवीर रस,

150 mg दिन में तीन बार शहद से.

- योगेंद्र रस,

125 mg 3 बार दिन मे शहद से,

- रसराज रस,

125 mg 1-1 गोली दिन में 2-3 बार शहद से.

- अग्नितुण्डी वटी,

1 से 2 गोली दिन मे 2 बार दें।

- वृ० वातचिन्तामणी रस

125 mg  दिन में 2बार शहद से दे।

- अर्धागंवातारि रस 

125 मि०ग्राम की गोली दिन में 2 बार दे.

- महारास्नादि क्वाथ,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में 2 बार।

- महायोगराज गुग्गुल

1-2 गोली दिन मे 3 बार दे.

-दशमुलारिष्ट,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।

-अश्वगंधारिष्ट,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।

-बलारिष्ट,

3-3 चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में दो बार दें।

- महानारायण तैल की मालिस करें।

-महामाष तैल:- मालिस करें।

- प्रसारिणी तैल:-मालिस करें।

-बला तैल:- मालिस करें।

-पृश्निपर्णी तैल;- मालिस करें।


#घरेलू उपचार कैसे करें?

- बलामूल का काढा 4-4 चम्मच दिन मे तीन बार ले।

- लहसुन का प्रयोग जरुर करें।

कलौंजी, जैतून, मूली का तैल की मालिस करें।

- दिन में 2-3 बार पानी मे शहद मिलाकर पीलायें।

-1 कटोरी पानी में 15 कुचले डालकर रख दें,रोज 15 दिनों तक पानी बदलते रहे फिर उसका छिलका उतार दे,उन्हें जलाकर भस्म बना लें.

राख के बराबर कालीमिर्च मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर कालीमिर्च के बराबर गोली बनाले.

इन गोलियां को आयु अनुसार उचित मात्रा दिन मे 2 बार दें

इन गोली को खाने से लकवा, गठिया रोग ठीक हो जाते है.

- कौंच की जड पीसकर 3 से5 ग्राम पानी या दूध से लेने से अर्धांग वात ठीक हो जाता है।

- रोगी को कब्ज नही होनी चाहिए अगर कब्ज है तो 2 चम्मच एरण्ड तैल दूध मे मिलाकर पीलायें.

-उडद के आटे के बडे बनाकर मक्खन के साथ खिलाये.

-उडद को सौठ के साथ पानी में उबालकर प्रातः सायः पानी पीलाने से लाभ हो जाता है।


#क्या खायें क्या न खायें?

 - रोगी को तरल भोजन पर रखें।

- रोगी को बाद मे गेहूँ की पतली रोटी, चावल का भात,परवल, सहजन, लहसुन, अदरक, देशी धी, पर्याप्त दूध देना चाहिए।

-रोगी को ठंडा पानी न दे।

-ताजे फलों का रस दे।

धन्यवाद!

“गुरु  आयुर्वेद इन फरिदाबाद"

शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

Shatavari|शतावरी|Asparagus racemosus,परिचय, गुण,उपयोग हिंदी में.

 Shatavari|शतावरी|Asparagus racemosus,परिचय, गुण,उपयोग हिंदी में.




शतावरी|Asparagus racemosus,

By:- DrVirenderMadhan.

#शतावरी क्या है?

शतावरी बेल या झाड़ (shatavari plant) के रूप वाली शतावरी एक जड़ी-बूटी है। 

-- इसकी जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी, एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं।

- जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।

- एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं। 

- इन जड़ों के ऊपर से छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। जड़ों के बीच में कड़ा धागे के समान रेशा होता है।

- शतावरी एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी है जो शरीर को भावनात्मक और शारीरिक तनाव से निपटने में मदद करती है। 

#शतावरी के नाम :-

- शतावरी अनगिनत नामों से जाना जाता है।

 जैसे शतावरी रेसमोसस, बहुसुता,भीरू, सतावरी, सतावर,इन्दीबरी,बरी,नारायणी, शतपदी,शतमूली आदि। 

