Guru Ayurveda

शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

Shatavari|शतावरी|Asparagus racemosus,परिचय, गुण,उपयोग हिंदी में.

 Shatavari|शतावरी|Asparagus racemosus,परिचय, गुण,उपयोग हिंदी में.




शतावरी|Asparagus racemosus,

By:- DrVirenderMadhan.

#शतावरी क्या है?

शतावरी बेल या झाड़ (shatavari plant) के रूप वाली शतावरी एक जड़ी-बूटी है। 

-- इसकी जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी, एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं।

- जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।

- एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं। 

- इन जड़ों के ऊपर से छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। जड़ों के बीच में कड़ा धागे के समान रेशा होता है।

- शतावरी एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी है जो शरीर को भावनात्मक और शारीरिक तनाव से निपटने में मदद करती है। 

#शतावरी के नाम :-

- शतावरी अनगिनत नामों से जाना जाता है।

 जैसे शतावरी रेसमोसस, बहुसुता,भीरू, सतावरी, सतावर,इन्दीबरी,बरी,नारायणी, शतपदी,शतमूली आदि। 

- शतावरी का उपयोग मुख्य रूप से यौन समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। 

#शतावरी के आयुर्वेदिक गुण:-

- शतावरी भारी,शीतल, कडवी मधुर, रसायन,बुद्धि के लिए उत्तम होता है।अग्नि बर्द्धक, नेत्रों के लिए हितकारी होती है।वीर्यवर्धक,दूधबढाने वाली होती है।बलदायक,गुल्म,अतिसार वात,पित्त, रक्तविकार, तथा शोथ नाशक होती है।हृदय को ताकत देने वाली होती है।



#शतावरी कब लेना चाहिए?

 शतावरी का सेवन रात को सोने से डेढ़ घंटे पहले कर सकते हैं। 

- शतावरी के चूर्ण को  गर्म दूध में हल्दी मिलाकर भी पी सकते हैं। 

- दूध में पके घी को मिलाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।

#शतावरी कितने दिन तक खाना चाहिए?

#अश्वगंधा और शतावरी कितने दिन तक खाना चाहिए? 

- रोजाना रात में सोते समय अथवा सुबह में नाश्ते के वक्त दूध में शतावरी और अश्वगंधा चूर्ण को मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से 6 हफ्ते में वजन बढ़ जाता है। इसके अलावा अपनी डाइट में प्रोटीन युक्त चीजों का अधिक से अधिक सेवन करें।

- शतावरी ( Asparagus Racemosus ) खाने में मधुर व तासीर ठंडी होती है। यह एंटीऑक्सीडेंट युक्त है और वात, पित्त कम करती है।

#प्रयोज्य अंग:-

मूल,पत्ते, अंकुर ।

#मात्रा:-

मूल,मूलस्वरस--1 से 2 ग्राम।

गुरुवार, 22 सितंबर 2022

आधासीसी Migraine का दर्द क्या होता है?In hindi.

 Migraine headache|आधाशीशी का दर्द|आधे सिर का दर्द,in hindi.



 #आधासीसी Migraine का दर्द क्या होता है?In hindi.

By:-DrVirenderMadhan.

[आधासीसी Migraine]

 #माइग्रेन (आधासीसी) इसे सुर्यावर्त्त, अर्धावभेदक नाम से भी आयुर्वेद में जाना जाता है।यह अधिकतर 15-20साल की युवतियों मे मध्यायु तक मिलता है।और इसमें सिर दर्द हफ्तों से लेकर महिनों रह जाता है।यह आधे सिर मे होता है कभी कभी यह पुरे शिर मे गर्दन तक हो जाता है।

#आधा सिर दर्द होने का कारण क्या है?

मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों मे रक्तभार बढ जाने से या उसके आसपास के अवयवों मे शोफ होने पर,अवभेदक सिरदर्द की उत्पत्ति हो जाती है।

क्रोध, चिंता, मानसिक व शारिरिक थकान अथवा आंखों के अधिक थक जाने से

अजीर्ण होने, या विष खाये जाने से,अथवा किसी संक्रमण से, मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों पर दबाव से सिरदर्द होने लगता है।

यह रोग स्त्रियों में प्रसवकाल मे या रजोनिवृत्ति के समय मिलता है जो स्त्री अधिक उपवास करती है ।चिंता करती रहती है उन मे आधाशीशी का दर्द मिलता है

कुछ लोगों मे पैत्रिक रूप से होता है।

मूत्ररोग, नेत्ररोग, धातु रोग, रक्तविकार, कुपच,कब्ज,टूयूमर,कैंसर आदि रोगों के कारण भी माईग्रेन हो जाता है।

#माईग्रेन के लक्षण क्या क्या होते है?



सिर में बार-बार होने वाला दर्द है जो खासकर सिर के आधे हिस्से को प्रभावित करता है। माइग्रेन होने पर मतली, उल्टी और प्रकाश तथा ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा देता है। इसके आक्रमण की अवधि कुछ घंटों से लेकर कई दिनों की हो सकती है।

- माइग्रेन की स्थिति में सिर में बहुत तेज दर्द होता है, जो सिर के एक या दोनों ओर हो सकता है. मतलब आसान शब्दों में  माइग्रेन का दर्द ऐसा होता है जैसे सिर पर कोई जोर से हथौड़ा मार रहा हो।

- प्रकाश, आवाज या गंध के प्रति संवेदनशील होना.

- थकान रहना.

-भोजन की लालसा या भूख की कमी.

- मनोदशा में बदलावहोना।

- कब्ज या दस्तहोना।

#घरेलू अनुभूत प्रयोग

#आधेशिर दर्द का घरेलू ईलाज कैसे करें?

- तिलतैल मे कुछ नमक मिलाकर (नस्य) नाक मे डालने से आधाशीशी मे आराम मिलता है।

-कागजी नींबू की 2 बूंद नाक मे डालने से आराम मिलता है।

-चुकन्दर की जड का रस 2-3 बूंद नाक मे टपकाने से आधाशीशी ठीक हो जाती है।

- मठ्ठा, भात,मिश्री मिलाकर कर सुर्योदय से पहले 4-5 दिन तक खाने से से माईग्रेन ठीक हो जाती है।

- 4-5 नीम की पत्तियों के रस मे 1 चुटकी चूना मिला कर 3-4 बूंद कान मे टपकाने से माईग्रेन ठीक हो जाता है।

- नारियल का पानी की कुछ बूंद नाक मे टपकाने से आधाशीशी का दर्द ठीक हो जाता है।

-समुंद्रफल की बकरी के मूत्र में पीसकर सुंघाने से से आधाशीशी मे आराम हो जाता है।

-सिरस के बीज का चूर्ण सुंघाये तो रोगी ठीक हो जाता है।

- सौठ को पानी में पीसकर ललाट पर लेप करें आधाशीशी ठीक हो जाता है।

- हरड की गुठली पीस कर मस्तक पर लेप करने से माईग्रेन ठीक हो जाता है।

- गाजर पर धी लगाकर गरम करें फिर उसका रस निकलकर 4-5 बूंद कान मे डाले आराम होगा।

* माईग्रेन एक वात प्रधान रोग है ।इसमे धी अच्छा वातनाशक का कम करता है।इसलिए धी के साथ खिचडी, चावल,दाल मिलाकर खायें।

#क्या खायें क्या न खायें?

पथ्य अपथ्य:-

- रोगी को पौष्टिक आहार दें।

- खट्टा, मीठा, चटपटा, मसालदार ,अधपका, भोजन,

बाजार के आहार,उत्तेजक पेय शराब आदि, से दूर रहें।

देर से पचने वाले गरिष्ठ भोजन न दें।

- चिंता, तनाव, आदि से दूर रहे।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान,

#GuruAyurvedaInFaridabad,

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज कैसे करें?In hindi

 मोतियाबिंद क्या होता है ?



मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज कैसे करें?In hindi

मोतियाबिंद का घरेलू उपाय क्या है?

क्या मोतियाबिंद का बिना ओपरेशन ईलाज हो सकता है?

#मोतियाबिंद क्या होता है ?

#DrVirenderMadhan.

