Guru Ayurveda

शुक्रवार, 4 मार्च 2022

कील-मुहांसे Acne Vulgaris क्या होते है?In hindi.


 #कील-मुहांसे Acne Vulgaris क्या होते है?

By:- Dr.Virender Madhan.

#आयुर्वेद के अनुसार कील-मुहांसे।

-चेहरे के रोमकूपों मे कफ या आम दोष से वहां का स्नेह दूषित हो कर वातदि दोष विकृत हो शोथयुक्त पिंडिका उत्पन्न हो जाते है।

-यह विशेष रुप से युवावस्था मे होने वाला रोग है नवयुवक, युवतीओ के चेहरे पर कील सी निकल जाती है।इनमे दर्द भी होता है। इसे  पिम्पल कहते हैं। पस निकल जाने पर ही यह ठीक होते हैं। पिंपल्स होने की एक और वजह प्रदूषण और धूल मिट्टी है जिसकी वजह से चेहरे पर गंदगी जम जाती है और इससे कील-मुंहासे हो जाते हैं। 


#युवान पिंडिका(पिंपल्स) होने के कारण :-

तैल ग्रन्थियों मे रुकावट आ जाने से तैलीय द्रव्य बाहर न आने के कारण ये रोग हो जाता है जीवाणु हो जाने पर इनमे सुजन भी आ जाती है।

इसके सामान्य कारण :-

»कुआहार:-

 पिंपल्स होने की बड़ी वजहों में से एक है जंक फूड और तले-भुने भोजन का अधिक सेवन। ऐसे भोजन से त्वचा ऑयली हो जाती है और कील-मुंहासों और पिंपल्स को पैदा करती है। 

»प्रदूषण:-

हमारी त्वचा प्रदूषण और धूल मिट्टी के ज्यादा संपर्क में रहती है, तो इस वजह से चेहरे पर गंदगी जम जाती है और फिर कील-मुंहासे हो जाते हैं।

»असन्तुलित हार्मोन्स:-

-चेहरे पर पिंपल निकलने की समस्या आमतौर पर युवावस्था मे शरीर में तेजी से हॉर्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। इस कारण हॉर्मोन्स असन्तुलित होने से हमारी स्किन पर पिंडिकाएं (पिंपल्स ) उगने लगते हैं। जो शुरुआत में किसी छोटे दाने या उभार की तरह महसूस होते हैं।


मुहांसों के लक्षण :

चेहरे, कंधे,छाती,पीठ पर इन मवादयुक्त गांठों में दर्द, जलन, सूजन और लालिमा पाई जाती है। कुछ मुंहासे काले सिर वाले होते हैं जिन्हें "कील" कहा जाता है। यदि इनको दबाया जाए, तो काले सिर के साथ-साथ भीतर से सफेद रोम जैसा पदार्थ बाहर निकलता है और इससे पैदा होने वाला छेद स्थाई हो जाता है।

ये कील मुहांसे काफी दिनों तक चेहरे पर मौजूद रहते हैं और इन्हें खुजलाने या ठीक इलाज ना करने पर ये दाग छोड़ जाते हैं। कभी कभी चेहरे पर मौजूद वाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स भी आगे चलकर मुहांसे बन जाते हैं। 


#मुहांसों के घरेलू उपाय:-

भुने काले चने 6ग्राम, मुर्दासंग 3ग्राम, सफेदा कासगिर 3ग्राम मिलाकर पेस्ट बनाकर मुहांसों पर लगाने से ठीक हो जाते है।

*हल्दी2-3ग्राम गुड के साथ खाने से चेहरा साफ हो जाता है मुहांसे ठीक हो जाते है।

*कालीमिर्च घिसकर लगाने से मुहांसे ठीक हो जाते है।

* रोज रात मे कच्चे दूध मे जायफल घिस कर लगाने से मुहांसे ठीक हो जाता है।

* सेमल के कांटे कच्चे दूध मे पीसकर लगाने से कील मुहांसे ठीक हो जाते है।

*मसूर की दाल पीसकर पेस्ट बना कर मुहांसों पर लगाते है।

*त्रिफला, मुलहठी चूर्ण मिलाकर 3-4 ग्राम रोज खाने से चेहरा साफ होता है और मुहांसे ठीक हो जाते है।

*छुवारे की गुठली सिरके मे घिसकर मुहांसों पर लगाते है।


»अन्य उपाय:-

»चिरौंजी का उपयोग-

एक चम्मक चिरौंजी पीसकर गाय के ताजा दूध में मिलाकर लेप बनाएं और इसे चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें. थोड़ी देर बाद जब यह लेप सूख जाए तो इसे ताजे पानी से धो लें. 

