#आहार-विहार महीनों के अनुसार { Life Style } कैसा होना चाहिये?In hindi.
#Dr_Virender_Madhan.
* वर्ष भर मे मासानुसार क्या करें क्या न करें,?
* क्या खायें क्या न खायें?
“चैत्र माह में गुड मत खाना,
दिन उगते ही चने चबाना।
आये जब वैशाख महीना,
तैल छोड-वेल रस पीना।।”
अर्थात्-
अप्रैल माह मे गुड नही खायें,सवेरे के समय चना चबा चबा कर खाना चाहिए।
मई के महीने मे तैल का प्रयोग खाने मे न करें।
वेल का रस बनाकर लेना चाहिए।
“ जेठ मास राई मत खाओ,
बीस मिनठ दिन मे सो जाओ।
मत आषाढ़ बेल फल खाना,
खेल कूद मे लगन बढाना।।”
अर्थात्..
जून माह मे राई या राई वाली चीजों को नही खाना है।इस माह मे रूक्षता के कारण 20-25 मिनट दिन में सो लेना चाहिए अन्य माह मे दिन मे सोना आयुर्वेद में वर्जित माना है।
जौलाई माह मे बेल फल नही खाना चाहिए और खेल कूद, व्यायाम करना चाहिए।
“सावन नींबू खाना छोडो,
बाल-हरड से नाता जोडो।
भादो माह मही मत खाना,
तिक्त चीचों का लाभ उठाना।
अर्थात् ..
सावन माह (अगस्त) मे नींबू नहीं खाना चाहिए तथा छोटी हरड का प्रयोग करना चाहिए।
सितम्बर माह मे मही (दूध) छोडकर तिक्त स्वाद वाले भोजन भी करने चाहिए।
“क्वार करेला कभी न खाना ,
लेकिन गुड से हाथ मिलना।
कार्तिक मास दही मत खाना,
आंवले को आहार मे लाना ।।”
अर्थात्..
क्वार (अक्टूबर )माह मे करेले का त्याग कर देना चाहिए।तथा गुड का सेवन करना चाहिए।
नवम्बर माह( कार्तिक)में दही नही खाना और आंवला रोज खायें।
“अगहन मे जीरा मत खाना,
तैल युक्त भोजन अपनाना।
पौष माह मे धनिया छोडो,
दुग्धपान से नाता जोडो।।”
अर्थात्..
दिसम्बर माह ( अगहन) मे जीरे का प्रयोग न करें।तैल से बने भोजन करें।
जनवरी माह (पौष) में घनिया खाना छोड दे और दुग्धपान खूब करें।
“माघ माह मिश्री छोडो,
घी-खिचडी से नाता जोडो।
फाल्गुन माह चने मत खाना,
प्रातःकाल अवश्य नहाना।।”
अर्थात्..
फरवरी मास ( माघ माह) मिश्री नही खानी चाहिए ।
फरवरी मे घी खिचड़ी जरूर खानी चाहिए।
मार्च महीने (फाल्गुन मास) मे चने नही खायें और इस महीने नित्य स्नान करना चाहिए।
बारह मास इस प्रकार परहेज़ कर के या मास अनुसार भोजन मे परिवर्तन कर के अनेकों रोगों से बचा जा सकता है।
अपने स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। यही आयुर्वेद का लक्ष्य भी है।
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