Guru Ayurveda

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

बरसात के दिनों में रोगो से बचने के 5 उपाय.in hindi 5 ways to avoid diseases during rainy

 #बरसात के दिनों में रोगो से बचने के 5 उपाय.in hindi

5 ways to avoid diseases during rainy days.

वर्षा ऋतुचर्या|Rainy season.



Dr.VirenderMadhan.

#वर्षा क्या है?

पानी वाष्पित होकर पृथ्वी के सतह से ऊपर उठता हैऔर ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं।



#बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)

- हवा अपने अंदर इकट्ठे पानी को ऊंचाई पर ले जाती है तो ठंडे जलवायु मे मिल जाती है और अपने अंदर का जमा हुआ पानी के भारी हो जाने पर उसे नीचे गिराने लगती है। जिसे बारिश या वर्षा कहते हैं।

#बरसात का शरीर पर बुरा प्रभाव क्या होता है?

- पतले दस्त, उल्टी होना, जी मचलाना, पेट फूलना, भोजन पश्चात दस्त, बुखार, पेट में रुक-रुक कर दर्द, कब्ज या बारी-बारी से दस्त, थकान, वजन का एकदम कम होना, भूख न लगना, अपच वायु-विकार इसके प्रमुख हैं। 

#बरसात में कौन कौन सी बीमारियां होती है?

- बरसात में होने वाली 5 बीमारियां ?

 मलेरिया - 

मलेरिया बरसात में होने वाली आम लेकिन गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो जलजमाव से पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होती है। ... 

 डेंगू - 

डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से ही फैलता है, लेकिन डेंगू फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, 

दस्त, हैजा ,अतिसार ,वायर फीवर,टायफाइड,

वातरोग, सन्धिवात, आमवात, लकुवा,अधरंग,

श्वास रोग,दुर्बलता, आदि रोग वर्षा ऋतु मे तीव्र हो जाते है।

#बारिश के दिनों में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

बरसात के मौसम में क्या खायें क्या न खायें?

वर्षा ऋतु में आदमी की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है इसीलिए हमें हल्का-फुल्का और सुपाच्य भोजन करना है।  तोरई ,लौकी ,भिंडी ,बैंगन ,मूली खा सकते हैं अदरक ,पुदीना इस्तेमाल करना चाहिए।

- ऐसी चीजों का सेवन करें जो वात को शांत करते हों। इसलिए पुराना अनाज जैसे गेहूँ, जौ, शालि और साठी चावल, मक्का (भुट्टा), सरसों, राई, खीरा, खिचड़ी, दही, मट्ठा, मूँग खाएं।

*हरी पत्तेदार (शाक)सब्जियां न खाएं

* बारिश के मौसम में पालक, मेथी, बथुआ, बैंगन, सरसों, गोभी, पत्ता गोभी जैसी पत्तेदार सब्जियां खाने से परहेज करना चाहिए. 

*इस मौसम में इनमें कीड़े मकौड़े और बैक्टीरिया पनपते हैं. इसलिए ताजा भोजन खायें

*ताजा फल खायें कटे रखे फल न खायें।

* ऑयली फूड और मसालेदार खाने से बचें।

बारिश के मौसम में पकोड़े और समोले खाने में मज़ा आता है, लेकिन ज़्यादा मसालेदार या ऑयली खाना खाने से पेट में ब्लोटिंग हो सकती है। 

 * बारिश के मौसम में पेट से जुड़ी बीमारियां आसानी से हो जाती हैं, क्योंकि उमस हमारे जठराग्नि को धीमा करती हैं।

* वर्षा ऋतु में कच्ची सब्ज़ियां खाना नही खानी चाहिए।

- कुछ सब्जि़यों में गंदगी के कारण बहुत अधिक मात्रा में रोगाणु होते हैं, जिससे जठर संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।   * इस मौसम में पका हुआ ताज़ा खाना ही खाएं। 

* सी-फूड खाने से भी बचें।

* हरी पत्तेदार सब्ज़ियां न खाएं

* वातकारक कोई भी भोज्य पदार्थ नही खाना चाहिए।

* नारियल पानी का सेवन करें। * काली चाय बनाकर पिएं।

* गुरु आयुर्वेदिक मसाला चाय पिएं।

* पानी की पुर्ति के लिए गर्म पानी और तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाना चाहिए। साथ ही आप मसाला चाय का आनंद भी ले सकते हैं। मसाला चाय में दालचीनी, तुलसी, अदरक, इलाइची जैसी चीज़ों का इस्तेमाल ज़रूर करें, ताकि संक्रमण से बचे रहें।

* साफ पानी ही पिएं।

* मसालों का इस्तेमाल करें । मसाले एंटी-सेप्टिक और एंटी-इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर होते हैं। 

* हल्दी, काली मिर्च और लौंग तेजपत्ता, दालचीनी जैसे मसाले भोजन मे प्रयोग करने से संक्रमणों से बचे रहेंगे।ज़ुकाम और खांसी का जोखिम भी कम होगा।

#वर्षा ऋतु में जीवनशैली ?

