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बुधवार, 10 अगस्त 2022

yoorik esid badhane ka kaaran, lakshan aur isako kantrol karane ke lie ghareloo upaay?In hindi.

 यूरिक एसिड|uric acid



यूरिक एसिड बढ़ने का कारण, लक्षण और इसको कंट्रोल करने के लिए घरेलू उपाय?

#yoorik esid badhane ka kaaran, lakshan aur isako kantrol karane ke lie ghareloo upaay?

*Causes, symptoms and home remedies to control the increase in uric acid?

#यूरिक एसिड

Dr.VirenderMadhan.

अक्सर 30-35 साल की उम्र से ज्यादा लोग uric acid से जूझ रहे हैं। 

यूरिक एसिड से जोड़ों का दर्द आजकल बहुत सुनने को मिलता है। 

 यूरिक एसिड शरीर में प्यूरिक एसिड के टूटने से बनता है। 

जो रक्त से किडनी तक पहुंचता है और यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। 

कई बार कुछ परेशानियों के कारण यूरिक एसिड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, जिससे शरीर में इसकी मात्रा ज्यादा बढ जाती है।

#यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में कितनी होनी चाहिये?

एक स्वस्थ्य महिला में यूरिक एसिड का नॉर्मल लेवल 2.4-6.0 mg/dl और 

पुरुषों में 3.4 – 7.0 mg/dl होता है। 

शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाने पर यह गठिया का कारण बनती है। इसके लक्षणों को पहचान कर सही समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

#यूरिक एसिड के लक्षण क्या क्या होते है?

- जोड़ों में दर्द होना।

- हाथों-पैरों में ऐंठन होना।

- उठने-बैठने में परेशानी होना।

- अंगों में सूजन होना।

- जोड़ो में हल्की-हल्की सूई जैसी चुभन होना।

#यूरिक एसिड बढ़ने का कारण

किडनी की बीमारी से यूरिक एसिड बढ़ सकता है

* मधुमेह[डायबिटीज] के कारण भी यूरिक एसिड बढ़ता है

* हाइपोथायरायडिज्म

* कैंसर या कीमोथेरेपी से भी यूरिक एसिड बढ सकता है।

* सोरायसिस, त्वचा रोग के कारण यूरिक एसिड बढ़ सकता है

*खान-पान में पोषक तत्वों की कमी होने पर यूरिक एसिड बढ सकता है।

*दवाइयों के ज्यादा सेवन से भी यह परेशानी हो जाती है।

*जरूरत से ज्यादा प्रोटीन खाने से रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढने लगती है।

*एक्सरसाइज या शारीरिक श्रम की कमी होने से भी शरीर में यूरिक एसीड बढ जाता है।

#यूरिक एसिड के घरेलू उपाय क्या है?

* अखरोट खायें

अखरोट में बहुत से पोषक तत्व जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन आदि मौजूद होते हैं, रोज सुबह खाली पेट 2-3 अखरोट खाने से यूरिक एसिड कंट्रोल हो जाता है।

* अश्वगंधा 

एक चम्मच शहद में अश्वगंधा चूर्ण मिलाएं। फिर इसे हल्के गर्म दूध के साथ खाएं। 

* यूरिक एसिड बढऩे पर शरीर में गांठ की तरह जमा होने लगता है इसके लिए

- 1 चम्मच बेकिंग सोडा को 1 गिलास पानी के साथ मिलाकर पीने से शरीर में बनी गांठ घुलने लगती है और यूरिक एसिड की कम होने लगता है।

* बथुवे का जूस:-

गठिया के बचाव करने के लिए सुबह खाली पेट बथुए के पत्तों का जूस निकाल कर पीएं। 

* अजवायन:-

खाने में अजवाइन का इस्तेमाल करने से यूरिक एसिड कम होता है। खाने में इस्तेमाल के अलावा, इसका पानी के साथ सेवन कर सकते है।

* चुकंदर और सेव:-

रोज चुकंदर और सेब का जूस पीएं। इससे शरीर का पीएच लेवल बढ़ता है और यूरिक एसिड कंट्रोल में रहता है। इनके अलावा गाजर का जूस भी फायदेमंद है।

* पानी की सही मात्रा:-

अधिक से अधिक पानी का सेवन करें क्योंकि इससे शरीर में बढ़ा हुआ यूरिक एसिड पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाता है।  

* नींबू:-

विटामिन सी यूरिक एसीड में बहुत लाभकारी है। नींबू को भोजन में शामिल जरूर करें। इसके अलावा विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन जरूर करें।

* लहसुन:-

लहसुन बढ़े हुए यूरिक एसिड की समस्या मे लाभदायक होता है। यदि रोजाना 3-4 लहसुन की कलियों का खाली पेट सेवन किया जाए तो यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर से छुटकारा पाया जा सकता है।

* शरीर में मोटापे के कारण चर्बी अधिक जमा होती है। जिससे यूरिक एसिड ज्यादा रहती है। इसलिए अपने वजन को कंट्रोल रखें ।

#यूरिक एसिड के घरेलू उपाय?

