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रविवार, 27 नवंबर 2022

पाइल्स (बवासीर) क्या है?In hindi. What is piles (hemorrhoids)?


 #पाइल्स (बवासीर) क्या है?In hindi.

What is piles (hemorrhoids)?

#बवासीर

 बवासीरके नाम:-

अर्श,पाईल्स,बवासीर या हीमोरॉइड्स:-

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मलाशय और गुदा नलिका की दीवारों के अंदर मौजूद रक्त वाहिकाएं होती हैं। बवासीर तब होता है जब इन रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है, जिसके कारण मस्से बन जाते है। जिनमें मल त्यागने के समय और भी ज़्यादा तनाव आता है, जिससे दर्द और परेशानी होती है।

#बवासीर होने के कारण क्याहै? 

What is the cause of piles?

>>बार बार बवासीर क्यों होती है?कारण क्या हैं?

 - कब्ज पाइल्स की सबसे बड़ी वजह होती है। कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इसकी वजह से बवासीर की शिकायत हो जाती है।

 - जिन्हें ज्यादा देर तक खड़े रहने का होता है, उन्हें पाइल्स की समस्या हो सकती है। - गुदा मैथुन करने से भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

#बवासीर के लक्षण क्या होते है?

What are the symptoms of piles?

– मलत्याग करते समय खून आना।

– खुजली होना।

– मलाशय में दर्द करनेवाली गांठ होना।

–गुदा में सूजन हो जाना।

–मलत्याग करते समय खून आना।

#बवासीर ठीक करने का सबसे फास्ट तरीका क्या है?

What is the fastest way to cure piles?

सेव का सिरक (एपल साइडर वेनेगर) की मदद से आप पाइल्स का इलाज कर सकते हैं. एपल साइडर वेनेगर में इंफेक्शन को नहीं बढ़ने देने का गुण पाया जाता है. इसके प्रयोग से रेक्टल एरिया में इंफेक्शन नहीं बढता है और ये दर्द कम करने में भी मदद करता है. इसके अलावा इसके इस्तेमाल से जलन में भी राहत मिलती है

#बवासीर की बीमारी को जड़ से खत्म कैसे करें?

देसी घी अपने गुणों के लिए जाना जाता है. अगर आप नियमित रूप से देसी घी का सेवन करते हैं तो कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है. बवासीर की समस्या से निजात पाने के लिए देसी घी में चुटकीभर हल्दी मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें और बवासीर वाली जगह पर नियमित तौर पर लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर की समस्या ठीक हो जाती है.

― बवासीर को ठीक करने के लिए क्या खाएं?

दूध और नींबू

दूध और नींबू पाइल्स की समस्या को ठीक करने के लिए बहुत उपयोगी है। यह खूनी बवासीर को भी 3 दिनों के अंदर ठीक कर देता है। इसके लिए सुबह खाली पेट एक कप ठंडे दूध में आधा नींबू निचोड़ कर तुंरत पी जाए। 

#क्या गर्म पानी पीने से बवासीर होता है?

Does drinking hot water cause piles?

गुनगुना पानी पीना–

गुनगुना पानी पीना, बवासीर का उपचार करने में सहायक होगा। कब्ज न होने के कारण आपको मलत्याग में आसानी होगी और दर्द नहीं होगा, फलस्वरूप बवासीर को ठीक होने में मदद मिलेगी। एक गिलास पानी गर्म करें और गुनगुना होने पर इसे सादा ही पी लें।

#क्या खाने से बवासीर ठीक हो जाएगा?

– बवासीर में क्या खाना चाहिए?


बवासीर होने पर अपने आहार में साबुत अनाज- जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, होल व्हीट एड करें। 

 साबुत अनाज में फाइबर बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इनके सेवन से मल नरम हो जाता है और मल त्याग के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है।

#बवासीर में मदद करने के लिए मैं क्या पी सकता हूं?

बवासीर में छाछ लेने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।

फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थ खाने से मल नरम और आसान हो सकता है और बवासीर के इलाज और रोकथाम में मदद मिल सकती है। पीने का पानी और अन्य तरल पदार्थ, जैसे फलों के रस और साफ सूप , 

#बवासीर में क्या नहीं करना चाहिए?

– बवासीर है तो उन खाद्य पदार्थों से बचें जो वसायुक्त या फाइबर में कम हैं.

–बवासीर पर मत उठाओ; भारी वस्तुओं को उठाने से बचें; – तनाव और चिंता से बचें; और

 –जुलाब के अति प्रयोग से बचें 

#बवासीर कब तक रहता है?

बवासीर कितने समय तक रहता है यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होगा। सामान्य तौर पर, छोटे बवासीर कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो सकते हैं । बड़े बवासीर, जो बहुत अधिक दर्द, सूजन और खुजली का कारण बनते हैं, अपने आप दूर नहीं जा सकते हैं और उन्हें ठीक करने के लिए चिकित्सक से उपचार की आवश्यकता होती है।

धन्यवाद!

Dr.Virender Madhan.

शनिवार, 26 नवंबर 2022

अमरूद का फल और पत्ते खाने से क्या लाभ होता है?In hindi.

 अमरूद का फल और पत्ते खाने से क्या लाभ होता है?In hindi.



What is the benefit of eating guava fruit and leaves?

अमरुद खाने से क्या होता है?

what happens by eating guava?

