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बुधवार, 7 जून 2023

मूसली के फायदेऔर नुकसान इन हिंदी

 

मूसली के फायदेऔर नुकसान इन हिंदी

#मुशली 

#Dr.VirenderMadhan

#मूसली का लैटिन नाम

इसका वैज्ञानिक नाम Chlorophytum Borivilianum है। मूसली मुख्य रूप से दो तरह की होती है, सफ़ेद मूसली और काली मूसली।

मूसली एक पौष्टिक औषधीय जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग दिलाए जाने वाले फायदों के लिए किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से पायी जाने वाली जड़ी-बूटी, जो भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, पोषण और स्वास्थ्य के लिए आपातकालीन मानी जाती है।

#मूसली खाने से क्या फायदा होता है?

आमतौर पर सफेद मूसली का उपयोग सेक्स संबंधी समस्याओं के लिए अधिक होता है लेकिन इसके अलावा सफेद मूसली का इस्तेमाल आर्थराइटिस, कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज),नपुंसकता आदि रोगों के इलाज में और शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी प्रमुखता से किया जाता है। कमजोरी दूर करने की यह सबसे प्रचलित आयुर्वेदिक औषधि है।

#कुछ मुशली के महत्वपूर्ण फायदे,

यहाँ कुछ मुशली के महत्वपूर्ण फायदे बताते हैं:–

>पौष्टिकता और ऊर्जा की पुनर्प्राप्ति:– 

 मुशली में मौजूद प्राकृतिक विटामिन, मिनरल और ऐमिनो एसिड शरीर के पोषण को बढ़ाते हैं और ऊर्जा के स्तर को उच्च करने में मदद करते हैं।


>स्तंभन शक्ति की वृद्धि:– 

मुशली में मौजूद शक्तिवर्धक गुणों के कारण, इसे पुरुषों के लिए एक प्राकृतिक यौन टॉनिक के रूप में जाना जाता है। यह पुरुषों की स्तंभन शक्ति और सेक्स ड्राइव को बढ़ाने में मदद कर सकती है।

– मुशली शारीरिक शक्ति और स्थायित्व को बढ़ाने में मदद कर सकती है। इसका नियमित सेवन करने से मांसपेशियों की मजबूती बढ़ती है, कार्यक्षमता और स्थायित्व में सुधार होता है, जिससे आपके शारीरिक प्रदर्शन में सुधार हो सकता है।

>स्त्री स्वास्थ्य का समर्थन:– 

मुशली में प्राकृतिक फाइटोएस्ट्रोजेन्स होते हैं जो महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभदायक होते हैं। इसे महिलाओं के लिए एक प्राकृतिक रिप्रोडक्टिव टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है, जो मासिक धर्म के नियमितता, गर्भाशय स्वास्थ्य, और हॉर्मोनल बैलेंस में सुधार कर सकता है।



>प्रतिरक्षा प्रणाली को स्थायीकृत करना:–

 मुशली में मौजूद ऐंटीऑक्सिडेंट गुण आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्थायीकृत करने में मदद कर सकते हैं। यह आपको संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने की क्षमता में सुधार कर सकता है।

>शारीरिक और मानसिक स्थायित्व:–

 मुशली का सेवन शारीरिक और मानसिक स्थायित्व को सुधारने में मदद कर सकता है। यह स्ट्रेस को कम करने, मानसिक तनाव को दूर करने और मनोवैज्ञानिक संतुलन को स्थायीकृत करने में मदद कर सकता है। इसके उपयोग से आपका मूड सुधार सकता है और आपको तनाव मुक्त रखने में सहायता मिल सकती है।

>आंतरिक शुद्धि:–

 मुशली में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और विषाक्तता समारोह होता है जो आपके शरीर के आंतरिक जलवायु को शुद्ध करने में मदद कर सकता है। यह आपके खून को साफ और उचित तरीके से संचालित करके आपके स्वास्थ्य को सुधार सकता है।

>वयोमय समर्थन :–

 मुशली आपके स्नायु समर्थन को बढ़ाने में मदद कर सकती है। यह मुस्कल व्यायाम के दौरान और उम्र बढ़ने के साथ होने वाले स्नायु और हड्डियों के खराब होने को रोक सकती है।


मुशली का सेवन करने के कई तरीके हैं, जैसे कि पाउडर रूप में ले सकते हैं और इसे दूध, योगर्ट, शेक, या चाय में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।

रविवार, 4 जून 2023

आयुर्वेद के अनुसार भोजन कैसे करना चाहिए

 

आयुर्वेद के अनुसार भोजन कैसे करना चाहिए

आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने का तरीका?

खाने के बारे में गम्भीरता से सोचिये|खाने को खानापूर्ति की तरह मत लीजिये

आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने की विधि क्या है?