-शरीर की मालिश करें। 

- साफ सुथरे और हल्के कपड़े पहनें। 

- बारिश में भीग जाने पर तुरंत अपने कपड़ों को बदल लें। 

 - जहाँ अधिक हवा और नमी न हो ऐसे स्थान पर सोना चाहिए। 

-  भूख लगने पर ही भोजन करेंऔर ठीक समय पर ही करना चाहिए। 

- मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। 

-घर के आसपास खड्डों मे धास मे उनमें कीटनाशक छिड़क देना चाहिए। 

[रोगी होने पर अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरूर करें.]

धन्यवाद!



सोमवार, 11 जुलाई 2022

क्यों आती है बार बार डकारें?In hind.

 #बार-बार डकार आना।



#क्यों आती है बार बार डकारें?In hind.

बार-बार डकार आना।

Dr.VirenderMadhan.

</>डकारें आने के कारण:-

* पाचन मे गडबडी होना,

* यकृत विकार होना,

* आंत्र मे संक्रमण होना,

* कब्ज का होना,

* कुआहार होना,

* चिंता होना,

#पाचन मे गडबडी होना,

- भोजन के पाचन मे गडबड होने से पेट मे गैस बनती है अत्यधिक गैस होने के कारण डकारें आने लगती है कभी खट्टी डकारें आती है तो कभी बुदबूदार डकारें आती है।

>यकृत विकार होना,

- यकृत विकार होने पर या तिल्ली विकार होने पर भोजन का पाचन ठीक से नही होता है फलस्वरूप पेट मे गैस बनती है फिर डकारें आने लगती है रोग बढने पर ये डकारें लगातार आती रहती हैं।

>आंत्र मे संक्रमण होना,

- जब आंतों मे रोगाणुओं के कारण संक्रमण होने लगता है तो भोजन पचने की जगह सडने लगता है और गैस, पेट, दर्द, डकारें आने लगती है।

>कब्ज के कारण

- कब्ज का होना भी डकारों का बडा कारण है।मल इकट्ठा हो कर आंत्र मे खुश्की, सडन पैदा कर देता है कब्ज की अधिकता मे डकारें आने लगती है।

>कुआहार

- इन सबका कारण कुआहार है लाईफ स्टाईल खराब होने पर,या ऐसा भोजन करने पर जिसे हम पचा नही पाते, या मौसम, आयु,आदि के विपरीत भोजन जो हमें करना नही चाहिए या

- बिना भुख के, बिना ईच्छा के किया हुआ भोजन पाचन क्रियाओं को खराब करके गैस तेजाब, हिचकी, डकार जैसे रोग पैदा कर देते है।

- तली-भुनी चीजें, कोल्ड्रिंक, फूलगोभी, बीन्स, ब्रोकोली आदि को खाने से पेट में गैस बनती है, जो डकार आने का कारण हो सकता है।

>चिंता होना।

- चिंता सबसे पहले पेट पर तथा पाचनशक्ति को खराब करता है जिसके कारण गैस, डकारें आने लगती है।

- इसके अलावा खट्टी डकार आने के कारण (dakar ke karan)

- जरूरत से ज्यादा खाना

- पेट में इंफेक्शन होना

- बदहजमी

- समय पर खाना न खाना

- धूम्रपान करना

- ज्यादा मसालेदार भोजन करना

#डकार को कैसे रोके|डकार की घरेलू चिकित्सा.

- हिंग को धी मे मिलाकर निगलने से दूषित डकारें बन्द हो जाती है।

- गाय के दूध मे एरण्ड का तैल Caster oil मिलाकर पीने से उदरवात,उदरावृत और आनाह (अफारा) दूर होता है।

-सौठ, हरड समान मात्रा में लेकर पानी से कुछ दिन लेने से आराम हो जाता है।

*अदरक 

- गर्म पानी में एक चम्मच अदरक रस और नींबू का रस, सेंधा नमक के साथ डालकर पी लें. डकार से फौरन राहत मिलेगी.

