Health and fitness यह ब्लॉग आयुर्वेदिक ज्ञान , औषधियों और जडी-बूटी की पूरी जानकारी के बारे में है ।
Guru Ayurveda
बुधवार, 25 जनवरी 2023
Uric acid है तो क्या खायें क्या न खायें.in hindi
सोमवार, 23 जनवरी 2023
मसाज (अभ्यंग-massage) के बारे में 11 मजेदार वास्तविकता.हिंदी में।
मसाज (अभ्यंग-massage) के बारे में 11 मजेदार वास्तविकता.हिंदी में।
*अभ्यंग भोजन की तरह शरीर के लिये आवश्यक है|
मालिस के महत्व.
# परस्तुत द्वारा- डा०वीरेंद्र मढान. गुरु आयुर्वेद Fbd.
</>{11Fun Truth}
#सामान्यतः शरीर पर किस तैल की मालिस की जा सकती है।
लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर बतायें. धन्यवाद!
शनिवार, 21 जनवरी 2023
आयुर्वेद क्यों विचित्र है||Fact of ayurveda.inhindi
आयुर्वेद क्यों विचित्र है||Fact of ayurveda.inhindi.
आयुर्वेद की खुबियां:-
Fact no 1.
- आयुर्वेद पश्चिमी चिकित्सा के विपरीत,आयुर्वेद चिकित्सा और दवाएं दुष्प्रभाव से मुक्त हैं। - पश्चिमी चिकित्सा प्रणाली की रासायनिक ओवरडोज होने से,
या हमारे शरीर में बेमेल होने के कारण विपरीत दुष्प्रभाव होते हैं।
आयुर्वेद प्रणाली की दवाएं रसायन मुक्त होती हैं जड़ी बूटियों की प्रकृति जंतुओं की प्रकृति मेल खाने से प्राकृतिक पूरक होती हैं।पंचमहाभूत से बनी जडीबुटी पंचमहाभूतों से पुर्ण शरीर के अनुकूल होती है.
पंचमहाभूतों से ही श्रृष्टि का निर्माण हुआ है।
Fact no 2.
#आयुर्वेद के 5 महाभूत सिद्धांत क्या हैं?
आयुर्वेद का मानना है कि संपूर्ण ब्रह्मांड पांच तत्वों से बना है: Vayu (वायु), जल water (पानी), खालित्व,आकाश (अंतरिक्ष या ईथर), पृथ्वी Earth (पृथ्वी) और तेज,अग्नि (आग)।
- पंचमहाभूतों से दोषों (वात,पित्त, कफ) की उत्पत्ति
1. वायु महाभूत से शरीरगत वात दोष की उत्पति होती है,
2. अग्नि महाभूत से पित्त दोष की उत्पत्ति होती है,
3. जल तथा पृथ्वी महाभूतों के मिलने से कफ दोष की उत्पति होती है।
* शरीर मे रस,रक्त,मांस, मेद,अस्थि, मज्जा और शुक्र आदि धातु से निर्मित होता है एवं मल (मल,मूत्र, स्वेद आदि)शरीर को स्तंभ की तरह थामे हुये हैं।
- दोष, धातु, मल प्राकृतिक रूप से उचित रहकर ही शरीर को धारण करते है।
- शरीर की क्षय, वृद्धि, शरीरगत् अवयवो द्रव्यों की विकृति, आरोग्यता-रुग्णता, इन दोष धातु मलों पर ही आधारित है
यद्यपि शरीर के लिए दोष, धातु, मल तीनों प्रधान द्रव्य है फिर भी शारीरिक क्रिया के लिए वातादि दोषों के अधिक क्रियाशील होने से शरीर में दोषो की प्रधानता रहती है।
“रोगस्तु दोषवैषम्यं दोषसाम्यमरोगता"
(दोषों की विषमता ही रोग है और दोषों का साम्य आरोग्य है।)
तीनों दोषों में सर्वप्रथम वात दोष ही विरूद्ध आहार-विहार से प्रकुपित होता है यह वात अन्य दोष एवं धातु को दूषित कर रोग पैदा करता है। वात दोष प्राकृतिक रूप से प्राणियों का “प्राण" माना जाता है।
आयुर्वेद चिकित्सा में जिस जिस धातु दोष आदि की कमी या अधिकता होने पर जो रोग उत्पन्न होते है दोष,धातु के अनुसार जडीबुटी के पंचमहाभूतों को देखकर रोगों की औषधि निर्माण की व्यवस्था की गई है।शरीर के अनुकूल औषधि होने के कारण इनका कोई दूष्यप्रभाव नही होता है।
डा०वीरेंद्र मढान,
सोमवार, 16 जनवरी 2023
नींबू फल क्या है|नींबू के गुण और उपयोग क्या है In hindi.
