Guru Ayurveda

गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

अपामार्ग_चिरचिटा परिचय।


 #अपामार्ग

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By_Dr.Virender



#अपामार्ग क्या है ?

नाम:-

*अपामार्ग {apamarga plant} को चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा भी बोलते हैं। 

यह एक बहुत ही साधारण पौधा है।

* अपामार्ग [चिरचिटा]के उपयोग से विकारों को ठीक किया जाता है, बीमारियों की रोकथाम की जाती है। आप दांतों के रोग, घाव सुखाने, पाचनतंत्र विकार, खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों में अपामार्ग का लाभ ले सकते हैं।


#चिरचिटा की पहचान:-

- आयुर्वेद में अपामार्ग के अनेक गुणों का वर्णन किया गया है। यह वर्षा ऋतु में पैदा होता है। इसके पत्ते अण्डकार, एक से पांच इंच तक लंबे और रोम वाले होते हैं। यह सफेद और लाल दो प्रकार का होता है। सफेद अपामार्ग के डण्ठल व पत्ते हरे व भूरे सफेद रंग के होते हैं। इस पर जौ के समान लंबे बीज लगते हैं।


- लाल अपामार्ग के डण्ठल लाल रंग के होते हैं और पत्तों पर भी लाल रंग के छींटे होते हैं। इसकी पुष्पमंजरी 10-12 इंच लंबी होती है, जिसमें विशेषत: पोटाश पाया जाता है।

#आयुर्वेद की अपामार्ग के अदभुत 20 लाभ।


अपामार्ग खाने से ताकत आती है। यह पाचनशक्ति ब़ढाने के लिए यह पौधा काफी फायदेमंद है। 

- अपामार्ग मूल चूर्ण 6 ग्राम रात में सोने से पहले लगातार तीन दिन जल के साथ पीने से रतौंधी में लाभ होता है। 

 - जलोदर (पेट फूलने की समस्या) में अपामार्ग क्वाथा एवं कुटकी चूर्ण सेवन करने से लाभ होता है। 

- अपामार्ग को दूध के साथ सेवन करने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।


(1) #विष_चढ़नें_पर अपामार्ग।


जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले की़डों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है। इसके पत्तों की पिसी हुई लुगदी को दंश के स्थान पर पट्टी से बांध देने से सूजन नहीं आती और दर्द दूर हो जाता है।


(2) #दांतों_का_दर्द।


अपामार्ग की शाखा (डाली) से दातुन करने पर कभी-कभी होने वाले तेज दर्द खत्म हो जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है। अपामार्ग के फूलों की मंजरी को पीसकर नियमित रूप से दांतों पर मलकर मंजन करने से दांत मजबूत हो जाते हैं।


(3) #मुंह_के_छाले मे उपयोग।


अपामार्ग के पत्तों का रस छालों पर लगाएं।


(4) #संतान_प्राप्ति_के_लिए लाभकारी।


अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।


(5) #मोटापा घटायें।


अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन ब़ढ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।


(6) #कमजोरी भगाये।


अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। एक कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।


(7) #सिर_में_दर्द को दूर करे।


अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।


(8) #मलेरिया_से_बचाव करें।


अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।


(9) #गंजापन मे उपयोगी।


सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।


(10) #खुजली हटाये चिरचिटा।


अपामार्ग के पंचांग (ज़ड, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों में खुजली दूर जाएगी।


(11) #आधाशीशी (आधे सिर में दर्द) मे कारगर औषधि।


इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की ज़डता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।


आंखों के रोग


(13) #आंख_की_फूली दूर करें।


अपामार्ग की ज़ड के २ ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर दो-दो बूंद आंख में डालने से लाभ होता है। धुंधला दिखाई देना, आंखों का दर्द, आंखों से पानी बहना, आंखों की लालिमा, फूली, रतौंधी आदि विकारों में इसकी स्वच्छ जड़ को साफ तांबे के बरतन में, थो़डा-सा सेंधा नमक मिले हुए दही के पानी के साथ घिसकर अंजन रूप में लगाने से लाभ होता है।


(14) #खांसी_श्वास मे लाभकारी।


अपामार्ग की जड़ में बलगमी खांसी और दमे को नाश करने का चामत्कारिक गुण हैं। इसके 8-10 सूखे पत्तों को बीड़ी या हुक्के में रखकर पीने से खांसी में लाभ होता है। अपामार्ग के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाने से बच्चों की श्वासनली तथा छाती में जमा हुआ कफ दूर होकर बच्चों की खांसी दूर होती है। न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 ग्राम गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।


(15) #विसूचिका (हैजा)में।


अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को 2 से 3 ग्राम, 4 कालीमिर्च, 4 तुलसी के पत्ते थोड़ा जल व मिश्री मिलाकर देने से विसूचिका में अच्छा लाभ मिलता है।


(16) #बवासीर भगाये।


अपामार्ग की जड़, तना, पत्ता, फल और फूल को मिलाकर काढ़ा बनाएं और चावल के धोवन अथवा दूध के साथ पीएं। इससे खूनी बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है।


(17) #उदर_विकार (पेट के रोग)मे लाभ।


अपामार्ग पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) को 20 ग्राम लेकर 400 ग्राम पानी में पकायें, जब चौथाई शेष रह जाए तब उसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग नौसादर चूर्ण तथा एक ग्राम कालीमिर्च चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। 8 पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का काढ़ा 50-60 ग्राम भोजन के पूर्व सेवन से पाचन रस में वृद्धि होकर दर्द कम होता है। भोजन के दो से तीन घंटे पश्चात पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का गर्म-गर्म 50-60 ग्राम काढ़ा पीने से अम्लता कम होती है तथा श्लेष्मा का शमन होता है।


(18) #भस्मक_रोग (भूख का बहुत ज्यादा लगना) : 


भस्मक रोग जिसमें बहुत भूख लगती है और खाया हुआ अन्न भस्म हो जाता है परंतु शरीर कमजोर ही बना रहता है, उसमें अपामार्ग के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम दिन में 2 बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे निश्चित रूप से भस्मक रोग मिट जाता है।

