Guru Ayurveda

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

अगर चीनी (sugar) बिल्कुल खाना बंद कर दें तो क्या होगा?In hindi.

 अगर चीनी (sugar) बिल्कुल खाना बंद कर दें तो क्या होगा?In hindi.



- जो व्यक्ति दिन कम से कम 5 कप चाय और 1–2 मिठाई के बिना ख़त्म ही नहीं होता था परन्तु फिर चीनी को हाथ भी नहीं लगाये।उसे कोई रोग या डायबिटीज नही है। चीनी छोड़ दे....तो

#चीनी के नुकसान?

- पहली बात जानने की है कि चीनी एक धीमा और खतरनाक जहर है और उसे आप जितनी जल्दी छोड़ेंगे आपके लिए वरदान होगा। 

चीनी छोड़ ने से क्या होगा?

*  चीनी पूर्ण रूप से छोड़ देने से पहले एक हफ्ते तक आपके साथ निम्नलिखित चीजें होंगी:


 चीनी की आदत आपका शरीर बुरी तरह चीनी को खोजेगा। थोडा स्वयं पर संयम रखें और  चीनी खाने से बचें।

आपको ऐसा लगेगा कि जो भी हो कुछ मीठा अवश्य खाना चाहिए।अपने उपर संयम रखें।आपको भुख लगना भी स्वाभाविक है आप कुछ ओर खा सकते है। चीनी नही खानी।

अगर कमजोरी महसूस हो तो अच्छा भोजन कर सकते है।

 - अगर 100 व्यक्ति चीनी छोडना चाहे तो 90 व्यक्ति पहले 7 दिनों में दूबारा चीनी खाने लगते है।

#चीनी छोडने से लाभ।

 अगर आप 7 दिनों तक चीनी छोड़ सकते है तो अच्छे रिजल्ट मिलने शुरू हो जाते हैं।

आपकी पाचनशक्ति अच्छी होने लगती है।पेट हल्का रहने लगता है।भुख बढ जाती है।

सारा भोजन पच जाता है।गैस ,तेजाब कम हो जाती है।शौच ठीक से आती है।आलस्य समाप्त हो जाता है।बिना कारण होने वाली थकान नही होती है। एकाग्रता बढ़ेगी।

अगर 1-2 महीने चीनी छोड़ दें।तो आश्चर्य जनक परिणाम मिलने लगते है।

आपका वजन सामान्य हो जाता है।

त्वचा सोफ्ट हो जाती है।

चर्बी कम हो जाती है।पेट नरम हो जाता है।

कुछ और महीनों के बाद चीनी की चीचें आपको अच्छी नही लगेगी।

आपकी मधुमेह, डाइबिटीज बिना औषघि के ठीक हो सकती है।

 रोग प्रतिरोधक क्षमता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ेगी। 

परन्तु चीनी छोडना आपको मुश्किल लगेगा।बहुत से लोग चीनी छोड़ कर शुगरफ्री लेना शुरू कर देते है। वह चीनी से भी अधिक खतरनाक होता है।

#क्या खायें?

अगर आपको मीठा खाने का मन है तो आप फल खा सकते है। गुड खा सकते है ध्यान रहे गुड शुद्ध होना चाहिये चीनी मिला हुआ नही होना चाहिये।

आप खुब खजुर ,अंजीर किशमिश आदि खा सकते है।प्रकृतिक मीठा ले सकते है जुस पी सकते है।(गन्ने का रस छोडकर)यदि आप डाइबिटीज के मरीज है तो अधिक गुड से परहेज़ करना चाहिए।

#चीनी एकदम छोड़ने से क्या हो सकता है?

बिल्कुल मीठा छोड़ ने से हल्के चक्कर आ सकते है।हाथों पैरों मे चींटियां सी चलने जैसे लगने लगता है।झुनझुनी सी होने लगती है।

इसके लिए आप गुड या शहद खा सकते है। यह बहुत अच्छा उपाय है।

चीनी छोडने का निर्णय लेना मतलब जिन जिन चीचों मे चीनी मिलाई जाती है उन सभी पदार्थों को छ़ोडना।

फिर पायेंगे आप स्वास्थ्य निखार, रोगप्रतिरोधक क्षमता,वृद्धावस्था मे सुधार, तन  व मन की खुशी।दीर्घायु।

“ध्यान रहें चीनी बन्द हुई है मीठा नही।”

धन्यवाद!


 


“दही” खाने के फायदे और नुकसान.जाने हिन्दी में।

 “दही” खाने के फायदे और नुकसान.जाने हिन्दी में।

दही को संस्कृत में “दधि” बोलते हैं तथा फारसी मे - दोग, अंग्रजी मे- Curdled Milk “(Curd)” कहते है।

Dr_Virender_Madhan.

#दही किसे कहते है|दही क्या है?



-थक्के के रूप में जमा दूध जिसे जामन या खटाई डाल कर जमाया जाता है ; दधि।  खटाई के द्वारा जमाया हुआ दूध को दही कहते है।

#दही खाने के फायदे?

दही बल देताहै।

दही खाने से immunity बढती है।

हड्डियों को मजबूत करता है।

#आयुर्वेद के अनुसार दही के गुण:-

दही गरम, अग्नि को दीप्त करती है। दही स्निग्ध, थोडा कषैली होती है, भारी ,पाक मे खठ्ठी होती है।

#दही खाने से नुकसान?

श्वास, पित्त, रक्तविकार, सूजन, मेद (चर्बी), तथा कफकारक होती है।

अधिक दही खाने से खून खराब होता है।शरीर पर चर्बी बढती है।कफ से होने वाले रोग बढ.जाते है।

#दही कितने तरह की होती है ?

दही के पांच भेद:-

दही 5प्रकार की होती है।

मन्द , स्वादु , स्वादूम्ल , अम्ल ,अत्यम्ल, 

* मन्द दही

मन्द दही, दूध से थौडी गाढी होती है। मन्द दही मल,मूत्र को बढाने वाला होता है।त्रिदोषज, दाह को बढाता है

* स्वादु दही 

स्वादू दही अच्छी गाढी होती है।स्वादिष्ट होती है अम्लरस रहित होती है।

यह अभिष्यन्दी होती है शक्ति, मेद , कफबर्ध्दक होती है।रक्तपित्त को स्वच्छ करने वाला और वातनाशक होती है।

*स्वाद्वम्ल दही

खट्टा, मीठा, कषैला,यह दही सामान्य होती है।

अम्लदही:-

यह दही बहुत खट्टी होती है।यह पित्त ,कफ,रक्त विकार होती है।

अग्नि प्रदिप्त करती है।

अत्यम्ल दही -

यह भी अम्लदही के सामान गुण वाली होती है यह दांतों को खट्टा कर देती है।

#सबसे अच्छी दही कौन सी होती है?

*गौ की दही:-

गाय की दही विशेष कर मीठी, स्वादिष्ट, रूचिकर, पवित्र, अग्निप्रदीपक, हृदयप्रिय, तृप्तिकारक, वातनाशक होती है।

*भैस की दही:-

अधिक स्निग्ध, कफकारक, पित्त, वातनाशक , होती है।पाक मे मीठी, भारी ,बृष्य (शरीर को भारी करने वाला ) ,रक्तविकार करने वाला होता है।

* बकरी का दही:-

गर्म ,ग्राही ,हल्का, त्रिदोषनाशक, अग्निप्रदीपक, होता है।श्वास कास, क्षय , बवासीर, तथा दुर्बलता मे बहुत उपयोगी होता है।

#शर्करा (शक्कर) सहित दही के गुण:- 

मीठी दही में कई पोषक तत्व होते हैं. जो पेट से लेकर कई अन्य बीमारियों को भी दूर करते हैं. दही में फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है. इससे आपके दांत और हड्डियां मजबूत बनती हैं.

<खाण्ड से मीठी दही सर्व श्रेष्ठ दही होती है।>

तृष्णा,पित्त, वातरोग नाशक होता है।पुष्टिकर होता है।तर्पण,बलकारक होता है।

#दही किस समय नही खाना चाहिए?

आयुर्वेदिक शास्त्रों में दही रात मे खाना निषेध है क्य़ोंकि दही रात मे खाने दोष कुपित हो कर रोग पैदा हो जाते है।

अगर खाना ही पडे तो उसमें शक्कर, बूरा, शहद, धी आदि डाल कर खाना चाहिए।

रात मे दही छाछ न खाना ही श्रेष्ठतम है।

#दही कौन सी ऋतु मे खायें कौन सी ऋतु में न खायें?

दही को हेमन्त,शिशिर, और वर्षा मे खाना अच्छा है।

तथा शरद, ग्रीष्म, और बसंत ऋतु मे दही खाना अच्छा नहीं है।

#बिना विधि के दही खाने से क्या नुकसान होता है?

