Guru Ayurveda

सोमवार, 30 मई 2022

बार-बार पेशाब आने की आयुर्वेदिक महाऔषधि .In hindi.

 बार-बार पेशाब आने की आयुर्वेदिक महाऔषधि .In hindi. 



प्रमेह गजकेसरी रस

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Dr.VirenderMadhan.

        प्रमेह गजकेशरी रस के  द्रव्य तथा निर्माण विधि -

- वंग भस्म, स्वर्ण भस्म, कान्त लोह भस्म , रस सिन्दुर ,मोती भस्म या पिष्टी , दालचीनी ,छोटीइलायची ,तेजपत्र , और नाग केशर का चूर्ण,

इन सभी समान भाग लेकर सबको अच्छे से मिलाकर घृत कुमारी के स्वरस में अच्छी तरह से घोटकर 2 -2 रत्ती की गोलियां बना लें । सुरक्षित साफ डब्बी मे भरकर रख लें।

मात्रा -

1 गोली सुबह 1 गोली शाम को दूध के साथ या अपने चिकित्सक के सलाह के अनुसार प्रयोग करें।

गुण धर्म - 

जिस प्रकार शेर हाथी का नाश करता है वैसे ही ये प्रमेह का नाश करता है ।

इसके 3 दिन के सेवन करने से शुक्रमेह का नाश होता है ।और - पुराना प्रमेह और मधुमेह का नाश करने के लिए भी यह प्रशस्त औषध है । 

विशेष -

 वंग-,

 वीर्य दोषों को हरने वाली औषध है ।इसी प्रकार 

स्वर्ण- 

 मस्तिष्क पोषक ,रसायन , वाजीकरण ,बल वर्ण वर्द्धक , शक्तिप्रद ,वृक्क एवं त्वचा का पोषण करने वाली औषध है । रक्तवर्धन ,शोथ नाशक ,और उदर शैथिल्य नाशक के लिए कान्त लोह प्रशंसनीय है । 

मोती-

 शीत वीर्य द्वारा शरीर के किसी भी भाग में किसी भी प्रकार के वातज -पित्तज ,तथा नाड़ी जन्य विकार को शांत करता है और शरीर में दूषित दाह का नाश करता है

- अन्य पदार्थ समशीतोष्ण वीर्य ,वात्त -पित्त -कफ नाशक और बल -वर्ण कान्ति वर्द्धक तथा वीर्य वर्द्धक है ।

- यह औषध योगवाही होने के कारण शरीर को पुष्ट करती है ।ग्रन्थियों की उत्तेजना का नाश करती है 

- इसका प्रयोग तीनो दोषों से होने वाले विविध प्रकार के प्रमेहो में सफलता पूर्वक अनुपान भेद से किया जाता है।

- शुक्रनाड़ी ,अण्डग्रन्थि, तथा शुक्र कोषो की उत्तेजना को दूर करके इन अंगो को स्वस्थ करती है ।

 धन्यवाद!

    


रविवार, 29 मई 2022

पेट का गोला कैसे ठीक किया जाता है?In hindi

 #पेट का गोला कैसे ठीक किया जाता है?In hindi.

#Gulm|पेट में वायु का गोला बनना।May 2022.



Dr.VirenderMadhan.

#gulm,गुल्म|वायु का गोला क्या है?

</> गैस का गोला क्या होता है?


 गैस्ट्रिक ट्रबल को वायु गोला जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। बार-बार गैस बनना, डकारें अधिक लेना तथा पेट में गुड़गुड़ाहट होना इसके मुख्य लक्षण हैं। जिनकी पाचन शक्ति अकसर खराब रहती है एवं जो प्राय: कब्ज के शिकार रहते हैं, वे लोग गैस की तकलीफ से परेशान रहते हैं। 

-  पेट में नाभि के ऊपर एक गोल स्थान है. जहां वायु जमा होकर गोला बन कर रुक जाता है या पेट में गांठ की तरह उभार बना देता है. वायु को एकत्रित होने को वायु गोला या गुल्म कहते हैं. 

यह पांच प्रकार का होता है

 वात, पित्त, कफ, त्रिदोष और रक्त दोष के कारण उत्पन्न होता है. यह पेट के कई हिस्सों में हो सकता है जैसे-

- पेट के दाहिनी तरफ।

- बाई तरफ ।

 - हृदय के पास।

 - पेडू या 

- मूत्राशय में वायु का गोला बन जाता है ।

 

#क्या है गुल्म (वायु का गोला) होने के कारण?

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कारण:-

-अधारणीय वेग (मल मूत्र का वेग) रोकने से।

 - चोट लगने से ।

 - गरिष्ठ भोजन खाने से ।

 - बासी,रुखा सुखा भोजन करने से ।

- चिन्ता मे रहने से और दूषित भोजन करने के कारण वायु दूषित हो कर हृदय से मूत्राशय तक के भाग में गांठ की तरह बन जाता है जिसे वायु का गोला या गुल्म नाम से जानते हैं.

#पेट में वायु के गोले के क्या क्या लक्षण होते हैं?