 » नींबू का प्रयोग:-

 आप नींबू को काटकर उसका रस एक कटोरी में निकालें, इसमें थोड़ा नमक और शहद मिलाकर इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं।  सूख जाने पर  गुनगुने पानी से धो दें।

» एलोवेरा जेल-

 त्वचा की देखभाल के लिए एलोवेरा सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाला हर्ब है.

» टी ट्री ऑयल- 

टी ट्री ऑयल में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसके प्रयोग से बहुत लाभ मिलता है।


»नीम की पत्ती का लेप

नीम की पत्तियों का पानी के साथ लेप बना कर लगाने से लाभ मिलता है।


पिंपल से बचने के लिए खाने में क्या खाएं और क्या न खाएंः-


»कील-मुहांसे है तो क्या खाएं?-


-हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा, शकरकंद, गाजर और शिमला मिर्च खाएं।

-मौसमी फलों को अपने भोजन में शामिल करें।

-दही का नियमित सेवन करें।

-ग्रीन टी पिएं।

-अखरोट, काजू और किशमिश का सेवन करें।


क्या न खाएं-

-ज्यादा तेल वाली चीजें या जंक फूड जैसे-पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि का ज्यादा सेवन न करें।

-ज्यादा मीठा खाने से परहेज करें।

-ऐसी चीजों से दूर रहे, जिनमें ग्लिसेनिक की मात्रा अधिक होती है। जैसे-सफेद ब्रेड, सफेद चावल, प्रोसेस्ड फूड आदि।


जीवनशैली में बदलाव–

-अपने चेहरे को हर रोज दो बार धोएं। इससे आपके चेहरे पर जमने वाली धूल-मिट्टी साफ हो जाती है और पिंपल होने का खतरा काफी कम हो जाता है।

इसलिए जरूरी है कि कहीं भी जाते समय अपने चेहरे को अच्छी तरह से ढंककर चलें ।


-हर रोज खुब पानी पिएं ताकि आपके शरीर की अशुद्धियां बाहर निकलती रहें।

-अगर कोई एक्ने निकले तो उसे दबाए नहीं। ऐसा करने से एक्ने अन्य जगहों पर फैल सकते हैं।

-ज्यादा नमक खाने से एक्ने हो सकता है इसलिए सीमित मात्रा में नमक का सेवन करें।

-पौष्टिक और संतुलित आहार लेने की आदत डालें।

-भाप लें, यह त्वचा के रोमछिद्रों को खोलने में मदद करता है और पिंपल और ब्लैकहेड्स को आसानी से हटाता है।

-हर समय अपने चेहरे को न छुएं। ऐसा करने से हाथ में मौजूद बैक्टीरिया आपके चेहरे की त्वचा तक पहुँच सकता है और आपको पिंपल का शिकार बना सकता है।

गुरुवार, 3 मार्च 2022

त्रिफला Triphala एक अद्भुत औषधि है ।in hindi.


 त्रिफला Triphala एक अद्भुत औषधि है 

#Dr.Virender Madhan.


#त्रिफला क्या है?


त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक  योग ( फ़ार्मुला ) है

त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'तीन फल'।ले‍किन आयुर्वेद का त्रिफला 3 ऐसे फलों का मिलन है जो तीनों ही अमृतीय गुणों से भरपूर है। आंवला, बहेड़ा और हरड़। आयुर्वेद में इन्हें अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा गया है। 

त्रिफला मुख्यतया दो प्रकार का होता है

1-त्रिफला में इन तीनों को बीज निकाल कर समान मात्रा में चूर्ण बनाकर कर लिया जाता है। 

 2- जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) के बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"।


#त्रिफला के फायदे (गुण)


» कब्ज़ दूर करने में सहायक

त्रिफला कब्ज की लोकप्रिय औषधि है।आयुर्वेद में त्रिफले को रेचक माना है।


» पेट में गैस की समस्या(एसिडिटी) से राहत।


त्रिफला पाचक व रोचक है यानि पाचनशक्ति देता है


» आंखों के लिए त्रिफला:-

आंखों की कमजोरी, आंखों में मैल आना, नजर कमजोर हो तो त्रिफला घृत खाने से ठीक हो जाती है।