#नींबू फल क्या है|नींबू के गुण और उपयोग क्या है In hindi.
Dr.VirenderMadhan
</>Nimbu नीबूं .
#नींबू के आयुर्वेदिक गुण व प्रयोग.
* वक्रशोधि:-
* रोचना:-
* दंतहर्षन:-
* तृष्णा निवारण:-
*शुला निवारण :-
*कासा निवारण :-
* कफोत्क्लेश, छर्दि निवारण:-
*आमदोषहर :–
*हृत्पीड़ा: –
*वहनिमंद्याहर: -
#नींबू के घरेलू उपयोग:-
Guru Ayurveda Faridabad.
शनिवार, 14 जनवरी 2023
चना और गुड़ एक साथ खाने से क्या होता है?In hindi.
चना और गुड़ एक साथ खाने से क्या होता है?In hindi.
-अगर हम रोजाना गुड़ और चने का साथ में सेवन करते है तो इम्यूनिटी को मजबूत बनती है. गुड़ और चने का सेवन करने से पेट कई रोगों से बचा जा सकता है.
गुड़ और भुने चने में फाइबर होते है जिसके कारण पाचन तंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है.
खून की कमी है तो आप गुड़ और चने का सेवन कर सकते हैं इससें खून की पूर्ति हो जाती है।
# कैसे गुड़ चना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?
भुना चना और गुड़ खाने के फायदे- Bhuna Chana Aur Gud Khane Ke Fayde.
-पिलिया की शिकायत दूर होती है
- शरीर की हड्डियां मजबूत होती है।
- गुड और भुना चना खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है.
-पेट को ठीक रखने मे लिए भी लाभदायक होता है।
- शरीर के वजन मे बृद्धि होती है.
- शरीर में शक्ति बनी रहती है यानि चना और गुड बलबर्द्धक होता है.
#गुड़ और चना खाने के क्या नुकसान होते है?
- चना खाते ही अगर खुजली होने लगे,
-उल्टी या फिर एलर्जी की समस्या है तो आपको भी इसे खाने से बचना चाहिए।
- कफज रोगों से परेशान व्यक्ति को गुड चना नही खाना चाहिए।
-शुगर के रोगी को, मोटे व्यक्ति को, त्वचा रोगी को गुडचना खाने से बचना चाहिए.
-अगर अपना वजन कम करना चाहते हैं या
- आप अपना मोटापा कम करना चाहते हैं तो आपको गुड और चने का सेवन नहीं करना.
By:-
Dr.Virender Madhan
गुरुवार, 12 जनवरी 2023
सर्दियों में सभी रोगों से कैसे दूर रहें?हिंदी में.
सर्दियों में सभी रोगों से कैसे दूर रहें?हिंदी में.
How to stay away from all diseases in winter? In Hindi.
Dr.Virender Madhan.
मुख्य सिद्धांत:-
–सर्दियों में सभी रोगों से दूर रहने के लिये वात-पित्त और कफ का समान होना जरूर है
–पाचन क्रिया का ठीक होना जरुरी है।
–जीवनशैली ठीक होनी चाहिये।
–पौष्टिक आहार होना चाहिए।
</>कैसे करें वात,पित्त कफ का संतुलन?
How to balance Vata, Pitta Kapha?
>इन्हें ठीक रखने के लिए आयुर्वेदिक रसायनोंका सेवन करना चाहिए।यहां कुछ रसायन फलो का वर्णन करना आवश्यक है जिन्हें हम अमृतफल कहते है
1–आँवला:-
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>आँवला सर्दियों में आराम से मिल जाता है यह लवण रस को छोड़ कर पाँच सभी रसो से युक्त होता है।(मधुर, अम्ल, कटू, तिक्त,कषाय।)यह 5 रस इसमे होते है।
इसमें विटामिन सी, एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन, ऐन्थो साइनिन, फ्लैवोनोइड्स और पोटेशियम होता है जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं.
#आँवला खाने से क्या लाभ होता है?
What is the benefit of eating Amla?
*सर्दियों में इसका सेवन बहुत ज्यादा लाभकारी होता है. - खाली पेट आंवला खाने से शरीर अच्छे ढंग से डिटॉक्स हो जाता है.
