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रविवार, 20 नवंबर 2022

#हरड किसे कहते है कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

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#हरड किसे कहते है कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

हरड;-



हरीतिकी, पथ्या, विजया,शिवा,अभया आदि नाम से जानी जाती है।

ऋषि वांग्भट्ट ने अष्टांग संग्रह में बताया है कि

- सब रोगों का हरण करने वाली जडी को हरीतकी करते है।सब धातुओ के लिऐ पथ्य होने से “पथ्या" कहते है।

- जो सम्पूर्ण रोगों पर विजय पा जाती है उसे “विजया" कहते हैं।

- सबके लिऐ कल्याण कारक है इस लिए हरड को “शिवा” नाम दिया है।

- सभी रोगो से अभय करने वाली होने से “अभया” कहलाती है।

इसके लगातार सेवन करने से स्थिर होती है इसलिए भी यह अभया है।

उत्तम हरड के लक्षण:-

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जो नई,गोल,मोटी, चिकनी हो,भारी, पानी में डुबती हो,वह उत्तम है।

#हरड का अनुपान प्रयोग?

बालक को हरड मक्खन के साथ देनी चाहिए।

- वायु रोग मे धी व लवण के साथ;

- पित्तज रोगों में गुड और शर्करा के साथ;

- कफज रोगों में पिपली व मधु के साथ देनी चाहिए।


हिमालय पर्वत पर समय से उत्पन्न,रस-वीर्य से पुर्ण, रोगरहित हरडों को लेकर दो या तीन टुकड़े करके गुठली निकाल देवे फिर हरडों को 4 गुणा दूध मे पकावें। जब हरड नर्म हो जाये तब उतार कर ठंडा कर लेवे।इनमें धी एक आढक मधु एक आढक मिलाकर सुरक्षित रख लेवे।

तीन दिन के बाद इनका प्रयोग करना शुरु कर दें .हरड इतना ही ले जिससे भुख न रूक जाये।यह प्रति दिन खाये जब तक हरड खायें तब तक भात दूध ही लेवे।

इसके सेवन से बुढापे रहीत,झुर्रियां, गंज, श्वेत बाल,रोगरहित हो कर सौ साल की आयु प्राप्त करता है; श्रुति(श्रवण शक्ति)और स्मृति बनी रहती है ;अग्नि भी बनी रहती है।

इस प्रयोग के खाने से पुरुष का शरीर वृहत पर्वत के समान दृड  हो जाता है।

[पुरूष के रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र सत्व, आठ सार पुष्ट हो जाते है।स्वर बादलों की तरह गडगडाहट के समान गम्भीर हो जाता है।संतान दृड व प्रभुत होती है।

हरीतकी के शास्त्रीय योग;

ब्राह्मरसायन

हरीतिकी रसायन


#हरड़ कब खानी चाहिए?

खाना खाने के पहले इसके चूर्ण का सेवन करने से भूख खुल कर लगती है। 

- सौंठ, गुड़ या सेंधा नमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।

 -हिचकी में हरड़ पाउडर व अंजीर के पाउडर को गुनगुने पानी के साथ लें, लाभ होगा। -हरड़ के दो या तीन मुरब्बे का सेवन करने से सुबह कब्ज की शिकायत नहीं रहती।

#हरड़ खाने से क्या लाभ होता है?

प्रतिदिन हरड़ का सेवन आपके पाचन तंत्र ठीक हो जाता है। इसे गैस, अपच और कब्ज जैसी पेट की कई समस्याओं में लाभदायक माना गया है। एक कप गर्म पानी में 2-3 ग्राम हरड़ का सेवन आपको पाचन संबंधी परेशानियों में आराम दिलाता  है। 

- हरड़ का सेवन उल्टी में भी राहत दिला सकता है।


#हरड़ की तासीर क्या होती है?

– हरड़ की तासीर गर्म होती है। इसलिए बहुत अधिक तेज गर्मी के मौसम यानी मई और जून में बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन ना करें। यदि आपको खून से संबंधित कोई बीमारी है, शरीर में सूखापन है तब भी बिना चिकित्सक की सलाह के इसे ना लें। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।



#छोटी हरड़ और बड़ी हरड़ में क्या अंतर है?

1 एक हरड आकार मे छोटी तथा एक बडी व पीले रंंग की होती है।

2 पीली हरड़:- बड़ी हरड़ पीले रंग की, डेढ़ इंच लंबी तथा आधा इंच चौड़ी होती है तथा इस पर पांच रेखाएं होती हैं। 

3. छोटी हरड़:- छोटी हरड़ बिना पका फल होती है। छोटी हरड़ के लिए फल में गुठली बनने से पहले तोड़ लिया जाता है और उसे मिट्टी से ढक दिया जाता है।

Dr.Virender Madhan.

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