- रोजाना खाने के बाद एक अदरक का टुकड़ा अपने मुंह में रखें. ऐसा रोजाना करने से पेट में गैस की समस्या दूर हो जाती है. इसके अलावा जब कभी आपको डकार आए आप इसे मुंह में रखकर धीरे-धीरे रस लें. इससे डकार की समस्या दूर होगी.

* पुदीना

- पुदीने के सेवन से डकार की समस्या से निजात पाया जा सकता है. सबसे पहले गर्म पानी लें और इसमें पुदीने के रस की 2-3 बूंद डालकर पी लें. ऐसा करने से आपको तुरंत आराम मिल जाएगा। 

*नींबू

- नींबू का रस एक गिलास पानी में काला नमक मिलाकर पीने से गैस नीचे की ओर जाती है और मुंह से डकार आने की समस्या से निजात पाया जा सकता है.

* छाछ

 2 कप छाछ मे अदरक या सौठ, भुना जीरा, काला नमक या सैन्धव नमक, पुदिना, थोड़ा हिंग,सबको अच्छी तरह मिलाकर पीने से गैस-डकार आने मे राहत मिलती है।

* मेथी

अगर आपको कई दिनों से खट्टी डकारें आ रही हैं और आराम नहीं मिल रहा तो आप मेथी का इस्तेमाल कर सकते हैं. मेथी को रात भर पानी में भिगोना है उसके बाद सुबह इस मेथी वाले पानी को खाली पेट पीना है. इसके सेवन से खट्टी डकार की समस्या से छुटकारा मिल सकता है. 

* जीरा

- जीरा पेट की समस्यायों के लिए बेहद असरदार होता है. असमय डकार आने पर जीरे को भून कर खाने से आराम मिलता है. जीरे का रोज इस्तेमाल करने से गैस और डकार की समस्या से बचा जा सकता है. 

* गुड़ :

- खट्टी डकार आये तो तुरंत  गुड़ का टुकड़ा मुंह में रख लें. 

* लहसुन :

 लहसुन की एक कली को कच्चा चबाकर 1 ग्लास पानी पी लें. इससे डकार से लाभ मिलेगा। 

#आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधि

वटी:-

- गन्धक वटी, रसोन वटी,शंख वटी,काकायन वटी,अग्नितुण्डी वटी,

*चूर्ण:-

हिग्वाष्टिक चूर्ण, लवणभास्कर चूर्ण, शिवाक्षार चूर्ण, पंचसम चूर्ण,आदि।

*रस-रसायन:-

सुतशेखर रस, अश्वकंचूकी रस, गुल्म कुठार रस,आदि।

*पाक

एरण्ड पाक,

*आसव

कुमार्यासव,अभयारिष्ट, द्राक्षासव आदि।

*क्वाथ

आरग्वाधादि क्वाथ,  त्रिवृतादि क्वाथ,

धन्यवाद!



शनिवार, 9 जुलाई 2022

सेब का सिरका मतलब क्या होता है?In hindi.

 #सेब का सिरका मतलब क्या होता है?In hindi.

What does apple cider vinegar mean?In hindi.



[सेब का सिरका]apple cider vinegar.

Dr.VirenderMadhan.

सेब के जूस को खमीरीकृत कर के तैयार हुए सिरके को एप्‍पल सिडर विनेगर कहा जाता है। पहले सेब का रस निकाला जाता है और फिर उसमें यीस्‍ट डालकर फ्रूट शुगर को एल्‍कोहल में बदला जाता है। इसके बाद एल्‍कोहल में बैक्‍टीरिया डाला जाता है जो इसे एसिटिक एसिड में बदल देता है।

#सेब के सिरके से शरीर में क्या होता है?

What happens to the body with apple cider vinegar?

एप्पल साइडर विनेगर का प्रयोग औषधीय रूप से भी किया जाता है. इसमें एसिटिक एसिड और साइट्रिक एसिड होता है. एप्पल साइडर विनेगर में विटामिन बी और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व होते हैं,सेब के सिरके को लेने से वजन को कम करता है तथा पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।

#सेब का सिरका कैसे काम करता है?

How does apple cider vinegar work?

सेब का सिरका वजन कम करने के साथ-साथ आपकी एसिडिटी, एसिड रिफ्लेक्शन कम करने में भी मदद करता है. -Joints pain जोड़ों के दर्द में भी लाभदायक है. 