>>भस्मक रोग मे खीर:-

अपामार्ग की खीर : इसके बीज छोटे चावल के जैसे होते हैं। इसके छिलका उतरे बीज 5 ग्राम से 10 ग्राम लें, उन्हे मोटा कूट लें, अब उन्हे 250 मिलीलिटर दूध मे डालकर आधा घंटा धीमी आंच पर उबालें। स्वादानुसार चीनी मिलाऐ, व सेवन करें।


(19) #वृक्कशूल (गुर्दे का दर्द) किडनी के लिए:-

 >अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।


(20) #गर्भधारण_करने_के_लिए:-

#महिलाओं के लिए वरदान।


अनियमित मासिक धर्म या अधिक रक्तस्राव होने के कारण से जो स्त्रियां गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, उन्हें ऋतुस्नान (मासिक-स्राव) के दिन से उत्तम भूमि में उत्पन्न अपामार्ग के १० ग्राम पत्ते, या इसकी 10 ग्राम जड़ को गाय के 125 ग्राम दूध के साथ पीस-छानकर 4 दिन तक सुबह, दोपहर और शाम को पिलाने से स्त्री गर्भधारण कर लेती है। यह प्रयोग यदि एक बार में सफल न हो तो अधिक से अधिक तीन बार करें। अपामार्ग की जड़ और लक्ष्मण बूटी 40 ग्राम की मात्रा में बारीक पीस-छानकर रख लेते हैं। इसे गाय के 250 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह के समय मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।


#अपामार्ग की मात्रा:-

*रस- 10-20 मिली

*जड़ का चूर्ण- 3-6 ग्राम

*बीज- 3 ग्राम

*क्षार- 1/2-2 ग्राम

आशा है आपका लेख पसन्द आया होगा। कोमन्ट मे जरूर बतायें।

[डा०वीरेंद्र मढान.]

बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

Bhrigaj harb-keshraj.

 Bhringraj

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Dr.virender madhan.

#Name of Bhringraj

[Eclipta Alba]

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* Bhringraj, markav, bhring, angarak, keshraj, bhringaar and keshranjan all are different names of Eclipta Alba. 


This herb has various properties such as it is pungent in taste, have hot potency, dry, pacifies (vata, kapha) and good for hair.


#Bhringraj Health Benefits:-


-Bhringraj Juice for Liver.

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Bhringraj juice is known to clean and detox the liver, balance out the doshas, and enhance liver cell generation to improve the liver’s functioning.


#Bhringraj Benefits for Skin

#Is Bhringraj powder good for face?

#Bhringraj Benefits for Skin

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* Bhringraj has anti-inflammatory properties, which means that it provides a soothing and cooling effect when applied to the skin. 

Studies conclude that bhringraj juice is effective in relieving skin diseases as it has antimicrobial and antibacterial properties.

According to Ayurveda, Bhringraj is known to be a jatharagni deepaka.

 - it stimulates the digestive fire.

* Bhringraj absorbs food, assimilates it, and aids the excretion of waste. Feel free to supplement this with some yoga for digestion. Bhringraj aggravates the Pitta Dosha and keeps digestive issues like gastric ulcers, nausea and dysentery in check.


* Bhringraj for Alzheimer’s

-A lab test shows that Bhringraj and ashwagandha protect the nervous system and reduce oxidative stress, thereby minimizing memory loss faced due to Alzheimer’s.


#How to use Bhringraj powder for hair?


Take ½-1 teaspoon of Bhringraj powder.

Mix with Coconut oil and massage on the scalp.

Leave it for 1-2 hours and wash it with any herbal shampoo.

Repeat this thrice a week to fight hair fall and premature greying of hair.


#Does Bhringraj regrow hair?

When used on our hair, Bhringraj oil is known to have miraculous effects. ... It improves blood circulation and is capable of revitalizing the hair follicles and facilitating hair growth. When applied on the scalp, the results are visible within a week or two of application of the oil.


#What are the benefits of Bhringraj for hair?


Treats dandruff and dry scalp.

* Bhringraj oil is dense and has a higher specific gravity as compared to other oils. 

*Treats baldness and helps in hair growth. 

* Prevents hair fall. 

*Promotes hair growth. 

* Prevents graying of hair. 

* Makes hair lustrous. 

* Repairs hair damage.


#Is Bhringraj powder cooling?

It brings its cooling, rejuvenating benefits to the mind and nervous system while it also supports the liver, circulation, and even healthy skin. 


On the other hand, Bhringraj churna is eaten with ghee, milk or water. It aids digestion, improves liver and kidney health and promotes heart health.


#What are the side effects of Bhringraj?

The active ingredient, Eclipta alba, has a diuretic effect and may cause increased urination if taken orally. Bhringraj oil should be used with caution if taking diuretics (water pills) such as Lasix (furosemide), as this can lead to excessive urination and a drop in blood pressure (hypotension).


#Doses:-

Recommended Dosage of Bhringraj


* Bhringraj Powder - ¼- ½ teaspoon twice a day. 

* Bhringraj Capsule - 1-2 capsule twice a day.

* Bhringraj Juice - 1-2 teaspoon twice a day.

* Bhringraj Tablet - 1-2 tablets twice day.



 




रविवार, 17 अक्तूबर 2021

Liver की आयुर्वेदिक कारगर औषधि Mukoliv syrup . In english.


 #MUKOLIV SYRUP

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*A pure herbal product

By-Dr.Virender Madhan.

#Mukoliv is useful for diseases of liver and spleen.

#what does mukoliv syrup use?

*Mukoliv Syrup is an ayurvedic medicine. It is used in most of the diseases of liver such as Anorexia, liver enlargement, jaundice ,Hepto-Billory Disorder ' Loss of appetite after fever weakness,Enlargement of Liver and spleen

#What is the content of Mukoliv syrup?

Content each 10 ml:-

Atish--.       220mg.
Kalmegh--. 220mg.
Kakmachi--220mg.
Pipal--      --110mg.
Kashni------330 mg.
Jhabuk-----220 mg.
Chirayta----110mg.
Bharagraj--220mg.
Haratki------220mg.

