Guru Ayurveda

मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

डैंड्रफ से छुटकारा दिला सकते हैं घरेलू उपाय?In hindi

#रूसी #ayurvedictreatment #Hairproblem, #घरेलूउपाय,

 <डैंड्रफ|Dandruff>

डैंड्रफ से छुटकारा दिला सकते हैं घरेलू उपाय?In hindi

Dr.VirenderMadhan.

#डैंड्रफ|रुसी|पयास, क्या है?

आपके कंधे पर सफेद रंग की पपड़ीनुमा जैसी कोई चीज गिर जाती है। आप बार-बार उसे हटाने की कोशिश करते हैं, लेकिन थोड़ी ही देर में वह फिर से आ जाती है.. है ना? 

सिर में होने वाली इसी समस्या को रूसी या डैंड्रफ|(Dandruff) होना कहा जाता है। भारत में बड़ी संख्या में लोग रूसी या डैंड्रफ से परेशान हैं। और यह समस्या दिन पर दिन बढ रही है।

#डैंड्रफ Dandruff कितने प्रकार के होते हैं?

जानें,

 कितने प्रकार के होते हैं डैंड्रफ ?

* ड्राय स्किन डैंड्रफ

* ऑइल संबंधित डैंड्रफ

* फंगल डैंड्रफ

* बीमारी संबंधित डैंड्रफ


#डैंड्रफ से क्या क्या होता है?

जानें

डैंड्रफ से क्या नुकसान होता है,

* इससे सिर की ऊपरी त्वचा में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं या यूं कहें कि जड़ें खुल जाती हैं. इससे बाल टूटने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में गीले बालों में कंघी करने से हेयर फॉल हो सकता है. इसके अलावा ज्यादा हेयर ड्रायर इस्तेमाल करना भी बालों के लिए ठीक नहीं होता.

#डैंड्रफ से चेहरे पर क्या नुकसान होता है?

जाने

डेंड्रफ का चेहरे पर क्या साइड इफेक्ट्स या नुक्सान होता है?

* अत्यधि‍क डैंड्रफ होने पर वह आपके चेहरे या त्वचा के जिन स्थानों पर गिरता है, वहां मुहांसे हो सकते हैं। यह आपकी त्वचा को खराब कर सकता है। 

* खुजली - जब भी डैंड्रफ होता है, आपके सिर की त्वचा मृत कोशि‍आओं को बाहर निकालती है और आपको खुजली होती है।

# डैंड्रफ का घरेलू उपचार क्या है? 

जाने-

डेंड्रफ की समस्या को दूर करने के टिप्स,

> टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल करें।

> बालों को दें दही का पोषण ।

> ऐलोवेरा जेल का प्रयोग करें।

> मेथी को जड़ों में लगाएं।

> नींबू और नारियल तेल कर सकता है रूसी को खत्म।

#बालों में डैंड्रफ की समस्या:-

डैंड्रफ के लिए एलोवेरा का रस

आप इस जेल को छानकर सीधा अपने सिर की त्वचा और बालों पर लगाकर 15-20 मिनट बाद सामान्य पानी से धो सकते हैं. आप एलोवेरा का जेल निकालकर उसमें 1 चम्मच नींबू का रस और 1 चम्मच नारियल तेल मिला लें. अब इन सभी चीजों को ब्लेंड करके बालों में लगाएं और 15-20 मिनट बाद माइल्ड शैंपू से धो लें.

#सर्दियों में सिर की रूसी को जड़ से खत्म करने के उपाय – (How to Avoid Dandruff in Winter Naturally)

तिल का तेल 

तिल का तेल बालों के लिए औषधि का काम करता है। ... 

नारियल का तेल 

200 ग्राम नारियल के तेल में करीब 5 ग्राम कपूर का पाउडर मिक्स करके तीन हफ्तों तक लगाने से रूसी खत्म हो सकती है। 

#डेंड्रफ का आयुर्वेदिक इलाज?

* नीम का तेल

नीम का तैल की मालिस करें।

* नीम की पत्ती

नीम की पत्तियों (Neem Leaves)को पानी में डालकर उबाल लें। बाद में पत्तियों को पीसकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसे पेस्ट को 10 मिनट तक सिर पर लगाकर रखें। बाद में पानी से सिर को धो लें। 

* दही (Curd)

पुराने और खट्टे दही या मट्ठे को अपने पूरे सिर पर लगाएं। कम से कम 10 मिनट तक लगाकर रखें (बेहतर होगा कि कम से कम 30 मिनट तक लगाएं)। बाद में सिर को पानी से धो लें।

*नींबू का जूस + नारियल तेल (Lemon juice + Coconut oil)

नारियल तेल लेकर उसे गर्म कर लें। गुनगुने नारियल तेल में बराबर मात्रा में नींबू का जूस मिला लें। इस मिश्रण को अच्छे से बालों की जड़ों में लगा लें। 10 मिनट या पूरी रात लगाकर रखें और सुबह किसी माइल्ड शैंपू से बालों को अच्छी तरह से धो लें।

* बेकिंग सोडा (Baking soda)