आयुर्वेद के अनुसार - दही को गलत समय पर गलत ऋतु मे खाने से ज्वर,रक्तविकार, पितविकार, विसर्प, कुष्ठरोग, पांडू (पिलिया), भ्रम (चक्कर आना) आदि रोग हो जाते हैं।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान.

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

घुटनों से टक टक की आवाज क्यों आती है?हिंदी में जाने.


 घुटनों से टक टक की आवाज क्यों आती है?हिंदी में जाने.

Ghutno se awaz kyon aati hai?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

#घुटनों की आवाज़|Ghutno ki aawaz.

आजकल हड्डियों और जोड़ों में कभी-कभी चटकने या टक-टक की आवाज आना बहुत आम है और यह आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है।  जोड़ों से ऐसी आवाज आना कई बार राहत की भावना प्रदान कर सकता है और आपको जोड़ में अधिक गति प्रदान कर सकता है।लेकिन कुछ लोग इस आवाज को लेकर बडे चिंतित हो जाते है।

#घुटनों में आवाज आने के कारण?

वातविकार मे,

चोट लगने से,

जोडो की मांसपेशियों में सूजन होने पर,

घुटनों के जोड़ों पर मौजूद कार्टिलेज घिस जाने से,

जैसे ही क्षतिग्रस्त घुटने का जोड़ गति करता है इससे टूटने या चटकने जैसी आवाजें आती हैं, जिसे घुटने की चरचराहट कहते हैं। यह आवाजें घुटने में अकसर होती हैं और आमतौर पर दर्द नहीं देतीं।हड्डियों में आवाज आने को क्रैकिंग या पॉपिंग भी कहा जाता है और इसे मेडिकल भाषा में क्रेपिटस के रूप में जाना जाता है। 

घुटनों में आवाज आने पर क्या करें?

* भूने चने के साथ गुड़ का भी सेवन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। भुने चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। दिन में एक बार गुड़ और भुने हुए चने जरूर खाएं। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर हो जाएगी और कट-कट की आवाज आना भी बंद हो जाएगी।

* मेथी दाना रात मे भिगोकर सवेरे चबा चबा कर खायें।

* रात मे हल्दी वाला दूध, या लहसुन वाला दूध पीयें।

*तैल मालिस करें।

#घुटनों के ग्रीस का इलाज?

1- हरसिंगार के पत्ते हरसिंगार के पत्ते जिसे पारिजात या नाइट जैस्मीन कहा जाता है यह पौधे घुटनों के दर्द के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं, इसके फूल, पत्ते और छाल तीनों ही चीजें औषधि का काम करती हैं। 

2.नारियल पानी पीने से लाभ मिलता है।

3.अखरोट का सेवन जरूर करें।

4.खुब पानी पिएं ।

5.रोज हल्का व्यायाम करें।

#घूटने मजबूत करने के लिए क्या खायें?

सूप, सब्जी या सलाद की तरह किसी ना किसी रूप में पालक को शामिल करना चाहिए. आयुर्वेद में कैल्शियम के लिए अंजीर खायें। एक कप सूखे अंजीर को रात भर भिगो दें और फिर उसका पेस्ट बनाकर अगली सुबह दूध के साथ लें।

#घुटनों में आवाज आने पर क्या नही करें?

वातकारक चीचों न खायें।

तली हुई चीचों, बासी भोजन न करें।

नशे से दूर रहें।

वजन न बढने दें।

अधिक देर तक बैठे न रहे।

अत्यधिक पैदल भी न चलें।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

सोमवार, 4 अप्रैल 2022

छांछ|मठा, पीने के फायदे (Buttermilk Benefits )in hindi.

 # छाछ|छांछ|मठा, पीने के फायदे (Buttermilk Benefits )in hindi.



Dr.VirenderMadhan.

“लस्सी|मठ्ठा|तक्र|छाछ|छाँछ|”

आदि नाम से लोग पुकारते हैं।

फैट कम करने में कारगर छाछ होती है।छाछ में दूध और दही की तूलना में फैट बेहद कम होता है। 

पाचन संबंधी समस्या रखे दूर करने मे उत्तम होती है।

छाछ स्वाद और सेहत से भरपूर होता है।

छाछ पीने से हड्डियों मजबूत हो जाती है।

डिहाईड्रेशन से दिलाए निजात दिलाती है।

छाछ पीने से इम्युनिटी बहतर होती है।

#लस्सी|Lassee|मठ्ठा पीने से लाभ?

लस्सी पीने से पेट को ठंडक मिलती है और शरीर के लिए फायदेमंद है. 

- लस्सी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है और इम्यूनिटी बढ़ती है. 

- रोज लस्सी पीने से पेट की सूजन कम हो जाती है. 

- प्रोबायोटिक्स से भरपूर होने की वजह से लस्सी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करती है.


#खाली पेट लेने से ..

खाली पेट इसका सेवन करने से ये शरीर डिटॉक्सीफाई होने के साथ त्वचा भी भीतर से साफ़ होती है। छाछ का इस्तेमाल त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं जैसे मुहांसों, रिंकल्स आदि को कम करने के लिए भी किया जाता है। भरपूर मात्रा में कैल्शियम होने के कारण छाछ हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है।

#लस्सी|मीठी छाछ कैसे बनाये|लस्सी बनाने की रेसिपी?

- एक गहरे बर्तन या पतीले में 2 कप दहीं लें। उसमें 3 टेबलस्पून चीनी और 1/4 टीस्पून इलायची का पाउडर डालें।

उसे मथनी या हेंड ब्लेंडर से मुलायम होने तक फेंट लें।

उसमें 1/2 कप पानी या दूध डालें सकते है।


#व्रत में लस्सी पी सकते हैं क्या?

जी हाँ व्रतों मे छांछ|लस्सी पी सकते हैं।

व्रतों मे फलों का भी प्रयोग करें जिस फल का सेवन करें वे ताजे हों, जिससे उनका आपके स्वास्थ्य पर खराब असर ना हो। व्रत में दूध और दूध से बने हुए अन्य पदार्थ जैसे-पनीर, लस्सी और मट्ठा ज्यादा लें। 

#लस्सी|Lassee|मठ्ठा पीने का सही समय क्या है?

-लस्सी|Lassee|मठ्ठा पीने का सही समय सवेरे से दोपहर तक होता है।

ऐसा ऋषि वाग्भट्ट के अष्ठांग हृदय मे वर्णन मिला है।

#लस्सी|दही|छाछ कब न पीयें?

ऋषि वाग्भट्ट के अष्ठांग हृदय मे तक्र यानि छाछ व दही को रात मे लेने को मना किया है रात के समय निषेध है

मगर मजबूरन लेना हो तो शहद,बूरा,घी मिलाकर पीना चाहिए अन्यथा हानिकारक ही होगा।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.


रविवार, 3 अप्रैल 2022

गर्मियों में अखरोट खा सकते है क्या? हिन्दी में जाने।

 #गर्मियों में अखरोट खा सकते है क्या? हिन्दी में जाने।

“अखरोट और गर्मी के दिन।”



Dr_Virender_Madhan.

<अखरोट तासीर का गरम होता है, गरमियों में इसका अत्यधिक सेवन करने से पेट में गरमी हो जाती है व मुंह में छाले भी हो सकते हैं, अखरोट के फायदे भी बहुत हैं ।आयुर्वेद के अनुसार यह दिमाग के रोगों के काम आता है ।अखरोट में आयरन, कैल्शियम, कॉपर और ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है. अखरोट की तासीर काफी गर्म होती है लेकिन सर्दियों में अखरोट खाना काफी फायदेमंद होता है.

#कैसे खायें गर्मी के दिनों में अखरोट?

“गर्मी के दिनों में अखरोट खाने की विधि"

गर्मी के दिनों मे कम ही खाना चाहिए। अगर आप गर्मियों में अखरोट खाना चाहते हैं, तो इसे रातभर भिगोकर रखें और फिर सुबह उस अखरोट को खा लें.

अखरोट खाने के लाभ

Benefits of Walnuts: अखरोट (Walnut) का उपयोग ड्राई फ्रूट्स के तौर हम सभी करते हैं. ... 

भीगे अखरोट खाने के ये हैं फायदे

ब्लड शुगर करता है कंट्रोल – अखरोट खाना डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. ... 

कब्ज में होता है फायदा – कब्ज की शिकायत हर दूसरा व्यक्ति करता नजर आता है.

मगर गर्मीयों मे कम ही खायें।

#गर्मी के दिनों में अखरोट खाने से क्या नुकसान होता है?