The description of Mukoliv's Contacts:-


#ATIS:-

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#What is benifit of ativisha ?
Atis helps in the management of indigestion by digesting the Ama due to its Deepana (appetizer) and Pachana (digestion) properties, thereby providing relief from indigestion. Vomiting is a condition which occurs due to an imbalance of all three doshas, especially Pitta and Kapha dosha

#Ativisha uses:-
Of all the herbs having digestive, carminative, absorbent and Tridosha balancing properties, Ativisha is the best.

-Deepani – improves digestion strength
-Pachak – Digestive, relieves Ama Dosha|
Atisarahara – Relieves diarrhea
-Amahara – Relieves ama – a product of indigestion and altered metabolism.
-Vishahara – Anti toxic

-Kasahara – useful in cough and cold
-Vamihara – relieves vomiting
-Krumihara – useful in worm infestation, infected wounds
-Jwarahara  – useful in fever
--Ama Atisara – diarrhea, dysentery associated with indigestion
--It is widely used in treating Vishama Jwara (chronic, recurrent fever).
- Grahi – absorbent, useful in diarrhea, IBS
 - Arshoghna – useful in piles, hemorrhoids
- Raktashodhaka – cleanses and detoxifies blood tissue
- Raktastambhana – styptic, useful in bleeding disorders
- Shothahara – relieves swelling, edema, anti inflammatory
- Kasahara – useful in cough and cold
-Stanyashodhana – cleanses and detoxifies breast milk
-Vajikarana – acts as aphrodisiac
- Katupaushtika – pungent, nourishing

#KALMEGH:-

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  ( Andrographis paniculata) 


-It is Haemostatic, hence useful for Bleeding Piles. It has Blood Purifying Properties.

#Health benefits of kalmegh?
- This herb has been potentially used to treat many conditions. Some of its benefits include:

1. It helps with the common cold
It is believed that taking andrographis alone, or as part of a herbal combination product is likely to improve cough and sore throat in some people.

2-andrographis extract daily helps to reduce pain and stiffness in people with mild or moderate osteoarthritis of the knee.

3. It is antioxidants
Kalmegh is loaded with antioxidants and polyphenols that may help to fight the harmful free radicals in our body. This, in turn, seems to protect the body cells from harmful bacteria and viruses.


4. Kalmegh has anti-inflammatory properties
The anti-inflammatory properties of kalmegh potentially allow the body to fight infections effectively. Moreover, this herb may also help the body to repair tissue damage, and thus proves to be extremely useful. Kalmegh also helps to reduce swelling and pain caused by inflammation in the body.

5. It aids the digestive system
Kalmegh helps to effectively manage digestive problems like loss of appetite. It may also help to improve the digestive fire as well as liver functions, due to its ushna (hot) nature.

6. It’s also great for the liver
Kalmegh also helps in the management of liver problems. It has antioxidant, anti-inflammatory and hepatoprotective properties, and may help to prevent the damage of liver cells caused by free radicals.


7.  It kills intestinal worms
It is believed that kalmegh helps in killing intestinal worms and supporting good intestinal health.

8. It can even keep acne away
The Ayurveduc herb also helps to treat skin ailments with its antibacterial and antimicrobial properties. Loaded with antioxidants, kalmegh also helps in fighting harmful free radicals that are responsible for various health and skin ailments.

Kalmegh
Kalmegh is great for your skin. 
9. It has antibacterial properties
The anti-bacterial properties in kalmegh may allow the body to fight bacterial infections. Although andrographis appears to have weak direct antibacterial action, it may possibly have beneficial effects in reducing diarrhea and symptoms arising from bacterial infections.

10. Can help with diabetes management
Andrographolide in kalmegh helps reduce blood glucose levels. It may help in the release of insulin from the pancreatic cells, thus promoting the utilisation of glucose. Since it is loaded with antioxidants, kalmegh could also help in lowering the risk of diabetic complications.

11. It’s great for detox and skin cleansing
Studies suggest kalmegh has blood purifying properties. It may help remove toxins from the blood, and manage skin diseases. This is due to its tikta (bitter) taste and pitta balancing properties.

12. It has antiviral properties
Studies suggest that andrographolide in kalmegh has antiviral properties. 

#KAKMACHI


Kakamachi (Solanum nigrum)

It is used successfully in the treatment of various ailments like measles, malaria, cancer etc by different folks. Till date this plant has been screened out for activities like anti oxidant, hepatoprotective, anti ulcerogenic, immunomodulatory etc and many more.

#Piper longon:-


It is most commonly used to treat chronic bronchitis, asthma, constipation, gonorrhea, paralysis of the tongue, diarrhea, cholera, chronic malaria, viral hepatitis, respiratory infections, stomachache, bronchitis, diseases of the spleen, cough, and tumors.

#KASANI

Cichorium

Chicory/Scientific names


Kasani helps to reduce the risk of gallbladder disorder by controlling excessive secretions of Pitta. This is due to its Pitta balancing property. It also helps the liver to function properly and removes excess bile secretion. Together, it reduces the risk of gallbladder stone.

#JHABUK

Language- Common name
Kannada- Pakke
Hindi- Jhaoo, Bari Mayee
Malayalam- Siru savukku
Tamil- Ciru-cavukku
Telugu- Pakke
Sanskrit -Jhavuka

Benefits of Jhabuk?


Jhau can be used to treat swollen, spongy and bleeding gums. It has Kashaya (astringent) and Grahi (absorbent) properties that reduce swelling and controls bleeding. It also produces a cooling and soothing effect on the gums.

#CHIRAYTA


Chirata is used for fever, constipation, upset stomach, loss of appetite, intestinal worms, skin diseases, and cancer. Some people use it as “a bitter tonic.” In India, it has been used for malaria, when combined with the seeds of divi-divi (Guilandina bonducella).