– मेटाबॉलिज्म और इम्यून को बूस्ट करता है.
–कच्चा आंवला खाने से आपका इम्यूनिटी सिस्टम और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। – खाली पेट में कच्चा आंवला खाने से आपकी आंखों की रोशनी और बालों में चमक आती है।
– कब्ज और दस्त से भी आराम मिलता है।
2– बहेडा Terminalia bellirica
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बहेड़ा मे भी लवण छोड़ कर अन्य पाँच रस होने है।इसे भी अमृतफलो मे गिनते है।
बिभीतकी में कई एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जैसे कि एलेजिक एसिड, टैनिन, लिग्नन्स और फ्लेवोन। यौगिक रक्त शर्करा के स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है।
#बहेड़ा खाने से क्या लाभ मिलता है?
What is the benefit of eating Beheda?
>बहेड़ा भूख, प्यास, सूजन और पेट फूलने की कमी को प्रबंधित करने में मदद करता है।
यह इसकी उष्ण (गर्म) शक्ति के कारण है। बहेड़ा पाचक अग्नि (पाचन अग्नि) को बढ़ाता है जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है।
― यह अपने रेचन (रेचक) प्रकृति के कारण कब्ज को प्रबंधित करने में भी मदद करता है।
– बहेड़ा का उपयोग गैस्ट्रिक, अल्सर और गैस्ट्राइटिस से निजात पाने के लिए किया जाता है।
– इसका हाइड्रोक्लोरिक अर्क एसिडिटी को कम करने में मदद करता है,
– बहेड़ा कीड़ों को मारने वाली औषधि है।
– बहेड़े के फल की मींगी मोतियाबिन्द को दूर करती है। –इसकी छाल खून की कमी, पीलिया और सफेद कुष्ठ में लाभदायक है।
–इसके बीज कड़वे, नशा लाने वाले, अत्यधिक प्यास, उल्टी, तथा दमा रोग का नाश करने वाले हैं।
3–हरीतकी (हरड)
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*हरीतकी (वानस्पतिक नाम:Terminalia chebula) एक ऊँचा वृक्ष होता है हिन्दी में इसे 'हरड़' और 'हर्रे' भी कहते हैं।
आयुर्वेद मे इसे अमृता, प्राणदा, कायस्था, विजया, मेध्या आदि नामों से जाना जाता है।
हरड भी 5 रसो से युक्त होता है ।हरड़ का इस्तेमाल बुखार, पेट फूलना, उल्टी, पेट गैस और बवासीर जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में किया जाता है.
यह एक रसायन है।
–यह पेट की गैस को खत्म करने में मदद करता है। –Terminalia chebula के पाचक और क्षुधावर्धक गुण पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करते हैं।
–कब्ज के लिए रामबाण है हरड़ जिन लोगों को कब्ज है उनके लिए भी हरड़ का इस्तेमाल करना काफी लाभदायक साबित हो सकता है।
– त्वचा संबंधी रोगों का इलाज-
त्वचा संबंधी रोगों का इलाज करने में भी हरड़ का इस्तेमाल काफी लाभदायक होता है।
–डायबिटीज के रोगियों को राहत मिलती है।
–एक कप गर्म पानी में 1-3 ग्राम हरड़ का सेवन आपको पाचन संबंधी परेशानियों में राहत दिलाता है।
–हरड़ का सेवन उल्टी में भी आराम दिला सकता है।
#ऋतु अनुसार हरीतकी का प्रयोग :-
Use of greenery according to season: -
>हरीतकी एक प्रभावी औषधि भी है| इसके गुणों का लाभ लेने के लिए सभी ऋतुओं में ही इसका सेवन करना चाहिए।
>हरड खाने की सब ऋतुओं मे सेवन विधि अलग अलग है
–वर्षा ऋतु में सेंधा नमक के साथ।
–शरद ऋतु में शकर के साथ।
–हेमंत ऋतु में सोंठ के साथ।
–शिशिर ऋतु में पीपल के साथ।
–वसंत ऋतु में शहद के साथ।
#उपरोक्त तीनों फलों को मिलाकर बनाये महारसायन.
त्रिफला
हरड,बेहडा और आँवला को मिलाकर जो योग बनता है उसे हमारे ऋषियों ने त्रिफला नाम दिया है।
त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें आमलकी, बिभीतक और हरीतकी के बीज निकाल कर 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"
आजकल अधिकतर लोग तीनो की समान मात्रा मे प्रयोग करते हैं।
#त्रिफला क्या करता है?