- पितविकार हो सकते है।

- अखरोट खाते ही इन्हें पेट दर्द या लूज मोशन जैसी समस्या हो जाती है। यह समस्या तब और... कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें ड्राई फ्रूट्स आसानी से डाइजेस्ट नहीं होते। मौसम कोई भी हो लेकिन थोड़े ड्राई फ्रूट्स खासकर अखरोट खाते ही इन्हें पेट दर्द या लूज मोशन जैसी समस्या हो जाती है।

मुखपाक हो सकता है 

अपच और एसिडिटी हो सकती है।

#क्या प्रैग्नेंसी मे अखरोट खा सकते है?

हां खा सकते है मगर हम गर्मियों के दिनों में प्रैग्नेंट को कोई भी गर्म चीचें लेने की सलाह नही देते है 

अगर आप खाना चाहते है तो पहले अपने डाक्टर से सलाह जरुर ले लें।

#गर्मी में अखरोट कैसे खाएं?

- अखरोट को गर्मी के दिनों में कम खायें।

- पानी मे रात को भीगोकर रख दे अगले दिन सवेरे पानी के साथ पीसकर चटनी की तरह बना लें फिर उसे दूध में धोल कर या पानी मे ठंडाई की तरह बना कर पी ले।

धन्यवाद!

लेख आपके लिए उपयोगी है या नही कोमेंट मे जरूर बताऐं।

Top Ayurveda|GuruAyurveda|गुरु_आयुर्वेद_फरिदाबाद.in hindi.

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“Guru Ayurveda|गुरु आयुर्वेद”

#Dr_virender_Madhan.

- गुरु आयुर्वेद एक जन सेवा मे आयुर्वेदिक प्रणाली की ईकाई है।जिसे डा०वीरेंद्र मढान ने शुरू की थी।

Dr.VirenderMadhan.

Experienced Doctor with a demonstrated history of working in the alternative medicine industry. Skilled in Natural Health, Back Pain, Infertility, Traditional Ayurvedic Medicine, and Migraine. Strong healthcare services professional graduated from MEHRISH DYANAD UNI. ROHTAK. 

#गुरु आयुर्वेद पर किन किन रोगों का ईलाज होता है?

Which diseases are treated by Guru Ayurveda?

गुरु आयुर्वेद हर पुराने से पुराने रोगों का ईलाज करता है।जब रोगी चारों तरफ से निराश हो जाये तब भी आयुर्वेदिक चिकित्सा से रोगी को जीवन मे आशा जागती है।रोग निर्मूल हो जाता है।

*वात रोगो मे जैसे :-

गठिया,जोडों के दर्द,वायरोग,अधरंग(पैरालाइसिस),आदि।

*त्वचा रोग Skin diseases:- 

कील,मुंहासे, झांईयां, दाद,खाज, एक्जिमा आदि,

*Chest diseases छाती के व कफ रोग:-

न्यूमोनिया, दमा Asthma,कास,जुकाम, नजला,नैजलपोलिपस, एलर्जी आदि।

उदर रोग (Abdominal):-

पथरी (बिना ओपरेशन),गैस-तेजाब बना,लीवर व तिल्ली के रोग,किडनी रोग,मूत्ररोग, शुगर,आदि।

मानसिक रोग;-

उन्माद Hysteria, Epilepsy,मृगी, Stress,आदि।

स्त्री रोग:-

श्वेतप्रदर, अनियमित मासिकधर्म,आदि

पुरुष रोग:-

शुक्रअल्पता,नपुंसकता,ED,आदि।

अन्य:-

पतलापन, मोटापा(Obesity), शरीर मे गांठेंCyst, बालों का झडना Hair fall, गंजापन Baldness,आदि।

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शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

ग्रघसी|साइटिका|दर्द क्या ये?In hindi.

 #Health care #AyurvedicTreatment. #Fitness. #घरेलूउपाय.

ग्रघसी|साइटिका|दर्द क्या ये?In hindi.



साइटिका के लक्षण, कारण और घरेलू -Sciatica Ke Lakshan, Karan Aur Gharelu in hindi.

#Dr_Virender_Madhan.

 साइटिका नर्व में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नपन आ जाना या दर्द अनुभव होता है। साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है

कमर के निचले हिस्से में अचनाक दर्द होने लगता है।  लेकिन मामूली सा कमर में होने वाला दर्द साइटिका (Sciatica) का भी हो सकता है। यह बीमारी रीढ़ की हड्डी (spinal cord) से होते हुए पैरों की उगलियों तक पहुंच जाती है। 

* साइटिका के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार (Sciatica ke Lakshan, Karan Aur Gharelu Upchar In Hindi)

#साइटिका के लक्षण क्या है?