- शतावरी का उपयोग मुख्य रूप से यौन समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। 

#शतावरी के आयुर्वेदिक गुण:-

- शतावरी भारी,शीतल, कडवी मधुर, रसायन,बुद्धि के लिए उत्तम होता है।अग्नि बर्द्धक, नेत्रों के लिए हितकारी होती है।वीर्यवर्धक,दूधबढाने वाली होती है।बलदायक,गुल्म,अतिसार वात,पित्त, रक्तविकार, तथा शोथ नाशक होती है।हृदय को ताकत देने वाली होती है।



#शतावरी कब लेना चाहिए?

 शतावरी का सेवन रात को सोने से डेढ़ घंटे पहले कर सकते हैं। 

- शतावरी के चूर्ण को  गर्म दूध में हल्दी मिलाकर भी पी सकते हैं। 

- दूध में पके घी को मिलाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।

#शतावरी कितने दिन तक खाना चाहिए?

#अश्वगंधा और शतावरी कितने दिन तक खाना चाहिए? 

- रोजाना रात में सोते समय अथवा सुबह में नाश्ते के वक्त दूध में शतावरी और अश्वगंधा चूर्ण को मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से 6 हफ्ते में वजन बढ़ जाता है। इसके अलावा अपनी डाइट में प्रोटीन युक्त चीजों का अधिक से अधिक सेवन करें।

- शतावरी ( Asparagus Racemosus ) खाने में मधुर व तासीर ठंडी होती है। यह एंटीऑक्सीडेंट युक्त है और वात, पित्त कम करती है।

#प्रयोज्य अंग:-

मूल,पत्ते, अंकुर ।

#मात्रा:-

मूल,मूलस्वरस--1 से 2 ग्राम।

गुरुवार, 22 सितंबर 2022

आधासीसी Migraine का दर्द क्या होता है?In hindi.

 Migraine headache|आधाशीशी का दर्द|आधे सिर का दर्द,in hindi.



 #आधासीसी Migraine का दर्द क्या होता है?In hindi.

By:-DrVirenderMadhan.

[आधासीसी Migraine]

 #माइग्रेन (आधासीसी) इसे सुर्यावर्त्त, अर्धावभेदक नाम से भी आयुर्वेद में जाना जाता है।यह अधिकतर 15-20साल की युवतियों मे मध्यायु तक मिलता है।और इसमें सिर दर्द हफ्तों से लेकर महिनों रह जाता है।यह आधे सिर मे होता है कभी कभी यह पुरे शिर मे गर्दन तक हो जाता है।

#आधा सिर दर्द होने का कारण क्या है?

मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों मे रक्तभार बढ जाने से या उसके आसपास के अवयवों मे शोफ होने पर,अवभेदक सिरदर्द की उत्पत्ति हो जाती है।

क्रोध, चिंता, मानसिक व शारिरिक थकान अथवा आंखों के अधिक थक जाने से

अजीर्ण होने, या विष खाये जाने से,अथवा किसी संक्रमण से, मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों पर दबाव से सिरदर्द होने लगता है।

यह रोग स्त्रियों में प्रसवकाल मे या रजोनिवृत्ति के समय मिलता है जो स्त्री अधिक उपवास करती है ।चिंता करती रहती है उन मे आधाशीशी का दर्द मिलता है

कुछ लोगों मे पैत्रिक रूप से होता है।

मूत्ररोग, नेत्ररोग, धातु रोग, रक्तविकार, कुपच,कब्ज,टूयूमर,कैंसर आदि रोगों के कारण भी माईग्रेन हो जाता है।

#माईग्रेन के लक्षण क्या क्या होते है?