- हाई फायबर फूड जैसे ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राईस (ब्राउन चावल) खाने से उसका लेवल कम हो जाएगा। -बेकिंग सोडा के सेवन से भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए एक चम्मच बेकिंग सोडा को एक गिलास पानी में मिलाएं। अब इस मिश्रण के 8 गिलास रोजाना पीएं।

#यूरिक एसिड है तो क्या खायें क्या न खायें?

- बेकरी प्रोडक्टस का सेवन न करें।

- प्रोटीन वाले आहार बन्द करें 

- एल्कोहल से दूर रहें।

- फास्ट फूड व डिब्बा बंद भोजन न खाएं।

- मछली व मीट से दूरी बनाएं।

* गेहूं, ज्वार, बाजरा से बनी रोटियां और चावल के साथ आप आलू या कद्द की सब्जी ले सकते हैं। कम मात्रा में लाल दाल भी खा सकते हैं। 

सलाद - खीरा और गाजर अधिक मात्रा में खाएं। इससे भी आपका यूरिक एसिड कम होगा।

अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें।

धन्यवाद!

गुरुवार, 4 अगस्त 2022

psoriasis||सोरायसिस क्या रोग है?In hindi.

 psoriasis||सोरायसिस क्या रोग है?In hindi.

#What is psoriasis?In hindi.



सोरायसिस यह त्वचा की एक बहुत आम बीमारी है। इसमें त्वचा कोशिकाओं की अत्यधिक बढ़त होती है जिससे मोटी पपड़ी जम जाती है। ये दाग अलग-अलग साइज़ के हो सकते हैं और यह अधिकतर घुटनों, कोहनियों, खोपड़ी, हाथों, पैरों और पीठ पर आते हैं।

#सोरायसिस की क्या पहचान है?

What is the hallmark of psoriasis

- छोटे-छोटे उभार जिनमें मवाद भरी होती है और जिनके चारों ओर त्वचा लाल हो जाती है, लाल रंग के दाग जिनके चारों ओर पपड़ी जमी होती हैं । सोरायसिस पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है। यह सभी उम्र के लोगों को हो सकता है। महिलाओं को  सोरायसिस कम उम्र में हो जाती है।यह रोग करीबी रिस्तेदारो मे देखा जाता है।

 जबकि यह बीमारी संक्रामक नहीं होती , इस बीमारी से ग्रस्त लोग अधितकर अलग-थलग पड़ जाते हैं और समाज से कट जाते हैं।

#सोरायसिस के लक्षण क्या है?



What are the symptoms of psoriasis?

- त्वचा में सुखापान (Dryness) आ जाते है। जिसकी वजह से त्वचा में दरारें (Fissures) पड़ने लगती है।

त्वचा छिलने (Peeling) लगती है।

- त्वचा में लाल के चकत्ते (Rashes) बन जाते है ।

- शरीर में सफेद कलर की मोटी परत जमने लगती है।



- सोरायसिस जहां पर होता है वहां पर खुजली के साथ-साथ दर्द भी होता है।

- इन चकत्तों में लालपन (Redness) होने लगता है।

- यह लाल रंग के चकत्ते ज्यादातर घुटने और कोहनी के बाहरी भागों में होते है।

- सोरायसिस त्वचा के साथ-साथ नाखूनों को भी प्रभावित करता है।



- त्वचा की चमड़ी की मोटाई (Thickness) कम होने लगती है।

#सोरायसिस क्यों होता है?

Why does psoriasis happen?

सोरायसिस के कारण

 - ठंडा और सूखा पर्यावरण, त्वचा के जख्म, तनाव और चिंता, 

- कुछ संक्रमण जैसे (टोंसिलाइटिस या फंगल इन्फेक्शन ), और कुछ एंटी-इन्फेलेमेटरी दवाएं,   

- धूम्रपान, और शराब। 

 इस रोग के सही कारण अभी अज्ञात है

#5 home remedies for psoriasis.

