Guru Ayurveda

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

पुदीने से करें रामबाण उपाय.

 पुदीने से करें रामबाण उपाय.



पुदीने के 8 चमत्कारी गुण.

Dr.VirenderMadhan.

#पुदीना क्या है?

पुदीना, मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाइ जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

#पुदीनेके नाम:-

पुदीने को मेंथा एवरैसिस, मेन्था-स्पाइकेटा, स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।

संघटन:-

*पुदीने में मेंथोल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, कॉपर, आयरन आदि पाये जाते हैं।

#पुदीना का आयुर्वेदानुसार उपयोग क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना  कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि विकार को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

#पुदीना के अन्य लाभ:-

 - पुदीना की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मियों में पुदीने की चटनी,जलजीरा, शरबत के रुप मे इसका सेवन करते है।

 इसका प्रयोग औषधि के रूप में ही नहीं, बल्कि भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। पेटदर्द, एसिडिटी, बदहजमी जैसी समस्याओं का चुटकी में इलाज करती है। 

* पुदीना पाचन शक्ति सुधारता है।

- पुदीना में फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स और एंटीऑक्सिडेंट होते है, जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करते हैं। इस पौधे में मेन्थॉल होता है, जो डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बाइल सॉल्ट और एसिड के निष्कासन  करता है। 

- पुदीना के सेवन से गैस की समस्या दूर होती है। मेन्थॉल मांसपेशियों की क्रिया सुचारू रूप से करने में सहायता करता है, जिससे बदहजमी के लक्षण दूर होते हैं। 

*पुदीना त्वचा के लिए फायदेमंद है ।

- पुदीने से तैयार फेस पैक लगाने से झुर्रियां और बारीक लकीरें नहीं होती हैं। पुदीना में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, 

- जिन लोगों को मुंहासे अधिक होते हैं, वो पुदीने की पत्तियों से तैयार लेप चेहरे पर लगाएं। इस लेप में गुलाब जल, बेसन भी मिला सकते है। इस फेस पैक को 15 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। फिर पानी से धो लें। 

* मुंह की दुर्गंध दूर करे पुदीना।

अगर मुंह से अधिक बदूब आती है, वो पुदीने की पत्तियों का सेवन (Peppermint Benefits) करें। पुदीने की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इसे ठंडा करके इससे कुल्ला करने से बदबू चली जाएगी।

*पुदीना हीटस्टोक (लू) से बचाए.

 घर से बाहर जाना हो तो पुदीने का रस पिएं या इससे तैयार शरबत पीकर ही घर से निकलें। 

*हैजा के लक्षणों को कम करता है।

* हैजा (cholera) कई बार दूषित भोजन और पानी पीने से होता है। हैजा होने पर आप घरेलू उपायों में पुदीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुदीने की पत्तियों का रस, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से फायदा होगा।

#पुदिना को कैसे खायें?

 पुदीने का रस गन्ने या फिर निम्बू पानी में मिलाकर पी सकते हैं. 

-पुदीने की ताजी पत्तियों से तैयार हरी चटनी खाएं।

 इसमें हरी मिर्च, आंवला, लहसुन, धनिया पत्ती डालकर मिक्सी में पीस लें। पुदीने की चटनी भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही पेट को शीतलता भी प्रदान करेगी।

- पुदीने का काढ़ा भी पी सकते हैं। 

- पुदीने को सलाद, दही या किसी भी भोज्य पदार्थों में मिला कर प्रयोग कर सकते हैं।

- पुदीने के पत्तों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में नींबू, नमक डालकर पीने से डिहाइड्रेशन नहीं होगा।

-पुदिने का आयुर्वेदिक दवाओं मे प्रयोग किया जाता है।

-पुदिनहरा भी एक आयुर्वेदिक पुदिने से बनी औषधि है।


लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर लिखें।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

सोमवार, 17 जुलाई 2023

चीनी की जगह क्या 5 चीजें खाये?

 चीनी के विकल्प: 5 चीजें

#चीनी की जगह क्या 5 चीजें खाये?

चीनी की जगह, आप निम्नलिखित 5 विकल्पों को विचार कर सकते हैं:–


#शहद (Honey):–

 शहद एक प्राकृतिक मिठाई है जिसे दुनियाभर में उच्च मानकों पर उत्पन्न किया जाता है। इसे भोजन और पेय के लिए उपयोग किया जा सकता है। शहद बहुत सारे स्वास्थ्य लाभों के साथ आता है और विभिन्न व्यंजनों को मीठा करने के लिए भी उपयोग होता है।

#जगरी (Jaggery):–

 जगरी एक एकदिवसीय गन्ना शर्करा है जो उत्तर भारतीय खाद्य पदार्थों में प्रयोग होती है। यह गन्ने के रस को इकट्ठा करके बनाई जाती है और आमतौर पर गुड़ या गुड़ कहलाती है। जगरी मिठाई के रूप में या ताड़ी पत्ते से निकली चिकनी सफेद गोंद से बनाई जाती है और विभिन्न व्यंजनों में उपयोग होती है।

#मिश्री (Rock Sugar):–

  मिश्री एक प्राकृतिक चीनी है जिसे शक्कर के दाने के रूप में जाना जाता है। यह एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है और विभिन्न पकवानों में मीठाई या मसालेदार स्वाद देने के लिए उपयोग होती है।

#स्टीविया (Stevia):–

   स्टीविया एक प्राकृतिक मिठास्वादित पौधा है जिसकी पत्तियों से मिठास्वादित पदार्थों को मीठा किया जाता है। यह एक पौष्टिक विकल्प हो सकता है जो शक्कर की जगह प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स शून्य होता है और कैलोरी में कम होता है।

#बेलगियन या डार्क चॉकलेट (Belgian or Dark Chocolate):–

   बेलगियन या डार्क चॉकलेट माध्यमिक या अधिक ककाओ परत से बनाई जाती है और चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती है। इसमें अनुशासित मात्रा में मिठास होती है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जानी जाती है, जैसे कि मनोभाव, एंटीऑक्सिडेंट्स, और मानसिक स्वास्थ्य की सुधार।

     *आप अपनी पसंद और प्राथमिकताओं के आधार पर चुन सकते हैं। यह सिर्फ पांच विकल्प हैं और इससे अधिक चीजें भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, आप अन्य विकल्पों को भी विचार कर सकते हैं, जैसे कि फल, सौंफ, काजू, खरबूजा आदि। आपकी व्यक्तिगत पसंद के अनुसार, चीनी की जगह इन विकल्पों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

बरसात में कौन कौन से रोग होते हैं?

 बरसात में कौन कौन से रोग होते हैं?

#बरसात में होने वाले रोग,

#Dr.VirenderMadhan

[बरसात में होने वाले रोगों के नाम]

बरसात के मौसम में कुछ रोग हो सकते हैं, जो आमतौर पर वायुमंडलीय और जलवायु बदलावों के कारण होते हैं। यहां कुछ ऐसे रोगों के नाम हैं जो बरसाती मौसम में आमतौर पर देखे जाते हैं:



* जुकाम और सर्दी (Common Cold):–

 बरसाती मौसम में आपके शरीर का तापमान घट सकता है, जिसके कारण जुकाम और सर्दी की समस्या हो सकती है। यह वायरल संक्रमण के कारण होता है और छींकने, नाक बहना, गले में खराश आदि के लक्षण हो सकते हैं।



* मलेरिया (Malaria):–

 बरसात के मौसम में मच्छरों की संख्या बढ़ सकती है, जो मलेरिया जैसे रोग के प्रसार में मदद कर सकती है। मलेरिया मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फैलाने वाले मच्छरों के काटने से होता है और इसके लक्षण में बुखार, शरीर में दर्द, ठंड आदि शामिल हो सकते हैं।

* डेंगू बुखार (Dengue Fever):–

 बरसाती मौसम में डेंगू बुखार के मामले बढ़ सकते हैं, क्योंकि इसके प्रसार में मच्छरों की संख्या बढ़ती है। यह वायरस एडेस मच्छर के काटने से फैलता है और इसके लक्षण में बुखार, सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, सूजन, लाल दाग आदि शामिल हो सकते हैं।

* लीप्टोस्पिरोसिस (Leptospirosis):–

 यह बरसाती मौसम में जल-संपर्क से होने वाला रोग है। जब बाढ़ आने पर भूमि और पानी में लीप्टोस्पिरा बक्टीरिया मौजूद होते हैं और जब यह संपर्क मनुष्य के द्वारा होता है, तो यह रोग हो सकता है। इसके लक्षण में बुखार, मुँह की सूजन, मुंह के चारों ओर दाने, मुँह का सूखापन, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द आदि शामिल हो सकते हैं।



* जलवायुतन्त्रजनित अस्थमा (Seasonal Asthma):–


 बारिश के मौसम में आपके आस-पास पर्यावरण में पोल्यूशन और वायुमंडलीय परिवर्तन हो सकते हैं, जो अस्थमा के लिए त्रिगर कारक बन सकते हैं। अस्थमा के मरीजों को बारिशी मौसम में श्वास लेने में परेशानी हो सकती है और वे सांस लेने में कठिनाई, छाती की टनपन, सांस लेने में घुटन और घुटन जैसे लक्षणों का सामना करना पडता है.

* फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections):–

   बरसाती मौसम में नमी और गीले माहौल के कारण फंगल इन्फेक्शन हो सकते हैं। तालाबों, पौधों और मिट्टी की जगहों पर फंगल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। यह त्वचा, नाखूनों, बालों और त्वचा के नीचे के क्षेत्रों में खुजली, दाने, दर्द और लालिमा के रूप में प्रकट हो सकते हैं।


* टाइफाइड (Typhoid):–

      बरसात के मौसम में पानी और खाद्य में आलस्य और संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है, जिससे टाइफाइड के मामले बढ़ सकते हैं। टाइफाइड बैक्टीरिया साल्मनेला टाइफी पानी और खाद्य से फैलता है और इसके लक्षण में बुखार, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, कमजोरी आदि शामिल हो सकते हैं।


* स्किन इंफेक्शन (Skin Infections):–

    बरसाती मौसम में गीले और नम वातावरण में त्वचा संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है। फंगल इन्फेक्शन के अलावा, बरसात के मौसम में चर्म रोगों जैसे दाद, खुजली, पेटेकिए, सेबोरिक डर्मेटाइटिस आदि की समस्या हो सकती है।

* ज्यूनियो आयरिटिस (Juvenile Arthritis):–

      यह ज्यूनियो आयरिटिस कहलाता है और यह बच्चों और युवाओं में होता है। इसके लक्षण में जोड़ों में दर्द, स्वेलिंग, स्टिफनेस और गतिशीलता की कमी शामिल हो सकती है। बरसाती मौसम में वातावरणिक परिवर्तन के कारण यह समस्या बढ़ सकती है।

–  इनमें से कुछ रोगों को बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे कि स्वच्छता का ध्यान रखना, पानी का प्रयोग सतर्कता से करना, स्वस्थ आहार लेना, हाथ धोना और हाथों को सुखाना, त्वचा की सुरक्षा के लिए सुन्दरीकरण का ध्यान रखना, और विशेषतः मच्छरों से बचने के लिए मच्छर नेट, मॉस्किटो रिपेलेंट आदि का प्रयोग करना।


हालांकि, यदि आपको लगता है कि आप या कोई आपके आस-पास किसी रोग से पीड़ित हो रहा है, तो आपको स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लेना चाहिए और उनसे उचित इलाज के बारे में सलाह मांगनी चाहिए। बारिश के मौसम में होने वाले और बारिश से जुड़े अन्य कुछ रोगों के नाम हैं:–


* वायरल फ़ीवर (Viral Fever):–

 बरसाती मौसम में वायरल फ़ीवर के मामले बढ़ सकते हैं। इसमें बुखार, शरीर में दर्द, मांसपेशियों का दर्द, ठंड, थकान आदि के लक्षण हो सकते हैं।

* चिकनगुनिया (Chikungunya):–  

           चिकनगुनिया भी मच्छरों के काटने से फैलने वाला वायरल रोग है और इसके लक्षण में बुखार, जोड़ों का दर्द, सूजन, थकान आदि हो सकते हैं। बरसात के मौसम में इसके मामले अधिक हो सकते हैं।

* टायफाइड (Typhus):–

    यह भी एक वायरल संक्रमण है जो जल-संपर्क से होता है। त्यफाइड के लक्षण में बुखार, मांसपेशियों का दर्द, माथे में दर्द, बुखार की स्तिथि में सुधार होने के बाद भी दर्दी आदि हो सकते हैं।


* हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A):–

    यह जीवाणु संक्रमण खाद्य और पानी से फैलता है। इसके लक्षण में बुखार, उल्टी, पेट का दर्द, पीलिया (त्वचा और आंखों का पीलापन) आदि हो सकते हैं।

* जलसंक्रमण (Waterborne Infections):–

   बरसाती मौसम में पानी की संभावित आलस्य के कारण जलसंक्रमण हो सकते हैं, जैसे कि कॉलेरा, डायरिया, अंबेडियाज, जैवरिया, गार्डिया आदि। इनमें से हर एक का अपना लक्षण और उपचार होता है।


यदि आप या कोई आपके आस-पास किसी रोग से पीड़ित हो रहा है, तो आपको स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करके उचित चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। आपको अपने पर्यावरण में स्वच्छता और हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए, स्वस्थ आहार लेना चाहिए और जरूरत पड़ने पर वैक्सीनेशन करवाना चाहिए।