दरअसल, कमर से संबंधित नसों में सूजन आ जाए तो पूरे पैर में असहनीय दर्द होने लगता है, जिसे साइटिका कहा जाता है। 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या आम है। इसके अलावा अधिक मेहनत करने वाले या भारी वजन उठाने वाले लोगों में भी यह समस्या अधिकतर देखने को मिलती है

* कमर और पैरों में हल्का दर्द

कमर की तुलना में पैरों में अधिक दर्द महसूस होना

* पैरों की उंगलियों में दर्द होना

कमर और परों में झुनझुनी महसूस होना

* पैरों का बेजान महसूस होना

कूल्हों में दर्द होना

* कमर के निचले हिस्से में दर्द

पैरों में झुनझुनाहट जैसा महसूस होना

* कमर के निचले हिस्से में कमजोरी महसूस होना

साइटिका के क्या क्या कारण होते है?

#साइटिका का कारण क्या है? 

साइटिका की समस्या आमतौर पर तब होती है, जब तंत्रिकाओं में सूखापन आ जाता है और साथ ही रीढ़ की हड्डी भी खिसकने लगती है। अगर रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की चोट लगी है, तो भी साइटिका होने की संभावना बढ़ जाती है।

* स्पाइनल कॉर्ड की नसों में दिक्कत होना

* नसों में खिंचाव के कारण

* मोटापा के कारण

* कमर या शरीर के निचले हिस्से में चोट का लगना

* गलत तरीके से एक्सरसाइज करना



#साइटिका का घरेलू उपचार- 

साइटिका की बीमारी में लहसुन (Garlic) 

- इसके लिए लहसुन की 4-5 कलियों को पीस कर गर्म दूध में मिलाकर पीना चाहिए। इससे साइटिका में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है।

मेथी (Fenugreek) 

- अगर आप रोजाना नियमित रूप से मेथी का सेवन करते हैं। मेथी को पीसकर उसका पाउडर बना लेना चाहिए, फिर दूध में उस पाउडर को मिलाकर पीना चाहिए।

 * हल्दी (Turmeric)  

-साइटिका की शिकायत होने पर हल्दी को दूध में मिलाकर पीना चाहिए। 

* एक्सरसाइज (Exercise) 

Exercise करने से कमर की मांसपेशियों में मजबूती आती है। नियमित रूप से एक्सरसाइज करना चाहिए।  *सिकाई करना 

 सिकाई करने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।

*सहजन की पत्तियां 

 सहजन की पत्तियां औषधीय गुणों से भरपूर होती है। सहजन की पत्तियों को पानी में उबालकर पीना चाहिए। इसमें अर्जुन की छाल और अजवाइन भी मिला सकते हैं।

* अजवाइन (Ajwain)  

अजवाइन के सेवन से साइटिका में होने वाली सूजन से छुटकारा मिलता है। इसके लिए आप अजवाइन पानी या अजवाइन की चाय का सेवन कर सकते हैं।

- मालिश करना।

 इसके लिए जायफल पाउडर को तिल के तेल में मिलाकर मालिश करना चाहिए। मालिस के लिये “न्यूमोसओयल” का प्रयोग उत्तम है।

#साईटिका का आयुर्वेदिक इलाज?

साइटिका से निजात पाने के आयुर्वेदिक औषधियां

साइटिका का सबसे कारगर इलाज है मालिश। नारियल तेल या सरसों के तेल के अलावा प्रसारिणी तेल, निर्गुन्डी औषधि, महानारायण तेल, दशमूल तेल, सहचारी तेल, तिल का तेल का उपयोग कर सकते हैं। साइटिका का दर्द ठंड के दिनों में ज्यादा परेशान करता है। ऐसे में सरसों के तेल को थोड़ा गर्म करके इस्तेमाल करें

 चंदप्रभा वटी,

 त्रयोदशांक गुग्गुल 

 अश्वशीला,

रास्नादिगुग्गुल,

न्यूमोस ओयल,

महारास्नादि क्वाथ,

दशमूलारिष्ट लें।

महानारायण तैल की मालिस करे। इससे लाभ मिलेगा।

* इन बातों का रखें खास ध्यान- 

-उठते और बैठते समय शरीर को सही पोजीशन में रखें- महिलाएं हील वाली सैंडल न पहने- भारी चीजें उठाने से बचें।

फास्टफूड, बासी भोजन न करें।


 अस्वीकरण:

 सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।