मोतियाबिंद|Cataract मे आंखों के लेंस या उसके आवरण या दोनों पर धुंधलापन आ जाता है।लेंस मे रक्तवाहिनियां न होने के कारण उसमे शोथ नही हो सकता है।परन्तु उसमें डिजनरेशन होता है।जिसके कारण लेंस धुंधले हो जाते है।लेंस के तंतु अपारदर्शक हो जाते है और मोतियाबिंद की उत्पत्ति हो जाती है।इससे दृष्टि शैन शैन कम होती है और अन्तः मे दिखना बन्द हो जाता है।यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है।

#मोतियाबिंद बनने के कारण:-

- बृद्धावस्था से,

- नेत्रों में चोट लगने से,

- अल्ट्रावायलेट चिकित्सा के अधिक होने से,

- तेज रोशनी से,

-कुछ औषधियां के कारण जैस स्टेरॉयड, या एण्टीकोलिनेस्ट्रेस का लम्बे समय तक प्रयोग करने से,

- कुछ शारिरिक रोगों से जैस मधुमेह, पैराथायराइड, टिटेनी,मायोटानिक डिस्ट्राफी, आदि

- पैत्रिक भी होता है।

-रसायनिक पदार्थों के प्रयोग से,

- बिजली के करंट लगने से,

-कुछ त्वचा के रोग में मोतियाबिंद हो जाता है।

-अधिक धूल, धूप आदि मे काम करने से,

- अधिक चिंता से भी मोतियाबिंद हो जाता है।

#मोतियाबिंद के लक्षण क्या क्या होते है?

-प्रारंभ में दृष्टि मे कुछ अडचने आने लगती है।धीरे धीरे दृष्टि में धुंधलापन आने लगता है।

बाद मे दिखना बन्द हो जाता है।

एक ही चीज के 2 या 3 प्रतिबिंब दिखाई देते है।

बल्ब के आसपास इन्द्रधनुष के रंग दिखाई देते है।



#मुख्य आयुर्वेदिक पेटेंट औषधि

-नेत्रामृत अंजन:-

त्रिफला क्वाथ से आंखें धोकर अंजन नित्य लगायें।

- इसी प्रकार नेत्रज्योति वर्धक सुरमा लगायें।

#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियां:-

सप्तामृत लौह 1 ग्राम

गाय का धी 3ग्राम, 

असली शहद 6 ग्राम मिलाकर सवेरे सांय चाटकर उपर से दूध पिलाये।

- नेत्रसुदर्शन अर्क 2-3 बूंद दिन मे मे 2-3 बार डालें ः

- रसकेश्वर गुटिका- शहद मे घीसकर आंखों में लगायें।

त्रिफाला धृत 1-1 चम्मच प्रातः सायदूध के साथ खायें।

-चन्द्रोदय वर्ती- शहद मे घीसकर आंखों में अंजन की तरह लगायें।

#घरेलू अनुभूत प्रयोग

- सौंठ, हींग, वच,और सौफ समान मात्रा मे लेकर चूर्ण बना लें 3-4 ग्राम रोज लेने से मोतियाबिंद नही बढता है।

- रोग के प्रारंभ में निर्मलीशहद मे घिसकर आंखों में लगाने से मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।

- सफेद चिरमिटी के स्वरस , कागजी नींबू के रस मे मिलाकर आंखों में लगने से मोतियाबिंद मे आराम हो जाता है।

- सौफ के हरे पेड को लाकर कांच या चीनीमिट्टी के बर्तन में रखकर सुखा ले बाद मे बारीक चूर्ण बना ले।इसे सुरमे की तरह आंखों में लगाने से मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।

- सत्यानाशी के रस की 1 बुंद को धी मे मिलाकर आंजने से नेत्रशुक्ल,अधिमांस,और अंधापन दूर हो जाता है।

हाइड्रोसील|अण्डकोष बृद्धि क्या है? हिन्दी में.

 हाइड्रोसील|अण्डकोष बृद्धि क्या है? हिन्दी में.



हाइड्रोसील|अण्डकोष बृद्धि:-

By:-Dr.VirenderMadhan.