सोरायसिस के 5 घरेलू उपाय:-

1- अर्कादि लेप

2- तक्रघारा

3-नीम तैल

4-अलसी बीज या सन बीज

5-आयुर्वेदिक एंटीइंफ्लेमेटरी द्रव्य

1-अर्कादि लेप:-

आक की सुखी लकड़ी-50ग्राम

चन्दन--10 ग्राम

नीम की छाल - 50 ग्राम

बबुल की छाल -50ग्राम

नारियल का। तैल 100 ग्राम

आक का दूध 20-25 बूंद

इन सब को अच्छी तरह मिला कर भूसे मे 15 दिनों के लिए दबा दे बाद मे निकाल कर रोग ग्रस्त जगह पर लगायें. 

लेप लगाने के बाद 2 घण्टे बाद स्नान कर लें।

2-तक्रघारा:-

आयुर्वेद में इस विधि मे त्वकरोग नाशक औषधियों से सिद्ध छाछ का प्रयोग कुछ दिनों तक करते है।रोग को आराम मिलता है।

3-नीम का तैल;-

नीम के तैल का प्रयोग प्रभावित जगह पर करने से अनेकों त्वकरोग मे आराम मिलता है।तथा सोरायसिस भी ठीक हो जाता है लेकिन इसका प्रयोग लम्बे समय तक करना पड़ता है।

4- अलसी के बीज या सन के बीज:-

इन बीजों को भुनकर खाने से कुछ समय में सोरायसिस मे लाभ मिलता है तथा पूरी त्वचा साफ हो जाती है।

5-आयुर्वेदिक शोथहर द्रव्यों का प्रयोग:-

जीरा, अदरक,जैतून का तैल,जैतून के बीज,जामुन, चेरी,सैमन,नटस आदि का खुब प्रयोग करें

 सोरायसिस के इलाज के लिए कुछ अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।जैसे

मुसब्बर (एलोवेरा),

 ब्लैक नाइटशेड,

 बोसवेलिया, या लोबान

 लहसुन,

 गुग्गुल,

 चमेली के फूल का पेस्ट,

 नीम,

 नोट:-

[आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को अपने आहार में शामिल करने से पहले लोगों को अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।]

- नारियल या जैतून के तेल जैसे प्राकृतिक सुखदायक तेल लगाने से त्वचा को कोमल बनाने और सोरायसिस की खुजली और परेशानी से राहत पाने में मदद मिल सकती है।

#सोरायसिस मे क्या न खायें?

एलोपैथी की एंटीइंफ्लेमेटरी दवा न ले रोग बढने के खतरे होते है।

विरूद्ध आहार न लें जैसे मिल्कसेक और दही,मूली और दूध,मछली और दूध,नमकीन और दूध,आदि

तली हुई, बासी भोजन, तेज मसाले,खटाई से परहेज करें.

धन्यवाद!

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

हिलते दांतों के 6 घरेलू उपाय.in hindi. घर पर ही आप अपने हिलते दांतों को इन 6


</> क्या हम आयुर्वेद और घरेलू उपाय का उपयोग करके हिलते हुए दांतों को ठीक सकते हैं?  हिंदी में

can we remove moving teeth using ayurveda and gharguti upay? in hindi

हिलते दांत|moving teeth

Dr.VirenderMadhan.

#हिलते दांतों के 6 घरेलू उपाय.in hindi.

घर पर ही आप अपने हिलते दांतों को इन 6 घरेलू नुस्खों से ठीक कर सकते हो.

1- नमक और सरसों का तेल:-

नमक और सरसों के तेल दांतों को साफ करने का हमारे बुजुर्गों का देसी उपाय है.

नमक और सरसों दांतों की सफाई करके दांतों को मजबूत बनाता है और साथ ही दांतों का पीलापन भी दूर करता है. आधा चम्मच नमक में कुछ बूंद सरसों के तेल की मिलाएं और इससे हफ्ते में 2-3 बार दांतो को साफ करें.

#हिलने वाले दांतों का इलाज-

2-काली मिर्च और हल्‍दी:-

इन दोनों से दांतों की जड़े मजबूत हो जाती है. इसके लिए आपको काली मिर्च और हल्‍दी का गाढ़ा पानी या तैल मे पेस्‍ट बनालें. पेस्ट को हिलते दांत वाली जगह पर 30 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें. इससे आपके दांतों का दर्द भी दूर हो जाएगा और दांत हिलना भी बंद हो जाएग. इसको आप कुछ दिनों तक करते रहे।

#दांतों के हिलने की दवा है 

 3-आंवला पाउडर

आंवला दांतों को मजबूत बनाता हैं। एक चम्‍मच आंवले का पाउडर लें और उसे एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्‍ला करें। दिन में एक बार जरूर करें. इससें दांत हिलना बन्द हो जायेगे.

#हिलते दांत और पुदीने का तैल.

4- पुदीना का तेल :

यह दांतों के हिलने की परेशानी को भी दूर करता है। तेल को उंगली में लेकर हिलते दांत पर अच्‍छे से लगाकर मसाज करें। इसके अलावा राहत पाने के लिए तेल को पानी में मिलाकर इसे कुल्‍ला कर सकते है.

#हिलते दांत और अमरूद की पत्तियां :

5-अमरूद की पत्तियों से भी ईलाज किया जा सकता है। ये पत्तियां चबाने से दांत मजबूत होते हैं। 

-अमरुद की साफ पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें और पेस्ट से रोज दांतों पर मलें। इससे दांतों की सेंसिटिविटी भी दूर होती है और मुंह के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।

#घरेलू उपाय है लहसुन

6- लहसुन का पेस्ट

कई बार संक्रमण की वजह से आपका दांत हिलने लगा है तो उस जगह पर लहसुन का पेस्ट लगाने से धीरे-धीरे हानिकारक बैक्टीरिया नष्‍ट हो जाएंगे. लहसुन की पतली कलियां काट लें और उसे प्रभावित मसूड़े एवं गाल के अंदर लगाएं. इसे कुछ समय के लिए लगा रहने दें. आपको ऐसा दिन में 2 बार करना है.

धन्यवाद।

रविवार, 31 जुलाई 2022

सौफ खाने से पहले जाने|क्या होगा सौफ खाने के बाद?In hindi.


 सौफ खाने से पहले जाने|क्या होगा सौफ खाने के बाद?In hindi.

सौंफ क्या है?

Dr.VirenderMadhan.

#सौफ को किस किस नाम से जानते है लोग?

-शतपुष्पा,मधुरा,कारवी,मिसि,शतछत्रा,शालीन आदि सौफ के नाम है।

#सौफ के आयुर्वेदिक गुण क्या है ?

इसके गुण सोया के समान है।सौफ हल्की, तीक्ष्ण, पित्तकारक, दीपन,चरपरी, गर्म

ज्वर,व्रण,शूल,तथा नेत्रों के हितकारी है।

यह मधुर,स्निग्ध होने से वात तथा शीत होने से पित शामक है।

यह मेध्य, तथा दृष्टि बृर्द्धक है।यह तृष्णाहर है।वमन को ठीक करनेवाली है।यह दीपन,और पाचन है यानि भुख बढाती है तथा भोजन को पचाती है।

#सौफ दिल के मरीजों के लिये कैसी है?

यह हृद्य तथा रक्तप्रसादन है।अर्थात हृदय के लिये लाभकारी तथा रक्त को साफ करने वाला है।

-कफनिसारक है कफ को बाहर निकलने वाला है।

यह मूत्रल है यानि पेसाब को साफ करने वाला है मूत्रकृच्छ को ठीक करने मे सहायक है।

यह स्त्रियों में दूध बढाने वाला है।

यह पसीना लाने वाला होता है।इसलिए ज्वर मे तथा दाह मे लाभदायक है।

यह मस्तिष्क दौर्बल्यता को नष्ट करता है।

#खाना खाने के बाद सौफ खाने से क्या होता है?

खाना खाने के बाद सौफ खाने से-

सौफ दृष्टि को बढाता है।

सौफ खाने से आग्निमांध,उदरशूल,आध्यमान(अफारा)को दूर करनेवाला होता है।

प्रवाहिका मे सौफ खाने से आमदोष बाहर निकल जाता है।अनुलोमन होने के कारण पेट की मरोड़ ठीक करता है।

यह अर्श (बवासीर) मे भी काम करती है।

यह शुक्र बृद्धि करती है।

यह रक्तविकारों मे,कास,श्वास मे भी लिया जाता है।

सौफ को चर्मरोगों मे,कमजोरी मे,क्षयरोग मे उपयोगी पाया है।

#सौफ के प्रयोज्य अंग:-

सौंफ के फल,तैल,मूल प्रयोग में आते है।

#सौफ की मात्रा:-

फल चूर्ण-3-6 ग्राम, तैल 5-10 बूंदें, ली जाती है।

#विशिष्ट योग:-

शतपुष्पादि चूर्ण, शतपुष्पार्क।

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

बरसात के मौसम में न करें ये 9 गलतियों..In hindi

 बरसात के मौसम में न करें ये 9 गलतियों..In hindi.



वर्षा ऋतु

Dr.VirenderMadhan.

#बरसात के मौसम में क्या खाना तथा क्या नहीं खाना चाहिए?

आगे पढे 9 गलतियां जो हमें वर्षा ऋतु में नही करनी चाहिए अन्यथा होंगी बडी बडी बीमारियां.