अमरुद|guava.

Dr.Virender Madhan.

–वजन कम करने में फायदेमंद अमरूद वजन को नियंत्रण में रखने में मददगार है। 

–अमरुद खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है।

–अमरुद से पाचन क्रिया में सुधार आता है। 

–बवासीर में अमरुद लेने से लाभ मिलता है।।

–पेट की जलन शांत होती है।

#1 दिन में कितना अमरूद खाना चाहिए?



How much guava should be eaten in 1 day?

एक दि‍न में क‍ितने अमरूद खा सकते हैं? 

– एक द‍िन में एक या दो से ज्‍यादा अमरूद का सेवन न करें। ज्यादा अमरूद खा लेने से पेट में सूजन या गैस की समस्या हो जाती है। 

#अमरूद खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?

अमरूद खाने के बाद दूध, पानी और दूध से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए. अमरूद सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद फल होता है इसको खाने से स्वास्थ्य की बहुत सी समस्याएं से आराम मिलता है.

#अमरूद में कौन कौन से विटामिन पाए जाते हैं?



अमरुद मे विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं।

#अमरूद किसे नहीं खाना चाहिए?

Who should not eat guava?

अगर आपको मधुमेह है और अमरूद का सेवन करें तो अपने ब्लड शुगर की सावधानीपूर्वक जांच करें। 

*सर्जरी: 

अमरूद रक्त शर्करा को कम कर सकता है। सिद्धांत रूप में, अमरूद रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकता है या सर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान और बाद में रक्त शर्करा नियंत्रण में हस्तक्षेप कर सकता है। सर्जरी से पहले अमरूद को  इस्तेमाल करना बंद कर दें ।

#अमरूद की तासीर क्या होती है?

–अमरूद की तासीर ठंडी होती है. 

–पेट की बहुत सी बीमारियों को दूर करने का रामबाण इलाज है. अमरूद के सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है. इसके बीजों का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है.

अमरूद के बीज गैस और अपच की समस्या को दूर करने में मदद करता हैं। दिल को सेहतमंद रखने में अमरूद बेहद असरदार है। अमरूद में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो दिल की सेहत को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। अमरूद में मौजूद फाइबर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करता है।

#अमरूद की पत्तियों के लाभ:-

Benefits of guava leaves:-

अमरूद की पत्तियों में भी एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कई बीमारियों से बचाते हैं.

अमरुद के पत्ते कोलेस्ट्रोल को करता है।

–अमरूद की पत्तियां को बालों के लिए भी प्रयोग मे लाया जा ता है. 

इसके लिए अमरूद की पत्तियों को पानी में डालकर उबाल लें और इस पानी को ठंडा करने के बाद बालों की जड़ों में अच्छी तरह लगाएं. इसके कुछ समय बाद बालों को धो लें.

–शुगर को नियंत्रित करता है 

– मुंह में छालों के लिऐ अमरूद की पत्तियों को तोड़कर चबाएं. इससे आपको राहत मिलेगी.

–अमरूद की पत्तियों का उपयोग पिंपल्स को खत्म करने के लिए भी करते हैं। अमरुद के पत्ते पीसकर पेस्ट बना लें और सोने से पहले रात में फेस पर लगाकर सोएं. फिर सुबह इसे धो लें.

–अमरूद की पत्तियों में मौजूद फेनोलिक योग रक्तशर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. 

–अमरूद के पत्तों के सेवन से लिपिड में भी कमी आती है. 

–अमरूद की पत्तियों डेंगू में भी फायदेमंद माने जाते हैं. यह खून में प्लेटलेट्स को बढ़ाने का काम करता है और रक्तस्त्राव से आपको बचाता है.

धन्यवाद!

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

कांचनार–(Bauhinia Variegats)का परिचय और उपयोग।हिंदी में.

 #गांठों का ईलाज#घरेलू औषधि #मेद नाशक 

कांचनार–(Bauhinia Variegats)का परिचय और उपयोग।हिंदी में.



By Dr.VirenderMadhan.

नाम–कांचनार, गण्डारि,शोणपुष्पक ये श्वेत कांचनार के नाम है।

रक्त कांचनार के नाम :- कोविदार, चमरिक,कद्दाल,कुंडली,ताम्रपुष्प,

कांचनार के गुण:-

शीतल,ग्राही, कषैला और कफ-पित,कृमि, कोढ,गुदभ्रंश,गण्डमाला, और व्रण को नष्ट कर ने वाला है।

गुण;-रूक्ष,लघु,

रस;-कषाय,

विपाक;- कटु,

वीर्य;-शीत,

प्रभाव;-गण्डमाला नाशक,गांठ नाशक,

बाह्य प्रयोग:-

यह व्रणशोधन,व्रणरोपण,कुष्ठध्न, शोथहर है।

आभ्यंतर:-

यह कफ-पितज रोगों मे प्रयोग होता है।गण्डमाला या गांठों पर लेप करने के काम आता है।

पाचनतंत्र–

यह कषाय होने से स्तम्भन और कृमिनाशक है यदि बडी मात्रा मे लें तो यह वामक (उल्टी कराने वाला है)

यह अतिसार, प्रवाहिका, गुदभ्रंश मे काम आता है।

इसका प्रयोग कृमिनाशक के रूप मे करते है तथा इसक फुलों के गुलकन्द बनाकर विबन्ध(कब्ज) मे उपयोग करते है।