सिर को धो लें। इसके बाद एक टेबल स्पून बेकिंग सोडा को पूरे सिर पर अच्छी तरह से मलें। सिर को एक मिनट के लिए छोड़ दें और बाद में धो डालें। 

* मेंहदी + चाय की पत्ती + नींबू (Henna + Tea Liquor + Lemon juice)

 एक टेबल स्पून चाय की पत्ती को डेढ़ कप पानी में उबाल लें। बाद में जब एक कप बच जाए तो उसे छान लें। इसी पानी में मेंहदी पाउडर और दो चम्मच नींबू का जूस मिला लें। गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसी पेस्ट को अपने सिर और बालों में लगाएं। कम से कम 10 मिनट या फिर पूरी रात के लिए लगा रहने दें। सुबह इस पेस्ट को  शैंपू से धोकर निकाल दें। 


 धन्यवाद!

सोमवार, 11 अप्रैल 2022

कॉर्न|गोखरू क्या हैफुट?In hindi.

 #  फूटकॉर्न|गोखरू क्या है?In hindi.


Dr.VirenderMadhan

फुट कॉर्न को बनियन्स (Bunions) भी कहते हैं। इसे “गोखरू” और डील नाम से भी जानते है।

#फूटकोर्न किसे कहते है?

आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर में वात और कफ दोष के असंतुलन के कारण फुट कॉर्न होते हैं।

फुट कॉर्न, त्वचा की एक मोटी परत होती है, जो घर्षण, रगड़ और दबाव के कारण प्रतिक्रिया करके त्वचा में (खासकर पैरों के तलवे में) उत्पन्न होने लगती हैं। कॉर्न के कारण चलने पर दर्द होता है।

#फूटकोर्न कैसा होता है?

>> गोखरू|कॉर्न्स अक्सर छोटे-छोटे, परतदार गोल चक्र के आकार के होते हैं, जो आम तौर पर पैरों की उंगलियों के ऊपर, बराबर में या तलवे पर होते हैं। फुट कॉर्न अक्सर दुबले-पतले लोगों के पैरों में होते हैं, 

#गोखरू|फुटकोर्न किसे होता है?

 - जो लोग सही फिटिंग के जूते नहीं पहनते हैं या

-  जिनके पैरों में पसीना आता है या 

- जो दिन में ज्यादातर समय खड़े रहते हैं, उन लोगों में यह समस्या काफी आम होती हैं। फुट कॉर्न पुरूषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होता है। 

  

फुटकोर्न के लक्षण

एक कठोर तथा ऊपर की तरफ उठा हुआ उभार (गांठ आदि),

प्रभावित त्वचा खुरदरी तथा मोटी होना,

त्वचा पर सूखी या मोम जैसी परत बनना,

त्वचा के अंदर दर्द या छूने पर दर्द महसूस होना,

चलने या अन्य गतिविधियां करते समय दर्द महसूस होना, इत्यादि।

फुटकोर्न के कारण

- पैरों की त्वचा में कुछ कॉर्न्स ठीक तरीके से न चलने के कारण भी होता है, 

- ज्यादातर फुट कॉर्न का कारण ठीक साइज के जूते ना पहनना ही होता है।

- ऊंची एड़ियों के जूते पहनना भी ऐसी स्थिति पैदा करने का एक मुख्य कारण माना जाता है, 

- नंगे पैर चलना भी कारण बनता है।

-अन्य कारण

*पैरों तथा उनकी उंगलियों की संरचना में असामान्यता।

*चलने में असामान्यता।

*खराब फिटिंग के जूते या मौजें।

*किसी उपकरण, औजार या इंस्ट्रूमेंट्स आदि का इस्तेमाल करना, 

*जिससे पैर की किसी एक जगह दबाव पड़ता हो।

*बिना जुराबों के जूते या सैंडल आदि पहनना, इससे पैरों में घर्षण बढ़ता है।

*नियमित रूप से नंगे पैर चलना, ऐसे में पैर खुद को बचाने के लिए त्वचा की मोटाई बढ़ाने लगते हैं।

*दोहराने जाने वाली गतिविधियां, जैसे एक ही तरीके से चलना या दौड़ना।

*कुछ प्रकार के व्यवसाय, जैसे खेतों या गार्डन आदि में काम करने वाले लोग।

*वृद्धावस्था, क्योंकि इस उम्र में त्वचा में फैटी टिश्यू कम हो जाते हैं, 

*जिससे त्वचा में गद्दापन (Padding) कम हो जाता है। जिससे फुट कॉर्न आदि विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। 

#ट्रीटमेंट ऑफ फुट कॉर्न|कॉर्न को ठीक करने के लिए घरेलू इलाज (Home Remedy To Cure Corn)

प्यूमिक स्टोन (Pumice Stone)

प्यूमिक स्टोन से रगडें फिर कैस्टर आयल लगायें।

मुलेठी (Mulethi)

पैर धोकर मुलहठी का लेप करें।

सेंधा नमक (Rock Salt)

सेंधानमक के पानी से धाये।

सफेद सिरका (White Vinegar)

सफेद सिरका या सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar) कुछ दिनों तक लगायें।

लहसुन (Garlic) का पेस्ट बनाकर प्रयोग करें।

#फूटकोर्न से बचने के लिए क्या करें।?

**  उचित साइज के जूतें पहनने चाहिए।

* पैरों को हर शाम को साबुन और पानी के साथ धोएं, पैरों को धोने और अच्छी तरह से सुखाने के बाद उन पर तैल क्रीम लगाएं।


रविवार, 10 अप्रैल 2022

स्वस्थ|Healthy रहने के सरल उपाय।in hindi.

#Health&care #gherelu upaye #Ayurvedictreatment.

स्वस्थ|Healthy रहने के सरल उपाय।in hindi.



एक स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण क्या है?

Dr.virenderMadhan.

#स्वस्थ व्यक्ति की पहचान क्या है?

* किसी व्यक्ति की मानसिक,शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं।। स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है।

* समय पर भूख लगती हो।

* शारीरिक चेष्टा सम मात्रा में हो।

* जिसका मेरुदण्ड सीधा हो।

* चेहर पर कांति ओज तेज हो।

* कर्मेन्द्रिय (हाथ पांव आदि) स्वस्थ हों।

* मन प्रसन्न दिखाई देता है।

* सकारात्मक विचार हो

* मल विसर्जन सम्यक् मात्रा में समय पर होता हो।

* शरीर की उंचाई के हिसाब से वजन हो,आदि।

#हमेशा स्वस्थ रहने के उपाय|Seda swasth kaise rehne?

#सदा स्वस्थ कैसे रहे?

Book के लिए क्लिक करें:-

https://www.amazon.com/%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5-%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%87-Hindi-ebook/dp/B09CVD4QP8


<स्वस्थ> रहने के लिए कुछ

संकल्प करें।

* तनाव भगाएं । 

* मोटापे से बचें।  

* व्यायाम की आदत डालें।

* पौष्टिक भोजन करें।

* समय, आयु, अवस्था के अनुसार नींद लें ।

#हमेशा स्वस्थ रहने के लिए क्या करें?

Hamesha swasth rehne ke liye kya karen?

* सुबह जल्दी उठने की आदत डालें:

- ब्रह्म मुहर्त सब सब पहले जल पीयें।

- सुबह उठकर व्यायाम करें:

भरपूर नाश्ता करें:

* कुछ लोगों की आदत होती है कि वो नाश्ता नहीं करते सीधे दिन में खाना खाते हैं।यह गलत है।

- सुबह जल्दी उठो और ३- ४ मील (४- ६ किलोमीटर) रोज टहलो। संभव हो तो शाम को भी थोड़ा टहलो। 

- टहलते समय नाक से लम्बी- लम्बी सांसें लो तथा यह भावना करो कि टहलने से आप अपने स्वास्थ्य को संवार रहे हैं। 

- प्रातः  पौष्टिक पदार्थों का सेवन करें। अंकुरित अन्न, भीगी मूंगफली, आंवला या इससे बना कोई पदार्थ, संतरा या मौसम्मी का रस अच्छे नाश्ता का अंग होते हैं। 

- भोजन सादा करो एवं उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करो, शांत, प्रसन्न और निश्चिन्तता पूर्वक करो और उसे अच्छी तरह चबाचबा कर खाओ। खाते समय न बात करो और न हंसो। एकाग्र चित्त होकर भोजन करना चाहिए। 

- भोजन में रोज अंकुरित अन्न अवश्य शामिल करो। अंकुरित अन्न में पौष्टिकता एवं खनिज लवण गुणात्मक मात्रा में बढ़ जाते हैं। इनमें मूंग सर्वोत्तम है। चना, अंकुरित या भीगी मूंगफली इसमें थोड़ी मेथी दाना एवं चुटकी भर- अजवायन मिला लें तो यह कई रोगों का प्रतिरोधक एवं प्रभावी ईलाज है। 

- मौसम की ताजा हरी सब्जी और ताजे फल खूब खाओ। जितना हो सके कच्चे खाओ अन्यथा आधी उबली/ उबली तथा कम मिर्च- मसाले, खटाई की सब्जियां खाओ।  

- आटा चोकर समेत खाओ, सम्भव हो तो हाथ का पिसा हुआ खाओ। जौ, गेहूं, चना, सोयाबीन का मिस्सी रोटी का आटा सुपाच्य एवं पौष्टिक होता है। पौष्टिकता की दृष्टि से रोटी में हरी सब्जी, पालक, मेथी ,, बथुआ आदि पत्तीदार सब्जी मिलाकर बनायें / खायें। दलिया / खिचड़ी में भी पत्तीदार एवं हरी सब्जियाँ मिलाकर पौष्टिकता बढ़ाई जा सकती है। 

- सब्जियों के सूप का नित्य सेवन पौष्टिक एवं हलके भोजन का अच्छा अंग हो सकता है। 

-  भोजन के साथ पानी न पीओ। दोपहर के भोजन के घंटे भर बाद पानी पियें । भोजन यदि कड़ा और रूखा हो तो