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 शोध से स्पष्ट हो चुका है कि अहितकारी और असम्यक भोजन की स्थिति यह है कि एक ओर लगभग 1 बिलियन लोग भूखे हैं, और दूसरी ओर लगभग 2 बिलियन लोग बहुत अधिक किन्तु अहितकारी भोजन खा रहे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार कुपोषण, मोटापा और अधिक वजन वजन आहार सम्बन्धी ऐसे कारक हैं जिनके कारण गैर-संचारी रोगों का बोझ बढ़ रहा है| अहितकारी आहार दुनिया में सालाना 11 मिलियन लोगों के समय-पूर्व मृत्यु का कारण है.


  आज एक बार पुनः आयुर्वेद के आहार-विषयक महावाक्य दिये जा रहे हैं| 

* केवल चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता और अष्टांगहृदय में ही भोजन से संबंधित एक हज़ार से अधिक महावाक्य हैं। उनमें से कुछ बेहद उपयोगी जानकारी अद्यतन update करते हुये पुनः प्रस्तुत है| इस ज्ञान का प्रयोग कीजिये, स्वस्थ रहिये और प्रसन्न रहिये।

#भोजन क्यों करना चाहिए?

→1. आरोग्यं भोजनाधीनम् 

(काश्यपसंहिता, खि. 5.9): 

सबसे पहले तो हमें यह जान लेना चाहिये, जैसा कि महर्षि कश्यप कहते हैं, कि आरोग्य भोजन के अधीन होता है। सारा खेल भोजन का है।

 इसका अर्थ यह मानिये कि खाने को खानापूर्ति की तरह मत लीजिये।

#भोजन कब करना चाहिए?

→2. एकाशनभोजनं सुखपरिणामकराणां श्रेष्ठम् (च.सू.25.40): 

तात्पर्य यह है कि 24 घंटे में केवल एक बार भोजन तत्समय में सुख देने में श्रेष्ठ है क्योंकि यह सुखपूर्वक पच जाता है| 

→3. कालभोजनमारोग्यकराणां श्रेष्ठम् (च.सू.25.40): 

नियत काल या समय पर भोजन करना श्रेष्ठ है|

→ एककालं भवेद्देयो दुर्बलाग्निविवृद्धये| समाग्नये तथाऽऽहारो द्विकालमपि पूजितः|| (सु.उ.64.62)

एक जून की रोटी उन लोगों के लिये उत्तम है जिनकी पाचनशक्ति कमजोर है| इससे दुर्बल पाचकाग्नि की वृद्धि होती है| जिन लोगों की अग्नि सम है, उनके लिये दोनों समय का भोजन ठीक है, लेकिन आयुर्वेद की किसी संहिता में 24 घंटे में 2 बार से अधिक भोजन की सलाह नहीं दी गई है।

#भोजन में कौन सा पदार्थ उत्तम है?

→4. अन्नं वृत्तिकराणां श्रेष्ठम् (च.सू. 25.40, चयनित अंश): 

शरीर में दृढ़ता लाने वाले पदार्थों में अन्न सबसे श्रेष्ठ है| 

→5. सर्वरसाभ्यासो बलकराणाम् श्रेष्ठम् (च.सू. 25.40, चयनित अंश) 

  सभी रसों से युक्त भोजन (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) बल करने वालों में श्रेष्ठ है| 

ध्यान दीजिये, 

नमक और चीनी कम खाइये, 

साबुत अनाज और फलों की मात्रा भोजन में बढ़ाइये| आयुर्वेद के अनुसार, मीठे में रोज केवल शहद, द्राक्षा, और अनार ही खाये जा सकते हैं, रिफाइंड चीनी, गुड़, या मिठाइयाँ तो कतई नहीं| 

*भोजन में घी से परहेज़, परन्तु रिफांइड वसा से बने आहार को दिन भर बार बार लेना, भारत को पित्त, कफ व वात रोगों की राजधानी बना रहा है। घी खाइये, घी खाने की आयुर्वेदिक सलाह सबको याद रहती है, पर यह मत भूलिये कि वही आयुर्वेद रोज व्यायाम करने की सलाह भी तो देता है। 

→6. आमलकं वयः स्थापनानां श्रेष्ठम् (च.सू. 25.40, चयनित अंश):

 वय:स्थापन या आयु-स्थिर करने वालों में आँवला श्रेष्ठ है| आँवला अकेला ऐसा द्रव्य है जो सर्वश्रेष्ठ आहार, रसायन व औषधि है|

→7.द्राक्षाखर्जूरप्रियालबदरदाडिमफल्गुपरूषकेक्षुयवषष्टिका इति दशेमानि श्रमहराणि भवन्ति (च.सू.4.16):

   स्वस्थ व्यक्ति थका हुआ हो तो मुनक्का, खजूर, चिरौंजी, बेर, अनार, अंजीर, फालसा, गन्ना, जौ और साठी-चावल श्रमहर महाकषाय का आनंद लेना चाहिये|

#भोजन से पहले क्या करें?

