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गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

अपामार्ग_चिरचिटा परिचय।


 #अपामार्ग

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By_Dr.Virender



#अपामार्ग क्या है ?

नाम:-

*अपामार्ग {apamarga plant} को चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा भी बोलते हैं। 

यह एक बहुत ही साधारण पौधा है।

* अपामार्ग [चिरचिटा]के उपयोग से विकारों को ठीक किया जाता है, बीमारियों की रोकथाम की जाती है। आप दांतों के रोग, घाव सुखाने, पाचनतंत्र विकार, खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों में अपामार्ग का लाभ ले सकते हैं।


#चिरचिटा की पहचान:-

- आयुर्वेद में अपामार्ग के अनेक गुणों का वर्णन किया गया है। यह वर्षा ऋतु में पैदा होता है। इसके पत्ते अण्डकार, एक से पांच इंच तक लंबे और रोम वाले होते हैं। यह सफेद और लाल दो प्रकार का होता है। सफेद अपामार्ग के डण्ठल व पत्ते हरे व भूरे सफेद रंग के होते हैं। इस पर जौ के समान लंबे बीज लगते हैं।


- लाल अपामार्ग के डण्ठल लाल रंग के होते हैं और पत्तों पर भी लाल रंग के छींटे होते हैं। इसकी पुष्पमंजरी 10-12 इंच लंबी होती है, जिसमें विशेषत: पोटाश पाया जाता है।

#आयुर्वेद की अपामार्ग के अदभुत 20 लाभ।


अपामार्ग खाने से ताकत आती है। यह पाचनशक्ति ब़ढाने के लिए यह पौधा काफी फायदेमंद है। 

- अपामार्ग मूल चूर्ण 6 ग्राम रात में सोने से पहले लगातार तीन दिन जल के साथ पीने से रतौंधी में लाभ होता है। 

 - जलोदर (पेट फूलने की समस्या) में अपामार्ग क्वाथा एवं कुटकी चूर्ण सेवन करने से लाभ होता है। 

- अपामार्ग को दूध के साथ सेवन करने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।


(1) #विष_चढ़नें_पर अपामार्ग।


जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले की़डों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है। इसके पत्तों की पिसी हुई लुगदी को दंश के स्थान पर पट्टी से बांध देने से सूजन नहीं आती और दर्द दूर हो जाता है।


(2) #दांतों_का_दर्द।


अपामार्ग की शाखा (डाली) से दातुन करने पर कभी-कभी होने वाले तेज दर्द खत्म हो जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है। अपामार्ग के फूलों की मंजरी को पीसकर नियमित रूप से दांतों पर मलकर मंजन करने से दांत मजबूत हो जाते हैं।


(3) #मुंह_के_छाले मे उपयोग।


अपामार्ग के पत्तों का रस छालों पर लगाएं।


(4) #संतान_प्राप्ति_के_लिए लाभकारी।


अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।


(5) #मोटापा घटायें।


अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन ब़ढ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।


(6) #कमजोरी भगाये।


अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। एक कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।


(7) #सिर_में_दर्द को दूर करे।


अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।


(8) #मलेरिया_से_बचाव करें।


अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।


(9) #गंजापन मे उपयोगी।


सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।


(10) #खुजली हटाये चिरचिटा।


अपामार्ग के पंचांग (ज़ड, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों में खुजली दूर जाएगी।


(11) #आधाशीशी (आधे सिर में दर्द) मे कारगर औषधि।


इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की ज़डता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।


आंखों के रोग


(13) #आंख_की_फूली दूर करें।


अपामार्ग की ज़ड के २ ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर दो-दो बूंद आंख में डालने से लाभ होता है। धुंधला दिखाई देना, आंखों का दर्द, आंखों से पानी बहना, आंखों की लालिमा, फूली, रतौंधी आदि विकारों में इसकी स्वच्छ जड़ को साफ तांबे के बरतन में, थो़डा-सा सेंधा नमक मिले हुए दही के पानी के साथ घिसकर अंजन रूप में लगाने से लाभ होता है।