सवेरे जूस या नीबू पीनी, दोपहर मे छाछ, रात मे दूध ले सकते है।

-  प्रातः उठते ही खूब पानी पीओ। दोपहर भोजन के थोड़ी देर बाद छाछ और रात को सोने के पहले उष्ण दूध अमृत समान है। 

- धूम्रपान, मादक पेय- पदार्थ (जरदा, गुटखा, सॉफ्ट ड्रिंक जैसे कोकाकोला, पेप्सी इत्यादि एवं शराब आदि )) सर्वथा छोड़ दो। 

- चाय- कॉफी आदि के स्थान पर सादा ठंडा या गुनगुना पानी, नींबू पानी, छाछ, गाजर, पालक चुकन्दर, लौकी, टमाटर इत्यादि सब्जियों का एव मौसम्मी या संतरा, पपीता इत्यादि फलों के रस का उपयोग लाभकारी होता है। 

- डाइबीटीज (शक्कर) के रोगी को शक्कर या उससे बने पदार्थों से पूर्ण परहेज करना चाहिए। फलों में अधिक मीठे फल का सेवन कम करें। फल के रस के बजाय फल खायें ।। 

#मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के उपाय,?

दिमाग को फिट रखने के तरीके।

अध्ययन करते रहें। नया सीखते रहें दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए कोशिश करनी चाहिए कि कुछ नया सीखते रहना चाहिए। 

शरीर का ध्‍यान रखें ।

सकारात्‍मक लोगों के साथ समय बिताएं उनसे मित्रता रखें।

दूसरों की सहायता करेगें तो तनाव को दूर रह सकते है तथा मन को शांति मिलेगी ताकत मिलेगी।

जीवन मे एक लक्ष्‍य तय करें।

आलस्य छोड़ कर अपने काम मे व्यस्त रहें।

#“स्वस्थ शरीर के लाभ क्या है?”

यदि मनुष्य का शरीर स्वस्थ होगा, तो वह किसी भी भौतिक समस्या या परिस्थिति का सामना कर उसका समाधान निकाल सकता है। इससे उसके मन में किसी भी तरह की परेशानी व संशय का निर्माण नहीं होगा, अपितु इस सफलता से उसके मन में उत्साह बढ़ेगा और वह आगे की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा।

धन्यवाद!


शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

#डिप्रेशन|अवसाद क्या है?क्या करें उपाय?In hindi.

 #डिप्रेशन|अवसाद क्या है?In hindi.



अवसाद या डिप्रेशन का मतलब (depression meaning):-

मानसिक-खिन्नता ,उदासीनता,डिप्रेशन का ही रूप है।

यह ऐसी अवस्था है जब व्यक्ति का मन और दिमाग दोनों ही नैगिटिविटी, चिंता, तनाव और उदासी से घिर जाता है। डिप्रेशन की इस अवस्था में व्यक्ति की सोचने-समझने की ताकत क्षीण यानि खत्म हो जाती है और व्यक्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।

डिप्रेशन दो प्रकार से होता है

* 1-भारी रूप से नुकसान होने से , वियोग से ,आपत्तिजनक प्रस्थिति से।

* 2-अंदरूनी कमजोरी या बिमारी के कारण होने वाली डिप्रेशन।

#डिप्रेशन|अवसाद के लक्षणों ?

Depression ke lakshan?

- दिन भर और खासकर सुबह के समय उदासी.

-  प्रतिदिन थकावट और कमजोरी महसूस करना।

- स्वयं को अयोग्य माना

या अपने को दोषी मानना।

- एकाग्र रहने तथा फैसले लेने में कठिनाई होना।

- लगभग हर रोज़ बहुत अधिक या बहुत कम सोना।

- सारी गतिविधियों में नीरसता आना।

लक्षण

- डिप्रेशन मे ज्यादातर लोगों किसी न किसी बात को लेकर गिल्ट वाली फीलिंग रहती है.

- ऐसे में लोग हर समस्या के लिए खुद को जिम्मेदार मानने लगते हैं.

- डिप्रेशन में रहने वाले व्यक्तियों को बहुत जल्दी गुस्सा और खीज आती है.

- कई बार ऐसे लोगों के मन में जीवन बेकार लगने लगता है।

-रोगी अकेला रहना पंसद करता है।

#डिप्रेशन क्यों होता है? – Why does depression happen?

डिप्रेशन के कई कारण होते हैं। 

आजकल जीवन से अत्यधिक आकांक्षा बढने से, धनदौलत की ईच्छा बढने से,रिश्तों की अहमियत धट जाने के कारण डिप्रेशन कई गुणा बढ गई है।बुजुर्गों मे अकेलापन के कारण डिप्रेशन के शिकार हो रहें है।

कई बार हमारे जीवन में कोई बड़ा हादसा, संघर्ष, पारिवारिक समस्या, आर्थिक समस्या, हार्मोन में आए बदलाव, थायराइड, प्रसव, रजोनिवृत्ति, मौसम में परिवर्तन आदि के कारण भी व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।

#डिप्रेशन से कैसे बचा जा सकता है?,कैसे करें अपना डिप्रेशन दूर?