वृषण का बढ जाना हाइड्रोसील कहलाता है।

हाइड्रोसील के लक्षण (Symptoms of Hydrocele in Hindi)

हाइड्रोसील के लक्षण

- अंडकोष में बिना दर्द के सूजन, टेस्टिकल मे भारीपन महसूस होना।

- अंडकोष का आकार बढ़ना

- हाइड्रोसील में तेज दर्द होना

- हाइड्रोसील में सूजन होना

- शरीर का अस्वस्थ होना

- चलने फिरने में दर्द और असहजता होना

- उल्टी, कब्ज, दस्त और बुखार आना

- ज्ञानेन्द्रियों की नसें ढीली और कमजोर होना


#हाइड्रोसील बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?

- टेस्टिकल में चोट लगने की वजह से भी हाइड्रोसील हो सकता है। चोट लगने से टेस्टिकल कमजोर हो जाता है जिसके कारण उसके काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। 

- प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुष को हाइड्रोसील होने की संभावना ज्यादा होती है। 

#दिव्य औषधि उपाय

 छोटी कटेरी(भम्भाड) की ताजा जड 20 ग्राम,

कालीमिर्च के 7 दाने दोनों को पीसकर पेस्ट बनाकर 100ग्राम पानी में घोलकर कर पी लें।

बायविडंग, कुन्दरू, पुरानी ईंट तीनों 5-5 ग्राम लेकर 35ग्राम. धी के साथ खायें।यदि पहले दिन वमन हो तो अण्डकोष अपनी पहली दशा में आ जाते है।

- कटकरज्जा के तीन दानों को भुनकर 7 दिन खाने से अण्डकोष बृद्धि दूर हो जाता है साथ ही इन दानों के चूर्ण को एरण्ड के पत्तों पर बुरक कर अण्डकोष पर बांधना चाहिए।

- हिंग,सैन्धव नमक,जीरा तीनों को समभाग  पीसकर ,चौगुने सरसौ के तैल मे पका कर लेप करने से अण्डकोषबृद्धि दूर होती है इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के दर्द मोच,चोट आदि ठीक हो जाते है।

- शुद्ध गुग्गुल 6ग्राम, अरण्डी का तैल 12 ग्राम, गोमूत्र 120 ग्राम---तीनों को मिलाकर 1 माह तक पीने से अण्डकोष बृद्धि ठीक हो जाती है।

-एरण्ड की जड का चूर्ण 4 ग्राम

एरण्ड का तैल 10 ग्राम,

120 ग्राम दूध मे घोटकर पीने से यह रोग 25- 20 दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।

-वचव सरसों को पीनी मे लेप बनाकर सुहाता सुहाता लेप करें।

-इन्द्रायण की जड को पानी में पीसकर सुहाता सुहाता लेप करें य  लेप अण्डकोष की सुजन व दर्द को कम करता है।

#3 घरेलू उपाय

- 10 ग्राम जीरा और 10 ग्राम अजवायन पानी में पीसकर थोड़ा गर्म कर अण्डकोष पर लेप करने से अण्डकोष मे आराम मिल जाता है।

- आयुर्वेद में अंडकोष में दर्द होने पर बर्फ से सिंकाई से लाभ हो जाता है. अगर अंडकोष में चोट या अन्य किसी वजह से तेज दर्द हो रहा है तो बर्फ के टुकड़े से सिंकाई करनी चाहिए. यह तुरंत राहत मिल जाती है

-100 ग्राम बकायन के पत्ते को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, फिर उसमें कपड़ा भिगोकर अण्डकोषों को सेंकने और सुहाता गर्म पत्ते को बांधने से अण्डकोषों की सूजन में राहत मिलती है।

#शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियां

- बृद्धि बाधिका वटी

- चन्द्रप्रभा वटी

- वरुणादि क्वाथ

- दशमुल क्वाथ

- पुनर्नवादि क्वाथ आदि

सूचना:-

किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरुर करें।

धन्यवाद!

शनिवार, 17 सितंबर 2022

अम्ल पित्त क्या है?In hindi.

 Acid reflux|अम्ल पित्त

अम्ल पित्त क्या है?In hindi.



By:- Dr.Virender Madhan.

अम्ल पित्त|Acid reflux.

* आमाशय मे पित्त के बिगडने से खट्टे डकार आना,छाती मे जलन होना , पित्त का उछलना अम्ल पित्त कहलाता है।

कभी कभी दर्द असहनीय होता है। पेट-छाती की जलन कभी कभी दिल के दौरे से ही होती है। दर्द छाती से पीठ की ओर चलता है इसके साथ पसीना, सांस चलना, घबडाहट आदि लक्षण होते है।

#अम्लपित्त की बीमारी क्यों होती है?

Why is acidic disease?

#अम्ल पित्त क्यों (कारण) 

बनता है?

-बहुत अधिक तीखा भोजन करने से पित्त बढ़ता है। -मानसिक तनाव के कारण पित्त बढ़ता है।

 -शरीर की क्षमता से अधिक मेहनत करने पर भी पित्त दोष में वृद्धि हो जाती है। 

-भूख लगने पर भोजन ना करना या बिना भूख के भी कुछ ना कुछ खाने से भी पित्त बढ़ने की समस्या हो जाती है।

- क्रोध, शोक,चिन्ता, भय,परिश्रम, उपवास,जलेभुने पदार्थों के खाने से,अत्यधिक पैदल चलने से, कडवे-खट्टे,नमकीन, तीखे, गरम,दाहक चीजों से, सरसौ, अलसी, तिल आदि का तैल, दालें,शाक,मछली मांस, दही,मठ्ठा, पनीर, कांजी, शराब,खट्टे फलों के सेवन से पित्त कुपित हो जाता है।

- गर्भावस्था में कभी कभी अंतिम महिनों में जादा आम्लता महसूस होती है।

- भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय न देना और अपच के बावजूद खाते रहना, आपकी इस समस्या को बढ़ा सकता है। 

#अम्ल पित्त के लक्षण :-

- भोजन का पाचन नहीं होना, 

बगैर किसी मेहनत के ज्यादा थकावट होना,

 कड़वी या खट्टी डकार आना, शरीर में भारीपन, 

हृदय के पास या पेट में जलन होना, 

कभी-कभी उल्टी होना,

 उल्टी में अम्ल या खट्टे पदार्थ का निकलना,

 मिचली होना और मुंह से खट्टा पानी आना,

 सिरदर्द, आंखों में जलन, जीभ का लाल होना जैसे लक्षण हाइपर एसिडिटी में सामने आते हैं। 

 #Acid reflux|अम्ल पित्त हो तो क्या उपाय करें ?

- छोटी हरड,पीपल, मुन्नका, मिश्री, धनिया, आंवला, कुटकी सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।रात मे एक छोटी कटोरी में पानी भरकर उसमे चूर्ण की 20 ग्राम मात्रा में डालकर रख दें।प्रातःकाल कपडे से छानकर इस पानी को पीलें।

- सौठ,गिलोय, का समभाग चूर्ण बनाकर 4-6 ग्राम  चूर्ण शहद मे मिलाकर चाट ले।

-त्रिफला,कुटकी के समभाग चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

-करेले के पत्ते, फुल का चूर्ण 1-2 ग्राम चूर्ण दिन में 2-3 बार लेने से अम्ल पित्त ठीक हो जाता है।

-नाश्ते में केला दूध लने से आराम मिल जाता है।

- फलों में पपीता, मौसंबी, अनार आदि को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। 

- नारियल और नारियल पानी का भी भरपूर सेवन करें। 

 - मुनक्का, आंवले का मुरब्बा, कच्चा आंवला भी खाना बेहतर होगा। 

#कुछ शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियां:-

हरीतिकी खण्ड,

नारिकेल खण्ड,

कुष्मांडावलेह,

पिप्पली धृत,

शतावरी धृत,

अम्ल पित्तान्तक लौह,

लीलाविलास रस,आदि।


अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से बात करें।

धन्यवाद!

गुरुवार, 15 सितंबर 2022

ओवरथिंकिंग क्या बीमारी है? अगर बीमारी बन गई है तो इसका हल क्या है?In hindi.

 ओवरथिंकिंग क्या बीमारी है? अगर बीमारी बन गई है तो इसका हल क्या है?  



Dr.VirenderMadhan.

ओवरथिंकिंग कोई बीमारी नहीं बल्कि एक नकारात्मक आदत है। इसका प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों का कारण होने के साथ आपके इमोशनल और फिजिकल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकता है। नियमित रूप से ओवरथिंकिंग करने की आदत आपको एंग्जाइटी, पैनिक अटैक और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से ग्रसित कर देती हैं।

- ऐसी सोच या विचार आना जो आपके हाथ मे न हो जैसे:-

- बोस क्या कहेंगे, 

-पडौसी क्या सोचेंगे, 

- बारिश हो गई तो ओफिस कैसे जाऊंगा. 

- अगर नौकरी से निकाल दिया जाऊं तो घर कैसे चलेगा 

आदि आदि। 

ऐसी सोच या विचार आना जिसका समाधान किसी के हाथ मे नही हो.

“सडक पर चलते हुए मेरे ऊपर पेड गिर गया तो”

ऐसे विचार ओवरथिंकिंग कहलाते है।

जो व्यक्ति प्रभु मे विश्वास करता है जो व्यक्ति आत्मा व प्रमात्मा के बारे मे थोड़ा ज्ञान रखता है.

इस श्रृष्टि मे नित्य क्या है, अनित्य क्या है, इसका ज्ञान रखता है अपने को अनित्य मानने वाला व्यक्ति ओवरथिंकिंग तो क्या वह किसी भी मानसिक रोगों का शिकार नही होता है।

[A person who considers himself to be impermanent (कभी तो अंत होगा)is overthinking, then does he not fall prey to any mental diseases.]

ओवरथिंकिंग बीमारी नही है यह अन्य भयंकर बीमारियों की जड है।

[Overthinking is not a disease, it is the root of other terrible diseases.]

ओवरथिंकिंग के कुछ कारण भी होते है।

#ओवरथिंकिंग के कारण

- पर्सनैलिटी (व्यक्तित्व)

ज्यादा सोचना किसी के व्यक्तित्व (पर्सनैलिटी) का हिस्सा हो सकता है। कई लोग हर काम में खूब सोच-विचार करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या 60 से 70 फीसदी होती है।कुछ लोगों को बहुत सोचने की जन्मजात आदत होतीहै।

-इनमें से कई लोग ऐसे होते हैं जो जाने-अनजाने ज़िंदगी को शतरंज की तरह जीने लगते हैं। (हार हो या जीत कोई बात नही)ऐसे लोगों को ज्यादा सोचने से कभी भी परेशानी नहीं होती।

- Stress (मानसिक तनाव)

जीवन मे स्ट्रेस तो हर कोई को होती है, लेकिन स्ट्रेस जब किसी के लिए हर काम मे रुकावट पैदा करने लगे तब स्ट्रेस की स्थिति आदमी के लिए गलत होती है परेशानी होती है व्यक्ति को कोई बीमारी जाती है।

- एंग्जाइटीAnxiety चिंता;-

किसी भी चीज के होने या न होने की एंग्जाइटी हमें ओवरथिंकिंग की तरफ ले जाती है। वैसे चिंता होना आम बात है। हर शख्स किसी न किसी चीज को लेकर चिंतित होता है। अगर चिंता सही कारण से हो और चंद क्षणों तक विचलित करे, फिर धीरे-धीरे खत्म हो जाए तो इसे सामान्य ही कहेंगे। 

लेकिन जब यही चिंता घबराहट के रूप में हो, छोटी वजहों से या फिर बिना किसी कारण के इस कदर परेशान करे कि नींद ही उड़ जाए। काम में उसका मन न लगे, हमेशा कुछ न कुछ सोचने की जरूरत महसूस हो तो यह एंग्जाइटी की ओवरथिंकिंग है। जब एंग्जाइटी का उपाय करेंगे तो ओवरथिंकिंग का भी निदान हो जाएगा।

 एंग्जाइटी में ओवरथिंकिंग की स्थिति तब भी बनती है जब हम किसी चीज की सबसे बुरी संभावना के बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं।