गुदभ्रंश मे इसके क्वाथ से धोते है।

रक्तवह संस्थान:-

रक्तस्तम्थन है ।इसका प्रयोग रक्तपित्त मे करते है। विषेशकर लसिका ग्रन्थियों पर कार्य करता है।।सुजन को दूर करता है।



श्वसनसंस्थान :-

यह कासहर(खाँसी)है

मूत्रवहसंस्थान;-

यह मूत्र संग्रहणीय है यानि मूत्रसंग्रह करता है।इस लिऐ इसका प्रयोग प्रमेह रोगों में करते है।

प्रजननसंस्थान;-

यह आर्तवस्राव को कम करता है।इसलिए इसे रक्तप्रदर मे देते है।

त्वचा;-

यह कुष्ठध्न है।

कांचनार रूक्ष होने से  लेखन कार्य करता है।शरीर की मेद को कम करने मे सहायक होता है।

औषधार्थ अंग:- 



–मूलत्वक,पत्र,पुष्प,का प्रयोग होता है।

मात्रा:-

मूलत्वक 1 से 4 ग्राम, पुष्प;2-6 ग्राम,

कांचनार का क्वाथ ;- 20-30 मि०ली०

रविवार, 20 नवंबर 2022

#हरड किसे कहते है कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

 #हरीतकी-हरड #हरड _एक_अमृत #रसायन

#हरड किसे कहते है कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

हरड;-



हरीतिकी, पथ्या, विजया,शिवा,अभया आदि नाम से जानी जाती है।

ऋषि वांग्भट्ट ने अष्टांग संग्रह में बताया है कि

- सब रोगों का हरण करने वाली जडी को हरीतकी करते है।सब धातुओ के लिऐ पथ्य होने से “पथ्या" कहते है।

- जो सम्पूर्ण रोगों पर विजय पा जाती है उसे “विजया" कहते हैं।

- सबके लिऐ कल्याण कारक है इस लिए हरड को “शिवा” नाम दिया है।

- सभी रोगो से अभय करने वाली होने से “अभया” कहलाती है।

इसके लगातार सेवन करने से स्थिर होती है इसलिए भी यह अभया है।

उत्तम हरड के लक्षण:-

–––––––––––

जो नई,गोल,मोटी, चिकनी हो,भारी, पानी में डुबती हो,वह उत्तम है।

#हरड का अनुपान प्रयोग?

बालक को हरड मक्खन के साथ देनी चाहिए।

- वायु रोग मे धी व लवण के साथ;

- पित्तज रोगों में गुड और शर्करा के साथ;

- कफज रोगों में पिपली व मधु के साथ देनी चाहिए।


हिमालय पर्वत पर समय से उत्पन्न,रस-वीर्य से पुर्ण, रोगरहित हरडों को लेकर दो या तीन टुकड़े करके गुठली निकाल देवे फिर हरडों को 4 गुणा दूध मे पकावें। जब हरड नर्म हो जाये तब उतार कर ठंडा कर लेवे।इनमें धी एक आढक मधु एक आढक मिलाकर सुरक्षित रख लेवे।

तीन दिन के बाद इनका प्रयोग करना शुरु कर दें .हरड इतना ही ले जिससे भुख न रूक जाये।यह प्रति दिन खाये जब तक हरड खायें तब तक भात दूध ही लेवे।

इसके सेवन से बुढापे रहीत,झुर्रियां, गंज, श्वेत बाल,रोगरहित हो कर सौ साल की आयु प्राप्त करता है; श्रुति(श्रवण शक्ति)और स्मृति बनी रहती है ;अग्नि भी बनी रहती है।

इस प्रयोग के खाने से पुरुष का शरीर वृहत पर्वत के समान दृड  हो जाता है।

[पुरूष के रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र सत्व, आठ सार पुष्ट हो जाते है।स्वर बादलों की तरह गडगडाहट के समान गम्भीर हो जाता है।संतान दृड व प्रभुत होती है।

हरीतकी के शास्त्रीय योग;

ब्राह्मरसायन

हरीतिकी रसायन


#हरड़ कब खानी चाहिए?

खाना खाने के पहले इसके चूर्ण का सेवन करने से भूख खुल कर लगती है। 

- सौंठ, गुड़ या सेंधा नमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।

 -हिचकी में हरड़ पाउडर व अंजीर के पाउडर को गुनगुने पानी के साथ लें, लाभ होगा। -हरड़ के दो या तीन मुरब्बे का सेवन करने से सुबह कब्ज की शिकायत नहीं रहती।

#हरड़ खाने से क्या लाभ होता है?

प्रतिदिन हरड़ का सेवन आपके पाचन तंत्र ठीक हो जाता है। इसे गैस, अपच और कब्ज जैसी पेट की कई समस्याओं में लाभदायक माना गया है। एक कप गर्म पानी में 2-3 ग्राम हरड़ का सेवन आपको पाचन संबंधी परेशानियों में आराम दिलाता  है। 

- हरड़ का सेवन उल्टी में भी राहत दिला सकता है।


#हरड़ की तासीर क्या होती है?

– हरड़ की तासीर गर्म होती है। इसलिए बहुत अधिक तेज गर्मी के मौसम यानी मई और जून में बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन ना करें। यदि आपको खून से संबंधित कोई बीमारी है, शरीर में सूखापन है तब भी बिना चिकित्सक की सलाह के इसे ना लें। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।



#छोटी हरड़ और बड़ी हरड़ में क्या अंतर है?