सबसे पहले डिप्रेशन दूर करने के लिए 

-आठ घंटे की नींद लें। नींद पूरी होगी तो दिमाग तरोताजा होगा और नकारात्मक भाव मन में कम आएंगे।

- प्रतिदिन सूरज की रोशनी में कुछ देर जरूर रहें। इससे अवसाद जल्दी हटेगा।

- बाहर टहलने जाएं। 

- अपने काम का पूरा हिसाब रखें। 

- ध्यान व योग को दिनचर्या में शामिल करें।

#डिप्रेशन को कैसे खत्म करें?,अकेले होने पर डिप्रेशन को कैसे हराएं?

- आपको मेडिटेशन करना चाहिए।

- प्रकृति और पेड-पौधों से प्यार करना दिमागी शांति के लिए काफी फायदेमंद है।

- एक्सरसाइज करने से हमारे दिमाग में हैप्पी हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ़ता है।

- संगीत,म्यूजिक सुनना भी एक मददगार तरीका है, जो आपके तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है.

#डिप्रेशन का घरेलू उपाय क्या है?डिप्रेशन दूर करने के उपाय।

-राई के तैल से मालिस करने से राहत मिलती है।

-खिरनी खाने से पुनः चेतना आ जाती है।यह बृद्धावस्था मे बहुत उपयोगी होता है।

- कम से कम 5 बादाम खाकर एक गिलास हल्का गर्म दूध पीने से तनाव में काफी रहात मिलती है। 

बादाम को भूनकर भी खाया जा सकता है।

- दूध में अदरक का पाउडर मिला कर पेस्ट बना माथे पर लगाने से भी तनाव कम होता है।

- गुलकंद: 

गुलकंद कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करता है, पर तनाव दूर करने में यह बेहद कारगर है।

#डिप्रेशन का आयुर्वेदिक इलाज?

आयुर्वेद में डिप्रेशन के इलाज के लिए रसायन औषधि खाने की सलाह दी जाती है।  रसायन 

आमलकी रसायन,आंवला, ब्राह्मी घृत, शंखपुष्पी, बृहती, कंठकारी, हरड़, शोयनाक, गंभारी, पृष्टपर्णी, बला सालपर्णी, जीवंती, मूण्डूकर्णी, शतावरी, मेधा, महामेधा, वृष्भक, मुक्ता, पिपली से बनाए जाते हैं।

अश्वगंधा,

सर्पगंधा,

शंख पुष्पी,

ब्रह्मी,

मंडूकपर्णी आदि मानसिक शांति के लिए बहुत कारगर है।इनसे बनाने प्रोडक्ट प्रयोग करने चाहिए।

#आयुर्वेदिक औषधियों:-

आयूर्वेदिक शास्त्रीय योग जो डिप्रेशन मे उपयोगी होती है।

ब्रनिका सीरप

अश्वगंधा चूर्ण

अश्वगंधारिष्ट,

सारस्वतारिष्ट,

स्मृति सागर रस,

स्वर्ण भस्म,

तथा जठामांसी,ब्रह्मी के योग बहुत लाभदायक होते है।

#उदासी कैसे दूर करे

- संगीत सुने और गुनगुनाए संगीत सुनने से मानसिक तनाव और ब्लड प्रेशर दूर होता है।

- गेम खेलें ।

- अपनों के साथ समय गुजारे ।

- योग करें।

- पेंटिंग करें ।

- खुली हवा में घूमे।


नोट:- कोई भी औषधि का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

धन्यवाद!


गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

रक्तचाप कैसे कम करें?How to lower blood pressure? In hindi

 How to lower blood pressure?

रक्तचाप कैसे कम करें?



सवाल-जवाब।

Dr.VirenderMadhan.

#Blood pressure|रक्तचाप क्या है?

जिस प्रकार रबड का पाईप नर्म और ढीला ढाला होता है जब उससे पीनी की टंकी मे लगाकर पीनी चलाते हैं तो पाईप टाईट हो जाता है यह पानी के प्रैशर से ही टाईट होता है इसे पानी का प्रैशर कहते है इसी प्रकार रक्तवाहिनियों पर रक्त का प्रैशर होता है।

रक्तचाप (अंग्रेज़ी:ब्लड प्रैशर) रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर द्वारा डाले गये दबाव को कहते हैं। धमनियां वह नलिका है जो पंप करने वाले हृदय से रक्त को शरीर के सभी ऊतकों और इंद्रियों तक ले जाते हैं।

#रक्तचाप|blood pressure के बढने के क्या कारण होते है।?