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> पेट में गोला होने के लक्षण


- वायु का गोला बनने पर मल बंद हो जाता है।

- कब्ज व गैस बनने लगती है, - - मुंह सूखने लगता है ।

- अरुचि- भोजन करने का मन नहीं करता है।

 -पेट में दर्द रहता है।

 -भूख नहीं लगती है।

 -डकारे अधिक आती है, 

- आध्यमान-पेट फूल जाता है, आंतों में गुड़गुड़ाहट होती है और 

- शरीर का रंग धीरे-धीरे काला पड़ने लगता है.

- महिलाओं को गुल्म गर्भ गिरने, गलत खानपान करनेसे भी होता है।

- प्रारंभिक अवस्था में, खूनी वायु का ठहरना ।

- उदर में जलन और पीड़ा होना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं.

# आयुर्वेदिक चिकित्सा क्या करें ?

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वायु के गोले (गुल्म) के 15 उपाय।

1 .हरड़-

- हरड़ के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से पित्त के कारण होने वाले रोग ठीक होता है।

बड़ी हरड़ का चूर्ण और अरंड का तेल गाय के दूध में मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

2 .सज्जी खार-

- सज्जी खार, जवाखार, और केवड़ा के चूर्ण को अरंड के तेल में मिलाकर सेवन करने से गुल्म ठीक हो जाता है ।

सज्जीखार आंवला रस में मिलाकर सेवन करने से पेट में गैस का गोला नही बनता।

3 .अपामार्ग-

-   कालीमिर्च  और अपामार्ग को पीसकर घी के साथ सेवन करने से वायु गोला का दर्द और वायु गोला से आराम मिलता है.

4 .सोठ-

-  सफेद तिल 150 ग्राम, सोठ 40 ग्राम,और पुराना गुड़ 80 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें. अब इस चूर्ण में से 5 से 10 ग्राम गर्म दूध के साथ पीने से कब्ज, वायु का गोला और दर्द दूर होता है ।

5 .मुलेठी-

- मुलेठी, चंदन और मुन्नका को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से पित्त के कारण हुए वायु का गोला दूर होता है.

6 .मुनक्का-

- पित्तज गुल्म से पीड़ित व्यक्ति को द्राक्षा यानी मुनक्का और हरड़ का एक से दो चम्मच चूर्ण गुड़ मिलाकर पानी के साथ खाने से लाभ होता है ।

7 .अजवाइन-

- कफज गुल्म मे अजवाइन का चूर्ण और थोड़ा सा सौंचरनमक साथ में मिलाकर पानी से लेने से कफ से उत्पन्न गुल्म में लाभ होता है।

8 . हिंग्वादि चूर्ण-

- हींग, पीपल की जड़, धनिया, जीरा, काली मिर्च, चीता, चव्य, कचूर, काला नमक, सेंधा नमक, बिरिया संचरनमक , छोटी पीपल, सोंठ, जवाखार, हरड, अनारदाना, पोहकर मूल, हाउबेर और काला जीरा आदि को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें. अब इसमें बिजौरा नींबू का रस मिलाकर अच्छी तरह से सुखाकर फिर से पीसकर चूर्ण बना लें 3 से 4 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ खाना खाने के बाद सेवन करें । इससे किसी भी तरह के वायु का गोला कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है.

9 .गोरखमुंडी-

- गोरखमुंडी के चूर्ण का काढ़ा बनाकर पीने से रक्त गुल्म ठीक हो जाता है।

10 .आक-

- आक के फूलों की कलियां 20 ग्राम और अजवाइन 20 ग्राम को बारीक पीसकर इसमें 50 ग्राम चीनी मिलाकर एक 1 ग्राम सुबह-शाम खाने से गुल्म रोग ठीक हो जाता है।

11 .शरपुंखा-

- शरपुंखा का रस और बडी हरड़ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 3-4 ग्राम की मात्रा में खाने के बाद खाने से गुल्म के कारण उत्पन्न दर्द ठीक होता है और कब्ज भी दूर हो जाती है।

12 .नींबू-

-  नींबू के रस को आधे गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीने से आराम मिलता है। 

13 .एरण्ड तेल-

- दो चम्मच एरण्ड के तेल को गर्म दूध में मिलाकर पीने से वायु का गोला खत्म हो जाता है।

14 .बैगन-

- पेट में गैस बनने तथा पानी पीने के बाद पेट फूलने पर बैगन के मौसम में लंबे बैगन की सब्जी बनाकर खाने से गैस की बीमारी दूर होती है. लीवर और तिल्ली का बढ़ना भी ठीक हो जाता है. हाथ की हथेलियों और पैरों के तलवों में पसीना आने पर बैगन का रस लगाने से फायदा होता है।

15 .त्रिफला चूर्ण-

- त्रिफला चूर्ण को 3 से 5 ग्राम की मात्रा में चीनी में मिलाकर दिन में तीन बार खाने से गुल्म रोग में राहत मिलती है.

 अन्य :-

बकरी का दूध, गाय का दूध, छोटी मूली, बथुआ, सहजन, लहसुन, जमीकंद, परवल, बैगन, करेला, केले का फूल, सफेद कद्दू, कसेरू, नारियल, बिजोरा निंबू, फालसे, खजूर, अनार, आंवला, पका पपीता, कच्चे नारियल का पानी, 1 साल पुराना चावल, दाल- चावल आदि का सेवन करना फायदेमंद होता है।

- रात के समय हलवा खाना ।

- रोटी और दूध पीना अच्छा होता है।


#परहेज क्या करें? 

