Guru Ayurveda

बुधवार, 31 अगस्त 2022

टोमैटो फ्लू|Tomato Flu एक नई आफत।हिंदी में.

 टोमैटो फ्लू|Tomato Flu एक नई आफत।हिंदी में.



Dr.VirenderMadhan.

 देश में अभी कोविड महामारी अभी थमी नहीं कि टोमैटो फ्लू [Tomato Flu] नाम की एक नई बीमारी और आ गई है. इस फ्लू का असर सबसे ज्यादा बच्चों में देखने को मिल रहा है. केरल के बच्चों में यह संक्रमण ज्यादा फैल रहा है.

 स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि Tomato flu के मामले ज्यादा बढ़ सकते हैं. 

#टोमैटो फ्लू क्या है?

क्या है टोमैटो फ्लू?

टोमैटो फ्लू (Tomato Flu) एक अनजान फीवर (Fever) है. यह केरल में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में पाया गया है. 

* फ्लू से संक्रमित बच्चों के शरीर पर चकत्ते और छाले आ रहे हैं. देखने में लाल-लाल दाने जैसे फोड़े शरीर पर निकल रहे हैं. यही वजह है कि इसे टोमैटो फीवर कहा जा रहा है. 

#क्या है टोमैटो फ्लू Tomato Flu के लक्षण?



*  टोमैटो फ्लू से संक्रमित लोगों को पहले 

- बुखार होता है 

- त्वचा पर दाने पड़ने लगते हैं. 

- खुजली होने लगती है. 



- डिहाइड्रेशन हो जाता है   

- रोगी को थकान, घुटने में दर्द, - पेट में दर्द, डायरिया होती है

- सर्दी,कफ व श्वास की परेशानियां भी बताई हैं. 

- कुछ मरीजों में नाक बहने के भी लक्षण देखे गए हैं. 

- मरीज तेज बुखार की समस्या से जूझता है।


क्या है टोमैटो फीवर का इलाज?

इसका अभी कोई सटीक ईलाज नही है।

#टोमैटो फ्लू है तो रोगी क्या करें?

 टोमैटो फ्लू से सबसे ज्यादा बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. ऐस मे संक्रमित बच्चे को दूसरे बच्चों से दूर रखें

 - पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि बचा किसी छाले को न खुरचे।

- बच्चे साफ कपड़े पहनें और संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाए. कमरों को हर बार सैनिटाइज कर दिया जाए. 

- टोमौटो फ्लू की चपेट में आ रहे हैं वे डिहाइड्रेशन का भी शिकार हो रहे हैं. ऐसे में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.  

-रोगी को लिक्विड डाईट दें.

- नारियल पानी पीलायें।

-किवी दें।

-जैसे ही टोमैटो फ्लू के लक्षण सामने आएं तत्काल अपने डॉक्टर को दिखाएं.

धन्यवाद!

आयु व स्वास्थ्य बढाने के लिए हरड खाने के तरीके.हिंदी में.

 आयु व स्वास्थ्य बढाने के लिए हरड खाने के तरीके.हिंदी में.

Myrobalan |हरीतकी|हरड ।



#किस समय अधिक रसायन गुण करती है?

#हरड कैसे और कब खायें?

#हरड क्या है?

Dr.VirenderMadhan.

हरड़, जिसे हरीतकी भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है। यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। भारत में इसका इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब किया जाता है। 

टर्मिनलिया चेबुला, जिसे आमतौर पर ब्लैक- या चेबुलिक मायरोबलन के रूप में जाना जाता है, टर्मिनलिया की एक प्रजाति है, जो भारत और नेपाल से दक्षिण-पश्चिम चीन और दक्षिण में श्रीलंका, मलेशिया और वियतनाम से दक्षिण एशिया की मूल निवासी है।

#किस समय खाने से अधिक रसायन गुण करती है?

