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बुधवार, 11 मई 2022

भ्रम रोग,सिजोफ्रेनिया (schizophrenia)निदान व उपचार। in hind.

 भ्रम रोग,सिजोफ्रेनिया (schizophrenia)निदान व उपचार। in hind.



#Dr_Virender_Madhan.

#भ्रम [वहम]क्या है?

भ्रम को अनेक नामों से जाना जाता है।

*Confusion

*Delusion

*Misconception

*Misunderstanding

*भ्रम

 *काल्पनिक धारणा, 

*मिथ्या परिकल्पना,

*मिथ्या धारणा

*गलतफहमी,

*भ्रान्ति

*मिथ्याभास, 


- जिस वस्तु या घटना का वास्तविक स्वरूप न होते हुए भी वास्तविक आभास हो” उसे भ्रम कहते है 

[कुछ नही होते हुए भी होने का आभास ही भ्रम है।]

ऐसा एहसास बार और अघिक बार होने को भ्रम रोग कहते है।

- एक तरह से यह एक मानसिक रोग ही है।

मस्तिष्क में जब वात कुपित हो जाये तथा रज व तम गुणों की अधिकता हो जाये ऐसे रोगी को भ्रम रोग होता हैं।

* कुछ ऐसा सुनाई देना, जो बोला ही नहीं जा रहा। कुछ ऐसा दिखाई देना, जो दृश्य असल में है ही नहीं। कुछ ऐसा महसूस होना, जो है ही नहीं। ये सभी लक्षण हैलुसीनेशन यानी भ्रम से जुड़े हैं। कई लोगों को इस तरह के भ्रम होते हैं, लेकिन फिर भी वे इसके बारे में बात करने से बचते हैं। जबकि इस तरह की बीमारी में बातचीत ही बचाव है।

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/IerljTPaoK4

#सपनों और भ्रम में फर्क

हैलुसीनेशन या भ्रम चेतन या पूरी तरह जागरुक अवस्था में होने वाले ऐसे अनुभव हैं, जो असल में न होते हुए भी वास्तविक लगते हैं। अक्सर लोग सपनों और भ्रम को एक जैसा समझ लेते हैं। 

सपने हमारे शरीर की अवचेतन अवस्था में होते हैं, जो पूरी तरह कल्पना पर आधारित होते हैं। जबकि हैलुसीनेशन के लक्षण मानसिक बीमारी का कारण भी बन सकते हैं।

 जब हमारे पांच इंद्रियां हमें धोखा देने लगती हैं, तब हैलूसीनेशन होता है। इसमें कुछ सुनाई देना, दिखाई देना या महसूस होना शामिल है। अगर इस तरह के भ्रम या अहसास किसी को होते हैं तो यह ब्रेन ट्यूमर या किसी मानसिक बीमारी का लक्षण हो सकता है। 

सामान्य व्यक्तियों को भी सोने से एकदम पहले कुछ सेकेंड के लिए हैलुसीनेशन हो सकता है, जिसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के व्यवहार में ज्यादा बदलाव दिखे तो दूसरे उपाय करने की बजाय तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

देखने, सुनने से लेकर महसूस करने तक

हैलुसीनेशन के कई प्रकार हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले ऑडिटरी और विज्युअल हैलुसीनेशन से जुड़े हैं। ऑडिटरी हैलुसीनेशन के दौरान व्यक्ति को कुछ धुंधली आवाजें सुनाई देती हैं, जो असल में उसका भ्रम होता है।

इस तरह के भ्रम शिजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मानसिक रोग) में होने वाला सामान्य लक्षण हैं। इसमें मरीज को अपने बारे में अच्छी बातें सुनाई देती हैं या फिर कुछ मामलों में बुरी बातें। इसी तरह विज्युअल हैलुसीनेशन के दौरान व्यक्ति कुछ ऐसे दृश्य और आकृति देखने लगता है, जो वास्तव में वहां है ही नहीं। इसमें कुछ गोल-गोल आकृतियों का दिखना भी शामिल है।

इसके अलावा हैलुसीनेशन से जुड़े कुछ मामलों में व्यक्ति को आदेश के तौर पर आवाजें सुनाई देती हैं। ये आवाजें उसे कुछ करने के  लिए उकसाती हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसी आवाजें ही खुद मरीज या उसके आस-पास के लोगों को नुकसान पहुंचाने का कारण भी

बनती हैं।

#भ्रम के कारण हैं ?

