Guru Ayurveda

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

कांचनार–(Bauhinia Variegats)का परिचय और उपयोग।हिंदी में.

 #गांठों का ईलाज#घरेलू औषधि #मेद नाशक 

कांचनार–(Bauhinia Variegats)का परिचय और उपयोग।हिंदी में.



By Dr.VirenderMadhan.

नाम–कांचनार, गण्डारि,शोणपुष्पक ये श्वेत कांचनार के नाम है।

रक्त कांचनार के नाम :- कोविदार, चमरिक,कद्दाल,कुंडली,ताम्रपुष्प,

कांचनार के गुण:-

शीतल,ग्राही, कषैला और कफ-पित,कृमि, कोढ,गुदभ्रंश,गण्डमाला, और व्रण को नष्ट कर ने वाला है।

गुण;-रूक्ष,लघु,

रस;-कषाय,

विपाक;- कटु,

वीर्य;-शीत,

प्रभाव;-गण्डमाला नाशक,गांठ नाशक,

बाह्य प्रयोग:-

यह व्रणशोधन,व्रणरोपण,कुष्ठध्न, शोथहर है।

आभ्यंतर:-

यह कफ-पितज रोगों मे प्रयोग होता है।गण्डमाला या गांठों पर लेप करने के काम आता है।

पाचनतंत्र–

यह कषाय होने से स्तम्भन और कृमिनाशक है यदि बडी मात्रा मे लें तो यह वामक (उल्टी कराने वाला है)

यह अतिसार, प्रवाहिका, गुदभ्रंश मे काम आता है।

इसका प्रयोग कृमिनाशक के रूप मे करते है तथा इसक फुलों के गुलकन्द बनाकर विबन्ध(कब्ज) मे उपयोग करते है।

गुदभ्रंश मे इसके क्वाथ से धोते है।

रक्तवह संस्थान:-

रक्तस्तम्थन है ।इसका प्रयोग रक्तपित्त मे करते है। विषेशकर लसिका ग्रन्थियों पर कार्य करता है।।सुजन को दूर करता है।



श्वसनसंस्थान :-

यह कासहर(खाँसी)है

मूत्रवहसंस्थान;-

यह मूत्र संग्रहणीय है यानि मूत्रसंग्रह करता है।इस लिऐ इसका प्रयोग प्रमेह रोगों में करते है।

प्रजननसंस्थान;-

यह आर्तवस्राव को कम करता है।इसलिए इसे रक्तप्रदर मे देते है।

त्वचा;-

यह कुष्ठध्न है।

कांचनार रूक्ष होने से  लेखन कार्य करता है।शरीर की मेद को कम करने मे सहायक होता है।

औषधार्थ अंग:- 



–मूलत्वक,पत्र,पुष्प,का प्रयोग होता है।

मात्रा:-

मूलत्वक 1 से 4 ग्राम, पुष्प;2-6 ग्राम,

कांचनार का क्वाथ ;- 20-30 मि०ली०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें