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मंगलवार, 12 जुलाई 2022

बरसात के दिनों में रोगो से बचने के 5 उपाय.in hindi 5 ways to avoid diseases during rainy

 #बरसात के दिनों में रोगो से बचने के 5 उपाय.in hindi

5 ways to avoid diseases during rainy days.

वर्षा ऋतुचर्या|Rainy season.



Dr.VirenderMadhan.

#वर्षा क्या है?

पानी वाष्पित होकर पृथ्वी के सतह से ऊपर उठता हैऔर ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं।



#बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)

- हवा अपने अंदर इकट्ठे पानी को ऊंचाई पर ले जाती है तो ठंडे जलवायु मे मिल जाती है और अपने अंदर का जमा हुआ पानी के भारी हो जाने पर उसे नीचे गिराने लगती है। जिसे बारिश या वर्षा कहते हैं।

#बरसात का शरीर पर बुरा प्रभाव क्या होता है?

- पतले दस्त, उल्टी होना, जी मचलाना, पेट फूलना, भोजन पश्चात दस्त, बुखार, पेट में रुक-रुक कर दर्द, कब्ज या बारी-बारी से दस्त, थकान, वजन का एकदम कम होना, भूख न लगना, अपच वायु-विकार इसके प्रमुख हैं। 

#बरसात में कौन कौन सी बीमारियां होती है?

- बरसात में होने वाली 5 बीमारियां ?

 मलेरिया - 

मलेरिया बरसात में होने वाली आम लेकिन गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो जलजमाव से पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होती है। ... 

 डेंगू - 

डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से ही फैलता है, लेकिन डेंगू फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, 

दस्त, हैजा ,अतिसार ,वायर फीवर,टायफाइड,

वातरोग, सन्धिवात, आमवात, लकुवा,अधरंग,

श्वास रोग,दुर्बलता, आदि रोग वर्षा ऋतु मे तीव्र हो जाते है।

#बारिश के दिनों में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

बरसात के मौसम में क्या खायें क्या न खायें?

वर्षा ऋतु में आदमी की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है इसीलिए हमें हल्का-फुल्का और सुपाच्य भोजन करना है।  तोरई ,लौकी ,भिंडी ,बैंगन ,मूली खा सकते हैं अदरक ,पुदीना इस्तेमाल करना चाहिए।

- ऐसी चीजों का सेवन करें जो वात को शांत करते हों। इसलिए पुराना अनाज जैसे गेहूँ, जौ, शालि और साठी चावल, मक्का (भुट्टा), सरसों, राई, खीरा, खिचड़ी, दही, मट्ठा, मूँग खाएं।

*हरी पत्तेदार (शाक)सब्जियां न खाएं

* बारिश के मौसम में पालक, मेथी, बथुआ, बैंगन, सरसों, गोभी, पत्ता गोभी जैसी पत्तेदार सब्जियां खाने से परहेज करना चाहिए. 

*इस मौसम में इनमें कीड़े मकौड़े और बैक्टीरिया पनपते हैं. इसलिए ताजा भोजन खायें

*ताजा फल खायें कटे रखे फल न खायें।

* ऑयली फूड और मसालेदार खाने से बचें।

बारिश के मौसम में पकोड़े और समोले खाने में मज़ा आता है, लेकिन ज़्यादा मसालेदार या ऑयली खाना खाने से पेट में ब्लोटिंग हो सकती है। 

 * बारिश के मौसम में पेट से जुड़ी बीमारियां आसानी से हो जाती हैं, क्योंकि उमस हमारे जठराग्नि को धीमा करती हैं।

* वर्षा ऋतु में कच्ची सब्ज़ियां खाना नही खानी चाहिए।

- कुछ सब्जि़यों में गंदगी के कारण बहुत अधिक मात्रा में रोगाणु होते हैं, जिससे जठर संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।   * इस मौसम में पका हुआ ताज़ा खाना ही खाएं। 

* सी-फूड खाने से भी बचें।

* हरी पत्तेदार सब्ज़ियां न खाएं

* वातकारक कोई भी भोज्य पदार्थ नही खाना चाहिए।

* नारियल पानी का सेवन करें। * काली चाय बनाकर पिएं।

* गुरु आयुर्वेदिक मसाला चाय पिएं।

* पानी की पुर्ति के लिए गर्म पानी और तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाना चाहिए। साथ ही आप मसाला चाय का आनंद भी ले सकते हैं। मसाला चाय में दालचीनी, तुलसी, अदरक, इलाइची जैसी चीज़ों का इस्तेमाल ज़रूर करें, ताकि संक्रमण से बचे रहें।

* साफ पानी ही पिएं।

* मसालों का इस्तेमाल करें । मसाले एंटी-सेप्टिक और एंटी-इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर होते हैं। 

* हल्दी, काली मिर्च और लौंग तेजपत्ता, दालचीनी जैसे मसाले भोजन मे प्रयोग करने से संक्रमणों से बचे रहेंगे।ज़ुकाम और खांसी का जोखिम भी कम होगा।

#वर्षा ऋतु में जीवनशैली ?

-शरीर की मालिश करें। 

- साफ सुथरे और हल्के कपड़े पहनें। 

- बारिश में भीग जाने पर तुरंत अपने कपड़ों को बदल लें। 

 - जहाँ अधिक हवा और नमी न हो ऐसे स्थान पर सोना चाहिए। 

-  भूख लगने पर ही भोजन करेंऔर ठीक समय पर ही करना चाहिए। 

- मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। 

-घर के आसपास खड्डों मे धास मे उनमें कीटनाशक छिड़क देना चाहिए। 

[रोगी होने पर अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरूर करें.]

धन्यवाद!



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