→8.नाप्रक्षालितपाणिपादवदनो (च.सू.8.20): 

  महर्षि चरक ने कम से कम पांच हजार साल पहले यह महत्वपूर्ण सूत्र दिया था। आचार्य वाग्भट ने भी इसे सातवीं-आठवीं शताब्दी में धौतपादकराननः (अ.हृ.सू. 8.35-38) के रूप में पुनः लिखा।

  इसका साधारण अर्थ यह है कि भोजन करने के पूर्व हाथ, पाँव व मुंह धोना आवश्यक है। इसके वैज्ञानिक महत्त्व पर बड़ी शोध हुई है। लन्दन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के वैज्ञानिकों द्वारा की गयी एक शोध से पता लगा है कि हाथ धोये बिना भोजन लेने की आदत के कारण अकेले डायरिया से ही सालाना 23.25 अरब डॉलर की हानि भारत को हो रही है। यह हानि भारतीय अर्थव्यवस्था के कुल जीडीपी का 1.2 प्रतिशत है। हाथ धोने में लगने वाले कुल खर्च को समायोजित करने के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था को सालाना 5.64 अरब डॉलर की बचत हो सकती है। यह हाथ धोने में संभावित लागत का 92 गुना है। 

#भोजन कब न करें?

→9. न कुत्सयन्न कुत्सितं न प्रतिकूलोपहितमन्नमाददीत (च.सू.8.20): 

  दूषित अन्न या भोजन या दुश्मन या विरोधियों द्वारा दिया गया भोजन नहीं खाना चाहिये।

→10. न नक्तं दधि भुञ्जीत (च.सू.8.20):

  रात में दही नहीं खाना चाहिये। 

#भोजन मे सबसे पहले क्या खायें?

→11. पूर्वं मधुरमश्नीयान् (सु.सू.46.460):

   भोजन में सबसे पहले मधुर या मीठे पदार्थ खाना चाहिये। इसका तात्पर्य यह है कि भोजन पूरा करने के बाद मिठाई या आइसक्रीम में हाथ मारना नुकसानदायक है। भोजन का अंत सदैव कटु, तिक्त या कषाय रस से करना चाहिये।

→12. आदौ फलानि भुञ्जीत (सु.सू.46.461): 

  फल भोजन के प्रारंभ में खाना चाहिये। भोजन के अंत में फल खाने की परंपरा अनुचित है।

→13. पिष्टान्नं नैव भुज्जीत (सु.सू.46.494): 

  पीठी वाले भोजन प्रायः नहीं लेना चाहिये। अगर बहुत भूखे हैं तो कम मात्रा में पिष्टान्न लेकर उससे दुगनी मात्रा में पानी पीना चाहिये।

#कैसा भोजन उत्तम होता है?

→14. भुक्त्वाऽपि यत् प्रार्थयते भूयस्तत् स्वादु भोजनम् (सु.सू.46.482): 

  जिस भोजन को खाने के बाद पुनः माँगा जाये, समझिये वह स्वादिष्ट है।

→15. उष्णमश्नीयात् (च.वि.1.24.1):

   उष्ण आहार करना चाहिये। परन्तु ध्यान रखिये कि बहुत गर्म भोजन से मद, दाह, प्यास, बल-हानि, चक्कर आना व पित्त-विकार उत्पन्न होते हैं।

→16. स्निग्धमश्नीयात् (च.वि.1.24.2): 

  स्निग्ध भोजन करना चाहिये। परन्तु घी में डूबे हुये तरमाल के रूप में नहीं।

* रूखा-सूखा भोजन बल, वर्ण, आदि का नाश करता है परन्तु बहुत स्निग्ध भोजन कफ, लार, दिल में बोझ, आलस्य व अरुचि उत्पन्न करता है।

→17. मात्रावदश्नीयात् (च.वि.1.24.3):

   मात्रापूर्वक भोजन करना चाहिये। भोजन आवश्यकता से कम या अधिक नहीं करना चाहिये।

→18. जीर्णेऽश्नीयात् (च.वि.1.24.4):

   पूर्व में ग्रहण किये भोजन के जीर्ण होने या पच जाने के बाद ही भोजन करना चाहिये।

#कैसा और किस दशा मे भोजन नही करना चाहिए?