सिर में बार-बार होने वाला दर्द है जो खासकर सिर के आधे हिस्से को प्रभावित करता है। माइग्रेन होने पर मतली, उल्टी और प्रकाश तथा ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा देता है। इसके आक्रमण की अवधि कुछ घंटों से लेकर कई दिनों की हो सकती है।

- माइग्रेन की स्थिति में सिर में बहुत तेज दर्द होता है, जो सिर के एक या दोनों ओर हो सकता है. मतलब आसान शब्दों में  माइग्रेन का दर्द ऐसा होता है जैसे सिर पर कोई जोर से हथौड़ा मार रहा हो।

- प्रकाश, आवाज या गंध के प्रति संवेदनशील होना.

- थकान रहना.

-भोजन की लालसा या भूख की कमी.

- मनोदशा में बदलावहोना।

- कब्ज या दस्तहोना।

#घरेलू अनुभूत प्रयोग

#आधेशिर दर्द का घरेलू ईलाज कैसे करें?

- तिलतैल मे कुछ नमक मिलाकर (नस्य) नाक मे डालने से आधाशीशी मे आराम मिलता है।

-कागजी नींबू की 2 बूंद नाक मे डालने से आराम मिलता है।

-चुकन्दर की जड का रस 2-3 बूंद नाक मे टपकाने से आधाशीशी ठीक हो जाती है।

- मठ्ठा, भात,मिश्री मिलाकर कर सुर्योदय से पहले 4-5 दिन तक खाने से से माईग्रेन ठीक हो जाती है।

- 4-5 नीम की पत्तियों के रस मे 1 चुटकी चूना मिला कर 3-4 बूंद कान मे टपकाने से माईग्रेन ठीक हो जाता है।

- नारियल का पानी की कुछ बूंद नाक मे टपकाने से आधाशीशी का दर्द ठीक हो जाता है।

-समुंद्रफल की बकरी के मूत्र में पीसकर सुंघाने से से आधाशीशी मे आराम हो जाता है।

-सिरस के बीज का चूर्ण सुंघाये तो रोगी ठीक हो जाता है।

- सौठ को पानी में पीसकर ललाट पर लेप करें आधाशीशी ठीक हो जाता है।

- हरड की गुठली पीस कर मस्तक पर लेप करने से माईग्रेन ठीक हो जाता है।

- गाजर पर धी लगाकर गरम करें फिर उसका रस निकलकर 4-5 बूंद कान मे डाले आराम होगा।

* माईग्रेन एक वात प्रधान रोग है ।इसमे धी अच्छा वातनाशक का कम करता है।इसलिए धी के साथ खिचडी, चावल,दाल मिलाकर खायें।

#क्या खायें क्या न खायें?

पथ्य अपथ्य:-

- रोगी को पौष्टिक आहार दें।

- खट्टा, मीठा, चटपटा, मसालदार ,अधपका, भोजन,

बाजार के आहार,उत्तेजक पेय शराब आदि, से दूर रहें।

देर से पचने वाले गरिष्ठ भोजन न दें।

- चिंता, तनाव, आदि से दूर रहे।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान,

#GuruAyurvedaInFaridabad,

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज कैसे करें?In hindi

 मोतियाबिंद क्या होता है ?



मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज कैसे करें?In hindi

मोतियाबिंद का घरेलू उपाय क्या है?

क्या मोतियाबिंद का बिना ओपरेशन ईलाज हो सकता है?

#मोतियाबिंद क्या होता है ?

#DrVirenderMadhan.