1 एक हरड आकार मे छोटी तथा एक बडी व पीले रंंग की होती है।

2 पीली हरड़:- बड़ी हरड़ पीले रंग की, डेढ़ इंच लंबी तथा आधा इंच चौड़ी होती है तथा इस पर पांच रेखाएं होती हैं। 

3. छोटी हरड़:- छोटी हरड़ बिना पका फल होती है। छोटी हरड़ के लिए फल में गुठली बनने से पहले तोड़ लिया जाता है और उसे मिट्टी से ढक दिया जाता है।

Dr.Virender Madhan.

गुरुवार, 17 नवंबर 2022

चाय पीने के लाभ व नुकसान क्या क्या है?In hind

 चाय पीने के लाभ व नुकसान क्या क्या है?In hindi.

#चाय पीने से कौन कौन सी बीमारी होती है?



आजकल बडे बुजुर्गों से लेकर छोटे छोटे बच्चों तक चाय के आदि हो चुके है।

चाय Tea:-

 "कैमेलिया साइनेंसिस" (एक विशेष पौधा) की पत्तियों का काढा,

Dr.VirenderMadhan.

चाय दुनिया में पानी के बाद सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थ है। यह कैमेलिया साइनेंसिस पौधे की उपचारित(treated)पत्तियों पर गर्म पानी डालने की एक सरल तैयारी है । चाय, तीसरी शताब्दी ईस्वी में चीन में एक औषधीय पेय के रूप में वर्णित किया। व्यापारियों ने इसकी लोकप्रियता को तेजी से महाद्वीपों में फैलाने में मदद की।

- चाय- कड़वी, गर्म तासीर वाली व ऊर्जादायक होती है. यह कफ-वात का शमन करती है. काली चाय का सेवन मधुमेह का जोखिम कम करता है. 

#चाय पीने से लाभ क्या है?

- चाय में कैफीन होता है, इसलिए इसके सेवन से व्यक्ति फुर्ती महसुस करता है।

-बिना मीठे व बिना दूध की चाय लाभकारी होती है स्त्रीयों मे ब्रस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।

- चाय की पत्ती आधा स एक ग्राम पानी के साथ खाने से दस्त बंद हो जाते है।

-चाय की पत्ती के पानी से बाल धोने से बाल मजबूत व चमकीले होते है।

अदरक वाली चाय नजला, जुकाम, खांसी, कफजज्वर मे लेने से आराम मिलता है।

#चाय के लेने से क्या क्या हानि होती है?



 ― इसका ज्यादा सेवन से अम्लपित्त,गैस, अनिद्रा की समस्या पैदा कर सकता है.

#ज्यादा चाय पीने क्या होता है ?

ज्यादा चाय पीने से -

- सीने में जलन,

- पेट में गैस,

- बदहजमी और खट्टी डकार जैसी समस्याहोती है।

- चाय पीने से आंतें खराब भी हो जाती है।

#चाय क्यों नहीं पीना चाहिए?

* चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है क्या?

जी हां, ज्यादा चाय पीना हानिकारक है। यदि आप चाय बार बार पीते हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि इसमें पाए जाने वाले कैफीन के कारण मूत्र की मात्रा में तीन गुना अधिक वृद्धि होती है।

– सुबह की चाय से एसिडिटी बनती है. पेट फूलता है, भूख नहीं लगती, थकान महसूस होती है. 

– चाय में दूध और चीनी मिल जाने से एंटीऑक्सीडेंट का प्रभाव कम हो जाता है अधिक पीने से हानि होने लगती है।

#चाय को दोबारा गरम करके पीने से क्या होता है?

लोग जानना चाहते है कि चाय को दोबारा गरम करके पीने से क्या होता है।चाय को दोबारा गर्म करने से चाय का स्वाद खराब हो जाता है, पोषक तत्व कम हो जाते हैं। इसके साथ ही चाय में माइक्रोबियल ग्रोथ होने लगती है, जो सेहत के लिए अच्छे नहीं होता है। चाय बार-बार गर्म करके पीने पेट से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। 


दूध की चाय पीने के नुकसान

- ज्यादा दूध की चाय नींद से जुड़ी दिक्कतों का कारण बन सकती है. दूध वाली चाय से (हार्ट बर्न) सीने में जलन भी अधिक होती है। इससे कई बार पेट फूलना (Bloating) और जी मिचलाना भी महसूस होता है. 

- सुबह-सुबह खाली पेट चाय पीना एसिडिटी (Acidity) का मुख्य कारण बनती है.

#1 दिन में कितनी बार चाय पीना चाहिए?

चाय में कैफीन हो से, अधिक मात्रा में चाय न पिएं. 

* आप 1 दिन में 1 से 2 कप चाय पिएं. हालांकि, अगर आपको गले में खराश, सर्दी-जुकाम जैसी परेशानी है तो 2 से 3 कप हर्बल टी पी सकते हैं.

सोमवार, 14 नवंबर 2022

बैड कोलेस्ट्रॉल बनाम यमराज?हिंदी में.

बैड कोलेस्ट्रॉल बनाम यमराज?हिंदी में.

By:- Dr.Virender Madhan.