High BP- कुछ बीमारियों के कारण कोलेस्ट्रॉल धमनियों पर जमा हो जाता है और उनके लुमेन को संकुचित कर देते हैं जिससे उनके दीवार पर दबाव बढ़ जाता है।

[हाई ब्लड प्रेशर के कारण]

* गलत खानपान (प्रज्ञापराध) :-

 उच्च रक्तचाप के कारण में खानपान खराब होना भी शामिल है। 

* किडनी से जुड़ी बीमारियां 

बीपी बढ़ने का कारण किडनी से जुड़ी बीमारियां भी हैं। 

* आलस्य

ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण आलस्य भी है। 

* मौसम में बदलाव 

सर्दियों के मौसम में अक्‍सर तापमान में उतार-चढ़ाव देखा जाता है।

* तनाव 

मानसिक तनाव से ब्लड प्रेशर बढने का बहुत बडा कारण है।

उम्र: 

जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है तो उच्च रक्तचाप होने का खतरा बढ़ जाता है

हेरीडीटीकल :-

उच्च रक्तचाप का पारिवारिक इतिहास (बीमारी पीढ़ियों में चलती है)

*आपके भोजन में नमक की अधिक मात्रा का प्रयोग करना।

* व्यायाम की कमी होना।

*अधिक वजन होना

* धूम्रपान

* ज़्यादा मात्रा में शराब पीना

- ऐसी कुछ परिस्‍थितियाँ निम्न हैं, जिनके कारण उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा हो सकती है:

- गुर्दे के रोग

- हार्मोन समस्याएँ 

- ऐसी कुछ दवाइयाँ जिनसे उच्च रक्तचाप उत्‍पन्‍न हो सकता है, 

- कुछ नशीली दवाइयाँ 

#बीपी बढ़ने के क्या लक्षण है?

-  अगर इंसान को अचानक धुंधला दिखने लगे या उसे आई साइट में दिक्कत महसूस होने लगे तो ये ब्लड प्रेशर की बीमारी का संकेत हो सकता है. इसके अलावा 

* कन्फ्यूजन होना, 

* चक्कर आना। 

* सिरदर्द, 

* नाक से खुन आना।

*छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ भी ब्लड प्रेशर की बीमारी के लक्षण हो सकते हैं

#हाई ब्लड प्रेशर को तुरन्त कैसे कम करे? 

या

#दवा के बिना दबाव को कैसे कम करें

#हाय ब्लड प्रेशर को कैसे कम करे,

इन सब का उत्तर एक ही है।

* कम मात्रा मे (नमक )सोडियम खाएं 

* पोटेशियम की मात्रा बढ़ाएं 

रोजाना एक्सरसाइज करें

 * धूम्रपान और सिगरेट छोड़े ... 

* उच्च रक्तचाप को प्रबंधित करने के लिए जीवनशैली में क्या बदलाव आवश्यक हैं?

*वजन कम करें और इसे बनाए रखें। 

* अधिक अल्कोहल का सेवन न करें।

* योग, प्राणायाम और व्यायाम जैसे एक्सरसाइज को नियमित रूप से करें।

#बीपी कम करने के लिए क्या खाएं?

- फल और सब्जियां अधिक खाएं।

- डेयरी खाद्य पदार्थ चुनते समय कम वसा वाले विकल्पों का चयन करें।

- संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और ट्रांस फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।

- साबुत अनाज, नट्स का सेवन अधिक करना चाहिए।

#बीपी कम करने के लिए क्या खाना पीना चाहिए?

- हाई ब्लड प्रेशर के लिए डाइट में क्या-क्या शामिल करें? गेहूं, मूंग की दाल, मसूर की दाल, सब्ज़ियों में परवल, सिंघाड़ा, टमाटर, लौकी, तोरई, करेला, कद्दू, हरे पत्तेदार सब्ज़ियां और मौसमी सब्ज़ियां खानी चाहिए। साथ ही खाने में ज़ीरा भी शामिल करना चाहिए।

#High blood pressure|उच्च रक्तचाप मे कौन कौन से फल खा सकते है?

अगर आपको शुगर नहीं है तो आप 

किवी,

आम,

खरबूजे,

केला,

स्टोबेरी आदि खा सकते है?

#हाई ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक ईलाज?

- High blood pressure|उच्च रक्तचाप वाले रोगी को इन उपायों को जरूर करना चाहिए।

अजवाइन

*अजवाइन की पत्तियों का चूर्ण 2 ग्राम पानी से लें।

* दालचीनी

दालचीनी का चूर्ण या दालचीनी का पानी पीने से बी०पी० कंट्रोल मे रहता है।शुगर मे भी उपयोगी है।

* अर्जुन की छाल

अजुर्न की छाल का चूर्ण 3-6 ग्राम पानी से दिन मे दो बार लेना चाहिए। या अर्जुन की छाल की चाय की तरह काढा बनाकर पी लें।यह B.P. मे, हृदय रोगों मे बहुत लाभकारी है।

* त्रिफला

त्रिफला चूर्ण 1-1 चम्मच सवेरे शाम पानी से लें। या या

गुरु त्रिफला रस 20मि०ली० दिन मे 2 बार लें।

* सर्पगंधा:-

सर्पगंधा चूर्ण या सर्पगंधा घन वटी 1-1सवेरे शाम लें।यह तंत्रिका तंत्र को शांत रखता है।

मानसिक तनाव को कम करता है।

* जटामांसी

जटामांसी धमनियों को सख्त होने से बचाता है यह वातनाशक है मानसिक तनाव को शांत करने में मदद करता है।

* शंखपुष्पी और अश्वगंधा

शंखपुष्पी और अश्वगंधा मानसिक रूप से लाभकारी है तथा इम्यूनिटी को बढते है तथा रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायक होते है।

* लहसुन

लहसुन खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है तथा रक्तचाप ठीक रहता है।

* लौकी का जूस

लौकी का जूस पीने से पित्त रोग शांत होते है तथ ब्लड प्रैशर,हृदय रोगों से बचाता है।

#उच्च रक्तचाप|High blood pressure की आयुर्वेदिक दवा (औषधि) ?