#BHARANGRAJ


Bhringraj Health Benefits
-Bhringraj Oil for Migraines and headaches
-Bhringraj Juice for Liver
Bhringraj juice is known to clean and detox the liver, balance out the doshas, and enhance liver cell generation to improve the liver’s functioning.
Bhringraj Benefits for Skin
Bhringraj has anti-inflammatory properties, which means that it provides a soothing and cooling effect when applied to the skin. Studies conclude that bhringraj juice is effective in relieving skin diseases as it has antimicrobial and antibacterial properties.
According to Ayurveda, Bhringraj is known to be a jatharagni deepaka - it stimulates the digestive fire.

Bhringraj absorbs food, assimilates it, and aids the excretion of waste. Feel free to supplement this with some yoga for digestion. Bhringraj aggravates the Pitta Dosha and keeps digestive issues like gastric ulcers, nausea and dysentery in check.
Bhringraj benefits for snakebites
Research shows that Bhringraj juice can reduce the effect of rattlesnake bites.
Bhringraj for Alzheimer’s
A lab test shows that Bhringraj and ashwagandha protect the nervous system and reduce oxidative stress, thereby minimizing memory loss faced due to Alzheimer’s.

#HARITKI


Haritaki is a traditional remedy for improving gut health and treating a wide range of gastrointestinal disorders like esophagitis, heartburn, diarrhoea, flatulence, peptic ulcer, gastroesophageal reflux disease, indigestion, constipation, flatulence and stomach pain. The carminative nature of the fruit helps in breaking down the food particles in the stomach and intestine, enhances the secretion of the digestive juices and thereby increases the absorption of essential nutrients through the intestines. It helps to eliminate abdominal gas and in turn reduces abdominal distension, bloating and gaseous cramps. Also Read: 5 Herbs For A Healthy Digestive System
#haritaki juice for weight loss?
- Promotes Weight Loss
Haritaki plays a key role in burning excess fat. It effectively detoxifies the body by removing AMA toxins and reduces sudden hunger pangs and a craving for unhealthy dietary choices. It reduces the accumulation of LDL cholesterol (i.e. Low-Density Lipoproteins or bad cholesterol) in the body, thereby improving metabolism and helping the body to shed weight faster.

Add a spoonful of haritaki powder to a glass of warm water to shed away the excess fat deposit and get a well-toned slim body.

- Heals Wounds And Infections
Haritaki portrays strong anti-bacterial, anti-viral and antifungal properties that are not only used for removing bacteria and germs from the body but also treats wounds and improves healing. 

#Doses of Mukoliv Syrup:-


*Adult:- 10ml to 20ml Two to three times a day.
*Children:- 1/2 to 1 spoon toe to three s day.
Or as directed by the physician.

Side effects :- No 

*Before use to Mukoliv syrup you should consultant to your doctor


Contact :-
#gurupharma2000@gmail.com.#



शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

Hypotension [अल्परक्तदाब] प्रश्न-उत्तर।

 


#अल्परक्तदाब#लो०बी०पी०#low-B.P.#Hypotension#

#low blood pressure?

*By-Dr.Virender Madhan.

प्रश्न-

#लो ब्लड प्रेशर क्या होता है?

#स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड प्रेशर कितना होता है?

#क्यों होता है लो ब्लड प्रेशर-क्या कारण है?

#लो ब्लड प्रेशर के क्या क्या लक्षण होते है ?

#लो ब्लड प्रेशर की गुरु फार्मास्युटिकल की कौन कौन सी दवा है?

#आयुर्वेद शास्त्रों मे ब्लड प्रेशर की कौनसी औषघियों है?

#लो ब्लड प्रेशर मे घरेलू उपाय क्या करें?

#लो ब्लड प्रेशर का रोगी क्या करें?क्या न करें?


#लो ब्लड प्रेशर क्या होता है?

#low blood pressure kya hota hain ?

जब किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर sistolic 100 Mm/hg और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर Diastolic pressure 60 mm/hg से कम हो जाये तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते है।
यह स्तब्धता की प्रथम अवस्था होती है।

#स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड प्रेशर कितना रहना चाहिए?

सामान्य परिस्थितियों में व्यक्ति का ब्लड प्रेशर  120/ 80 mm/hg होता है।

#क्यों होता है ब्लड प्रेशर कम ,क्या क्या कारण है ?

*एलोपैथिक औषघियों।
*पानी न पीना।
*किसी संक्रमण के कारण।
*रोगों के कारण जैसे क्षयरोग, 
रक्तप्रदर, 
खूनी बवासीर,
पेप्टिक अल्सर,
 आँत्रशोथ,
 *गर्भावस्था मे,
* कुपोषण से,
* प्रोटीन की कमी मे, 
*भुखे या उपवास रहने पर।
ऐसी अवस्था में ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।

#लो ब्लड प्रेशर के क्या क्या लक्षण होते है?

*सिरदर्द होता है।
*चक्कर आना।
*अनियमित धडकन होना।
*हाथ पैर ठंडे होना।
*काम मे दिल न लगना।
*भुख कम लगना।
*आँखों के आगे अंधेरा छाना।
*आँखें गढ्ढे मे धँस जाना।
*नाडी तेज चलना।।
*आलस्य व थकान होना।
*माँस पेशियों मे कम्पन अनुभव करना।
*ब्लड प्रेशर  अधिक कम होने पर मुर्छा आना।

#लो ब्लड प्रेशर की गुरु फार्मास्युटिकल की ४ कौन कौन सी दवाएं है?

*ग्रोविटा सीरप -१-२ चम्मच दिन में २-३ बार लेनी चाहिए।
*Capsule pushti कैप्सूल पुष्टि १-२ दिन में २-३ बार लेनी चाहिए।
*गुरु अर्जुन चूर्ण:-१-१ चम्मच दिन में २-३बार ले।
*कैप्सूल अश्वगंधा १-१ कैप्सूल दिन में२-३बार दूध या पानी से लें।

#लो ब्लड प्रेशर की आयुर्वेदिक शास्त्रों में कौन कौन सी औषघियों है?

*बादाम पाक।
*च्यवनप्राश।
*मकरध्वज वटी,
*मकरध्वज रसायन,
*मृतसंजीवनी सुरा,
*नवजीवनरस,
*ब्राह्मरसायन,
*अश्वगंधा चू्र्ण,
*द्राक्षासव,
*लोहासव
द्राक्षावलेह।

#लो ब्लड प्रेशर मे १० घरेलू उपाय कर सकते है?