 - डिप्रेशनdepression अवसाद या खिन्नता:-

तनाव, घबराहट, मूड ऑफ होना ये सब लक्षण ज़िंदगी में एक बार नहीं आते। ये हर दिन आते-जाते रहते हैं। इनके आने और जाने का सिलसिला चलता रहता है। लेकिन इन वजहों से हमारे काम, हमारी रुटीन, हमारी बॉडी लैंग्वेज अमूमन ज्यादा प्रभावित नहीं होता। जब ऐसे इमोशंस आकर ठहर जाएं और मन में अपना घर बनाने लगें तो परेशानी होती है।जब मन के भीतर से ऐसी भावनायें आने लगे कि अब कुछ भी ठीक नहीं हो सकता। इस स्थिति में यह ओवरथिंकिंग का अहम कारण बन जाता है।


गंभीर मानसिक बीमारियों में भी होती है ओवरथिंकिंग

अगर ओवरथिंकिंग गंभीर मानसिक बीमारी, जैसे: -बाइपोलर डिसऑर्डर, 

- मेनिया, 

- सिजोफ्रेनिया आदि बीमारियों की वजह से हो रही है तो फिर इसके लिए किसी सायकायट्रिस्ट की मदद लेनी चाहिए। 

 इस तरह की ओवरथिंकिंग की वजह न्यूरोट्रांसमीटर(सेरेटोनिन, डोपामाइन आदि) की कमी हो सकती है। इसलिए इनमें दवा और काउंसलिंग की जरूरत हो सकती है।

#ओवरथिंकिंग के 10 लक्षण.



1. छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत देर तक सोचते रहना. है

जैसे कल ऑफिस में खाने में क्या लेकर जाना है या फिर मेरी पत्नी या पति ने मुझे उलटा जवाब क्यों दिया।

2.  दूसरे के बारे मे कल्पना करके खुद ही सोचते रहना जैसे:-

 किसी दोस्त ने या फिर किसी संबंधी ने मेरे बारे में क्या कहा होगा? 

3. वर्तमान के बारे में बहुत कम, भविष्य के बारे में ज्यादा और अतीत के बारे में बहुत ज्यादा सोचतते रहना।

4. कल्पना करते हुए बार-बार यह सोचना कि अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा।

5. अपने बीते दिनों के बारे में यह सोचते हैं कि काश यह न किया होता तो अच्छा होता यानी खुद पर बार-बार पछतावा करते रहना।

6. किसी की कोई बात बार-बार दिमाग में आना। किसी व्यक्ति ने मजाक में कोई बात बोल दी, फिर भी क्या उसके बारे में सोचते रहना।

7. दिमाग में किसी बात को लेकर खुद को बार-बार दुख महसूस करते हैं? अतीत की किसी घटना को लेकर दुख महसूस करते हैं?

8. उन चीजों के बारे में क्या ज्यादा सोचते हैं जिन घटनाओं पर आपका कोई कंट्रोल नहीं हैजैसे:-

अगर चीन या पाकिस्तान से भारत की लड़ाई हो गई तो कहां जाकर रहेंगे। 

9. किसी बात को सोचते सोचते गुस्सा या डर लगता है 

10.  गहरी नींद न आना, लगातार 6 से 8 घंटे की नींद पूरी न होना, सुबह उठने पर बहुत ज्यादा थकान महसूस होना, शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना, चिड़चिड़ापन होना, बिना मतलब परिवार या फिर ऑफिस में गुस्सा करना, अपने काम में बार-बार गलतियां करना, जैसी समस्याएं होती है।

उपरोक्त परेशानी है तो फिर आप ओवरथिंकिंग से परेशान हैं 

अधिक जानकारी के लिए किसी मनोचिकित्सक से मिले

#ओवरथिंकिंग है तो क्या करें उपाय:-

नशा न करें

मडिटेशन न करें

अकेले व खाली न बैठे

क्या करें?

प्राणायाम करें

योगासन करें

पुस्तक पढें

संगीत सुने

गहरी सांस ले

उल्टी गिनती करें।

माला जपे

लाईफ स्टाईल बदले

शनिवार, 10 सितंबर 2022

स्वस्थ रहने के लिए आहार करने के नियम. इन हिंदी |

#Healthy life style #स्वास्थ्य #Ayurveda #घरेलू उपाय #tips #DrVirenderMadhan.