- Brainica Syrup (Guru pharmaceuticals) की 2-2 चम्मच सवेरे शाम लेने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है। निन्द्रा अच्छी तरह से आती है।

- मुक्तावटी 

सारस्वतारिष्ट

अश्वगंधारिष्ट 

लेते रहना चाहिए।

नोट:- कोई भी औषधि लेने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य करलें।

आशा है कि आपकी समस्या का हल मिल गया होगा।

क्या लेख आपके लिए उपयोगी है ? कोमेंट मे जरुर बतायें।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान।


बुधवार, 6 अप्रैल 2022

अगर चीनी (sugar) बिल्कुल खाना बंद कर दें तो क्या होगा?In hindi.

 अगर चीनी (sugar) बिल्कुल खाना बंद कर दें तो क्या होगा?In hindi.



- जो व्यक्ति दिन कम से कम 5 कप चाय और 1–2 मिठाई के बिना ख़त्म ही नहीं होता था परन्तु फिर चीनी को हाथ भी नहीं लगाये।उसे कोई रोग या डायबिटीज नही है। चीनी छोड़ दे....तो

#चीनी के नुकसान?

- पहली बात जानने की है कि चीनी एक धीमा और खतरनाक जहर है और उसे आप जितनी जल्दी छोड़ेंगे आपके लिए वरदान होगा। 

चीनी छोड़ ने से क्या होगा?

*  चीनी पूर्ण रूप से छोड़ देने से पहले एक हफ्ते तक आपके साथ निम्नलिखित चीजें होंगी:


 चीनी की आदत आपका शरीर बुरी तरह चीनी को खोजेगा। थोडा स्वयं पर संयम रखें और  चीनी खाने से बचें।

आपको ऐसा लगेगा कि जो भी हो कुछ मीठा अवश्य खाना चाहिए।अपने उपर संयम रखें।आपको भुख लगना भी स्वाभाविक है आप कुछ ओर खा सकते है। चीनी नही खानी।

अगर कमजोरी महसूस हो तो अच्छा भोजन कर सकते है।

 - अगर 100 व्यक्ति चीनी छोडना चाहे तो 90 व्यक्ति पहले 7 दिनों में दूबारा चीनी खाने लगते है।

#चीनी छोडने से लाभ।

 अगर आप 7 दिनों तक चीनी छोड़ सकते है तो अच्छे रिजल्ट मिलने शुरू हो जाते हैं।

आपकी पाचनशक्ति अच्छी होने लगती है।पेट हल्का रहने लगता है।भुख बढ जाती है।

सारा भोजन पच जाता है।गैस ,तेजाब कम हो जाती है।शौच ठीक से आती है।आलस्य समाप्त हो जाता है।बिना कारण होने वाली थकान नही होती है। एकाग्रता बढ़ेगी।

अगर 1-2 महीने चीनी छोड़ दें।तो आश्चर्य जनक परिणाम मिलने लगते है।

आपका वजन सामान्य हो जाता है।

त्वचा सोफ्ट हो जाती है।

चर्बी कम हो जाती है।पेट नरम हो जाता है।

कुछ और महीनों के बाद चीनी की चीचें आपको अच्छी नही लगेगी।

आपकी मधुमेह, डाइबिटीज बिना औषघि के ठीक हो सकती है।

 रोग प्रतिरोधक क्षमता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ेगी। 

परन्तु चीनी छोडना आपको मुश्किल लगेगा।बहुत से लोग चीनी छोड़ कर शुगरफ्री लेना शुरू कर देते है। वह चीनी से भी अधिक खतरनाक होता है।

#क्या खायें?

अगर आपको मीठा खाने का मन है तो आप फल खा सकते है। गुड खा सकते है ध्यान रहे गुड शुद्ध होना चाहिये चीनी मिला हुआ नही होना चाहिये।

आप खुब खजुर ,अंजीर किशमिश आदि खा सकते है।प्रकृतिक मीठा ले सकते है जुस पी सकते है।(गन्ने का रस छोडकर)यदि आप डाइबिटीज के मरीज है तो अधिक गुड से परहेज़ करना चाहिए।

#चीनी एकदम छोड़ने से क्या हो सकता है?

बिल्कुल मीठा छोड़ ने से हल्के चक्कर आ सकते है।हाथों पैरों मे चींटियां सी चलने जैसे लगने लगता है।झुनझुनी सी होने लगती है।

इसके लिए आप गुड या शहद खा सकते है। यह बहुत अच्छा उपाय है।

चीनी छोडने का निर्णय लेना मतलब जिन जिन चीचों मे चीनी मिलाई जाती है उन सभी पदार्थों को छ़ोडना।

फिर पायेंगे आप स्वास्थ्य निखार, रोगप्रतिरोधक क्षमता,वृद्धावस्था मे सुधार, तन  व मन की खुशी।दीर्घायु।

“ध्यान रहें चीनी बन्द हुई है मीठा नही।”

धन्यवाद!