→19. वीर्याविरुद्धमश्नीयात् (च.वि.1.24.5):

   वीर्य के अनुकूल भोजन करना चाहिये। अर्थात् विरुद्ध वीर्य वाले खाद्य-पदार्थों, जैसे दूध और खट्टा अचार आदि को मिलाकर नहीं खाना चाहिये।

→20. इष्टे देशे इष्टसर्वोपकरणं चाश्नीयात् (च.वि.1.24.6): 

  मन के अनुकूल स्थान और सामग्री के साथ भोजन करना चाहिये। अभीष्ट सामग्री के साथ भोजन करने से मन अच्छा रहता है।

→21. नातिद्रुतमश्नीयात् (च.वि.1.24.7):

   बहुत तेज गति या जल्दबाज़ी में भोजन नहीं करना चाहिये।

→22. नातिविलम्बितमश्नीयात् (च.वि.1.24.8): 

   अत्यंत विलम्बपूर्वक भोजन नहीं करना चाहिये।

→23. अजल्पन्नहसन् तन्मना भुञ्जीत (च.वि.1.24.9): 

 बिना बोले बिना हँसे तन्मयतापूर्वक भोजन करना चाहिये। भोजन और तन्मयता का संबंध इतना प्रगाढ़ है कि भोजन के संबंध में आयुर्वेद में दी गई सम्पूर्ण सलाह निरर्थक जा सकती है, यदि भोजन तन्मयता के साथ न किया जाये।

→24. आत्मानमभिसमीक्ष्य भुञ्जीत (च.वि.1.25):

    पूर्ण रूप से स्वयं की समीक्षा कर भोजन करना चाहिये। इसका तात्पर्य यह है कि शरीर के लिये हितकारी और अहितकारी, सुखकर और दुःखकर द्रव्यों का शरीर के परिप्रेक्ष्य में गुण-धर्म का ध्यान रखते हुये यहाँ दिये गये महावाक्यों के अनुरूप ही भोजन करने का लाभ है।

#भोजन के बाद पानी

→25. अशितश्चोदकं युक्त्या भुञ्जानश्चान्तरा पिबेत् (सु.सू.46.482):

   भोजन के पश्चात युक्तिपूर्वक पानी की मात्रा लेना चाहिये। तात्पर्य यह है कि खाने के बाद गटागट लोटा भर जल नहीं चढ़ा लेना चाहिये।

→26. हिताहितोपसंयुक्तमन्नं समशनं स्मृतम्। बहु स्तोकमकाले वा तज्ज्ञेयं विषमाशनम्।। अजीर्णे भुज्यते यत्तु तदध्यशनमुच्यते। त्रयमेतन्निहन्त्याशु बहून्व्याधीन्करोति वा।। (सु.सू.46.494): 

  हितकर और अहितकर भोजन को मिलाकर खाना (समशन), कभी अधिक कभी कम या कभी समय पर कभी असमय खाना (विषमाशन) या पहले खाये हुये भोजन के बिना पचे ही पुनः खाना (अध्यशन) शीघ्र ही अनेक बीमारियों को जन्म दे देते हैं।

→27. प्राग्भुक्ते त्वविविक्तेऽग्नौ द्विरन्नं न समाचरेत्। पूर्वभुक्ते विदग्धेऽन्ने भुञ्जानो हन्ति पावकम्। (सु.सू.46.492-493):

   सुबह खाने के बाद जब तक तेज भूख न लगे तब तक दुबारा अन्न नहीं खाना चाहिये। पहले का खाया हुआ अन्न विदग्ध हो जाता है और ऐसी दशा में फिर खाने वाला इंसान अपनी पाचकाग्नि को नष्ट कर लेता है।

→28. भुक्त्वा राजवदासीत यावदन्नक्लमो गतः। ततः पादशतं गत्वा वामपार्श्वेन संविशेत्।। (सु.सू.46.487): 

    भोजन के बाद राजा की तरह सीधा तन कर बैठना चाहिये ताकि भोजन का क्लम हो जाये। फिर सौ कदम चल कर बायें करवट लेट जाना चाहिये।

→29. आहारः प्रीणनः सद्यो बलकृद्देहधारकः। आयुस्तेजः समुत्साहस्मृत्योजोऽग्निविवर्द्धनः। (सु.चि., 24.68):

   आहार से संतुष्टि, तत्क्षण शक्ति, और संबल मिलता है, तथा आयु, तेज, उत्साह, याददाश्त, ओज, एवं पाचन में वृद्धि होती है। सन्देश यह है कि साफ़-सुथरा, प्राकृतिक और पौष्टिक भोजन शरीर, मन और आत्मा की प्रसन्नता और स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है।

→30.हिताशीस्यान्मिताशीस्यात्कालभोजीजितेन्द्रियः| पश्यन्रोगान्बहून्कष्टान्बुद्धिमान्विषमाशनात्|| (च.नि.6.11): 


    विषम भोजन से उत्पन्न तमाम अति-कष्टकारी रोगों को देखते हुये बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर काबू पाकर हिताशी (हितकारी भोजन करने वाला), मिताशी (अपनी पाचनशक्ति के अनुसार नपा-तुला भोजन करने वाला) और कालभोजी (नियत समय पर सुबह और शाम केवल दो बार भोजन करने वाला) होना चाहिये|

डा०वीरेन्द्र मढान

के

अपने विचार

बुधवार, 31 मई 2023

झुर्रियां बनने के कारण इन हिंदी.

 #झुर्रियां बनने के कारण इन हिंदी.

झुर्रियां के कारण

#शरीर पर झुर्रियां क्यों पड़ती है?

<शरीर पर झुर्रियां|wrinkles>

#Dr.VirenderMadhan.

झुर्रियां बनने के कारण:-

झुर्रियां कई कारणों से पड़ सकती हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:

उम्र:-

 वृद्धावस्था एक मुख्य कारण है जब झुर्रियां शुरू होती हैं। शरीर में कॉलाजन (collagen) और एलास्टिन (elastin) नामक तंत्रिका प्रोटीन होते हैं जो त्वचा को फिरसे ढ़ीलापन और सुप्ल बनाए रखते हैं। यह उम्र बढ़ने के साथ कम हो जाते हैं, जिससे झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं।

सूर्य की किरणें:–

 दिनभर धूप में लंबी समय तक रहने से, सूर्य की तेज धूप के कारण त्वचा के ऊपरी परत को नुकसान पहुंच सकता है। इसके परिणामस्वरूप, कॉलाजन और एलास्टिन के कमी होती है और झुर्रियां बनने शुरू हो जाती हैं।

धूम्रपान और नशीली दवाएं:–

   धूम्रपान करने से और नशीली दवाओं का उपयोग करने से त्वचा की रक्षा के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। इसके परिणामस्वरूप, झुर्रियां जल्दी दिखाई देती हैं।

 वजन घटाना:–

यदि व्यक्ति आपातकालीन रूप से वजन घटाता है, तो उसके शरीर में स्किन लूज होने और झुर्रियों की प्रारंभिक दिखाई देने की संभावना होती है। शरीर की चर्बी के कम हो जाने से, त्वचा को उसकी पूर्वस्थिति को बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषण तत्वों की कमी हो सकती है। इसके कारण त्वचा कमजोर हो जाती है और झुर्रियां उत्पन्न हो सकती हैं।

खराब आहार:–

 अनुपयुक्त आहार और पोषणहीनता भी झुर्रियों के आविष्कार का कारण बन सकते हैं। शुगर, बेकरी उत्पाद, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, तला हुआ खाना, तेजी से खाना आदि का सेवन करने से त्वचा के लिए आवश्यक पोषण तत्वों की कमी होती है और झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं।

स्किन केयर की कमी:–

 सही स्किन केयर के अभाव में त्वचा को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक नियमित साफ़-सफाई, मोइस्चराइज़र का उपयोग, सूर्य से बचाव, त्वचा को प्राकृतिक पोषण प्रदान करने वाले आहार का सेवन आदि करने की जरूरत होती है। यदि आप स्किन केयर के अपेक्षित नियमित रूप से पालन नहीं करते हैं, तो आपकी त्वचा कमजोर हो सकती है और झुर्रियां बढ़ने की संभावना होती है।

धर्मपत्नी की परेशानियां:–  

        * शोध में पाया गया है कि विवादास्पद संबंधों या विवादों में रहने वाले लोगों में झुर्रियों की बढ़ती है। 

तनाव और चिंता के कारण,:–

 शरीर के अंगों के चारों ओर झुर्रियां बढ़ सकती हैं।

इन सभी कारणों से साथ ही, व्यक्ति के जीवनशैली, आहार, तंबाकू और अल्कोहल का सेवन, त्वचा का अवयवों और विशेषताओं के रूप में जीनेटिक प्रभाव, त्वचा के साथ संपर्क में आने वाली धूल और मायक्रोब्योम, त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं।


झुर्रियों को प्राकृतिक रूप से रोकने और कम करने के लिए, आपको अपने त्वचा की देखभाल पर ध्यान देना चाहिए। स्किन को नमी देने के लिए नियमित रूप से मोइस्चराइज़र का उपयोग करें, सूर्य की किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान,

अनार के छिलके|Anar ke chilke kaise khaye,

 अनार के छिलके|Anar ke chilke kaise khaye,

#अनार के छिलके को कैसे इस्तेमाल करें?

#अनार के छिलके|Pomegranate Peels

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#Dr.VirenderMadhan.