–कब्ज़ दूर करने में सहायक
–पेट में गैस की समस्या –(एसिडिटी) से राहत
–आंखों के लिए फायदेमंद
–वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक
–पाचन शक्ति बढ़ाता है
–बालों का झड़ना रोकता है
–भूख बढ़ाता है
–मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी
–इम्यूनिटी बढाता है
त्रिफला का चूर्ण का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है और शरीर में कोई बीमारी भी नहीं लगती।
–त्वचा के लिए फायदेमंद
–यह रक्त शर्करा के स्तर, –त्रिफला में जीवाणुरोधी, इम्यूनोमॉड्यूलेटर, एंटीऑक्सिडेंट, रक्त शुद्ध करने और घाव भरने के गुण होते हैं।
–त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है.
#त्रिफला किस तरह मे खा सकते है?
चूर्ण बनाकर 1-1चम्मच दिन मे दो बार खा सकते है
सवेरे पानी से, रात मे दुध के साथ ।
चाय (काढा):-
काढा बनाकर 20 मि०लि० –40 मि०लि०।
गुरुआयुर्वेद
रविवार, 8 जनवरी 2023
अलसीके बीज खाने से क्या होता है?हिन्दी में.
अलसीके बीज खाने से क्या होता है?हिन्दी में.
#अलसी क्या है?
What is linseed?
नाम:-
अतसी,नीलपुष्पी, क्षुमा,तीसी,अलसी,फ्लैक्स flax , Linseed कहते है।
–अलसी या तीसी समशीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है। रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैं। इसके बीज से तेल निकाला जाता है और तेल का प्रयोग वार्निश, रंग, साबुन, रोगन, पेन्ट तैयार करने में किया जाता है।
आयुर्वेदिक गुण:-
गुण–
गुरु यानि भारी, स्निग्ध यानि चिकने,पिच्छल होते हैं.
#अलसी कौन सी बीमारी में काम आती है?
–वात विकारों में काम आता है
–व्रणशोथ पर इसकी पुल्टिस बनाकर बांधते है.
–फुफ्फुस शोथ,व पार्श्वशूल मे इसका लेप करते हैं।
– इसका तैल वातरोगों मे,चर्मरोगों मे अभ्यंग करने के काम आता है.
–कमजोरी मे भी इसके तैल से मालिस करते है।
–अतिसार, ग्रहणी रोग में अलसी को भुन कर खाते हैं।
–विबन्ध Constipation,अर्श(बवासीर)अनाह (अफारा) मे इसके तैल को 5 एम एल की मात्रा में पीलाते है.
–हृदयरोगियों को इसक पुष्प खिलाते हैं।
–कामोत्तेजक के रुप मे इसके बीजों का प्रयोग करते हैं।
#आधुनिक विज्ञान के अनुसार अलसी के बीज के गुण:-
–अलसी में मौजूद फैटी एसिड स्किन को सॉफ्ट बनाए रखने में भी मदद करते हैं।
– यह बालों के झड़ने, एक्जिमा और रूसी को रोकने में भी मददगार साबित होते हैं। – कैंसर से बचा सकता है- अलसी में मौजूद कंपाउंड ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और पेट के कैंसर से बचा सकता हैं।
–अलसी का नियमति सेवन करने से आप पाचन शक्ति को बढ़ा सकते हैं.
–हृदय रोग कम करने में मददगार है.
–बेड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में हेल्पफुल अलसी के बीज से बेड कोलेस्ट्रॉल में मददगार होते है.
–पाचन शक्ति बेहतर होती है –अलसी का नियमति सेवन करने से आप पाचन शक्ति को बढ़ा सकते हैं.
–त्वचा के लिए फायदेमंद
इसमें प्रोटीन और ओमेगा-3, होता है, बढ़े हुए Cholesterol और Blood Sugar को एक साथ कम करती है।
#अलसी खाने का सही समय (alsi ke beej kab khaye)
अलसी का सेवन सुबह खाली पेट किया जा सकता है. ऐसे में आप सुबह उठकर खाली पेट गर्म पानी के साथ अलसी के पाउडर का सेवन कर सकते हैं.
मात्रा:-
इसे एक दिन में 1चम्मच से अधिक नही खाना चाहिए।
यानि बीज चूर्ण 3-6 ग्राम,
तैल-5 ML
पुष्प कल्क:-3-6 ग्राम.