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मंगलवार, 26 जुलाई 2022

बरसात के मौसम में न करें ये 9 गलतियों..In hindi

 बरसात के मौसम में न करें ये 9 गलतियों..In hindi.



वर्षा ऋतु

Dr.VirenderMadhan.

#बरसात के मौसम में क्या खाना तथा क्या नहीं खाना चाहिए?

आगे पढे 9 गलतियां जो हमें वर्षा ऋतु में नही करनी चाहिए अन्यथा होंगी बडी बडी बीमारियां.

#क्या होता है वर्षा ऋतु मे?

भारी गर्मी और लू के बाद बरसात का मौसम आता है। माहौल में चारों ओर नमी रहती है, मगर जब बारिश नहीं हो होती तो धूप बेहद तेज हो जाती है और उमस बढ़ जाती है। इस मौसम में हवा और पानी दोनों प्रदूषित हो जाते हैं। आप गौर करें, पानी के स्‍वाद और उसकी महक में भी बदलाव आ जाता है। बारिश के चलते धरती से गैस निकलती है और पानी में एसिड बढ़ जाता है।

#आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु के गुण क्या हैं?

हर एक ऋतु में तीन दोषों (वात,पित्त,कफ)मे से एक दोष संचित होता है और एक दोष कुपित होता है जिसके कारण रोग उत्पन्न होते है।

वर्षा ऋतु में जो वात गर्मीयों मे संचित होता है वह कुपित होकर वात रोग उत्पन्न करने लगता है.

वर्षा ऋतु मे पित्त संचित होता है जो अगली ऋतु मे कुपित होकर रोग उत्पन्न करेगा.

वर्षा ऋतु मे हाजमे की ताकत काफी कमजोर हो जाती है।यानि पाचक अग्नि मंद हो जाती है।

#वर्षा ऋतु मे कौन कौन से रोग होते है?

वर्षा ऋतु मे वात का प्रकोप स्वभाविक रूप से होता है क्योंकि वतावरण मे नमी रहती है। इस से वात प्रकोप के कारण वर्षा ऋतू मे, पेट मे गैस, अपच, जोड़ो मे एवं सिर मे दर्द की शिकायत बहुत होती है।

- पेचिश और डायरिया 

 पेचिश और डायरिया जैसे रोग पैदा होते हैं। पेट में गैस ज्‍यादा बनती है और पेट फूलने लगता है। 

#वायरल फीवर – Viral Fever

वायरल फीवर बारिश के मौसम की सबसे आम समस्या है। बरसात के मौसम ( varsha ritu ) में सर्दी – जुकाम , खांसी , हल्का बुखार और हाथ पैरो में दर्द या सिर में दर्द आदि ये सब वायरल इंफेक्शन से होते है.

-पानी वाली , ठंडी हवा से , तापमान परिवर्तन नींद पूरी न होने आदि के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। इससे हवा में फैले वायरस या दूषित और अशुध्द खाने पीने के सामान आदि के कारण वायरल फीवर हो जाता है।वायरल बुखार के लक्षण महसूस होने लग जाते है।

#दस्त , हैजा  – Diarrhea , Cholera

दस्त लगने की समस्या अक्सर बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु ) में हो जाती है। ये दूषित खाने पीने के सामान या गंदा पानी पीने से होता है। इस मौसम में ई-कोलाई , साल्मोनेला , रोटा वायरस , नोरा वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है। जिसके कारण पेट व आँतों में सूजन और जलन होकर उल्टी दस्त आदि की शिकायत हो जाती है।

#मलेरिया – Malaria

तेज कंपकंपी छूटने के साथ तेज सिरदर्द और तेज बुखार ये सब मलेरिया के लक्षण है। कंपकंपी बहुत तेज होती है।

#पीलिया – Jaundice

यदि हल्का हल्का बुखार आता हो। भूख नहीं लगती हो। खाना देखने या मुँह में रखने से उबकाई आती हो। पेशाब गहरे पीले रंग का आता हो। थकान रहती हो। नींद बहुत आती हो। आंखें और नाखून पीले दिखते हो तो ये पीलिया रोग होता है। बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु ) में इस रोग के होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

#स्किन की समस्या – Skin Problems

बारिश ( Barish ) के मौसम में नमी बने रहने के कारण बैक्टीरिया आसानी से पनपते है। इसलिए त्वचा पर कई तरह के इंफेक्शन होने की सम्भावना होती है।

- वर्षा ऋतु में त्वचा पर फोड़े , फुंसी , दाद , खाज , घमोरियां  , रैशेज , फंगल इंफेक्शन आदि सकते है। पसीना ज्यादा आने के कारण भी स्किन पर घमोरियां आदि जाती है।

#वर्षा ऋतु मे वात रोग?

वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार, प्रवाहिका, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की संभावना रहती है

- वर्षा ऋतु मे वात के साथ पित्त, कफ भी सहयोग कर अनेक रोगो को उत्पन्न करने लगते है. जैसे

दमा, कास,ज्वर,अतिसार, प्रवाहिका,

पैरालिसिस, जोडो के रोग,हड्डियों के रोग आदि उत्पन्न होते है.

#वर्षा ऋतु में न करें ये 9 गलती.

1-वात,पित्तबर्द्धक आहार न करे जैसे कढी,मठर,राजमा,उडद, गोभी न खायें।

2-अधिक देर तक स्नान न करे. पानी में अधिक देर तक न रहे. न ही अधिक देर तक बारिश में न रहें.

3- खुले आसमान मे रात मे न सोयें. ओस का सेवन न करें.

4-कुछ रोगी, बालक,70 साल से बडे वृद्ध व्यक्ति को छोड़ कर दिन मे न सोये.

5-नंगे पैर न रहे शरीर पर हल्का कपडा जरूर पहनने.

6-रात मे कभी छाछ,दही का प्रयोग न करें।

7-फ्राईड चीज ,पैकिंग किये हुए भोजन न करें. बाजार की मिठाई,कटे हुऐ फल,सब्जियों न खायें.

8-एसी,कुलर मे पानी भरकर न चलाये.

9-मच्छरों से बचने के लियें केवल मच्छरदानी का ही प्रयोग उत्तम है.


#वर्षा ऋतु में क्या न खाये?

वर्षा ऋतु में स्वस्थ रहने के लिए  

- चने की दाल, मोठ, उड़द, मटर, मसूर, मक्‍का, 

- आलू, कटहल,मटर,गोभी, जैसी भारी और गैस बनाने वाली चीजें नहीं खानी चाहिएं। - रुखा और बासी खाना भी न खाएं। पत्‍तेदार सब्‍जियों के साथ दही का इस्‍तेमाल न करें। - रात के वक्‍त दही या छाछ न पिएं। 

- जैम, मुरब्‍बा, अचार, कलौंजी से बचें। 

- दिन के समय सोना नहीं चाहिए और 

-ज्‍यादा मेहनत नहीं करनी चाहिए। 

#बारिश के मौसम में क्‍या खाएं?

-ऐसा खाना खाएं जो आराम से पच जाता हो जो सुपच हो।  -सब्‍जियों में तोरी, लौकी, टमाटर, भिंडी, प्‍याज, पुदीना ले सकते हैं। 

- फलों में अनार, सेब, केला, आडू आदि खाएं। 

- खाने में गेहूं, चावल, जौ, मूंग की दाल, खिचड़ी, दही, लस्‍सी ले सकते हैं। खाने में काली मिर्च, धनिया, अदरक, हींग आदि डालें। अगर चौलाई मिले तो जरूर खाएं। 

- बरसात में नॉन वेज नहीं खाना चाहिए।

अपने आहार मे शामिल करें:-

1. साफ-सुथरा पानी खूब पिए।

​2. दलिया

3.मिक्स आटे की रोटियां

​4.ताजे फल

​5.खट्टे फलों का सेवन

​6.नींबू की चाय

7.​ताजी सब्जियां

8.​बिल,मौसमी,पुदीना आदि का जूस

9.​गरम सूप

10.​घर पर बना हुआ चटपटा आहार

धन्यवाद!





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