स्वस्थ रहने के लिए आहार करने के नियम. इन हिंदी | 



Dr.VirenderMadhan.

#आयुर्वेद के अनुसार आजकल के आहार के नियम. हिंदी मे.

* आयुर्वेद में भोजन और दैनिक जीवन में खान-पान को लेकर बहुत से ऐसे नियम है, अगर उनको अपने जीवन में उपयोग करे तो कभी भी बीमारी नही आयेगी, और शरीर भी स्वस्थ रहेगा। 

अब जानते है आजकल के जीवन के लिए आयुर्वेदिक आहार नियम:-

# आयुर्वेद के अनुसार भोजन के नियम:– 

दूसरा नियम

तीसरा नियम

चौथा नियम

पांचवां नियम

छठा नियम

सातवाँ नियम

आठवाँ नियम


1-आहार का पहला नियम:-

The first rule of diet:-

भोजन के बाद कोई भी फल न लें।

- भोजन करने के तुरंत बाद कोई भी फल नहीं खाना चाहिए। ऐसा करने से एसिडिटी बढ़ जाती है कुपच होता है और गैस की शिकायत हो सकती हैं

2- आहार का दूसरा नियम:-

* भोजन के तुरंत बाद चाय या कोफी है हनिकारक।

-  कुछ लोगों को खाना खाने के तुरंत बाद चाय अथवा कॉफी पीने की आदत होती हैं। भोजन के बाद चाय कॉफी पीने सेे पेट में एसिडिटी बढ़ती है और खाना हजम होने में दिक्कत आती है।

3- आहार का तीसरा नियम:-

- खाने के बाद स्नान वर्जित है

कुछ लोगों को खाना खाने के बाद नहाने की आदत होती हैं। खाने के तुरंत बाद नहाने के कारण जठराग्नि मंद हो जाती है पेट ठंडा हो जाता है इस कारण पाचन शक्ति कमजोर हो जाती हैं। भोजन फिर पचता नही सडता है।

4-आहार का चौथा नियम:-

भोजन करने के बाद धूम्रपान करना चाहिए। अगर आप खाना खाने के बाद धूम्रपान करते हैं निकोटिन की मात्रा आहार को दूषित कर बहुत सी बीमरियों का कारण बन जाता है साथ ही कैंसर होने का खतरा भी 50 फीसदी से अधिक हो जाता है। 

5- आहार का पांचवां नियम-

चिकनाई वाले खाद्य पदार्थ, तले खाद्य पदार्थ, मक्खन, मेवा तथा मिठाई खाने के तुरंत बाद पानी पीने से खांसी हो जाने की संभावना होती है जबकि गरम खाना, खीरा, ककड़ी तरबूज, खरबूजा, मूली व मकई खाने के तुरंत बाद पानी पीने से दोष कुपित हो जाते हैं अधिकतर कफ,जुकाम, गले के रोग हो जाते है। 

6- आहार का छठा नियम

भोजन के साथ पानी ,ठंडा पानी न पीयें।

 आजकल खाने के तुरंत बाद फ्रिज का ठंडा पानी या शीतल पेय पीने का प्रचलन है। भोजन के तुरंत बाद पानी या शीतल पेय पीना पेट की कई बीमारियों को जन्म देता है। इससे जाठराग्नि शांत हो जाती है और आहार का पाचन ठीक से नहीं होता हैं। अगर बहुत जरूरी हो तो  खाना खाते समय हल्का गुनगुना पानी ले सकते है।

#7- आहार का सातवाँ नियम:-

भोजन करने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। सोते समय पाचन क्रिया मंद होने से कुपच होता है तथा अनेक बीमारियों की सम्भावना बढ जाती है।

#8- आहार का आठवाँ नियम:-

दोपहर को खाना खाने के बाद भी 20 मिनट के लिए बाईं और लेट सकते हैं और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो आधा घण्टा आराम कर लें। वहीं रात को खाना खाने के बाद बाहर सैर करने जाएं (कम से कम 500 कदम ) और रात को खाना खाने के कम से कम 2 घंटे बाद ही सोएं। 

नियमों का पालन करें उत्तम जीवन जीयें।

धन्यवाद