त्रिफला कषाय (त्रिफला के पानी) से आंखों को धोने से नेत्ररोगों मे आराम मिलता है।


» वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक।


त्रिफला खाने से अधिक बढा हुआ फैट(वसा)कम होती है मोटापा कम करने में बहुत लाभकारी है।

» पाचन शक्ति बढ़ाता है

त्रिफला पाचक है इसलिए इसके प्रयोग से पाचन शक्ति बढती है तथा भोजन के प्रति रूचि बढती है।आंत्र शुध्द तथा पुष्ट होती है।


» बालों का झड़ना रोकता है

आजकल बाल झडने की समस्या बहुत बढ गई है 50% पुरुषों मे तथा 65% स्त्रियों मे बालों की समस्या होती है। इसके लिये त्रिफला को पानी मे भिगोकर रखते है फिर उसके पानी से बालों को धोते है।साथ मे त्रिफला चूर्ण 1-1 चम्मच पानी से सवेरे सायः लेने से बाल झडने की समस्या दूर करने मे मदद मिलती है।

»  मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी

पित्त विकार के कारण मुत्र की जलन ,मुत्राल्पता आदि रोगों में त्रिफला प्रयोग करने से लाभ मिलता है।


» कमजोरी दूर करे त्रिफला।

शारीरिक दुर्बल व्यक्ति के लिए त्रिफला का सेवन रामबाण साबित होता है. इसके सेवन करने वाली व्यक्ति की याद्दाश्त भी अन्य लोगों के मुकाबले तेज होती है. इसका सेवन करने से दुर्बलता कम होती है. दुर्बलता को कम करने के लिए त्रिफला को हरड़, बहेड़ा, आंवला, घी और शक्कर को मिलाकर खाना चाहिए.


» रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए।

त्रिफला चूर्ण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है. यदि आपके शरीर में दुर्बलता है तो भी त्रिफला चूर्ण का सेवन कर आप अपने शरीर का कायाकल्प कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप इसका कई वर्ष तक नियमित रूप से सेवन करें.


» हाई ब्लड प्रेशर में त्रिफला उपयोगी।

त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है. 

- तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें. 


» चर्म रोग दूर करे त्रिफला।


चर्म रोग जैसे दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुन्सी की समस्या में सुबह-शाम 4 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण खाने से फायदा होता है.


» त्रिफला कषाय मुखपाक मे लाभकारी:-

 एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास ताजा पानी में दो-तीन घंटे के लिए भिगो दें. अब इस पानी की घूंट भरकर मुंह में थोड़ी देर के लिए डाल कर अच्छे से कई बार घुमाये और इसे निकाल दें. इससे मुंह की समस्या में राहत मिलेगी.


» सिर दर्द में गुणकारी ।

त्रिफला, हल्दी, चिरायता, नीम के अंदर की छाल और गिलोय को मिला कर बनें मिश्रण को आधा किलो पानी में पकाएं. ध्यान रहे इसे 250 ग्राम रहने तक पकाते रहें. अब इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह व शाम के समय गुड़ या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द कि समस्या दूर होती है.


#त्रिफला कितना खाना चाहिए?


» त्रिफला की मात्रा ?

सेंधा नमक, चीनी, शक्कर या गुड़ आदि के साथ बच्चों को आधा चम्मच व बड़ों को 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ दें। ध्यान रहे खाली पेट लेना लाभदायक है। भोजन से आधा घंटा पहले या आधा घंटा बाद में 

» अनुपान:-

त्रिफला चूर्ण को शक्कर, शहद,मिश्री, पानी या दूध के साथ ले सकते है ।


“अच्छा होगा मगर आप किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेकर खाये क्योंकि चिकित्सक आपके दोष विकार के अनुसार उचित अनुपान बता सकते है। ”












सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

क्या है अल्परक्त दाब (Hypotension) Dr.Virender Madhan.in hindi.



 अल्प रक्तदाब (Hypotension)

#Dr_Virender_Madhan.

»क्या होता है Hypotension?