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- बादी करने वाले अनाज।

- तासीर के विपरीत पदार्थों का सेवन ।

-सूखा मांस, मछली आदि का सेवन नहीं करे।

- गरिष्ट करने वाले पदार्थ ।

- रात को जागना, अधिक मेहनत करना।

- आलू, मूली, मीठे फल आदि का प्रयोग करना भी गुल्म रोगी के लिए नुकसानदायक होता है।

-  मल मूत्र का वेग रोकने से भी वायु का गोला बनता है।

- इसलिए मल- मूत्र का भी कभी न रोकें।

धन्यवाद!


शनिवार, 28 मई 2022

थायरॉइड को कैसे ठीक करें?गुरु आयुर्वेद F.in hindi.

 थायरॉइड को कैसे ठीक करें?गुरु आयुर्वेद F.in hindi.

#Healthtips #Healthcare #ghareluupaye,

#थायरॉइड क्या होता है?हिन्दी में



Thyroid kya hota hain ?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

#Thyroid kya hota hain ?In hindi.

 एक तितली के आकार (butterfly-shaped organ) थायराइड  की ग्रंथि होती है जो गर्दन में श्वासनली (विंडपाइप) के सामने होती है। थायराइड का कार्य हार्मोन को स्रावित करना है  थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) थायराइड हार्मोन हैं। जो बॉडी फंक्शन को बदलता और मैनेज करता है।

 जब भी हार्मोन में अचानक से उतार-चढ़ाव होता है, तो कई लक्षण दिख सकते हैं, 

See also

</>https://youtu.be/Aq1r8ddZTHs

#थायराइड में क्या प्रॉब्लम होती है?

हमेशा थकान ,

गर्दन में सूजन, 

वजन तेजी से बढ़ना, 

 गुस्सा आना, 

स्किन ड्राई होना , 

ठंड लगना और डिप्रेशन होना शामिल है।

  दुसरी तरफ हाइपोथायराइड( Hypothyroid) होता है

 जिसमे वजन तेजी से गिरता जाता है। 

तेज धड़कन , 

कमजोरी, 

बालों का झड़ना, 

पसीना ज्यादा आना है।

# थायराइड के आरम्भ मे लक्षण क्या होते हैं?

थायरॉइड बढ़ जाए तो गर्दन में सूजन हो सकती है. 

- मांसपेशियों में, शरीर के जोड़ों में अक्सर दर्द रह सकता है.

* हाइपोथायरॉइड में त्वचा में रूखापन आ सकता है.

बालों का तेजी से झड़ना, 

कब्ज की समस्या सकती है

#थायराइड के लिए आयुर्वेदिक दवा: 

- अश्वगंधा ( विथानिया सोम्निफेरा ) एक एडाप्टोजेन जड़ी बूटी है जो आपके तनाव के स्तर को भी दूर करती है।

अश्वगंधा में थायराइड ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन्स को संतुलित करने का गुण है। एंटीऑक्सीडेंट से भरा अश्वगंधा ग्रंथी को सही मात्रा में हार्मोन उत्पादन करने में मदद करता है। हार्मोन संतुलन के साथ ही अश्वगंधा इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।

- काचनार की छाल का चूर्ण या काढा पीयें।

- जलकुंभी और सहजन दो ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जो शरीर में आयोडीन के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

- धनिया और जीरक का प्रयोग लाभकारी है। धनिया को चाय तरह पकाकर ले सकते है।

जीरे को भुन कर पानी से ले सकते है।

अदरक का काढा भी काफी कारगर हो सकता है

# थायराइड के लिए कौन सी आयुर्वेदिक दवा है?

आरोग्यबर्द्धिनी बटी,

मेदाहर बटी,

स्लिम-सी कैपसूल

कांचनार गुग्गुल वटी और वृद्धिवाटिका वटी 2-3 गोली ले लें। 

अगर बच्चे को हैं तो 1-2 गोली सेवन कराए।

रोजाना सुबह गौमूत्र अर्क का सेवन करे

- त्रिफला चूर्ण तथा त्रिकुटा चूर्ण दोनों मिलाकर सेवन करे।

- अश्वगंधा और गिलोय की 1-2 गोली का लें।

- सुबह एलोवेरा और आंवला का जूस पिएं।

- बहेड़ा सजून और दर्द कम करने में करे मदद।

-मुलेठी- 

मुलेठी थायराइड ग्रंथि को संतुलित करन में मदद करता है और थकान को मिटाता है.

#थायराइड मे क्या खायें क्या न खायें?

- थायराइड मरीजों को चावल ब‍िल्‍कुल नहीं खाना चाह‍िए। इसमें चावल में ग्‍लूटेन प्रोटीन होता है जो एंटीबॉडीज को कम देता है 

- तली भुने भोजन न करें।

- दिन मे न सोयें।

- थोड़ा व्यायाम जरुर करें।

- फास्टफूड, कोल्डड्रिंक आदि न लें।

#थायराइड में कौन कौन से फल खाने चाहिए?

जामुन, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और रास्पबेरी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.

नोट:- किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य करलें।

धन्यवाद!




गुरुवार, 26 मई 2022

सफेदबाल|white hair|पलित रोग की सरल घरेलू उपाय।in hindi.

 #HairCare #healthtips #ghereluupaye  #Ayurvedictreatment. #dr.virendermadhan.

#सफेदबाल|white hair|पलित रोग की सरल घरेलू उपाय।in hindi.

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#सफेद बाल|white hair|की सरल घरेलू उपाय।

#Safed balon ko saral gharelu upaye.in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

- आयुर्वेद के अनुसार ऐसे कई नुस्खे हैं जिनकी सहायता से सफेद हुए बालाें काे लम्बे समय तक छाेटी उम्र में बाल सफेद हाेना इन दिनाें के आम समस्या बन गई है।

#बालों के पकने का कारण?

जीवनशैली खराब होने के कारण,

- अनियमित दिनचर्या,

- पौष्टिक भोजन की कमी, -आनुवांशिकता,

- घूप मे रहने से

- तनाव,

- प्रदूषण,व रोगो के कारण,

- बहुत ज्यादा शैंपू और तेल का उपयोग करना है।

* वैज्ञानिक रूप से जब बालों में मेलानिन पिग्मेंटेशन की कमी होने लगती है तो बाल अपना काला रंग खोकर सफेद हो जाते हैं। घर पर मिलने वाली चीजों का उपयोग कर और प्राकृतिक तरीके अपनाकर बालों का रंग दुबारा काला  किया जा सकता है।

भारत की प्रचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार एसे कई नुस्खे हैं जिनकी सहायता से असमय सफेद हुए बालाें काे लम्बे समय तक के लिए जड़ से काला किया जा सकता। 

#सफेद बालों को काला करने के 

लिये:-

- भृंगराज और अश्वगंधा       ( Bhringraj and Ashwagandha ) 

अश्वगंधा के पत्ते और भृगंराज का पेस्ट बनाकर बालों की जड़ों का पेस्ट नारियल के तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं। एक घंटे बाद गुनगुने पानी से बालों को धो लें।

#ब्राह्मी ( Brahmi )

- ब्राह्मी ( Brahmi ) की पत्तियों को पीसकर नारियल या ऑलिव ऑयल में उबालें। इसे छानकर बालों की मालिश करें।

#नींबू के रस ( Lemon Juice )

- नींबू के रस ( Lemon Juice ) में चार चम्मच आंवला पाउडर ( Amla Powder ) और 2 चम्मच पानी मिलाकर एक घंटे के लिए रख दें। तैयार पेस्ट को सिर धोने से करीब एक घंटा पहले लगाने से बाल काले होते हैं।

#मेहंदी के पत्ते:-

- मेहंदी के पत्ते सरसों के तेल में उबाल लें। छानकर बोतल में भर कर रख लें। रात को सोते समय इससे 5-10 मिनट सिर की मालिश करें, सुबह धो लें।

#आंवला रस ( Amla Juice )

- आंवला रस ( Amla Juice ) को बादाम तेल ( Almond Oil ) में मिलाकर लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं। 

#आंवला और नारियल:-

आंवले के कुछ टुकड़े नारियल तेल ( Coconut Oil ) में तब तक गर्म करें जब तक कि आंवला काला न हो जाए। इस तेल से बालों की मालिश करने से लाभ होगा।

#घरेलू उपाय|एक सामान्य योग 

- लोहे की कड़ाही में एक कटोरी मेहंदी पाउडर, 2 बड़े चम्मच चाय का पानी, 2 चम्मच आंवला पाउडर, एक चम्मच नींबू का रस, दो चम्मच दही( Curd ) , शिकाकाई ( Shikakai ) और रीठा पाउडर ( Reetha Power ) , एक अंडा, आधा चम्मच नारियल तेल और थोड़ा कत्था मिलाएं।

 इस पेस्ट को रातभर भिगोने के बाद सुबह बालों में दो घंटे लगाएं। सूखने पर बिना शैंपू के सिर्फ पानी से धो लें।

धन्यवाद!



पित्त की थैली से पत्थरी 1दिन में गायब ?In hindi.

 #पित्त की थैली से पत्थरी 1दिन में गायब ?In hindi.



#पित्त की पथरी|पित्ताशय मरी[गालब्लेडर स्टोन] का निदान एवं चिकित्सा।

#Dr_Virender_Madhan.

मेरे इस आर्टिकल के अन्तिम भाग मे वे फार्मूले है जिनसे मे रोगीयों की पथरी निकलने मे सफल रह हूँ।

आजकल चारों तरफ एक एक जादूगर बैठे है कोई पेट को छू कर पथरी बाहर निकाल कर दिखाता है कोई आयुर्वेदिक जडी दे कर एक ही दिन मे पथरी निकाल ने का दावा करते है। हमें इस तरह की अफवाहों से बचने की जरुरत है।एक तरह से आयुर्वेद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच रही है।

एक तरफ यह कह कर कि पित्ताशय से पथरी केवल सर्जरी से ही निकल सकती ।अधिकतर लोगों को डराकर उनकी बे वजह से चीरफाड की जा रही है एक तरह से व्यसाय करण हो गया है।

मेरे अनुभव के अनुसार 60से70 % रोगी आयुर्वेदिक चिक्तिसा से ठीक होना सम्भव है।

सवाल उठता है पत्थरी बडी होती है और निकलने का मार्ग संकीर्ण बहुत छोटा तो कैसे बाहर आयेगी?