 


“दही” खाने के फायदे और नुकसान.जाने हिन्दी में।

 “दही” खाने के फायदे और नुकसान.जाने हिन्दी में।

दही को संस्कृत में “दधि” बोलते हैं तथा फारसी मे - दोग, अंग्रजी मे- Curdled Milk “(Curd)” कहते है।

Dr_Virender_Madhan.

#दही किसे कहते है|दही क्या है?



-थक्के के रूप में जमा दूध जिसे जामन या खटाई डाल कर जमाया जाता है ; दधि।  खटाई के द्वारा जमाया हुआ दूध को दही कहते है।

#दही खाने के फायदे?

दही बल देताहै।

दही खाने से immunity बढती है।

हड्डियों को मजबूत करता है।

#आयुर्वेद के अनुसार दही के गुण:-

दही गरम, अग्नि को दीप्त करती है। दही स्निग्ध, थोडा कषैली होती है, भारी ,पाक मे खठ्ठी होती है।

#दही खाने से नुकसान?

श्वास, पित्त, रक्तविकार, सूजन, मेद (चर्बी), तथा कफकारक होती है।

अधिक दही खाने से खून खराब होता है।शरीर पर चर्बी बढती है।कफ से होने वाले रोग बढ.जाते है।

#दही कितने तरह की होती है ?

दही के पांच भेद:-

दही 5प्रकार की होती है।

मन्द , स्वादु , स्वादूम्ल , अम्ल ,अत्यम्ल, 

* मन्द दही

मन्द दही, दूध से थौडी गाढी होती है। मन्द दही मल,मूत्र को बढाने वाला होता है।त्रिदोषज, दाह को बढाता है

* स्वादु दही 

स्वादू दही अच्छी गाढी होती है।स्वादिष्ट होती है अम्लरस रहित होती है।

यह अभिष्यन्दी होती है शक्ति, मेद , कफबर्ध्दक होती है।रक्तपित्त को स्वच्छ करने वाला और वातनाशक होती है।

*स्वाद्वम्ल दही

खट्टा, मीठा, कषैला,यह दही सामान्य होती है।

अम्लदही:-

यह दही बहुत खट्टी होती है।यह पित्त ,कफ,रक्त विकार होती है।

अग्नि प्रदिप्त करती है।

अत्यम्ल दही -

यह भी अम्लदही के सामान गुण वाली होती है यह दांतों को खट्टा कर देती है।

#सबसे अच्छी दही कौन सी होती है?

*गौ की दही:-

गाय की दही विशेष कर मीठी, स्वादिष्ट, रूचिकर, पवित्र, अग्निप्रदीपक, हृदयप्रिय, तृप्तिकारक, वातनाशक होती है।

*भैस की दही:-

अधिक स्निग्ध, कफकारक, पित्त, वातनाशक , होती है।पाक मे मीठी, भारी ,बृष्य (शरीर को भारी करने वाला ) ,रक्तविकार करने वाला होता है।

* बकरी का दही:-

गर्म ,ग्राही ,हल्का, त्रिदोषनाशक, अग्निप्रदीपक, होता है।श्वास कास, क्षय , बवासीर, तथा दुर्बलता मे बहुत उपयोगी होता है।

#शर्करा (शक्कर) सहित दही के गुण:- 

मीठी दही में कई पोषक तत्व होते हैं. जो पेट से लेकर कई अन्य बीमारियों को भी दूर करते हैं. दही में फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है. इससे आपके दांत और हड्डियां मजबूत बनती हैं.

<खाण्ड से मीठी दही सर्व श्रेष्ठ दही होती है।>

तृष्णा,पित्त, वातरोग नाशक होता है।पुष्टिकर होता है।तर्पण,बलकारक होता है।

#दही किस समय नही खाना चाहिए?

आयुर्वेदिक शास्त्रों में दही रात मे खाना निषेध है क्य़ोंकि दही रात मे खाने दोष कुपित हो कर रोग पैदा हो जाते है।

अगर खाना ही पडे तो उसमें शक्कर, बूरा, शहद, धी आदि डाल कर खाना चाहिए।

रात मे दही छाछ न खाना ही श्रेष्ठतम है।

#दही कौन सी ऋतु मे खायें कौन सी ऋतु में न खायें?

दही को हेमन्त,शिशिर, और वर्षा मे खाना अच्छा है।

तथा शरद, ग्रीष्म, और बसंत ऋतु मे दही खाना अच्छा नहीं है।

#बिना विधि के दही खाने से क्या नुकसान होता है?

आयुर्वेद के अनुसार - दही को गलत समय पर गलत ऋतु मे खाने से ज्वर,रक्तविकार, पितविकार, विसर्प, कुष्ठरोग, पांडू (पिलिया), भ्रम (चक्कर आना) आदि रोग हो जाते हैं।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान.