Guru Ayurveda

शनिवार, 8 जुलाई 2023

नीम के फायदे व नुकसान

 नीम के फायदे व नुकसान 

Dr.VirenderMadhan,

नीम के फायदे

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नीम (Neem) पौधा, जिसे वैज्ञानिक रूप से Azadirachta indica के नाम से जाना जाता है, भारतीय घरेलू उपचारों और आयुर्वेदिक दवाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नीम का प्रयोग संगठित रूप से अगरबत्ती, तेल, साबुन, क्रीम, औषधि आदि के रूप में किया जाता है। नीम के अनेक फायदे हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

* कीटाणुनाशक गुण:–

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 नीम आंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है। यह छाल, पत्तियों और बीजों में पाए जाने वाले नीमोइड्स के कारण कीटाणुओं को मारता है और कई संक्रमणों से बचाता है।

* त्वचा के लिए उपयोगी:–

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 नीम त्वचा के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट गुण त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं, मुहासों, दाग-धब्बों और चर्म रोगों को कम करते हैं। नीम के तेल का बार-बार मालिश करने से त्वचा की रक्षा होती है 

* मुंहासों का उपचार:–

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 नीम मुंहासों के इलाज में प्रयोग होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा के मुंहासों में मौजूद कीटाणुओं को मारते हैं और उन्हें सूखा देते हैं। नीम के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाकर मुंहासों पर लगाने से उन्हें कम करने में मदद मिलती है।


* शारीरिक सुरक्षा:–

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 नीम के पत्तों, बीजों और छाल का उपयोग बहुत सारी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके आंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण से शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है।

* उच्च रक्तचाप का नियंत्रण:– 

------------------------------------नीम का सेवन करने से रक्त में रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसमें पाए जाने वाले न्यूमेरिक एसिड रक्तचाप को कम करने में सक्षम होता है।

* नीम के फायदे अनेक हैं और यह विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन पहले नीम के उपयोग से पहले यदि आपको कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या हो तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

* नीम के नुकसान:–

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नीम पेड़ (Azadirachta indica) भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख पेड़ है और आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नीम के तत्वों को कई स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में नीम के उपयोग से नुकसान हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:-


*बडी मात्रा में लेना:-

धातुरा की तरह, नीम का उच्च मात्रा में सेवन करने से माध्यमिक या गंभीर प्रकृति की एंटीकोगुलेंट धारीता हो सकती है, जिसके कारण पाचन और नर्व संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।वात रोग हो सकता है.

* कुछ लोगों को नीम के पत्तों या पेड़ के प्रति एलर्जी हो सकती है। यदि किसी को नीम के प्रति एलर्जी होती है, तो उसे नीम से दूर रहना चाहिए।

* नीम के सेवन करने से कुछ लोगों को उल्टी, दस्त, चक्कर आना या त्वचा में खुजली हो सकती है। ऐसे मामलों में नीम का सेवन बंद करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए।

* नीम का उपयोग गर्भावस्था के दौरान नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव गर्भ के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

* नीम का तेल सीधे रूप से खाने के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें विषाक्त तत्व हो सकते हैं जो पाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। तेल का मात्रा में उपयोग केवल बाह्य रूप से होना चाहिए।

यदि आपको नीम के सेवन से संबंधित किसी भी दुष्प्रभाव का सामना हो रहा है, तो आपको तत्परता से इसका उपयोग करना बंद करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए।

प्रश्नोत्तर:-

Q:–नीम के क्या क्या फायदे हैं?

Ans:– नीम के फायदे (Benefits of Neem)

- यह डाइजेशन में सुधार करता है।

- थकान से राहत देता है।

- खांसी और प्यास को दूर करता है।

- घावों को साफ और ठीक करता है।

- यूटीआई और पेट के कीड़ों के लिए अच्छा है।

- मतली और उल्टी से राहत देता है।

- सूजन को कम करने में मदद करता है।

Q:–नीम के पत्ते खाने से क्या फायदा है?

Ans:– इम्यूनिटी बूस्ट करे- नीम में मौजूद एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से लड़ते हैं और वायरल सर्दी खासी से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करते हैं. यानी नीम की पत्तियों से इम्यूनिटी बूस्ट होती है. पाचन- पाचन से जुड़ी समस्या में भी नीम की पत्तियां फायदेमंद है

Q:–नीम के पत्ते कब खाना चाहिए?

Ans:– सेहत के लिए चमत्कारी हैं इस पेड़ के पत्ते, सुबह खाली पेट करें सेवन, शुगर का होगा खात्मा, 

आयुर्वेद में नीम की पत्तों को डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद लाभकारी माना गया है.

शुगर के अलावा यह त्वचा के रोगीयों को खाना चाहिए,

रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए भी इसे खाया जाता है

Q:-नीम के पत्ते कितना खाना चाहिए?

Ans:–  आप एक दिन में 6 से 8 नीम की पत्तियों का सेवन कर सकते हैं. इससे अधिक मात्रा में नीम की पत्तियों का सेवन करने से नुकसान हो सकता है. 

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

अश्वगंधा क्या है? In hindi.

 अश्वगंधा क्या है? In hindi.

अश्वगंधा पर मेरे अनुभव 

#Dr.VirenderMadhan, 

मनुष्य अगर अश्वगंधा की रोजाना एक ग्राम चूर्ण  दूध के साथ लेता है , 

–उसे कभी हड्डियों के रोग , –जोड़ों का दर्द , 

–कमर दर्द  नही सताते, 

–शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी पास नही फटकती , –दिमागी काम करने वाले अगर रोजाना की खुराक में इसे शामिल कर लें , तो उन्हें दिमागी कमजोरी महसूस नहीं होती है।

  अगर इसे रोजाना अपनी खुराक में शामिल कर लिया जाए तो जिंदगी भर 

*पागलपन , 

*डिप्रैशन आदि 

*किसी भी प्रकार का दिमाग का रोग जीवन में पास नही फटकता।  इस से सस्ती , आसान , सर्व सुलभ औषधि अपने चिकित्सा काल, जीवन  में मैंने कभी नही देखी। जिसका जीवन भर सेवन करने से कोई नुकसान नही। 

- पंसारी से आसानी से मिलती है।  असगंध नागौरी के नाम से लें । 

ध्यान रखें कीड़ा न लगा हो, पुरानी न हो। नहीं तो लाभ की आशा न रखें। 



** साधारण जन जो इसके गुणों का लाभ लेना चाहते हैं। उनके लिए मैं निम्न सरल , सुलभ योग बता रहा हुं। 

** 100 ग्राम अश्वगंधा की जड़ ,100 ग्राम मिश्री मिलाकर 2 ग्राम रोज पानी से या दूध से लें। 

इतनी मात्रा आम इंसान के लिए बताई है।  मौसम अनुसार अनुपान बदल सकते है । 

* यानि गर्मी में मलाई , मक्खन या मोती पिष्टी या प्रवाल पिष्टी एक-एक रत्ती मिलाकर । 

* सर्दी में मिश्री की जगह शहद , गुड़ के साथ लें सकते हैं। 

Ashwagandha के नाम:-

>> Common name:–  Ashwagandha, 

 Indian ginseng, 

 Poison gooseberry,  Winter Cherry

  Assamese: অশ্বগন্ধা asbagandha 

  Bengali: অশ্বগন্ধা asbagandha 

  Gujarati: આકસંદ aksand, અશ્વગંધા asvagandha 

  Hindi: असगन्ध asgandh, अश्वगंधा ashwagandha 

  Kachchhi: આસુન aasun, આસુંઢ aasund 

  Kannada: ಅಂಗಾರ ಬೇರು angara beru, ಅಶ್ವಗಂಧ ashwagandha, ಹಿರೇಮದ್ದಿನ ಗಿಡ hiremaddina gida, ಪನ್ನೇರು panneru, ಸೊಗದೆ ಬೇರು sogade beru 

  Malayalam: അമുക്കുരം amukkuram, പേവെട്ടി pevetti 

  Marathi: अश्वगंधा ashwagandha, आस्कंद askanda 

  Nepali: अश्वगन्धा ashwagandha 

  Oriya: ଅଶ୍ବଗନ୍ଧା ashwagandha 

 Punjabi: ਅਸਗੰਧ असगंध asgandh, ਅਸ਼ਵਗੰਧਾ अश्वगंधा ashwagandha ,Aksin ਅੱਕਸਿਨ अँकसिन

 Sanskrit: अश्वगन्धा ashvagandha 

 Tamil: அமுக்கிரா amukkira 

 Telugu: అశ్వగంధ ashwagandha 

 Tibetan: a swa ga ndhi, ba-dzi-ga-ndha 

 Tulu: ಅಶ್ವಗಂಧೊ ashwagandho 

  Urdu: اسگندهہ asgandh

  Botanical name:–

Withania somnifera 

  Family: Solanaceae (Potato family)


अश्वगंधा, भारत के सूखे भागों में ज़्यादातर पाया जाता है।  यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है जो प्रकृति में लगभग 6 फीट तक बढ़ती है।  यह 35-75 सेमी लंबा बढ़ जाती है ।   फूल छोटे, हरे और घंटी के आकार का होता है।‌ इसकी फोटो से आप आसानी से पहचान कर सकते हैं। 



•औषधीय उपयोग•

अश्वगंधा 3000-4000 वर्ष से भारत में एक बेशकीमती adaptogenic टॉनिक रहा है।  पौधों में एल्कलॉइड विथेनिन और सोमनीफेरिन होते हैं, जो तंत्रिका विकारों, आंतों के संक्रमण और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं।  सभी पौधे के भागों का उपयोग जड़ों, छाल, पत्तियों, फलों और बीज सहित किया जाता है।

