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सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

क्या है अल्परक्त दाब (Hypotension) Dr.Virender Madhan.in hindi.



 अल्प रक्तदाब (Hypotension)

#Dr_Virender_Madhan.

»क्या होता है Hypotension?

» परिचय:-

अल्प रक्तदाब को हीनरक्त दाब, क्षीण व्यानबल,आदि नामों से जानते है।

जब किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 100mm और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 60 mm से कम हो तो उसे लो ब्लडप्रेशर, अल्परक्त दाब,हीन रक्तदाब जाना जाता है।

- लो ब्लड प्रेशर(Low Blood Pressure) आपको दिल की होने वाली बीमारियों का भी संकेत देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि खून का बहाव यानी फ्लो सीधे-सीधे तौर पर दिल की पम्पिंग की क्रिया पर निर्भर करता है। दिल की दिक्कतें शरीर में बहुत सारी समस्याएं खड़ी करा सकती हैं। क्योंकि अंगों तक यदि पर्याप्त खून नहीं पहुंचेगा। तो वे अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है।


#Hypotension के कारण:-


- लो बी.पी. इंसान को किसी भी कारण से हो सकते हैं जैसे शरीर में पानी की कमी, दवाई का असर, सर्जरी या गंभीर चोट, आनुवंशिक या जेनेटिक, स्ट्रेस लेना, ड्रग्स का सेवन, खान पान की बुरी आदतें, ज्यादा समय तक भूखा रहना या अनियमित खान पान आदि।


*औषधियों के कारण:-

- कुछ एलोपैथी दवा के कारण रोगियों के रक्तचाप अल्पता हो जाती है।


#संक्रमण के कारण?

- शरीर मे कोई संक्रमण हो तो भी बी.पी कम हो सकता है हृदय,वृक्क,आदि ओरगनस के संक्रमण से अधिकतर B.P.Low हो जाता है हृदयरोग  मे भी बी.पी. प्रभावित होता है।


*रक्तस्राव के कारण-

- अधिक रक्तस्राव होकर बी.पी इतना कम हो सकता है कि रोगी की मृत्यु तक हो सकती है .

*कुपौषण के कारण:-


कुपौषण भी इस रोग का बडा कारण है.पौष्टिक आहार नही होगा या पौष्टिक आहार नही खायेंगें तो रक्ताल्पता होगी उसके बाद रक्तदाब अल्पता हो जाती है। 


अन्य कारण :-

- जैसे लगातार खडे रहने से, लू लग जाने से, रक्तवाहिनियों के फूल जाने से आन्त्रशोथ मे, चिंता करने से ,गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर कम हो जाने की सम्भावना अधिक होती है।

अत्यधिक व्रत करना भी एक कारण बन जाता है।


#Hypotension के लक्षण:-


* सिरशूल ,चक्कर आना।

*किसी भी कार्य में दिल न लगना।

* हाथ-पैर ठण्डे होना।

*भुख की कमी।

*आंखों के सामने अंधेरा छा जाना।

*मूत्र कम आना.

*थोडे से काम करने से सांस फूलना।

*रोगी चुपचाप रहता है।

*रोगी की आंखें अंदर धस जाती है।

*मांसपेशियों मे ऐंठन रहती है।


#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियां:-

*बादाम पाक:- 1-1 चम्मच प्रातः सांय काल दूध के साथ लें।

*मकरध्वज वटी :-1-1गोली दिन में 2 बार दूध के साथ लें।

*मृतसंजीवनी सुरा 2-2 चम्मच बराबर मात्रा में पानी मिलाकर दिन में 2बार लें।

*नवजीवन रस 1-1 गोली दिन में2 बार दूध से ले।

*द्राक्षावलेह 10-10 ग्राम प्रात सांयकाल दूध से लें।

*ब्राह्म रसायन:-1-1 चम्मच प्रात सांय काल दूध से लें।

*अश्वगंधा चूर्ण 1-1 चम्मच प्रात सांय काल दूध से लें।

*लोहासव 3-3चम्मच बराबर पानी मिलाकर भोजन के बाद दिन में 2बार लें।

*मकरध्वज रसायन:-

1-1 गोली दिन में 2 बार दूध से ले।

#लो बी०पी०मे क्या घरेलू उपाय करें ?

*बादाम 2, छुवारे 2 ,किसमिश 20 ,अश्वगंधा चूर्ण 1चम्मच ,250 ग्राम दूध, 250 पानी मिलाकर खुब उबालें दूध मात्र रहें बाद मे पीले.