» परिचय:-

अल्प रक्तदाब को हीनरक्त दाब, क्षीण व्यानबल,आदि नामों से जानते है।

जब किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 100mm और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 60 mm से कम हो तो उसे लो ब्लडप्रेशर, अल्परक्त दाब,हीन रक्तदाब जाना जाता है।

- लो ब्लड प्रेशर(Low Blood Pressure) आपको दिल की होने वाली बीमारियों का भी संकेत देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि खून का बहाव यानी फ्लो सीधे-सीधे तौर पर दिल की पम्पिंग की क्रिया पर निर्भर करता है। दिल की दिक्कतें शरीर में बहुत सारी समस्याएं खड़ी करा सकती हैं। क्योंकि अंगों तक यदि पर्याप्त खून नहीं पहुंचेगा। तो वे अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है।


#Hypotension के कारण:-


- लो बी.पी. इंसान को किसी भी कारण से हो सकते हैं जैसे शरीर में पानी की कमी, दवाई का असर, सर्जरी या गंभीर चोट, आनुवंशिक या जेनेटिक, स्ट्रेस लेना, ड्रग्स का सेवन, खान पान की बुरी आदतें, ज्यादा समय तक भूखा रहना या अनियमित खान पान आदि।


*औषधियों के कारण:-

- कुछ एलोपैथी दवा के कारण रोगियों के रक्तचाप अल्पता हो जाती है।


#संक्रमण के कारण?

- शरीर मे कोई संक्रमण हो तो भी बी.पी कम हो सकता है हृदय,वृक्क,आदि ओरगनस के संक्रमण से अधिकतर B.P.Low हो जाता है हृदयरोग  मे भी बी.पी. प्रभावित होता है।


*रक्तस्राव के कारण-

- अधिक रक्तस्राव होकर बी.पी इतना कम हो सकता है कि रोगी की मृत्यु तक हो सकती है .

*कुपौषण के कारण:-


कुपौषण भी इस रोग का बडा कारण है.पौष्टिक आहार नही होगा या पौष्टिक आहार नही खायेंगें तो रक्ताल्पता होगी उसके बाद रक्तदाब अल्पता हो जाती है। 


अन्य कारण :-

- जैसे लगातार खडे रहने से, लू लग जाने से, रक्तवाहिनियों के फूल जाने से आन्त्रशोथ मे, चिंता करने से ,गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर कम हो जाने की सम्भावना अधिक होती है।

अत्यधिक व्रत करना भी एक कारण बन जाता है।


#Hypotension के लक्षण:-


* सिरशूल ,चक्कर आना।

*किसी भी कार्य में दिल न लगना।

* हाथ-पैर ठण्डे होना।

*भुख की कमी।

*आंखों के सामने अंधेरा छा जाना।

*मूत्र कम आना.

*थोडे से काम करने से सांस फूलना।

*रोगी चुपचाप रहता है।

*रोगी की आंखें अंदर धस जाती है।

*मांसपेशियों मे ऐंठन रहती है।


#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियां:-

*बादाम पाक:- 1-1 चम्मच प्रातः सांय काल दूध के साथ लें।

*मकरध्वज वटी :-1-1गोली दिन में 2 बार दूध के साथ लें।

*मृतसंजीवनी सुरा 2-2 चम्मच बराबर मात्रा में पानी मिलाकर दिन में 2बार लें।

*नवजीवन रस 1-1 गोली दिन में2 बार दूध से ले।

*द्राक्षावलेह 10-10 ग्राम प्रात सांयकाल दूध से लें।

*ब्राह्म रसायन:-1-1 चम्मच प्रात सांय काल दूध से लें।

*अश्वगंधा चूर्ण 1-1 चम्मच प्रात सांय काल दूध से लें।

*लोहासव 3-3चम्मच बराबर पानी मिलाकर भोजन के बाद दिन में 2बार लें।

*मकरध्वज रसायन:-

1-1 गोली दिन में 2 बार दूध से ले।

#लो बी०पी०मे क्या घरेलू उपाय करें ?

*बादाम 2, छुवारे 2 ,किसमिश 20 ,अश्वगंधा चूर्ण 1चम्मच ,250 ग्राम दूध, 250 पानी मिलाकर खुब उबालें दूध मात्र रहें बाद मे पीले.