- सेब का सिरके से शरीर का PH लेवल सही रहता है.    - हाथ पैरों की एंठन और दर्द की समस्या में आराम पड़ता है ।

#सुबह खाली पेट में सेब सिरका पीने के फायदे?

Benefits of drinking apple vinegar in the morning on an empty stomach?

- वजन कम करने में सहायक सेब का सिरका पीने से तेजी से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। 

- पाचन समस्या से छुटकारा कई लोग पाचन की समस्या से परेशान रहते हैं।

- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते है।

- सेब का सिरका कोलेस्ट्रोल कम करने मे सहायक होता है।

- सेब का सिरका डायबिटीज को कंट्रोल करता है। 

- सेब का सिरका का जोड़ों के दर्द में उपयोग किया जाता है।

#सेब के सिरके के नुकसान -

Disadvantages of apple vinegar -

 सेब के सिरके में एसिड होने के कारण यह शरीर में मौजूद ब्लड में पोटैशियम के स्तर को कम करता है। सेब के सिरके को सीधा दांतों पर इस्तेमाल करने से दांतों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा इसका सीधा प्रयोग करना दांतों में पीलेपन की समस्या को भी बढ़ाता है।

#सेब का सिरका कैसे बनाये? 

How to make Apple Cider Vinegar?

 10 सेब लें और उन्हें पानी से अच्छी तरह धो लें।फिर छोटे टुकड़ों में काट लें।

कटे हुए सेब के टुकड़ों को अलग रख दें और उनके भूरे रंग का होने का इंतज़ार करें।

इन सेब के टुकड़ों को एक बड़े मुँह वाले कांच के जार में डाल दें। जार में इतना पानी डाले ताकि सेब पूरी तरह डूब जायें।

इस जार को जालीदार कपडे से ढक दें, सेब के टुकड़ों को ऑक्सीजन मिलता रहे।

फिर जार को एक गर्म और अँधेरे वाली जगह पर रख दें।

इस जार को 6 महीनों तक रखा रहने दें और हर हफ्ते इसे चलाते रहें।

6 महीने के फर्मेंटेशन के बाद  उसके ऊपर मैल की एक परत जैम जायेगी ये बैक्टीरिया के कारण होता है।

एक दूसरा बड़े मुँह वाला जार मे कपडे की मदद से उसमें छान लें। 

उसी कपडे को नए जार को ढकने के लिए इस्तेमाल करें। फिर से जार को  5-6 हफ़्तों के लिए गर्म और अँधेरी जगह पर रख दें।

इसके बाद छोटे बर्तनों में भरकर रख लें। ताजगी के लिए फ्रिज में रख सकते हैं।

#सेब के सिरके के लाभ,

benefits of apple vinegar,

 - मधुमेह में उपयोगी

सेब के सिरके, ये रक्त शर्करा को संतुलित रखने में सहायता करता है।

- हृदय रोग का खतरा कम करता है।

- ये कोलेस्ट्रोल स्तर घटाने में भी उपयोगी होता है। और ब्लड प्रेशर नियंत्रण में भी उपयोगी होते हैं।

- साइनस की तकलीफ में फायदेमंद

- सेब का सिरका मौजूद बलगम  में भी लाभदायक होता है। 

- गले की खराश में सहायक

इसके एंटीबैक्टीरियल गुण गले की खराश में भी फायदेमंद होते हैं। 

- मस्सा(वार्ट्स) का करें इलाज।

इसके लिए एक रुई को सेब के सिरके में भिगोकर मस्सो पर रख लें और रात भर लगा रहने दें।

#सेब के सिरके के अन्य उपयोग।

- चेहरे का टोनर

पानी के 3-4 भाग के साथ 

सेब के सिरके का एक भाग मिलाकर चेहरे पर लगायें।

- श्वास में बदबू को दूर करने के लिए:

आधा बड़ा चम्मच सेब का सिरका एक कप पानी में डाल लें। एक बार में 10 सेकंड के लिए गरारे करें ।

धन्यवाद!









शुक्रवार, 8 जुलाई 2022

अमरुद खाने से क्या क्या होता है?In hindi.

 अमरुद खाने से क्या क्या होता है?In hindi.

#अमरुद|Guava

Plant|Psidium|

goiaba



Dr.VirenderMadhan.

गोल तथा पीले रंग का एक मशहूर मीठा फल और उसका पेड़; अमृत फल कहलाता है।

संस्कृत में नाम:-

 अमरूद को संस्कृत में 'बीजपूरम् ‚ आम्रलम् ‚ दृढबीजम् ‚ अमृतफलम्' कहते हैं।

अमरुद खाने से क्या क्या होता है?In hindi.

अमरूद शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत बनाता है क्योंकि अमरूद में विटामिन सी पाया जाता है, जो पेट संबंधी विकार दूर करता हैं.

-अमरूद एंटी एजिंग गुणों से भरपूर है।

- अमरूद दांतों को मजबूत करता है 

-अमरूद पाइल्स में लाभकारी होता है।क्योंकि यह पेट को साफ करता है।

#अमरूद खाने के लाभ?

आयुर्वेद के अनुसार अमरूद खाने से होने वाले लाभ -

* अमरूद का औषधीय गुण 

-प्यास को शांत करता है 

-  उल्टी रोकता है, 

- हृदय को बल देता है. 

- कृमियों का नाश करता है,  

- कफ निकालता है. 

- मुंह में छाले होने पर मस्तिष्क एवं किडनी के संक्रमण, बुखार, मानसिक रोगों तथा मिर्गी आदि में इसको खाना लाभदायक होता है.आयुर्वेद में इसे इन रोगो मे पथ्य माना है।

* कच्‍चा अमरूद खाना ज्‍यादा फायदेमंद होता है क्योंकि कच्‍चे अमरूद में पके अमरूद की अपेक्षा विटामिन सी अधिक पाया जाता है.  

 - अमरूद में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए यह डायबिटिज के मरीजों के लिए बहुत अच्‍छा होता है. 

#अमरूद के पत्तों के फायदे?Guava Leaves Benefits

- कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम करता है  

- वजन घटाने में मदद करता है 

- दस्तों मे लाभ करता है -अमरूद के पत्ते दस्त के लिए हर्बल औषधि हैं.

- अमरूद डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है।रोज अमरूद के पत्तों का चूर्ण या काढा पीते रहने से कुछ दिनों मे डायबिटीज को जड से खत्म हो जाता है।

- बालों के लिए अमरूद के पत्ते का काढा लाभकारी होता है।

- मुंहासों और काले धब्बों के उपाय के लिए अमरुद के पत्तों का लेप किया जाता है।

- आप काढ़े के रूप में अमरूद की पत्तियों का सेवन कर सकते हैं, साथ ही इसे कच्चा चबाकर भी खा सकते हैं.

- अमरुद खाने से गैस और कब्ज में आराम मिलता है।

-  जुकाम, खांसी और खराश में आराम करता है।

- अमरुद के पत्तों का रस लगाने से बाल मजबूत होते है।

#ऐसे बनाएं अमरूद के पत्तों का काढ़ा:-

अमरूद के पत्तों का काढ़ा:- बनाने के लिए सबसे पहले अमरूद के पत्तों को लेकर अच्छे से धो लें। फिर एक बर्तन में पानी डालकर गैस पर गर्म करें अब इस पानी में अमरूद के पत्तों को डालें। पानी में उबाल आने के बाद इसमें काली मिर्च, लौंग, अदरक आदि अन्य सामग्रियां भी डाल दें

#how to make guava tea?

विधि- सबसे पहले अमरूद के करीब 10 ताजे पत्तों को अच्छे से धो लें। 

 डेढ़ कप पानी को सामान्य आंच पर 2 मिनट के लिए उबलने के लिए रख दें। अब इसमें धुले हुए अमरूद के पत्ते डाल दें और स्वाद और कलर के लिए नॉर्मल चाय की पत्ती डालें। अब इसे 10 मिनट के लिए पकाएं।

#अमरूद की तासीर कैसी होती है?

अमरूद की तासीर ठंडी होती हैं।

# अधिक अमरूद खाने के क्‍या क्‍या नुकसान हो सकते हैं. ज्यादा अमरूद खाने से सूजन, पेट फूलना और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है तो ज्यादा अमरूद का सेवन न करें. इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जिससे ज्यादा अमरूद खाने से पेट खराब हो सकता है पेट फूलने जैसी समस्या हो सकती है।

#किसे अमरूद नहीं खाना चाहिए?

जो लोग (IBS) इरिटेटेड बाउल सिंड्रोम से पीड़ित हैं

अमरूद फाइबर से भरपूर होता है, जो कब्ज को कम करने और पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। लेकिन अमरूद का अधिक सेवन आपके पाचन तंत्र को खराब कर सकता है, खासकर अगर आप इरिटेटेड बाउल सिंड्रोम से पीड़ित हैं। यह फ्रुक्टोज के कुअवशोषण के कारण भी होता है।

#अमरूद खाने का सही तरीका।

अमरूद का सेवन क‍िस समय करना चाह‍िए? 

 अमरूद को खाने के आधे घंटे बाद भी खा सकते हैं पर इसका सेवन खाली पेट न करें क्‍योंक‍ि अमरूद और केले जैसे फलों को डाइजेस्‍ट करने के ल‍िए आपके पेट में पहले से थोड़ा खाना होना जरूरी है नहीं तो पेट में दर्द की समस्‍या हो सकती है।

धन्यवाद!


बुधवार, 6 जुलाई 2022

मस्सा(wart) क्या होता है?In hindi.


 </>मस्सा(wart) क्या होता है?In hindi.

[मस्सा(wart)]

Dr.VirenderMadhan.

#क्या होता है मस्सा(wart)?

 शरीर पर कहीं कहीं काले रंग का उभरा हुआ मांस का छोटा दाना एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है। मस्सा (wart) कहलाता है।यह प्रायः सरसों अथवा मूँग के आकार का होता है कई बार यह बेर के आकार का होता है। यह प्रायः हाथों और पैर पर होता है किन्तु शरीर के अन्य अंगों पर भी हो सकता है।

#क्यों होते है मस्से?

यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण होती है। आमतौर पर, यह फटी हुई त्वचा पर होता है क्योंकि वायरस त्वचा की ऊपरी परत के माध्यम से आसानी से प्रवेश कर सकता है। 

#शरीर पर मस्से होने का क्या कारण है?

मस्से विषाणु संक्रमण से पैदा होते हैं। 

 'मानव पेपिल्लोमैविरस' नामक विषाणु की कोई प्रजाति इसका कारण होती है। लगभग दस प्रकार के मस्से होते हैं। मस्से संक्रमण (छुआछूत) से हो सकते हैं और शरीर में वहाँ प्रवेश करते हैं जहाँ त्वचा कटी-फटी हो।

#मस्सों का घरेलू ईलाज क्या है?

- केले के छिलके :-

 रात को मस्से वाली जगह पर केले के छिलके को रखकर उस पर कपड़ा बांध लें. ऐसा तब तक करें जब तक मस्सा साफ न हो जाए.

- मस्सा हटाने के लिए बेकिंग सोडा:-

एक चम्मच बेकिंग सोडा में कुछ बूंदें एरण्ड का तैल (कैस्टर ऑइल) डालकर इस पेस्ट को मस्से पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें.

#क्या आपके मस्से आपकी सुन्दरता को घटा रहें है?

* करें घरेलू उपाय

-​बेकिंग सोडा और अरंडी का

तेल:-

 बेकिंग सोडा और अरंडी के तेल का लेप तैयार करें।दिन में एक बार जरूर लगायें।

- ​लहसुन का पेस्ट:-

लहसुन की कलियों को छीलकर इनका पेस्ट बना लें।मस्सों पर लगायें।

- ताजा ऐलोवेरा का गुदा लगायें कुछ दिनों तक लाभ मिलेगा।

- सेब का सिरका:-

सेब का सिरका रोज मस्सो पर लगाने से फायदा होता है।

-चूना और घी:-

 घी और चूना समान मात्रा में लेकर अच्छी तरह से मिलाएं। फिर इसे मस्से पर दिन में 3-4 बार लगाएं। इस उपाय से मस्सा जड़ से झड़ जाएगा।

-अदरक और चूना:-

छोटा सा।  अदरक का टूकड़ा लेकर उस पर हल्का सा चूना लगाकर मस्से पर हल्के हाथ से रगडें मस्से झड जायेंगे।

उपरोक्त उपाय से मस्से ठीक न हो तो अपन आयुर्वेदिक चिकित्सक दिखायें और परोपर चिकित्सा करायें।

धन्यवाद!


सोमवार, 4 जुलाई 2022

पित्त प्रकृति का शरीर कैसा होता है?In hindi.

 पित्त प्रकृति का शरीर कैसा होता है?In hindi.

How is the body of bile nature? In Hindi.

<पित्त प्रकृति>



Dr.VirenderMadhan.

Q:- पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण क्या होतेहै?

#पित्त प्रकृति के व्यक्ति लक्षण:-

 Ans:- पित्त प्रकृति के व्यक्ति का शरीर नाजुक होता है। 

- गर्मी सहन नहीं होती। 

 - त्वचा पीली एवं नर्म होती है और फुंसियों और तिलों से भरी हुई होती है। 

- बालों का छोटी उम्र में सफेद होते है

- रोएं बहुत कम होना इस प्रकृति के विशेष लक्षण हैं।

Q:- पित्त प्रकृति के व्यक्ति की तासीर कैसी होती है?

Ans :- पित्त प्रकृति वाले लोग आमतौर पर बहुत ही आकर्षक और तेज दिमाग वाले होते हैं। 

इनके अंदर बहुत गर्मी होती है, इसलिए इन्हें गर्म चीजों को खाने से बचना चाहिए। 

- पित्त वालों की अग्नि बहुत तेज होती है।

- पित्त वाले ज्यादातर हल्के कपड़े पहनकर रहते है उनको गर्मी बहुत लगती है।

- शरीर से दुर्गन्‍ध आना

- कम उम्र में ही झुर्रियां आना।

- जीभ लाल दिखाई देती है

- चेहरा नाजुक और नरम दिखाई देता है.

- नसें काफी उन्नत नहीं होती हैं

- पेट मध्यम विकसित होता है

- तीखी लेकिन स्पष्ट आवाज

- नाखून गुलाबी

- मध्यम नींद

#अन्य लक्षण:-

-बालों का झडना,

- मुँहासे, 

- गंजापन 

- मजबूत पाचन क्षमता, 

- लाल तालू, लाल होंठ, लाल जीभ, जलन, 

- मुंह में छाले, 

- अति अम्लता, 

- क्रोध 

- बुद्धिमान मस्तिष्क, 

- तेज दृष्टि और दृष्टिकोण, तार्किक विचार,

- चित्त की दृढ़ता 

- अत्यधिक पसीना आना, 

- पित्त वालों की आंखें न ज्यादा बड़ी होगी न छोटी होगी.पीले या गुलाबी रंग के साथ श्वेतपटल नेत्र,पलकें कम और पतली दिखाई देती है,

Q:-पित्त प्रकृति के व्यक्ति को कौनसे रोग हो सकते है?

Ans:- जब पित्त दोष बढ़ जाए तो रोगों का कारण बन सकता है:

- सूर्य के प्रति अतिसंवेदनशीलता

- जलन के साथ सिरदर्द

- प्रकाश को सहन करने में असमर्थता

- स्टोमेटाइटिस(Stomatitis) - अल्सर

-चेहरे पर झुर्रियाँ

- मस्से

- गंजापन

- सिर में चक्कर आना

- सिर में हल्का भारीपन

- अत्यधिक पसीना आना

- हृदय रोग।

#पित्त प्रकृति के लोग क्या खाये?

आप इसकी जगह हर्बल टी या ग्रीन टी पी सकते हैं. 5- गर्म तासीर की सब्जी और दालें- पित्त वाले लोगों को गर्म तासीर की सब्जियों से भी परहेज रखना चाहिए. इसके साथ ही चिपचिपी सब्जियों जैसे बैंगन, अरबी, भिंडी, कटहल, सरसों का साग भी नहीं खाना चाहिए. पित्त को संतुलित रखने के लिए आप पालक, बींस, परवल और सीताफल खा सकते हैं।

#पित्त प्रकृति वाले लोगों को क्या नहीं खाना चाहिए ?

- पित्त प्रकृति वाले लोगों को

मूली, काली मिर्च और कच्चे टमाटर खाने से परहेज करें।

- सरसों के तेल,तिल के तेल,से परहेज करें।

- ड्राई फ्रूट-काजू, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट और बिना छिले हुए बादाम से परहेज करें।

- खट्टे जूस,टमाटर के जूस,संतरे के जूस, कॉफ़ी और शराब से परहेज करें।

- तलाभुना भोजन न करें।

धन्यवाद!


शनिवार, 2 जुलाई 2022

कैसे जाने अपनी प्रकृति कैसी है?In hindi.

  कैसे जाने अपनी प्रकृति कैसी है?In hindi.

How do you know your nature?



 आपका शरीर कैसा है?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

आयुर्वेदानुसार शरीर को तीन तरह की प्रकृति का माना जाता है .

- वात, पित्त और कफ। 

आयुर्वेदानुसार हमारा शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रवृत्ति का होता है, जिसके अनुसार उसकी बनावट, दोष, मानसिक अवस्था और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है

शरीर की वात प्रकृति:-

#Vata nature of the body .

* वात युक्त शरीर

आयुर्वेदानुसार वात युक्त शरीर का स्वामी वायु होता है।

#वातप्रकृति वाले शरीर की

* बनावट -

body texture-

 इस तरह के लोगों का वजन तेजी से नहीं बढ़ता और ये अधिकतर छरहरे होते हैं।इनके बाल व त्वचा रूखे होते है। इनका मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है लेकिन इन्हें सर्दी लगने की आशंका अधिक रहती है। आमतौर पर इनकी त्वचा ड्राई होती है और नाडी तेज चलती है।

* स्वभाव - 

सामान्यतः चंचल होते है।हाथ या पैर हिलाने की आदत हो सकती है। ये बहुत ऊर्जावान और फिट होते हैं। इनकी नींद कच्ची होती है इसलिए अक्सर इन्हें अनिद्रा की परेशानी अधिक रहती है। इनमें कामेच्छा अधिक होती है। वात प्रकृति वाले लोग बातूनी किस्म के होते हैं।ये लोग एक जगह ठिक कर नही बैठ सकते है।

* मानसिक स्थिति - 

ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं और अपनी भावनाओं का झट से इजहार कर देते हैं। हालांकि इनकी याददाश्त कमजोर होती है और आत्मविश्वास कम रहता है। ये बहुत जल्दी तनाव में आ जाते हैं।

* डाइट - 

वात युक्त शरीर वाले लोगों को डाइट में अधिक से अधिक फल, बीन्स, डेयरी उत्पाद, नट्स आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। 

#शरीर की पित्त प्रकृति:-

Pit nature of the body .

पित्त युक्त शरीर

आयुर्वेदानुसार, पित्त युक्त शरीर का स्वामी अग्नि है।

* बनावट - 

 इस तरह के शरीर के लोग अक्सर मध्यम कद-काठी के होते हैं। इनमें मांसपेशियां अधिक होती हैं और इन्हें गर्मी अधिक लगती है। अक्सर ये कम समय में ही गंजेपन का शिकार हो जाते हैं। बाल जल्दी पकने लगते है। इनकी त्वचा कोमल होती है और इनमें ऊर्जा का स्तर अधिक रहता है।

* स्वभाव - 

मिजाज गर्म होता है।

इस तरह के लोगों को विचलित करना आसान नहीं होता। इन्हें गहरी नींद आती है, इन्हें भूख तेज लगती हैं। आमतौर पर इनके बोलने की टोन ऊंची होती है।प्यास अधिक लगती है।

* मानसिक स्थिति - 

इस तरह के लोग आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा से भरपूर होते हैं। इन्हें परफेक्शन की आदत होती है और हमेशा आकर्षण का केंद्र बने रहना चाहते हैं।शीध्र ही क्रोधित हो जाते है।

* डाइट -

 पित्त युक्त शरीर के लिए डाइट में सब्जियां, फल, आम, खीरा, हरी सब्जियां अधिक खानी चाहिए जिससे शरीर में पित्त दोष अधिक न हो।

#शरीर की कफ प्रकृति:-

Kapha nature of the body:-

* कफ युक्त शरीर

कफ युक्त शरीर के स्वामी जल और पृथ्वी होते हैं। आमतौर पर इस तरह के शरीर वाले लोगों का शरीर स्थूल होता है।

* बनावट -

 इनके कंधे और कमर का हिस्सा अधिक चौड़ा होता है। ये अक्सर तेजी से वजन बढ़ा लेते हैं लेकिन इनमें स्टैमिना अधिक होता है। इनका शरीर मजबूत होता है।पसीना बहुत आता है।

* स्वभाव -

 इस तरह के लोग भोजन के बहुत शौकीन होते हैं और थोड़े आलसी होते हैं। इन्हें सोना बहुत पसंद होता है। इनमें सहने की क्षमता अधिक होती है और ये समूह में रहना अधिक पसंद करते हैं।

* मानसिक स्थिति -

ये लोग सोचते कम है।

 इन्हें कुछ सीखने में समय लगता है और भावनात्मक होते हैं।

* डाइट -

 कफ युक्त शरीर के लिए डाइट में बहुत अधिक तैलीय और हेवी भोजन से थोड़ा परहेज करना चाहिए। हां, मसाले जैसे काली मिर्च. अदरक, जीरा और मिर्च का सेवन इनके लिए फायदेमंद हो सकता है। हल्का गर्म भोजन इनके लिए अधिक फायदेमंद है।

धन्यवाद!