#निद्रा [Slumber]क्या है?
By:-<Dr.Virender Madhan >
>> निद्रा किसे कहते है?
Health and fitness यह ब्लॉग आयुर्वेदिक ज्ञान , औषधियों और जडी-बूटी की पूरी जानकारी के बारे में है ।
#निद्रा [Slumber]क्या है?
>> निद्रा किसे कहते है?
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*अपामार्ग {apamarga plant} को चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा भी बोलते हैं।
यह एक बहुत ही साधारण पौधा है।
* अपामार्ग [चिरचिटा]के उपयोग से विकारों को ठीक किया जाता है, बीमारियों की रोकथाम की जाती है। आप दांतों के रोग, घाव सुखाने, पाचनतंत्र विकार, खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों में अपामार्ग का लाभ ले सकते हैं।
- आयुर्वेद में अपामार्ग के अनेक गुणों का वर्णन किया गया है। यह वर्षा ऋतु में पैदा होता है। इसके पत्ते अण्डकार, एक से पांच इंच तक लंबे और रोम वाले होते हैं। यह सफेद और लाल दो प्रकार का होता है। सफेद अपामार्ग के डण्ठल व पत्ते हरे व भूरे सफेद रंग के होते हैं। इस पर जौ के समान लंबे बीज लगते हैं।
- लाल अपामार्ग के डण्ठल लाल रंग के होते हैं और पत्तों पर भी लाल रंग के छींटे होते हैं। इसकी पुष्पमंजरी 10-12 इंच लंबी होती है, जिसमें विशेषत: पोटाश पाया जाता है।
अपामार्ग खाने से ताकत आती है। यह पाचनशक्ति ब़ढाने के लिए यह पौधा काफी फायदेमंद है।
- अपामार्ग मूल चूर्ण 6 ग्राम रात में सोने से पहले लगातार तीन दिन जल के साथ पीने से रतौंधी में लाभ होता है।
- जलोदर (पेट फूलने की समस्या) में अपामार्ग क्वाथा एवं कुटकी चूर्ण सेवन करने से लाभ होता है।
- अपामार्ग को दूध के साथ सेवन करने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले की़डों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है। इसके पत्तों की पिसी हुई लुगदी को दंश के स्थान पर पट्टी से बांध देने से सूजन नहीं आती और दर्द दूर हो जाता है।
अपामार्ग की शाखा (डाली) से दातुन करने पर कभी-कभी होने वाले तेज दर्द खत्म हो जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है। अपामार्ग के फूलों की मंजरी को पीसकर नियमित रूप से दांतों पर मलकर मंजन करने से दांत मजबूत हो जाते हैं।
अपामार्ग के पत्तों का रस छालों पर लगाएं।
अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन ब़ढ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।
अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। एक कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।
अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।
अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।
सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।
अपामार्ग के पंचांग (ज़ड, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों में खुजली दूर जाएगी।
इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की ज़डता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।
अपामार्ग की ज़ड के २ ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर दो-दो बूंद आंख में डालने से लाभ होता है। धुंधला दिखाई देना, आंखों का दर्द, आंखों से पानी बहना, आंखों की लालिमा, फूली, रतौंधी आदि विकारों में इसकी स्वच्छ जड़ को साफ तांबे के बरतन में, थो़डा-सा सेंधा नमक मिले हुए दही के पानी के साथ घिसकर अंजन रूप में लगाने से लाभ होता है।
अपामार्ग की जड़ में बलगमी खांसी और दमे को नाश करने का चामत्कारिक गुण हैं। इसके 8-10 सूखे पत्तों को बीड़ी या हुक्के में रखकर पीने से खांसी में लाभ होता है। अपामार्ग के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाने से बच्चों की श्वासनली तथा छाती में जमा हुआ कफ दूर होकर बच्चों की खांसी दूर होती है। न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 ग्राम गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।
अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को 2 से 3 ग्राम, 4 कालीमिर्च, 4 तुलसी के पत्ते थोड़ा जल व मिश्री मिलाकर देने से विसूचिका में अच्छा लाभ मिलता है।
अपामार्ग की जड़, तना, पत्ता, फल और फूल को मिलाकर काढ़ा बनाएं और चावल के धोवन अथवा दूध के साथ पीएं। इससे खूनी बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है।
अपामार्ग पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) को 20 ग्राम लेकर 400 ग्राम पानी में पकायें, जब चौथाई शेष रह जाए तब उसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग नौसादर चूर्ण तथा एक ग्राम कालीमिर्च चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। 8 पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का काढ़ा 50-60 ग्राम भोजन के पूर्व सेवन से पाचन रस में वृद्धि होकर दर्द कम होता है। भोजन के दो से तीन घंटे पश्चात पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का गर्म-गर्म 50-60 ग्राम काढ़ा पीने से अम्लता कम होती है तथा श्लेष्मा का शमन होता है।
भस्मक रोग जिसमें बहुत भूख लगती है और खाया हुआ अन्न भस्म हो जाता है परंतु शरीर कमजोर ही बना रहता है, उसमें अपामार्ग के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम दिन में 2 बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे निश्चित रूप से भस्मक रोग मिट जाता है।
अपामार्ग की खीर : इसके बीज छोटे चावल के जैसे होते हैं। इसके छिलका उतरे बीज 5 ग्राम से 10 ग्राम लें, उन्हे मोटा कूट लें, अब उन्हे 250 मिलीलिटर दूध मे डालकर आधा घंटा धीमी आंच पर उबालें। स्वादानुसार चीनी मिलाऐ, व सेवन करें।
>अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।
अनियमित मासिक धर्म या अधिक रक्तस्राव होने के कारण से जो स्त्रियां गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, उन्हें ऋतुस्नान (मासिक-स्राव) के दिन से उत्तम भूमि में उत्पन्न अपामार्ग के १० ग्राम पत्ते, या इसकी 10 ग्राम जड़ को गाय के 125 ग्राम दूध के साथ पीस-छानकर 4 दिन तक सुबह, दोपहर और शाम को पिलाने से स्त्री गर्भधारण कर लेती है। यह प्रयोग यदि एक बार में सफल न हो तो अधिक से अधिक तीन बार करें। अपामार्ग की जड़ और लक्ष्मण बूटी 40 ग्राम की मात्रा में बारीक पीस-छानकर रख लेते हैं। इसे गाय के 250 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह के समय मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।
*रस- 10-20 मिली
*जड़ का चूर्ण- 3-6 ग्राम
*बीज- 3 ग्राम
*क्षार- 1/2-2 ग्राम
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Dr.virender madhan.
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* Bhringraj, markav, bhring, angarak, keshraj, bhringaar and keshranjan all are different names of Eclipta Alba.
This herb has various properties such as it is pungent in taste, have hot potency, dry, pacifies (vata, kapha) and good for hair.
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Bhringraj juice is known to clean and detox the liver, balance out the doshas, and enhance liver cell generation to improve the liver’s functioning.
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* Bhringraj has anti-inflammatory properties, which means that it provides a soothing and cooling effect when applied to the skin.
Studies conclude that bhringraj juice is effective in relieving skin diseases as it has antimicrobial and antibacterial properties.
According to Ayurveda, Bhringraj is known to be a jatharagni deepaka.
* Bhringraj absorbs food, assimilates it, and aids the excretion of waste. Feel free to supplement this with some yoga for digestion. Bhringraj aggravates the Pitta Dosha and keeps digestive issues like gastric ulcers, nausea and dysentery in check.
* Bhringraj for Alzheimer’s
-A lab test shows that Bhringraj and ashwagandha protect the nervous system and reduce oxidative stress, thereby minimizing memory loss faced due to Alzheimer’s.
Take ½-1 teaspoon of Bhringraj powder.
Mix with Coconut oil and massage on the scalp.
Leave it for 1-2 hours and wash it with any herbal shampoo.
Repeat this thrice a week to fight hair fall and premature greying of hair.
When used on our hair, Bhringraj oil is known to have miraculous effects. ... It improves blood circulation and is capable of revitalizing the hair follicles and facilitating hair growth. When applied on the scalp, the results are visible within a week or two of application of the oil.
Treats dandruff and dry scalp.
* Bhringraj oil is dense and has a higher specific gravity as compared to other oils.
*Treats baldness and helps in hair growth.
* Prevents hair fall.
*Promotes hair growth.
* Prevents graying of hair.
* Makes hair lustrous.
* Repairs hair damage.
It brings its cooling, rejuvenating benefits to the mind and nervous system while it also supports the liver, circulation, and even healthy skin.
On the other hand, Bhringraj churna is eaten with ghee, milk or water. It aids digestion, improves liver and kidney health and promotes heart health.
The active ingredient, Eclipta alba, has a diuretic effect and may cause increased urination if taken orally. Bhringraj oil should be used with caution if taking diuretics (water pills) such as Lasix (furosemide), as this can lead to excessive urination and a drop in blood pressure (hypotension).
Recommended Dosage of Bhringraj
* Bhringraj Powder - ¼- ½ teaspoon twice a day.
* Bhringraj Capsule - 1-2 capsule twice a day.
* Bhringraj Juice - 1-2 teaspoon twice a day.
* Bhringraj Tablet - 1-2 tablets twice day.
#Mukoliv is useful for diseases of liver and spleen.
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