#क्या होता है वर्षा ऋतु मे?

भारी गर्मी और लू के बाद बरसात का मौसम आता है। माहौल में चारों ओर नमी रहती है, मगर जब बारिश नहीं हो होती तो धूप बेहद तेज हो जाती है और उमस बढ़ जाती है। इस मौसम में हवा और पानी दोनों प्रदूषित हो जाते हैं। आप गौर करें, पानी के स्‍वाद और उसकी महक में भी बदलाव आ जाता है। बारिश के चलते धरती से गैस निकलती है और पानी में एसिड बढ़ जाता है।

#आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु के गुण क्या हैं?

हर एक ऋतु में तीन दोषों (वात,पित्त,कफ)मे से एक दोष संचित होता है और एक दोष कुपित होता है जिसके कारण रोग उत्पन्न होते है।

वर्षा ऋतु में जो वात गर्मीयों मे संचित होता है वह कुपित होकर वात रोग उत्पन्न करने लगता है.

वर्षा ऋतु मे पित्त संचित होता है जो अगली ऋतु मे कुपित होकर रोग उत्पन्न करेगा.

वर्षा ऋतु मे हाजमे की ताकत काफी कमजोर हो जाती है।यानि पाचक अग्नि मंद हो जाती है।

#वर्षा ऋतु मे कौन कौन से रोग होते है?

वर्षा ऋतु मे वात का प्रकोप स्वभाविक रूप से होता है क्योंकि वतावरण मे नमी रहती है। इस से वात प्रकोप के कारण वर्षा ऋतू मे, पेट मे गैस, अपच, जोड़ो मे एवं सिर मे दर्द की शिकायत बहुत होती है।

- पेचिश और डायरिया 

 पेचिश और डायरिया जैसे रोग पैदा होते हैं। पेट में गैस ज्‍यादा बनती है और पेट फूलने लगता है। 

#वायरल फीवर – Viral Fever

वायरल फीवर बारिश के मौसम की सबसे आम समस्या है। बरसात के मौसम ( varsha ritu ) में सर्दी – जुकाम , खांसी , हल्का बुखार और हाथ पैरो में दर्द या सिर में दर्द आदि ये सब वायरल इंफेक्शन से होते है.

-पानी वाली , ठंडी हवा से , तापमान परिवर्तन नींद पूरी न होने आदि के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। इससे हवा में फैले वायरस या दूषित और अशुध्द खाने पीने के सामान आदि के कारण वायरल फीवर हो जाता है।वायरल बुखार के लक्षण महसूस होने लग जाते है।

#दस्त , हैजा  – Diarrhea , Cholera

दस्त लगने की समस्या अक्सर बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु ) में हो जाती है। ये दूषित खाने पीने के सामान या गंदा पानी पीने से होता है। इस मौसम में ई-कोलाई , साल्मोनेला , रोटा वायरस , नोरा वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है। जिसके कारण पेट व आँतों में सूजन और जलन होकर उल्टी दस्त आदि की शिकायत हो जाती है।

#मलेरिया – Malaria

तेज कंपकंपी छूटने के साथ तेज सिरदर्द और तेज बुखार ये सब मलेरिया के लक्षण है। कंपकंपी बहुत तेज होती है।

#पीलिया – Jaundice

यदि हल्का हल्का बुखार आता हो। भूख नहीं लगती हो। खाना देखने या मुँह में रखने से उबकाई आती हो। पेशाब गहरे पीले रंग का आता हो। थकान रहती हो। नींद बहुत आती हो। आंखें और नाखून पीले दिखते हो तो ये पीलिया रोग होता है। बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु ) में इस रोग के होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

#स्किन की समस्या – Skin Problems

बारिश ( Barish ) के मौसम में नमी बने रहने के कारण बैक्टीरिया आसानी से पनपते है। इसलिए त्वचा पर कई तरह के इंफेक्शन होने की सम्भावना होती है।

- वर्षा ऋतु में त्वचा पर फोड़े , फुंसी , दाद , खाज , घमोरियां  , रैशेज , फंगल इंफेक्शन आदि सकते है। पसीना ज्यादा आने के कारण भी स्किन पर घमोरियां आदि जाती है।

#वर्षा ऋतु मे वात रोग?

वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार, प्रवाहिका, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की संभावना रहती है

- वर्षा ऋतु मे वात के साथ पित्त, कफ भी सहयोग कर अनेक रोगो को उत्पन्न करने लगते है. जैसे

दमा, कास,ज्वर,अतिसार, प्रवाहिका,

पैरालिसिस, जोडो के रोग,हड्डियों के रोग आदि उत्पन्न होते है.

#वर्षा ऋतु में न करें ये 9 गलती.

1-वात,पित्तबर्द्धक आहार न करे जैसे कढी,मठर,राजमा,उडद, गोभी न खायें।

2-अधिक देर तक स्नान न करे. पानी में अधिक देर तक न रहे. न ही अधिक देर तक बारिश में न रहें.

3- खुले आसमान मे रात मे न सोयें. ओस का सेवन न करें.

4-कुछ रोगी, बालक,70 साल से बडे वृद्ध व्यक्ति को छोड़ कर दिन मे न सोये.

5-नंगे पैर न रहे शरीर पर हल्का कपडा जरूर पहनने.

6-रात मे कभी छाछ,दही का प्रयोग न करें।

7-फ्राईड चीज ,पैकिंग किये हुए भोजन न करें. बाजार की मिठाई,कटे हुऐ फल,सब्जियों न खायें.

8-एसी,कुलर मे पानी भरकर न चलाये.

9-मच्छरों से बचने के लियें केवल मच्छरदानी का ही प्रयोग उत्तम है.


#वर्षा ऋतु में क्या न खाये?

वर्षा ऋतु में स्वस्थ रहने के लिए  

- चने की दाल, मोठ, उड़द, मटर, मसूर, मक्‍का, 

- आलू, कटहल,मटर,गोभी, जैसी भारी और गैस बनाने वाली चीजें नहीं खानी चाहिएं। - रुखा और बासी खाना भी न खाएं। पत्‍तेदार सब्‍जियों के साथ दही का इस्‍तेमाल न करें। - रात के वक्‍त दही या छाछ न पिएं। 

- जैम, मुरब्‍बा, अचार, कलौंजी से बचें। 

- दिन के समय सोना नहीं चाहिए और 

-ज्‍यादा मेहनत नहीं करनी चाहिए। 

#बारिश के मौसम में क्‍या खाएं?

-ऐसा खाना खाएं जो आराम से पच जाता हो जो सुपच हो।  -सब्‍जियों में तोरी, लौकी, टमाटर, भिंडी, प्‍याज, पुदीना ले सकते हैं। 

- फलों में अनार, सेब, केला, आडू आदि खाएं। 

- खाने में गेहूं, चावल, जौ, मूंग की दाल, खिचड़ी, दही, लस्‍सी ले सकते हैं। खाने में काली मिर्च, धनिया, अदरक, हींग आदि डालें। अगर चौलाई मिले तो जरूर खाएं। 

- बरसात में नॉन वेज नहीं खाना चाहिए।

अपने आहार मे शामिल करें:-

1. साफ-सुथरा पानी खूब पिए।

​2. दलिया

3.मिक्स आटे की रोटियां

​4.ताजे फल

​5.खट्टे फलों का सेवन

​6.नींबू की चाय

7.​ताजी सब्जियां

8.​बिल,मौसमी,पुदीना आदि का जूस

9.​गरम सूप

10.​घर पर बना हुआ चटपटा आहार

धन्यवाद!





रविवार, 24 जुलाई 2022

अदरक के जो आप नही जानते आयुर्वेदिक अनेकों चमत्कारिक गुण,लाभ हिन्दी में.

 अदरक के जो आप नही जानते आयुर्वेदिक अनेकों चमत्कारिक गुण,लाभ हिन्दी में.

Dr.VirenderMadhan.

#अदरक क्या है?



अदरक (वानस्पतिक नाम: जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale), एक भूमिगत रूपान्तरित तना है। यह मिट्टी के अन्दर क्षैतिज बढ़ता है। इसमें काफी मात्रा में भोज्य पदार्थ संचित रहता है जिसके कारण यह फूला होता है।

अदरक में हमें स्वस्थ रखने की  शक्ति होती है। भारतवासियों को 5,000 साल पहले से अदरक में पाए जाने वाले गुणों के विषय में जानकारी है।

#अदरक के औषधीय गुण क्या है

आयुर्वेद के अनुसार, 

- अदरक दर्द निवारक है। इससे सूजन दूर होती है। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण हैं जो गैस, अपच, सर्दी और सिर दर्द जैसी बीमारियों को से दूर करता है। 

- अदरक में विटामिन ए, विटामिन डी और विटामिन ई है।

#कच्चा अदरक खाने के क्या फायदे है।

- पेट के लिए फायदेमंद- 

कच्चा अदरक पेट के ले काफी फायदेमंद माना जाता है.

- माइग्रेन दर्द में फायदेमंद- 

कच्चा अदरक माइग्रेन के दर्द में काफी फायदेमंद माना जाता है. 