*काले चने 50 ग्राम. किसमिस40  लेकर रात मे पानी मे भिगो लें सवेरे नाश्ते के रूप मे खालें।

*बी०पी०अधिक कम होने पर बायें करवट चुपचाप लेटा रहे।

*सुखे आंवला का चूर्ण बराबर मिश्री मिलाकर 10 ग्राम दूध के साथ रोज लें।

आमलकी रसायन 10 ग्राम रोज खायें।

*आंवला रस मे बराबर शहद मिलाकर 20 ग्राम सवेरे सायं लेने से अल्परक्त दाब ठीक हो जाता है।

*गोदंती हरिताल भस् 4ग्राम, स्वर्णमाक्षिक और मृगश्रृंग भस्म 2-2 ग्राम

सुतशेखर रस 1ग्राम लेकर सभी को मिलाकर पीस कर रख लें।

इसमे से 125-250 मि०ग्राम दिन मे 3बार दूध से लें।


पथ्यापथ्य:-

#क्या खायें क्या न खायें ?


*याद रहे रोगी को रक्त की कमी होती है अतः रोगी को पौष्टिक भोजन दें।प्रोटीन युक्त भोजन अधिक खाने को दें।

*दूध , अण्डे, पनीर, मक्खन, बादाम, मांस रस, आदि भोजन मे दें।

*चिंता नहीं करें.

*आराम करें.

*डाइट् और लाइफस्टाइल में बदलाव करें।

*खाने में नमक की मात्रा सामान्य रखें।

* दिनभर में पानी या किसी अन्य तरह का तरल पदार्थ को उचित मात्रा में लेते रहे। 

* दूध, मट्ठा, जूस, लस्सी आदि,जरुर लेते रहें।

* एक झटके से अचानक नीचे से ऊपर की ओर न उठें।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान।


शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

#खराब कोलेस्ट्रॉल ?In hindi


 #खराब कोलेस्ट्रॉल ?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

#कोलेस्ट्रोल क्या होता है ?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कफ की अधिकता होने से कोलेस्ट्रॉल की उत्पत्ति होती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल दो तरह के होते है.

-गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL– High Density Protine)

- बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL– Low Density Protine)। 


कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल

'खराब' कोलेस्ट्रॉल। एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल खराब है, क्योंकि अगर ये आपके शरीर में बहुत अधिक है तो यह आपकी धमनियों (Arteries) की दीवारों में फंस जाता है।

- गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक के निर्माण और रुकावट का कारण बन सकता है। ऐसे स्थिति हार्ट अटैक, स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट के जोखिम को बढ़ा देती है।

#हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण

* मतली आना।

* जबड़ों और बांहों में दर्द

* बहुत अधिक पसीना आना।

* सांस लेने में समस्या होना।

*कुछ लक्षणों में चिंता, 

* चक्कर आना, 

* अत्यधिक थकान आदि शामिल हैं. ऐसा तब होता है जब धमनियों में चकते जमने लगते हैं. यह बाहों, गुर्दे, पैर, पेट, और पैरों को रक्त प्रवाह को ब्लॉक करने लती हैं. 

* कुछ लक्षणों में किसी भी व्यायाम के दौरान पैरों में दर्द, ऐंठन, थकान, बेचैनी शामिल होती है.


» “शरीर में लिवर द्वारा निर्मित मोम या वसा जैसे पदार्थ को ही कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) या लिपिड (lipid) कहते हैं. अलग-अलग तरह की विभिन्न शारीरिक क्रियाओं को संपन्न करने के लिए उचित मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का शरीर में होना अनिवार्य है.”


#कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?


-अधिक वसा वाले आहारों का सेवन करने से रक्त में एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। 

- रेडमीट, घी, पनीर, मक्खन जैसे डेयरी उत्पाद, केक, पेस्ट्री, जंक फूड, अंडा, नारियल तेल, पाम ऑइल, चॉकलेट्स और प्रोसेस्ड फूड हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।


#कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय .

- अलसी 

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अलसी बेहद फायदेमंद है, इसके लिए आप अलसी के पिसे हुए बीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

-ओट्स 

- धनिया के बीज

- मछली 

-प्याज 

- नारियल तेल 

- संतरे का जूस

- बादाम और पिस्ताआदि का प्रयोग करें।


#हाई कोलेस्ट्रॉल से बचाव कैसे करें?