 –विदेशी जिन्सेंग की जगह अगर आप इसे सेवन करें 

इसके सेवनकाल में अगर कोई  मौसमी रोग सताएं उसके अनुसार सहायक औषधि ले सकते है।

उपरोक्त योग में दो ग्राम की कम मात्रा रसायन गुण लेने के लिए दी गई है। अगर किसी रोग में प्रयोग करना है तो 3-6 ग्राम तक सुबह -शाम ले सकते है। 40 दिन से 90 दिन तक। इस से सस्ता दवा कोई नही है। यह एक आहार रूपी दवा है। अगर बच्चों को बचपन से शुरू करवा दिया जाए , उनकी हड्डियाँ फैलाद जैसी ताकतवर रहेगी । दिमाग कंप्यूटर जैसा , कद भी अच्छा निकलता है।बुजुर्ग लोगों को कभी बुढ़ापे के रोग नही सताते। जवान लोगों को ग्रहस्थ की परेशानिया जैसे कमजोरी , नामर्दी , शुक्राणु आदि कोई समस्या नही आएगी ।न कोई थकावट।

अश्वगंधा का निरंतर सेवन करने वाले को किसी डुप्लीकेट मल्टीविटामिन आदि के सेवन की जरूरत नहीं है। रोग प्रतिरोधक immunity power बहुत अच्छी रहती है। वायरल रोग सेवनकर्ता के पास कभी भी फटकते। 

तासीर:-

इसकी तासीर गर्म है। यह वात कफ नाशक है। पचने में भारी है। कमजोर पाचन वाले पहले अपने पाचन शक्ति को बढ़ाए या इसकी मात्रा का ख्याल रखें।  गर्मी के मौसम में और गर्मी वाले रोगियों को कई बार माफिक नही रहता । 

नोट:–

किसी भी प्रकार की जडी,औषधि प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें,

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

डिटोक्स वाटर क्या होता है? डिटोक्स वाटर के फायदे और नुकसान?

 डिटोक्स वाटर क्या होता है?

#मैजिक वाटर|Alkaline water,

डिटोक्स वाटर एक प्रकार का पानी है जिसे विभिन्न तत्वों के साथ अपशिष्ट या विषाक्त पदार्थों को निकालने या कम करने के लिए तैयार किया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक अवयवों, जैविक उत्पादों और अन्य तत्वों का उपयोग करके निर्मित किया जाता है जो शरीर के अंदर के विषाक्त पदार्थों को हटाने और स्वच्छ रखने का दावा करते हैं।

डिटोक्स वाटर के संयोजन में आमतौर पर पानी के साथ अन्य सामग्री जोड़ी जाती हैं, जैसे (lemon)नींबू, अदरक (ginger), पुदीना (mint), संतरा (orange), खीरा (cucumber) और अन्य फल और सब्जियां। ये सामग्री डिटोक्स वाटर को खुशबूदार बनाती हैं और इसे पेय के रूप में आकर्षक बनाती हैं।

#Natural detox drink,

डिटोक्स वाटर की प्रमुख उद्देश्यों में शरीर के विषाक्त पदार्थों को हटाना, शरीर को स्वच्छ और हेल्दी रखना, पाचन प्रणाली को सुधारना 

#डिटॉक्स वाटर कैसे बनाये?

#खीरा नींबू डिटोक्स वॉटर

*खीरा नींबू डिटोक्स वाटर कैसे बनाये?

खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर एक पौष्टिक पेय पदार्थ है जिसमें खीरे, नींबू और पानी का उपयोग किया जाता है। यह पेय विशेष तरीके से शरीर को शुद्धि देने, ताजगी देने और हाइड्रेशन करने का काम करता है। यहां खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर बनाने का एक सरल तरीका दिया गया है:–

सामग्री receipe:–

> 1 छोटा खीरा, पतले स्लाइस किया गया

> 1 नींबू, स्लाइस किया गया

> 4 कप पानी

निर्देश:–

एक बड़े जग में पानी डालें।

खीरे के पतले स्लाइस कटे हुए टुकड़ों को पानी में मिलाएं।

नींबू के स्लाइस कटे हुए टुकड़ों को भी पानी में मिलाएं।

जग को अच्छी तरह से मिक्स करें ताकि सभी सामग्री अच्छी तरह से मिल जाएं।

जग को कम से कम 2 घंटे तक ठंडे स्थान पर रखें ताकि सभी संघटक अच्छी तरह से मिल जाएं और पेय का स्वाद वातावरण से भर जाए।

एक गिलास में इस पेय को निकालें और ठंडा पानी का आनंद लें!

