Guru Ayurveda

रविवार, 6 नवंबर 2022

दुध कौन पी सकता है कौन नही?किस रोग मे कैसे पी सकते है दुध?

 दुध कौन पी सकता है कौन नही?किस रोग मे कैसे पी सकते है दुध?



दुग्ध ज्ञान

By:- Dr.Virender Madhan.

प्रश्न :- कौन कौन रोगी किस प्रकार से दुध पी सकता है।

उत्तर:- ऋषि वाग्भट्ट ने अष्टांग संग्रह मे बताया है कि-

जिस रोगी को दुध सात्म्य है जिससे दुध पीने की आदत है वह रोगी दुध पीये।

-जिस रोगी का कफ क्षीण हो गया है।

-जो रोगी दाह -प्यास से पीडित हो - अथवा

-पित्त-वात से पीडित हो ऐसे रोगी को दुध पी चाहिए।

अतिसार मे भी दूध पथ्य है अर्थात पीने चाहिए।

-जिसने लंघन व उपवास बहुत किये हो रूक्षता हो उन्हें यह दुध जीवन देने वाला होता है।

- रोगी को रोगो के अनुसार औषधि द्रव्यों के साथ सिद्ध कर के दुध पिलाया जाता है।

प्रश्न:- दुध को सिद्ध करना किसे कहते है?

उत्तर :- श्लोक ४४-४५ मे संस्कृत दुध (सिध्द) का वर्णन है।

जब दुध मे सौठ ,खजुर, द्राक्षा(मुन्नका),शर्करा, धी,आदि को पकाया जाता है उस तैयार दुध को सिद्ध दूध कहते है।

#प्रश्न:-ज्वर हो तो किस प्रकार दूध दिया जाता है?

उत्तर:- दुध को उबालकर ठंडा करके मधु मिलाकर दुध ज्वर के रोगी को दे सकते है(गर्म मे नही) 

--द्राक्षा, बला, मुलहठी, सारिवा, पिपली, चंदन इन सबके साथ चारगुना पानी दुध मे मिलाकर पाते है सारा पानी उठने के बाद जो दुध तैयार होता है वह प्यास,दाह और ज्वरनाशक होता है।

इसमे पीते समय शर्करा, मधु आदि मिला कर पी सकते है।

-बिल्वादि पंचमूलसे सिद्ध दुध 

ज्वर, कास,श्वास, सिरशूल,पार्श्वशूल और दीर्धकालीन ज्वर ठीक हो जाता है।

- एरण्ड मूल, या कच्चे बेल से सिद्ध दुध शरीर में रुका हुआ मल तथा वातज्वर ठीक हो जाते है। प्यास, शुल, और प्रवाहिका वाले ज्वर से ठीक हो जाता है।

#अन्य सिद्ध दुध और रोग-

-सौठ,बला,कटेहरी, गोक्षुरु, गुड से सिद्ध दूध से - शोफ,मल-मूत्र और वायु के विबन्ध, ज्वर,एवं कास (खांसी)का नाश हो जाता है।

-पुनर्नवा से सिद्ध दुध से ज्वर, शोथ(Inflammation) नष्ट हो जाते है।

- शीशम काष्ठ से सिद्ध दुध से ज्वर ठीक हो जाता है।

इस प्रकार यह सब आयुर्वेदिक ग्रंथों में उपलब्ध है। 

अधिक जानकारी के लिये और किसी भी रोग मे सिद्ध दुध पीने से पहले एक बार किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

मेरे. अनुभव अनुसार आयुर्वेद में बताये गये ये सब प्रयोग फल दायक है।कोई भी सिद्ध दुध सब को समान प्रभाव नही करता है क्योंकि सब के दोष,आयु,रोगअवस्था,बल-अबल आदि से अलग-अलग होते है सिद्ध दुध या कोई भी औषधि देने से पहले दोष, प्रकृति, रोग स्थान आदि का विचार करके प्रयोग करना. चाहिए इसीलिए चिकित्सक की देखरेख जरूरी है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें