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शनिवार, 14 मई 2022

Bad Cholesterol को ठीक करे ये हरी सब्जी|Blood Sugar Level भी कंट्रोल मे रखती है. In hindi.

 Bad Cholesterol को ठीक करे ये हरी सब्जी|Blood Sugar Level भी कंट्रोल मे रखती है. In hindi.

Dr.Virender Madhan.

*Food To Control High Cholesterol|हाईकोलेस्ट्रोल के लिऐ भोजन.

अगर शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करना है तो ऐसे फूड खाने होंगे जिसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा हो.

#भिंडी|Lady Finger.



भिंडी (Lady Finger) में भरपूर मात्रा में फाइबर तो होते ही हैं विटामिन और मिनरल्स की भी कमी नहीं होती. इसमें पेक्टिन भी अच्छी मात्रा में होता है. ये ऐसा तत्व है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. इससे धमनियों में रक्त प्रवाह बेहतर होता है.

हरी सब्जियां आपके लिए सेहत के लिए बेहद जरूरी होती हैं. वैसे सभी सब्जियों को खाने की आदत आपको बनानी चाहिए, लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी होती हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ कई  बीमारियों के जोखिम को भी कम कर देती हैं. इसमें भिंडी भी शामिल है. क्या आप जानते हैं कि भिंडी आपके लिए कितनी फायदेमंद है? भिंडी खाने से न सिर्फ आपका ब्लड शुगर बैलेंस रहता है, बल्कि हार्ट भी फिट रहता है. 

#भिंडी खाने से शरीर में क्या फायदा होता है?

7 फायदे भिंडी के-

1- भिन्डी का काढ़ा पीने से सुजाक, मूत्रकृच्छ, और ल्यूकोरिया में फायदा होता हैं । 2- बीजरहित ताजा दो भिन्डी प्रतिदिन खाना श्वेतप्रदर, नंपुसकता, धातु गिरना रोकने में सहायक है। 

3- इसमें मौजूद विटामिन बी,गर्भ को बढ़ने में मदद करता है और जन्मजात विकृतियों को रोकता है। 

4- मधुमेह में इसके रेशे ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते है।

5- इसके सेवन से गैस, कब्ज, अपच, एसिडिटी की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा यह पेट फूलना, पेट में दर्द से भी राहत दिलाता है। कच्ची भिंडी में लसलसा फाइबर मौजूद हाेता है, जाे पाचन तंत्र या पाचन क्रिया काे मजबूत बनाता है। कच्ची भिंडी आंताें काे भी स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

6- भिंडी खाने से आपके शरीर को ज्यादातर बीमारियों से लड़ने के लिए मजबूती मिलती है. 

7- भिंडी में अच्छे कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं, जो वेट कंट्रोल करने में कारगर साबित होते हैं. इसके साथ ही, भिंडी में Anti-Obesity गुण भी पाए जाते हैं, जो वजन नहीं बढ़ने देते.

# भिंडी का चूर्ण खाने से विषेश लाभ?

- भिंडी जड़ चूर्ण ,पुरषो की यौन कमजोरी , स्वप्नदोष , तनाव ना आना , शीघ्रस्खलन , धात का गिरना , धातु रोग , कमजोर शुक्राणु , नपुंसकता , पेशाब से चिपचिपा पानी आना , महिलाओ का सफ़ेद पानी, कमर दर्द ,आदि की रामबाण दवा है.

#भिंडी अधिक खाने से नुकसान क्या क्या हो सकते है?

सावधानी:-

1- भिंडी में ओजलेट अत्यधि‍क मात्रा में पाया जाता है। ओजलेट के कारण गुर्दा और पित्त में पथरी की स्थिति खराब हो सकती है, क्योंकि ओजलेट पेट में मौजूद पथरी को और बढ़ाने का कारण बनता है। 

2- ज्यादा मात्रा में भिंडी की सब्जी खाने से पित्त की समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त भिंडी खाने के बाद मूली नहीं खाना चाहिए। इससे आपको त्वचा संबंधित रोग जैसे सफेद दाग की समस्या हो सकती है, क्योंकि भिन्डी की तासीर गर्म होती है और मूली की तासीर ठंडी होती है। जिससे मनुष्य का शरीर इसे सहन नहीं कर पाता।

3- भिंडी खाने के बाद करेला बिल्कुल नहीं खाना चाहिए क्योंकि भिंडी की सब्जी खाने के बाद यदि हम करेले की सब्जी खाते हैं तो यह हमारे पेट में जाकर जहर उत्पन्न करता है। यदि यह जहर अधिक मात्रा में आपके शरीर में उत्पन्न हो गया तो इसकी वजह से आपको काफी हानि पहुंच सकते हैं।

धन्यवाद!

शुक्रवार, 13 मई 2022

गर्मी के दिनों मे अलसी के बीज?In hindi.

 #गर्मी के दिनों मे अलसी के बीज?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

अलसी के बीज गर्मी में न खायें पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति।



अलसी एक बेशकीमती सुपर फूड है. इतना ही नहीं अलसी के बीज वजन घटाने में भी बहुत मदद करता है. 

#अलसी के नाम?

इसे अतसी ,नीलपुष्पी, क्षुमा,अलसी ,Flex,नाम से भी जानते है।

इसके बीजों मे तैल,कार्बोहाइड्रेट,कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन-ए, विटामिन ई विटामिन बी, होता है।बीजों मे कु विषाक्त एल्कलॉइड होता है।

- ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर से भरपूर है।

- अलसी पाचन में सुधार, कैंसर जैसी बीमारियों में फायदेमंद होता है. इतना ही नहीं, अलसी से बीज वजन घटाने में भी बहुत मदद करता है. लेकिन इन बीजों का ज्यादा लाभ लेने के लिए इनका सही तरह से सेवन करने की जरूरत है.

#अलसी के प्रकार:-

अलसी दो तरह की होती है पीली और भूरी. दोनों ही तरह की अलसी पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. 

अलसी खाने के तरीक़े-

#अलसी का कैसे करें सेवन?

चाहे तो इसे पीसकर इसका पाउडर बना लें और फिर इसका सेवन करें. सुबह-सुबह एक चम्मच गर्म पानी के साथ इसे लें. यह आपको वजन कम करने में भी मदद करेगा. इसके साथ ही आप इसे सब्जी, दाल, ओटमील में डालकर भी पकाकर भी यूज कर सकते हैं.

* आप इसे भूनकर इसे पीसकर पाउडर बना सकते हैं. वहीं इसका सेवन करने के लिए सबसे पहले एक पैन में पानी भरें. इसमें पिसी हुई अलसी का पाउडर डालें. इसके बाद इस पानी को उबालें और गैस बंद कर दें. वहीं स्वाद बढाने के लिए एक मिश्रण में नींबू का रस और गुड़ डालें और पी जाएं.

#कैसे वजन करती है अलसी के बीज?

वजन कम करने के लिए अलसी से बेहतर कुछ नहीं हैं.  - 100 ग्राम अलसी में 18 ग्राम प्रोटीन होता है क्योंकि इसमें म्यूसिलेज नाम का फाइबर होता है. जिसकी वजह से भूख में कमी आती है और इस फिबर से सेवन से क्रेविंग को भी रोका जा सकता है. ऐसे में अगर आप रोजाना एक चम्मच अलसी पाउडर को डाइट में शामिल करने से मोटापा घटाने में आसानी होती है.

#अलसी खाने से और क्या क्या लाभ होते हैं?

1-1 चम्मच अलसी का रोज सेवन करने से-

हृदय रोग कम करने में मदद मिलती है ।

- ब्लड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में हेल्पफुल होते है अलसी के बीज ।

- पाचन शक्ति बेहतर होती है आप अलसी का नियमित सेवन करने से आप पाचन शक्ति को बढ़ा सकते हैं.

- त्वचा के लिए फायदेमंद होते है।

- अलसी के बीज को लेप करने से व्रणशोथ शांत हो जाता है।

#अलसी का सेवन किसे नहीं करना चाहिए?

-लो ब्लड शुगर लेवल, कब्ज, डायरिया से पीड़ित लोगों को अलसी का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए.

#क्या गर्मियों में अलसी का सेवन करना चाहिए? 

- अलसी की तासीर गर्म होती है। इसलिए गर्मियों में अलसी का सेवन अपनी प्रकृति को देखकर करना चाहिए। अगर आपकी प्रकृति पित्त प्रकृति की है तो आपको इसे करने से बचना चाहिए।

#अलसी के बीज खाने से क्या नुकसान होता है?

- ज्यादा अलसी के बीज का सेवन यदि आप अधिक मात्रा में कर रहे हैं तो आपको इससे एलर्जी भी हो सकती है। 

- लूज मोशन और कब्ज हो सकते है।

-गर्भावस्था में अलसी के बीज हानिकारक हो सकता है

#अलसी कब खानी चाहिए?

अलसी खाने का सही समय

 चूंकि अलसी फाइबर (Fiber) का अच्छा सोर्स है इसलिए अगर इसे भोजन से पहले खाया जाए तो आपका पेट भरा हुआ महसूस होता है और आप कम खाना खाते हैं जिससे कम कैलोरी का सेवन होता है. इसके अलावा रात में सोने से पहले भी अलसी का सेवन किया जा सकता है क्योंकि यह अच्छी नींद लाने में भी मदद करती है.

धन्यवाद!



गुरुवार, 12 मई 2022

पागलपन की आयुर्वेदिक दवा कौन सी है? In hindi

 पागलपन की आयुर्वेदिक दवा कौन सी है? In hindi.



मानसिक विकृति:-

By- Dr.Virender Madhan.

यह एक मानसिक रोग है। चीखना- चिल्लाना, कपड़े फाड़ना, बकवास करना, खुद-ब-खुद बातें करना, हंसना अथवा रोना, मारने अथवा काटने को दौड़ना, अपने बाल आदि नोंचना ही इसके प्रमुख लक्षण हैं।

 यह रोग कई प्रकार की विकृतियों के कारण हो सकता है। जैसे - अत्याधिक प्रसन्न होना, कर्जदार अथवा दिवालिया हो जाना, अत्यधिक चिन्तित रहना, भय, शोक, मोह, क्रोध, हर्ष मैथुन में असफलता, काम-वासना की अतृविप्त अथवा मादक पदार्थों का अत्याधिक सेवन करना। अतः पागलपन के मूल कारण को जानकर ही औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

#पागलपन के घरेलू उपाय?

- खिरेंटी ( सफेद फूलों वाली ) का चूर्ण साढ़े तीन तोला 10 ग्राम पुनर्नबा की जड़ का चूर्ण इन दोनों को क्षीर - पाक की विधि से दूध मे पकाकर तथा ठण्डा कर नित्य प्रातः काल पीने से घोर उन्माद भी नष्ट हो जाता है।

- पीपल, दारूहल्दी, मंजीठ, सरसों, सिरम के बीज, हींग, सोंठ, काली मिर्च, इन सबको 10-10 ग्राम लेकर कुंट- पीसकर छान लें। इस चूर्ण को बकरी के मूत्र में पीसका नस्य देने तथा आंखों में आजमाने से उन्माद, ग्रह तथा मिर्गी रोग नष्ट होते हैं।

- सरसों के तेल की नस्य देने तथा सरसों का तेल आंखों में आंजने से पागलपन का रोग दूर होता है। ऐसे रोगी के सारे शरीर पर सरसों का तेल लगाकर और उसे बांधकर धूप में चित्त सुला देने से भी इस रोग से छुटकारा मिल जाता है।

#मानसिक रोग की आयुर्वेदिक दवा क्या है?

- ब्राह्मी, मंडूक पुष्पि, स्वर्ण भस्म आदि से मस्तिष्क को बल मिलता है और मन को शांति। इनका उपयोग अवसाद के उपचार में किया जाता है।   -आयुर्वेद में अवसाद दूर करने के लिए खानपान में भी बदलाव करने पर बल दिया जाता है।

* ब्रह्मी का स्वरस और शहद

- पेठे का स्वरस और शहद,

- वच का स्वरस और शहद,

- शंखाहूली का स्वरस और शहद, का सेवन करने से मानसिक रोग ठीक हो जाता है।

ब्रह्मी का रस 30 से40 ग्राम मे कुठ का चूर्ण 50 मि०ग्राम मिलाकर शहद के साथ सेवन करें।

पेठे के चूर्ण मे एक चौथाई भाग में कूठ का चूर्ण मिलाकर रखे उसमे से 2-3ग्राम चूर्ण शहद मे मिलाकर चाटने से आराम मिलता है।

#आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियों ?

उन्माद भंजन रस,

ब्रह्मी चूर्ण,

चतुभुर्ज रस,

महावातविध्दवनसन रस,

सारस्वतादि चूर्ण,

सारस्वतारिष्ट

सारस्वत घृत,

बलारिष्ट आदि का आयुर्वेद में मानसिक रोगो मे प्रयोग किया जाता है।

#ब्रेन टॉनिक क्या है?

“ब्रेनिका सिरप”

मन शक्ति अतिरिक्त मस्तिष्क टॉनिक सिरप एक आराम और सुखदायक सिरप है।

 हमारे जीवन तनाव से भरे हुए हैं। चाहे वह अध्ययन तनाव, कार्यालय तनाव या रिश्ते तनाव हो यह सिरप तनाव जारी करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। 

इस टॉनिक ने वच, शंखपुष्पी, ब्रह्मी,जठामांसी जैसे प्राकृतिक अवयवों से निष्कर्षण प्राप्त किए हैं।

बुधवार, 11 मई 2022

भ्रम रोग,सिजोफ्रेनिया (schizophrenia)निदान व उपचार। in hind.

 भ्रम रोग,सिजोफ्रेनिया (schizophrenia)निदान व उपचार। in hind.



#Dr_Virender_Madhan.

#भ्रम [वहम]क्या है?

भ्रम को अनेक नामों से जाना जाता है।

*Confusion

*Delusion

*Misconception

*Misunderstanding

*भ्रम

 *काल्पनिक धारणा, 

*मिथ्या परिकल्पना,

*मिथ्या धारणा

*गलतफहमी,

*भ्रान्ति

*मिथ्याभास, 


- जिस वस्तु या घटना का वास्तविक स्वरूप न होते हुए भी वास्तविक आभास हो” उसे भ्रम कहते है 

[कुछ नही होते हुए भी होने का आभास ही भ्रम है।]

ऐसा एहसास बार और अघिक बार होने को भ्रम रोग कहते है।

- एक तरह से यह एक मानसिक रोग ही है।

मस्तिष्क में जब वात कुपित हो जाये तथा रज व तम गुणों की अधिकता हो जाये ऐसे रोगी को भ्रम रोग होता हैं।

* कुछ ऐसा सुनाई देना, जो बोला ही नहीं जा रहा। कुछ ऐसा दिखाई देना, जो दृश्य असल में है ही नहीं। कुछ ऐसा महसूस होना, जो है ही नहीं। ये सभी लक्षण हैलुसीनेशन यानी भ्रम से जुड़े हैं। कई लोगों को इस तरह के भ्रम होते हैं, लेकिन फिर भी वे इसके बारे में बात करने से बचते हैं। जबकि इस तरह की बीमारी में बातचीत ही बचाव है।

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/IerljTPaoK4

#सपनों और भ्रम में फर्क

हैलुसीनेशन या भ्रम चेतन या पूरी तरह जागरुक अवस्था में होने वाले ऐसे अनुभव हैं, जो असल में न होते हुए भी वास्तविक लगते हैं। अक्सर लोग सपनों और भ्रम को एक जैसा समझ लेते हैं। 

सपने हमारे शरीर की अवचेतन अवस्था में होते हैं, जो पूरी तरह कल्पना पर आधारित होते हैं। जबकि हैलुसीनेशन के लक्षण मानसिक बीमारी का कारण भी बन सकते हैं।

 जब हमारे पांच इंद्रियां हमें धोखा देने लगती हैं, तब हैलूसीनेशन होता है। इसमें कुछ सुनाई देना, दिखाई देना या महसूस होना शामिल है। अगर इस तरह के भ्रम या अहसास किसी को होते हैं तो यह ब्रेन ट्यूमर या किसी मानसिक बीमारी का लक्षण हो सकता है। 

सामान्य व्यक्तियों को भी सोने से एकदम पहले कुछ सेकेंड के लिए हैलुसीनेशन हो सकता है, जिसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के व्यवहार में ज्यादा बदलाव दिखे तो दूसरे उपाय करने की बजाय तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

देखने, सुनने से लेकर महसूस करने तक

हैलुसीनेशन के कई प्रकार हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले ऑडिटरी और विज्युअल हैलुसीनेशन से जुड़े हैं। ऑडिटरी हैलुसीनेशन के दौरान व्यक्ति को कुछ धुंधली आवाजें सुनाई देती हैं, जो असल में उसका भ्रम होता है।

इस तरह के भ्रम शिजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मानसिक रोग) में होने वाला सामान्य लक्षण हैं। इसमें मरीज को अपने बारे में अच्छी बातें सुनाई देती हैं या फिर कुछ मामलों में बुरी बातें। इसी तरह विज्युअल हैलुसीनेशन के दौरान व्यक्ति कुछ ऐसे दृश्य और आकृति देखने लगता है, जो वास्तव में वहां है ही नहीं। इसमें कुछ गोल-गोल आकृतियों का दिखना भी शामिल है।

इसके अलावा हैलुसीनेशन से जुड़े कुछ मामलों में व्यक्ति को आदेश के तौर पर आवाजें सुनाई देती हैं। ये आवाजें उसे कुछ करने के  लिए उकसाती हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसी आवाजें ही खुद मरीज या उसके आस-पास के लोगों को नुकसान पहुंचाने का कारण भी

बनती हैं।

#भ्रम के कारण हैं ?

हैलुसीनेशन के कई कारण हो सकते हैं। कुछ सामान्य प्रकार के हैलुसीनेशन सोने से एकदम पहले की अवस्था के दौरान होते हैं। शोध की मानें तो 37 प्रतिशत लोगों को एक सप्ताह में दो बार इस तरह के भ्रम होते हैं, जो कुछ सेकेंड या मिनट के लिए ही अनुभव होते हैं। पार्किंसंस, डिमेंशिया या माइग्रेन के मरीजों को भी कई बार हैलुसीनेशन की शिकायत हो जाती है। इसके अलावा बाइपोलर डिस्ऑर्डर, डिप्रेशन, ड्रग्स की अधिक मात्रा या शराब का ज्यादा सेवन भी हैलुसीनेशन का कारण बन सकता है।

#भ्रम का इलाज ?

सही साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट की मदद से इस तरह की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। इसके साथ ही स्वस्थ और तनाव रहित जीवनशैली, भरपूर नींद और ड्रग्स या शराब का सेवन छोड़कर भी इस परेशानी से बचाव किया जा सकता है।

डॉक्टरों के मुताबिक दिमाग में कुछ रासायनिक संतुलन होते हैं। किसी स्थिति में जब कुछ रसायनों की मात्रा कम या ज्यादा हो जाती है तो ऐसे मामले सामने आते हैं। इलाज के दौरान इसी असंतुलन को मेडीकल ड्रग्स की मदद से संतुलित किया जाता है।

परिवार का सहयोग जरूरी

ऐसे मामलों में अधिकतर लोग मेडीकल ट्रीटमेंट को आखिरी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन समय रहते डॉक्टर की सलाह लेने से यह बीमारी कुछ हफ्तों में ही काबू की जा सकती है। यह बीमारी मरीज से ज्यादा उसके आसपास के लोगों से जुड़ी है।

मरीज को खुद इस बात का अहसास नहीं होता कि उसका व्यवहार कुछ अजीब हो गया। उसके परिवार वाले और आसपास के लोग ही उसके व्यवहार में आए बदलाव को पहचानकर इलाज करवा सकते हैं। दवा और इलाज के साथ ही मरीज के लिए परिवार का सहयोग भी बहुत जरूरी है।

यदि परिवार वाले उसके साथ किसी तरह की जोर जबरदस्ती या सख्ती न करें तो मरीज को जल्द से जल्द ठीक होने में मदद मिलती है। मरीज को ठीक होने का मौका देना बहुत जरूरी है। कई लोग यह सोचते हैं कि इससे परिवार पर दाग लग गया या समाज में नाम खराब हो गया। यह मानसिकता बहुत ही गलत है।

धन्यवाद!

   


गर्मीयों मे अदरक कैसे खायें ?In hindi.

 #गर्मीयों मे अदरक कैसे खायें ?In hindi.

अदरक|Ginger



Dr.Virender Madhan.

भावप्रकाश निघण्टु में वर्णन है कि 

भोजन के पूर्व अदरक के टुकड़ों पर सेंधा नमक डालकर खाने से सदैव पथ्यकर होता है, इससे अरुचि मिटती है। जिह्वा तथा कण्ठ का शोधन होता है एवं क्षुधा की वृद्धि होती है। कहा जाता है कि

 “भोजनाग्रे सदा पथ्यं

#आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव के अनुसार।

सोंठ उष्ण होने से कफ-वात शामक, शोथहर, उत्तेजक, वेदनास्थापक, नाड़ियों को उत्तेजना देने वाली, तृप्तिघ्न, , दीपन, पाचन, वातानुलोमन, शूल-प्रशमन तथा अर्शोघ्न है। 

उष्ण होने के कारण हृदय एवं रक्तवह-संस्थान को उत्तेजित करती है। अदरक कटु और स्निग्ध होने के कारण कफघ्न और श्वासहर है।

 यह मधुर विपाक होने से वृष्य है। तीक्ष्णता के कारण यह स्रोतोवरोध का भी निवारण करती है।

#गर्मियों के दिनो मे अदरक?

आयुर्वेद के मुताबिक अदरक की सीमित मात्रा का सेवन करने से व्यक्ति को गर्मियों में भी इसके स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिलेंगे। अदरक में गर्म गुण होते हैं, जो शरीर के तापमान को बढ़ाता है। अदरक पाचन को बेहतर बनाने और कई समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है, लेकिन बड़े अनुपात में इसका सेवन करने से दस्त और लूज मोशन हो सकते हैं।

#क्या गर्मी में अदरक खाना चाहिए?

अदरक की तासीर गर्म होती है। इसलिए आमतौर पर लोग इस मौसम मे अदरक खाना अवॉइड करते हैं। लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, जम्मू के डॉ. अटल बिहारी त्रिवेदी इस मौसम में भी अदरक का एक छोटा टुकड़ा रोज अपनी डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं।

#अदरक खाने से क्या क्या फायदे होते हैं?

कच्चा अदरक खाने के फायदे-

- पेट के लिए फायदेमंद- कच्चा अदरक पेट के ले काफी फायदेमंद माना जाता है।

- माइग्रेन दर्द में फायदेमंद- कच्चा अदरक माइग्रेन के दर्द में काफी फायदेमंद माना जाता है.

- कोलेस्ट्रॉल लेवल होता है कम- कच्चा अदरक हार्ट के लिए काफी लाभदायक माना जाता है.

#अदरक का सेवन कैसे करे?

पेट के लिए फायदेमंद- कच्चा अदरक पेट के ले काफी फायदेमंद माना जाता है. वहीं अदरक पाचन तंत्र को मजबूत करता है. साथ ही अगर किसी को पेट में दर्द या मरोड़ जैसे शिकायत हो सकती हैं. 

- गर्मी के दिनों मे कम मात्रा में लें।

अदरक एक जड़ी-बूटी के साथ ही एक स्वादिष्ट मसाला भी है. जिसके इस्तेमाल के बिना खाने में स्वाद नहीं आता है. कई लोग अदरक की चाय और अदरक के सेवन को इतना पसंद करते है कि वह गर्मियों में भी इसका सेवन कम नहीं करते है. लेकिन गर्मी के मौसम में अदरक का अधिक सेवन करना काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसीलिए अदरक को हर मर्ज की दवा माना जाता है. लेकिन जरूरत से ज्यादा अदरक का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है. इससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा हो सकती है.

#गर्मी के दिनों मे अदरक के क्या क्या नुकसान होते है?

*  उच्च रक्तचाप हो सकता है।

- अदरक के अधिक सेवन से रक्तचाप की उच्च समस्या होने की संभावना होती है. बहुत से लोग गर्मी हो या फिर सर्दी में अदरक की चाय और खाने में अधिक मात्रा में उसका सेवन करते है. 

* कब्ज व एसिडिटी हो सकती है।

अदरक की तासीर गर्म होती है. यह एसिडिक प्रकृति का होता है. अगर इसका ज्यादा सेवन किया जाए तो इससे कब्ज, सीने में जलन जैसी कई गंभीर समस्या हो सकती है. 

* गॉलब्लैडर की समस्या सढ सकती है।

अदरक के अधिक सेवन से गॉलब्लैडर की परेशानी हो सकती है. यह पित्त स्त्राव को बढ़ा देता है. 

* अनिद्रा (Insomnia)

जो लोग अदरक की चाय पीने के शौकीन है. उनको अदरक के ज्यादा सेवन से परहेज करना चाहिए. चाय में जरूरत से ज्यादा अदरक का इस्तेमाल आपकी नींद उड़ा सकता है. 

धन्यवाद!

मंगलवार, 10 मई 2022

स्वर्ण भस्म खाने से क्या होता है ?In hindi

 #स्वर्ण भस्म खाने से क्या होता है ?In hindi.



स्वर्ण भस्म

By:-Dr.Virender Madhan.

स्वर्ण भस्म एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने (Swarna Bhasma Increase Immunity) और बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल रोगों का इलाज करने के लिए किया जाता है। स्वर्ण भस्म एक रसायन होता है।

- स्वर्ण भस्म लगभग सभी प्रकार के रोगों में स्वर्ण भस्म का उपयोग फायदेमंद रहता है | इसका उपयोग बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है | राजयक्ष्मा, क्षय, नपुंसकता, कास, अस्थमा जैसे अनेकों रोगों में यह भस्म रामबाण दवा का काम करती है 

स्वर्ण भस्म बनाने की विधि-

पहले सोने का शोधन होता है फिर मारण क्रिया करके भस्म बनती है।

* स्वर्ण भस्म के लिए स्वर्ण शोधन की पहली विधि :-

सोने का बहुत पतला पत्र बना लिया जाता है | इसको आग में तपाया जाता है |

इसके बाद तेल, तक्र, गोमूत्र, कांजी और कुल्थी के क्वाथ में 3 – 3 बार बुझाया जाता है |

इस तरह से सोना शुद्ध हो जाता है इसका उपयोग भस्म बनाने के लिए कर सकते हैं |

* शोधन की दूसरी विधि :-

सोने के बहुत पतले पत्र के छोटे छोटे टुकड़े कर लें |

इन टुकड़ों को मिट्टी से लिप्त कांच के पात्र में रख लें |

इस कांच के पात्र को त्रिपादिका में रख कर इसके निचे सुरादिपक जलाएं |

अब इसमें थोड़ा थोड़ा करके लवण द्रव डालें |

लवण द्रव तब तक डालते रहें जब तक सोना गल नही जाए |

सोना गल जाने के बाद इसको पकाते रहें |अब इस पात्र में थोडा जल डाल कर पकाएं |

इसके उपरांत ओक्सालिक एसिड (Oxalic Acid) डाल कर पकाएं |

जब स्वर्ण के अति सूक्ष्म कण कांच के पात्र में निचे बैठ जाएँ तो इसको जल से अच्छे से धो लें | इसे तब तक धोएं जब तक अम्लीयता ख़त्म हो जाए |

इस तरह से प्राप्त सोने के कण पुर्णतः शुद्ध होते हैं |

#स्वर्ण भस्म बनाने की विधियाँ :-

स्वर्ण भस्म बनाने के लिए बहुत सी विधियों का उपयोग किया जाता है | इस लेख में हम दो विधियों के बारे में बतायेंगे जिनका उपयोग करके स्वर्ण भस्म का निर्माण किया जा सकता है | 


1. स्वर्ण भस्म बनाने की प्रथम विधि / Swarna Bhasma Banane ki Pratham vidhi

शुद्ध सोने के बहुत बारीक़ पत्र लें |

इन पत्रों को कैंची से छोटे छोटे टुकड़ो में काट लें |

दोगुनी मात्रा में पारा मिला लें |

इस मिश्रण को घोंट कर पिट्ठी बना लें | इस पिट्ठी को तुलसी पत्र के रस में तीन दिन तक लगातार मर्दन करें | इसकी टिकिया बना कर सुखा लें |

अब इसको सम्पुट में रख आधा सेर कंडो की आंच दें | 5 – 7 पुट देने पर भस्म तैयार हो जाती है |

#2. स्वर्ण भस्म बनाने की दूसरी विधि / Swarna Bhasma Banane ki dusari vidhi

शुद्ध सोने के पत्रों को खरल में डाल उसमें समभाग में पारद मिला लें |

इस मिश्रण में निम्बू का रस मिला कर तीन दिन तक मर्दन करें | अब इसमें सोने से आधी मात्रा में संखिया मिला कर जम्बीरी निम्बू के रस में तीन दिन तक मर्दन करें | अब इस चूर्ण में स्वर्ण के बराबर भाग में गंधक (शुद्ध) मिला कर सम्पुट में बंद करें | इसको अब लघुपुट में तब तक पुट दें जब तक चन्द्रिका रहित भस्म तैयार न हो जाये |

इस भस्म को अब काचनार की छाल के स्वरस की भावना देकर तीन पुट दें |

अब इस तरह से तैयार भस्म जामुन के रंग की होती है |

#स्वर्ण भस्म के गुण, उपयोग एवं फायदे |

यह स्निग्ध मधुर एवं रसायन गुण वाली होती है |

इसका वीर्य शीत होता है |

यह हृदय एवं स्वर शुद्धिकारक होती है |

स्वर्ण भस्म प्रज्ञा, कांति, स्मृति एवं ओज बढ़ाने वाली होती है |

यह वाजीकर, शुक्रल, मस्तिष्क एवं यकृत को बल देने वाली होती है |

स्‍वर्ण भस्‍म युक्‍त दवा स्‍मृति, एकाग्रता, समन्‍वय और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करती है. स्‍वर्ण भस्‍म को अवसाद, मस्तिष्‍क की सूजन और मधुमेह के कारण न्‍यूरोपैथी जैसी स्थितियों के विरुद्ध भी उपयोग किया जाता है. खासतौर पर पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए स्वर्ण भस्म का उपयोग किया जाता रहा है.

यह पुराने से पुराने रोगो को ठीक करने की क्षमता रखती है।

रस-रक्त आदि धातुओ को बल प्रदान करने के काम आता है। चेहरे की कांति को बढाता है।अनेक कलिष्ठ रोगो को जैसे -पुरानी संग्रहणी, पाण्डु,राज यक्ष्मा, अम्लपित्त, शिरकम्प, उन्माद, वात रोग,पितरोग,अकाल वृद्धावस्था, नपुंसकता, शुकमेह,स्नायु दौर्बल्य, प्रमेह रोग,नेत्ररोग, मस्तिष्क रोग आदि।

मात्रा-

 1/4 रत्ती से 1/2 रत्ती।

22 mg से 50mg तक।

अनुपान:- 

शहद,मलाई, च्यवनप्राश आदि मे मिलाकर खायें।

नोट:-कोई भी औषधि के प्रयोग से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

धन्यवाद!


सोमवार, 9 मई 2022

भगन्दर [Fistula]फिस्टुला आयुर्वेद से कैसे ठीक हो?In hindi.

 #भगन्दर [Fistula]फिस्टुला आयुर्वेद से कैसे ठीक हो?In hindi.



Dr_Virender_Madhan.

मलद्वार के बाजू में एक फूंसी के रूप में यह एक रोग होता है। गुदा द्वार [Rectum] पर एक प्रकार की फोड़ा से पैदा होकर यह गुदा द्वार के अन्‍दर तथा बाहर नली के रूप में घाव पैदा करता है। अंग्रेजी भाषा में इसे फिस्टुला[Fistula] कहते हैं। यह फोड़ा कुछ दिनों में फूट जाता है और उसमें से मवाद तथा दूषित रक्त निकलने लगता है। मलद्वार के पास बहुत तेज दर्द होता है।

* अधिक चटपटी चीजें खाने के कारण ,

* अधिक देर तक बैठे रहने से,

* साईकिल, बाईक आदि चलाते रहने से,

* फ्राईड, बासी, फास्ट फूड के कारण कब्ज रहने से भगंदर रोग बन जाता है।


#भगंदर के क्या लक्षण होते है?

> गुदा में बार-बार फोड़े होना

> गुदा के आसपास दर्द और सूजन

> शौच करने में दर्द होता है।

> मलद्वार से रक्तस्नाव हो सकता है।

> बुखार सा लगना, ठंड लगना और थकान होना

> कब्ज होना, मल नहीं हो पाना

> गुदा के पास से बदबूदार और खून वाली पस निकलना 

ये सब भगंदर के लक्षण है।

#आयुर्वेद में भगंदर के इलाज ?

अमलतास (आरग्वध), हरीतकी (हरड़) और त्रिफला (आंवला, विभीतकी और हरीतकी का मिश्रण) प्रयोग किया जाता है। संपूर्ण सेहत में सुधार और फोड़ों को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करते है जैसे 

** आरोग्‍यवर्धिनी वटी, 

* त्रिफला चूर्ण, या त्रिफला क्वाथ,

* त्रिफला गुग्‍गुल,अमृतागुग्गुल प्रयोग किया जाता है

* अभयारिष्‍ट ,

विड्गारिष्ट का उपयोग भी किया जाता है।

* जात्यादि तैल,कासीसादि तैल, करवीरादि तैल, भगंदर पर लगाने से राहत मिलती है।

ताम्रभस्म के योगो का प्रयोग किया जाता है।

* आयुर्वेद में भगंदर के इलाज के लिए क्षारसूत्र का प्रयोग किया जाता है, जिसका परिणाम बहुत अच्छा है। क्षारसूत्र एक मेडिकेटेड थ्रेड होता है। आयुर्वेद की कई औषधियों के योग से इस क्षारसूत्र का निर्माण किया जाता है। मरीज आपरेशन के बाद उसी दिन घर जा सकता है।

#भगंदर के घरेलू उपाय?

- नीम के पानी मलद्वार को साफ करें तथा निम्बोली का पेस्ट बनाकर भगंदर पर लेप करें।

- पीपल वृक्ष की अन्तरछाल का चूर्ण बनाकर किसी नली की सहायता से भगंदर पर बुरक दे कुछ दिनों में ही लाभ मिल जाता है।

- नीम का तैल और तिल का तैल मिलाकर रखने इसके लगाने से धीरे धीरे भगंदर ठीक हो जाता है।

- बथुआ के पत्ते तथा तम्बाकू के फल पीस कर लगाने से भगंदर मे आराम मिलता है।

- गुलर का दूध रूई मे लगाकर भगंदर मे अंदर कुछ दिनों तक रोज रखने से भगंदर मे लाभ मिलता है।

- बेर और नीम के पत्तों का चूर्ण बनाकर भगंदर मे भरने से आराम होता है।

- हरे मूंग को मुहं मे चबाकर नासूर मे लगाने से नासूर ठीक हो जाता है।

चोपचीनी , शक्कर, धी 30-30 ग्राम लेकर छोटे छोटे लड्डू बनाकर एक एक सवेरे शाम खायें।

- अपामार्ग के पत्तों का रस निकाल कर लगाने से भगंदर ठीक हो जाता है।

#भगन्दर रोग में क्या खाएं ?[Your Diet During Fistula]

भगन्दर से ग्रस्त लोगों का आहार मे:-

अनाज: पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ

दाल: अरहर, मूँग दाल, मसूर

फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल

अन्य: हल्का भोजन, घी, सैंधव (काला नमक), मटठा आदि खायें

अत्याधिक पानी पिएं।

#भगन्दर रोग में क्या ना खाएं [Food to Avoid in Fistula]

परहेज का भोजन।

अनाज: मैदा, नया चावल

दाल: मटर, काला चना, उड़द

फल एवं सब्जियां : आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी, आड़ू, कच्चा आम, मालपुआ, गरिष्ट भोजन

अन्य: तिल, गुड़, समोसा, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, खट्टा और तीखा द्रव्य, सूखी सब्जियां, मालपुआ, गरिष्ठ भोजन (छोले, राजमा, उडद, चना, मटर, सोयाबीन)

सख्ती से पालन करें:- शराब, फ़ास्ट फ़ूड, आइसक्रीम, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तेल मासलेदार भोजन, अचार, तेल, घी, अत्यधिक नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड नही लेना चाहिए।


 धन्यवाद!