१-

*बादाम -२
छूवारे - २,
किसमिस - २०
अश्वगंधा चूर्ण १चम्मच 
दूध -२५० मि०ली०
पानी- २५० मि०ली० 
इन सबको मिलाकर उबालें जब पानी उड जाये तो दूध का मिश्रण पी लें।

२-

देशी चना - ५० ग्राम 
उत्तम किशमिश -४० दाने
दोनों को रात मे भिगोकर रखें सवेरे नाश्ते के रूप में चबा चबाकर खायें और पानी भी पी ले।

हृदय की दुर्बलता मे

३-

१ चम्मच आंवले के रस में १ चम्मच शहद मिला कर रोज पीयें।

४- 

७ बादाम रात में पानी में भिगो कर रखें सवेरे पीसकर दूध में मिलाकर पीयें।

५-

सुखे आंवलो का चू्र्ण ,बराबर मात्रा में मिश्री चू्र्ण मिलाकर रख लें। उसमें से १-१ चम्मच सवेरे शाम पानी से खायें।

६- 

२ग्रेन बढिया हिंग, छाछ मे मिलाकर दोपहर के भोजन के बाद पीये।

७-

रोज हल्दी वाला गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है।

८-

खजुर को दूध में पकाकर रोज पीने से लो ब्लड प्रेशर ठीक हो जाता है।

९-

अदरक के छोटे छोटे टूकडे कर के,नींबू रस व सैंधानमक लगाकर दिन में २-३ बार खाने से लाभ मिलता है

१०- 

सवेरे सवेरे तुलसी के ४-५ पत्ते मसलकर खाने चाहिए।

#लो ब्लड प्रेशर के रोगी क्या करें और क्या न करें?

*प्रोटीन युक्त भोजन करें।
*आहार में ,जौ ,पालक, गाजर, लौकी , केला , दूध , अण्डा , पनीर , मक्खन , बादाम आदि भोजन में शामिल करें।
*अगर रोगी को दस्त, वमन , या रक्तस्राव हुआ है तो रोगी को बार बार पानी पीलायें, दूध ,व फलों का जूस पीना चाहिये।
*लहसुन का पका दूध -[रसौनाक्षीर] पीयें।
*छाछ ,शहद ,अदरक , घी का प्रयोग जरूर करें।
*भोजन में खट्टी ,व स्वादिष्ट चीचें शामिल करें।
*नाक से जोर जोर से गहरी गहरी सांस ले।

#लो ब्लड प्रेशर मे क्या न करें?

< अचानक बिस्तर से न उठे।
<धुम्रपान न करें।
<मल-मूत्र का वेग न रोकें।
<भुखे न रहे उपवास न करें।
<शराब न पीयें

आपना ख्याल खुद रखे । यह जीवन अमुल्य है। खुशहाल रहे।
आशा है आपको लेख अच्छा लगा होगा।
कोमेंट कर के अपने विचार बताये।धन्यवाद,
नमस्कार!

<डा०वीरेन्द्र मढान।>



गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

Dussehra दशहरा और आयुर्वेद ।

 #दशहरा और आयुर्वेद का सम्बंध क्या है ?

By-Dr.Virender Madhan.
दशहरे से पहले बरसात के कारण पाचन संस्थान मे विकृतियों हो जाती है इसलिए हमारे ऋषियों ने वर्षा ऋतु के बाद व्रत रखने की व्यवस्था की है फिर खाली पेट रहने कुपित वात को शांत करने के लिऐ विधान बनाया है।जो हमें हमारे त्यौहारों मे दिखाई देता है।

<< दशहरे पर क्या खायेंं क्या न खायें ?>>

*क्या खाये 5 पदार्थ ?

१- पान:-

दशहरे के दिन पान खाना शुभ माना जाता है। मान्यतानुसार दशहरे के दिन पान खाने से मान सम्मान की बृध्दि होती है।
आयुर्वेद के अनुसार पान सुपाच्य 
है। तथा तासीर मे गर्म होता है। पान वात व कफ दोष नाशक है। यह कब्ज को दूर करता है। पाचनतंत्र को शक्ति देता है। शरीर दर्द मे आराम मिलता है।
पान, या पान के पत्तों का काढा बनाकर लेने से खाँसी ठीक होती है।
पान मे Vit-c, थियामिन, नियासीन,राईबोफ्लैविन,और करोटीन, कैल्शियम रीच होता है।

२<दही-चूडा:-

मिथिला क्षेत्र में दशहरे के दिन दही-चूडा खाना शुभ माना जाता है। इससे प्रसन्नता और शांति का आगमन होता है ऐसा वहाँ मानते है।यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड मे अधिक प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार दही-चूडा :-
कब्जनाशक है। यह आयरन से भरपूर है । यह पाचन मे सरल व सुपाच्य है ।तथा यह सवेरे के नाश्ते का अच्छा विकल्प है। इसको धार्मिक प्रशाद के रूप मे भी प्रयोग किया जाता है।
दही, चपटे चावल,चीनी या गुड के मिश्रण से इसको बनाया जाता है।
मकरसंक्रांति पर भी दही-चूडा बन कर खाया जाता है। यह ऊर्जा प्रदान करता है। आंतों को ठंडा रखता है। दस्त आदि रोगो मे रोगी को लाभदायक है।
अगर किसी को मीठा पसन्द नही है तो इसे नमक, प्याज, हरीमिर्च के साथ तैयार कर के खाया जाता है।

३ <खीर और श्रीखण्ड

महाराष्ट्र मे दशहरे के दिन खीर और श्रीखण्ड खाना शुभ माना जाता है। 

*खीर:-

यह चावल ,दूध और चीनी से तैयार किया जाता है। इसे "पयास” भी कहते है। पतली खीर पित्त प्रकोप को कम करता है। शरद पूर्णिमा को भी खीर रात भर चाँद की चाँदनी मे रखते है फिर प्रभात मे खाते हैं। इस खीर को अमृत समान मानते है इस खीर को चाँदी के बर्तनों में ही रखते है या चाँदी की चम्मच से खाते है।
यह खीर चर्मरोग, व श्वास रोगी के लिऐ बहुत ही लाभदायक होती है। खीर से कभी मोटापा नही बढता है।