हैलुसीनेशन के कई कारण हो सकते हैं। कुछ सामान्य प्रकार के हैलुसीनेशन सोने से एकदम पहले की अवस्था के दौरान होते हैं। शोध की मानें तो 37 प्रतिशत लोगों को एक सप्ताह में दो बार इस तरह के भ्रम होते हैं, जो कुछ सेकेंड या मिनट के लिए ही अनुभव होते हैं। पार्किंसंस, डिमेंशिया या माइग्रेन के मरीजों को भी कई बार हैलुसीनेशन की शिकायत हो जाती है। इसके अलावा बाइपोलर डिस्ऑर्डर, डिप्रेशन, ड्रग्स की अधिक मात्रा या शराब का ज्यादा सेवन भी हैलुसीनेशन का कारण बन सकता है।

#भ्रम का इलाज ?

सही साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट की मदद से इस तरह की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। इसके साथ ही स्वस्थ और तनाव रहित जीवनशैली, भरपूर नींद और ड्रग्स या शराब का सेवन छोड़कर भी इस परेशानी से बचाव किया जा सकता है।

डॉक्टरों के मुताबिक दिमाग में कुछ रासायनिक संतुलन होते हैं। किसी स्थिति में जब कुछ रसायनों की मात्रा कम या ज्यादा हो जाती है तो ऐसे मामले सामने आते हैं। इलाज के दौरान इसी असंतुलन को मेडीकल ड्रग्स की मदद से संतुलित किया जाता है।

परिवार का सहयोग जरूरी

ऐसे मामलों में अधिकतर लोग मेडीकल ट्रीटमेंट को आखिरी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन समय रहते डॉक्टर की सलाह लेने से यह बीमारी कुछ हफ्तों में ही काबू की जा सकती है। यह बीमारी मरीज से ज्यादा उसके आसपास के लोगों से जुड़ी है।

मरीज को खुद इस बात का अहसास नहीं होता कि उसका व्यवहार कुछ अजीब हो गया। उसके परिवार वाले और आसपास के लोग ही उसके व्यवहार में आए बदलाव को पहचानकर इलाज करवा सकते हैं। दवा और इलाज के साथ ही मरीज के लिए परिवार का सहयोग भी बहुत जरूरी है।

यदि परिवार वाले उसके साथ किसी तरह की जोर जबरदस्ती या सख्ती न करें तो मरीज को जल्द से जल्द ठीक होने में मदद मिलती है। मरीज को ठीक होने का मौका देना बहुत जरूरी है। कई लोग यह सोचते हैं कि इससे परिवार पर दाग लग गया या समाज में नाम खराब हो गया। यह मानसिकता बहुत ही गलत है।

धन्यवाद!

   


गर्मीयों मे अदरक कैसे खायें ?In hindi.

 #गर्मीयों मे अदरक कैसे खायें ?In hindi.

अदरक|Ginger



Dr.Virender Madhan.

भावप्रकाश निघण्टु में वर्णन है कि 

भोजन के पूर्व अदरक के टुकड़ों पर सेंधा नमक डालकर खाने से सदैव पथ्यकर होता है, इससे अरुचि मिटती है। जिह्वा तथा कण्ठ का शोधन होता है एवं क्षुधा की वृद्धि होती है। कहा जाता है कि

 “भोजनाग्रे सदा पथ्यं

#आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव के अनुसार।

सोंठ उष्ण होने से कफ-वात शामक, शोथहर, उत्तेजक, वेदनास्थापक, नाड़ियों को उत्तेजना देने वाली, तृप्तिघ्न, , दीपन, पाचन, वातानुलोमन, शूल-प्रशमन तथा अर्शोघ्न है। 

उष्ण होने के कारण हृदय एवं रक्तवह-संस्थान को उत्तेजित करती है। अदरक कटु और स्निग्ध होने के कारण कफघ्न और श्वासहर है।

 यह मधुर विपाक होने से वृष्य है। तीक्ष्णता के कारण यह स्रोतोवरोध का भी निवारण करती है।

#गर्मियों के दिनो मे अदरक?

आयुर्वेद के मुताबिक अदरक की सीमित मात्रा का सेवन करने से व्यक्ति को गर्मियों में भी इसके स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिलेंगे। अदरक में गर्म गुण होते हैं, जो शरीर के तापमान को बढ़ाता है। अदरक पाचन को बेहतर बनाने और कई समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है, लेकिन बड़े अनुपात में इसका सेवन करने से दस्त और लूज मोशन हो सकते हैं।

#क्या गर्मी में अदरक खाना चाहिए?

अदरक की तासीर गर्म होती है। इसलिए आमतौर पर लोग इस मौसम मे अदरक खाना अवॉइड करते हैं। लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, जम्मू के डॉ. अटल बिहारी त्रिवेदी इस मौसम में भी अदरक का एक छोटा टुकड़ा रोज अपनी डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं।

#अदरक खाने से क्या क्या फायदे होते हैं?