- शराब और धूम्रपान से दूरी बना लें।

- सप्ताह में कम से कम 150 मिनट व्यायाम करें।

- रिफाइंड खाद्य पदार्थ, सेचुरेटेड फैट और अतिरिक्त शुगर के सेवन से बचें।

- अपने आहार में दाल, बीन्स, नट्स आदि को शामिल करें।


#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार.


- आरोग्यवर्द्धिनी वटी, 

- पुनर्नवा मंडूर, 

- त्रिफला, और 

- अर्जुन की छाल के चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।

- अलसी के बीज पीसकर उन्हें पानी से खाली पेट लेंने से यह उच्च कॉलेस्ट्रॉल वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

- मेदोहर वटी व 

- नवक गुगल वटी गुनगुने पानी से लेंने से लाभ मिलता है।



#कोलेस्ट्रॉल में क्या खायें क्या नहीं खाना?

* फल और सब्जियां :

दरअसल, ज्यादातर फल और सब्जियां कुछ प्रकार के फाइबर से भरपूर होती हैं। यह फाइबर कोलेस्ट्रॉल को आंतों से रक्त प्रवाह में अवशोषित होने से रोकने में मदद करता है। दालें, मटर, मसूर , सेम में सबसे ज्यादा फाइबर पाया जाता है। शकरकंद, भिंडी, ब्रोकोली,सेब और स्ट्रॉबेरी 


* कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर मीट, चिकन और अंडे के पीले हिस्से का सेवन बिल्कुल न करें। इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थ भी न खाएं, क्योंकि ये हर प्रकार से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक ही होते हैं। इससे शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, जिससे आपकी परेशानियां और बढ़ जाएंगी।

{अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।}


गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

कविता महीनोंनुसार लाईफ स्टाईल.in hindi.


 #आहार-विहार महीनों के अनुसार { Life Style } कैसा होना चाहिये?In hindi.

#Dr_Virender_Madhan.


* वर्ष भर मे मासानुसार क्या करें क्या न करें,?

* क्या खायें क्या न खायें?


“चैत्र माह में गुड मत खाना,

दिन उगते ही चने चबाना।

आये जब वैशाख महीना,

तैल छोड-वेल रस पीना।।”


अर्थात्-

अप्रैल माह मे गुड नही खायें,सवेरे के समय चना चबा चबा कर खाना चाहिए।

मई के महीने मे तैल का प्रयोग खाने मे न करें।

वेल का रस बनाकर लेना चाहिए।


“ जेठ मास राई मत खाओ,

बीस मिनठ दिन मे सो जाओ।

मत आषाढ़ बेल फल खाना,

खेल कूद मे लगन बढाना।।”


अर्थात्..

जून माह मे राई या राई वाली चीजों को नही खाना है।इस माह मे रूक्षता के कारण 20-25 मिनट दिन में सो लेना चाहिए अन्य माह मे दिन मे सोना आयुर्वेद में वर्जित माना है।

जौलाई माह मे बेल फल नही खाना चाहिए और खेल कूद, व्यायाम करना चाहिए।


“सावन नींबू खाना छोडो,

बाल-हरड से नाता जोडो।

भादो माह मही मत खाना,

तिक्त चीचों का लाभ उठाना।


अर्थात् ..

सावन माह (अगस्त) मे नींबू नहीं खाना चाहिए तथा छोटी हरड का प्रयोग करना चाहिए।


सितम्बर माह मे मही (दूध) छोडकर तिक्त स्वाद वाले भोजन भी करने चाहिए।


“क्वार करेला कभी न खाना ,

लेकिन गुड से हाथ मिलना।

कार्तिक मास दही मत खाना,

आंवले को आहार मे लाना ।।”


अर्थात्..

क्वार (अक्टूबर )माह मे करेले का त्याग कर देना चाहिए।तथा गुड का सेवन करना चाहिए।

नवम्बर माह( कार्तिक)में दही नही खाना और आंवला रोज खायें।


“अगहन मे जीरा मत खाना,

तैल युक्त भोजन अपनाना।

पौष माह मे धनिया छोडो,

दुग्धपान से नाता जोडो।।”


अर्थात्..