[बैड कोलेस्ट्रॉल बनाम यमराज]

#बैड कोलेस्ट्रॉल



मौत का सबसे बड़ा कारण है रक्तवाहिनियों तथा हृदय मे रूकावटें हो कर सबसे अधिक मौतें होती है। 

*रुकावट का कारण है कोलेस्ट्रॉल का बढ जाना।

#कोलेस्ट्रॉल क्या है?

- यह एक तैलीय,वसा जैसा या मोम जैसा पदार्थ है, जो शरीर में कोशिका झिल्ली, कुछ हार्मोन और विटामिन डी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है-

 1- एलडीएल कोलेस्ट्रॉल(LDL)और



2- एचडीएल(HDL)कोलेस्ट्रॉल।

- अगर सीने में ज़्यादा दर्द हो रहा है तो ये कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संकेत है। जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है, तो सीने में दर्द होता है। इस स्थिति में दर्द कुछ समय का दिनों के लिए हो सकता है। कई बार इस दर्द  के कारण हार्ट अटैक हो जाता है।

#कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर क्या होता है

- कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कौन सी बीमारी होती है?

इनमें हार्ट अटैक से लेकर हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां शामिल हैं. हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और हार्ट अटैक हो सकता है. 

#कोलेस्ट्रॉल कैसे बढ़ता है?

शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल -फैटी फूड खाने,

- एक्सरसाइज ना करने ,  

- ओवरवेट होने,

- स्मोकिंग और ड्रिंक करने के कारण बढ़ता है. कई बार यह जेनेटिक भी होता है. 

#क्या क्या खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है?

जंकफूड, फास्ट फूड,

चीनी, मैदा, कोल्ड ड्रिंक्स और तेल से बनी चीजों को खाने से कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल (LDL)लेवल बढ़ने से खून की नसें या धमनियां बंद हो सकती हैं, जिससे हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज क्या है?

- लहसुन है फायदेमंद शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने के लिए लहसुन का सेवन करें.लहसुन खाने से वात रोग और हृदय रोग ठीक हो जाते है।

- अर्जुन की छाल का काढा या चूर्ण खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।अर्जुन की छाल आयुर्वेद में अर्जुन की छाल का खास महत्व है.

- नींबू है हेल्दी नींबू न सिर्फ वजन घटाने में प्रभावी होता है, तथा यह कोलेस्ट्रॉल को घटाने में भी प्रभावी हो सकता है.खट्टे फल खाने से कोलेस्ट्रोल मे लाभ मिलता है।

- मछली का तेल कोलेस्ट्रॉल  कम करता है।

- मेथी का पानी पिएं.इसे कोलेस्ट्रॉल कम होता है तथा शरीर के दर्द कम हो जाते है।

#गर्म पानी पीने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है क्या?

* कोलेस्ट्रॉल कम कैसे करें,

बढ़े हुए कोलेस्‍ट्रॉल लेवल मे गर्म पानी शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है. गर्म पानी के नियमित सेवन से कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को आसानी से कम किया जा सकता है. 

- साइट्रस फलों से पृथक फाइबर का सेवन रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए दिखाया गया है , और नींबू में आवश्यक तेल एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल कणों को ऑक्सीकरण होने से बचा सकते हैं .

 - साबुत अनाज खाएं

 साबुत अनाज के सेवन से रक्तप्रवाह में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करके एलडीएल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। 

 -  हेल्दी नाश्ता करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है. दलिया, ओट्स मील, ऑरेंज जूस इस तरह की फाइबर युक्त चीजें नाश्ते में खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता

- अलसी- अलसी को सेहत के लिए बहतरीन फायदेमदं माना जाता है. 

ग्रीन टी- कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार है ग्रीन टी.

- प्रतिदिन पैदल धुमना चाहिए।

-पाचन क्रिया ठीक रखें।

मस्त रहे।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 10 नवंबर 2022

बालों के 4 बहतरीन कुदरत के बनाये मित्र और 4दुश्मन.in hindi.

 बालों के 4 बहतरीन कुदरत के बनाये मित्र और 4दुश्मन.in hindi.



By:- Dr.Virender Madhan

बालों के 4 मित्र

भृंगराज:-

भृंगराज एक आयुर्वेदिक जडी है इसका स्वरस(रस) बालों में लगाने से काले हो जाते है।इसका तैल लगाने से बालों के अधिकतर रोग ठीक हो जाते है बाल घने व लम्बे हो जाते है।

बेर के पत्ते:-

बेर के पत्तों का पेस्ट बालों पर लगाने से बाल लम्बे और घने होते है इसका प्रयोग बहुत पहले से ही होता रहा है।

त्रिफला :- 

त्रिफला यानि तीन रसायन फल हरड,बहेड़ा, आंवला,तीनों का मिश्रण प्रयोग में लाया जाता है चूर्ण के रुप मे खाने के लिये,इसका क्वाथ (काढा)पीने व बालों मे लगाने के लिए तथा त्रिफले का तेल बनाकर बालों में लगाने के लिए प्रयोग में करते है इसे बालों का हर रोग दूर होता है।

मेथी:-

मेथी के दानों को रात मे पानी में भिगोकर रखते है तथा सवेरे इसके पानी से बालों को धोया जाता है या इसम अन्य औषधि मिलाकर पेस्ट बनाकर बालों में लगाते है इससे बालों मोटे और मजबूत हो जाते है।झडना बंद हो जाते है।

