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मंगलवार, 10 मई 2022

स्वर्ण भस्म खाने से क्या होता है ?In hindi

 #स्वर्ण भस्म खाने से क्या होता है ?In hindi.



स्वर्ण भस्म

By:-Dr.Virender Madhan.

स्वर्ण भस्म एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने (Swarna Bhasma Increase Immunity) और बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल रोगों का इलाज करने के लिए किया जाता है। स्वर्ण भस्म एक रसायन होता है।

- स्वर्ण भस्म लगभग सभी प्रकार के रोगों में स्वर्ण भस्म का उपयोग फायदेमंद रहता है | इसका उपयोग बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है | राजयक्ष्मा, क्षय, नपुंसकता, कास, अस्थमा जैसे अनेकों रोगों में यह भस्म रामबाण दवा का काम करती है 

स्वर्ण भस्म बनाने की विधि-

पहले सोने का शोधन होता है फिर मारण क्रिया करके भस्म बनती है।

* स्वर्ण भस्म के लिए स्वर्ण शोधन की पहली विधि :-

सोने का बहुत पतला पत्र बना लिया जाता है | इसको आग में तपाया जाता है |

इसके बाद तेल, तक्र, गोमूत्र, कांजी और कुल्थी के क्वाथ में 3 – 3 बार बुझाया जाता है |

इस तरह से सोना शुद्ध हो जाता है इसका उपयोग भस्म बनाने के लिए कर सकते हैं |

* शोधन की दूसरी विधि :-

सोने के बहुत पतले पत्र के छोटे छोटे टुकड़े कर लें |

इन टुकड़ों को मिट्टी से लिप्त कांच के पात्र में रख लें |

इस कांच के पात्र को त्रिपादिका में रख कर इसके निचे सुरादिपक जलाएं |

अब इसमें थोड़ा थोड़ा करके लवण द्रव डालें |

लवण द्रव तब तक डालते रहें जब तक सोना गल नही जाए |

सोना गल जाने के बाद इसको पकाते रहें |अब इस पात्र में थोडा जल डाल कर पकाएं |

इसके उपरांत ओक्सालिक एसिड (Oxalic Acid) डाल कर पकाएं |

जब स्वर्ण के अति सूक्ष्म कण कांच के पात्र में निचे बैठ जाएँ तो इसको जल से अच्छे से धो लें | इसे तब तक धोएं जब तक अम्लीयता ख़त्म हो जाए |

इस तरह से प्राप्त सोने के कण पुर्णतः शुद्ध होते हैं |

#स्वर्ण भस्म बनाने की विधियाँ :-

स्वर्ण भस्म बनाने के लिए बहुत सी विधियों का उपयोग किया जाता है | इस लेख में हम दो विधियों के बारे में बतायेंगे जिनका उपयोग करके स्वर्ण भस्म का निर्माण किया जा सकता है | 


1. स्वर्ण भस्म बनाने की प्रथम विधि / Swarna Bhasma Banane ki Pratham vidhi

शुद्ध सोने के बहुत बारीक़ पत्र लें |

इन पत्रों को कैंची से छोटे छोटे टुकड़ो में काट लें |

दोगुनी मात्रा में पारा मिला लें |

इस मिश्रण को घोंट कर पिट्ठी बना लें | इस पिट्ठी को तुलसी पत्र के रस में तीन दिन तक लगातार मर्दन करें | इसकी टिकिया बना कर सुखा लें |

अब इसको सम्पुट में रख आधा सेर कंडो की आंच दें | 5 – 7 पुट देने पर भस्म तैयार हो जाती है |

#2. स्वर्ण भस्म बनाने की दूसरी विधि / Swarna Bhasma Banane ki dusari vidhi

शुद्ध सोने के पत्रों को खरल में डाल उसमें समभाग में पारद मिला लें |

इस मिश्रण में निम्बू का रस मिला कर तीन दिन तक मर्दन करें | अब इसमें सोने से आधी मात्रा में संखिया मिला कर जम्बीरी निम्बू के रस में तीन दिन तक मर्दन करें | अब इस चूर्ण में स्वर्ण के बराबर भाग में गंधक (शुद्ध) मिला कर सम्पुट में बंद करें | इसको अब लघुपुट में तब तक पुट दें जब तक चन्द्रिका रहित भस्म तैयार न हो जाये |

इस भस्म को अब काचनार की छाल के स्वरस की भावना देकर तीन पुट दें |

अब इस तरह से तैयार भस्म जामुन के रंग की होती है |

#स्वर्ण भस्म के गुण, उपयोग एवं फायदे |

यह स्निग्ध मधुर एवं रसायन गुण वाली होती है |

इसका वीर्य शीत होता है |

यह हृदय एवं स्वर शुद्धिकारक होती है |

स्वर्ण भस्म प्रज्ञा, कांति, स्मृति एवं ओज बढ़ाने वाली होती है |

यह वाजीकर, शुक्रल, मस्तिष्क एवं यकृत को बल देने वाली होती है |

स्‍वर्ण भस्‍म युक्‍त दवा स्‍मृति, एकाग्रता, समन्‍वय और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करती है. स्‍वर्ण भस्‍म को अवसाद, मस्तिष्‍क की सूजन और मधुमेह के कारण न्‍यूरोपैथी जैसी स्थितियों के विरुद्ध भी उपयोग किया जाता है. खासतौर पर पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए स्वर्ण भस्म का उपयोग किया जाता रहा है.

यह पुराने से पुराने रोगो को ठीक करने की क्षमता रखती है।

रस-रक्त आदि धातुओ को बल प्रदान करने के काम आता है। चेहरे की कांति को बढाता है।अनेक कलिष्ठ रोगो को जैसे -पुरानी संग्रहणी, पाण्डु,राज यक्ष्मा, अम्लपित्त, शिरकम्प, उन्माद, वात रोग,पितरोग,अकाल वृद्धावस्था, नपुंसकता, शुकमेह,स्नायु दौर्बल्य, प्रमेह रोग,नेत्ररोग, मस्तिष्क रोग आदि।

मात्रा-

 1/4 रत्ती से 1/2 रत्ती।

22 mg से 50mg तक।

अनुपान:- 

शहद,मलाई, च्यवनप्राश आदि मे मिलाकर खायें।

नोट:-कोई भी औषधि के प्रयोग से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

धन्यवाद!


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