दिसम्बर माह ( अगहन) मे जीरे का प्रयोग न करें।तैल से बने भोजन करें।

जनवरी माह (पौष) में घनिया खाना छोड दे और दुग्धपान खूब करें।


“माघ माह मिश्री छोडो,

घी-खिचडी से नाता जोडो।

फाल्गुन माह चने मत खाना,

प्रातःकाल अवश्य नहाना।।”


अर्थात्..

फरवरी मास ( माघ माह) मिश्री नही खानी चाहिए ।

फरवरी मे घी खिचड़ी जरूर खानी चाहिए।

मार्च महीने (फाल्गुन मास) मे चने नही खायें और इस महीने नित्य स्नान करना चाहिए।


बारह मास इस प्रकार परहेज़ कर के या मास अनुसार भोजन मे परिवर्तन कर के अनेकों रोगों से बचा जा सकता है।

अपने स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। यही आयुर्वेद का लक्ष्य भी है।

#Dr_Virender_Madhan.


बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

गोदन्ती (हरताल) भस्म।in hindi.


 


गोदन्ती (हरताल) भस्म

#गोदंती के विषय में आयुर्वेदिक जानकारी।

#Dr_Virender Madhan.


Contains

गोदंती क्या है?

गोदंती का शोधन

गोदंती का मारण

गोदंती भस्म के गुण

* गोदंती:-

यह अपने नाम से प्रसिद्ध है। बाजार में पत्रमय-शीला या पाशेदार टुकड़ों के रूप में यह मिलती है। औषधि के लिऐ दोनों का प्रयोग होता है।

- मुंबई में इसे घापाण तथा दक्षिण भारत के सिद्ध संप्रदाय में इसे कर्पूर शिला एवं अंग्रेजी में से जिप्सम ( Gypsum) कहते हैं।


#गोदंती का शोधन विधि :-

अच्छी गोदंती को गर्म पानी से धोकर साफ करके धूप में सुखाकर रख लें।


#गोदंती भस्म बनाने की विधि :-

जमीन में एक हाथ दे गहरा गड्ढा बना उसका चौथाई भाग कण्डो से भरकर उस पर गोदंती के टुकड़ों को अच्छी तरह बिछा दें और ऊपर कण्डो से शेष भाग को भरकर आँच दें। स्वांग शीतल होने पर कण्डों की राख को सावधानी से हटाकर गोदंती भस्म को निकाल चंदनादि अर्क (उत्तम चंदन का चूर्ण, मौसमी गुलाब तथा केवड़ा, वेदमुश्क का मौलसरी और कमल के फूल सबको एकत्र कर उसमें 8 गुना पानी डालकर भवके से आधा अर्क खींचे) इसमें या ग्वारपाठा (घृतकुमारी) के रस में घोंटकर टिकिया बना कर धूप में सुखाएं, जब टिकिया खूब सूख जाए तो सराब-संपुट में बंद कर लघुपुट में फूँक दें। यह स्वच्छ-सफेद और बहुत मुलायम भस्म तैयार होगी।


दूसरी विधि :-

गोदंती के टुकड़ों के ऊपर-नीचे ग्वारपाठे का गुदा लगाकर हंडिया में रखकर गजपुट में पुट देने से एक-दो पुट में ही उत्तम भस्म बनकर तैयार हो जाती है।


गोदंती भस्म के गुण और उपयोग


गोदन्ती से बनाई गई यह भस्म एक खनिज आधारित आयुर्वेदिक औषधि है। यह प्राकृतिक कैल्शियम और सल्फर सामग्री में समृद्ध है। 


- आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार, गोदन्ती भस्म तीव्र ज्वर (आयुर्वेद में इसे पित्तज ज्वर के रूप में भी जाना जाता है), 

* सिरदर्द, जीर्ण ज्वर, मलेरिया, योनिशोथ, श्वेत प्रदर, गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव, सूखी खाँसी और रक्तस्राव के विकारों के लिए लाभदायक है।आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग उच्च रक्तचाप, उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द, अनिद्रा, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, कब्ज, अपच, निम्न अस्थि खनिज घनत्व, ऑस्टियोपोरोसिस, खाँसी और दमा में भी करते हैं।

सामान्यतया इसका 

 अल्सर, बुखार, कास, सांस की समस्या, सिर दर्द, पुराना बुखार, सफेद पानी की समस्या, कैल्शियम की कमी, आदि में प्रयोग करने से फायदेमंद होता है। गोदन्ती भस्म के सेवन से शरीर ठंड़ा रहता है, पित्त कम रखने जैसे गुण पाए जाते हैं।


चेतावनी:-किसी भी द्रव्य या औषधी का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

डा०वीरेंद्र मढान


मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

#गर्दन दर्दNack Pain.dr.virender madhan.in hindi.