•अनार के छिलकों का उपयोग भी बहुत स्वास्थ्यकर हो सकता है।इन्हें बेकार समझकर बाहर न फैंकें, आपके लिए यह बहुत उपयोगी हो सकता है। 

#अनार के छिलकों के कुछ उपयोग :–

* त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए:–

 अनार के छिलकों में गुणकारी तत्व होते हैं जो त्वचा को निखारने और सुंदर बनाने में मदद कर सकते हैं। हम अनार के छिलकों को पीसकर पेस्ट बना सकते हैं और इसे चेहरे पर लगा सकते हैं। यह त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाने में मदद कर सकता है और मुंहासे, दाग-धब्बे और झाइयां जैसी समस्याओं को कम करने में सहायता प्रदान कर सकता है।

* दांतों के स्वास्थ्य के लिए:–

अनार के छिलकों को दांतों पर रगड़ने से दांतों की सफाई में हो जाती है। यह दांतों की मसूड़ों को मजबूत बनाने में भी मदद कर सकता है।

*पाचन तंत्र के लिए:–

 अनार के छिलकों में एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर की मात्रा होती है, जो पाचन को सुधारने में मदद कर सकते हैं। आप अनार के छिलकों को सूखा करके पीस सकते हैं और फिर उन्हें मसाले के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इसे आप अपने भोजन में मिला सकते हैं या अन्य व्यंजनों में इस्तेमाल कर सकते हैं। 

* अनार के छिलकों में पाचन को बेहतर बनाने वाले एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो खाद्य पदार्थों को पचाने में मदद करते हैं और अपच के लक्षणों को कम कर सकते हैं।

#युरिक एसिड के स्तर को कम करने के लिए:–

   अनार के छिलकों में उपस्थित तत्व युरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, अनार के छिलकों का सेवन गठिया और अन्य मूत्राशय संबंधी समस्याओं के लिए उपयोगी हो सकता है।

#कब्ज़ को दूर करने के लिए:–

   अनार के छिलकों में प्राकृतिक फाइबर की मात्रा होती है, जो पाचन को सुधारने में मदद करती है और कब्ज़ से राहत दिलाती है। इसलिए, अनार के छिलकों का सेवन कब्ज़ को दूर करने और पेट स्वास्थ्य को सुधारने में मददगार हो सकता है।

    अनार के छिलकों को अच्छी तरह से धो लें और साफ पानी से धो लें, ताकि किसी कीटाणुओं की मौजूदगी की संभावना कम हो। अगर आप अनार के छिलकों को खाना चाहते हैं, तो आप उन्हें पहले सुखा लें और उन्हें चबाकर खा सकते हैं। आप भी अनार के छिलकों को पाउडर बना सकते हैं और उन्हें आपकी पसंदीदा रेसिपी में उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि शाकाहारी करी या धनिया-पुदीना चटनी।

>>अनार के छिलकों के सेवन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना उचित हो सकता है, विशेषतः अगर आपको किसी खास रोग या एलर्जी की समस्या हो। अनार के छिलकों का सेवन कम मात्रा में शुरू करें और अपने शरीर की प्रतिक्रिया को ध्यान से निगरानी करें। यदि कोई अनुपातित प्रतिक्रिया होती है जैसे त्वचा रेशा, चकत्ते या अन्य अवसादी लक्षण, तो तुरंत इसका सेवन बंद करें और चिकित्सक से संपर्क करें।

कुछ प्रश्नोत्तर:-

Q:-अनार के छिलके के फायदे- 

 – खांसी और गले की खराश से दिलाए आराम खांसी और गले की खराश से आराम दिलाने में अनार का छिलका काफी फायदेमंद हो सकता है। 

– पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है

–शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है

– त्वचा का रंग साफ करताहै

Q:– अनार के छिलके का उपयोग कैसे करें?

Ans:– इसके पाउडर को पानी में मिला कर उसके गरारे करने से गले की खराश और खांसी से राहत मिलती है. विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है

– अनार के छिलकों में विटामिन सी पाया जाता है, जो घावों को हील करने और स्कार टिश्यूज को बनाने में मदद करता है.

 –विटामिन सी से इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है.

Q:–अनार के छिलके का फेस पैक

  Ans:–  इसके लिए एक-दो चम्मच अनार के छिलकों का पाउडर लें, इसमें गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। इसे चेहरे पर लगाएं, 10-15 मिनट बाद सादा पानी से धो लें। मुलायम त्वचा के लिए आप इस फेस पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Q:–गोरा होने के लिए फेस पैक कैसे बनाएं?

Ans:- इसके लिए आप

1 बाउल में बेसन, हल्दी और चंदन पाउडर डालकर इसे अच्‍छी तरह से मिला लें।

फिर दही और गुलाब जल को थोड़ा-थोड़ा करके तब तक मिलाएं जब तक कि पेस्ट न बन जाए।

इस पैक को चेहरे पर लगाएं।कुछ समय बाद इसे धीरे से साफ करें।

इस फेस पैक का इस्‍तेमाल करने के बाद टोनर और मॉइश्चराइजर लगाएं।

धन्यवाद!