कच्चा अदरक खाने के फायदे-

- पेट के लिए फायदेमंद- कच्चा अदरक पेट के ले काफी फायदेमंद माना जाता है।

- माइग्रेन दर्द में फायदेमंद- कच्चा अदरक माइग्रेन के दर्द में काफी फायदेमंद माना जाता है.

- कोलेस्ट्रॉल लेवल होता है कम- कच्चा अदरक हार्ट के लिए काफी लाभदायक माना जाता है.

#अदरक का सेवन कैसे करे?

पेट के लिए फायदेमंद- कच्चा अदरक पेट के ले काफी फायदेमंद माना जाता है. वहीं अदरक पाचन तंत्र को मजबूत करता है. साथ ही अगर किसी को पेट में दर्द या मरोड़ जैसे शिकायत हो सकती हैं. 

- गर्मी के दिनों मे कम मात्रा में लें।

अदरक एक जड़ी-बूटी के साथ ही एक स्वादिष्ट मसाला भी है. जिसके इस्तेमाल के बिना खाने में स्वाद नहीं आता है. कई लोग अदरक की चाय और अदरक के सेवन को इतना पसंद करते है कि वह गर्मियों में भी इसका सेवन कम नहीं करते है. लेकिन गर्मी के मौसम में अदरक का अधिक सेवन करना काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसीलिए अदरक को हर मर्ज की दवा माना जाता है. लेकिन जरूरत से ज्यादा अदरक का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है. इससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा हो सकती है.

#गर्मी के दिनों मे अदरक के क्या क्या नुकसान होते है?

*  उच्च रक्तचाप हो सकता है।

- अदरक के अधिक सेवन से रक्तचाप की उच्च समस्या होने की संभावना होती है. बहुत से लोग गर्मी हो या फिर सर्दी में अदरक की चाय और खाने में अधिक मात्रा में उसका सेवन करते है. 

* कब्ज व एसिडिटी हो सकती है।

अदरक की तासीर गर्म होती है. यह एसिडिक प्रकृति का होता है. अगर इसका ज्यादा सेवन किया जाए तो इससे कब्ज, सीने में जलन जैसी कई गंभीर समस्या हो सकती है. 

* गॉलब्लैडर की समस्या सढ सकती है।

अदरक के अधिक सेवन से गॉलब्लैडर की परेशानी हो सकती है. यह पित्त स्त्राव को बढ़ा देता है. 

* अनिद्रा (Insomnia)

जो लोग अदरक की चाय पीने के शौकीन है. उनको अदरक के ज्यादा सेवन से परहेज करना चाहिए. चाय में जरूरत से ज्यादा अदरक का इस्तेमाल आपकी नींद उड़ा सकता है. 

धन्यवाद!

मंगलवार, 10 मई 2022

स्वर्ण भस्म खाने से क्या होता है ?In hindi

 #स्वर्ण भस्म खाने से क्या होता है ?In hindi.



स्वर्ण भस्म

By:-Dr.Virender Madhan.

स्वर्ण भस्म एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने (Swarna Bhasma Increase Immunity) और बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल रोगों का इलाज करने के लिए किया जाता है। स्वर्ण भस्म एक रसायन होता है।

- स्वर्ण भस्म लगभग सभी प्रकार के रोगों में स्वर्ण भस्म का उपयोग फायदेमंद रहता है | इसका उपयोग बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है | राजयक्ष्मा, क्षय, नपुंसकता, कास, अस्थमा जैसे अनेकों रोगों में यह भस्म रामबाण दवा का काम करती है 

स्वर्ण भस्म बनाने की विधि-

पहले सोने का शोधन होता है फिर मारण क्रिया करके भस्म बनती है।

* स्वर्ण भस्म के लिए स्वर्ण शोधन की पहली विधि :-

सोने का बहुत पतला पत्र बना लिया जाता है | इसको आग में तपाया जाता है |

इसके बाद तेल, तक्र, गोमूत्र, कांजी और कुल्थी के क्वाथ में 3 – 3 बार बुझाया जाता है |

