“दही” खाने के फायदे और नुकसान.जाने हिन्दी में।
दही को संस्कृत में “दधि” बोलते हैं तथा फारसी मे - दोग, अंग्रजी मे- Curdled Milk “(Curd)” कहते है।
Dr_Virender_Madhan.
#दही किसे कहते है|दही क्या है?
-थक्के के रूप में जमा दूध जिसे जामन या खटाई डाल कर जमाया जाता है ; दधि। खटाई के द्वारा जमाया हुआ दूध को दही कहते है।
#दही खाने के फायदे?
दही बल देताहै।
दही खाने से immunity बढती है।
हड्डियों को मजबूत करता है।
#आयुर्वेद के अनुसार दही के गुण:-
दही गरम, अग्नि को दीप्त करती है। दही स्निग्ध, थोडा कषैली होती है, भारी ,पाक मे खठ्ठी होती है।
#दही खाने से नुकसान?
श्वास, पित्त, रक्तविकार, सूजन, मेद (चर्बी), तथा कफकारक होती है।
अधिक दही खाने से खून खराब होता है।शरीर पर चर्बी बढती है।कफ से होने वाले रोग बढ.जाते है।
#दही कितने तरह की होती है ?
दही के पांच भेद:-
दही 5प्रकार की होती है।
मन्द , स्वादु , स्वादूम्ल , अम्ल ,अत्यम्ल,
* मन्द दही
मन्द दही, दूध से थौडी गाढी होती है। मन्द दही मल,मूत्र को बढाने वाला होता है।त्रिदोषज, दाह को बढाता है
* स्वादु दही
स्वादू दही अच्छी गाढी होती है।स्वादिष्ट होती है अम्लरस रहित होती है।
यह अभिष्यन्दी होती है शक्ति, मेद , कफबर्ध्दक होती है।रक्तपित्त को स्वच्छ करने वाला और वातनाशक होती है।
*स्वाद्वम्ल दही
खट्टा, मीठा, कषैला,यह दही सामान्य होती है।
अम्लदही:-
यह दही बहुत खट्टी होती है।यह पित्त ,कफ,रक्त विकार होती है।
अग्नि प्रदिप्त करती है।
अत्यम्ल दही -
यह भी अम्लदही के सामान गुण वाली होती है यह दांतों को खट्टा कर देती है।
#सबसे अच्छी दही कौन सी होती है?
*गौ की दही:-
गाय की दही विशेष कर मीठी, स्वादिष्ट, रूचिकर, पवित्र, अग्निप्रदीपक, हृदयप्रिय, तृप्तिकारक, वातनाशक होती है।
*भैस की दही:-
अधिक स्निग्ध, कफकारक, पित्त, वातनाशक , होती है।पाक मे मीठी, भारी ,बृष्य (शरीर को भारी करने वाला ) ,रक्तविकार करने वाला होता है।
* बकरी का दही:-
गर्म ,ग्राही ,हल्का, त्रिदोषनाशक, अग्निप्रदीपक, होता है।श्वास कास, क्षय , बवासीर, तथा दुर्बलता मे बहुत उपयोगी होता है।
#शर्करा (शक्कर) सहित दही के गुण:-
मीठी दही में कई पोषक तत्व होते हैं. जो पेट से लेकर कई अन्य बीमारियों को भी दूर करते हैं. दही में फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है. इससे आपके दांत और हड्डियां मजबूत बनती हैं.
<खाण्ड से मीठी दही सर्व श्रेष्ठ दही होती है।>
तृष्णा,पित्त, वातरोग नाशक होता है।पुष्टिकर होता है।तर्पण,बलकारक होता है।
#दही किस समय नही खाना चाहिए?
आयुर्वेदिक शास्त्रों में दही रात मे खाना निषेध है क्य़ोंकि दही रात मे खाने दोष कुपित हो कर रोग पैदा हो जाते है।
अगर खाना ही पडे तो उसमें शक्कर, बूरा, शहद, धी आदि डाल कर खाना चाहिए।
रात मे दही छाछ न खाना ही श्रेष्ठतम है।
#दही कौन सी ऋतु मे खायें कौन सी ऋतु में न खायें?
दही को हेमन्त,शिशिर, और वर्षा मे खाना अच्छा है।
तथा शरद, ग्रीष्म, और बसंत ऋतु मे दही खाना अच्छा नहीं है।
#बिना विधि के दही खाने से क्या नुकसान होता है?
आयुर्वेद के अनुसार - दही को गलत समय पर गलत ऋतु मे खाने से ज्वर,रक्तविकार, पितविकार, विसर्प, कुष्ठरोग, पांडू (पिलिया), भ्रम (चक्कर आना) आदि रोग हो जाते हैं।
धन्यवाद!
#डा०वीरेंद्र मढान.
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