    इसके अतिरिक्त, बरसाती मौसम में होने वाले कुछ अन्य सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:


* पाचन संबंधी समस्याएं:–      

      बरसाती मौसम में भोजन में कीटाणु, फंगस या बैक्टीरिया के अवशेषों की मौजूदगी के कारण पाचन प्रणाली संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसमें पेट में गैस, अपच, दस्त, पेट दर्द आदि शामिल हो सकते हैं।

* जल और भूमि संक्रमण:–

     बारिश के दौरान जल और भूमि पर संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है। यह संक्रमण स्किन इंफेक्शन, जीवाणु संक्रमण और खाद्य संक्रमण के रूप में प्रकट हो सकते हैं।

* गले की समस्याएं:–

   बारिश के समय गले में समस्याएं जैसे कि गले में खराश, गले में दर्द, टॉंसिलाइटिस, और सूखी खांसी हो सकती हैं।

* प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी:–

     बारिशी मौसम में कई लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

इन स्वास्थ्य समस्याओं का पता चलते ही आपको चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए और व्यापक जांच और उचित उपचार के लिए सलाह लेनी चाहिए। आपको अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने के लिए अवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए।


यह ध्यान देने योग्य है कि रोगों के लक्षण और उपचार व्यक्ति के आयु, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य अनुभवों पर निर्भर कर सकते हैं। इसलिए, यदि आपको किसी रोग के लक्षण या संकेत महसूस हो रहे हैं, तो आपको अपने स्थानीय चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करने और विशेषज्ञ सलाह प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

मंगलवार, 11 जुलाई 2023

बरसात में क्या खायें|क्या न खाये ?

 बरसात में क्या खायें|क्या न खाये ?

#बरसात में क्या खायें?

बरसात में खाने का चयन करने के लिए आपके पास कई विकल्प हो सकते हैं। यहां कुछ आपके लिए सुझाव हैं:–

* पकोड़े और समोसे:–

 ये गर्म और कुरकुरे स्नैक्स बरसाती मौसम के लिए आदर्श होते हैं। आप मिर्ची पकोड़े, प्याज के पकोड़े, आलू समोसे या किसी अन्य वेराइटी का आनंद ले सकते हैं।


* भुजिया:–

 प्याज, मिर्च, बेसन या आलू से बनाई गई भजियां भी मौसमी सुरीले में मजेदार विकल्प हो सकती हैं।

*गरम चाय और पकोड़े:–

 बरसात में एक गरम चाय के साथ गरम और स्वादिष्ट पकोड़े का सेवन करना बहुत आनंददायक होता है।

*वेज मग्गी या नूडृल्स:–

 मग्गी या नूडल्स एक आसान और तत्परता भरा व्यंजन होता है जो आप घर पर तैयार कर सकते हैं और इसे बारिश के मौसम में आराम से खा सकते हैं।


*आलू टिक्की:–

 गरम आलू टिक्की भी एक पॉपुलर विकल्प है जो आप बरसात में खा सकते हैं। इसे हरी धनिया चटनी के साथ परोसें।

* दाल पकवान:–

 बरसाती दिनों में घर पर गरम दाल पकवान, चावल और रोटी का स्वाद लेना बहुत ही सुखद और राहतभरा होता है।


यदि आपको किसी विशेष व्यंजन की इच्छा है, तो आप उसे भी बरसात में खा सकते हैं। ध्यान दें कि सुरक्षितता को ध्यान में रखते हुए खाने का चयन करें और स्वच्छता का ध्यान रखें।

#बरसात में क्या न खाये?

- बरसात में कुछ आहार की सलाह नहीं की जाती है क्योंकि विभिन्न आहार के साथ संबंधित सुरक्षा संबंधी मुद्दे हो सकते हैं। यहां कुछ विषयों का ध्यान देना महत्वपूर्ण है:–

* बाहर का खाना:–

 बरसाती मौसम में बाहर के खाने का सेवन करना अनुचित हो सकता है। यह आपके स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है, क्योंकि आपको खाने की सामग्री की साफ़-सफ़ाई और तैयारी के तरीकों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है।

* बासी या खराब खाद्य पदार्थ:–

 बरसाती मौसम में खराब खाद्य पदार्थ जैसे कि बासी खाना, गला हुआ या सड़ गया खाना या विभिन्न अन्य खराबियों वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आपको पेट दर्द, जीवाणु संक्रमण या पेट की बीमारियों का कारण बना सकता है।