४>श्रीखण्ड:-

यह टंगी हुई दही ,और चीनी से तैयार करते है। यह महाराष्ट्र और गुजरात में अधिक प्रयोग की जाती है। यह लोकप्रिय श्रीखण्ड टंगी हुई दही,केशर, ईलायची, सुखेमेवे,कटे ताजा फल डालकर बनाये जाते है।इसको पुरी-आलू के साथ या अकेले खाया जाता है।
इससे पेट हल्का रहता है।वजन का धटाने मे सहायक होती है।

५<सौफ और मिश्री:-

दशहरे के दिन सौफ-मिश्री खाना भी शुभ माना जाता है। दोनों को मिला कर खाने से सेहत के लिए लाभदायक होता है।
-यह एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटिओक्सीडेंट होता है।
-इसमें जिंक,कैल्शियम,पोटैशियम मौजूद होते है।
-पाचन क्रिया को मजबूत करता है।
-मुख की दुर्गंध दूर हो जाती है।
-जुकाम, सर्दी, गले की खराश दूर होती है।

इस प्रकार प्रथाओं का मानना चाहिए क्योंकि इनके पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक तथ्य होते है जो हमारे पूर्वजों ने मह ऋषियों ने बडी मेहनत से बनाया है जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

{<५-काम जो हमे दशहरे के दिन नही करने चाहिए।>}

*दशहरे के दिन किसी के लिए भी बुरा न 
सोचे।
*दशहरे के दिन किसी भी प्रकार के पेड को न काटे।
*स्त्रियों व बुजुर्गों का अपमान न करें।
*दशहरे के दिन माँस व शराब का सेवन न करे।

आशा करता हूँ कि आप को लेख पसन्द आया होगा । आपको कैसा लगा Comment मे लिखे।

खुश रहे,स्वस्थ रहे।

<डा०वीरेंद्र मढान>

मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

डेंगू { Dengue }का वार,फिर क्या करें उपचार?

जाने:-

 #{Dengue}डेंगू क्या होता है?

<< डेंगू के क्या क्या लक्षण होते है?

>> डेंगू कितने दिनोंं तक रहता है?

<< डेंगू फिवर होने पर क्या खायेंं?

>>डेंगू फिवर मे क्या न खायें?

#डेंगू फिवर हो तो क्या करें उपाय?

_Dngue डेंगू कीआयुर्वेदिक चिकित्सा?

#डेंगू मे उल्टी होने पर क्या करें?

*डेंगू की गम्भीर अवस्था कब होती है?


#क्या होता है डेंगू { Dengue} फिवर ?

#What is Dengue fever ?

Dengue डेंगू एक वायरल डिसीज Viral disease है। यह एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलने वाला रोग है।
और Virus का नाम Togavirus होता है।
इसमें बडी तेजी से शरीर का तापमान बढता है। इसमें तापमान 104 से 105 ० फेरानाईट तक हो जाता है।
यह दिन में 3 से 4 बार चढता है।
आयुर्वेद मे इसे {दण्डक ज्वर } के नाम से जानते है।दण्ड मारने जैसी पीडा करने वाला ज्वर दण्डक ज्वर कहलाता है। आयुर्वेद में इसको सन्निपात ज्वरों मे माना है।

#डेंगू फिवर-दण्डक ज्वर के क्या क्या लक्षण होते है?

#What is sing - symptoms of dengue fever?

* शरीर में जकडाहट,अस्थियों मे दर्द रहना,जोडों मे दर्द होना।
* तेज बुखार होना।
*शरीर पर दाने होना,Rash or rad spot होना।
* भुख न लगना loss of appetite,
* नाडी मंद चलना।
*सिरदर्द होना।
* उल्टी-उबकाई _Vomitting-Nausea,आना।
* पेट दर्द _abdomen pain
आदि डेंगू मे लक्षण होते है।
तीव्र अवस्था में रक्तस्राव का लक्षण मिलता है।

#डेंगू कितने दिनों तक रहता है?

यह साधारणतया ५ से ७ दिनों मे ठीक हो जाता है कभी कभी यह १४ दिनों तक भी रह जाता है।

[देखने मे आया है कि डेंगू ज्वर ठीक होने के बाद कमजोरी और जोड दर्द छोड जाता है जो एलोपैथीक मडिसिन से कभी ठीक नही होता रोगी को आयुर्वेद की शरण मे आना पडता है]

#Dengue डेंगू होने पर क्या खायें?

पथ्य:-
* नारियल पानी खुब पीये।
* संतरे का जूस पीयें।
*Vitamin-c युक्त पदार्थों का प्रयोग करें।
*हल्दी एक एंटीबायोटिक है इसलिए हल्दी वाला दूध पीये।
* पपीते का रस पीयें।
* चुकन्दर व कद्दू का रस पी या इनका सूप बना कर लेंं।
* अनार का जूस या फल खाये।
ध्यान रखें कि भोजन मे रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाने वाला व रक्तबर्धक प्लेटलेटस बढाने वाला भोजन दें।
* पूर्ण विश्राम कराये।
* तरल आहार करायेंं।
* कीवी खिलायेंं।

<< Dengue फिवर मे क्या न खायेंं?

अपथ्य:-
- फ्राईड भोजन नहीं करना है।
- मसालेदार, चटपटा ,गरिष्ठ भोजन नही करना है।
- फ्रिज से ठंडा हुआ भोजन नही करना है।

> अग्रजी दवा डिस्प्रिन न खिलाये।

#डेंगू फिवर हो तो क्या करें उपाय?