यह डिटॉक्स वॉटर कुछ दिनों तक फ्रिज में स्थानीय रूप से स्थापित करके संग्रहीत रखा जा सकता है। इसे सीधे पीने से पहले अच्छी तरह से हिला लें ताकि सभी अवयव अच्छी तरह से मिल जाएं। 

** खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर का इस्तेमाल आप एक संग्रहण के रूप में कर सकते हैं जो शरीर को विषाक्त करने, हाइड्रेशन करने और स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इसे रोजाना पीने से आपके शरीर को ताजगी मिलेगी और आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी। इसके अलावा, खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर में मौजूद विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज आपके शरीर की सुरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।


ध्यान दें कि यह डिटॉक्स वॉटर केवल एक पेय पदार्थ है और किसी भी चिकित्सा या वजन घटाने के उद्देश्यों के लिए आधिकारिक उपचार नहीं है। यदि आपके पास किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या है या आप किसी प्रणाली के लिए सलाह चाहते हैं, तो सर्वोच्च स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह लें।

***  इसके अलावा, खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर के साथ आप अपने पसंद के तरीके से विभिन्न संघटकों को जोड़ सकते हैं। यह आपके स्वाद को विविधता और पोषण देने में मदद करेगा। आप नींबू पत्ती, पुदीना पत्ती, अदरक, टुलसी पत्ती या अन्य स्वादानुसार विभिन्न पत्तियों या फलों का उपयोग कर सकते हैं। 

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

बुधवार, 5 जुलाई 2023

शहद खाने के 5 फायदे व नुकसान इन हिंदी.

 शहद खाने के 5 फायदे व नुकसान इन हिंदी.

#आयुर्वेद में शहद के 5 गुण

आयुर्वेद में शहद को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है और इसे अनेक गुणों से युक्त माना जाता है। यहां पांच मुख्य गुण हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए:

**रसायनिक गुण (Rasayana Properties):–

 शहद को रसायनिक गुणों से युक्त माना जाता है, जो शरीर को बल, प्रतिरक्षा और यौवन देते हैं। इसका नियमित सेवन शरीर की संतुलित गतिविधियों को सुनिश्चित करने में मदद करता है और स्वस्थ्य और विटामिन की वृद्धि को बढ़ाता है।

**ज्वरनाशक गुण (Jwaranashak Properties):–

 शहद को ज्वरनाशक गुणों से भी जाना जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो अणुओं और पैथोजेनों के खिलाफ लड़ते हैं और शरीर को ज्वर के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं।

**पाचनशक्ति (Pachanashakti):–

 शहद पाचनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है और पाचन तंत्र को संतुलित रखने में सहायता प्रदान करता है। यह आमतौर पर पाचन को सुधारने, अपच, एसिड

लेकिन अत्यधिक पाचन बिगडऩे पर शहद अपने चिकित्सक की सलाह लेकर ही प्रयोग करें अन्यथा हानि की अधिक सम्भावना होती है,थोड़ी मात्रा में लेने से पाचनशक्ति को नियंत्रित करने, अम्लपित्त, एसिडिटी और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

** प्रतिश्यायशोधक (Pratishyayashodhak):–

कफ नाशक होने से शहद श्वासनली संबंधी समस्याओं, जैसे साइनसाइटिस, जुकाम, कफ और गले में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। यह श्वासनली को साफ़ करने, नाक संक्रमण को दूर करने और श्वासनली की संरक्षण शक्ति को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।

** पुरिफायर (Purifier):–

शोधनकर्म करने से शहद शरीर की स्नायुओं, रक्त और त्वचा को शुद्ध करने में मदद कर सकता है। यह आंत्र, रक्तमांश, मूत्रमार्ग, त्वचा और विभिन्न अंगों की परिष्कृति को बढ़ावा देता है और शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है।

> ये थे कुछ मुख्य गुण जो आयुर्वेद में शहद को संबोधित करते हैं। आपको ध्यान देना चाहिए कि ये गुण व्यक्ति के शरीर और प्रकृति पर निर्भर कर सकते हैं, 


#शहद के5 नुकसान:-

  शहद (हनी) एक प्राकृतिक पदार्थ है जिसे बहुत सारे लोग मिठास के स्वाद के लिए उपयोग करते हैं। यह असाधारण औषधीय गुणों के साथ-साथ शरीर के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में शहद का उपयोग नुकसानकारी भी हो सकता है। यहां शहद के कुछ नुकसानों की एक सूची है:

* मधुमेह के लिए खतरा:–

 शहद में मिठाई की मात्रा उच्च होती है और इसलिए मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी को इसका सेवन संख्याग्रहण के साथ करना चाहिए। इसलिए, मधुमेह के लिए शहद का उपयोग करने से पहले एक चिकित्सक से परामर्श करना अच्छा रहेगा।

*शहद के संक्रमण का खतरा:– 

यदि शहद न सही ढंग से उपयोग किया जाए, तो इसमें बैक्टीरिया, वायरस और अन्य पथोजनों के संक्रमण का खतरा हो सकता है। विशेष रूप से, बच्चों, अधिक उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं और इम्यूनोकंप्रोमाइज़्ड व्यक्तियों को शहद के सेवन के संबंध में सतर्क रहना चाहिए।

