बार-बार पेशाब आने की आयुर्वेदिक महाऔषधि .In hindi.
प्रमेह गजकेसरी रस
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Dr.VirenderMadhan.
प्रमेह गजकेशरी रस के द्रव्य तथा निर्माण विधि -
- वंग भस्म, स्वर्ण भस्म, कान्त लोह भस्म , रस सिन्दुर ,मोती भस्म या पिष्टी , दालचीनी ,छोटीइलायची ,तेजपत्र , और नाग केशर का चूर्ण,
इन सभी समान भाग लेकर सबको अच्छे से मिलाकर घृत कुमारी के स्वरस में अच्छी तरह से घोटकर 2 -2 रत्ती की गोलियां बना लें । सुरक्षित साफ डब्बी मे भरकर रख लें।
मात्रा -
1 गोली सुबह 1 गोली शाम को दूध के साथ या अपने चिकित्सक के सलाह के अनुसार प्रयोग करें।
गुण धर्म -
जिस प्रकार शेर हाथी का नाश करता है वैसे ही ये प्रमेह का नाश करता है ।
इसके 3 दिन के सेवन करने से शुक्रमेह का नाश होता है ।और - पुराना प्रमेह और मधुमेह का नाश करने के लिए भी यह प्रशस्त औषध है ।
विशेष -
वंग-,
वीर्य दोषों को हरने वाली औषध है ।इसी प्रकार
स्वर्ण-
मस्तिष्क पोषक ,रसायन , वाजीकरण ,बल वर्ण वर्द्धक , शक्तिप्रद ,वृक्क एवं त्वचा का पोषण करने वाली औषध है । रक्तवर्धन ,शोथ नाशक ,और उदर शैथिल्य नाशक के लिए कान्त लोह प्रशंसनीय है ।
मोती-
शीत वीर्य द्वारा शरीर के किसी भी भाग में किसी भी प्रकार के वातज -पित्तज ,तथा नाड़ी जन्य विकार को शांत करता है और शरीर में दूषित दाह का नाश करता है
- अन्य पदार्थ समशीतोष्ण वीर्य ,वात्त -पित्त -कफ नाशक और बल -वर्ण कान्ति वर्द्धक तथा वीर्य वर्द्धक है ।
- यह औषध योगवाही होने के कारण शरीर को पुष्ट करती है ।ग्रन्थियों की उत्तेजना का नाश करती है
- इसका प्रयोग तीनो दोषों से होने वाले विविध प्रकार के प्रमेहो में सफलता पूर्वक अनुपान भेद से किया जाता है।
- शुक्रनाड़ी ,अण्डग्रन्थि, तथा शुक्र कोषो की उत्तेजना को दूर करके इन अंगो को स्वस्थ करती है ।
धन्यवाद!
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