 #गर्दन दर्दNack Pain.

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By:-

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#गर्दन और कंधे में दर्द क्यों होता है?

कारण:-

 पीठ के ऊपरी हिस्‍से यानि गर्दन और कंधे में दर्द होने का सबसे बड़ा कारण है सही से न बैठना, सही से आसन से न सोना।

 *रात को सोते समय गलत तकिया की वजह से यह दर्द हो सकता है ।

*कई बार हमारी दिनचर्या भी गर्दन में दर्द का कारण बन जाती है.

* कोई पुरानी चोट भी इसकी वजह हो सकती है.

- इसके अलावा गलत तरीके से उठना-बैठना, लेटना या फिर बहुत मोटी तकिए का इस्तेमाल करना इस दर्द और अकड़ का कारण हो सकता है. इसके अलावा कई घंटों तक एक ही मुद्रा में बैठे रहने से भी गर्दन में दर्द हो सकता है.


** गर्दन, कंधों और आसपास की मांसपेशियों में दर्द सामान्य या गंभीर होता है। इससे सिर में दर्द, सुन्नता, कठोरता, अकड़ जाना, झुनझुनी, कुछ भी निगलने में दर्द होना और सूजन आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 

*मांसपेशियों में तनाव और खिचाव आना, बिना ब्रेक लिए घंटों तक काम करते रहना, *सोते समय गर्दन की अवस्था गलत हो जाना और व्यायाम के समय गर्दन में मोच आ जाना आदि शामिल हैं।


अन्य कारण-

 जैसे पोषक तत्वों की कमी, गर्दन की चोट, सर्विकल स्पोंडिलोसिस आदि शामिल हैं। कही कही मामलों में ये समस्या स्पाइन के संक्रमित होने के कारण और स्पाइन में कैंसर होने की वजह से भी होती है। 


#सर्वाइकल के क्या क्या लक्षण होते हैं?

 

- हाथ-पैरों में कमज़ोरी और 

- सूजन 

- चलने-फिरने में दिक्कत 

- ऐंठन होना 

- आंतों की प्रक्रिया में बदलाव 

- गर्दन में झटका या दबाव 

- चोट के कारण 

- रीढ़ में खिंचाव


#गर्दन के दर्द होने पर क्या करें उपाय ?


- जब गर्दन के पीछे दर्द ज्यादा बढ़ जाए, तो पानी को हल्का गर्म कर लें और उसमें नमक डालकर सूती कपड़े से गर्दन की सिकाई करें।  

» [आप डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं]

- घर पर आप हिंग और कपूर बराबर मात्रा में ले थोडे से सरसों के तैल मे मिला कर रगडकर क्रीम सी बनाकर गर्दन पर लगाये।

- अदरक का पानी में पेस्ट बना कर गर्दन पर दर्द वाले स्थान पर. लगा सकते है।

- किसी तैल से गर्दन पर हल्के हाथों से मालिस कर सकते है।

- गर्म पानी मे कपडा भिगोकर सेक सकते है .

- गर्म पानी से ही स्नान करें।

-किसी एक्सपर्ट से पुछ कर गर्दन की एक्सरसाइज करें।

#गर्दन दर्द के लिए आयुर्वेदिक औषधियों:-

*अभ्यगं- 

- न्यूमोस आयल (गुरु फार्मास्युटिकल)

- महानारायण तैल

-प्रसारिणी तैल आदि की गर्दन पर हल्के हाथों से मालिस करें।


* रुक्ष स्वेदन:-

-गर्म कपडे से.

- गर्म पानी की बोतल से.

-हथेली रगड कर सेक कर सकते है।

* नस्य:-

वेल, कालीमिर्च, बला का तैल मे नस्य बनाकर रोगी को नस्य दे।

-षडबिंदूतैल का नस्य दे सकते है।

*अन्य औषधीय प्रयोग:-

रसौनाक्षीर का प्रयोग

दशमूल क्वाथ या

दशमूलारिष्ट का प्रयोग

- लाक्षादिगुग्गुल-

- महायोगराज गुग्गुल

- महावातविध्वंन रस

-वृहतवातचिन्ता मणी रस

#क्या करें क्या न करें?