* ठंडे खाद्य पदार्थ:–

 बरसाती मौसम में ठंडे या ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करना अधिक विचारशील हो सकता है। इसमें ठंडी द्रवियों, जैसे कि बार्फ, इस्क्रीम, गर्म या ठंडे शरबत आदि, का सेवन शामिल हो सकता है जो आपको जुकाम, खांसी या जलने की समस्याओं का कारण बना सकते हैं।

* बर्फी, घी, और मक्खन:–

 गर्म आहार जैसे कि बर्फी, घी या मक्खन के सेवन को ध्यान में रखें। इन्हें ज्यादा मात्रा में खाने से पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

 - इन सलाहों का पालन करके, आप अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं और बरसात का आनंद उठा सकते हैं।

बरसात में कुछ अन्य आहार सावधानियां भी हो सकती हैं:–

* सड़ी हुई या उबली हुई खाद्य पदार्थ:–

 बरसाती मौसम में सड़ी हुई खाद्य पदार्थों जैसे कि सड़ी हुई रोटी, उबली हुई चावल या उबले हुए अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। ये आपको पाचन संबंधी तकलीफ़, डायरिया या पेट बदहज़मी का कारण बना सकते हैं।

गुड़ और दूध:–

 बरसाती मौसम में गुड़ और दूध का सेवन नहीं करना चाहिए, विशेष रूप से जब वे बाहर से आते हैं। गुड़ और दूध बारिश के मौसम में आसान रूप से उसी काल के लिए ख़राब हो सकते हैं और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

* ठंडे पानी से ध्यान रखें:– बरसात के समय ठंडे पानी का सेवन कम करें। ठंडे पानी के सेवन से शरीर का तापमान कम हो सकता है और इससे सर्दी लग सकती है या बीमारी का कारण बन सकता है। गर्म या उबले हुए पानी का सेवन पसंद करें।

* नमकीन और तली हुई चीजें:–

 बरसाती मौसम में ज्यादा नमकीन या तली हुई चीजें का सेवन नहीं करना चाहिए। ये आपके शरीर में आराम से पानी रखने की क्षमता को कम कर सकते हैं और देहान्तर की स्थिति को बढ़ा सकते हैं।

– यदि आपको किसी विशेष आहार संबंधी समस्या होती है, तो विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लेना सबसे अच्छा होगा। वे आपको आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सही सलाह दे सकते हैं। यदि आप शाकाहारी, सात्विक या किसी अन्य विशेष आहार संबंधी नियमों का पालन कर रहे हैं, तो वे भी आपके लिए बरसात में खाने के लिए उपयुक्त विकल्पों की सलाह दे सकते हैं।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

शनिवार, 8 जुलाई 2023

नीम के फायदे व नुकसान

 नीम के फायदे व नुकसान 

Dr.VirenderMadhan,

नीम के फायदे

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नीम (Neem) पौधा, जिसे वैज्ञानिक रूप से Azadirachta indica के नाम से जाना जाता है, भारतीय घरेलू उपचारों और आयुर्वेदिक दवाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नीम का प्रयोग संगठित रूप से अगरबत्ती, तेल, साबुन, क्रीम, औषधि आदि के रूप में किया जाता है। नीम के अनेक फायदे हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

* कीटाणुनाशक गुण:–

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 नीम आंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है। यह छाल, पत्तियों और बीजों में पाए जाने वाले नीमोइड्स के कारण कीटाणुओं को मारता है और कई संक्रमणों से बचाता है।

* त्वचा के लिए उपयोगी:–

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 नीम त्वचा के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट गुण त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं, मुहासों, दाग-धब्बों और चर्म रोगों को कम करते हैं। नीम के तेल का बार-बार मालिश करने से त्वचा की रक्षा होती है 

* मुंहासों का उपचार:–

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 नीम मुंहासों के इलाज में प्रयोग होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा के मुंहासों में मौजूद कीटाणुओं को मारते हैं और उन्हें सूखा देते हैं। नीम के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाकर मुंहासों पर लगाने से उन्हें कम करने में मदद मिलती है।


* शारीरिक सुरक्षा:–

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 नीम के पत्तों, बीजों और छाल का उपयोग बहुत सारी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके आंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण से शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है।

* उच्च रक्तचाप का नियंत्रण:– 

------------------------------------नीम का सेवन करने से रक्त में रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसमें पाए जाने वाले न्यूमेरिक एसिड रक्तचाप को कम करने में सक्षम होता है।

* नीम के फायदे अनेक हैं और यह विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन पहले नीम के उपयोग से पहले यदि आपको कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या हो तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

* नीम के नुकसान:–

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नीम पेड़ (Azadirachta indica) भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख पेड़ है और आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नीम के तत्वों को कई स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में नीम के उपयोग से नुकसान हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:-


*बडी मात्रा में लेना:-

धातुरा की तरह, नीम का उच्च मात्रा में सेवन करने से माध्यमिक या गंभीर प्रकृति की एंटीकोगुलेंट धारीता हो सकती है, जिसके कारण पाचन और नर्व संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।वात रोग हो सकता है.