*काले चने 50 ग्राम. किसमिस40  लेकर रात मे पानी मे भिगो लें सवेरे नाश्ते के रूप मे खालें।

*बी०पी०अधिक कम होने पर बायें करवट चुपचाप लेटा रहे।

*सुखे आंवला का चूर्ण बराबर मिश्री मिलाकर 10 ग्राम दूध के साथ रोज लें।

आमलकी रसायन 10 ग्राम रोज खायें।

*आंवला रस मे बराबर शहद मिलाकर 20 ग्राम सवेरे सायं लेने से अल्परक्त दाब ठीक हो जाता है।

*गोदंती हरिताल भस् 4ग्राम, स्वर्णमाक्षिक और मृगश्रृंग भस्म 2-2 ग्राम

सुतशेखर रस 1ग्राम लेकर सभी को मिलाकर पीस कर रख लें।

इसमे से 125-250 मि०ग्राम दिन मे 3बार दूध से लें।


पथ्यापथ्य:-

#क्या खायें क्या न खायें ?


*याद रहे रोगी को रक्त की कमी होती है अतः रोगी को पौष्टिक भोजन दें।प्रोटीन युक्त भोजन अधिक खाने को दें।

*दूध , अण्डे, पनीर, मक्खन, बादाम, मांस रस, आदि भोजन मे दें।

*चिंता नहीं करें.

*आराम करें.

*डाइट् और लाइफस्टाइल में बदलाव करें।

*खाने में नमक की मात्रा सामान्य रखें।

* दिनभर में पानी या किसी अन्य तरह का तरल पदार्थ को उचित मात्रा में लेते रहे। 

* दूध, मट्ठा, जूस, लस्सी आदि,जरुर लेते रहें।

* एक झटके से अचानक नीचे से ऊपर की ओर न उठें।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान।


शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

#खराब कोलेस्ट्रॉल ?In hindi


 #खराब कोलेस्ट्रॉल ?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

#कोलेस्ट्रोल क्या होता है ?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कफ की अधिकता होने से कोलेस्ट्रॉल की उत्पत्ति होती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल दो तरह के होते है.

-गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL– High Density Protine)

- बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL– Low Density Protine)। 


कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल

'खराब' कोलेस्ट्रॉल। एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल खराब है, क्योंकि अगर ये आपके शरीर में बहुत अधिक है तो यह आपकी धमनियों (Arteries) की दीवारों में फंस जाता है।

- गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक के निर्माण और रुकावट का कारण बन सकता है। ऐसे स्थिति हार्ट अटैक, स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट के जोखिम को बढ़ा देती है।

#हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण

* मतली आना।

* जबड़ों और बांहों में दर्द

* बहुत अधिक पसीना आना।

* सांस लेने में समस्या होना।

*कुछ लक्षणों में चिंता, 

* चक्कर आना, 

* अत्यधिक थकान आदि शामिल हैं. ऐसा तब होता है जब धमनियों में चकते जमने लगते हैं. यह बाहों, गुर्दे, पैर, पेट, और पैरों को रक्त प्रवाह को ब्लॉक करने लती हैं. 

* कुछ लक्षणों में किसी भी व्यायाम के दौरान पैरों में दर्द, ऐंठन, थकान, बेचैनी शामिल होती है.


» “शरीर में लिवर द्वारा निर्मित मोम या वसा जैसे पदार्थ को ही कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) या लिपिड (lipid) कहते हैं. अलग-अलग तरह की विभिन्न शारीरिक क्रियाओं को संपन्न करने के लिए उचित मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का शरीर में होना अनिवार्य है.”


#कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?


-अधिक वसा वाले आहारों का सेवन करने से रक्त में एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। 

- रेडमीट, घी, पनीर, मक्खन जैसे डेयरी उत्पाद, केक, पेस्ट्री, जंक फूड, अंडा, नारियल तेल, पाम ऑइल, चॉकलेट्स और प्रोसेस्ड फूड हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।


#कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय .

- अलसी 

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अलसी बेहद फायदेमंद है, इसके लिए आप अलसी के पिसे हुए बीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

-ओट्स 

- धनिया के बीज

- मछली 

-प्याज 

- नारियल तेल 

- संतरे का जूस

- बादाम और पिस्ताआदि का प्रयोग करें।


#हाई कोलेस्ट्रॉल से बचाव कैसे करें?

- शराब और धूम्रपान से दूरी बना लें।

- सप्ताह में कम से कम 150 मिनट व्यायाम करें।

- रिफाइंड खाद्य पदार्थ, सेचुरेटेड फैट और अतिरिक्त शुगर के सेवन से बचें।

- अपने आहार में दाल, बीन्स, नट्स आदि को शामिल करें।


#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार.