{पथ्यापथ्य}

-आहार में मटर, गोभी, करेला, - दालें न खायें।

- जामुन-सुपारी न खाये।

अधारणीय वेग धारण न करें यानि जैसे 

- छींक, 

डकार,जम्भाई,मल-मूत्र आदि वेगों को न रोकें।

- दिन मे न सोये

- रात्रि मे देर तक न जागे।

-व्यायाम, व्रत, अधिक पैदल न चलें।

- सिर या हाथ से वजन न उठायें।


#drvirendermadhan




बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

#मोटापा की वास्तविकता। in hindi


 #मोटापा की वास्तविकता।in hindi

#Fact of ayurveda

By:- Dr.Virender Madhan.

» बहुत से लोगों के मन में यह गलतफहमी होती है कि वह किसी एक प्रकार के भोजन की वजह से मोटापे का शिकार हो रहे हैं। यह खाने से मोटापा बढ़ता है यह खाने से कम होता है। मोटापा कम करने के लिए चावल खाना छोड़ें या रोटी?

» मोटापा बढ़ता है जरूरत से ज्यादा खाना खाने से मतलब अगर आप दिन भर में अपनी जरूरत के मुकाबले ज्यादा खाना खाएंगे तो फिर आपका मोटा होना निश्चित है।

- पूरी,कचौरी, चावल हो या रोटी  भी खाएं मगर अपनी रोजाना की कैलोरीज के मुताबिक खायें तो आप मोटे नहीं होंगे।

- कुछ खानों में दूसरों के मुकाबले अत्यधिक कैलोरीज होती हैं ।आप इस प्रकार के भोजन को ज्यादा ना खाएं अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

» सेहतमंद होने के बावजूद अगर बदाम, मूंगफली अखरोट, काजू इत्यादि ज्यादा मात्रा में खाए जाएं तो यह वजन कम करने में परेशानी का कारण बन सकते हैं क्योंकि इनमें भी कैलोरी अच्छी मात्रा में पाई जाती हैं और इन्हें एक साथ अधिक मात्रा में खाने से पेट भी नहीं भरता।

- बाहर का तला हुआ खाना कैलोरीज में अधिक होने के साथ-साथ आपकी सेहत के लिए भी ज्यादा अच्छा नहीं होता। इसके कुछ उदाहरण है समोसा, पकोड़ा, छोले भटूरे, पावभाजी, अन्य जंक फूड इत्यादि इत्यादि।

- बहुत से लोग दिन भर में कई बार चाय पीने के शौकीन होते हैं जिसमें वह अच्छी मात्रा में दूध और चीनी डालते हैं। अगर आप घर की बनी चाय दिन भर में 3 बार पीते हैं तो इससे लगभग आपको 500कैलोरीज के करीब मिल जाती हैं जिसे लोग अक्सर गिनते भी नहीं है।


#मोटापा बढने लगे तो क्या करें?

जब फैट (मेद)बढने लगता है तब-चिकनाई, दूध, दही, मक्खन,मांस , धी से बने पदार्थ, पका केला, नारियल, पुष्टदायक भोजन, दिन में सोना, हमेशा आराम से रहने से परहेज करें।

-रसायन द्रव्यों व औषधियो का प्रयोग, उडद ,गेहूं, ईख के प्रोडक्ट खाना बन्द कर देना चाहिए ।


#मोटापा कम करने के लिए आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle for Weight Loss)कैसा हो ?

- साप्ताहिक उपवास करें।

-तमगुण को जीतने से मोटापा कम हो जाता है। अतः दिन में न सोयें।

- उदार बने।

-परिश्रम करें।

- सुबह उठकर सैर पर जाएँ, और व्यायाम करें।अधिक पैदल चलें।

- सोने से दो घण्टे पहले भोजन कर लेना चाहिए।

- रात का खाना हल्का व आराम से पचने वाला होना चाहिए।

- संतुलित और कम वसा वाला आहार लें।

- वजन घटाने के लिए आहार योजना में पोषक तत्वों को शामिल करें।


#चेतावनी:-

किसी भी औषधि या द्रव्यों के प्रकार से पहले आप किसी आयुर्वेदिक विषेशज्ञ से सलाह जरूर ले क्योंकि प्रतिएक व्यक्ति की प्रकृति, दोष ,अवस्था आदि अलग अलग होती है ।







रविवार, 13 फ़रवरी 2022

सुबह की जीवनशैली? In hindi.