जिस रास्ते से जिस तरह से जो जाता है उसी रास्ते से उसी रुप मे वापस आ सकता है।

पित्ताशय मे पथरी पहले तरल पदार्थ के रूप में गई थी अब उसे आयुर्वेदिक तकनीक से तरल रुप लाकर बाहर विरेचन किया जा सकता है।

अब सोचना है कि पथरी को तरल कैसे करें।

[इस बिषय पर विद्धानों से अपने अपने विचार भेजने का अनुरोध कर रह हूँ।]

आयुर्वेद के अनुसार पथरी होती क्यों है 

बाहरी कारण

आज का आदमी आलसी हो गया है। आयुर्वेद मे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शारिरिक मेहनत,व्यायाम, व अभ्यंग को बहुत महत्व दिया है।ताकि रोग दूर रहें दीर्धायु रहे।

आलसी होने से हृदय रोग,मोटापा, और पित्ताश्मरी जैस कष्टकारी रोग तेजी से फैल गये है।

*खानपान की गलत आदतों की वजह से भी आजकल लोगों में गॉलस्टोन यानी पित्त की पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही है।

*पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग होता है जो लीवर के ठीक पीछे होता है। पित्त की पथरी गंभीर समस्या है क्योंकि इसके कारण असहनीय दर्द होता है। इस पथरी के निजात पाने के लिए आपको अपने खान-पान की आदतों में कुछ बदलाव करने जरूरी हैं।

#क्यों महत्वपूर्ण है पित्त की थैली?

यकृत|लिवर से बाइल नामक डाइजेस्टिव एंजाइम का स्राव निरंतर होता रहता है। उसके पिछले हिस्से में नीचे की ओर छोटी थैली के आकार वाला अंग होता है, जिसे गॉलब्लैडर या पित्ताशय कहते हैं। पित्ताशय हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लिवर और छोटी आंत के बीच पुल की तरह काम करता है। इसी पित्ताशय में ये बाइल जमा होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का लिवर पूरे 24 घंटे में लगभग 800 ग्राम बाइल का निर्माण करता है।

#कैसे बनती है पित्त में पथरी?

अन्दरूनी कारण:-

पथरी के कारणों को मुख्य दो भागों में बांटा है।

1-संक्रमण

किसी रोग के संक्रमण से लीवर पर सूजन होने से पित्तलवण शोषित हो जाता है पित्तलवण कोलेस्ट्रॉल के जमे कणों को अलग करता रहता है इसलिए पथरी का जमाव नही होता है लेकिन जब पित्तलवण की कमी होती है तो कोलेस्ट्रॉल का जमाव हो कर पथरी बन जाती है।

</>आयुर्वेद मे कोलेस्ट्रॉल आमवात का ही रुप है जो हमारे जीवनशैली के बिगडने से बनता है।

2-पित्त का अवरोध हो जाना।

मोटापा, बहु प्रसवा,अधिक वसायुक्त भोजन के कारण पित्ताशय रिक्त नही हो पाता है।पित्ताश्मरी का कारण बन जाता है।

या 

रक्त व पित्त मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अघिक होने से प्रतिक्रिया स्वरूप पित्त बहुत गाढा हो जाता है फिर पित्ताश्मरी का निर्माण होने लगता है।

कोलेस्ट्रॉल (एक प्रकार का आमवात) का चयापचय ठीक न होने पर, या बिलीरूबिन के इक्कठा होने पर कैल्शियम जमकर पथरी बना देती है।

इसमें मौज़ूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।

#पित्त की पथरी के लक्षण क्या है?

शुरू में गॉलस्टोन के लक्षण नज़र नहीं आते। 

जबतक पथरी गालब्लेडर मे रहती है तब तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है।

- जब समस्या बढ़ जाती है गॉलब्लैडर में सूजन, संक्रमण या पित्त के प्रवाह में रुकावट होने लगती है। तब ऐसी स्थिति में लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द।

* अधिक मात्रा में गैस की फर्मेशन, पेट में भारीपन, वोमिटिंग, पसीना आना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।

पित्ताशय नली मे पथरी होने से अवरोध होने पर रोगी कामला रोग से पीडित हो जाता है।

बदहजमी, खट्टी डकार, पेट फूलना, एसिडीटी, पेट में भारीपन, उल्टी होना, पसीना आना जैसे लक्षण नजर आते हैं।यकृतशोथ के कारण सर्दी के साथ ज्वर हो सकता है।

काफी समय तक सुजन होने पर ,चिकनाई युक्त भोजन करने पर अपच की शिकायत होती है  जी मचलता है वमन भी होते है।

#पित्त की पथरी में क्या करें परहेज ?

*पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए।

*इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। 

*मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं।

#पित्त की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज?