इस तरह से सोना शुद्ध हो जाता है इसका उपयोग भस्म बनाने के लिए कर सकते हैं |

* शोधन की दूसरी विधि :-

सोने के बहुत पतले पत्र के छोटे छोटे टुकड़े कर लें |

इन टुकड़ों को मिट्टी से लिप्त कांच के पात्र में रख लें |

इस कांच के पात्र को त्रिपादिका में रख कर इसके निचे सुरादिपक जलाएं |

अब इसमें थोड़ा थोड़ा करके लवण द्रव डालें |

लवण द्रव तब तक डालते रहें जब तक सोना गल नही जाए |

सोना गल जाने के बाद इसको पकाते रहें |अब इस पात्र में थोडा जल डाल कर पकाएं |

इसके उपरांत ओक्सालिक एसिड (Oxalic Acid) डाल कर पकाएं |

जब स्वर्ण के अति सूक्ष्म कण कांच के पात्र में निचे बैठ जाएँ तो इसको जल से अच्छे से धो लें | इसे तब तक धोएं जब तक अम्लीयता ख़त्म हो जाए |

इस तरह से प्राप्त सोने के कण पुर्णतः शुद्ध होते हैं |

#स्वर्ण भस्म बनाने की विधियाँ :-

स्वर्ण भस्म बनाने के लिए बहुत सी विधियों का उपयोग किया जाता है | इस लेख में हम दो विधियों के बारे में बतायेंगे जिनका उपयोग करके स्वर्ण भस्म का निर्माण किया जा सकता है | 


1. स्वर्ण भस्म बनाने की प्रथम विधि / Swarna Bhasma Banane ki Pratham vidhi

शुद्ध सोने के बहुत बारीक़ पत्र लें |

इन पत्रों को कैंची से छोटे छोटे टुकड़ो में काट लें |

दोगुनी मात्रा में पारा मिला लें |

इस मिश्रण को घोंट कर पिट्ठी बना लें | इस पिट्ठी को तुलसी पत्र के रस में तीन दिन तक लगातार मर्दन करें | इसकी टिकिया बना कर सुखा लें |

अब इसको सम्पुट में रख आधा सेर कंडो की आंच दें | 5 – 7 पुट देने पर भस्म तैयार हो जाती है |

#2. स्वर्ण भस्म बनाने की दूसरी विधि / Swarna Bhasma Banane ki dusari vidhi

शुद्ध सोने के पत्रों को खरल में डाल उसमें समभाग में पारद मिला लें |

इस मिश्रण में निम्बू का रस मिला कर तीन दिन तक मर्दन करें | अब इसमें सोने से आधी मात्रा में संखिया मिला कर जम्बीरी निम्बू के रस में तीन दिन तक मर्दन करें | अब इस चूर्ण में स्वर्ण के बराबर भाग में गंधक (शुद्ध) मिला कर सम्पुट में बंद करें | इसको अब लघुपुट में तब तक पुट दें जब तक चन्द्रिका रहित भस्म तैयार न हो जाये |

इस भस्म को अब काचनार की छाल के स्वरस की भावना देकर तीन पुट दें |

अब इस तरह से तैयार भस्म जामुन के रंग की होती है |

#स्वर्ण भस्म के गुण, उपयोग एवं फायदे |

यह स्निग्ध मधुर एवं रसायन गुण वाली होती है |

इसका वीर्य शीत होता है |

यह हृदय एवं स्वर शुद्धिकारक होती है |

स्वर्ण भस्म प्रज्ञा, कांति, स्मृति एवं ओज बढ़ाने वाली होती है |

यह वाजीकर, शुक्रल, मस्तिष्क एवं यकृत को बल देने वाली होती है |

स्‍वर्ण भस्‍म युक्‍त दवा स्‍मृति, एकाग्रता, समन्‍वय और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करती है. स्‍वर्ण भस्‍म को अवसाद, मस्तिष्‍क की सूजन और मधुमेह के कारण न्‍यूरोपैथी जैसी स्थितियों के विरुद्ध भी उपयोग किया जाता है. खासतौर पर पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए स्वर्ण भस्म का उपयोग किया जाता रहा है.

यह पुराने से पुराने रोगो को ठीक करने की क्षमता रखती है।

रस-रक्त आदि धातुओ को बल प्रदान करने के काम आता है। चेहरे की कांति को बढाता है।अनेक कलिष्ठ रोगो को जैसे -पुरानी संग्रहणी, पाण्डु,राज यक्ष्मा, अम्लपित्त, शिरकम्प, उन्माद, वात रोग,पितरोग,अकाल वृद्धावस्था, नपुंसकता, शुकमेह,स्नायु दौर्बल्य, प्रमेह रोग,नेत्ररोग, मस्तिष्क रोग आदि।

मात्रा-

 1/4 रत्ती से 1/2 रत्ती।

22 mg से 50mg तक।

अनुपान:- 

शहद,मलाई, च्यवनप्राश आदि मे मिलाकर खायें।

नोट:-कोई भी औषधि के प्रयोग से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

धन्यवाद!


सोमवार, 9 मई 2022

भगन्दर [Fistula]फिस्टुला आयुर्वेद से कैसे ठीक हो?In hindi.