 सुबह की जीवनशैली? In hindi.

By:- #Dr_Virender_Madhan.

#सुबह की जीवनशैली कैसी होनी चाहिये?

अपने जीवन को सुखमय व स्वस्थ रखने के लिए जीवनशैली, आहार,निद्रा आदि का ठीक होना बहुत आवश्यक है जीवनशैली एक जीवन जीने की एक व्यवस्था है मैनेजमेंट है।

मैनेजमेंट जितना अच्छा होगा उतना ही जीवन मे आनंद होगा । सुखी व स्वस्थ होगा।

जीवन को मैनेज करने के लिए कुछ नियमो पर चलना होता है।


स्वस्थ व सुखी रहने के लिये आयुर्वेद के अनुसार आहार, विहार , और निद्रा ये तीनों को व्यवस्थित करना बहुत अनिवार्य है। इन तीनों को आयुर्वेद के अनुसार वय(आयु), काल-दिन-रात,ऋतु काल,बल, आदि का विचार कर के प्रयोग मे लाये तो हम आने वाले रोगों से, दुखों से बच सकते है तथा उत्तम जीवन जी सकते है।

#जीवनशैली मे सवेरे के ५ नियम.

*1- ब्रह्ममुहर्त में उठ कर अमृत पान करना।

*2- मलत्याग,व ईन्द्रिय प्रज्ञालन।

*3- तैल मालिस और व्यायाम।

* 4- स्नान ,ध्यान, प्रार्थना, और दैनिक कार्यों की रूपरेखा।

* 5- नाश्ता Breakfast.

1- ब्रह्म मुहूर्त मे उठकर अमृतपान करना।

सुर्य उदय से १ घण्टे पहले उठना आयुर्वेद मे सर्वोत्तम माना है। सबसे पहले निद्रा पूर्ण हो गई है ऐसा विचार कर शैय्या का त्याग कर देना चाहिए।
सबसे पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त मे आयुर्वेद के अनुसार नासिका (नाक) से जल पीना चाहिए।
अगर नाक से न पी सके तो मुख से ही जल पीलेंं शुरू मे जितना पी सकते सके उतना पीयें बाद में अभ्यास करते हुये जल की मात्रा १ से १/२ लिटर तक पीने की आदत बना ले।
ब्रह्म मुहूर्त मे पीया हुआ जल अमृत समान होता है इसलिए इस जलपान को अमृत पान बोला है।

*ब्रह्म मुहूर्त में जल पीने के लाभ:-

ब्रह्म मुहूर्त मे पानी पीने से सेहत को होने वाले फायदे
1 - विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालें
विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने मे कारगर है।
 सुबह जो लोग गुनगुने पानी का सेवन करते हैं उनके शरीर में लार एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है और शरीर को डिटॉक्स करने में भी मददगार है।
2 - किडनी को रखे तंदुरुस्त
किडनी को तंदुरुस्त बनाए रखने में सवेरे पानी पीना बेहद उपयोगी है। 
3 - त्वचा के लिए उपयोगी
त्वचा की कई समस्या को दूर करने में सुबह उठकर सवेरे पानी पीना बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। 
4 - मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मददगार होता है।
5 - पाचनतंत्र ठीक रहता है
6 - वजन कम करने में उपयोगी है।

2- मलत्याग और इन्द्रियों को साफ करना।

मलत्याग के बाद अपने आंख,मुंह ,दांत आदि  साफ करें।
स्वच्छता से स्वास्थ्य की बृध्दि होती है। अरुचि दूर होती है।कांति बढती है।

3-तैल-मालिस(अभ्यगं),योग और व्यायाम करें।

अभ्यंग (मालिश) शरीर और मन की ऊर्जा का संतुलन बनाता है। वातरोग के कारण त्वचा के रूखेपन को कम कर वात को नियंत्रित करता है। शरीर का तापमान नियंत्रित करता है। शरीर में रक्त प्रवाह और दूसरे द्रवों के प्रवाह में सुधार करता है।

- प्रतिदिन अभ्यंग के लाभ:-

  1. वृद्धावस्था रोकता है
  2. नेत्र ज्योति में सुधार
  3. शरीर का पोषण
  4. आयु बढ़ती है
  5. अच्छी नींद आती है
  6. त्वचा में निखार
  7. मांसपेशियों का विकास
  8. थकावट दूर होती है
  9. वात संतुलन होता है
  10. शारीरिक व् मानसिक आघात सहने की क्षमता बढ़ती है।