* अगर आपको पित्त की पथरी की समस्या है तो गाजर और ककड़ी का रस प्रत्येक 100 मिलिलीटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीएं. इस समस्या में ये अत्यन्त लाभदायक घरेलू नुस्खा माना जाता है. ये कॉलेस्ट्रॉल के सख्त रूप को नर्म कर बाहर निकालने में मदद करती है।

अगर शुरुआती दौर में लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इस समस्या को केवल दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। 

*नारियल पानी, लस्सी, आदि का खुब प्रयोग करना चाहिए।

[इसे इग्नोर न करें ये अनुभव योगो मे से है ध्यान से पढें।]

-सवेरे खाली पेट रोज 10 ग्राम जैतून का तैल पीलायें।

*पित्ताश्मरी के कारण दर्द हो तो दर्दनिवारक औषधि दे।

*यकृतप्रदेश पर सेक करें।

 1-*अपामार्ग क्षार, सोडाबाई कार्ब,यवाक्षार, नृसार समभाग चूर्ण लेकर हल्के गर्म पानी से या कुमार्यासव एवं दशमुलारिष्ट के साथ देने से दर्द मे राहत मिल जाती है।

2- >>ताम्रभस्म 60 मि०ग्रा० 

निशोथ 3ग्रा०

कुटकी 3 ग्रा०

शंख भस्म 120 मि०ग्रा०

--दिन तीन बार करेले के रस से या फलत्रिकादि क्वाथ से देवें।

3- *अगस्तिशूतराज 60-60 लि०ग्रा० घण्टे घण्टे बाद देने से आराम मिल जाता है।

4-वमन के लिए नींबू पर कालानमक व काली मिर्च का चूर्ण लगाकर चुसने से वमन मे लाभ मिलता है।

#गुरु पित्ताश्मरी भंजन मिश्रण.

(विषेश औषधि)

वेरपत्थर भस्म १भाग

यवाक्षार १-भाग

नृसार १-भाग

सोरक १- भाग

अपामार्ग क्षार १-भाग

नारिकेल क्षार १- भाग

कोकिलाक्ष क्षार १- भाग

सभी द्रव्यों को मिलाकर रख लें।

आवश्यकता के अनुसार 5-6 ग्रा०की मात्रा में गर्म पानी से, या गौमुत्र के साथ लेने से पित्ताश्मरी व वृक्काश्मरी दोनों तरह की अवस्था में आराम मिलता है दोनों स्थानों की अश्मरी का शमन होता है।


*ज्य़ादा गंभीर स्थिति में सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। पुराने समय में इसकी ओपन सर्जरी होती थी, जिसकी प्रक्रिया ज्य़ादा तकलीफदेह थी लेकिन आजकल लेप्रोस्कोपी के ज़रिये गॉलब्लैडर को ही शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है और मरीज़ शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है।

∆ सभी आयुर्वेदिक विशेषज्ञों से अनुरोध है कि अपने विचार अवश्य कोमेंटस मे दे पथदर्शक बने।

धन्यवाद!

<<Dr_Virender_Madhan.>>

#GuruAyurvedaInFaridabad.

गठिया|Gout क्या होता हैं इसके लक्षण और उपाय?In hindi.

  गठिया|Gout क्या होता हैं इसके लक्षण और उपाय?In hindi.

#गठिया|Gout क्या होता हैं?



Gatiya kye hota hain?

Dr.VirenderMadhan.


#गठिया|Gout:-

आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त नाम से जाना जाता है

जब रक्त में यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह रोग पैदा होता है। 

शरीर में यूरिक एसिड का उच्च स्तर - हाइपरयूरिसीमिया नामक एक स्थिति - के परिणामस्वरूप गाउट का विकास होता है ।

यूरिक ऐसिड हमारे शरीर की विविध क्रियाओं के कारण पैदा होता है, जिसका निर्माण कुछ खास प्रकार के आहारों के कारण होता है। इस रोग को गाउट नाम से जाना जाता है।  मूत्र उत्सर्जन के माध्यम से शरीर से यूरिक ऐसिड बाहर होता रहता है। लेकिन कुछ लोगों में यूरिक ऐसिड की उत्पत्ति बहुत ही अधिक मात्रा में होने लगती है, तथा जो शरीर से उसी अनुपात से  मूत्र के द्वारा बाहर नहीं हो पाता है।  यही बढ़ा हुआ यूरिक ऐसिड नुकीले सुई जैसे क्रिस्टल्स का रूप लेकर जोड़ों के इर्दगिर्द इकट्ठे होकर उस जोड़ के आसपास सूजन, तीव्र दर्द को पैदा कर देते हैं। आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी उत्पत्ति में वायु और रक्त की भूमिका होने से ही इसे (गठिया)वात-रक्त नाम से जाना जाता है।

-ऐसे रोगी जो ट्रायग्लिसराइड्स के बढ़े हुए स्तरों से पीड़ित रहते हैं, उनको इस रोग से ग्रस्त होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। 

- हाइपरटेंशन एवं मोटापे से पीड़ित लोगों में भी यह रोग अधिक देखा जाता है - 

- गुर्दों के रोगों से पीड़ित रोगी भी इस रोग से ग्रस्त होते पाए जाते हैं। अनेक प्रकार के एंटीबायोटिक्स, डाइयूरेटिक औषधियां, कीमोथैरेपी भी इस रोग के पैदा होने की सम्भावना रहती है।

#गठिया के कारण क्या हो सकते है?