* कुछ लोगों को नीम के पत्तों या पेड़ के प्रति एलर्जी हो सकती है। यदि किसी को नीम के प्रति एलर्जी होती है, तो उसे नीम से दूर रहना चाहिए।

* नीम के सेवन करने से कुछ लोगों को उल्टी, दस्त, चक्कर आना या त्वचा में खुजली हो सकती है। ऐसे मामलों में नीम का सेवन बंद करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए।

* नीम का उपयोग गर्भावस्था के दौरान नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव गर्भ के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

* नीम का तेल सीधे रूप से खाने के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें विषाक्त तत्व हो सकते हैं जो पाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। तेल का मात्रा में उपयोग केवल बाह्य रूप से होना चाहिए।

यदि आपको नीम के सेवन से संबंधित किसी भी दुष्प्रभाव का सामना हो रहा है, तो आपको तत्परता से इसका उपयोग करना बंद करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए।

प्रश्नोत्तर:-

Q:–नीम के क्या क्या फायदे हैं?

Ans:– नीम के फायदे (Benefits of Neem)

- यह डाइजेशन में सुधार करता है।

- थकान से राहत देता है।

- खांसी और प्यास को दूर करता है।

- घावों को साफ और ठीक करता है।

- यूटीआई और पेट के कीड़ों के लिए अच्छा है।

- मतली और उल्टी से राहत देता है।

- सूजन को कम करने में मदद करता है।

Q:–नीम के पत्ते खाने से क्या फायदा है?

Ans:– इम्यूनिटी बूस्ट करे- नीम में मौजूद एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से लड़ते हैं और वायरल सर्दी खासी से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करते हैं. यानी नीम की पत्तियों से इम्यूनिटी बूस्ट होती है. पाचन- पाचन से जुड़ी समस्या में भी नीम की पत्तियां फायदेमंद है

Q:–नीम के पत्ते कब खाना चाहिए?

Ans:– सेहत के लिए चमत्कारी हैं इस पेड़ के पत्ते, सुबह खाली पेट करें सेवन, शुगर का होगा खात्मा, 

आयुर्वेद में नीम की पत्तों को डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद लाभकारी माना गया है.

शुगर के अलावा यह त्वचा के रोगीयों को खाना चाहिए,

रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए भी इसे खाया जाता है

Q:-नीम के पत्ते कितना खाना चाहिए?

Ans:–  आप एक दिन में 6 से 8 नीम की पत्तियों का सेवन कर सकते हैं. इससे अधिक मात्रा में नीम की पत्तियों का सेवन करने से नुकसान हो सकता है. 

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

अश्वगंधा क्या है? In hindi.

 अश्वगंधा क्या है? In hindi.

अश्वगंधा पर मेरे अनुभव 

#Dr.VirenderMadhan, 

मनुष्य अगर अश्वगंधा की रोजाना एक ग्राम चूर्ण  दूध के साथ लेता है , 

–उसे कभी हड्डियों के रोग , –जोड़ों का दर्द , 

–कमर दर्द  नही सताते, 

–शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी पास नही फटकती , –दिमागी काम करने वाले अगर रोजाना की खुराक में इसे शामिल कर लें , तो उन्हें दिमागी कमजोरी महसूस नहीं होती है।

  अगर इसे रोजाना अपनी खुराक में शामिल कर लिया जाए तो जिंदगी भर 

*पागलपन , 

*डिप्रैशन आदि 

*किसी भी प्रकार का दिमाग का रोग जीवन में पास नही फटकता।  इस से सस्ती , आसान , सर्व सुलभ औषधि अपने चिकित्सा काल, जीवन  में मैंने कभी नही देखी। जिसका जीवन भर सेवन करने से कोई नुकसान नही। 

- पंसारी से आसानी से मिलती है।  असगंध नागौरी के नाम से लें । 

ध्यान रखें कीड़ा न लगा हो, पुरानी न हो। नहीं तो लाभ की आशा न रखें। 



** साधारण जन जो इसके गुणों का लाभ लेना चाहते हैं। उनके लिए मैं निम्न सरल , सुलभ योग बता रहा हुं। 

** 100 ग्राम अश्वगंधा की जड़ ,100 ग्राम मिश्री मिलाकर 2 ग्राम रोज पानी से या दूध से लें। 

इतनी मात्रा आम इंसान के लिए बताई है।  मौसम अनुसार अनुपान बदल सकते है । 

* यानि गर्मी में मलाई , मक्खन या मोती पिष्टी या प्रवाल पिष्टी एक-एक रत्ती मिलाकर । 

* सर्दी में मिश्री की जगह शहद , गुड़ के साथ लें सकते हैं। 

Ashwagandha के नाम:-

>> Common name:–  Ashwagandha, 

 Indian ginseng, 

 Poison gooseberry,  Winter Cherry

  Assamese: অশ্বগন্ধা asbagandha 

  Bengali: অশ্বগন্ধা asbagandha 

  Gujarati: આકસંદ aksand, અશ્વગંધા asvagandha 

  Hindi: असगन्ध asgandh, अश्वगंधा ashwagandha 

  Kachchhi: આસુન aasun, આસુંઢ aasund 

  Kannada: ಅಂಗಾರ ಬೇರು angara beru, ಅಶ್ವಗಂಧ ashwagandha, ಹಿರೇಮದ್ದಿನ ಗಿಡ hiremaddina gida, ಪನ್ನೇರು panneru, ಸೊಗದೆ ಬೇರು sogade beru 

  Malayalam: അമുക്കുരം amukkuram, പേവെട്ടി pevetti 

  Marathi: अश्वगंधा ashwagandha, आस्कंद askanda 

  Nepali: अश्वगन्धा ashwagandha 

  Oriya: ଅଶ୍ବଗନ୍ଧା ashwagandha 

 Punjabi: ਅਸਗੰਧ असगंध asgandh, ਅਸ਼ਵਗੰਧਾ अश्वगंधा ashwagandha ,Aksin ਅੱਕਸਿਨ अँकसिन

 Sanskrit: अश्वगन्धा ashvagandha 

 Tamil: அமுக்கிரா amukkira 

 Telugu: అశ్వగంధ ashwagandha 

 Tibetan: a swa ga ndhi, ba-dzi-ga-ndha 

 Tulu: ಅಶ್ವಗಂಧೊ ashwagandho 

  Urdu: اسگندهہ asgandh

  Botanical name:–

Withania somnifera 

  Family: Solanaceae (Potato family)


अश्वगंधा, भारत के सूखे भागों में ज़्यादातर पाया जाता है।  यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है जो प्रकृति में लगभग 6 फीट तक बढ़ती है।  यह 35-75 सेमी लंबा बढ़ जाती है ।   फूल छोटे, हरे और घंटी के आकार का होता है।‌ इसकी फोटो से आप आसानी से पहचान कर सकते हैं। 



•औषधीय उपयोग•

अश्वगंधा 3000-4000 वर्ष से भारत में एक बेशकीमती adaptogenic टॉनिक रहा है।  पौधों में एल्कलॉइड विथेनिन और सोमनीफेरिन होते हैं, जो तंत्रिका विकारों, आंतों के संक्रमण और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं।  सभी पौधे के भागों का उपयोग जड़ों, छाल, पत्तियों, फलों और बीज सहित किया जाता है।

 –विदेशी जिन्सेंग की जगह अगर आप इसे सेवन करें 

इसके सेवनकाल में अगर कोई  मौसमी रोग सताएं उसके अनुसार सहायक औषधि ले सकते है।

उपरोक्त योग में दो ग्राम की कम मात्रा रसायन गुण लेने के लिए दी गई है। अगर किसी रोग में प्रयोग करना है तो 3-6 ग्राम तक सुबह -शाम ले सकते है। 40 दिन से 90 दिन तक। इस से सस्ता दवा कोई नही है। यह एक आहार रूपी दवा है। अगर बच्चों को बचपन से शुरू करवा दिया जाए , उनकी हड्डियाँ फैलाद जैसी ताकतवर रहेगी । दिमाग कंप्यूटर जैसा , कद भी अच्छा निकलता है।बुजुर्ग लोगों को कभी बुढ़ापे के रोग नही सताते। जवान लोगों को ग्रहस्थ की परेशानिया जैसे कमजोरी , नामर्दी , शुक्राणु आदि कोई समस्या नही आएगी ।न कोई थकावट।

अश्वगंधा का निरंतर सेवन करने वाले को किसी डुप्लीकेट मल्टीविटामिन आदि के सेवन की जरूरत नहीं है। रोग प्रतिरोधक immunity power बहुत अच्छी रहती है। वायरल रोग सेवनकर्ता के पास कभी भी फटकते। 

तासीर:-

इसकी तासीर गर्म है। यह वात कफ नाशक है। पचने में भारी है। कमजोर पाचन वाले पहले अपने पाचन शक्ति को बढ़ाए या इसकी मात्रा का ख्याल रखें।  गर्मी के मौसम में और गर्मी वाले रोगियों को कई बार माफिक नही रहता । 

नोट:–

किसी भी प्रकार की जडी,औषधि प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें,

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

डिटोक्स वाटर क्या होता है? डिटोक्स वाटर के फायदे और नुकसान?

 डिटोक्स वाटर क्या होता है?

#मैजिक वाटर|Alkaline water,

डिटोक्स वाटर एक प्रकार का पानी है जिसे विभिन्न तत्वों के साथ अपशिष्ट या विषाक्त पदार्थों को निकालने या कम करने के लिए तैयार किया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक अवयवों, जैविक उत्पादों और अन्य तत्वों का उपयोग करके निर्मित किया जाता है जो शरीर के अंदर के विषाक्त पदार्थों को हटाने और स्वच्छ रखने का दावा करते हैं।

डिटोक्स वाटर के संयोजन में आमतौर पर पानी के साथ अन्य सामग्री जोड़ी जाती हैं, जैसे (lemon)नींबू, अदरक (ginger), पुदीना (mint), संतरा (orange), खीरा (cucumber) और अन्य फल और सब्जियां। ये सामग्री डिटोक्स वाटर को खुशबूदार बनाती हैं और इसे पेय के रूप में आकर्षक बनाती हैं।

#Natural detox drink,

डिटोक्स वाटर की प्रमुख उद्देश्यों में शरीर के विषाक्त पदार्थों को हटाना, शरीर को स्वच्छ और हेल्दी रखना, पाचन प्रणाली को सुधारना 

#डिटॉक्स वाटर कैसे बनाये?

#खीरा नींबू डिटोक्स वॉटर

*खीरा नींबू डिटोक्स वाटर कैसे बनाये?

खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर एक पौष्टिक पेय पदार्थ है जिसमें खीरे, नींबू और पानी का उपयोग किया जाता है। यह पेय विशेष तरीके से शरीर को शुद्धि देने, ताजगी देने और हाइड्रेशन करने का काम करता है। यहां खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर बनाने का एक सरल तरीका दिया गया है:–

सामग्री receipe:–

> 1 छोटा खीरा, पतले स्लाइस किया गया

> 1 नींबू, स्लाइस किया गया

> 4 कप पानी

निर्देश:–

एक बड़े जग में पानी डालें।

खीरे के पतले स्लाइस कटे हुए टुकड़ों को पानी में मिलाएं।

नींबू के स्लाइस कटे हुए टुकड़ों को भी पानी में मिलाएं।

जग को अच्छी तरह से मिक्स करें ताकि सभी सामग्री अच्छी तरह से मिल जाएं।

जग को कम से कम 2 घंटे तक ठंडे स्थान पर रखें ताकि सभी संघटक अच्छी तरह से मिल जाएं और पेय का स्वाद वातावरण से भर जाए।

एक गिलास में इस पेय को निकालें और ठंडा पानी का आनंद लें!

यह डिटॉक्स वॉटर कुछ दिनों तक फ्रिज में स्थानीय रूप से स्थापित करके संग्रहीत रखा जा सकता है। इसे सीधे पीने से पहले अच्छी तरह से हिला लें ताकि सभी अवयव अच्छी तरह से मिल जाएं। 

** खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर का इस्तेमाल आप एक संग्रहण के रूप में कर सकते हैं जो शरीर को विषाक्त करने, हाइड्रेशन करने और स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इसे रोजाना पीने से आपके शरीर को ताजगी मिलेगी और आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी। इसके अलावा, खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर में मौजूद विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज आपके शरीर की सुरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।


ध्यान दें कि यह डिटॉक्स वॉटर केवल एक पेय पदार्थ है और किसी भी चिकित्सा या वजन घटाने के उद्देश्यों के लिए आधिकारिक उपचार नहीं है। यदि आपके पास किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या है या आप किसी प्रणाली के लिए सलाह चाहते हैं, तो सर्वोच्च स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह लें।

***  इसके अलावा, खीरा नींबू डिटॉक्स वॉटर के साथ आप अपने पसंद के तरीके से विभिन्न संघटकों को जोड़ सकते हैं। यह आपके स्वाद को विविधता और पोषण देने में मदद करेगा। आप नींबू पत्ती, पुदीना पत्ती, अदरक, टुलसी पत्ती या अन्य स्वादानुसार विभिन्न पत्तियों या फलों का उपयोग कर सकते हैं। 

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,