बालों के 4 दूश्मन



केमिकल शैम्पू:-

केमिकल शैम्पू से बाल कमजोर हो जाते है तथा गिरने शुरू हो जाते है ये शैम्पू सिर की त्वचा के लिऐ भी बहुत हानि पहुंचाते है।

बालों मे गंदगी:-

बालों मे गंदगी होने से सिर की त्वचा व बालों के रोग होने लगते है तथा बालों में डंड्रफ,खालित्य,पालित्य आदि रोग हो जाते है बालों मे गंदगी होना बालों के दूश्मन पालना है।

स्ट्रेस:-

स्ट्रेस,चिंता लेना आदि मानसिक रोगो मे भी गंजापन, बालों का झडना,बालों का सफेद होना उत्पन्न हो जाते है।आजकल फास्ट दौडती दुनिया मे हर कोई स्ट्रेस लिये घुम रहा है जिसके कारण अनेक रोग उत्पन्न हो रहे हैं।

जंकफूड:-

जंकफूड भी रोगो का सबसे बड़ा कारण बन गया है इसके चलते बालों की समस्या के साथ साथ हजारों रोग पनप जाते है आजकल नई जनरेशन के बच्चे जंकफूड, फास्टफूड के पागलपन के स्तर पर दिवाने है।

इसलिए प्रोब्लम आजकल अधिक विकराल रूप ले रही है। 

धन्यवाद!

मंगलवार, 8 नवंबर 2022

 आलू के गुण दोष क्या है? हिंदी में.



आलू एक सब्जी है।

आलू से अनेक खाने की सामग्री बनती है जैसे बड़ापाव, चाट, आलू भरी कचौड़ी, चिप्स, पापड़, फ्रेंचफ्राइस, समोसा, टिक्की, चोखा आदि। आलू को अन्य सब्जियों के साथ मिला कर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। उत्तर पूर्वी भारत में आलू का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है। आलू एक ऐसी सब्जी है जो लगभग हर हरी सब्जियों के साथ मिला कर स्वादिष्ट सब्जी बनाई जा सकती है।

#आलू के अनोखे गुण

 आलू भारत में ज़्यादातर लोगों की पसंदीदा सब्जी है। आलू में कुछ उपयोगी गुण भी हैं। 

- आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। इसके अलावा आलू में कई औषधीय गुण होने के साथ सौंदर्यवर्धक गुण भी है जैसे यदि त्वचा का कोई भाग जल जाता है उस पर कच्चा आलू का पेस्ट लगाते है। 

#आलू में कौन कौन से गुण होते हैं?



- आलू क्षारीय होता है, इसलिए यह शरीर में क्षारों की मात्रा बढ़ाने मे सहायक होता है। 

- यह शरीर में ऐसीडोसिस भी नहीं होने देता। 

- आलू में सोडा, पोटाश और विटामिन 'ए' तथा 'डी' भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। आलू का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व विटामिन सी है।

#आलू की तासीर कैसी होती है?



- आलू शीतल होता है. फिर भी इसका सेवन सर्दी और गर्मी दोनों में किया जा सकता है. यह शरीर को तत्काल बल देता है।

- आलू एक हाई ग्लिसेमिक खाद्य पदार्थ है। 

- इसका पाचन जल्दी होता है और ब्लड शुगर के बढ़ने का खतरा होता है। इसलिए मधुमेह के मरीजों को इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है। 

- आलू का अधिक सेवन भी डायरिया का एक कारण बन सकता है।

- आलू के अधिक प्रयोग से मोटापा बढ़ता है।

-फ्राईड किया हुआ आलू गैस बढाता है।

- यह वात रोगी के लिए हानिकारक हो सकता है।

अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

डा०वीरेंद्र मढान.

रविवार, 6 नवंबर 2022

दुध कौन पी सकता है कौन नही?किस रोग मे कैसे पी सकते है दुध?

 दुध कौन पी सकता है कौन नही?किस रोग मे कैसे पी सकते है दुध?



दुग्ध ज्ञान

By:- Dr.Virender Madhan.

प्रश्न :- कौन कौन रोगी किस प्रकार से दुध पी सकता है।

उत्तर:- ऋषि वाग्भट्ट ने अष्टांग संग्रह मे बताया है कि-

जिस रोगी को दुध सात्म्य है जिससे दुध पीने की आदत है वह रोगी दुध पीये।

-जिस रोगी का कफ क्षीण हो गया है।

-जो रोगी दाह -प्यास से पीडित हो - अथवा

-पित्त-वात से पीडित हो ऐसे रोगी को दुध पी चाहिए।

अतिसार मे भी दूध पथ्य है अर्थात पीने चाहिए।

-जिसने लंघन व उपवास बहुत किये हो रूक्षता हो उन्हें यह दुध जीवन देने वाला होता है।

- रोगी को रोगो के अनुसार औषधि द्रव्यों के साथ सिद्ध कर के दुध पिलाया जाता है।

प्रश्न:- दुध को सिद्ध करना किसे कहते है?

उत्तर :- श्लोक ४४-४५ मे संस्कृत दुध (सिध्द) का वर्णन है।

जब दुध मे सौठ ,खजुर, द्राक्षा(मुन्नका),शर्करा, धी,आदि को पकाया जाता है उस तैयार दुध को सिद्ध दूध कहते है।

#प्रश्न:-ज्वर हो तो किस प्रकार दूध दिया जाता है?