*खुब नारियल पानी पीयें ।
* मेथी दाना भिगो कर रखदें बाद मे इसका पानी पीयें।
* पपीते के पत्तों का रस या क्वाथ बना कर दें।
* प्लेटलेट्स बढाने के लिऐ खुब लिक्विड डाईट दें।
*खट्टे फलों का रस पीलायें।
* हल्दी वाला दूध दे।
* तुलसी की चाय बनाकर ठंडा होने पर शहद मिलाकर पीने को दे।
* मच्छरों से बचाव करें ।
*शरीर को ढक कर रखें।
*घर के आसपास सफाई रखें।
* गिलोय रस पीलायें।
* जौ का रस , या गेहूँ का ज्वारों का रस निकल कर पीलायें।
*सब्जियों का सूप बनाकर पीलायें।

#Dengue डेंगू की आयुर्वेदिक औषधियों कौन सी हैं?

>> प्लेटलेट्स बढाने के लिए औषधियों
* गुरु गिलोय रस
* गुरु पपीता रस
* गुरू एलोवेरा जूस
* गुरु त्रिफला रस
* गेहूँ के ज्वारों का रस
* गुडूच्यादि क्वाथ
* पटोलपंचक क्वाथ
* त्रिभुवनकिर्ति रस
* मृत्यंजय रस
* ज्वरकेशरी रस
* गोदंती भस्म
* प्रवालपिष्ट
*जहरमोरापिष्टि
* सौभाग्य वटी
*संजीवनी वटी
* गिलोय घनवटी
*महसुदर्शनचूर्ण
* पंचकोल चूर्ण
* चन्दनबलालक्षादि तैल
* अमृतारिष्ट
* कालमेघासव

* पिप्पलासव

* षड्गपानीय*

 सावधान!

 अन्य बहुत सी औषधि आयुर्वेद में है।
मगर आप इन औषघियों का प्रयोग किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर ही करें क्योंकि आयु,काल,रोग की तीव्रता, रोगी की प्रकृति के अनुसार ही औषधि व्यवस्था की जाती है अतः बिना विशेषज्ञ की सलाह के किसी भी प्रकार की औषधी नही लेनी चाहिए।यहां केवल ज्ञान प्राप्त हेतू वर्णन किया गया है।

#डेंगू मे उल्टी रोकने के लिए क्या करें?

- दो लौंग एक कप पानी में पकाकर पीने से वमन मे लाभ मिलता है।
- तुलसी के बीजों को शहद मे भिगो कर चबाने से उल्टीयां मे राहत मिलती है।
-पुदिने के पत्तों को नींबू के रस मे भिगोकर चबाने से आराम मिलता है।
करीपत्ता को खुब चबा चबाकर खायें।

#डेंगू की गम्भीर अवस्था कैसे जाने?

-जब प्लेटलेट्स कम हो जाये।
-नाक ,मुहँ से रक्तस्राव हो।
तब रोग की गम्भीर अवस्था समझे।

आपको लेख कैसा लगा टिप्पणी( comment) मे जरुर लिखे मुझे बहुत खुशी होगी।
धन्यवाद!
<डा०वीरेंद्र मढान>

रविवार, 10 अक्तूबर 2021

११ तरह के पौधे नवरात्रों में लगाने से कैसे बरसती है लक्ष्मी ?

 #११तरह के पौधे नवरात्रों में लगाने से कैसे बरसती है लक्ष्मी? 

<<{आयुर्वेद ने कहा है इन पौधों को अतिशुभ और उपयोगी।}>>

#कौन कौन से पौधे नवरात्रों पर लगायें ?

#इन पवित्र पौधों के क्या क्या लाभ है।

#क्या इन पवित्र पौधों की खेती कर के लाभ बढेगा?

आजकल नवरात्रों के पवित्र व्रत पुजा चल रही है ।इन नौ दिनो मे नौ दैविक शक्तियों की पुजा की जाती है।
यह पुजा परम्परागत रूप ऋषि मुनि काल से चली आ रही है।
हिन्दू धर्म मे जितने भी त्यौहार है उनके पीछे मानव जीवन के रहस्य छिपे है ऐसा मेरा मानना है।ऋषियों ने उत्सवों को समय-काल के अनुसार होने वाली आपदा-रोग आदि को ध्यान में रखते हुए बनाया है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे अधिकतर बडे बडे उत्सव ऋतुओं की सन्धिकाल मे स्थित किये गए है।

जब सर्दियों से गर्मी का समय आता है यानि फरवरी से मार्च के समय तथा अक्टूबर से नवम्बर के माह मे
नवरात्रे,होलिका, दिपावली ,दशहरा आदि को गौर करने पर पता चलेगा और इन कालो के गुणों को देखोगे या आयुर्वेद में वर्णित वाय,पित्त, कफ के संचय,प्रकोप, व शमन काल को 
देखते हुए स्पष्ट हो जाता है कि उत्सवो के पीछे एक वैज्ञानिक तथ्य है जो मानव के लिये उसकी शारिरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम करता है।
जितने भी पदार्थ पुजा पाठ मे काम आते है। वे सभी हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है।
जितने भी हमारे पवित्र पेड पौधे है हमारे लिए अत्यंत लाभकारी है।इनमे हमें और हमारे जीवन के लिए अथाह शक्ति भरी है।

पवित्र पेड पौधों के नाम जो नवरात्रों में लोगों को अपने घरों व बगीचे मे लाना चाहिए

१-तुलसी -

तुलसी का प्रयोग अधिकतर पुजा पाठ करने मे प्रयोग होता है।तुलसी पवित्र होने के कारण घर घर मे इसको घर के ईशान कोण मे लगाते है नवरात्रों मे भी तुलसी को घर के दरवाजो पर या आंगन मे या ईशान कोण मे लगाते है तुलसी की पुजा से लक्ष्मी प्रसन्न होती है ऐसा माना जाता है।
साथ साथ मे तुलसी मे औषधीय गुण बहुत होते है। 
तुलसी के पत्ते, पंचागं, बीज आदि बहुत ही काम की औषधि है।
यह कास ,नजला,जुकाम, श्वास ज्वर आदि रोगों मे काम आता है।
तुलसी का काढा, तुलसी का अर्क, तुलसी का शरबत, बहुत रुपो मे प्रयोग किया जा सकता है।
किसान भाई तुलसी की खेती करके अपनी परम्परागत खेती।  से ४ से ५गुणा अधिक धन कमा सकते है। लक्ष्मी आप पर कृपा करेगी।

(अगर किसी को तुलसी की खेती के बारे मे जानना चाहता है तो आगे के लेख मे वर्णन करेंगे इसलिए आप टिप्पणी Comment. मे लिखे कि आप क्या जानना चाहते है?)

