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गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

Dussehra दशहरा और आयुर्वेद ।

 #दशहरा और आयुर्वेद का सम्बंध क्या है ?

By-Dr.Virender Madhan.
दशहरे से पहले बरसात के कारण पाचन संस्थान मे विकृतियों हो जाती है इसलिए हमारे ऋषियों ने वर्षा ऋतु के बाद व्रत रखने की व्यवस्था की है फिर खाली पेट रहने कुपित वात को शांत करने के लिऐ विधान बनाया है।जो हमें हमारे त्यौहारों मे दिखाई देता है।

<< दशहरे पर क्या खायेंं क्या न खायें ?>>

*क्या खाये 5 पदार्थ ?

१- पान:-

दशहरे के दिन पान खाना शुभ माना जाता है। मान्यतानुसार दशहरे के दिन पान खाने से मान सम्मान की बृध्दि होती है।
आयुर्वेद के अनुसार पान सुपाच्य 
है। तथा तासीर मे गर्म होता है। पान वात व कफ दोष नाशक है। यह कब्ज को दूर करता है। पाचनतंत्र को शक्ति देता है। शरीर दर्द मे आराम मिलता है।
पान, या पान के पत्तों का काढा बनाकर लेने से खाँसी ठीक होती है।
पान मे Vit-c, थियामिन, नियासीन,राईबोफ्लैविन,और करोटीन, कैल्शियम रीच होता है।

२<दही-चूडा:-

मिथिला क्षेत्र में दशहरे के दिन दही-चूडा खाना शुभ माना जाता है। इससे प्रसन्नता और शांति का आगमन होता है ऐसा वहाँ मानते है।यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड मे अधिक प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार दही-चूडा :-
कब्जनाशक है। यह आयरन से भरपूर है । यह पाचन मे सरल व सुपाच्य है ।तथा यह सवेरे के नाश्ते का अच्छा विकल्प है। इसको धार्मिक प्रशाद के रूप मे भी प्रयोग किया जाता है।
दही, चपटे चावल,चीनी या गुड के मिश्रण से इसको बनाया जाता है।
मकरसंक्रांति पर भी दही-चूडा बन कर खाया जाता है। यह ऊर्जा प्रदान करता है। आंतों को ठंडा रखता है। दस्त आदि रोगो मे रोगी को लाभदायक है।
अगर किसी को मीठा पसन्द नही है तो इसे नमक, प्याज, हरीमिर्च के साथ तैयार कर के खाया जाता है।

३ <खीर और श्रीखण्ड

महाराष्ट्र मे दशहरे के दिन खीर और श्रीखण्ड खाना शुभ माना जाता है। 

*खीर:-

यह चावल ,दूध और चीनी से तैयार किया जाता है। इसे "पयास” भी कहते है। पतली खीर पित्त प्रकोप को कम करता है। शरद पूर्णिमा को भी खीर रात भर चाँद की चाँदनी मे रखते है फिर प्रभात मे खाते हैं। इस खीर को अमृत समान मानते है इस खीर को चाँदी के बर्तनों में ही रखते है या चाँदी की चम्मच से खाते है।
यह खीर चर्मरोग, व श्वास रोगी के लिऐ बहुत ही लाभदायक होती है। खीर से कभी मोटापा नही बढता है।

४>श्रीखण्ड:-

यह टंगी हुई दही ,और चीनी से तैयार करते है। यह महाराष्ट्र और गुजरात में अधिक प्रयोग की जाती है। यह लोकप्रिय श्रीखण्ड टंगी हुई दही,केशर, ईलायची, सुखेमेवे,कटे ताजा फल डालकर बनाये जाते है।इसको पुरी-आलू के साथ या अकेले खाया जाता है।
इससे पेट हल्का रहता है।वजन का धटाने मे सहायक होती है।

५<सौफ और मिश्री:-

दशहरे के दिन सौफ-मिश्री खाना भी शुभ माना जाता है। दोनों को मिला कर खाने से सेहत के लिए लाभदायक होता है।
-यह एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटिओक्सीडेंट होता है।
-इसमें जिंक,कैल्शियम,पोटैशियम मौजूद होते है।
-पाचन क्रिया को मजबूत करता है।
-मुख की दुर्गंध दूर हो जाती है।
-जुकाम, सर्दी, गले की खराश दूर होती है।

इस प्रकार प्रथाओं का मानना चाहिए क्योंकि इनके पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक तथ्य होते है जो हमारे पूर्वजों ने मह ऋषियों ने बडी मेहनत से बनाया है जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

{<५-काम जो हमे दशहरे के दिन नही करने चाहिए।>}

*दशहरे के दिन किसी के लिए भी बुरा न 
सोचे।
*दशहरे के दिन किसी भी प्रकार के पेड को न काटे।
*स्त्रियों व बुजुर्गों का अपमान न करें।
*दशहरे के दिन माँस व शराब का सेवन न करे।

आशा करता हूँ कि आप को लेख पसन्द आया होगा । आपको कैसा लगा Comment मे लिखे।

खुश रहे,स्वस्थ रहे।

<डा०वीरेंद्र मढान>

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