उत्तर:- दुध को उबालकर ठंडा करके मधु मिलाकर दुध ज्वर के रोगी को दे सकते है(गर्म मे नही) 

--द्राक्षा, बला, मुलहठी, सारिवा, पिपली, चंदन इन सबके साथ चारगुना पानी दुध मे मिलाकर पाते है सारा पानी उठने के बाद जो दुध तैयार होता है वह प्यास,दाह और ज्वरनाशक होता है।

इसमे पीते समय शर्करा, मधु आदि मिला कर पी सकते है।

-बिल्वादि पंचमूलसे सिद्ध दुध 

ज्वर, कास,श्वास, सिरशूल,पार्श्वशूल और दीर्धकालीन ज्वर ठीक हो जाता है।

- एरण्ड मूल, या कच्चे बेल से सिद्ध दुध शरीर में रुका हुआ मल तथा वातज्वर ठीक हो जाते है। प्यास, शुल, और प्रवाहिका वाले ज्वर से ठीक हो जाता है।

#अन्य सिद्ध दुध और रोग-

-सौठ,बला,कटेहरी, गोक्षुरु, गुड से सिद्ध दूध से - शोफ,मल-मूत्र और वायु के विबन्ध, ज्वर,एवं कास (खांसी)का नाश हो जाता है।

-पुनर्नवा से सिद्ध दुध से ज्वर, शोथ(Inflammation) नष्ट हो जाते है।

- शीशम काष्ठ से सिद्ध दुध से ज्वर ठीक हो जाता है।

इस प्रकार यह सब आयुर्वेदिक ग्रंथों में उपलब्ध है। 

अधिक जानकारी के लिये और किसी भी रोग मे सिद्ध दुध पीने से पहले एक बार किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

मेरे. अनुभव अनुसार आयुर्वेद में बताये गये ये सब प्रयोग फल दायक है।कोई भी सिद्ध दुध सब को समान प्रभाव नही करता है क्योंकि सब के दोष,आयु,रोगअवस्था,बल-अबल आदि से अलग-अलग होते है सिद्ध दुध या कोई भी औषधि देने से पहले दोष, प्रकृति, रोग स्थान आदि का विचार करके प्रयोग करना. चाहिए इसीलिए चिकित्सक की देखरेख जरूरी है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शनिवार, 5 नवंबर 2022

क्यूँ होता है कमर दर्द ? In hindi.

 क्यूँ होता है कमर दर्द ? In hindi.



#कमर दर्द की घरेलू व आयुर्वेदिक चिकित्सा क्या है?

By:- Dr.VirenderMadhan.

#कमर दर्द|back pain|kamar dard.

कारण:-

 तनाव के कारण मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। ऐसे में पीठ की मांसपेशियों के अकड़ने पर  कमर यानि पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होता है। 

- ज्यादा वजन उठाने के कारण भी कमर दर्द में शिकायत हो सकती है. 

- वातरोग- आर्थराइटिस या गठिया रोग है तो कमर में दर्द या सूजन से परेशान हो सकते है।

- अनिद्रा के कारण भी कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है.

- कई गंभीर बीमारियों से होने वाले दर्द के कारण पीठ मे दर्द अनुभव होता है, जैसे अपेंडिक्स, पित्त की पथरी और  हृदय रोग आदि मे.

#कमर दर्द के आयुर्वेदिक उपाय-

- एरण्ड पाक 10 ग्राम,सवेरे शाम दूध से लें।

- एरण्ड के बीज 5 ग्राम,200 ग्राम दूध मे उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

- सुरंजन सीरी,असगंध, सौठ,समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले. 3-3 ग्राम सवेरे शाम गर्म  पानी से लेने से आराम मिलता है।

- विधारा चूर्ण 6-6 ग्राम सवेरे शाम गुनगुने दूध से कमर दर्द दूर होता है।

- होलो,अजवाइन, कलौंजी, मेथी सब को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण करें। 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से कमर दर्द, जोडों का दर्द, सर्दी मे आराम हो जाता है।

- 24 ग्राम अखरोट को गिरी रोज खाने से कमर,पीठदर्द ठीक हो जाता है।

- तारपीन के तैल से मालिस करने से कमर दर्द में लाभ मिलता है।

- चोबचीनी को रात्रि में गर्म पानी में भिगोकर रखें सवेरे मसल कर, छानकर उसके पानी को पीने से दर्द में लाभ मिलता है।यह गठिया, वाय, ग्रधसी  मे मे कारगर है।

#कमर दर्द की आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियाँ:-

-योगराज गुग्गुल 2गोली,

त्रयोदशांग गुग्गुल 2गोली,

सवेरे शाम गुनगुने पानी से लेने से कमर मे शीध्र आराम मिलता है

-कैशोर गुग्गुल 2गोली,

गोक्षुरादि गुग्गुल 2 गोली सवेरे शाम गुनगुने पानी से लेने से दर्द ठीक हो जाता है।

दर्द वाले स्थान पर -

नारायण तैल,

महाविषगर्भ तैल,

या पंचगुणतैल की मालिस करनी चाहिए।

** किसी भी चिकित्सा को करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर करें,

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

बुधवार, 2 नवंबर 2022

कब्ज Constipation किसे कहते है?हिंदी में.