मंगलवार, 30 मई 2023

सोने से कीमती केला के छिलके|Banana peel

 

सोने से कीमती केला के छिलके|Banana peel

#केले का छिलका मुंह पर रगड़ने से क्या होता है?

#कैसे काम करता है केले का छिलका?

– मुंहासों के दाग चेहरे से कम करता है. 

– यह आगे होने वाले मुंहासे को भी आने से रोकता है. 

– यह एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी की भरपूर होती है, जो त्वचा की इलास्टिसी को बढ़ाने में मदद करता है त्वचा को नर्म बनाता है  

– झुर्रियों को कम करता है.

#केले के छिलके चेहरे पर लगाने से क्या होता है?

-मुंहासों की समस्या के लिए केले के छिलकों का फेस पैक फायदेमंद होता है। 

- यह एंटी-एक्ने काम करता है,  - केले में जिंक एलिमेंट भी होता है, जिसे मुंहासे के इलाज के लिए जाना जाता है 

#केले के छिलके खाने से क्या होता है?

- पाचन के लिए अच्छा होता है

- केले का छिलका फाइबर से भरपूर होता है और अगर इसका रोज सेवन किया जाए तो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है. 

- ये कब्ज और दस्त की समस्याओं को दूर करता है. अगर आपको इरिटेबल बोल सिड्रोम की समस्या है तो केले के छिलके का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए.

#केले के छिलके को चेहरे पर कैसे लगाए?

कैसे करें इस्तेमाल –

केले के छिलके को छोटे टुकड़े काट लें. पहले चेहरे को साफ कर लें ताकि आपकी त्वचा पर कोई धूल या पसीना न हो. अब केले के छिलके का पीस लें और चेहरे पर मसाज करें. 

#तत्काल चमक के लिए केले के फेस पैक कैसे बनाये?

* एक पका केला लें और उसमें 2 से 3 चम्मच चावल का आटा और 1 चम्मच शहद मिला दें. अब इस पेस्ट को चेहरे और गले पर लगाएं और 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें. बाद में चेहरे को ठंडे पानी से धो दें. कुछ ही आपको चेहरे पर फर्क नजर आ जाता है।

#केले के छिलके की चाय कैसे बनायें?

banana peel tea

बनाने की विधि:-

- केले के छिलकों के टुकड़ों में काट कर उबलते पानी में डालते है. जब यह अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में इसे छान लें। फिर इसमें दालचीनी और शहद मिलाएं और पी लें।

- यह  दिल की बीमारियों से बचाता है

शनिवार, 27 मई 2023

बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी


 #बच्चे का वजन कैसे बढायें हिंदी में.

प्रश्न-बच्चों को खाया पीया नही लगता क्या करें?

प्रश्न-बच्चे का वजन कैसे बढ़ाएं   प्रश्न-बच्चों की हेल्थ बनाने के क्या उपाय है?

प्रश्न-क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

प्रश्न-क्या मेवा जैसे काजू और बादाम दें कर शिशु को स्वस्थ कर सकते है?

प्रश्न-क्या अण्डा और आलू शिशु का वजन बढ़ाने के लिए दे सकते है ?

प्रश्न-क्या मलाई वाला दूध पिलाकर बच्चे को मोटा कर सकते है?

By--Dr.VirenderMadhan.

इस प्रकार के प्रश्न हमसे रोज पुछे जाते है।

लेकिन सब से पहले बच्चे हेल्दी क्यों नही हो रहे है उनके कारण का पता करना चाहिए।

#बच्चों को खाया पीया न लगने के मुख्य कारण:-

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- लीवर का कमजोर होना।

- समय पर भुख न लगना।

- कुपोषण

- बच्चों को हर समय कुछ न कुछ खिलाते रहना।

- कोई बीमारी होना।

[कारण का पता करने के लिए एक बार अपने चिकित्सक को जरूर दिखायें।]

#क्या घी या मक्खन का सेवन शिशु का वजन बढ़ा सकते है?

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हां..अगर बच्चे का पाचन (डाइजेशन) ठीक है तो उसकी उम्र के अनुसार मक्खन दिया जा सकता है।

- शिशु का वजन, दाल का प्रोटीन बढ़ाता है दाल खिलायें।

- अगर बेबी का वजन नहीं बढ़ रहा है तो केला खिलायें।

- आप खिचड़ी, दाल, चावल में देसी घी डालकर बच्चों को खिला सकते हैं। 

- आप बच्चों को अरहर, मूंग दाल खिला सकते हैं।

-  केला खिलायें

केला पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिनी बी6 और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है।

-  दालें –

दालों में प्रोटीन, मैग्‍नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फाइबर और पोटैशियम होता है।

* कुछ अन्य वजन बढाने वाले पदार्थ:-

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- मलाई सहित दूध,:-

 बच्चे का वजन अगर कम है तो उसे मलाई वाला दूध पिलाना सही माना जाता है। 

- अंडे :-

अंडे प्रोटीन से भरपूर होते हैं। 

- आलू :-

आलू वजन बढ़ाने के लिए उपयोगी होते हैं। 

- शकरकंद :-

शकरकंद फाइबर, पोटेशियम, विटामिन ए,बी और सी से भरपूर होते हैं। 

- बच्चों को दही खिलायें।

- समय पर भोजन कराये

- समय पर बच्चे को सोने दे -नीद भी स्वस्थ्य के लिऐ बहुत जरुरी होता है।

गुरुवार, 25 मई 2023

मोर्निंग वाकिंग के 5 फायदे (Benefits of Morning Walking)


 #मोर्निंग वाकिंग के 5 फायदे (Benefits of Morning Walking)

[मोर्निंग वाकिंग]

#Dr.VirenderMadhan,

मोर्निंग वाकिगं करने के 5 फायदे–

सुप्रभात! इस सवाल का जवाब देने के लिए आपको मॉर्निंग वाकिंग (Morning walking) के 5 फायदों के बारे में बताता हूं:–

1–स्वास्थ्य सुधार:–

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 मोर्निंग वाकिंग आपके स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। यह आपकी रक्त संचार को बढ़ावा देती है, हृदय की सेहत को सुधारती है और मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करती है। यह आपको दिनभर ताजगी और ऊर्जा प्रदान करने में मदद करती है।

2–वजन कम करने में सहायता:–

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 यदि आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो मोर्निंग वाकिंग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे आपकी कैलोरी खपत बढ़ती है और आपके शरीर के वसा को कम करने में मदद मिलती है।


3–मानसिक स्थिरता:

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 मोर्निंग वाकिंग मानसिक स्थिरता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। इसके द्वारा आपके मस्तिष्क को शांति मिलती है और तनाव कम होता है। यह आपके मन को सकारात्मक रखकर आपकी मनोदशा को सुधार सकती है।

4–एंटी-एजिंग लाभ:

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 मोर्निंग वाकिंग समय आपके त्वचा को फायदेमंद ढंग से प्रभावित कर सकती है। वाकिंग करने से आपकी शरीर के अंदर ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, जिससे त्वचा की धूम्रपान क्षमता बढ़ती है। इसके फलस्वरूप, आपकी त्वचा स्वस्थ और चमकदार दिखती है और उसमें झुर्रियाँ और अनियमितताओं की कमी होती है।

5–संपूर्ण दिन के लिए ऊर्जा: 

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मोर्निंग वाकिंग आपको संपूर्ण दिन के लिए ऊर्जा प्रदान करती है। जब आप सुबह उठते हैं और वाकिंग करते हैं, तो आपकी शरीर की गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है और यह आपको दिनभर तरोताजगी और कार्यक्षमता के साथ रखता है। इसके अलावा, वाकिंग करने से आपकी नींद का प्रबंधन बेहतर होता है, जिससे आप रात्रि को अच्छी तरह सोते हैं और सकारात्मक दिनचर्या बना पाते हैं।

* ये थे मोर्निंग वाकिंग करने के 5 फायदे। सुबह की सैर आपकी शारीरिक, मानसिक और तात्कालिक प्रदर्शन को सुधार सकती

प्रश्नोत्तर:–

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Q:-मॉर्निंग वॉक के अन्य फायदे

कुछ मॉर्निंग वॉक के फायदे – Benefits of Morning Walk in Hindi

- वजन घटाने के लिए .

-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

-गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाए .

-हृदय स्वास्थ्य को सुधारे .

-कैंसर के जोखिम को कम करे .

- दिमागी कार्यक्षमता बढ़ाए .

-डिप्रेशन से राहत दिलाए .

-मधुमेह को नियंत्रित करे .

Q:–रोज मॉर्निंग वॉक करने से क्या होता है?

मॉर्निंग वॉक आपके दिन की शुरुआत और अंत अच्छे मूड में करती है । वे आपकी रचनात्मकता में भी मदद कर सकते हैं।

- उठने और हिलने-डुलने से आपको बैठने की तुलना में अधिक रचनात्मक होने में मदद मिलती है।

- टहलना आपको बेहतर नींद लेने में भी मदद करता है, जिसके परिणामस्वरूप अगली सुबह आपका मूड बेहतर होता है।

धन्यवाद

#डा०वीरेंद्र मढान,