गठिया|Gout क्या होता हैं इसके लक्षण और उपाय?In hindi.
#गठिया|Gout क्या होता हैं?
Gatiya kye hota hain?
Dr.VirenderMadhan.
#गठिया|Gout:-
आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त नाम से जाना जाता है
जब रक्त में यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह रोग पैदा होता है।
शरीर में यूरिक एसिड का उच्च स्तर - हाइपरयूरिसीमिया नामक एक स्थिति - के परिणामस्वरूप गाउट का विकास होता है ।
यूरिक ऐसिड हमारे शरीर की विविध क्रियाओं के कारण पैदा होता है, जिसका निर्माण कुछ खास प्रकार के आहारों के कारण होता है। इस रोग को गाउट नाम से जाना जाता है। मूत्र उत्सर्जन के माध्यम से शरीर से यूरिक ऐसिड बाहर होता रहता है। लेकिन कुछ लोगों में यूरिक ऐसिड की उत्पत्ति बहुत ही अधिक मात्रा में होने लगती है, तथा जो शरीर से उसी अनुपात से मूत्र के द्वारा बाहर नहीं हो पाता है। यही बढ़ा हुआ यूरिक ऐसिड नुकीले सुई जैसे क्रिस्टल्स का रूप लेकर जोड़ों के इर्दगिर्द इकट्ठे होकर उस जोड़ के आसपास सूजन, तीव्र दर्द को पैदा कर देते हैं। आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी उत्पत्ति में वायु और रक्त की भूमिका होने से ही इसे (गठिया)वात-रक्त नाम से जाना जाता है।
-ऐसे रोगी जो ट्रायग्लिसराइड्स के बढ़े हुए स्तरों से पीड़ित रहते हैं, उनको इस रोग से ग्रस्त होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं।
- हाइपरटेंशन एवं मोटापे से पीड़ित लोगों में भी यह रोग अधिक देखा जाता है -
- गुर्दों के रोगों से पीड़ित रोगी भी इस रोग से ग्रस्त होते पाए जाते हैं। अनेक प्रकार के एंटीबायोटिक्स, डाइयूरेटिक औषधियां, कीमोथैरेपी भी इस रोग के पैदा होने की सम्भावना रहती है।
#गठिया के कारण क्या हो सकते है?
- रात के समय जागना
-नमकीन, खट्टे, चरपरे, खारे, चिकने तथा गरम खाद्य-पदार्थों का अत्यधिक सेवन
-नियमित रूप से रात के समय भोजन करना
-पहले किए गए भोजन के हजम होने से पहले ही दोबारा भोजन करना
-सड़े-गले एवं सूखे हुए मांस का सेवन करना
-जलीय जीव-जंतुओं के मांस का सेवन करना
-मूल शाक जैसे अरबी, आलू, मूली, जमहकंद का अधिक सेवन करना
-कुलथी, उड़द, सेम, गन्ना एवं इससे बनने वाले चीनी, गुड़, मिठाईयों का अंधाधुंध सेवन करना
- छाछ,दही, कांजी, सिरका, शराब इत्यादि का अनियंत्रित सेवन।
-अधिक क्रोध करना
-दिन में सोने की आदत होना
#गठिया के लक्षण?
सबसे पहले एक पैर के अंगूठे में लगभग आधी रात के समय अचानक दर्द महसूस होना तथा उसमें सूजन आना। उस हिस्से में लालिमा पैदा होना,
- कुछ रोगी ऐड़ी एवं टखनों में भी तेज दर्द महसूस करते हैं। यह दर्द घुटनों, कलाई, कुहनी, अंगुलियों में भी हो सकता है।
#गठिया है तो क्या करें?
-सवेरे बिस्तर से उठते ही बिना कुल्ला किए ही पानी पिएं। यह प्रयोग बढ़े हुए यूरिक ऐसिड को नियंत्रित करने के लिए बेजोड़ है।
-पूरे दिन भर में 6 से 8 गिलास पानी पीना बहुत जरूरी होता है।
-यूरिक ऐसिड बढ़ने पर गिलोय के प्रयोग को सर्वोत्कृष्ट माना जाता है। अतः गिलोय का ताजा रस, चूर्ण, काढ़ा सेवन किया जान चाहिए। यदि गिलोय के साथ अरंडी का तेल (कैस्टर आइल) का भी सेवन किया जाए तो शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।
-भोजन के तत्काल बाद मूत्र-त्याग अवश्य करें-ऐसा नियमित रूप से करने से यूरिक ऐसिड नहीं बढ़ता है। यहां पर ध्यान देने योग्य बात है कि इस साधारण से दिखाई देने वाले प्रयोग से अनेकानेक प्रकार के मूत्र-विकारों, पथरी इत्यादि से भी बचाव होता है तथा लम्बे समय तक गुर्दे स्वस्थ एवं सबल बने रहते हैं। इससे भोजन का पाचन भी सुचारू रूप से होता है और शरीर में हलकापन आता है।
#Gout मे क्या खायें क्या न खायें?
परहेज:-
बिस्किट्स, बेकरी उत्पाद जैसे ब्रेड, हरे मटर, पालक, कुलथी, सेम, फैंच बीन, बैंगन, मषरूम, पनीर, सूखा नारियल, सूखे मेवे, सोयाबीन, खमीरी आटा, सत्तू, कस्टर्ड, मूली, अरबी, अचार, चाय, सुखाया हुआ दूध, काॅफी, कांजी, अंडा, मांस, सुखाया हुआ मांस, मछली, शराब, पान, तिल, फास्टफूड जैसे पिज्जा, हाॅट डाॅग, बर्गर, मोमोज, चाउमीन, स्प्रिंगरोल इत्यादि, उड़द, बाजरा, कांजी, गरिष्ठ आहार जैसे पक्वान्न, मिठाईयां, पापड़। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे आहारों के सेवन से बचना चाहिए जिसमें प्यूरीन पाया जाता है जैसे दालें, ओटमील, पालक, शतावरी, मशरूम, पत्ता गोभी।
#गठीया मे क्या क्या खायें?
अन्न-गैंहू, चावल, मूंग, जौ, मसूर, मोठ, चना, अरहर, लाल चावल, फल-चैरी, पाइन ऐपल, संतरा, पपीता, मुनक्का, आंवला, ताजा घी (नवीन घृत), ताजा दूध (थैली वाला नहीं), शाक-बथुआ, चैलाई, करेला, अदरक, परवल, मकोय, फल एवं तरकारियों से घर पर ही बने हुए सूप। लहसुन, प्याज, आंवला, जमीकंद, कूष्मांड,नमक, टमाटर, सिरका, अमचूर, नींबू का रस, दही, लस्सी (जो खट्टी न हो)आलू।
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