- आरोग्यवर्द्धिनी वटी, 

- पुनर्नवा मंडूर, 

- त्रिफला, और 

- अर्जुन की छाल के चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।

- अलसी के बीज पीसकर उन्हें पानी से खाली पेट लेंने से यह उच्च कॉलेस्ट्रॉल वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

- मेदोहर वटी व 

- नवक गुगल वटी गुनगुने पानी से लेंने से लाभ मिलता है।



#कोलेस्ट्रॉल में क्या खायें क्या नहीं खाना?

* फल और सब्जियां :

दरअसल, ज्यादातर फल और सब्जियां कुछ प्रकार के फाइबर से भरपूर होती हैं। यह फाइबर कोलेस्ट्रॉल को आंतों से रक्त प्रवाह में अवशोषित होने से रोकने में मदद करता है। दालें, मटर, मसूर , सेम में सबसे ज्यादा फाइबर पाया जाता है। शकरकंद, भिंडी, ब्रोकोली,सेब और स्ट्रॉबेरी 


* कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर मीट, चिकन और अंडे के पीले हिस्से का सेवन बिल्कुल न करें। इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थ भी न खाएं, क्योंकि ये हर प्रकार से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक ही होते हैं। इससे शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, जिससे आपकी परेशानियां और बढ़ जाएंगी।

{अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।}


गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

कविता महीनोंनुसार लाईफ स्टाईल.in hindi.


 #आहार-विहार महीनों के अनुसार { Life Style } कैसा होना चाहिये?In hindi.

#Dr_Virender_Madhan.


* वर्ष भर मे मासानुसार क्या करें क्या न करें,?

* क्या खायें क्या न खायें?


“चैत्र माह में गुड मत खाना,

दिन उगते ही चने चबाना।

आये जब वैशाख महीना,

तैल छोड-वेल रस पीना।।”


अर्थात्-

अप्रैल माह मे गुड नही खायें,सवेरे के समय चना चबा चबा कर खाना चाहिए।

मई के महीने मे तैल का प्रयोग खाने मे न करें।

वेल का रस बनाकर लेना चाहिए।


“ जेठ मास राई मत खाओ,

बीस मिनठ दिन मे सो जाओ।

मत आषाढ़ बेल फल खाना,

खेल कूद मे लगन बढाना।।”


अर्थात्..

जून माह मे राई या राई वाली चीजों को नही खाना है।इस माह मे रूक्षता के कारण 20-25 मिनट दिन में सो लेना चाहिए अन्य माह मे दिन मे सोना आयुर्वेद में वर्जित माना है।

जौलाई माह मे बेल फल नही खाना चाहिए और खेल कूद, व्यायाम करना चाहिए।


“सावन नींबू खाना छोडो,

बाल-हरड से नाता जोडो।

भादो माह मही मत खाना,

तिक्त चीचों का लाभ उठाना।


अर्थात् ..

सावन माह (अगस्त) मे नींबू नहीं खाना चाहिए तथा छोटी हरड का प्रयोग करना चाहिए।


सितम्बर माह मे मही (दूध) छोडकर तिक्त स्वाद वाले भोजन भी करने चाहिए।


“क्वार करेला कभी न खाना ,

लेकिन गुड से हाथ मिलना।

कार्तिक मास दही मत खाना,

आंवले को आहार मे लाना ।।”


अर्थात्..

क्वार (अक्टूबर )माह मे करेले का त्याग कर देना चाहिए।तथा गुड का सेवन करना चाहिए।

नवम्बर माह( कार्तिक)में दही नही खाना और आंवला रोज खायें।


“अगहन मे जीरा मत खाना,

तैल युक्त भोजन अपनाना।

पौष माह मे धनिया छोडो,

दुग्धपान से नाता जोडो।।”


अर्थात्..

दिसम्बर माह ( अगहन) मे जीरे का प्रयोग न करें।तैल से बने भोजन करें।

जनवरी माह (पौष) में घनिया खाना छोड दे और दुग्धपान खूब करें।


“माघ माह मिश्री छोडो,

घी-खिचडी से नाता जोडो।

फाल्गुन माह चने मत खाना,

प्रातःकाल अवश्य नहाना।।”


अर्थात्..

फरवरी मास ( माघ माह) मिश्री नही खानी चाहिए ।

फरवरी मे घी खिचड़ी जरूर खानी चाहिए।

मार्च महीने (फाल्गुन मास) मे चने नही खायें और इस महीने नित्य स्नान करना चाहिए।


बारह मास इस प्रकार परहेज़ कर के या मास अनुसार भोजन मे परिवर्तन कर के अनेकों रोगों से बचा जा सकता है।

अपने स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। यही आयुर्वेद का लक्ष्य भी है।

#Dr_Virender_Madhan.


बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

गोदन्ती (हरताल) भस्म।in hindi.


 


गोदन्ती (हरताल) भस्म

#गोदंती के विषय में आयुर्वेदिक जानकारी।

#Dr_Virender Madhan.


Contains

गोदंती क्या है?

गोदंती का शोधन

गोदंती का मारण

गोदंती भस्म के गुण

* गोदंती:-

यह अपने नाम से प्रसिद्ध है। बाजार में पत्रमय-शीला या पाशेदार टुकड़ों के रूप में यह मिलती है। औषधि के लिऐ दोनों का प्रयोग होता है।

- मुंबई में इसे घापाण तथा दक्षिण भारत के सिद्ध संप्रदाय में इसे कर्पूर शिला एवं अंग्रेजी में से जिप्सम ( Gypsum) कहते हैं।


#गोदंती का शोधन विधि :-

अच्छी गोदंती को गर्म पानी से धोकर साफ करके धूप में सुखाकर रख लें।


#गोदंती भस्म बनाने की विधि :-

जमीन में एक हाथ दे गहरा गड्ढा बना उसका चौथाई भाग कण्डो से भरकर उस पर गोदंती के टुकड़ों को अच्छी तरह बिछा दें और ऊपर कण्डो से शेष भाग को भरकर आँच दें। स्वांग शीतल होने पर कण्डों की राख को सावधानी से हटाकर गोदंती भस्म को निकाल चंदनादि अर्क (उत्तम चंदन का चूर्ण, मौसमी गुलाब तथा केवड़ा, वेदमुश्क का मौलसरी और कमल के फूल सबको एकत्र कर उसमें 8 गुना पानी डालकर भवके से आधा अर्क खींचे) इसमें या ग्वारपाठा (घृतकुमारी) के रस में घोंटकर टिकिया बना कर धूप में सुखाएं, जब टिकिया खूब सूख जाए तो सराब-संपुट में बंद कर लघुपुट में फूँक दें। यह स्वच्छ-सफेद और बहुत मुलायम भस्म तैयार होगी।


दूसरी विधि :-

गोदंती के टुकड़ों के ऊपर-नीचे ग्वारपाठे का गुदा लगाकर हंडिया में रखकर गजपुट में पुट देने से एक-दो पुट में ही उत्तम भस्म बनकर तैयार हो जाती है।


गोदंती भस्म के गुण और उपयोग


गोदन्ती से बनाई गई यह भस्म एक खनिज आधारित आयुर्वेदिक औषधि है। यह प्राकृतिक कैल्शियम और सल्फर सामग्री में समृद्ध है। 


- आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार, गोदन्ती भस्म तीव्र ज्वर (आयुर्वेद में इसे पित्तज ज्वर के रूप में भी जाना जाता है), 

* सिरदर्द, जीर्ण ज्वर, मलेरिया, योनिशोथ, श्वेत प्रदर, गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव, सूखी खाँसी और रक्तस्राव के विकारों के लिए लाभदायक है।आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग उच्च रक्तचाप, उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द, अनिद्रा, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, कब्ज, अपच, निम्न अस्थि खनिज घनत्व, ऑस्टियोपोरोसिस, खाँसी और दमा में भी करते हैं।

सामान्यतया इसका 

 अल्सर, बुखार, कास, सांस की समस्या, सिर दर्द, पुराना बुखार, सफेद पानी की समस्या, कैल्शियम की कमी, आदि में प्रयोग करने से फायदेमंद होता है। गोदन्ती भस्म के सेवन से शरीर ठंड़ा रहता है, पित्त कम रखने जैसे गुण पाए जाते हैं।


चेतावनी:-किसी भी द्रव्य या औषधी का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

डा०वीरेंद्र मढान


मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

#गर्दन दर्दNack Pain.dr.virender madhan.in hindi.


 #गर्दन दर्दNack Pain.

dr.virender madhan.in hindi.

By:-

#Dr_Virender_madhan.

#गर्दन और कंधे में दर्द क्यों होता है?