*अलर्जी की संभावना:–

 कुछ लोगों को शहद के प्रति अलर्जी हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को शहद खाने पर चुभन, त्वचा में खुजली, चकत्ते या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण आते हैं, तो उन्हें शहद का सेवन बंद करना चाहिए और चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

*बच्चों के लिए खतरा:–

 शहद को बच्चों के अल्पाहार में देने से पहले विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। शहद में बैक्टीरिया हो सकते हैं जो छोटे बच्चों के अवयस्क प्रणाली के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, बच्चों को शहद का सेवन करवाने से पहले उचित साफ-सफाई और परामर्श करना जरूरी होता है।

* शहद की अधिक मात्रा से परेशानियाँ:–

 शहद में मिठाई की मात्रा उच्च होती है, जिसके कारण अधिक मात्रा में शहद का सेवन करने से पेट संबंधी अवस्थाओं जैसे अपाच, पेट में गैस, डायरिया या वजन बढ़ने की संभावना हो सकती है। इसलिए, शहद का सेवन करते समय मात्रा का ध्यान रखना चाहिये,

**शहद में विषाक्तता:–

 शहद को सफाई और गुणवत्ता के साथ लेना महत्वपूर्ण है। यदि शहद में विषाक्तता हो, तो इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले प्रमाणित या संग्रहीत शहद का उपयोग करें और अनधिकृत या असंकेतित स्रोतों से दूर रहें।

**शहद के वजन बढ़ने का खतरा:–

 शहद में मिठास होती है, और यदि आप अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो आपका वजन बढ़ सकता है। शहद को एक सेहतमंद आहार का हिस्सा मानते हुए, उसका सेवन मात्रा को नियंत्रित रखें और एक संतुलित आहार पर ध्यान रखें। अधिक मात्रा में शहद का सेवन करने से अतिरिक्त कैलोरी मिलती है जो आपके वजन में वृद्धि का कारण बन सकती है।

** शहद का दांतों पर असर:–

 यदि आप अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो इसका दांतों पर असर हो सकता है। शहद में मिठास होती है जो कैरीएस विकृति (दांतों की खराबी) का कारण बन सकती है। इसलिए, शहद के सेवन के बाद अच्छे दांतों की सफाई और देखभाल करना महत्वपूर्ण है।

**गर्भवती महिलाओं के लिए असुरक्षित:–

 गर्भवती महिलाओं को शहद का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। शहद में बैक्टीरिया हो सकते हैं जो गर्भवती महिला और बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। सावधानी बरतने के लिए, गर्भवती महिलाएं शहद की जगह अन्य सुरक्षित विकल्पों का उपयोग कर सकती हैं।

यदि आपको शहद के सेवन के संबंध में किसी विशेष चिकित्सा सलाह की जरूरत होती है, तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। वे आपको विशेष रूप से आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले निर्देश और सलाह प्रदान कर सकते हैं। यह आपके व्यक्तिगत स्थिति और स्वास्थ्य पर आधारित होगा।

>>ध्यान देने योग्य बातें:–

शहद को सदा से बारे में एक पेशेवर चिकित्सक से परामर्श करना सुनिश्चित करें। वे आपको विशेष तरीकों के साथ अपनी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर सही दिशा निर्देशित करेंगे।

शहद का सेवन मात्रा को नियंत्रित करें और अधिकता से बचें। अधिक मात्रा में शहद का सेवन करने से पहले, अपने चिकित्सक की सलाह लें और अपने आहार योजना को उपयुक्त रूप से नियंत्रित करें।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

सोमवार, 3 जुलाई 2023

चर्बी दूर कैसे करें? In hindi

 चर्बी दूर कैसे करें? In hindi


मोटापा दूर कैसे करें?

#रावण का मेदोबृद्विहर आयुर्वेदिक योग

#मोटापा आयुर्वेदिक दवा से कैसे दूर करें ?In hindi.

#Charbi kaise kam kere?

>> Obesity treatment|मोटापे का ईलाज|

#DrVirenerMadhan.

मोटापा-

शरीर में अत्यधिक वसा के कारण होने वाला विकार है जो स्वास्थ्य को खराब कर देता है.अनेक रोगों को जन्म देता है।

मोटापा- 

खर्च होने वाली कैलोरीज़ से ज़्यादा कैलोरीज़ लेने के कारण बढ़ता है.

#मोटापे के सामान्य लक्षण:-

-Motape ke samanya lakshan,

-चलने मे सांस फुलना,

-भुख अधिक लगना,

 - जोड़ या पीठ मे  दर्द होना.

 - वजन ज़्यादा होना, 

- खर्राटे आना, 

- तोंद का बढना,

-अधिक पसीना आना,

- थकान रहना, या 

- बहुत ज़्यादा खाना मोटापे के  सामान्य लक्षण हो सकते है।



#मोटापे के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं। :-

- सांस फूलना – 

बार-बार साँस फूलने की समस्या का होना मोटापे का लक्षण है जो कई कारणों से हो सकता है और कई रोगों का कारण बनता है।

- पसीना में वृद्धि – 

अचानक से बार-बार पसीना आना 

- बिना कोशिश करे वजन बढना।

#मोटापे का आयुर्वेद मे कैसे उपचार कर सकते है?

- शारिरिक स्थूलता को दूर करने के लिए कुछ सावधानियां करनी पड़ती है जैसे-

#आहार में सावधानी:-

-पुराने चावल, मुंग, कुलथी, वनकोदों आदि अन्नो का हमेशा प्रयोग करना चाहिए।

#कर्म-

बस्तिकर्म, चिन्ता ,व्यायाम, धुम्रपान , उपवास, रक्तमोक्षण,

कठोर स्थान पर सोना, तमोगुण का त्याग करना चाहिए।

* आहार विहार मे संयम रखें।

* पहला भोजन पचाने के बाद ही दोबारा भोजन करें 

बार बार थोडी थोड़ी देर में भोजन न करें।

- परिश्रम, मार्गगमन यानि पैदल खुब चले।

- मधु का सेवन करें, रात्रि जागरण करें।

- पतिदिन अन्नो का माण्ड बनाकर पीयें।

- वायविंडग, सौठ, जवाखार, कालेलोहे का मण्डुर ,और मधु का सेवन करें।

- आंवला और यवचूर्ण  मिलाकर कर खाने से मोटापा दूर होता है।

- चव्य,जीरा,त्रिकटु (सौठ, कालीमिर्च, पीपल),हिंग, कालानमक, चित्रक, इन सबके चूर्ण बना कर सत्तु मे मिला लें फिर इसे दही के पानी (दही नही) के साथ प्रयोग करने से चर्बी नष्ट हो जाती है।

#एक मोटापा नष्ट करने का महायोग:-

त्रिकटु(सौठ, कालीमिर्च, पीपल), सहजन की जड,त्रिफला, कटुकी, कटहरी, हल्दी, दारुहल्दी, पाठा, अतीस, शालवन, केतकी की जड, अजवाइन, चित्रक, कालानमक, कालाजीरी, हाऊबेर, इन सबका चूर्ण बना लें।

बाद मे

1भाग चूर्ण

1भाग धी

1भाग मधू

16 भाग यव का सतू (जौ का सतू) इसको किसी रुचि कर शीतल पेय के साथ पान करें



*इसके प्रयोग से 

प्रमेह,मूढवात, कुष्ठ, अर्श, कामला, पाण्डू रोग, प्लीहा सूजन, मूत्रकृच्छ,  अरोचकति,  हृदय सम्बंधित रोग, क्षयरोग, खाँसी , श्वास रोग, गलग्रह ,कृमि, ग्रहणी ,शैत्य यानि शीतका प्रकोप, मोटापा जैसे कठिन रोगों को शीध्र ही उन्मूलन कर देता है।

[यह योग रावण संहिता के रोग चिकित्सा ज्ञान से लिया है]

इस योग से क्षुधाग्नि , शक्ति, बुध्दि, तथा स्मरणशक्तिभी बढती है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शनिवार, 1 जुलाई 2023

हृदय रोग के लक्षण और उपचार इन हिंदी.

 हृदय रोग के लक्षण और उपचार इन हिंदी. Look

#छाती में दर्द रहता हो तो करें 10 उपाय।

Dr.VirenderMadhan.

छाती में दर्द होना

सवाल उठता है छाती में दर्द होने का क्या कारण हो सकता है?

क्यों होता है छाती में दर्द?

#छाती में दर्द होने के कारण (Chest Pain Causes)


ऐसे में इसे नजरअंदाज करने की भूल बिल्कुल भी ना करें। छाती में दर्द का मुख्य कारण *हार्ट अटैक, 

*एन्जाइना, 

*हार्ट के ब्लड वेसल्स में रुकावट होने, 

*हार्ट की मांसपेशियों में सूजन आना, 

*दिल की बड़ी रक्त वाहिका में कोई समस्या होने पर भी दर्द हो सकता है।

* हृदय रोग हो जाने पर जब रक्त की धमनी के भीतर वसा[आम] की परतें जम जाने से वह पूर्ण रूप से बंद हो जाती हैं अथवा खून का थक्का (ब्लड क्लोट) बन जाने से धमनी में रक्त प्रवाह का मार्ग एकाएक अवरुद्ध हो जाता है और हृदय को ऑक्सीजनयुक्त रक्त मिलना बिल्कुल बंद हो जाता है, तब छाती में अचानक असहनीय तेज दर्द उठता है, 

#हृदय रोग के लक्षण, कारण,  और उपचार

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#हृदय_रोग_के_लक्षण,

- हाथ-कमर और जबाडा में दर्द होना।

- हाथों में दर्द होना,

- कमर में दर्द होना,

- गर्दन में दर्द होना और यहां तक की जबाडे में दर्द होना भी दिल की बीमारियों का एक लक्षण हो सकता है।

- चक्कर आना या सिर घूमना: कई बार चक्कर आने, 

- बेहोश होने और बहुत थकान होने जैसे लक्षण भी एक चेतावनी हैं।

कुछ कारण:-

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क्यों होता हृदयरोग है?

- हृदयाघात

- रुमेटिक हृदय रोग

 - जन्मजात खराबियां

- हृदय की विफलता

- पेरिकार्डियल बहाव

#आयुर्वेद के अनुसार कारण:-

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* हृदय रोग का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान करना, 

**पारिवार में किसी को इस बीमारी का होना, 

** बहुत ज्यादा मोटापा, **मधुमेह और उच्च रक्तचाप होना, 

** सुस्त जीवनशैली का होना, ** दैनिक जीवन में शारीरिक श्रम न करना,

** बहुत ज्यादा तनाव लेना और 

** फास्टफूड का सेवन करना।

चिकित्सा:–

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#हृदय_रोग_के_उपचार

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#हृदय शूल के आयुर्वेदिक 10 उपाय:-

1- चितल के सिंग की भस्म घी मिलाकर खिलाने से हृदयशूल मे तुरंत आराम मिलता है यह सर्वोत्तम तथा चमत्कारी औषधि है।

2-अर्जुन की छाल का रस 4 किलो घी एक किलो मिलाकर घृतपाक कर जब घी मात्र रह जाये तो छान कर रखें 

उसमे से 10-10 ग्राम घी को दूध के साथ लेने से हृदयशूल तथा हृदय के अधिकतर रोग ठीक हो जाते है।

3- बादामी रंग की गाजर लेकर 100 ग्राम रस निकालें उसमें10 ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में 2-3 बार पीयें यह दिल के लिए उत्तम टोनिक है।

4-असली सफेद चंदन को घीसकर 1 ग्राम ले उसे एक गिलास पानी में घोलकर पीयें यह दिल के घबराहट की अच्छी दवा है।

5- हृदयशूल के बाद केला गौदूध के साथ खिला देने से मृत्यु का भय कम हो जाता है।

6- बडी ईलायची का पाउडर बना कर रखें 2 ग्राम चूर्ण शहद मे मिला कर चाटने से सभी प्रकार के हृदय रोगो मे आराम मिलता है।

7- तरबूज के बीज की मिगी का चूर्ण 6 ग्राम देते रहने से दिल की घबराहट ठीक हो जाती है।

8- 250 ग्राम घीया (लौकी)  कसी हुई लौकी को या तो  ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। फिर उसे कपड़े से रस छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डाल लें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4  पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा। 

9-  पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।

10- एकाएक दर्द होने पर एक हरा या सुखा आंवला खायें।

#हृदय रोगों से सावधानी

हृदय रोग की रोकथाम:–

*चिंता से दूर रहे,

*मेडिटेशन करें,

* धूम्रपान न करें या तम्बाकू का उपयोग न करें,

* अधिकांश दिनों में 30 मिनट के लिए व्यायाम करें

**दिल के लिये स्वस्थ आहार खाएँ

**स्वस्थ वजन बनाए रखें

**नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं

[अपने चिकित्सक से सलाह करना जरूरी है]

धन्यवाद!

शुक्रवार, 30 जून 2023

करी पत्ते के 10 फायदे

 करी पत्ते के 10 फायदे

#करीपत्ता

Dr.VirenderMadhan,

करी पत्ता, जिसे अंग्रेजी में "Curry Leaves" कहा जाता है, एक पौधे की पत्ती है जिसका उपयोग भारतीय खानों में खुशबूदार मसालों और तड़के में किया जाता है। यह न केवल एक टेस्टी खाद्य पदार्थ में एक खुशबू और स्वाद जोड़ता है, बल्कि इसके उपयोग से कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यहां कुछ करी पत्ते के महत्वपूर्ण फायदे हैं:–


*पाचन को सुधारता है:–

 करी पत्ते में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट और फाइबर पाचन को सुधारते हैं। इसका उपयोग अपच, गैस, एसिडिटी और और पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।

*शरीर के वजन को नियंत्रित करता है:–

 करी पत्ते में पाया जाने वाला कैर्बोहाइड्रेट और फाइबर एक व्यक्ति को भोजन के बाद लंबे समय तक भूख नहीं महसूस करने में मदद करता है। इसके बारे में अध्ययनों में देखा गया है कि करी पत्तों का सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

*रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है:–

करी पत्ते में मौजूद अंटीऑक्सिडेंट और विटामिन सी के कारण, इसका उपयोग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। यह शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करके मधुमेह के प्रबंधन में सहायता प्रदान कर सकता है।

*हृदय स्वास्थ्य को सुधारता है:–

 करी पत्तों में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण तत्व, जैसे कि महत्त्वपूर्ण तेल, अंटीऑक्सिडेंट्स, और विटामिन सी, हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। इसका नियमित सेवन, हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है, जैसे कि हार्ट अटैक, दिल की बीमारी, और हाई ब्लड प्रेशर।

*बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है:–

 करी पत्तों में प्राकृतिक तौर पर पाये जाने वाले पोषक तत्व बालों के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं। इसका नियमित सेवन बालों को मजबूत और चमकदार बनाने, बालों के झड़ने को कम करने और बालों के सफेद होने को रोकने में मदद कर सकता है।

   यहां कुछ और करी पत्ते के फायदे हैं जो निम्नलिखित हैं:–

*आंखों के स्वास्थ्य को सुधारता है:–

 करी पत्ते में पाये जाने वाले विटामिन ए और कैरोटीनॉयड्स आंखों के स्वास्थ्य को सुधारते हैं। इसका नियमित सेवन दृष्टि को मजबूत रखने, रेटिना की सुरक्षा करने और आंखों से जुड़ी बीमारियों को कम करने में मदद कर सकता है।

* एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव:–



 करी पत्ते में प्राकृतिक तौर पर पाये जाने वाले कंपाउंड्स एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं। इसका सेवन शरीर के इंफ्लेमेशन को कम करने, सूजन को कम करने और शारीरिक दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।

* त्वचा को सुंदरता प्रदान करता है:–

 करी पत्ते में पाये जाने वाले विटामिन ए और एंटीऑक्सिडेंट्स त्वचा के स्वास्थ्य को सुधारते हैं। इसका नियमित सेवन त्वचा को रोशनी, नमी और मुलायमी बनाने, मुहासों और दाग-धब्बों को कम करने और उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

* एंटीमाइक्रोबियल गुण:–

 करी पत्ते में प्राकृतिक रूप से मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। यह बैक्टीरिया, फंगल और वायरल संक्रमणों के खिलाफ संरक्षा प्रदान कर सकता है।

*आंशिक आंत्रिक तंत्र की सुरक्षा:–

 करी पत्तों में प्राकृतिक तौर पर मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और पौष्टिक तत्वों का नियमित सेवन आंशिक आंत्रिक तंत्र की सुरक्षा करने में मदद कर सकता है। इससे आंत्रिक ऑर्गनों को मजबूत रखने, ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की सही आपूर्ति सुनिश्चित करने और सामान्य स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिल सकती है।

  करी पत्ते को स्वादिष्ट खाने के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए इसका नियमित उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। यह अन्य सब्जियों, खिचड़ी, सूप, चाय आदि में भी उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, किसी भी नई आहारी या उपचारिका को आवंटित करने से पहले इसके सदर्भ में, आपको अपने वैद्य या पोषण सलाहकार से संपर्क करके करी पत्ते के सेवन के बारे में सलाह लेनी चाहिए, विशेषतः यदि आपके पास किसी विशेष रोग या शारीरिक स्थिति से जुड़ी कोई समस्या है। यदि आप किसी भी प्रकार की एलर्जी के प्रति संवेदनशील हैं, तो भी अपने डॉक्टर से परामर्श करें क्योंकि करी पत्ते एलर्जी का कारण बन सकते हैं।

करी पत्ते का सेवन सामान्यतः स्वास्थ्य और आंतरिक तंत्र के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन या अवधि से पहले अपने वैद्य की सलाह लेना जरूरी है। वैद्य या पोषण सलाहकार आपकी व्यक्तिगत स्थिति को ध्यान में रखते हुए आपको सही मात्रा और तरीके से करी पत्ते का उपयोग करने की सलाह देंगे।

प्रश्नोत्तर

Q:– करी पत्ते के फायदे क्या है?

करी पत्ते के गुण:–

– इसके ब्लड प्रेशर कम करने वाले प्रभाव होता हैं

–इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होती है

–यह एंटीवायरल होती है

– यह एंटीफंगल, एंटी प्रोटोज़ोअल है

– यह एक लैक्सटिव प्रभाव रखता है (कब्ज में मदद करता है)

– एंटी-डायरियल गुण होने से यह डायरिया मे लाभप्रद है,

Q:–करी पत्ते का उपयोग कैसे करें?

Ans:– इसके सेवन के लिए कढ़ी पत्तों को पीसकर इसके रस को छाछ के साथ दिन में दो से तीन बार लेना है जिससे आपको जल्द दस्त में आराम मिल जाएगा। करी पत्ते में मौजूद पोषक तत्व बालों को जल्दी सफेद नहीं होने देते और बालों का झड़ना भी कम करते हैं। यह डैंड्रफ जैसी समस्याओं में भी कारगर होता है। खाली पेट करी पत्ते खाने से वजन कम होता है।

Q:–प्रतिदिन कितने करी पत्ते खाने चाहिए?

Ans:– इसका सेवन करने से पाचन से जुड़ी काफी सारी दिक्कतें दूर हो सकती हैं जैसे गैस, एसिडिटी और पेट फूलना जैसी समस्याओं को इसका सेवन करके दूर किया जा सकता है। आप खाना बनाते समय इसका प्रयोग करने के साथ-साथ 3 से 4 पत्तों को रोजाना चबा सकते हैं।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,