 #कब्ज Constipation किसे कहते है?हिंदी में.

What is called Constipation?In hindi.



#क्यों होता है कब्ज?

Why does constipation happen?

#मलावरोध होने से क्या नुकसान होता है?

What are the disadvantages of having constipation?

कब्ज|मलावरोध|Constipation|बद्धकोष्ठता

* कब्ज Constipation किसे कहते है?

कब्ज पाचन तंत्र की वह स्थिति हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में परेशानी होती है। मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, 

*क्यों होता है कब्ज?

(कब्ज होने के कारण )

- मैदे से बने एवं तले हुए  -मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन करना।

- समय पर भोजन ना करना।

- पानी कम पीना या तरल पदार्थों का सेवन कम करना।

- रात में देर से भोजन करना।

- अधिक मात्रा में चाय, कॉफी, तंबाकू या सिगरेट आदि का सेवन करना।

- देर रात तक जागने की आदत।

- भोजन में रेशेदार आहार की कमी होना।

* कब्ज के नुकसान — Side Effects of Constipation.

- पेट में भारीपन व जलन होना

- भूख न लगना

- उलटी होना

- छाती में जलन होना

- बवासीर, भगंदर, फिशर रोग होने की संभावना बढ़ जाना

- आंतों में जख्म व सूजन हो जाना

#कब्ज के आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय:-

- त्रिफला, काली हरड,सनाय, गुलाब के फुल, मुन्नका, बादाम गिरी, काला दाना, बनफशा, 

सभी 25-25 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें।रात्रि में सोते समय 6 ग्राम दवा गर्म दूध के साथ फांक लें।प्रातःकाल मे पेट साफ हो जाता है।कुछ दिनो तक लेने से कब्ज समूल नष्ट हो जाती है।

- प्रतिदिन 10-15 मुन्नका दूध मे उबालकर लेने से कब्ज ठीक हो जाती है।

-- एक काबली हरड (पीली हरड) रात्रि में पानी में भिगोकर रख दें प्रातः हरड को थोड़ा सा पानी मे घीसकर पी जाये (एक हरड 6-7 दिनों तक पर्याप्त होती है) इससे कब्ज दूर हो जाती है।इसका प्रयोग एक माह तक करना चाहिए।

-20 ग्राम केस्ट्रोल आईल मिश्री से मीठे दूध मे पीने से मलावरोध ठीक हो जाता है।

#कब्ज के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा?

- दशमूल क्वाथ,

- त्रिफला,

- वैश्वनार चूर्ण,

- पंचसकार चूर्ण,

- कब्जहर चूर्ण,

- हिंगु त्रिगुणा तेल,

- अभयारिष्ट और

- इच्छाभेदी रस शामिल हैं. 

*सावधानी:-

व्यक्ति की प्रकृति और कारण के आधार पर चिकित्सा पद्धति चुनी जाती है. उचित औषधि और रोग के निदान के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

मंगलवार, 1 नवंबर 2022

आयुर्वेदिक रसोन सुरा क्या है?In hindi.

 आयुर्वेदिक रसोन सुरा क्या है?In hindi.



रसोन सुरा एक वात रोगों की उत्तम औषधि है।

By:-Dr.VirenderMadhan.

आयुर्वेद में लहसुन को रसोन कहते है यह एक रसायन होता है।इसकी सुरा बनाकर रोगी के लिऐ बहुत तेज औषधि का काम करती है। आयुर्वेद के अनुसार बनाई गई सुरा मे सेल्फ जरनेटीड ऐल्कोहल बनती है जो मात्रा के अनुसार देने से शरीर को किसी प्रकार की हानि नही होती है।

#भैषज्य रत्नावली के अनुसार रसोन सूरा बनाने की विधि:-

सामग्री व विधि:-

2- 5 लिटर बक्कल नामक सूरा,

2- निस्तुष लहसुन-2500 ग्राम,

3- पीपल- 12ग्राम,

4-पीपलामूल- 12ग्राम,

5- जीरा- 12ग्राम,

6- कूठ- 12ग्राम,

7- चित्रक- 12ग्राम,

8- सौठ- 12ग्राम,

9- मरिच- 12ग्राम,

10 - चव्य - 12ग्राम,

इन सब को कुट पीसकर लहसुन, सुरा सहित एक बडे बर्तन कांच या चीनीमिट्टी के बर्तन में भर लें।बर्तन का मुंह अच्छी तरह से बन्द कर लें।इस बर्तन को 10- 15 दिन रख दे देते है ।बाद मे कपडे से छानकर किसी सुरक्षित कांच के बर्तन मे रख ले।

रोगी को 10-10 मि०ली० खाने के खाने के बाद बराबर पानी मिलाकर सवेरे शाम दे दे।

उपयोग:- 

रसोन सूरा-वातरोग, आमवात, कृमि, क्षय, अनाह, गुल्मरोग, अर्श, प्लीहारोग, 

प्रमेह, और पाण्डू रोगो को नष्ट कर देता है।यह अग्निबर्द्धक है।

मात्रा:- 10-10 मि०ली०,

अनुपान:-जल से

गंध:- मधगंधी

स्वाद:-तीक्ष्ण,

उपयोग:- आमवात, समस्त वातरोग।

ग्रंथ:- भैषज्य रत्नावली।

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरु आयुर्वेद फरीदाबाद,