२-केला:-

केला भी एक पवित्र पौधा है जो घरों में, गमलो मे भी लगाया जा सकता है ध्यान रहे केला अगर घर में लगाना हो तो इसके साथ तुलसी भी लगानी अनिवार्य है।इसको आग्नेय कोण मे लगाना वर्जित है।
केला वही व्यक्ति लगाये जो साफ सफाई रख सके पौधे की देखभाल कर सके अन्यथा न लगाये।।
केले की खेती में भी वही सफल होता है जो केले की जडों मे खाद पानी और सफाई का ध्यान रख सके।
खेती की अधिक जानकारी अगले लेखों मे मिल जायेगी 
केला भी आयुर्वेद के अनुसार बहुत लाभकारी पौधा है।
आयुर्वेद में इसकी जड या जड का स्वरस औषघियौं के निर्माण मे काम आता है क्षयरोग की दवा मे भावना देने के काम आता है।
केला धातु पौष्टिक है क्षयरोग मे उपयोगी है बल्य,और वजन बढाने वाला है।

३-शंखपुष्पी

शंखपुष्पी भी हिंदू धर्म के अनुसार घर मे लगाना भाग्य वर्द्धक माना है।यह घर के अन्दर भी लगाया जा सकता है।इसके लिए आद्रता वाली जगह चाहिए ।इसकी खेत हर जगह नहीं हो सकती है।
यह बुद्धि बर्ध्दक होती है रक्तचाप ठीक रखती है।मन मे शान्ति पैदा करती है। स्मृति मे बृध्दि होती है आयुर्वेद के अनुसार यह एक रसायन जीवन को खुशहाल व दीर्ध करती है।

४-हारसिंगार:-

हारसिंगार को पारिजात भी कहते है इस पेड के साथ एक पौराणिक कथा भी जुडी है।मान्यता है कि इसे भगवान कृष्ण स्वर्ग से लेकर आये थे। शास्त्रों के अनुसार पारिजात भी पवित्र व पुज्यनीय है।
यह १०-से १५फीट ऊँचा वृक्ष होता है। कभी कभी ३० फुट तक हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार यह कफ-वात नाशक है। 
शरीर की नाडीयों की सुजन तथा वेदना को दूर करता है।
हारसिंगार के प्रभाव से सियाटिका जैसे वेदना वाले रोग ठीक हो जाते है।
इसकी पत्तियों का रस सर्प दंश मे दिया जाता है।

५-मोरपंखी

मोर पंख के समान दिखने वाले पौधे मोरपंखी नाम से जाना जाता है अक्षर यह घर की बागवानी मे पार्कों मे सजावट के लिये लागाते है।
घर मे गमलो मे लगाना शुभ मानते है नवरात्रों मे मोरपंखी लगाने से शुभ वातावरण होता है तथा धन का के आगमन के रास्ते खुलते हैं ऐसी मान्यता है।
आयुर्वेद के अनुसार यह सिरदर्द नाडीशूल, तनाव दूर करने मे अहम भूमिका निभाता है।

६-नारियल का पेड

नारियल त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है। इसमें त्रिनेत्र के निशान भी साफ साफ दिखते हैं।पुजा मे या घर मे रखने से लक्ष्मी विष्णु प्रसन्न होते है ऐसी मान्यता है। इसे श्रीफल भी कहा जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार नारियल एक बहुत अच्छा पित्त नाशक औषधि है शरीर की जलन ,पित प्रकोप को नष्ट करता है जीवनीशक्ति देता है इम्यून सिस्टम को बल देता है हृदय रोगों को होने से बचाता है शरीर की अम्लता को दूर करता है।
इसका पौधा बडे गमलो मे घरो मे या बगीचों मे जरूर लगाना चाहिए।

७-अश्वगंधा :-

धर्म ग्रन्थों मे तथा आयुर्वेद मे इसका पौधा बहुत महत्वपूर्ण व उपयोगी है। इसको भी घर के आगे या आंगन ,या बगियाँ मे लगा लेना चाहिए शुभ व पवित्र होने के कारण घर मे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आयुर्वेद के अनुसार इसके पत्तों का चू्र्ण लेखन का काम करता है यानि फालतु की चरबी को कम करता है। फोडे फुंसियां को पकाने के लिए अश्वगंधा के पत्तों का लेप करते है
इसकी जड बल बर्ध्दक है इसका अवलेह बनाकर खाने से पौष्टिक व बल बढता है।
किसान इसी खेती करके माँ लक्ष्मी की कृपा पा सकते है तथा ४ से ५गुणा खेत से कमा सकते है।

८-रजनीगंधा

व अनार

९-अनार का पौधा भी धार्मिक मान सम्मान रखतें है अनार को घर मे लगाने से तथा बागों मे लगाने से धन आता है। आरोग्यता बढती है।
अनार रक्तबर्धक है पित्त शामक है ।
शीध्र बलदायक है शरीर को सुन्दर बनाता है।धातु को पुष्ट करता है।

१०- गुडहल 

गुडहल भी शुभ माना गया है।घरों मे शुभ वातावरण व शुभ ऊर्जा का संचार होता है।
आयुर्वेद के मे इसका बालों के रोगों की औषधि तथा शरीर मे पत्थरी की औषघियों बनाई जाती है।

११-वेलपत्थर -वेल शिवप्रिय है शिव पुजा मे बिना बेलपत्त या वेलफल के पुजा अधूरी मानी जाते है।

बेल का आयुर्वेद में बडा महत्व है इरिटेबल बाउल संड्रोम जैसे रोगों को ,ग्रहणी और आंत्रशोथ जैसे रोगों मे ब्रह्मशस्त्र की तरह काम करता है।
<पवित्र पौधे>

लेख कैसा लगा टिप्पणी मे बतायेंं। आपके Comments  से मुझे खुशी मिलगी।

डा०वीरेंद्र मढान।