कारण:-

 पीठ के ऊपरी हिस्‍से यानि गर्दन और कंधे में दर्द होने का सबसे बड़ा कारण है सही से न बैठना, सही से आसन से न सोना।

 *रात को सोते समय गलत तकिया की वजह से यह दर्द हो सकता है ।

*कई बार हमारी दिनचर्या भी गर्दन में दर्द का कारण बन जाती है.

* कोई पुरानी चोट भी इसकी वजह हो सकती है.

- इसके अलावा गलत तरीके से उठना-बैठना, लेटना या फिर बहुत मोटी तकिए का इस्तेमाल करना इस दर्द और अकड़ का कारण हो सकता है. इसके अलावा कई घंटों तक एक ही मुद्रा में बैठे रहने से भी गर्दन में दर्द हो सकता है.


** गर्दन, कंधों और आसपास की मांसपेशियों में दर्द सामान्य या गंभीर होता है। इससे सिर में दर्द, सुन्नता, कठोरता, अकड़ जाना, झुनझुनी, कुछ भी निगलने में दर्द होना और सूजन आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 

*मांसपेशियों में तनाव और खिचाव आना, बिना ब्रेक लिए घंटों तक काम करते रहना, *सोते समय गर्दन की अवस्था गलत हो जाना और व्यायाम के समय गर्दन में मोच आ जाना आदि शामिल हैं।


अन्य कारण-

 जैसे पोषक तत्वों की कमी, गर्दन की चोट, सर्विकल स्पोंडिलोसिस आदि शामिल हैं। कही कही मामलों में ये समस्या स्पाइन के संक्रमित होने के कारण और स्पाइन में कैंसर होने की वजह से भी होती है। 


#सर्वाइकल के क्या क्या लक्षण होते हैं?

 

- हाथ-पैरों में कमज़ोरी और 

- सूजन 

- चलने-फिरने में दिक्कत 

- ऐंठन होना 

- आंतों की प्रक्रिया में बदलाव 

- गर्दन में झटका या दबाव 

- चोट के कारण 

- रीढ़ में खिंचाव


#गर्दन के दर्द होने पर क्या करें उपाय ?


- जब गर्दन के पीछे दर्द ज्यादा बढ़ जाए, तो पानी को हल्का गर्म कर लें और उसमें नमक डालकर सूती कपड़े से गर्दन की सिकाई करें।  

» [आप डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं]

- घर पर आप हिंग और कपूर बराबर मात्रा में ले थोडे से सरसों के तैल मे मिला कर रगडकर क्रीम सी बनाकर गर्दन पर लगाये।

- अदरक का पानी में पेस्ट बना कर गर्दन पर दर्द वाले स्थान पर. लगा सकते है।

- किसी तैल से गर्दन पर हल्के हाथों से मालिस कर सकते है।

- गर्म पानी मे कपडा भिगोकर सेक सकते है .

- गर्म पानी से ही स्नान करें।

-किसी एक्सपर्ट से पुछ कर गर्दन की एक्सरसाइज करें।

#गर्दन दर्द के लिए आयुर्वेदिक औषधियों:-

*अभ्यगं- 

- न्यूमोस आयल (गुरु फार्मास्युटिकल)

- महानारायण तैल

-प्रसारिणी तैल आदि की गर्दन पर हल्के हाथों से मालिस करें।


* रुक्ष स्वेदन:-

-गर्म कपडे से.

- गर्म पानी की बोतल से.

-हथेली रगड कर सेक कर सकते है।

* नस्य:-

वेल, कालीमिर्च, बला का तैल मे नस्य बनाकर रोगी को नस्य दे।

-षडबिंदूतैल का नस्य दे सकते है।

*अन्य औषधीय प्रयोग:-

रसौनाक्षीर का प्रयोग

दशमूल क्वाथ या

दशमूलारिष्ट का प्रयोग

- लाक्षादिगुग्गुल-

- महायोगराज गुग्गुल

- महावातविध्वंन रस

-वृहतवातचिन्ता मणी रस

#क्या करें क्या न करें?

{पथ्यापथ्य}

-आहार में मटर, गोभी, करेला, - दालें न खायें।

- जामुन-सुपारी न खाये।

अधारणीय वेग धारण न करें यानि जैसे 

- छींक, 

डकार,जम्भाई,मल-मूत्र आदि वेगों को न रोकें।

- दिन मे न सोये

- रात्रि मे देर तक न जागे।

-व्यायाम, व्रत, अधिक पैदल न चलें।

- सिर या हाथ से वजन न उठायें।


#drvirendermadhan