*व्यायाम वह गतिविधि है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को भी बढाती है।
 यह कई अलग अलग कारणों के लिए किया जाता है। जिनमे शामिल हैं: मांसपेशियों को मजबूत बनाना, हृदय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, एथलेटिक कौशल बढाना, वजन घटाने का काम करती है।
क्लेश को सहन करने की शक्ति प्रदान करता है।

* 4- स्नान ,ध्यान, प्रार्थना, और दैनिक कार्यों की रूपरेखा।

स्नान

हर रोज नहाने से चेहरे पर गंदगी जमने नहीं पाती, जिससे बैक्टीरिया नहीं पनपते। 
अगर आप नहीं नहाते हैं तो खतरनाक बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं त्वचा के रोग होने लगते है।

स्नान करने से क्या लाभ होता है?

1 नहाने से कम होता है हृदय रोग का खतरा कम होता है।
2 नियमित स्‍नान से श्वसन तंत्र मज़बूत होता है।
3 मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में भी होता है सुधार होकर तनाव मे कमी हो जाती है।
4 नहाने से मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों को फायदा हो सकता है।
5 नहाने से हॉर्मोन संतुलित रहते हैं।
6 त्वचा के लिए फायदेमंद है नहाना।
7 स्नान करने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है

ध्यान:-

ध्यान से मानसिक लाभ : 

- गहरी से गहरी नींद से भी अधिक लाभदायक होता है ध्यान।
- विशेषतःआपकी चिंताएं कम हो जाती हैं। आपकी समस्याएं छोटी हो जाती हैं। ध्यान से आपकी चेतना को लाभ मिलता है।  
- ध्यान करने से आपको भीतर से स्वच्छ, निर्मल और शांत करते हुए हिम्मत और हौसला बढ़ाता है।
- ध्यान से शरीर को भी लाभ मिलता है।

ध्यान विधि:-

 योगशास्त्र में ध्यान का स्थान बहुत ऊंचा है। ध्यान के प्रकार बहुत से हैं। ध्यान करने की अनेकों विधियों में एक विधि यह है कि ध्यान किसी भी विधि से किया नहीं जाता, हो जाता है। बस आंखें बंद करके किसी भी साफ-सुथरे और शांत वातावरण में बैठ जाएं। पांच मिनट तक बंद आंखों के सामने के अंधेरे को देखते रहें या श्वासों के आवागमन को महसूस करें। बस यही है ध्यान की शुरुआत।

प्रार्थना : 

प्रार्थना में शक्ति होती है। प्रार्थना करने से मन में विश्‍वास और सकारात्मक भाव जाग्रत होते हैं, जो जीवन के विकास और सफलता के अत्यंत जरूरी हैं।
पूजा या प्रार्थना करने का तौर तरीका बहुत मायने नहीं रखता है ईश्वर के लिए। उसके लिए तो आपके मन में भक्ति भाव का होना ही काफी है
नित्य भाव से प्रार्थना करने से मानसिक श्रम तथा सुख-दुख, असफलता, निराशा और द्वंद्व इत्यादि से उत्पन्न आघातों के प्रभाव दूर होते हैं और स्नायुओं में फिर से शक्ति भर जाती है। 

* 5- नाश्ता Breakfast.

नाश्ता है बेहद जरूरी ।
 सुबह के समय किया गया नाश्ता आपके शरीर में ऊर्जा और शक्ति भर देता है। नाश्ता शरीर के लिए इंधन की तरह काम करता है। ... शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा और पोषण का 25 प्रतिशत भाग केवल नाश्ते से मिलता है।

ब्रेकफास्ट क्यों जरूरी है?

- दिन का सबसे जरूरी भोजन Breakfast होता है दिन में 6-6 घण्टे बाद भोजन की आवश्यकता होती है 
अगर Breakfast न किया जाये तो शक्ति का ह्रास होने लगता है। इसलिए सवेरे का भोजन करना बहुत जरुरी होता है। जिससे हमे कार्य करने की ताकत बनी रहती है एनर्जेटिक रहते हैं। ... हेल्दी भोजन से और समय से नाश्ता करने से मोटापे की आशंका कम हो जाती है क्योंकि इससे आप ओवर इटिंग करने से बच जाते हैं।
आपको यह लेख कैसा लगा कृपा कोमेंट करके बताये।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान।