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शनिवार, 13 अगस्त 2022

बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी में.


#आयुर्वेदिकउपाय #Healthtips #ghareluillaj #bechonkawazan

 बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी में.

प्रश्न-बच्चों को खाया पीया नही लगता क्या करें?

प्रश्न-बच्चे का वजन कैसे बढ़ाएं   

प्रश्न-बच्चों की हेल्थ बनाने के क्या उपय है?

प्रश्न-क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

प्रश्न-क्या मेवा जैसे काजू और बादाम दें कर शिशु को स्वस्थ कर सकते है?

प्रश्न-क्या अण्डा और आलू शिशु का वजन बढ़ाने के लिए दे सकते है ?

प्रश्न-क्या मलाई वाला दूध पिलाकर बच्चे को मोटा कर सकते है?

इन सभी प्रश्नों का जवाब जानने के लिए पढें

By--Dr.VirenderMadhan.

इस प्रकार के प्रश्न हमसे रोज पुछे जाते है।

लेकिन सब से पहले बच्चे हेल्दी क्यों नही हो रहे है उनके कारण का पता करना चाहिए।

#बच्चों को खाया पीया न लगने के मुख्य कारण:-

लीवर का कमजोर होना।

समय पर भुख न लगना।

कुपोषण

बच्चों को हर समय कुछ न कुछ खिलाते रहना।

कोई बीमारी होना।

कारण का पता करने के लिए एक बार अपने चिकित्सक को जरूर दिखायें।

#क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

हां..अगर बच्चे का पाचन (डाइजेशन) ठीक है तो उसकी उम्र के अनुसार मक्खन दिया जा सकता है।

- शिशु का वजन, दाल का प्रोटीन बढ़ाता है दाल खिलायें।

- अगर बेबी का वजन नहीं बढ़ रहा है तो केला खिलायें।

- आप खिचड़ी, दाल, चावल में देसी घी डालकर बच्चों को खिला सकते हैं। 

- आप बच्चों को अरहर, मूंग दाल खिला सकते हैं।

-  केला खिलायें

केला पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिनी बी6 और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है।

-  दालें 

दालों में प्रोटीन, मैग्‍नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फाइबर और पोटैशियम होता है।

* कुछ अन्य वजन बढाने वाले पदार्थ:-

- मलाई सहित दूध, बच्चे का वजन अगर कम है तो उसे मलाई वाला दूध पिलाना सही माना जाता है। 

- अंडे 

अंडे प्रोटीन से भरपूर होते हैं। 

- आलू 

आलू वजन बढ़ाने के लिए उपयोगी होते हैं। 

- शकरकंद 

शकरकंद फाइबर, पोटेशियम, विटामिन ए,बी और सी से भरपूर होते हैं। 

- बच्चों को दही खिलायें।

समय पर भोजन कराये

समय पर बच्चे को सोने दे नीद भी स्वस्थ्य के लिऐ बहुत जरुरी होता है।

धन्यवाद!

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

अश्वगंधा शक्ति का खजानाऔर रोगों दुश्मन कैसे?हिन्दी में.

 #अश्वगंधा शक्ति का खजानाऔर रोगों दुश्मन कैसे?हिन्दी में.



अश्वगंधा क्या है?

अश्वगंधा (वानस्पतिक नाम: 'विथानिआ सोमनीफ़ेरा' - Withania somnifera) एक झाड़ीदार रोमयुक्त पौधा है। कहने को तो अश्वगंधा एक पौधा है, लेकिन यह बहुवर्षीय पौधा पौष्टिक जड़ों से युक्त है। अश्वगंधा के बीज, फल एवं छाल का विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इसे 'असंगध' एवं 'बाराहरकर्णी' भी कहते हैं।

- यह विदानिया कुल का पौधा है; विदानिया की विश्व में 10 तथा भारत में 2 प्रजातियाँ पायी जाती हैं।

- इसकी जड व पत्तों में बेशुमार गुण भरे होते है।

#अश्वगंधा और हमारा दिमाग:-

अश्वगंधा मस्तिष्क शामक है ।

प्राचीन काल से अश्वगंधा का प्रयोग व्यक्ति तनाव को दूर करने के लिए करता आया है. इसकी मदद से स्ट्रेस हार्मोन को कम किया जा सकता है.    *दिमाग तेज करने के लिए एक चम्मच अश्वगंधा का चूर्ण रात को सोने से 30 मिनट पहले गर्म दूध में डालकर पीएं. 

* अश्वगंधा का प्रयोग मूर्छा, भ्रमरोग,अनिद्रा मे करते है।

#अश्वगंधा और हमारा पाचनतंत्र:-

- यह दिपन, अनुलोमन, और कृमिनाशक है अतः इसका प्रयोग उदर रोग, कृमिनाशक के रूप मे प्रयोग करते है।

* अश्वगंधा रक्तवहसंस्थान पर रक्तभारशामक, रक्तशोधक और शोथहर का गुण रखता है।

*श्वसनसंस्थान पर कास, श्वास मे इसका चूर्ण, क्षार धृत आदि का प्रयोग करते है।



#अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए?

- एथलेटिक प्रदर्शन में लाभदायक होता है।

- यौन सुख बढ़ाने में मददगार है।

- इरेक्टाइल डिसफंक्शन में मदद करता है।

- प्रजनन क्षमता में वृद्धि करता है।

-शुक्राणु की गतिशीलता में वृद्धि करता है।

- शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में बृद्धि करता है।

- मांसपेशियों में सुदृढता लाता है।

#महिलाओं में अश्वगंधा का सेवन करने के क्या होता है?

1 - महिलाओं के सेक्सुअल फंक्शन में सुधार लाता है।

2 - मेनोपॉज के दौरान अश्वगंधा लाभकारी होता है।

3 - एंटी एजिंग के रूप में अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है।

4 - घुटनों के दर्द को कम करने में अश्वगंधा मददगार साबित होता है।

5 - थायराइड मे अश्वगंधा लेने से राहत होती है

6 - वेजाइनल इंफेक्शन होने पर अश्वगंधा का प्रयोग कारगर साबित होता है।

7 - फर्टिलिटी की समस्या मे इसका प्रयोग किया जाता है।

#अश्वगं

धा के फायदे और नुकसान:-

अश्वगंधा ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है।

अश्वगंधा कैंसर से लड़ने में सहायक होता है :

अश्वगंधा कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करता है

 अश्वगंधा तनाव दूर करता है अश्वगंधा एंग्जायटी दूर करता है अश्वगंधा पुरुषों में प्रजनन क्षमता बढ़ाता है।

#अश्वगंधा और दूध पीने से क्या होता है?

* अश्वगंधा और दूध का साथ में सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक रहता है।  

* दूध और अश्वगंधा के सेवन से आपकी हड्डियां मजबूत रहती हैं और शारीरिक कमजोरी भी दूर हो सकती है। इन दोनों को मिलाकर आप रात में पी सकते हैं। 

* इससे नींद भी अच्छी आती है।

#अश्वगंधा को कितने दिन तक खाना चाहिए?

* तनाव को कम करने के लिए आपको महीने भर तक रोजाना 500 से 600 एमजी अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए। 

* प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए आपको कम से कम तीन महीने तक 5 ग्राम अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए। 

* ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए आपको दिन में 250 एमजी अश्वगंधा लेना चाहिए।

#अश्वगंधा के साइड इफेक्ट क्या है?

-अश्वगंधा का अगर सही मात्रा और सही तरीके से सेवन न किया जाए तो यह नुकसान पहुंचा सकता है. 

 अश्वगंधा की तासीर गर्म होती है. इसलिए अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से यह गैस, अफरा, उलटी, दस्त, ज्यादा नींद आना जैसी समस्या पैदा कर सकता है

बुधवार, 10 अगस्त 2022

yoorik esid badhane ka kaaran, lakshan aur isako kantrol karane ke lie ghareloo upaay?In hindi.

 यूरिक एसिड|uric acid



यूरिक एसिड बढ़ने का कारण, लक्षण और इसको कंट्रोल करने के लिए घरेलू उपाय?

#yoorik esid badhane ka kaaran, lakshan aur isako kantrol karane ke lie ghareloo upaay?

*Causes, symptoms and home remedies to control the increase in uric acid?

#यूरिक एसिड

Dr.VirenderMadhan.

अक्सर 30-35 साल की उम्र से ज्यादा लोग uric acid से जूझ रहे हैं। 

यूरिक एसिड से जोड़ों का दर्द आजकल बहुत सुनने को मिलता है। 

 यूरिक एसिड शरीर में प्यूरिक एसिड के टूटने से बनता है। 

जो रक्त से किडनी तक पहुंचता है और यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। 

कई बार कुछ परेशानियों के कारण यूरिक एसिड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, जिससे शरीर में इसकी मात्रा ज्यादा बढ जाती है।

#यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में कितनी होनी चाहिये?

एक स्वस्थ्य महिला में यूरिक एसिड का नॉर्मल लेवल 2.4-6.0 mg/dl और 

पुरुषों में 3.4 – 7.0 mg/dl होता है। 

शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाने पर यह गठिया का कारण बनती है। इसके लक्षणों को पहचान कर सही समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

#यूरिक एसिड के लक्षण क्या क्या होते है?

- जोड़ों में दर्द होना।

- हाथों-पैरों में ऐंठन होना।

- उठने-बैठने में परेशानी होना।

- अंगों में सूजन होना।

- जोड़ो में हल्की-हल्की सूई जैसी चुभन होना।

#यूरिक एसिड बढ़ने का कारण

किडनी की बीमारी से यूरिक एसिड बढ़ सकता है

* मधुमेह[डायबिटीज] के कारण भी यूरिक एसिड बढ़ता है

* हाइपोथायरायडिज्म

* कैंसर या कीमोथेरेपी से भी यूरिक एसिड बढ सकता है।

* सोरायसिस, त्वचा रोग के कारण यूरिक एसिड बढ़ सकता है

*खान-पान में पोषक तत्वों की कमी होने पर यूरिक एसिड बढ सकता है।

*दवाइयों के ज्यादा सेवन से भी यह परेशानी हो जाती है।

*जरूरत से ज्यादा प्रोटीन खाने से रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढने लगती है।

*एक्सरसाइज या शारीरिक श्रम की कमी होने से भी शरीर में यूरिक एसीड बढ जाता है।

#यूरिक एसिड के घरेलू उपाय क्या है?

* अखरोट खायें

अखरोट में बहुत से पोषक तत्व जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन आदि मौजूद होते हैं, रोज सुबह खाली पेट 2-3 अखरोट खाने से यूरिक एसिड कंट्रोल हो जाता है।

* अश्वगंधा 

एक चम्मच शहद में अश्वगंधा चूर्ण मिलाएं। फिर इसे हल्के गर्म दूध के साथ खाएं। 

* यूरिक एसिड बढऩे पर शरीर में गांठ की तरह जमा होने लगता है इसके लिए

- 1 चम्मच बेकिंग सोडा को 1 गिलास पानी के साथ मिलाकर पीने से शरीर में बनी गांठ घुलने लगती है और यूरिक एसिड की कम होने लगता है।

* बथुवे का जूस:-

गठिया के बचाव करने के लिए सुबह खाली पेट बथुए के पत्तों का जूस निकाल कर पीएं। 

* अजवायन:-

खाने में अजवाइन का इस्तेमाल करने से यूरिक एसिड कम होता है। खाने में इस्तेमाल के अलावा, इसका पानी के साथ सेवन कर सकते है।

* चुकंदर और सेव:-

रोज चुकंदर और सेब का जूस पीएं। इससे शरीर का पीएच लेवल बढ़ता है और यूरिक एसिड कंट्रोल में रहता है। इनके अलावा गाजर का जूस भी फायदेमंद है।

* पानी की सही मात्रा:-

अधिक से अधिक पानी का सेवन करें क्योंकि इससे शरीर में बढ़ा हुआ यूरिक एसिड पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाता है।  

* नींबू:-

विटामिन सी यूरिक एसीड में बहुत लाभकारी है। नींबू को भोजन में शामिल जरूर करें। इसके अलावा विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन जरूर करें।

* लहसुन:-

लहसुन बढ़े हुए यूरिक एसिड की समस्या मे लाभदायक होता है। यदि रोजाना 3-4 लहसुन की कलियों का खाली पेट सेवन किया जाए तो यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर से छुटकारा पाया जा सकता है।

* शरीर में मोटापे के कारण चर्बी अधिक जमा होती है। जिससे यूरिक एसिड ज्यादा रहती है। इसलिए अपने वजन को कंट्रोल रखें ।

#यूरिक एसिड के घरेलू उपाय?

- हाई फायबर फूड जैसे ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राईस (ब्राउन चावल) खाने से उसका लेवल कम हो जाएगा। -बेकिंग सोडा के सेवन से भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए एक चम्मच बेकिंग सोडा को एक गिलास पानी में मिलाएं। अब इस मिश्रण के 8 गिलास रोजाना पीएं।

#यूरिक एसिड है तो क्या खायें क्या न खायें?

- बेकरी प्रोडक्टस का सेवन न करें।

- प्रोटीन वाले आहार बन्द करें 

- एल्कोहल से दूर रहें।

- फास्ट फूड व डिब्बा बंद भोजन न खाएं।

- मछली व मीट से दूरी बनाएं।

* गेहूं, ज्वार, बाजरा से बनी रोटियां और चावल के साथ आप आलू या कद्द की सब्जी ले सकते हैं। कम मात्रा में लाल दाल भी खा सकते हैं। 

सलाद - खीरा और गाजर अधिक मात्रा में खाएं। इससे भी आपका यूरिक एसिड कम होगा।

अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

धन्यवाद!

गुरुवार, 4 अगस्त 2022

psoriasis||सोरायसिस क्या रोग है?In hindi.

 psoriasis||सोरायसिस क्या रोग है?In hindi.

#What is psoriasis?In hindi.



सोरायसिस यह त्वचा की एक बहुत आम बीमारी है। इसमें त्वचा कोशिकाओं की अत्यधिक बढ़त होती है जिससे मोटी पपड़ी जम जाती है। ये दाग अलग-अलग साइज़ के हो सकते हैं और यह अधिकतर घुटनों, कोहनियों, खोपड़ी, हाथों, पैरों और पीठ पर आते हैं।

#सोरायसिस की क्या पहचान है?

What is the hallmark of psoriasis

- छोटे-छोटे उभार जिनमें मवाद भरी होती है और जिनके चारों ओर त्वचा लाल हो जाती है, लाल रंग के दाग जिनके चारों ओर पपड़ी जमी होती हैं । सोरायसिस पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है। यह सभी उम्र के लोगों को हो सकता है। महिलाओं को  सोरायसिस कम उम्र में हो जाती है।यह रोग करीबी रिस्तेदारो मे देखा जाता है।

 जबकि यह बीमारी संक्रामक नहीं होती , इस बीमारी से ग्रस्त लोग अधितकर अलग-थलग पड़ जाते हैं और समाज से कट जाते हैं।

#सोरायसिस के लक्षण क्या है?



What are the symptoms of psoriasis?

- त्वचा में सुखापान (Dryness) आ जाते है। जिसकी वजह से त्वचा में दरारें (Fissures) पड़ने लगती है।

त्वचा छिलने (Peeling) लगती है।

- त्वचा में लाल के चकत्ते (Rashes) बन जाते है ।

- शरीर में सफेद कलर की मोटी परत जमने लगती है।



- सोरायसिस जहां पर होता है वहां पर खुजली के साथ-साथ दर्द भी होता है।

- इन चकत्तों में लालपन (Redness) होने लगता है।

- यह लाल रंग के चकत्ते ज्यादातर घुटने और कोहनी के बाहरी भागों में होते है।

- सोरायसिस त्वचा के साथ-साथ नाखूनों को भी प्रभावित करता है।



- त्वचा की चमड़ी की मोटाई (Thickness) कम होने लगती है।

#सोरायसिस क्यों होता है?

Why does psoriasis happen?

सोरायसिस के कारण

 - ठंडा और सूखा पर्यावरण, त्वचा के जख्म, तनाव और चिंता, 

- कुछ संक्रमण जैसे (टोंसिलाइटिस या फंगल इन्फेक्शन ), और कुछ एंटी-इन्फेलेमेटरी दवाएं,   

- धूम्रपान, और शराब। 

 इस रोग के सही कारण अभी अज्ञात है

#5 home remedies for psoriasis.

सोरायसिस के 5 घरेलू उपाय:-

1- अर्कादि लेप

2- तक्रघारा

3-नीम तैल

4-अलसी बीज या सन बीज

5-आयुर्वेदिक एंटीइंफ्लेमेटरी द्रव्य

1-अर्कादि लेप:-

आक की सुखी लकड़ी-50ग्राम

चन्दन--10 ग्राम

नीम की छाल - 50 ग्राम

बबुल की छाल -50ग्राम

नारियल का। तैल 100 ग्राम

आक का दूध 20-25 बूंद

इन सब को अच्छी तरह मिला कर भूसे मे 15 दिनों के लिए दबा दे बाद मे निकाल कर रोग ग्रस्त जगह पर लगायें. 

लेप लगाने के बाद 2 घण्टे बाद स्नान कर लें।

2-तक्रघारा:-

आयुर्वेद में इस विधि मे त्वकरोग नाशक औषधियों से सिद्ध छाछ का प्रयोग कुछ दिनों तक करते है।रोग को आराम मिलता है।

3-नीम का तैल;-

नीम के तैल का प्रयोग प्रभावित जगह पर करने से अनेकों त्वकरोग मे आराम मिलता है।तथा सोरायसिस भी ठीक हो जाता है लेकिन इसका प्रयोग लम्बे समय तक करना पड़ता है।

4- अलसी के बीज या सन के बीज:-

इन बीजों को भुनकर खाने से कुछ समय में सोरायसिस मे लाभ मिलता है तथा पूरी त्वचा साफ हो जाती है।

5-आयुर्वेदिक शोथहर द्रव्यों का प्रयोग:-

जीरा, अदरक,जैतून का तैल,जैतून के बीज,जामुन, चेरी,सैमन,नटस आदि का खुब प्रयोग करें

 सोरायसिस के इलाज के लिए कुछ अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।जैसे

मुसब्बर (एलोवेरा),

 ब्लैक नाइटशेड,

 बोसवेलिया, या लोबान

 लहसुन,

 गुग्गुल,

 चमेली के फूल का पेस्ट,

 नीम,

 नोट:-

[आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को अपने आहार में शामिल करने से पहले लोगों को अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।]

- नारियल या जैतून के तेल जैसे प्राकृतिक सुखदायक तेल लगाने से त्वचा को कोमल बनाने और सोरायसिस की खुजली और परेशानी से राहत पाने में मदद मिल सकती है।

#सोरायसिस मे क्या न खायें?

एलोपैथी की एंटीइंफ्लेमेटरी दवा न ले रोग बढने के खतरे होते है।

विरूद्ध आहार न लें जैसे मिल्कसेक और दही,मूली और दूध,मछली और दूध,नमकीन और दूध,आदि

तली हुई, बासी भोजन, तेज मसाले,खटाई से परहेज करें.

धन्यवाद!

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

हिलते दांतों के 6 घरेलू उपाय.in hindi. घर पर ही आप अपने हिलते दांतों को इन 6


</> क्या हम आयुर्वेद और घरेलू उपाय का उपयोग करके हिलते हुए दांतों को ठीक सकते हैं?  हिंदी में

can we remove moving teeth using ayurveda and gharguti upay? in hindi

हिलते दांत|moving teeth

Dr.VirenderMadhan.

#हिलते दांतों के 6 घरेलू उपाय.in hindi.

घर पर ही आप अपने हिलते दांतों को इन 6 घरेलू नुस्खों से ठीक कर सकते हो.

1- नमक और सरसों का तेल:-

नमक और सरसों के तेल दांतों को साफ करने का हमारे बुजुर्गों का देसी उपाय है.

नमक और सरसों दांतों की सफाई करके दांतों को मजबूत बनाता है और साथ ही दांतों का पीलापन भी दूर करता है. आधा चम्मच नमक में कुछ बूंद सरसों के तेल की मिलाएं और इससे हफ्ते में 2-3 बार दांतो को साफ करें.

#हिलने वाले दांतों का इलाज-

2-काली मिर्च और हल्‍दी:-

इन दोनों से दांतों की जड़े मजबूत हो जाती है. इसके लिए आपको काली मिर्च और हल्‍दी का गाढ़ा पानी या तैल मे पेस्‍ट बनालें. पेस्ट को हिलते दांत वाली जगह पर 30 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें. इससे आपके दांतों का दर्द भी दूर हो जाएगा और दांत हिलना भी बंद हो जाएग. इसको आप कुछ दिनों तक करते रहे।

#दांतों के हिलने की दवा है 

 3-आंवला पाउडर

आंवला दांतों को मजबूत बनाता हैं। एक चम्‍मच आंवले का पाउडर लें और उसे एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्‍ला करें। दिन में एक बार जरूर करें. इससें दांत हिलना बन्द हो जायेगे.

#हिलते दांत और पुदीने का तैल.

4- पुदीना का तेल :

यह दांतों के हिलने की परेशानी को भी दूर करता है। तेल को उंगली में लेकर हिलते दांत पर अच्‍छे से लगाकर मसाज करें। इसके अलावा राहत पाने के लिए तेल को पानी में मिलाकर इसे कुल्‍ला कर सकते है.

#हिलते दांत और अमरूद की पत्तियां :

5-अमरूद की पत्तियों से भी ईलाज किया जा सकता है। ये पत्तियां चबाने से दांत मजबूत होते हैं। 

-अमरुद की साफ पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें और पेस्ट से रोज दांतों पर मलें। इससे दांतों की सेंसिटिविटी भी दूर होती है और मुंह के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।

#घरेलू उपाय है लहसुन

6- लहसुन का पेस्ट

कई बार संक्रमण की वजह से आपका दांत हिलने लगा है तो उस जगह पर लहसुन का पेस्ट लगाने से धीरे-धीरे हानिकारक बैक्टीरिया नष्‍ट हो जाएंगे. लहसुन की पतली कलियां काट लें और उसे प्रभावित मसूड़े एवं गाल के अंदर लगाएं. इसे कुछ समय के लिए लगा रहने दें. आपको ऐसा दिन में 2 बार करना है.

धन्यवाद।

रविवार, 31 जुलाई 2022

सौफ खाने से पहले जाने|क्या होगा सौफ खाने के बाद?In hindi.


 सौफ खाने से पहले जाने|क्या होगा सौफ खाने के बाद?In hindi.

सौंफ क्या है?

Dr.VirenderMadhan.

#सौफ को किस किस नाम से जानते है लोग?

-शतपुष्पा,मधुरा,कारवी,मिसि,शतछत्रा,शालीन आदि सौफ के नाम है।

#सौफ के आयुर्वेदिक गुण क्या है ?

इसके गुण सोया के समान है।सौफ हल्की, तीक्ष्ण, पित्तकारक, दीपन,चरपरी, गर्म

ज्वर,व्रण,शूल,तथा नेत्रों के हितकारी है।

यह मधुर,स्निग्ध होने से वात तथा शीत होने से पित शामक है।

यह मेध्य, तथा दृष्टि बृर्द्धक है।यह तृष्णाहर है।वमन को ठीक करनेवाली है।यह दीपन,और पाचन है यानि भुख बढाती है तथा भोजन को पचाती है।

#सौफ दिल के मरीजों के लिये कैसी है?

यह हृद्य तथा रक्तप्रसादन है।अर्थात हृदय के लिये लाभकारी तथा रक्त को साफ करने वाला है।

-कफनिसारक है कफ को बाहर निकलने वाला है।

यह मूत्रल है यानि पेसाब को साफ करने वाला है मूत्रकृच्छ को ठीक करने मे सहायक है।

यह स्त्रियों में दूध बढाने वाला है।

यह पसीना लाने वाला होता है।इसलिए ज्वर मे तथा दाह मे लाभदायक है।

यह मस्तिष्क दौर्बल्यता को नष्ट करता है।

#खाना खाने के बाद सौफ खाने से क्या होता है?

खाना खाने के बाद सौफ खाने से-

सौफ दृष्टि को बढाता है।

सौफ खाने से आग्निमांध,उदरशूल,आध्यमान(अफारा)को दूर करनेवाला होता है।

प्रवाहिका मे सौफ खाने से आमदोष बाहर निकल जाता है।अनुलोमन होने के कारण पेट की मरोड़ ठीक करता है।

यह अर्श (बवासीर) मे भी काम करती है।

यह शुक्र बृद्धि करती है।

यह रक्तविकारों मे,कास,श्वास मे भी लिया जाता है।

सौफ को चर्मरोगों मे,कमजोरी मे,क्षयरोग मे उपयोगी पाया है।

#सौफ के प्रयोज्य अंग:-

सौंफ के फल,तैल,मूल प्रयोग में आते है।

#सौफ की मात्रा:-

फल चूर्ण-3-6 ग्राम, तैल 5-10 बूंदें, ली जाती है।

#विशिष्ट योग:-

शतपुष्पादि चूर्ण, शतपुष्पार्क।

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

बरसात के मौसम में न करें ये 9 गलतियों..In hindi

 बरसात के मौसम में न करें ये 9 गलतियों..In hindi.



वर्षा ऋतु

Dr.VirenderMadhan.

#बरसात के मौसम में क्या खाना तथा क्या नहीं खाना चाहिए?

आगे पढे 9 गलतियां जो हमें वर्षा ऋतु में नही करनी चाहिए अन्यथा होंगी बडी बडी बीमारियां.

#क्या होता है वर्षा ऋतु मे?

भारी गर्मी और लू के बाद बरसात का मौसम आता है। माहौल में चारों ओर नमी रहती है, मगर जब बारिश नहीं हो होती तो धूप बेहद तेज हो जाती है और उमस बढ़ जाती है। इस मौसम में हवा और पानी दोनों प्रदूषित हो जाते हैं। आप गौर करें, पानी के स्‍वाद और उसकी महक में भी बदलाव आ जाता है। बारिश के चलते धरती से गैस निकलती है और पानी में एसिड बढ़ जाता है।

#आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु के गुण क्या हैं?

हर एक ऋतु में तीन दोषों (वात,पित्त,कफ)मे से एक दोष संचित होता है और एक दोष कुपित होता है जिसके कारण रोग उत्पन्न होते है।

वर्षा ऋतु में जो वात गर्मीयों मे संचित होता है वह कुपित होकर वात रोग उत्पन्न करने लगता है.

वर्षा ऋतु मे पित्त संचित होता है जो अगली ऋतु मे कुपित होकर रोग उत्पन्न करेगा.

वर्षा ऋतु मे हाजमे की ताकत काफी कमजोर हो जाती है।यानि पाचक अग्नि मंद हो जाती है।

#वर्षा ऋतु मे कौन कौन से रोग होते है?

वर्षा ऋतु मे वात का प्रकोप स्वभाविक रूप से होता है क्योंकि वतावरण मे नमी रहती है। इस से वात प्रकोप के कारण वर्षा ऋतू मे, पेट मे गैस, अपच, जोड़ो मे एवं सिर मे दर्द की शिकायत बहुत होती है।

- पेचिश और डायरिया 

 पेचिश और डायरिया जैसे रोग पैदा होते हैं। पेट में गैस ज्‍यादा बनती है और पेट फूलने लगता है। 

#वायरल फीवर – Viral Fever

वायरल फीवर बारिश के मौसम की सबसे आम समस्या है। बरसात के मौसम ( varsha ritu ) में सर्दी – जुकाम , खांसी , हल्का बुखार और हाथ पैरो में दर्द या सिर में दर्द आदि ये सब वायरल इंफेक्शन से होते है.

-पानी वाली , ठंडी हवा से , तापमान परिवर्तन नींद पूरी न होने आदि के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। इससे हवा में फैले वायरस या दूषित और अशुध्द खाने पीने के सामान आदि के कारण वायरल फीवर हो जाता है।वायरल बुखार के लक्षण महसूस होने लग जाते है।

#दस्त , हैजा  – Diarrhea , Cholera

दस्त लगने की समस्या अक्सर बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु ) में हो जाती है। ये दूषित खाने पीने के सामान या गंदा पानी पीने से होता है। इस मौसम में ई-कोलाई , साल्मोनेला , रोटा वायरस , नोरा वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है। जिसके कारण पेट व आँतों में सूजन और जलन होकर उल्टी दस्त आदि की शिकायत हो जाती है।

#मलेरिया – Malaria

तेज कंपकंपी छूटने के साथ तेज सिरदर्द और तेज बुखार ये सब मलेरिया के लक्षण है। कंपकंपी बहुत तेज होती है।

#पीलिया – Jaundice

यदि हल्का हल्का बुखार आता हो। भूख नहीं लगती हो। खाना देखने या मुँह में रखने से उबकाई आती हो। पेशाब गहरे पीले रंग का आता हो। थकान रहती हो। नींद बहुत आती हो। आंखें और नाखून पीले दिखते हो तो ये पीलिया रोग होता है। बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु ) में इस रोग के होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

#स्किन की समस्या – Skin Problems

बारिश ( Barish ) के मौसम में नमी बने रहने के कारण बैक्टीरिया आसानी से पनपते है। इसलिए त्वचा पर कई तरह के इंफेक्शन होने की सम्भावना होती है।

- वर्षा ऋतु में त्वचा पर फोड़े , फुंसी , दाद , खाज , घमोरियां  , रैशेज , फंगल इंफेक्शन आदि सकते है। पसीना ज्यादा आने के कारण भी स्किन पर घमोरियां आदि जाती है।

#वर्षा ऋतु मे वात रोग?

वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार, प्रवाहिका, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की संभावना रहती है

- वर्षा ऋतु मे वात के साथ पित्त, कफ भी सहयोग कर अनेक रोगो को उत्पन्न करने लगते है. जैसे

दमा, कास,ज्वर,अतिसार, प्रवाहिका,

पैरालिसिस, जोडो के रोग,हड्डियों के रोग आदि उत्पन्न होते है.

#वर्षा ऋतु में न करें ये 9 गलती.

1-वात,पित्तबर्द्धक आहार न करे जैसे कढी,मठर,राजमा,उडद, गोभी न खायें।

2-अधिक देर तक स्नान न करे. पानी में अधिक देर तक न रहे. न ही अधिक देर तक बारिश में न रहें.

3- खुले आसमान मे रात मे न सोयें. ओस का सेवन न करें.

4-कुछ रोगी, बालक,70 साल से बडे वृद्ध व्यक्ति को छोड़ कर दिन मे न सोये.

5-नंगे पैर न रहे शरीर पर हल्का कपडा जरूर पहनने.

6-रात मे कभी छाछ,दही का प्रयोग न करें।

7-फ्राईड चीज ,पैकिंग किये हुए भोजन न करें. बाजार की मिठाई,कटे हुऐ फल,सब्जियों न खायें.

8-एसी,कुलर मे पानी भरकर न चलाये.

9-मच्छरों से बचने के लियें केवल मच्छरदानी का ही प्रयोग उत्तम है.


#वर्षा ऋतु में क्या न खाये?

वर्षा ऋतु में स्वस्थ रहने के लिए  

- चने की दाल, मोठ, उड़द, मटर, मसूर, मक्‍का, 

- आलू, कटहल,मटर,गोभी, जैसी भारी और गैस बनाने वाली चीजें नहीं खानी चाहिएं। - रुखा और बासी खाना भी न खाएं। पत्‍तेदार सब्‍जियों के साथ दही का इस्‍तेमाल न करें। - रात के वक्‍त दही या छाछ न पिएं। 

- जैम, मुरब्‍बा, अचार, कलौंजी से बचें। 

- दिन के समय सोना नहीं चाहिए और 

-ज्‍यादा मेहनत नहीं करनी चाहिए। 

#बारिश के मौसम में क्‍या खाएं?

-ऐसा खाना खाएं जो आराम से पच जाता हो जो सुपच हो।  -सब्‍जियों में तोरी, लौकी, टमाटर, भिंडी, प्‍याज, पुदीना ले सकते हैं। 

- फलों में अनार, सेब, केला, आडू आदि खाएं। 

- खाने में गेहूं, चावल, जौ, मूंग की दाल, खिचड़ी, दही, लस्‍सी ले सकते हैं। खाने में काली मिर्च, धनिया, अदरक, हींग आदि डालें। अगर चौलाई मिले तो जरूर खाएं। 

- बरसात में नॉन वेज नहीं खाना चाहिए।

अपने आहार मे शामिल करें:-

1. साफ-सुथरा पानी खूब पिए।

​2. दलिया

3.मिक्स आटे की रोटियां

​4.ताजे फल

​5.खट्टे फलों का सेवन

​6.नींबू की चाय

7.​ताजी सब्जियां

8.​बिल,मौसमी,पुदीना आदि का जूस

9.​गरम सूप

10.​घर पर बना हुआ चटपटा आहार

धन्यवाद!