- रात के समय जागना 

-नमकीन, खट्टे, चरपरे, खारे, चिकने तथा गरम खाद्य-पदार्थों का अत्यधिक सेवन

-नियमित रूप से रात के समय भोजन करना

-पहले किए गए भोजन के हजम होने से पहले ही दोबारा भोजन करना

-सड़े-गले एवं सूखे हुए मांस का सेवन करना

-जलीय जीव-जंतुओं के मांस का सेवन करना

-मूल शाक जैसे अरबी, आलू, मूली, जमहकंद का अधिक सेवन करना

-कुलथी, उड़द, सेम, गन्ना एवं इससे बनने वाले चीनी, गुड़, मिठाईयों का अंधाधुंध सेवन करना

- छाछ,दही, कांजी, सिरका,  शराब इत्यादि का अनियंत्रित सेवन।

-अधिक क्रोध करना

-दिन में सोने की आदत होना

#गठिया के लक्षण?

सबसे पहले एक पैर के अंगूठे में लगभग आधी रात के समय अचानक दर्द महसूस होना तथा उसमें सूजन आना। उस हिस्से में लालिमा पैदा होना,

- कुछ रोगी ऐड़ी एवं टखनों में भी तेज दर्द महसूस करते हैं। यह दर्द घुटनों, कलाई, कुहनी, अंगुलियों में भी हो सकता है।

#गठिया है तो क्या करें?

-सवेरे बिस्तर से उठते ही बिना कुल्ला किए ही पानी पिएं। यह प्रयोग बढ़े हुए यूरिक ऐसिड को नियंत्रित करने के लिए बेजोड़ है। 

-पूरे दिन भर में 6 से 8 गिलास पानी पीना बहुत जरूरी होता है।

-यूरिक ऐसिड बढ़ने पर गिलोय के प्रयोग को सर्वोत्कृष्ट माना जाता है। अतः गिलोय का ताजा रस, चूर्ण, काढ़ा सेवन किया जान चाहिए। यदि गिलोय के साथ अरंडी का तेल (कैस्टर आइल) का भी सेवन किया जाए तो शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।

-भोजन के तत्काल बाद मूत्र-त्याग अवश्य करें-ऐसा नियमित रूप से करने से यूरिक ऐसिड नहीं बढ़ता है। यहां पर ध्यान देने योग्य बात है कि इस साधारण से दिखाई देने वाले प्रयोग से अनेकानेक प्रकार के मूत्र-विकारों, पथरी इत्यादि से भी बचाव होता है तथा लम्बे समय तक गुर्दे स्वस्थ एवं सबल बने रहते हैं। इससे भोजन का पाचन भी सुचारू रूप से होता है और शरीर में हलकापन आता है।  

#Gout मे क्या खायें क्या न खायें?

परहेज:-

बिस्किट्स, बेकरी उत्पाद जैसे ब्रेड, हरे मटर, पालक, कुलथी, सेम, फैंच बीन, बैंगन, मषरूम, पनीर, सूखा नारियल, सूखे मेवे, सोयाबीन, खमीरी आटा, सत्तू, कस्टर्ड, मूली, अरबी, अचार, चाय,  सुखाया हुआ दूध, काॅफी, कांजी,  अंडा, मांस, सुखाया हुआ मांस, मछली, शराब, पान, तिल, फास्टफूड जैसे पिज्जा, हाॅट डाॅग, बर्गर, मोमोज, चाउमीन, स्प्रिंगरोल इत्यादि, उड़द, बाजरा, कांजी, गरिष्ठ आहार जैसे पक्वान्न, मिठाईयां, पापड़। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे आहारों के सेवन से बचना चाहिए जिसमें प्यूरीन पाया जाता है जैसे दालें, ओटमील, पालक, शतावरी, मशरूम, पत्ता गोभी।

#गठीया मे क्या क्या खायें?

अन्न-गैंहू, चावल, मूंग, जौ, मसूर, मोठ, चना, अरहर, लाल चावल, फल-चैरी, पाइन ऐपल, संतरा, पपीता, मुनक्का, आंवला, ताजा घी (नवीन घृत), ताजा दूध (थैली वाला नहीं), शाक-बथुआ, चैलाई, करेला, अदरक, परवल, मकोय, फल एवं तरकारियों से घर पर ही बने हुए सूप। लहसुन, प्याज, आंवला, जमीकंद, कूष्मांड,नमक, टमाटर, सिरका, अमचूर, नींबू का रस, दही, लस्सी (जो खट्टी न हो)आलू।

धन्यवाद!

मंगलवार, 24 मई 2022

Pils|पाइल्स रोग क्या है?बवासीर के लक्षण,कारण व उपाय ?In hindi.

 #Healthcare #घरेलूउपाय #आयुर्वेदिकचिकित्सा #Ayurvedictreatment

Pils|पाइल्स रोग क्या है?बवासीर के लक्षण,कारण व उपाय ?In hindi.



#Pils ko kaise tik keren?

Dr.VirenderMadhan.

Pils|पाइल्स रोगक्या है?