 #भगन्दर [Fistula]फिस्टुला आयुर्वेद से कैसे ठीक हो?In hindi.



Dr_Virender_Madhan.

मलद्वार के बाजू में एक फूंसी के रूप में यह एक रोग होता है। गुदा द्वार [Rectum] पर एक प्रकार की फोड़ा से पैदा होकर यह गुदा द्वार के अन्‍दर तथा बाहर नली के रूप में घाव पैदा करता है। अंग्रेजी भाषा में इसे फिस्टुला[Fistula] कहते हैं। यह फोड़ा कुछ दिनों में फूट जाता है और उसमें से मवाद तथा दूषित रक्त निकलने लगता है। मलद्वार के पास बहुत तेज दर्द होता है।

* अधिक चटपटी चीजें खाने के कारण ,

* अधिक देर तक बैठे रहने से,

* साईकिल, बाईक आदि चलाते रहने से,

* फ्राईड, बासी, फास्ट फूड के कारण कब्ज रहने से भगंदर रोग बन जाता है।


#भगंदर के क्या लक्षण होते है?

> गुदा में बार-बार फोड़े होना

> गुदा के आसपास दर्द और सूजन

> शौच करने में दर्द होता है।

> मलद्वार से रक्तस्नाव हो सकता है।

> बुखार सा लगना, ठंड लगना और थकान होना

> कब्ज होना, मल नहीं हो पाना

> गुदा के पास से बदबूदार और खून वाली पस निकलना 

ये सब भगंदर के लक्षण है।

#आयुर्वेद में भगंदर के इलाज ?

अमलतास (आरग्वध), हरीतकी (हरड़) और त्रिफला (आंवला, विभीतकी और हरीतकी का मिश्रण) प्रयोग किया जाता है। संपूर्ण सेहत में सुधार और फोड़ों को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करते है जैसे 

** आरोग्‍यवर्धिनी वटी, 

* त्रिफला चूर्ण, या त्रिफला क्वाथ,

* त्रिफला गुग्‍गुल,अमृतागुग्गुल प्रयोग किया जाता है

* अभयारिष्‍ट ,

विड्गारिष्ट का उपयोग भी किया जाता है।

* जात्यादि तैल,कासीसादि तैल, करवीरादि तैल, भगंदर पर लगाने से राहत मिलती है।

ताम्रभस्म के योगो का प्रयोग किया जाता है।

* आयुर्वेद में भगंदर के इलाज के लिए क्षारसूत्र का प्रयोग किया जाता है, जिसका परिणाम बहुत अच्छा है। क्षारसूत्र एक मेडिकेटेड थ्रेड होता है। आयुर्वेद की कई औषधियों के योग से इस क्षारसूत्र का निर्माण किया जाता है। मरीज आपरेशन के बाद उसी दिन घर जा सकता है।

#भगंदर के घरेलू उपाय?

- नीम के पानी मलद्वार को साफ करें तथा निम्बोली का पेस्ट बनाकर भगंदर पर लेप करें।

- पीपल वृक्ष की अन्तरछाल का चूर्ण बनाकर किसी नली की सहायता से भगंदर पर बुरक दे कुछ दिनों में ही लाभ मिल जाता है।

- नीम का तैल और तिल का तैल मिलाकर रखने इसके लगाने से धीरे धीरे भगंदर ठीक हो जाता है।

- बथुआ के पत्ते तथा तम्बाकू के फल पीस कर लगाने से भगंदर मे आराम मिलता है।

- गुलर का दूध रूई मे लगाकर भगंदर मे अंदर कुछ दिनों तक रोज रखने से भगंदर मे लाभ मिलता है।

- बेर और नीम के पत्तों का चूर्ण बनाकर भगंदर मे भरने से आराम होता है।

- हरे मूंग को मुहं मे चबाकर नासूर मे लगाने से नासूर ठीक हो जाता है।

चोपचीनी , शक्कर, धी 30-30 ग्राम लेकर छोटे छोटे लड्डू बनाकर एक एक सवेरे शाम खायें।

- अपामार्ग के पत्तों का रस निकाल कर लगाने से भगंदर ठीक हो जाता है।

#भगन्दर रोग में क्या खाएं ?[Your Diet During Fistula]

भगन्दर से ग्रस्त लोगों का आहार मे:-

अनाज: पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ

दाल: अरहर, मूँग दाल, मसूर

फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल

अन्य: हल्का भोजन, घी, सैंधव (काला नमक), मटठा आदि खायें

अत्याधिक पानी पिएं।

#भगन्दर रोग में क्या ना खाएं [Food to Avoid in Fistula]

परहेज का भोजन।

अनाज: मैदा, नया चावल

दाल: मटर, काला चना, उड़द

फल एवं सब्जियां : आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी, आड़ू, कच्चा आम, मालपुआ, गरिष्ट भोजन

अन्य: तिल, गुड़, समोसा, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, खट्टा और तीखा द्रव्य, सूखी सब्जियां, मालपुआ, गरिष्ठ भोजन (छोले, राजमा, उडद, चना, मटर, सोयाबीन)

सख्ती से पालन करें:- शराब, फ़ास्ट फ़ूड, आइसक्रीम, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तेल मासलेदार भोजन, अचार, तेल, घी, अत्यधिक नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड नही लेना चाहिए।


 धन्यवाद!


रविवार, 8 मई 2022

गर्दन का दर्द|Cervical spondylitis,है तो क्या करें?In hindi.

 #गर्दन का दर्द|Cervical spondylitis,है तो क्या करें?



#गर्दन का दर्द|Cervical spondylitis.

Dr.VirenderMadhan.

गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव आम तौर से खराब आसन, नींद, तनाव या चिंता से होता है. नस का दबाव उस वक्त हो सकता है रीढ़ में डिस्क अपनी स्थिति से खिसक जाती है और नसों को दबाता है. इस रोग के हल्के से लक्षण दिखते ही ध्यान देना चाहिए और चिकित्सा करनी चाहिए क्योंकि इससे विकलांगता का भय रहता है हमेशा के लिए नुकसान हो सकता है.

#Cervical spondylitis|गर्दन का दर्द।

जो लोग गर्दन का अधिक प्रयोग करते है पढने लिखने के कार्य, उंचा तकिया लगाते है।खराब रोड पर वाहन चलने से, चोट लगने से या किसी अन्य रोग के कारणों से गर्दन का दर्द रहने लगता है।इसे सरवाइकल या सरवाइकल डिस्क प्रोब्लम भी कहते है।

#सरवाइकल के लक्षण:-

 * सिर के घुमाने से गर्दन मे कटरकटर की आवाज आती है।गर्दन पुरी तरह से नही घुमती है।

* गर्दन के झुकाने से भी दर्द होता है।यह दर्द गर्दन से कंधों व बांहों मे उतर जाता है।

* मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है।पैरों में भी कमजोरी महसूस होती है।

#गर्दन दर्द का आयुर्वेदिक ईलाज?

*गर्दन पर न्यूमोस तैल लगायें।

* समीरपन्नग रस पाउडर 30-40 मिग्रा शहद के साथ सुबह-शाम लें। 

* बलारिष्ट की2-3चम्मच समभाग पानी के साथ दिन में दो बार लें। 

* महारास्नादि काढ़ा का प्रयोग करें।

* निर्गुंडी तेल व बला तेल से दर्द के अनुसार दिन में 2-3 बार मालिश करें। 

* एसिडिटी में शिलाजीत व दूध के साथ गुग्गल लेना फायदेमंद है।


#गर्दन के पीछे दर्द हो तो क्या करना चाहिए?

जब हमारे गर्दन के पीछे दर्द ज्यादा बढ़ जाए, तो पानी को हल्का गर्म कर लें और उसमें नमक डालकर सूती कपड़े से गर्दन की सिकाई करें। अगर दर्द से जल्दी राहत चाहिए, तो दिनभर में कम से कम तीन से चार बार सिकाई करें। इससे बहुत फायदा मिलेगा। 

 - बर्फ की सिकाई के लिए आप बर्फ को तोलिए में लपेट कर गर्दन पर 15 मिनट तक सिकाई करें। 

- मोच या चोट की वजह से गर्दन में सूजन हो जाएं तो आप गर्म पानी से भी गर्दन की सिकाई कर सकते हैं। 

- गर्दन की मोच की वजह से ज्यादा परेशानी है तो आप नेक ब्रेस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपकी गर्दन को आराम मिलेगा।


#सर्वाइकल पैन से बचने पाने के लिए सावधानी:-

- बैठते समय अपनी गर्दन को सीधा रखें।

- मुलायम गद्दे की बजाय तख्त में लेटे।

- हल्दी वाला दूध पीयें।

- स्मोकिंग न करें।

- कैफीन युक्त चीजों से दूर रहें।

- रोजाना गर्दन से संबंधित एक्सरसाइज जरूर करें।

- भारी वजन न उठायें।

- तली भुनी चीचें न खायें।

- कढी,मठर,गोभी जैसी वातकारक भोजन न करें।

- समय पर सोयें,समय पर जागें।

धन्यवाद!


शनिवार, 7 मई 2022

गर्मी का घरेलू एनर्जी ड्रिंक|Energy Drinks for Summer: in hindi.

 गर्मी का घरेलू एनर्जी ड्रिंक|Energy Drinks for Summer: in hindi.



गर्मी का घरेलू एनर्जी ड्रिंक:-

Dr.Virender Madhan.

आजकल बाजार मे बहुत से एनर्जी ड्रिंक आ गए है लोग जब थकान कमजोरी महसूस करते है तो एनर्जी ड्रिंक पीने का प्रचलन बढ गया है।इसमें कैफिन जैसे उत्तेजक पदार्थ होते है तथा प्रजरेटिव होने के के कारण सेहत को नुकसान होने की काफी सम्भावना होती है।कुछ लोग इसमें शराब मिलाकर पीते है जो बहुत ही अधिक खतरनाक हो सकती है।

गर्मियों के दिनों मे कमजोरी महसूस करने पर प्रचीन समय से ही घरेलू शरबत, छाछ, दूध से बने पेय का प्रयोग करते थे जिनका किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता था गर्मी से बचने के साथ साथ बल भी मिलता है।

#एनर्जी ड्रिंक कब पीना चाहिए?

अधिक परिश्रम करने, एक्सरसाइज करने, गर्मी में बाहर से आने के बाद हमें पानी की अपेक्षा कोई Energy Drink की आवश्यता महसूस होती है। इस समय आपको एनर्जी ड्रिंक का सेवन करना चाहिए । आपको अपने लिए घर पर ही एनर्जी ड्रिंक बना कर पीना चाहिए। जो नेचुरल होगा और जिसका आपको भरपूर लाभ मिल सकेगा यह आपके लिए हानिकारक भी नहीं होगा।

#सबसे अच्छा एनर्जी ड्रिंक कौन सा है?

 #नारियल पानी और नींबू (coconut water and lemon juice)

 नारियल पानी को एक बेहतरीन नैचुरल एनर्जी ड्रिंक माना जाता है। कई बार शरीर में पानी की कमी होने पर कमजोरी या थकान महसूस होने लगती है, ऐसे में नारियल पानी पीना फायदेमंद माना जाता है। नारियल पानी में पोटैशियम अधिक होता है। साथ ही शरीर में पानी की कमी भी पूरी करता है।

#घर पर एनर्जी ड्रिंक कैसे बनाएं?

बनाने का तरीका

सबसे पहले नारियल पानी को एक गिलास में रख लें।

अब इसमें शहद डालें और इसे खूब अच्छी तरह मिलाएं।

जब तक शहद पूरी तरीके से नारियल पानी में ना मिल जाए इसे मिलाते रहें।

अब इसमें नींबू रस मिलाकर एक बार चम्मच से पूरी ड्रिंक को आपस में घोल दें।

** छाछ का एनर्जी ड्रिंक कैसे बनाये

- घर में अगर दही या छाछ हो तो उसे पानी डालकर थोड़ा पतला करें और आप इसे अपने अनुसार स्वाद दे सकते हैं। आप चाहे तो इसमें शकर व इलायची डाल कर लस्सी बना सकते हैं या फिर भुना जीरा काली मिर्च व काला नमक डाल कर पी सकते हैं। यह पेट में ठंडक देगा। इसमे आप पुदिना पाउडर मिला सकते है।

- नीबूं पानी-

ग्लास पानी में नींबू स्लाइस व खीरा स्लाइस डाल कर पी सकते हैं यह पानी का स्वाद भी बदल देगा और आपकी सेहत भी।

 नींबू-पानी जो मन को भाए - गर्मियों में राहत पाने का सबसे आम व खास नुस्खा है नींबू पानी।

- जौ (बार्ली)व नींबू ड्रिंक

जौ का पानी नींबू रस मिलाकर

रोजाना पीने से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने और किडनी में स्टोन की समस्या में भी जौ का पानी पीने की सलाह दी जाती है। कब्ज, बवासीर और दस्त होने पर इसे पी सकते हैं। यह शरीर में होने वाले पोषक तत्वों और पानी की कमी को पूरा करता है।

- मिल्क शेक

समर सीजन में बॉडी को हाइड्रेट रखने और

एनर्जी बनाए रखने के लिए मिल्क शेक एक परफेक्ट ड्रिंक होता है

मिल्क शेक दूध और फ्रूट्स के कॉम्बिनेशन से तैयार होता है

यही वजह है कि ये टेस्टी होने के साथ-साथ हेल्दी भी होता है

हर उम्र के लोगों के लिए मिल्क शेक एक बेहतरीन हेल्थ ड्रिंक है

मिल्क शेक -दुध ,इलायची, रुह्अफ्जा मिलाकर बनाने से भी अधिक गुणकारी होता है।

#तुरंत एनर्जी के लिए ड्रिंक-

नींबू पानी मे अदरक का रस और शहद मिलाकर पीने से तुरंत एनर्जी मिलती है

#फलों के रस व बेल शरबत

सेव,आम केला का मिल्क शेक बनाकर पतला ही पीना चाहिए।

बेल के गुदे का शरबत बनाकर पीने से गर्मी से राहत मिलती है तथा सेहत मे सुधार होता है।

धन्यवाद!

शुक्रवार, 6 मई 2022

दूब घास आपके लिए अमृत समान है क्यों ? जाने हिन्दी में।


 दूब घास आपके लिए अमृत समान है क्यों ? जाने हिन्दी में।

दूब घास

By:-Dr_Virender_Madhan.

दूब या दुर्वा (वैज्ञानिक नाम- 'साइनोडॉन डेक्टिलॉन') पुरे वर्ष भर पायी जाने वाली घास है जो जमीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढ़ती है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग किया जाता है ।

 #दुब के नाम ?

हिंदी में इसे दूब, दुबडा, संस्कृत में दुर्वा, सहस्त्रवीर्य, अनंत, भार्गवी, शतपर्वा, शतवल्ली, मराठी में पाढरी दूर्वा, काली दूर्वा, गुजराती में धोलाध्रो, नीलाध्रो, अंग्रेजी में कोचग्रास, क्रिपिंग साइनोडन, बंगाली में नील दुर्वा, सादा दुर्वा आदि नामों से जाना जाता है।

#दुब घास की धार्मिक मान्यता?

बरमूडा घास (Bermuda grass) भारत में पवित्र पौधा मानी जाती है इसे हिंदी में दूर्वा घास या दूब के रूप में जाना जाता है। यह हिंदुओं के लिए धार्मिक है क्योंकि इससे भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि    * दूब घास 'अमृत' की उत्पत्ति हैं।

* गणपति की पूजा में दूब घास से जुड़ा एक विशेष उपाय जो धन प्राप्ति के लिए है

- गणेश चतुर्थी को प्रात: काल स्नान करने के बाद गणेशजी के मंदिर में जाकर दुर्वा की 11 या फिर 21 गांठ अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपके हर काम से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और आपको धन की प्राप्ति होती है

* सफेद गाय के दूध मे सफेद दुब का तिलक लगाने वाले व्यक्ति का हर कार्य सफल होता है।

* अनलासुर जिसने स्वर्ग मे कोलाहल मचा रखा था गणेश जी उसे निगल गये बाद मे भगवान गणेश जी के पेट मे जलन पैदा हो गई ऋषियों ने उन्हें दूब घास खाने को दी जिससे उन पेट मे शान्ति हुई।

#क्या होता है दुब घास मे?

इसमें Vit.A, D, E ,और प्रोटीन पाया जाता है।

फास्फोरस कम तथा लवण ,कैल्शियम अधिक पाया जाता है।

#दुब घास से कौन कौन से रोग ठीक होते है?

इस पवित्र घास से 

* मधुमेह,

* PCOD, पोलिसिस्टिक ओवरी संड्रोम,

* प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

* रक्त शुध्दि होती है

* हृदय बलदायक है।

* मिर्गी मे लाभदायक है।

* सिरदर्द,

* आंखों का दर्द,

* नकसीर मे बहुत उपयोगी होता है।


#दूब घास के फायदे?

यही नहीं दूब की घास शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम भी करती है. इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबिल गुण बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं. दूब की घास थकान, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं का भी समाधान करती है. डिप्रेशन और टेंशन जैसी मानसिक समस्याओं में भी दूब की घास बहुत लाभकारी है.

दूब पेट, यौन, और लीवर संबंधी रोगों के लिए असरदार मानी जाती है.

* दूब घास शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती है।

* अनिद्रा से राहत मिलती है।

त्‍वचा संबंधी समस्‍या जैसे खुजली, त्वचा पर चकत्ते ,एग्जिमा आदि मे आराम मिलता है इनमें दूब को हल्दी के साथ मिलाकर लेप करते है।

* दूब घास का रस पीने से प्यास से राहत मिलती है।पेशाब खुलकर आता है।गर्मी शांत होती है।

* लाईफ स्टाइल बिगड़ने से होने वाले एनीमिया दूर करने के लिए दुब रस अमृत के समान उपयोगी है

*नंगे पैर घास मे चलने से आंखों के लिए फायदेमंद है नेत्र ज्योति बढती है।

* मुंह के छाले पड जाये तो दुब का काढा बना कर कुल्ले करने से ठीक हो जाते है।

धन्यवाद!