Health and fitness यह ब्लॉग आयुर्वेदिक ज्ञान , औषधियों और जडी-बूटी की पूरी जानकारी के बारे में है ।
Guru Ayurveda
गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021
Dussehra दशहरा और आयुर्वेद ।
मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021
डेंगू { Dengue }का वार,फिर क्या करें उपचार?
जाने:-
#{Dengue}डेंगू क्या होता है?
<< डेंगू के क्या क्या लक्षण होते है?
>> डेंगू कितने दिनोंं तक रहता है?
<< डेंगू फिवर होने पर क्या खायेंं?
>>डेंगू फिवर मे क्या न खायें?
#डेंगू फिवर हो तो क्या करें उपाय?
_Dngue डेंगू कीआयुर्वेदिक चिकित्सा?
#डेंगू मे उल्टी होने पर क्या करें?
*डेंगू की गम्भीर अवस्था कब होती है?
#क्या होता है डेंगू { Dengue} फिवर ?
#What is Dengue fever ?
#डेंगू फिवर-दण्डक ज्वर के क्या क्या लक्षण होते है?
#What is sing - symptoms of dengue fever?
#डेंगू कितने दिनों तक रहता है?
[देखने मे आया है कि डेंगू ज्वर ठीक होने के बाद कमजोरी और जोड दर्द छोड जाता है जो एलोपैथीक मडिसिन से कभी ठीक नही होता रोगी को आयुर्वेद की शरण मे आना पडता है]
#Dengue डेंगू होने पर क्या खायें?
<< Dengue फिवर मे क्या न खायेंं?
#डेंगू फिवर हो तो क्या करें उपाय?
#Dengue डेंगू की आयुर्वेदिक औषधियों कौन सी हैं?
* पिप्पलासव
सावधान!
#डेंगू मे उल्टी रोकने के लिए क्या करें?
#डेंगू की गम्भीर अवस्था कैसे जाने?
रविवार, 10 अक्टूबर 2021
११ तरह के पौधे नवरात्रों में लगाने से कैसे बरसती है लक्ष्मी ?
#११तरह के पौधे नवरात्रों में लगाने से कैसे बरसती है लक्ष्मी?
<<{आयुर्वेद ने कहा है इन पौधों को अतिशुभ और उपयोगी।}>>
#कौन कौन से पौधे नवरात्रों पर लगायें ?
#इन पवित्र पौधों के क्या क्या लाभ है।
#क्या इन पवित्र पौधों की खेती कर के लाभ बढेगा?
ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे अधिकतर बडे बडे उत्सव ऋतुओं की सन्धिकाल मे स्थित किये गए है।
पवित्र पेड पौधों के नाम जो नवरात्रों में लोगों को अपने घरों व बगीचे मे लाना चाहिए
१-तुलसी -
२-केला:-
३-शंखपुष्पी
४-हारसिंगार:-
५-मोरपंखी
६-नारियल का पेड
७-अश्वगंधा :-
८-रजनीगंधा
व अनार
१०- गुडहल
११-वेलपत्थर -वेल शिवप्रिय है शिव पुजा मे बिना बेलपत्त या वेलफल के पुजा अधूरी मानी जाते है।
डा०वीरेंद्र मढान।
मंगलवार, 5 अक्टूबर 2021
नवरात्रों का आयुर्वेद से सम्बंध उपवास के लाभ और हानि।
[आयुर्वेद और नवरात्रे ।]
#नवरात्रों का आयुर्वेद से सम्बंध।
<अगर आप रखते है उपवास तो ध्यान दें ।>
#लाभ क्या और हानि क्या है?
[इन नवरात्रों मे क्या खाये क्या न खाये?]
#आयुर्वेद का दृष्टिकोण क्या है ?
इस बार नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से हो रही है. सर्वपितृ अमावस्या के साथ 6 अक्टूबर को श्राद्ध समाप्त हो रहे हैं. इसके अगले दिन यानि 7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से नवरात्रि प्रारंभ हो जाएंगे।
नवरात्रि और आयुर्वेद में गहरा संबंध, मां दुर्गा का स्वरूप है ये 9 औषधियां
*संदिग्ध आने वाले कोरोना वायरस के बुरे दौर से बचने के लिए लोगों को मास्क पहनना, हाथों को सेनैटाइज करना और इम्यूनिटी बढ़ाने जैसी मुख्य हिदायतें दी जा रही हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बताएंगे, जिसमें नवदुर्गा के 9 रुप विराजते हैं। नवदुर्गा यानि मां दुर्गा के नौ रूप मानी जाने वाली ये 9 औषधियां अपने भोज्य पदार्थों में लेने से ना सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ेगी बल्कि शरीर को कैंसर जैसी कई बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलेगी।
* इन औषधि को मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति और ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया है।
ये कई रोगों के प्रति एक कवच का काम करती हैं, इसलिए इन्हें दुर्गाकवच कहा जाता है।
दिव्य औषधियों -
1. देवी शैलपुत्री - हरड़
हिमावती औषधि हरड़ या हरीतकी देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं।
- जो सात प्रकार की होती है। इससे पेट संबंधी समस्याएं नहीं होती और ये अल्सर में काफी फायदेमंद है। इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए सर्दियों में इसका सेवन कई रोगों से बचाने में मदद करता है।
2. देवी ब्रह्मचारिणी - ब्राह्मी
नवदुर्गा का दूसरा रूप है।
ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ब्राह्मी औषधी याददाश्त बढ़ाने में मदद करती है। ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। ब्राह्मी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। वहीं, इसका नियमित सेवन पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।
3. देवी चंद्रघंटा - चन्दुसूर