मोतियाबिंद|Cataract मे आंखों के लेंस या उसके आवरण या दोनों पर धुंधलापन आ जाता है।लेंस मे रक्तवाहिनियां न होने के कारण उसमे शोथ नही हो सकता है।परन्तु उसमें डिजनरेशन होता है।जिसके कारण लेंस धुंधले हो जाते है।लेंस के तंतु अपारदर्शक हो जाते है और मोतियाबिंद की उत्पत्ति हो जाती है।इससे दृष्टि शैन शैन कम होती है और अन्तः मे दिखना बन्द हो जाता है।यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है।

#मोतियाबिंद बनने के कारण:-

- बृद्धावस्था से,

- नेत्रों में चोट लगने से,

- अल्ट्रावायलेट चिकित्सा के अधिक होने से,

- तेज रोशनी से,

-कुछ औषधियां के कारण जैस स्टेरॉयड, या एण्टीकोलिनेस्ट्रेस का लम्बे समय तक प्रयोग करने से,

- कुछ शारिरिक रोगों से जैस मधुमेह, पैराथायराइड, टिटेनी,मायोटानिक डिस्ट्राफी, आदि

- पैत्रिक भी होता है।

-रसायनिक पदार्थों के प्रयोग से,

- बिजली के करंट लगने से,

-कुछ त्वचा के रोग में मोतियाबिंद हो जाता है।

-अधिक धूल, धूप आदि मे काम करने से,

- अधिक चिंता से भी मोतियाबिंद हो जाता है।

#मोतियाबिंद के लक्षण क्या क्या होते है?

-प्रारंभ में दृष्टि मे कुछ अडचने आने लगती है।धीरे धीरे दृष्टि में धुंधलापन आने लगता है।

बाद मे दिखना बन्द हो जाता है।

एक ही चीज के 2 या 3 प्रतिबिंब दिखाई देते है।

बल्ब के आसपास इन्द्रधनुष के रंग दिखाई देते है।



#मुख्य आयुर्वेदिक पेटेंट औषधि

-नेत्रामृत अंजन:-

त्रिफला क्वाथ से आंखें धोकर अंजन नित्य लगायें।

- इसी प्रकार नेत्रज्योति वर्धक सुरमा लगायें।

#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियां:-

सप्तामृत लौह 1 ग्राम

गाय का धी 3ग्राम, 

असली शहद 6 ग्राम मिलाकर सवेरे सांय चाटकर उपर से दूध पिलाये।

- नेत्रसुदर्शन अर्क 2-3 बूंद दिन मे मे 2-3 बार डालें ः

- रसकेश्वर गुटिका- शहद मे घीसकर आंखों में लगायें।

त्रिफाला धृत 1-1 चम्मच प्रातः सायदूध के साथ खायें।

-चन्द्रोदय वर्ती- शहद मे घीसकर आंखों में अंजन की तरह लगायें।

#घरेलू अनुभूत प्रयोग

- सौंठ, हींग, वच,और सौफ समान मात्रा मे लेकर चूर्ण बना लें 3-4 ग्राम रोज लेने से मोतियाबिंद नही बढता है।

- रोग के प्रारंभ में निर्मलीशहद मे घिसकर आंखों में लगाने से मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।

- सफेद चिरमिटी के स्वरस , कागजी नींबू के रस मे मिलाकर आंखों में लगने से मोतियाबिंद मे आराम हो जाता है।

- सौफ के हरे पेड को लाकर कांच या चीनीमिट्टी के बर्तन में रखकर सुखा ले बाद मे बारीक चूर्ण बना ले।इसे सुरमे की तरह आंखों में लगाने से मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।

- सत्यानाशी के रस की 1 बुंद को धी मे मिलाकर आंजने से नेत्रशुक्ल,अधिमांस,और अंधापन दूर हो जाता है।

हाइड्रोसील|अण्डकोष बृद्धि क्या है? हिन्दी में.

 हाइड्रोसील|अण्डकोष बृद्धि क्या है? हिन्दी में.



हाइड्रोसील|अण्डकोष बृद्धि:-

By:-Dr.VirenderMadhan.

वृषण का बढ जाना हाइड्रोसील कहलाता है।

हाइड्रोसील के लक्षण (Symptoms of Hydrocele in Hindi)

हाइड्रोसील के लक्षण

- अंडकोष में बिना दर्द के सूजन, टेस्टिकल मे भारीपन महसूस होना।

- अंडकोष का आकार बढ़ना

- हाइड्रोसील में तेज दर्द होना

- हाइड्रोसील में सूजन होना

- शरीर का अस्वस्थ होना

- चलने फिरने में दर्द और असहजता होना

- उल्टी, कब्ज, दस्त और बुखार आना

- ज्ञानेन्द्रियों की नसें ढीली और कमजोर होना


#हाइड्रोसील बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?

- टेस्टिकल में चोट लगने की वजह से भी हाइड्रोसील हो सकता है। चोट लगने से टेस्टिकल कमजोर हो जाता है जिसके कारण उसके काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। 

- प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुष को हाइड्रोसील होने की संभावना ज्यादा होती है। 

#दिव्य औषधि उपाय

 छोटी कटेरी(भम्भाड) की ताजा जड 20 ग्राम,

कालीमिर्च के 7 दाने दोनों को पीसकर पेस्ट बनाकर 100ग्राम पानी में घोलकर कर पी लें।

बायविडंग, कुन्दरू, पुरानी ईंट तीनों 5-5 ग्राम लेकर 35ग्राम. धी के साथ खायें।यदि पहले दिन वमन हो तो अण्डकोष अपनी पहली दशा में आ जाते है।

- कटकरज्जा के तीन दानों को भुनकर 7 दिन खाने से अण्डकोष बृद्धि दूर हो जाता है साथ ही इन दानों के चूर्ण को एरण्ड के पत्तों पर बुरक कर अण्डकोष पर बांधना चाहिए।

- हिंग,सैन्धव नमक,जीरा तीनों को समभाग  पीसकर ,चौगुने सरसौ के तैल मे पका कर लेप करने से अण्डकोषबृद्धि दूर होती है इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के दर्द मोच,चोट आदि ठीक हो जाते है।

- शुद्ध गुग्गुल 6ग्राम, अरण्डी का तैल 12 ग्राम, गोमूत्र 120 ग्राम---तीनों को मिलाकर 1 माह तक पीने से अण्डकोष बृद्धि ठीक हो जाती है।

-एरण्ड की जड का चूर्ण 4 ग्राम

एरण्ड का तैल 10 ग्राम,

120 ग्राम दूध मे घोटकर पीने से यह रोग 25- 20 दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।

-वचव सरसों को पीनी मे लेप बनाकर सुहाता सुहाता लेप करें।

-इन्द्रायण की जड को पानी में पीसकर सुहाता सुहाता लेप करें य  लेप अण्डकोष की सुजन व दर्द को कम करता है।

#3 घरेलू उपाय

- 10 ग्राम जीरा और 10 ग्राम अजवायन पानी में पीसकर थोड़ा गर्म कर अण्डकोष पर लेप करने से अण्डकोष मे आराम मिल जाता है।

- आयुर्वेद में अंडकोष में दर्द होने पर बर्फ से सिंकाई से लाभ हो जाता है. अगर अंडकोष में चोट या अन्य किसी वजह से तेज दर्द हो रहा है तो बर्फ के टुकड़े से सिंकाई करनी चाहिए. यह तुरंत राहत मिल जाती है

-100 ग्राम बकायन के पत्ते को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, फिर उसमें कपड़ा भिगोकर अण्डकोषों को सेंकने और सुहाता गर्म पत्ते को बांधने से अण्डकोषों की सूजन में राहत मिलती है।

#शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियां

- बृद्धि बाधिका वटी

- चन्द्रप्रभा वटी

- वरुणादि क्वाथ

- दशमुल क्वाथ

- पुनर्नवादि क्वाथ आदि

सूचना:-

किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरुर करें।

धन्यवाद!

शनिवार, 17 सितंबर 2022

अम्ल पित्त क्या है?In hindi.

 Acid reflux|अम्ल पित्त

अम्ल पित्त क्या है?In hindi.



By:- Dr.Virender Madhan.

अम्ल पित्त|Acid reflux.

* आमाशय मे पित्त के बिगडने से खट्टे डकार आना,छाती मे जलन होना , पित्त का उछलना अम्ल पित्त कहलाता है।

कभी कभी दर्द असहनीय होता है। पेट-छाती की जलन कभी कभी दिल के दौरे से ही होती है। दर्द छाती से पीठ की ओर चलता है इसके साथ पसीना, सांस चलना, घबडाहट आदि लक्षण होते है।

#अम्लपित्त की बीमारी क्यों होती है?

Why is acidic disease?

#अम्ल पित्त क्यों (कारण) 

बनता है?

-बहुत अधिक तीखा भोजन करने से पित्त बढ़ता है। -मानसिक तनाव के कारण पित्त बढ़ता है।

 -शरीर की क्षमता से अधिक मेहनत करने पर भी पित्त दोष में वृद्धि हो जाती है। 

-भूख लगने पर भोजन ना करना या बिना भूख के भी कुछ ना कुछ खाने से भी पित्त बढ़ने की समस्या हो जाती है।

- क्रोध, शोक,चिन्ता, भय,परिश्रम, उपवास,जलेभुने पदार्थों के खाने से,अत्यधिक पैदल चलने से, कडवे-खट्टे,नमकीन, तीखे, गरम,दाहक चीजों से, सरसौ, अलसी, तिल आदि का तैल, दालें,शाक,मछली मांस, दही,मठ्ठा, पनीर, कांजी, शराब,खट्टे फलों के सेवन से पित्त कुपित हो जाता है।

- गर्भावस्था में कभी कभी अंतिम महिनों में जादा आम्लता महसूस होती है।

- भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय न देना और अपच के बावजूद खाते रहना, आपकी इस समस्या को बढ़ा सकता है। 

#अम्ल पित्त के लक्षण :-

- भोजन का पाचन नहीं होना, 

बगैर किसी मेहनत के ज्यादा थकावट होना,

 कड़वी या खट्टी डकार आना, शरीर में भारीपन, 

हृदय के पास या पेट में जलन होना, 

कभी-कभी उल्टी होना,

 उल्टी में अम्ल या खट्टे पदार्थ का निकलना,

 मिचली होना और मुंह से खट्टा पानी आना,

 सिरदर्द, आंखों में जलन, जीभ का लाल होना जैसे लक्षण हाइपर एसिडिटी में सामने आते हैं। 

 #Acid reflux|अम्ल पित्त हो तो क्या उपाय करें ?

- छोटी हरड,पीपल, मुन्नका, मिश्री, धनिया, आंवला, कुटकी सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।रात मे एक छोटी कटोरी में पानी भरकर उसमे चूर्ण की 20 ग्राम मात्रा में डालकर रख दें।प्रातःकाल कपडे से छानकर इस पानी को पीलें।

- सौठ,गिलोय, का समभाग चूर्ण बनाकर 4-6 ग्राम  चूर्ण शहद मे मिलाकर चाट ले।

-त्रिफला,कुटकी के समभाग चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

-करेले के पत्ते, फुल का चूर्ण 1-2 ग्राम चूर्ण दिन में 2-3 बार लेने से अम्ल पित्त ठीक हो जाता है।

-नाश्ते में केला दूध लने से आराम मिल जाता है।

- फलों में पपीता, मौसंबी, अनार आदि को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। 

- नारियल और नारियल पानी का भी भरपूर सेवन करें। 

 - मुनक्का, आंवले का मुरब्बा, कच्चा आंवला भी खाना बेहतर होगा। 

#कुछ शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियां:-

हरीतिकी खण्ड,

नारिकेल खण्ड,

कुष्मांडावलेह,

पिप्पली धृत,

शतावरी धृत,

अम्ल पित्तान्तक लौह,

लीलाविलास रस,आदि।


अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से बात करें।

धन्यवाद!