पाइल्स रोग बहुत ही दर्दनाक बीमारी है जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है| इसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ Warts यानि की मस्से बन जाते हैं| यह रोग इतना गंभीर होता है कि इससे आपको शरीर में काफी दिक्कत हो सकती है| एनस में मस्से होने के कारण इसमें काफी दर्द होता है साथ ही इससे कई बार खून निकलने की परेशानी भी आ जाती है| जो लोग अपनी इस समस्या को शर्म के कारण या काम में व्यस्त होने के कारण अनदेखा करते हैं तो यह समस्या काफी बड़ा रूप ले लेती है| इस समस्या को अनदेखा करना भगंदर का रूप धारण कर लेता है, जिसको फिस्टुला नाम से भी जाना जाता है| जो काफी दर्दनाक होता है

#बवासीर|पाइल्स रोग होने के क्या क्या कारण  होते हैं?

* कब्ज रहना

अगर किसी को हमेशा पेट में कब्ज बनी रहती है तो इससे पाइल्स रोग होने की संभावना बढ़ जाती है| क्योंकि कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है| जिससे एनस की त्वचा में काफी जोर पड़ता है और यह आपको पाइल्स का शिकार बना सकता है ।

मोटापा

- अधिक मोटापा भी बवासीर रोग का एक बड़ा कारण माना जाता है|

- स्त्रियों में कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान भी बवासीर की समस्या हो सकती है|

-फ्राईड भोजन

अपने आहार में बहुत ज्यादा तला और भुना आहार लेना आपको बवासीर से पीड़ित बना सकता है|

- कुआहार

जो लोग अपने रोजाना के आहार में फाइबर का सेवन बिलकुल नहीं करते उन्हें भी बवासीर हो सकती है।

-  बहुत ज्यादा शराब और सिगरेट का सेवन करना, और बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में रहना भी पाइल्स का कारण बनता है.

- सख्त कुर्सी या कठोर स्थान पर बैठ रहने से,

- मोटरसाइकिल जैसी सवारी का अत्यधिक प्रयोग करनें से बवासीर बन जाती है।

#बवासीर के लक्षण क्या है?

- गुदा मे सुंई चुभने जैसे वेदना होना।

- मलत्याग के समय दर्द होना।

या मलत्याग के साथ रक्त का आना।

- मलद्वार पर खुजली होना

- अत्यधिक कब्ज होना।

-मलद्वार पर मस्सें होना ही बवासीर होता है।


#बवासीर से कैसे बचे?

बवासीर से बचने के लिए अपनी जीवनशैली को ठीक करें.

 आप सही आहार, विहार और सही उपचार को अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं|

-छोटी हरड भुन कर रखें उनमें से एक दिन में एक बार जरूर खायें।

 - आप नारियल पानी पीयें

- दोपरह तक एक बार छाछ पीयें।

- छाछ मे कालानमक, पुदिना मिलाकर पी सकते हैं| यह पाइल्स रोग को दूर करने का एक अच्छा और प्राक्रतिक उपाय है| जिसका आपके शरीर में कोई नुकसान नहीं होता|

- आहार में अजवाइन भी पाइल्स रोग के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है| इसका सेवन आपको कब्ज, गैस और पेट दर्द की समस्या से राहत देता है| एक बड़ा कारण कब्ज है| इसके लिए आप एक गिलास छाछ में आधा चम्मच अजवाइन का चूर्ण और नमक मिलाकर इसका सेवन करें|

- गुलकंद का सेवन भी आपके लिए काफी फायदेमंद माना जाता है|

- त्रिफला चूर्ण 1-1 चम्मच पानी से दिन में दो बार लें।

#पाइल्स कीआयुर्वेदिक औषधियाँ?

आयुर्वेद में अर्शकुठार रस,बहुलाशक गुड,भल्लातक गुड,

अभयारिष्ट जैसी बहुत सी औषधि है जिनसे बवासीर समूल नष्ट हो जाती है.

> लेकिन इनके प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए ताकि आपकी रोग की प्रकृति, अवस्था के अनुसार औषधि व उसकी मात्रा तय कर सके।

हमारी एक सलाह:-

अगर आप बवासीर रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा लेना चाहते हैं तो आप - AZA Capsules ले सकते हैं| जो पाइल्स रोग को दूर करने का अचूक इलाज़ है|

  AZA Capsules पूरे 100 प्रतिशत प्राकृतिक है. मेरा मित्र इस रोग से पीड़ित था| वो काफी तकलीफ में और कई बार तो वह अपनी इस तकलीफ के कारण काफी चिढ़- चिढ़ा भी हो जाता था| उसके एलॉपथी में इसके लिए बहुत इलाज़ किये लेकिन उसको कोई फर्क नहीं हो रहा था| उल्टा मेरे मित्र की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि उसने हम लोगों से मिलना जुलना बंद कर दिया था|

फिर काफी समय बाद मेरे मित्र के चेहरे पर मैंने सूकून देखा और उसकी तकलीफ में आराम हुआ| मुझे बड़ी ख़ुशी थी कि मेरा मित्र अब ठीक है| फिर उसने मुझे बताया कि उसने अपने पाइल्स के रोग के लिए AZA Capsules ली,अब वो पूरी तरह ठीक है| अगर आप या आपका कोई अपना इस समस्या से परेशान है तो हमारा सुझाव है कि आप भी AZA Capsules  लें और अपने इस दर्दनाक रोग से मुक्ति पाएं|

इसके लिए आप अपने पास के मेडिकल स्टोर से सम्पर्क करें?

धन्यवाद!