चन्दुसूर या चमसूर धनिए के समान दिखने वाला ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियां सब्जी बनाने के लिए प्रयोग होती है। नियमित इसका सेवन मोटापा कम करने के साथ इम्यूनिटी बढ़ाता है। साथ ही यह पौधा स्मरण शक्ति बढ़ाने, दिल को स्वस्थ रखने में भी मददगार है।
4. देवी कुष्माण्डा - पेठा
पेठा को कुम्हड़ा भी कहते हैं इसलिए इसे नवदुर्गा का चौथा रूप माना जाता है।
- यह औषधि शरीर में सभी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के साथ रक्तपित्त, रक्त विकार को दूर करती है। पेट के लिए भी यह औषधि किसी रामबाण से कम नहीं है। रोजाना इसका सेवन मानसिक, दिल की बीमारियों से भी बचाता है।
5. देवी स्कंदमाता - अलसी
नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता है जिन्हें पार्वती या देवी उमा भी कहा जाता है।
यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होता है। अलसी का सेवन कैंसर, डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम का खतरा घटाती है।
-आयरन, प्रोटीन और विटामिन-B6से भरपूर अलसी एनीमिया, जोड़ों के दर्द, तनाव, मोटापा घटाने में भी फायदेमंद है।
6. षष्ठम कात्यायनी - मोइया
नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है, जिन्हें मोइया या माचिका भी कहा जाता हैं।
यह औषधि कफ, पित्त की समस्याओं को दूर रखती है। इसके अलावा यह औषधि कैंसर का खतरा भी घटाती है।
7. देवी कालरात्रि - नागदोन
दुर्गा के सांतवे रूप कालरात्रि को नागदोन औषधि के रूप में जाना जाता है। इससे ब्रेन पावर बढ़ती है और तनाव, डिप्रेशन, ट्यूमर, अल्जाइमर जैसी समस्याएं दूर रहती हैं। वहीं, इसकी 2-3 पत्तियां काली मिर्च के साथ सुबह खाली पेट लेने से पाइल्स में फायदा मिलता है। साथ ही इसके पत्तों से सिंकाई करने पर फोड़े-फुंसी की समस्या भी दूर होती है।
8. देवी महागौरी - तुलसी
नवदुर्गा का आंठवा रूप महागौरी को औषधि नाम तुलसी के रूप में भी जाना जाता है।
- घर में तुलसी लगाना शुभ माना जाता है।सेहत के लिए भी यह रामबाण औषधी है। तुलसी का काढ़ा या चाय रोजाना पीने से खून साफ होता है। साथ ही इससे दिल के रोगों का खतरा भी कम होता है। इससे कैंसर का खतरा भी कम होता है।
9. देवी सिद्धिदात्री - शतावरी
नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री जिसे शतावरी भी कहा जाता है।
शतावर स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए बेहतरीन औषधि है। यह रक्त विकार को दूर करने में मदद करती है। वहीं रोजाना इसका सेवन करने से शरीर में कैंसर कोशिकाएं नहीं पनपती। शतावर में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लामेट्री और घुलनशील फाइबर होता है, जो पेट को दुरुस्त रखने के साथ कई रोगों से बचाने में मददगार है।
** इस कारण इस नवरात्र का सर्वाधिक महत्त्व है।
> अपने भीतर की ऊर्जा जगाना ही देवी उपासना का मुख्य प्रयोजन है। दुर्गा पूजा और नवरात्र मानसिक-शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं।
-इस कारण इस नवरात्र का सर्वाधिक महत्त्व है
- नवरात्र व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय।
-इन दिनों में शरीर दबे हुए रोगों को निकालने का प्रयास करता है।
इसीलिए इन दिनों रोग बढ़ जाते हैं। आयुर्वेद इस अवसर को शरीर शोधन के लिए विशेष उपयोगी मानता है।
- नौ दिन का व्रत-उपवास प्राकृतिक उपचार के समतुल्य माना जा सकता है। इसमें प्रायश्चित के निष्कासन और पवित्रता की अवधारणा दोनों भाव हैं।
नवरात्र के समय प्रकृति में एक विशिष्ट ऊर्जा होती है, जिसको आत्मसात कर लेने पर व्यक्ति का कायाकल्प हो जाता है। व्रत में हम कई चीजों से परहेज करते हैं और कई वस्तुओं को अपनाते हैं। आयुर्वेद की धारणा है कि पाचन क्रिया की खराबी से ही शारीरिक रोग होते हैं। क्योंकि हमारे खाने के साथ जहरीले तत्व भी हमारे शरीर में जाते हैं। आयुर्वेद में माना गया है कि व्रत से पाचन प्रणाली ठीक होती है। व्रत उपवास का प्रयोजन भी यह है कि हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर अपने मन-मस्तिष्क को केेंद्रित कर सकेें।
- मनोविज्ञान यह भी कहता है कि कोई भी व्यक्ति व्रत-उपवास एक शुद्ध भावना के साथ रखता है। उस समय हमारी सोच सकारात्मक रहती है, जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है, जिससे हम अपने भीतर नई ऊर्जा महसूस करते हैं।
<< उपवास के फायदे?
व्रत या उपवास भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। यह धर्म से तो जुड़ा ही है, सेहत के लिए भी बहुत कारगर है।
< जितने भी हमारे उत्सव, त्यौहार है कहीं न कहीं इन सबका सम्बंध हमारी मानसिक, शारिरीक खुशियों व स्वास्थ्य से सम्बंध होता है।
#नवरात्र उपवास के लाभ ?
* उपवास से पाचन तंत्र को फायदा पहुंचता और इससे वजन घटाया जा सकता है। इससे शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
* जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है, उनके लिए उपवास फायदेमंद हो सकता है। साथ ही यह हार्ट को स्वस्थ्य रहता है।
* शरीर में संतुष्टि का भाव जगाता और व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है।
* उपवास शरीर के सिस्टम को साफ करता है।
* स्वास्थ्य बेहतर होता है।
* नींद का चक्र सुधरता है।*पाचन तंत्र को थोड़ा आराम मिलने से शारिरिक प्रणालियां संतुलित हो जाती हैं।
* मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है
>> उपवास कब और कैसे रखें
वैसे उपवास कभी भी रखा जा सकता है, लेकिन यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो इससे बचना चाहिए।
- उपवास के दौरान लोग तरह-तरह की चीजें खाते हैं या खाली पेट बहुत अधिक चाय पीते हैं। इससे फायदा होने के बजाए नुकसान हो सकता है।
- उपवास में सबकुछ खाना छोड़ सकते हैं या कुछ खाद्य पदार्थ छोड़ सकते हैं। उपवास एक दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक का हो सकता है। उद्देश्य के अनुसार उपवास कई तरह के हो सकते हैं जैसे
- कुछ लोग केवल पानी का सेवन करते हैं, कुछ पानी के साथ जूस और चाय का सेवन करते हैं।
परंतु जो उपवास रखा जाता है, उसमें लोग अन्न व मांसाहार से दूर रहते हैं। धार्मिक आस्था और मान्यताओं को ध्यान में रखकर किए जाने वाले उपवास में खाने-पीने की कुछ चीजें चलती हैं, कुछ नहीं।
<<उपवास के दौरान क्या खाएं?>>
-अगर उपवास का अर्थ पूरे समय भूखा रहना नहीं है तो उपवास के दौरान कुछ खास तरह की चीजें खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। जैसे शकरकंद खाने से शरीर को विटामिन सी और पोटेशियम मिलता है।
सेब -उपवास के दौरान खाया जाने वाला बेहतरीन फल है। इससे न केवल वजन कम होता है बल्कि पेट भी भरा-भरा महसूस करता है।
- इसी तरह दूध का सेवन करने से शरीर को कैल्शियम मिलता है और हड्डियां मजबूत होती हैं।
-व्रत में अखरोट भी खाया जाता है। अन्य ड्राइ फ्रूट्स की तरह यह कैलोरी से भरपूर होता है।
-एक कप स्ट्राबेरी में 50 कैलोरी और तीन ग्राम फाइबर होता है। उपवास में इसका सेवन फायदेमंद है।
- उपवास में टमाटर का जूस कैंसर से बचाव करता है।
- सलाद खाना भी फायदेमंद है।
[व्रत में होने वाले नुकसान से बचें]
उपवास के दौरान सबसे बड़ा खतरा शरीर में पानी की कमी का होता है।
- कई लोग व्रत के दौरान सिर दर्द का अनुभव करते हैं।
- कुछ को सीने में जलन और कब्ज की शिकायत होती है।
-डायबिटीज के मरीजों को उपवास नहीं करना चाहिए।
- जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, उन्हें भी सावधान रहना चाहिए।
- नवरात्रि में कुछ लोग 9 दिनों तक उपवास (Fasting) रखते हैं लेकिन कई दिनों तक लगातर उपवास रखने के कई दीर्घकालिक हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।
-इम्यून सिस्टम को सबसे बड़ा नुकसान होता है।
- जिगर और गुर्दे सहित शरीर के कई अंगों पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पडता है।
- कई लोग उपवास के दौरान पूरे दिन भूखे रहते हैं, जिसका सेहत पर बुरा असर हो सकता है।
- व्रत के दौरान खानपान का जो तरीका अपनाया जाता है, वह सेहत के लिहाज से कहीं से भी फायदेमंद नहीं होता क्योंकि व्रत में हम ज्य़ादातर हाई कैलरी वाली चीजों का सेवन करते हैं इसलिए अगर लगातार लंबे समय तक व्रत रखा जाए तो यह सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है. उपवास महत्वपूर्ण शारीरिक कार्य में रुकावट पैदा कर सकता है।
- खाने से परहेज उन लोगों में भी खतरनाक हो सकता है जो पहले से कुपोषित हैं।
- उपवास के कई तरीके हैं,
* सूखा उपवास (या सभी तरल पदार्थ और भोजन के सेवन न करना )
- विशेष रूप से खतरनाक है. शुष्क उपवास (जल्दी से निर्जलीकरण को जन्म दे सकता है)
- गर्मी, शारीरिक काम जैसे कारक कुछ ही घंटों में शुष्क उपवास को घातक बना सकते हैं।
अन्य:-
[उपवास करने के 5 नुकसान |]
1. चिड़चिड़ापन:-
2. कमजोरी या चक्कर आना।
3. घबराहट
4. ज्यादा भूख लगना
5. मोटापा बढ़ सकता है
उनसे ओवर ईटिंग हो ही जाती है. ऐसे में अंत:स्रावी ग्रंथियों से इंसुलिन का अधिक मात्रा में सिक्रीशन होता है.
<उपवास में क्या करें क्या न करें ?>
1. उपवास वाले दिन हल्का भोजन लें।उपवास के बाद एक बार में अधिक या भारी भोजन लेने से पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है।
2. व्रत के दौरान अत्यधिक शारीरिक मेहनत से बचें। इससे आपकी कैलोरी जल्दी खर्च होती है और भूख भी तेजी से लगती है।
3. अगर आप उपवास वाले दिन स्ट्रेस में रहते हैं, तो यह आपका ब्लड प्रेशर गड़बड़ कर सकता है। ऐसे में उपवास वाले दिन मन को शांत रखें.
4. व्रत वाले दिन ऑयली फूड का सेवन न करें। उपवास का असली फायदा फलाहार में ही है. हेल्दी चीजों का सेवन कर ही एनर्जी लें।
5. उपवास वाले दिन जल्दी पचने वाली चीजों का सेवन करें।
अन्य:-
* फलाहार नहीं करना चाहते हैं, तो आप फलों का जूस भी ले सकते हैं.
* अगर आप फलों या जूस का सेवन नहीं करना चाहते तो आंशिक उपवास में 2 से 3 घंटे में एक गिलास पानी में नींबू और एक चम्मच शहद डालकर इसका सेवन कर सकते हैं।
* उपवास वाले दिन ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं. क्योंकि यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखता है.
* उपवास में आप साबूदाने की जगह मोरधन, कूट्टू के आटे या राजगिरे की बनी चीजें या फिर आलू या शकरकंद से बने व्यंजन हेल्दी उपवास का ऑप्शन हैं।
* अगर आप उपवास कर रहे हैं और इस दौरान सिर्फ फल पर ही निर्भर हैं, तो आप हर तीन घंटे में कोई फल खा सकते हैं.
उम्मीद करता हूँ लेख आपको पसन्द आया होगा ।
कैसा लगा टिप्पणी (कोमेंट ) मे जरुर जरुर लिखे इसे हमें ओर प्ररेणा मिलेगी।
डा०वीरेंद्र मढान।
आयुर्वेद क्या है?
>आयुर्वेद चिकित्सा>देशी ईलाज>घरेलु उपाय>आयुर्वेदिक ज्ञान।
#आयुर्वेद क्या है?
आयु+विज्ञान
आयु ( जीवन ) का विज्ञान=[आयुर्वेद]
* यह चिकित्सा विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। 'आयुर्वेद' नाम का अर्थ है, 'जीवन से सम्बन्धित ज्ञान'। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।
आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है जिसमें औषधियों और दर्शन दोनों का अद्भुत मिश्रण है। इसके 5000 से अधिक पुराने इतिहास में, इसने लोगों की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में बहुत योगदान दिया है।
- आयुर्वेद डॉक्टर सदियों से आयुर्वेद की प्रैक्टिस करते आ रहे हैं, चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान करते आ रहे हैं और लगभग हर बीमारी का सफलतापूर्वक इलाज किया है। केरल में सफल आयुर्वेद समुदाय है जो दुनिया भर के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा करते आ रहा है।
- आयुर्वेद
ऐसी ही एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसका शब्दिक अर्थ है जीवन का विज्ञान और यह मनुष्य के समग्रतावादी ज्ञान पर आधारित है। दुसरे, शब्दों में, यह पद्धति अपने आपको केवल मानवीय शरीर के उपचार तक ही सीमित रखने की बजाय, शरीर मन, आत्मा व मनुष्य के परिवेश पर भी निगाह रखती है।
> आयुर्वेद संहिता को कितने भागों में विभक्त किया गया है?
* आयुर्वेद को आठ भागों (अष्टांग आयुर्वेद) में विभक्त किया गया है
ये आठ अंग ये हैं-
-कायचिकित्सा,
- शल्यतन्त्र,
-शालक्यतन्त्र,
-कौमारभृत्य,
-अगदतन्त्र,
- भूतविद्या,
-रसायनतन्त्र और
-वाजीकरण।
१- { कायचिकित्सा} (Internal medicine)
इसमें सामान्य रूप से औषधिप्रयोग द्वारा काय की चिकित्सा की जाती है। प्रधानत:
- ज्वर, रक्तपित्त, शोष, उन्माद, अपस्मार, कुष्ठ, प्रमेह, अतिसार आदि रोगों की चिकित्सा इसके अंतर्गत आती है।
"कायचिकित्सानाम सर्वांगसंश्रितानांव्याधीनां ज्वररक्तपित्त-
शोषोन्मादापस्मारकुष्ठमेहातिसारादीनामुपशमनार्थम्। (सुश्रुत संहिता १.३)”
२- {शल्यतंत्र } (Surgery)
शल्यतंत्र अनेक प्रकार के शल्यों को निकालने की विधि एवं अग्नि, क्षार, यंत्र, शस्त्र आदि के प्रयोग द्वारा की गई चिकित्सा को शल्य चिकित्सा कहते हैं। किसी व्रण में से तृण के हिस्से, लकड़ी के टुकड़े, पत्थर के टुकड़े, धूल, लोहे के खंड, हड्डी, बाल, नाखून, शल्य, अशुद्ध रक्त, पूय, मृतभ्रूण आदि को निकालना तथा यंत्रों एवं शस्त्रों के प्रयोग एवं व्रणों के निदान, तथा उसकी चिकित्सा आदि का समावेश शल्ययंत्र मे किया गया है।
"शल्यंनाम विविधतृणकाष्ठपाषाणपांशुलोहलोष्ठस्थिवालनखपूयास्रावद्रष्ट्व्राणां-तर्गर्भशल्योद्वरणार्थ यंत्रशस्त्रक्षाराग्निप्रणिधान्व्राण विनिश्चयार्थच। (सु.सू. १.१)।”
३- {शालाक्यतंत्र } E.N.T.
शालाक्य
गले के ऊपर के अंगों की चिकित्सा में अधिकतर 'शलाका' सदृश यंत्रों एवं शस्त्रों का प्रयोग होने से इसे शालाक्यतंत्र कहते हैं। इसके अंतर्गत प्रधानतः मुख, नासिका, नेत्र, कर्ण आदि अंगों में उत्पन्न व्याधियों की चिकित्सा आती है।
"शालाक्यं नामऊर्ध्वजन्तुगतानां श्रवण नयन वदन घ्राणादि संश्रितानां व्याधीनामुपशमनार्थम्। (सु.सू. १.२)।”
४- कौमारभृत्य [ Paediatrics ]
कौमारभृत्य -बच्चों, स्त्रियों विशेषतः गर्भिणी स्त्रियों और स्त्रीरोग के साथ गर्भविज्ञान का वर्णन इस तंत्र में है।
"कौमारभृत्यं नाम कुमारभरण धात्रीक्षीरदोषश् संशोधनार्थं
दुष्टस्तन्यग्रहसमुत्थानां च व्याधीनामुपशमनार्थम्॥ (सु.सू. १.५)।"
५- अगदतंत्र [Toxicology]
अगदतंत्र- इसमें विभिन्न स्थावर, जंगम और कृत्रिम विषों एवं उनके लक्षणों तथा चिकित्सा का वर्णन है।कुत्तों का काटना,सर्प का काटना,मक्खी,बिच्छुओं का काटना व भोजन मे विष आदि का वर्णन इसमे है।
"अगदतंत्रं नाम सर्पकीटलतामषिकादिदष्टविष व्यंजनार्थं
विविधविषसंयोगोपशमनार्थं च॥ (सु.सू. १.६)।”
६-भूतविद्या (यह अब प्रचलित नही है)
इसमें देवाधि ग्रहों द्वारा उत्पन्न हुए विकारों और उसकी चिकित्सा का वर्णन है।
"भूतविद्यानाम देवासुरगंधर्वयक्षरक्ष: पितृपिशाचनागग्रहमुपसृष्ट
चेतसांशान्तिकर्म वलिहरणादिग्रहोपशमनार्थम्॥ (सु.सू. १.४)।”
7- रसायनतंत्र
दीर्धकाल तक वृद्धावस्था के लक्षणों से बचते हुए उत्तम स्वास्थ्य, बल, पौरुष एवं दीर्घायु की प्राप्ति एवं वृद्धावस्था के कारण उत्पन्न हुए विकारों को दूर करने के उपाय इस तंत्र में वर्णित हैं।
"रसायनतंत्र नाम वय: स्थापनमायुमेधावलकरं रोगापहरणसमर्थं च। (सु.सू. १.७)।”
८-वाजीकरण
वाजीकरण
शुक्रधातु की उत्पत्ति, पुष्टता एवं उसमें उत्पन्न दोषों एवं उसके क्षय, वृद्धि आदि कारणों से उत्पन्न लक्षणों की चिकित्सा आदि विषयों के साथ उत्तम स्वस्थ संतोनोत्पत्ति संबंधी ज्ञान का वर्णन इसके अंतर्गत आते हैं।
"वाजीकरणतंत्रं नाम अल्पदुष्ट क्षीणविशुष्करेतसामाप्यायन
प्रसादोपचय जनननिमित्तं प्रहर्षं जननार्थंच। (सु.सू. १.८)।"
> आयुर्वेदिक औषधि के जनक ऋषि कौन थे?
- भगवान धन्वन्तरि आयुर्वेद के जनक हैं। वे देवताओं के वैद्य के रूप में भी जाने जाते हैं।
> आयुर्वेदिक दवा कैसे बनता है?
आयुर्वेदिक औषधियों जडी-बूटीयों ,स्वर्ण,लोह,चांदीआदि को विशेष विधियों से तैयार की जातीहै।
> आयुर्वेद के मुख्य सिध्दांत क्या है?
- आयुर्वेद जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
- आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है -
दोष, धातु, मल और अग्नि।
आयुर्वेद में शरीर की इन बुनियादी बातों का अत्यधिक महत्व है। इन्हें ‘मूल सिद्धांत’ या आयुर्वेदिक उपचार के बुनियादी सिद्धांत’ कहा जाता है।
> दोष
दोषों के तीन महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं।
वात, पित्त और कफ, जो एक साथ अपचयी और उपचय चयापचय को नियंत्रित करते हैं।
> वात,पित्त, कफ, की समानता स्वास्थ्य है और विषमता रोग है।
- इन तीन दोषों का मुख्य कार्य है
पूरे शरीर में पचे हुए खाद्य पदार्थों के प्रतिफल को ले जाना, जो शरीर के ऊतकों के निर्माण में मदद करता है। इन दोषों में कोई भी खराबी बीमारी का कारण बनती है।
> धातु
जो शरीर को धारण करने के कारण इन्हें धातु का नाम दिया हैं। शरीर में सात धातु होती हैं। वे हैं।
रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा तथा शुक्र जो क्रमशः प्लाज्मा, रक्त, वसा ऊतक, अस्थि, अस्थि मज्जा और वीर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
-धातुएं शरीर को केवल बुनियादी पोषण प्रदान करते हैं। और यह मस्तिष्क के विकास और संरचना में मदद करती है।
> मल
मल का अर्थ है अपशिष्ट उत्पाद या गंदगी। यह शरीर मे दोषों और धातु में तीसरा है। मल के तीन मुख्य प्रकार हैं, जैसे मल, मूत्र और पसीना। मल मुख्य रूप से शरीर के अपशिष्ट उत्पाद हैं इसलिए व्यक्ति का उचित स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए उनका शरीर से उचित उत्सर्जन आवश्यक है। मल के दो मुख्य पहलू हैं अर्थात मल एवं कित्त। मल शरीर के अपशिष्ट उत्पादों के बारे में है
> अग्नि
शरीर की चयापचय और पाचन गतिविधि के सभी प्रकार शरीर की जैविक आग की मदद से होती हैं जिसे अग्नि कहा जाता है। अग्नि को आहार नली, यकृत तथा ऊतक कोशिकाओं में मौजूद एंजाइम के रूप में कहा जा सकता है।
सोमवार, 4 अक्टूबर 2021
कैसे अश्वगंधा से स्वस्थ्य लाभ और धन लाभ ?
>हर्बल खेती>देशी दवा>आयुर्वेदिक औषधी।
#कैसे अश्वगंधा से धन लाभ होगा ?
<अश्वगंधा की खेती से होती है चार गुणा कमाई>
#अश्वगंधा के नाम:-
अश्वगंध, बाजीगंधा,सैन्धवगंधा, वाराहकर्णी, आक्षण्ड,असगंध, अग्रेंजी मे विन्टर चैरी कहते है।
#अश्वगंधा की खेती कहां होती है?
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मुख्य रूप से इसकी खेती मध्यप्रदेश के पश्चिमी भाग में मंदसौर, नीमच, मनासा, जावद, भानपुरा तहसील में व निकटवर्ती राज्य राजस्थान के नांगौर जिले में होती है। ...
- उत्तर प्रदेश के किसान जडीयों की खेती के लिये तैयार नही होते है अपनी परम्परागत खेती को छोडने से लगता है डर।
#अश्वगंधा की मांग:-
-अश्वगंधा की खेती लगभग 5000 हेक्टेयर में की जाती है जिसमें कुल 1600 टन प्रति वर्ष उत्पादन होता है जबकि इसकी मांग 7000 टन प्रति वर्ष है।
*अश्वगंधा की खेती कितने दिनों मे तैयार होती है ?
*फसल बुआई के 150 से 170 दिन में तैयार हो जाती है। पत्तियों का सूखना फलों का लाभ होना फसल की परिपक्वता का प्रमाण है। परिपक्व पौधे को उखाड़कर जड़ों को गुच्छे से दो सेमी ऊपर से काट लें फिर इन्हें सुखाएं। फल को तोड़कर बीज को निकाल लें।
क्या है लाभ
अश्वगंधा की फसल से प्रति हेक्टेअर 3 से 4 कुंतल जड़ 50 किग्रा बीज प्राप्त होता है। इस फसल में लागत से तीन गुना अधिक लाभ होता है।
> अश्वगंधा की खेती कब की जाती है?
*फसल चक्र
अश्वगंधा खरीफ फसल के रूप मे लगाई जा सकती है तथा फसल चक्र में गेहूं की फसल ली जा सकती है।
*भूमि एवं जलवायु
-अश्वगंधा खरीफ (गर्मी) के मौसम में वर्षा शुरू होने के समय लगाया जाता है। अच्छी फसल के लिए जमीन में अच्छी नमी व मौसम शुष्क होना चाहिए। फसल सिंचित व असिंचित दोनों दशाओं में की जा सकती है। रबी के मौसम में यदि वर्षा हो जाए तो फसल में गुणात्मक सुधार हो जाता है। इसकी खेती सभी प्रकार की जमीन में की जा सकती है।
*केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल*
में किए गए परीक्षणों से पता चला है कि इसकी खेती लवणीय पानी से भी की जा सकती है।
फसल 2 गुणा हो जाती है।
अश्वगंधा की खेती के लिए आय-व्यय का ब्यौरा?
- इस समय देश में अश्वगंधा की खेती लगभग 5000 हेक्टेयर में की जाती है जिसमें कुल 1600 टन प्रति वर्ष उत्पादन होता है जबकि इसकी मांग 7000 टन है।
एक हेक्टेयर में अश्वगंधा पर अनुमानित व्यय रु. 10000/- आता है जबकि लगभग 5 क्विंटल जड़ों तथा बीज का वर्तमान विक्रय मूल्य लगभग 78,750 रुपये होता है। इसलिए शुद्ध-लाभ 68,750 रुपये प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।
उपज
आमतौर पर एक हैक्टर से 6.5-8.0 कुंतल ताजा जड़ें प्राप्त होती हैं जो सूखने पर 3-5 क्विंटल रह जाती है। इससे 50-60 किलो बीज प्राप्त होता है।
*अश्वगंधा की खेती का प्रति हेक्टेयर आय-व्यय का विवरण
व्यय रु.*
1.खेत की तैयारी ..2000.00
2.बीज की कीमत..1000.00
3.नर्सरी तैयार करना.500.00
4.पौध रोपण...2000.00
5.निराई, गुडाई...1000.
अश्वगंधा कितने रुपए किलो मिलता है?
वहीं अब इसके बीते दो-तीन सालों से इसके पत्ते भी बिकने लगे हैं।
अश्वगंधा के पाउडर का करीब 300 रुपए प्रति किलो का भाव है।
अश्वगंधा की खेती कब करते हैं?
*अश्वगंधा की बुआई के लिए जुलाई से सितंबर का महीना उपयुक्त माना जाता है।*
अश्वगंधा में खरपतवार की दवा?
- माहू के प्रकोप की दशा में ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ई सी दवा की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. अश्वगंधा की फसल 150 से 190 दिन में पक कर तैयार हो जाती है, यह लगभग जनवरी से मार्च के मध्य का समय होता है.
अश्वगंधा के बीज का उपयोग?
अश्वगंधा एक औषधि है। इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। यह पौधा ठंडे प्रदेशो को छोड़कर अन्य सभी भागों में पाया जाता है।आयुर्वेदिक औषधियों मे काम आता है।
अश्वगंधा की कीमत 2021क्या है?
8 जून 2021, इंदौर । अश्वगंधा का भाव 35 हजार रु कुवन्टल रही।
#अश्वगंधा को कहाँ बचे ?
पतंजलि, डाबर, वैद्यनाथ, इंडिया हर्ब, इपका लैब समेत कई बड़ी कंपनियां सतावर एलोवेरा, अश्वगंधा भूमि आंवला आदि की खेती करार के तहत करवा रही हैं.
- इसके साथ ही देश में दिल्ली का खारी बावली, यूपी में बरेली, लखनऊ का सहादतगंज की जड़ी-बूटी मंडी, चंदौसी और बाराबंकी समेत कई इलाकों में बड़े पैमाने पर ऐसी फसलों की खरीद होती है।
> नीचे कुछ और विक्रेताओं के नंबर और पते दिए जा रहे हैं जिनसे किसान सीधे भी संपर्क कर सकते हैं.
- डाबर इंडिया लिमिटेड
8/3, आसफअली रोड, नई दिल्ली 110002
फोन नं- 0120- 3962100
- एके जैन (आर्यन इंटरनेशनल)
डी- 184 फ्रीडम फाइटर इंक्लेव
- नबी सराय, नई दिल्ली फोन नंबर- 011-26659020
- मोबइल नंबर- 98113000884, फैक्स- 011-26659022
- रासिक लाल हिमानी एजेन्सीज प्राइवेट लि.
508, खारी बावली, दिल्ली- 110006
फोन नं-011-23273875, 23273926
- साई ट्रेडिंग कंपनी (गौरव गुप्ता)
1/2249, 3 लोर-2 स्ट्रीट नंबर- 12 निकट शांति
आप्टिकल्स, सुभाष रोड, रामनगर –शाहदरा दिल्ली 110032
मो- 8447518302, 9891067409, 9891340865
ईमेल-shrisai12345@yahoo.co.in
- गुलाब सिंह जौहरी माल (मुकुल गुन्धी)
302, दरीबा कलां, चांदनी चौक, नई दिल्ली
मो- 9811131890, मोबाइल- 011- 23263743, 23271345
- रासिक लाल हिमानी एजेंसीज प्राइवेट लि.
प्रथम तल, सब हाउस 3/8 आसफ अली रोड नई दिल्ली
फोन- 011-23273875, 9971113565
- विराट एक्सपोर्टर्स
23/3, ईस्ट पटेल नगर
नई दिल्ली-110008
फोन-011-2576182
उत्तर प्रदेश
- गुलाब एंड कंपनी, मातादीन रोड सआदतगंज, लखनऊ
फोन- 0522- 2649101, 2649102 मो. 9415108206
- पंचशील ट्रेडर्स
सआदतगंज, लखनऊ
फोन नं- 0522-2649619,2649054
- आशा ग्रामोद्योग संस्थान
647 बी/सी,144/ 1 (पी-18) जानकीपुरम गार्डेन, नियर नावेल सीटी एकेडमी
लखनऊ- 226021, मोबाइल- 9415753154
ईमेल- ashagramodyog@gmail.com
- महावीर ट्रेडिंग कंपनी
पासरत्ता गली, सआदतगंज, लखनऊ
मो. 9415026388, फोन- 0522-2649389
- पुण्य ट्रेडिंग कंपनी
सआदतगंज, लखनऊ, मोबाइल नंबर- 9450009431
- पीयूश ट्रेडर्स कंपनी
सआदतगंज, लखनऊ, मोबाइल- 9335242927
- गुप्ता ट्रेडिंग कंपनी
सआदतगंज, लखनऊ- मोबाइल- 9336011458
- गंभीर चंद जैन किराना स्टोर
अन्नपूर्णा मंदिर के बगल में, सआदतगंज, लखनऊ
फोन- 0522-2649114, 2649115
मोबाइल- 9415023623, 9415087294
- कन्हैया लाल अशोक कुमार
252/6 रकाबगंज, लखनऊ-3
मोबइल- 9750200186, 9750299185
- आनंद ट्रेडिंग एंड मैनुफैक्चिंग कंपनी
133/148 ब्लाक ओ. किदवाईनगर कानपुर- 208023
मोबइल- 9455511783, इमेल- ajpltd27@gmail.com
- मेंता एंड एलाइड केमिकल्स
रामपुर, ब्लाक आफिस बाराबंकी
फोन- 05248-224094, 223508
मो. नं.- 9839174125, 9712718425 ईमेल- raj_sri57@rediffmail.com
- परफ्यूमर्स एंड एसेन्सियल आयल
47 48, न्यू मार्केट पीओ बॉक्स-165
कैसरबाग लखनऊ, फोन- 0522-2612309
- बबलू जैन किराना आढ़ती मातादीन रोड छोटा चौराहा
सआदतगंज, लखनऊ-3 फोन- 0522-2648226
मो-9935367206
- पद्मावती हर्ब्स
35-बी/ 2माडल टाउन, हरि मंदिर, बारात घर के पीछे
बरेली, उत्तर प्रदेश, फोन- 0581-3959932
मोबाइल- 9837003601
- टेकचंद
बी/566, लखपेड़ाबाग, बाराबंकी
मो. 9838078627
इमेल-ashriflavours@gmail.com
- अनिल कुमार बनरवाल
के 64/गोलादीना नाथ, कबीर लोरा वाराणसी
मो. 9415201873
- निशांत अग्रवाल सुगंध एरोमेटिक
536/268 इंदिरा नगर बरेली- 243122
मोबाइल- 9758876700, 9837087670
ईमेल- sugandharomatics@rediffmail.com
- हिंदुस्तान मिंट एंड एग्रो प्रोडक्टस प्रा. लि
चंदौसी, मुरादाबाद- 244412
फोन- 05921-250540-251900
ईमेल- hindustan@sancharnet.in
- भज्जामल छंगामल, पुराना देशी दवाखाना
नीम के पेड़ वाली दुकान, बजाजा, फैजाबाद
मोबाइल- 9415719455
- जगत एरोमा आयल्स डिस्टीलेशन
कन्नौज- 05694-2344041
राजस्थान
- एलो नेचरलस
20/1 लाइट इंड्रस्ट्रीय एरिया जोधपुर- 342003 राजस्थान
मो. 992861199 ईमेल-infao@aloenatural.co.in
पंजाब
- के.एस. एरोमा एंड कंपनी
स्वांक मंडी, अमृतसर 143001, पंजाब
- ओरिएटंल ट्रेडर्स
615/6 बाग झंडा सिंह, फर्स्ट लोर, अमृतसर- 143001
उत्तराखंड
नैचुरल कान्सेट्स इंडिया, सीपी-12, आवास विकास
निकट ओबीसी, रुद्रपुर 263153
मोबाइल- 9810202915, 9216447232 ईमेल- naturalconcepts609@gmail.com
-ए.एस शारदा इंटरप्राइजेज
नेहरू मार्ग, टनकपुर- 272309
फोन- 9897737133, 9897638133
-आदित्य प्रकाश अग्रवाल
पैथ पराओ, रामनगर जिला-नैनीताल- 224715
फोन- 05942-251596
- अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी
जीबी पंत, मार्ग, टनकपुर, जिला चंपावत
फोन- 05942-251596
- आनंद ट्रेडिंग कंपनी
निंबूवाला, देहरादून कैंट, उत्तराखंड 0135-248003
- आर्य वस्तु भंडार
एबीसी हाउस 46, डिस्पेंसरी रोड देहरादून-248001
फोन- 0135-2654884, 2654994
- बनारसीदास छन्नामल
मेन बाजार, काशीपुर, उधमसिंहनगर- 244713 फोन- 274839
- दीनदयाल राधेश्याम
सी-11 न्यू गल्ला मंडी, हल्दवानी, नैनीताल- 247515, फोन- 253165
- उत्तरांचल डिस्ट्रीब्यूटर्स
पो. आ. गुरुकुल कांगडी- 249404 जिला हरिद्वार, उत्तराखंड, फोन- 9837027196
हैदराबाद
- जेना बायो हर्बल प्राइवेट लिमिटेड
मकान नंबर- 3-6-294 हैदरगुडा, हैदराबाद- 500029
फोन- 040-65166568, मोबाइल- 7053127949
केरल
- एम.एम अब्दुल हमीद एंड संस
एसेन्सियल आयल एक्सोर्टर
पीवी- बाक्स- 12, अशोकापुरा, आल्वे- 683101
फोन- 0484-2624014
तमिलनाडु
- एन. सुंदर जेरेनियम प्लांटर
पुडुमुंड, ऊटी- मोबाइल- 944302377
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़
- राज एड कंपनी
काटजू बाजार के पीछे, निकट पारसी मंदिर नीमच मध्य प्रदेश
फोन- 07423-221600, मो. 9826021601
-परफेक्ट हर्बल्स एंड आयल
एच- 401 अशोका हाईट्स, मोवा रायपुर- 492007 छत्तीसगढ़
फोन- 0771-4055495, मो. 9926974509
-रीवा हर्बल्स
126/136 इंड्रस्ट्रीय एरिया, चोरहता, रीवा मध्य प्रदेश
फोन- 07662-2297250
- जसेको न्यूट्री फूड्स
अपोजिट सी- 21 माल, एबी रोड इंदौर, मध्य प्रदेश
मो- 9893000009 फोन- 0731- 2576009
गुजरात
- शान्ती फार्म, पोस्ट- बिंडा, तालुका मानडुई
जिला कच्छ, गुजरात- 370001
मो- 9757218555, 9687890372
- एम.एम यूनिलिंक कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड
हर्बल डिविजन 384, तृतीत मंजिल, टावर- ए, एटलान्टीस के-10, वडोदरा सेंट्रल
साराभाई मेन रोड, वडोदरा- 390007
फोन- 091-265-6544871, 2311146 मोबाइल- 9601184006
- केटीसी इंटरनेशनल
ई-1 प्रेम ज्योति टावर ए-वन स्कूल के सामने, निकट सुभाष चौक- मेमनगर
अहमदाबाद, गुजरात- 380052, फोन- 9998732033, 9426065076
बिहार
- वैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्रावेट लिमिटेड
वैद्यनाथ भवन रोड, लादीनगर पटना, 800001
फोन- 0612-2368571
ईमेल- baibyanathsales@rediffmail.com
नोट- उपरोक्त सभी कंपनियों के नाम और पते सीमैप की वार्षिक पत्रिका औस ज्ञान्या से लिए साभार लिए गए हैं.
रविवार, 3 अक्टूबर 2021
अश्वगंधा [ Winter cherry ]Withanis Somnifera
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