(14) #खांसी_श्वास मे लाभकारी।


अपामार्ग की जड़ में बलगमी खांसी और दमे को नाश करने का चामत्कारिक गुण हैं। इसके 8-10 सूखे पत्तों को बीड़ी या हुक्के में रखकर पीने से खांसी में लाभ होता है। अपामार्ग के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाने से बच्चों की श्वासनली तथा छाती में जमा हुआ कफ दूर होकर बच्चों की खांसी दूर होती है। न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 ग्राम गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।


(15) #विसूचिका (हैजा)में।


अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को 2 से 3 ग्राम, 4 कालीमिर्च, 4 तुलसी के पत्ते थोड़ा जल व मिश्री मिलाकर देने से विसूचिका में अच्छा लाभ मिलता है।


(16) #बवासीर भगाये।


अपामार्ग की जड़, तना, पत्ता, फल और फूल को मिलाकर काढ़ा बनाएं और चावल के धोवन अथवा दूध के साथ पीएं। इससे खूनी बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है।


(17) #उदर_विकार (पेट के रोग)मे लाभ।


अपामार्ग पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) को 20 ग्राम लेकर 400 ग्राम पानी में पकायें, जब चौथाई शेष रह जाए तब उसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग नौसादर चूर्ण तथा एक ग्राम कालीमिर्च चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। 8 पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का काढ़ा 50-60 ग्राम भोजन के पूर्व सेवन से पाचन रस में वृद्धि होकर दर्द कम होता है। भोजन के दो से तीन घंटे पश्चात पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का गर्म-गर्म 50-60 ग्राम काढ़ा पीने से अम्लता कम होती है तथा श्लेष्मा का शमन होता है।


(18) #भस्मक_रोग (भूख का बहुत ज्यादा लगना) : 


भस्मक रोग जिसमें बहुत भूख लगती है और खाया हुआ अन्न भस्म हो जाता है परंतु शरीर कमजोर ही बना रहता है, उसमें अपामार्ग के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम दिन में 2 बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे निश्चित रूप से भस्मक रोग मिट जाता है।

>>भस्मक रोग मे खीर:-

अपामार्ग की खीर : इसके बीज छोटे चावल के जैसे होते हैं। इसके छिलका उतरे बीज 5 ग्राम से 10 ग्राम लें, उन्हे मोटा कूट लें, अब उन्हे 250 मिलीलिटर दूध मे डालकर आधा घंटा धीमी आंच पर उबालें। स्वादानुसार चीनी मिलाऐ, व सेवन करें।


(19) #वृक्कशूल (गुर्दे का दर्द) किडनी के लिए:-

 >अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।


(20) #गर्भधारण_करने_के_लिए:-

#महिलाओं के लिए वरदान।


अनियमित मासिक धर्म या अधिक रक्तस्राव होने के कारण से जो स्त्रियां गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, उन्हें ऋतुस्नान (मासिक-स्राव) के दिन से उत्तम भूमि में उत्पन्न अपामार्ग के १० ग्राम पत्ते, या इसकी 10 ग्राम जड़ को गाय के 125 ग्राम दूध के साथ पीस-छानकर 4 दिन तक सुबह, दोपहर और शाम को पिलाने से स्त्री गर्भधारण कर लेती है। यह प्रयोग यदि एक बार में सफल न हो तो अधिक से अधिक तीन बार करें। अपामार्ग की जड़ और लक्ष्मण बूटी 40 ग्राम की मात्रा में बारीक पीस-छानकर रख लेते हैं। इसे गाय के 250 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह के समय मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।


#अपामार्ग की मात्रा:-

*रस- 10-20 मिली

*जड़ का चूर्ण- 3-6 ग्राम

*बीज- 3 ग्राम

*क्षार- 1/2-2 ग्राम

आशा है आपका लेख पसन्द आया होगा। कोमन्ट मे जरूर बतायें।

[डा०वीरेंद्र मढान.]

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