हरड यानि हरीतकी मे प्रमुख मात्रा रसायन गुण है।अतः हरीतिकी को आयुर्वेद में अलग अलग ऋतुओं मे अलग अलग अनुपान के साथ लेने से रसायन गुण मिलते है बताया है।

जैसे :- 

1- बर्षो ऋतु में हरीतिकी चूर्ण 3-5 ग्राम तक इच्छा अनुसार सैंधानमक मिलाकर सेवन करें।

2- शरद ऋतु में मिश्री चूर्ण के साथ ले

3- हेमन्त ऋतु में सौंठ के साथ लें।

4- शिशिर ऋतु में पिप्पली चूर्ण के साथ मे सेवन करें।

5- बसंत ऋतु में मधू के साथ तथा 

6- ग्रीष्म ऋतु में गुड के हरितकी रसायन का सेवन करें।

तब हरड अधिक रसायन का गुण देती है।

इस प्रकार ऋतु अनुसार हरीतिकी का प्रयोग करने का विधान हमारे आयुर्वेद के शास्त्रों मे मिलता है।

धन्यवाद!

रविवार, 28 अगस्त 2022

काली मिर्च के फायदे और 11 घरेलू उपाय / Black Pepper Benefitsin hindi.


 #11घरेलू नुस्खे #healthtips #आयुर्वेद #जडीबुटी

काली मिर्च के फायदे / Black Pepper Benefits.in hindi. 

By:-Dr.VirenderMadhan. 

#काली मिर्च के फायदे / Black Pepper Benefits 

 काली मिर्च क्या है? 

काली मिर्च (Black Pepper) की लता होती है। इस पर गुच्छों में फल लगते है। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के होते है और पकने पर लाल रंग के होते है और सूखने पर काले रंग के हो जाते है। 

#आयुर्वेद के अनुसार कालीमिर्च के गुण:-

 काली मिर्च #Black Pepper:-अग्निदीपक, कफ तथा वायु को शमन करनेवाली, उष्णवीर्य, पित्तकारक तथा श्वास, शूल और कृमिनाशक है। यह रुके हुए कफ को निकालने वाली,हृदयरोग, प्रमेह और बवासीर का नाश करनेवाली है। 

काली मिर्च  को मात्रापूर्वक सेवन करने से ह्रदय, वृक्क (Kidney), मूत्रपथ तथा आंतों की श्लेष्मधराकला (चिकनी त्वचा) को उत्तेजना मिलती है। 

अतिमात्रा में सेवन करने पर पेट दर्द, उल्टी, मूत्राशय व मूत्रस्त्रोतों में उत्तेजना पैदा करती है। 

  #हानिनिवारक द्रव्य :- 

घी,शहद का प्रयोग करते है। 

#मिर्च के अभाव मे:- 

पीपल प्रयोग करें। 

काली मिर्च के उपयोग:-

 - काली मिर्च (Kali Mirch) का आयुर्वेदिक दवाओं में बहुत उपयोग होता है। यह आमाशय (Stomach) को उत्तेजना देनेवाली, रुके हुए मल को तोड़नेवाली और कफ को बहानेवाली है। 

यह कफ को पतला करती है और पेट में कृमि नहीं होने देती। 

- काली मिर्च (Kali Mirch) भूख लगाती है और अन्न को पचाती है। काली मिर्च  तीक्ष्ण होने से लाला रस का स्त्राव बढ़ाती है इस लिये यह रुचिकारक है। रुक्ष होने के कारण यह अत्यंत कफहर (कफनाशक) गुण रखती है। 

 #आयुर्वेदीक औषधियों में काली मिर्च को मिलाने के कारण:   

काली मिर्च के आयुर्वेदिक योग और गुण:- 

[त्रिकटु] 

यह अग्निदीपक और अन्न को पाचन करने के लिये सुप्रसिद्ध योग ‘त्रिकटु’ (सोंठ, काली मिर्च  और पीपर) का यह एक भाग है। यह अग्नि दीप्त करता है।श्वास, कास, त्वचा के रोग, गुल्म, प्रमेह, कफ,स्थूलता, मेद, श्लीपद और पीनसरोग इन सब को नष्ट करता है। 

[चतुरूषण] 

सौठ,मिर्च, पीपल मे पीपलामूल मिलने से चतुरूषण बनता है।इसके गुण त्रिकटु से अधिक हो जाते है।

 [मरीचादि वटी]


 - यह कफ नाशक (कफ को पतला कर बहाने के लिये) खांसी को कम करने के लिये (प्रसिद्ध औषधि मरीचादि वटी में काली मिर्च  का योग है, काली मिर्च  फुफ्फुस आदि में  -उत्पन्न कफ को बाहर निकालकर खांसी को कम करनेवाली औषधियों में से एक है)

 [विडंगारिष्ट] 


कालीमिर्च वातनाशक, पेट की गैस को नाश करने के लिये कृमिनाशक (विडंगारिष्ट)   है।

काली मिर्च की मात्रा:- 


अधिक से अधिक 0.97 ग्राम। 
क्वाथ:-10ml से 20ml 

 #काली मिर्च के 11 घरेलू नुस्खे:-


 1 - खाये हुए घी को पचाने के लिये – 
काली मिर्च  का चूर्ण सेवन करना चाहिये। 
2- खांसी पर – 
काली मिर्च  के चूर्ण को घी, शहद और मिश्री के साथ चाटने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है।  
3- प्रवाहिका में – 
काली मिर्च  का बारीक चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से प्रवाहिका नष्ट होती है। 4- 20 काली मिर्च गुलाब जल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाकर प्रातःकाल गरम पानी से धोने से कील, मुँहासे, झुर्रीया साफ होकर चेहरा चमकने लगता है।
 5- ज्वर (बुखार) उतारने के लिये
 – काली मिर्च  का चूर्ण गर्म जल के साथ देने से या काली मिर्च  का क्वाथ या मरिच (काली मिर्च ) तुलसी पत्र का क्वाथ देने से पसीना आकार विषम ज्वर उतार जाता है। 6- काली मिर्च, सैंधा नमक, जीरा, सोंठ, सभी समभाग लेकर चूर्ण बनाकर मधु में मिलाकर 3 से 6 माशा तक दिन भर में 2-3 बार चाटने से संग्रहणी, बवासीर, गुल्म (पेट की गांठ) इत्यादि समस्त रोग नष्ट हो जाते है। 

7- गरम दूध में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर अथवा काली मिर्च मिलाई हुई गरम चाय पीने से नया जुकाम ठीक हो जाता है। 
8-सब प्रकार की पीनस (जुकाम सड़कर नाक में कीड़े पड़ना) में – 
काली मिर्च और गुड को दही के साथ खाना चाहिये इससे पीनस में शांति होती है। 

9- 30 ग्राम मक्खन से 8 काली मिर्च और शक्कर मिलाकर नित्य प्रति चाटने से स्मरणशक्ति बढ़ जाती है। मस्तिष्क में तरावट आती है तथा कमजोरी भी दूर होती है। 

10- काली मिर्च 5-7 दानें, अजवायन 2 माशा, तुलसी 1 तोला (1 तोला=11.66 ग्राम) को पीसकर 10 तोला जल में क्वाथ बनाकर 5 तोला जल शेष रह जाने पर छानकर सुबह-शाम पीने से मलेरिया बुखार नष्ट हो जाता है। 

11- दो ग्राम पिसी हुई काली मिर्च को फांककर ऊपर से नीबू का रस मिले गरम जल को पानी से सायंकाल और रात को 10-12 दिन तक निरंतर पीये। पेट में गैस बनने का रोग नष्ट हो जाता है।
धन्यवाद!

शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.

 कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.


By:-DrVirenderMadhan.

[कब्ज|Constipation]

कब्ज का-मलग्रह, मलावरोध, मलस्तंभ, मलबंधन, मलनिग्रह, मलसंग, बद्धकोष्ठ ,आदि नामों से आयुर्वेद में वर्णन मिलता है।

#क्या है?मलावरोध|Constipation?

जब व्यक्ति को आसानी से मलत्याग न हो, व्यक्ति एक सप्ताह में तीन से कम मल त्याग करता है या उसे मल त्याग करने में कठिनाई होती है।

 #कब्ज के लक्षण क्या हैं?

एक सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग।

- मल त्याग करना मुश्किल या दर्दनाक।

- सूखा, सख्त और या ढेलेदार मल।

- सूजन और मतली।

- पेट दर्द या ऐंठन।

एक मोशन के बाद ऐसा महसूस होना की मल त्याग ठीक से नहीं हुआ।

कब्ज के कारण

#प्रमुख कारण

सामान्य कारणों में

कब्ज के ऐसे कारण हो सकते हैं जो शरीर की बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:- निर्जलीकरण, आहार फाइबर की कमी, शारीरिक निष्क्रियता या दवा के दुष्प्रभाव शामिल हैं।

- कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना .

- भोजन में फाईबर (Fibers) का अभाव।

- अल्पभोजन ग्रहण करना।

- शरीर में पानी का कम होना

- कम चलना या काम करना।

-किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना.

- आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना।

- कुछ खास दवाओं का सेवन करना

- बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण 

* कुछ शरीर के रोग भी कब्ज का कारण बनते है.बीमारियां, जैसे स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग और डायबिटीज।

आंतों की रुकावट, आईबीएस, या डायवर्टीकुलोसिस सहित बृहदान्त्र या मलाशय की समस्याएं

- जुलाब का ज्यादा प्रयोग या दुरुपयोग

- हार्मोनल समस्याएं, जैसे थायरॉयड ग्रंथि का कम काम करना.

#कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।

1- त्रिफलादि योग:-

त्रिफला, कालीहरड,सनाय,गुलाब के फूल, मुन्नका, बादाम की गिरी, बनफ्शा,

सभी द्रव्य 25-25 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें।

रात को सोते समय एक चम्मच(6 ग्राम ) गर्म दूध के साथ ले ले. सवेरे पेट साफ हो जायेगा।  

2- मुन्नका:-

मुन्नका को दूध में उबालकर खायें और ऊपर से दूध पीले।रोज इसका प्रयोग करने से पेट भी साफ रहता है।

3- त्रिफले का दूसरा योग:-

 त्रिफला- 50 ग्राम,

 बादाम -50 ग्राम,

 सौफ -50 ग्राम,

 सौठ -10 ग्राम,

मिश्री - 30 ग्राम,

सबका महीन चूर्ण बनाकर रखलें। 

रात्रि में सोते समय दवा की 6 ग्राम मात्रा मे दूध के साथ लें।

कब्ज दूर करने की यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है यह न तो को खुश्क करती है और न ही कमजोरी लाती है।

यह योग कब्ज को दूर कर दिमाग को शक्ति प्रदान करता है।

4- सनाय की गोली:-

सनाय के पत्ते - 20 ग्राम,

मुन्नका - 30 ग्राम,

पहले सनाय का बारीक चूर्ण बना ले फिर मुन्नका को चूर्ण के साथ धोटकर गोली बनाने लायक  करलें छोटे बेर जैसी गोली बना ले.

रात मे 1 से 2 गोली दूध या पानी से ले ले। सवेरे पेट साफ हो जायेगा।

5 - काबूली हरड:-

काबूली हरड को  आधा कप पानी मे भिगो दे प्रातः हरड को थोडा घीसकर (एक हरड 4-5 दिन चलती है) उसी पानी मे धोल ले थोड़ा सा नमक मिला कर पीलें।

एक मास मे वर्षों पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।

6 - कास्ट्रोल ओयल:-

20 से 31 Ml कास्ट्रोल ओयल मिश्री मिला गर्म दूध में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है।


[अधिक जानकारी के लिए अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरुर लें।]

धन्यवाद!

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.


 गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.

#Gurde ke derd ka chamatkarik illaj.in hindi.

गुर्दे का दर्द.

By:- Dr.VirenderMadhan.

 गुर्दे, पीठ में निचली पसलियों के नीचे स्थित अंगों में शारीरिक परेशानी होना या दर्द होना।सामान्य कारणों में गुर्दे में दर्द के कुछ ऐसे कारण हो सकते हैं जो बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:-

- मूत्र को बहुत देर तक रोके रखना, 

- आघात या पेशी-कंकालीय पीठ दर्द जो वास्तव में गुर्दे से नहीं आ रहा है।

#किडनी का दर्द कहां होता है?

* किडनी का दर्द कोक (बगल) में अनुभव होता है, जो आपकी रीढ़ की हड्डी (पसलियों) के नीचे और आपके कूल्हों के बीच का हिस्सा है। 

- यह शरीर के एक तरफ होता है, लेकिन यह दोनों तरफ भी हो सकता है। 

दर्द के प्रकार:-

किडनी में पथरी होने पर किडनी का दर्द तेज होता है और संक्रमण होने पर हल्का दर्द होता है।

#किडनी में दर्द होने के लक्षण (Symptoms of Kidney pain)

किडनी के दर्द के निम्न ल ण होते है।

 -पेट में दोनों तरफ और कमर में दर्द रहना.

-पेशाब में खून आना।

- बार-बार पेशाब जाना

- पेशाब करते समय दर्द होना

--झागदार पेशाब आना

- उल्टी और जी मिचलाना

- बुखार आना, 

- ठंड लगना

* पथरी होने की दशा में गुर्दे मे दर्द की तीव्रता हल्की से बहुत गंभीर हो सकती है। 

#गुर्दों के दर्द की चमत्कारिक आयुर्वेदिक औषधियां:-

(तत्कालिक चिकित्सा व निर्दोष  औषधियां)

1- मक्का के बाल

- एक मक्का के भुट्टे के ऊपर वाले बाल-20 ग्राम०

-पानी 250 ग्राम०

लेकर उबालें।100 ग्राम रहने पर बालों को मसल कर छान लें।गुनगुना रहने पर ही रोगी को पीला दें।

यह हर प्रकार के गुर्दो के दर्द के लिए रामबाण औषध है।

2- क्षारावलेह:-(इस योग का नाम हमने सुविधा के लिए रखा है)

यवाक्षार( जवाखार),सज्जीक्षार,कच्चा सुहागा,नौशादर, कालीमिर्च, सेंधानमक, हीरा हींग, कलमीशोरा,सांमभर नमक, ये सभी 6-6 ग्राम लेकर पीसकर एक बर्तन में रखे उसमे अंग्रेजी सिरका इतना डाले कि अवलेह ( हलवा सा)बन जाये।

*जब दर्द हो तो 3-3 ग्राम हर 20 मिनट पर चाटे।

2-3 खुराक लेने से ही दर्द ठीक हो जाता है।

यह ऐसी चमत्कारी ,अद्भुत एवं अद्वैत औषधि है।

3- तुलसी आदि चूर्ण:-

तुलसी के सुखे पत्ते - 20 ग्राम
अजवायन - 20 ग्राम
सैंधवनमक - 10 ग्राम
तीनों को एक साथ पीसकर रख ले। जरूर पडने पर  3ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी से दे दें।
इस योग से गुर्दे के दर्द के अलावा ..

पेट दर्द, अफारा, बदहजमी, खट्टे डकारें, कब्ज , उल्टी ,नजला , जुकाम, खाँसी की रामबाण औषधि है .इसे बनाकर प्रतिएक घर मे रखना चाहिए।

इसे दंतमंजन की तरह भी प्रयोग किया जाता है यह दांत दर्द, दांतों का मैलापन, मवाद ,बूदबु को दूर. करता है।

4- खरबूजे के छिलके :-

गर्मी के दिनों में खरबूजे के छिलको पेस्ट(कल्क) बनाकर 6ग्राम ले उसे 250 Ml पीने मे घोलकर पीला दें।
सर्दियों में सुखे खरबूजे के छिलको का चूर्ण पानी मे धोलकर पीला दें। या
छिलकों की भस्म बनाकर गुनगुने पानी से खिला देने से गुर्दा का दर्द बंद हो जाता है।यह भी एक चमत्कारी औषधि है।

5- कलमीशोरा व खुरासानी अजवाइन 

इन दोनों को मिलाकर चूर्ण बनालें इसमे से 1ग्राम चूर्ण ताजा पानी से खाने से गुर्दा का दर्द ठीक हो जाता है।

6- आकाशबेल का योग:-

आकाशबेल 10 ग्राम
  गुलदाउदी - 6 ग्राम 
150 ग्राम पानी मे चाय की तरह पकायें जब एक कप शेष रह जाये तो छानकर गुनगुना ही रोगी को पीला दे। आधा घंटे बाद ही रोगी ठीक हो जायेगा। यह दिव्य औषधि है।

7 - लालमिर्च के पत्ते:-

लालमिर्च के पत्ते 20 ग्राम
कालीमिर्च 6-7 दाने
नौशादर 1 ग्राम 
100 ग्राम पानी में सब को घोट पीस कर फिर छानकर रोगी को पीने से दर्द में आराम मिल जाता है।

किसी भी औषधि के प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरूर करें।


धन्यवाद।

बुधवार, 24 अगस्त 2022

कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय.हिंदी में

 कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय.हिंदी में.



#There will never be sugar, keep doing these 7 remedies. In Hindi.

जीवनशैली बदले स्वस्थ रहें।

शुगर की शुरुआत कैसे होती है?

शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?

शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-#

  शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?  

शुगर की शुरुआत कैसे होती है?   कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय जीवनशैली बदले स्वस्थ रहे   शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-     

शुगर से बचने के उपाय।

Dr.VirenderMadhan.

#शुगर की शुरुआत कैसे होती है?

#How does sugar start?

* शुगर से बचने के लिए जानना जरूरी है कि शुगर बनता कैसे है। जब हमारे शरीर के हार्मोन इंसुलिन (बीटा सेल्स के अंदर पैंक्रियास से निकलने वाला हार्मोन) हमारे शरीर के साथ सही ताल-मेल नहीं बिठा पाता है तब यह बीमारी होती है। मधुमेह को डायबिटीज मिलिटियस(Diabetes Mellitus) भी कहते हैं। यह एक खराब जीवनशैली के कारण होता है।यानि प्रज्ञापराध के कारण यह रोग होता है।

जैसे दिन में सोना, रात मे जागरण करना, प्ररिश्रम न करना, अत्यधिक गरिष्ट भोजन करना आदि।

# शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?

#What are some ways to avoid sugar?

* शुगर से बचने के लिए 7 उपाय.

1- अंजीर के पत्ते-

अंजीर के पत्तों की चाय पीयें।

  इसमें मधुमेह विरोधी गुण होते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है. अंजीर के पत्तों को खाली पेट चबाने या पानी में उबाल कर क्वाथ बना कर पीने से मधुमेह मे लाभ मिलता है. अंजीर के पत्तों में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है. 

2-- मेथी- 

रोज मेथी दाना पीने भिगोकर खाये और उसका पानी भी पी लें.मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत लाभदायक मानी जाती है. 

3- दालचीनी- 

मसालों में दालचीनी का उपयोग होता है वही दालचीनी का चूर्ण या पानी या दूध मे या आयुर्वेदिक चाय के रुप में लेते रहे। दालचीनी से कई रोगो मे लाभ मिलता है।

4- आंवला- 

आवला किसी न किसी रूप मे खायें।आंवला एक रसायन है।जीवनशक्ति बढती है तथा रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है 

शुगर जैसे अनेक रोगो से बच जाते है।

5- नीम के पत्ते:-

रोज सुबह खाली पेट नीम की कुछ पत्तियों को खाने या पीसकर पानी के साथ लेने से शुगर व त्वचा रोग नही होते है

 6- ग्रीन टी:-

ग्रीन टी को रोज पीना बहुत फायदेमंद होता है। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो शुगर जैसे रोगो को नही होने देगा।

#जीवनशैली बदले स्वस्थ रहें।

Change your lifestyle and be healthy.

7- क्या पैदल चलने से शुगर कम होता है?



आयुर्वेदिक शास्त्रों में वर्णन है कि कुआ खोदने से,नंगे पैर लम्बी दूरी तक पैदल चलने से राजरोग (मधुमेह) समाप्त हो जाता है।अगर आपका शुगर से बचना है तो जितना हो सके पैदल चलें।पैदल चलने से हमारी सभी ग्रन्थियों अच्छा काम करती है।मांसपेशियों बलिष्ठ होती है।हड्डियां मजबूत बनती है।रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है।

साथ मे पानी की मात्रा खूब लें।

ब्लड शुगर लेवल के स्तर को कम करने का सबसे आसान विधि है पानी। अगर आप पानी पीते हैं तो यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।  पानी के जरिए किडनी टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने का काम करता है।और हम स्वस्थ बने रहते है।

#शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-

#Our food to avoid sugar:-

शुगर से बचने के लिए आप अपने भोजन मे कटू,कषाय,रस वाले भोजन समलित करें।



मधुमेह से बचने का सर्वोत्तम आहार प्राकृतिक खाद्य, अंकुरित अनाज, फल एवं हरी सब्जी है । यह क्षारीय आहार है । पूर्ण अन्न, कूटू एवं हरी सोया, मेथी अत्यंत लाभप्रद हैं ।

 फलों में संतरा जामुन, अनानास, आवंला, सेब तथा पपीता आदि लिए जा सकते हैं।

चीनी, मिठाई, शर्बत,आम, अंगूर, बेदाना,आलू, चावल से परहेज करना चाहिए। अधिक खाने से मधुमेह बनने का भय रहता है।

- सेव और नारंगी ले सकते हैं। चावल कम मात्रा में कभी कभार लिया जा सकता है। हरी सब्जी खा सकते हैं।

-जब भुख लगे तभी खायें।

-पहला भोजन पच जाने के बाद ही भोजन करें।

धन्यवाद!

मंगलवार, 23 अगस्त 2022

ये 10 लक्षणों है तो किडनी हो रही है खराब.हिंदी में.


#kidneycare #Healthtips #Ayurvedic medicine.

 ये 10 लक्षणों है तो किडनी हो रही है खराब.हिंदी में.

If these are 10 symptoms, then the kidney is getting bad.

#गुर्दा|किडनी क्या है?

By:-Dr.VirenderMadhan.

वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है।एक प्रकार से रक्त साफ करने की छलनी है।

 किडनी हमारे शरीर का वह अंग है जो गंदगी बाहर निकालने का काम करती हैं। दोनों किडनियों में छोटे-छोटे लाखों फिल्टर होते हैं जिन्हें नेफरोंस कहते हैं। नेरोफेंस हमारे खून को साफ करने का काम करते हैं।

 अगर किडनी में किसी प्रकार की समस्या होने पर शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते जिससे कई रोग पैदा हो सकते है।

 इन रोगों से बचने के लिए उन लक्षण का ज्ञान होना जरुरी है जिनसे किडनी के खराब होने का ज्ञान होता हैं - 

#बीमार किडनी के 10 लक्षण:-

 1- पेशाब का रंग रुप:-

 युरिनरी इफंक्शन में पेशाब के रंग,रूप, मात्रा और कितने बार पेशाब आती है, इन चीजों में बदलाव आने लगते है।

मूत्र गंदेला,पीला, भुरा,लालभ,आने लगता है।

2 - शरीर में सूजन आना :-

 जब किडनियों शरीर से बाहर गंदगी और तरल पदार्थ न निकाल पाये, जिनसे शरीर में सूजन आ जाती है। यह सूजन हाथों, पैरों, जोड़ों, चेहरे और आंखों के नीचे हो सकती है। 

3-  चक्कर आना और कमजोरी :-

 जब किडनियों की कार्यप्रणाली में विषाक्तता भर जाती है, तो आपको चक्कर आने की अशंका बढ़ जाती है। 

4- थकान व कमजोरी :-

विषाक्तता के कारण रोगी थकावट महसूस करते हैं और कमजोरी का एहसास होता है। ये लक्षण खून की कमी और वजन गिरने लगता है।

5- पीठ दर्द का कारण न समझ पाना : 

आपकी पीठ और पेट के किनारों में बिना वजह दर्द महसूस होना, किडनी में इंफेक्शन या किडनी संबंधी बिमारियों के लक्षण हो सकते हैं।

6- त्वचा की समस्या होना:-

त्वचा खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,अचानक त्वचा का फटना, रेशेज होना, शरीर की गंदगी के एकत्रित होने के परिणाम हो सकते हैं। 

7-  उल्टियां' और उबाक आना:-

 आप उल्टी के दवाईयां लेने के बाद भी समस्या को जस की तस पाएं तो किडनी प्रोब्लम हो सकती है।

8- ठंड लगना तथा मांसपेशियों में ऐठन होना।

अच्छे मौसम के बावजूद अजीब-सी ठंड लगना और कभी-कभी ठंड लगकर बुखार भी आ जाना।

9-मूत्र में बूदबु और भोजन में अरूचि होना:-

यूरिनिया की स्थिति में मूत्र से दुर्गंध आने लगती है। तथा भोजन से मन हट जाता है।

10- रक्त की कमी होना, एनिमिया तथा सांस लेने में परेशानी होना

ये सभी लक्षण अगर किसी को है तो उसे तुरंत अपने चिकित्सक को दिखाये।

किडनी को सुरक्षित रखने के लिए आप शुरू से ही आयुर्वेद अपनाये

धन्यवाद!