- कोलेस्ट्रॉल लेवल होता है कम- 

कच्चा अदरक हार्ट के लिए काफी लाभकारी माना जाता है.

#अदरक की चाय के फायदे ?

- ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में सहायक है।

- दर्द में राहत दिलाने में प्रभावी है.

- माहवारी के दौरान होने वाली परेशानी में आरामदायक है.

-जी मचलना,मितली और दस्त पर काबू पाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

- रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी इसका उपयोग करते है।

- सांस संबंधी बीमारियों में बहुत ज्यादा प्रभावी औषधि है।

#अदरक की चाय पीने से क्या फायदे होते हैं?

#अदरक वाली कड़क चाय पीने से क्या होता है?

- ब्लड प्रेशर को नोर्मल रखता है।

- अदरक का माइग्रेन रोग में उपयोग करते है

- अदरक सुजन को कम करता है। 

- यह रक्त को पतला रखता है इसलिए हृदय के लिए लाभदायक है।



- स्त्रियों मे पीरियड्स के दौरान दर्द को ठीक करता है।

#अदरक के रस के गुण:-



- अदरक के रस में सूजन को कम करता है 

 - जोड़ों के दर्द और सूजन से परेशान हैं। उन्हें बहुत आराम मिलता है।

- अदरक के रस में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में ताजे रक्त के प्रवाह को बढ़ाते हैं, क्योंकि इनमें खून को साफ करने का खास गुण होता है।

- अदरक में कैंसर जैसी भयानक बीमारी से शरीर को बचाए रखने का गुण होता है। 

- अदरक में खून को पतला करने का गुण होता है और इसी वजह से यह ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी में लाभ मिलता है।

- अदरक दर्द नाशक है दांत में दर्द हो या सिर में अदरक का रस बहुत असरकारक है। 

- यह माइग्रेन से बचने में भी आपकी सहायता करता है।

- अगर आपको पाचन संबंधी कोई भी समस्या है कुपच है तो अदरक का रस लेने से कुपच ठीक हो जाता है और पेट दर्द से भी निजात दिलाता है। 

 - अदरक के रस में गठिया रोग को भी ठीक करने की क्षमता होती है। 

-थायराईड के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी हैं।

 - अदरक के स्वरस के नियमित इस्तेमाल से आप कोलेस्ट्रॉल को हमेशा कंट्रोल मे रख सकते हैं। 

- अदरक रस रक्त के थक्कों को जमने नहीं देता और खून के प्रवाह को बढ़ाता है और इस प्रकार हृदयाघात की आशंका कम होती है।

 - अदरक रस, सर्दी से बचाने में सबसे सही उपाय है।

#अदरक की चाय के फायदे और नुकसान?

ठंड के मौसम में अदरक की चाय पीने से ठंड से राहत मिल  जाती है. 

* अदरक वाली चाय ज्यादा मात्रा में पीने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है.

अदरक की चाय के ज्यादा सेवन से पेट की परेशानी बढ़ सकती है और गैस की समस्या भी हो सकती है.  

#अदरक का काढ़ा कैसे बनाया जाता है?

लौंग, तुलसी, अदरक और काली मिर्च का काढ़ा बनाने के लिए दो कप पानी, 7-8 तुलसी के पत्ते, 5 काली मिर्च, 5 लौंग और एक बड़ा चम्मच कद्दूकस किया अदरक लें. इसे मध्यम आंच पर रखकर 10 मिनट तक उबालें फिर छानकर हल्का गुनगुना ही पीएं. रोज सुबह-शाम पीने से सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है.

#गुड़ और अदरक के फायदे

अदरक साथ में खाने के 17-18 फायदे होते है.

- शरीर में सूजन कम करे.

- रक्तपित्त दोष में लाभकारी.

- गठिया दर्द म उपयोगी. 

- आलस्य को करे दूर.

- स्किन की समस्या मे उपयोगी.

- मोटापा मे लाभकारी.

- सर्दी-जुकाम और सूखी खांसी श्वास नाशक.


#अदरक का रस पीने से क्या फायदा होता है?

- अदरक के रस में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में ताजे रक्त के प्रवाह को बढ़ाते हैं, क्योंकि इनमें खून को साफ करने का खास गुण होता है।

- अदरक में कैंसर जैसी  बीमारी से शरीर को बचाए रखने का गुण होता है। यह कैंसर पैदा करने वाले जीवाणु को खत्म करता है।

#अदरक का तेल

पाचन तंत्र :-

 अदरक तेल पेट से विषाक्त तत्वों को और आंत से हानिकारक बैक्टीरिया को निकालने में मदद करता है, पाचन तंत्र को सुधारता है। साथ ही पेट और आंतों की बीमारियों को दूर करता है। 

यह अपच, कब्ज और दस्त या अतिसार में भी राहत देता है। त्वचा :- 

अदरक तेल में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिनका त्वचा पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

 जो त्वचा मे कसाव चाहते है उन्हें अदरक के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए.

-अदरक का तेल कॉलेस्ट्रोल लेवल को कम करता है.

- दिल की बीमारी से लड़ने में मदद करता है. 

- ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करता है.

#अदरक का तेल घर पर कैसे बनाएं?

अदरक का तेल बनाने के लिए पहले अदरक को घीस लें, इसमें 1 चम्मच ऑलिव ऑयल या तिलतैल मिलाएं। दोनों को मिक्स करके गैस पर कम से कम 15 मिनट तक उबालें। -इसके बाद उस तैल को ठंडा करके कांच की शीशी में भर दें। -अदरक का तैल तैयार है।


#अधिक अदरक खाने के नुकसान क्या क्या है?

- गैस और सीने में जलन होना.

- गर्भावस्था में परेशान : गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन करना जहां गर्भवती महिलाओँ को जी मिचलाने और उल्टी से निजात दिलाता है, मगर अदरक का अधिक सेवन करना गर्भपात के खतरे को बढ़ जाता है.

- ब्लीडिंग का कारण बन सकता है.

#1 दिन में कितनी अदरक खानी चाहिए?

मात्रा – सामान्य रूप से दिन में 100 एमजी से लेकर दो ग्राम तक अदरक का सेवन किया जा सकता है 

धन्यवाद!


गुरुवार, 21 जुलाई 2022

सोने की कीमत वाले|फल और सब्जियों के छिलके.in hindi.

 सोने की कीमत वाले|फल और सब्जियों के छिलके.in hindi.



Dr.VirenderMadhan.

फल और सब्जियों के छिलके बहुत किमती होते है.जिन्हें आप बेकार समझ कर कूडेदान मे फैके देते हो.यह सब हम अज्ञानता के कारण करते है.अगर हम थोड़ा उन चीजों के बारे मे जानकारी कर लें जिन चीजों को हम अपने घर से फेंकते रहते है.जैसे फल और सब्जियों के छिलके हम रोज डस्टबिन मे डालते रहते है.

इनके बारे मे जानकर हमे पैसों की बचत के साथ साथ पौष्टिकता भी मिलती है.

अधिकतर लोग फलों (Fruit) और सब्जियों (Vegetables) के छिलके (Peel) फेंक देते हैं लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि ये छिलके दरअसल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद (Benefits) होते है।इनके प्रयोग करने से धन की बचत भी होती है।

#फल और सब्जियों के छिलकों मे क्या क्या होता है?

फलों के छिलके विटामिन, खनिज, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट जैसे लाभकारी पोषक तत्वों से भरे होते हैं जो कुछ बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों को उनके छिलकों के साथ खाना एक अच्छा उपाय होगा।”

#छिलक को हटाए बिना खाने कौन कौन से 5 फल खाये जाते है?

छिलक को हटाए बिना खाये जाने वाले 5 फल.

1 आलूबुखारा.

2 नाशपाती.

3 कीवी.

4 सेब.

5 चीकू.

#वे कौन कौन से 6 फल हैं जिनको छिलकर खाया जाता है ?

छिलकर खाये जाने वाले 6 फल:-

1-संतरा

2-केला

3-आम

4-लीची

5-अनार

6-सीताफल

#फल और सब्जियों के छिलकों से रोगों का ईलाज कैसे होता है?

</>केला के छिलके|Banana peel

#केले का छिलका मुंह पर रगड़ने से क्या होता है?

- कैसे काम करता है केले का छिलका.

मुंहासों के दाग चेहरे से कम करता है. 

* यह आगे होने वाले मुंहासे को भी आने से रोकता है. 

- यह एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी की भरपूर होती है, जो त्वचा की इलास्टिसी को बढ़ाने में मदद करता है त्वचा को नर्म बनाता है  

- झुर्रियों को कम करता है.

#केले के छिलके चेहरे पर लगाने से क्या होता है?

-मुंहासों की समस्या के लिए केले के छिलकों का फेस पैक फायदेमंद होता है। 

- यह एंटी-एक्ने काम करता है,  - केले में जिंक एलिमेंट भी होता है, जिसे मुंहासे के इलाज के लिए जाना जाता है 


#केले के छिलके खाने से क्या होता है?



- पाचन के लिए अच्छा होता है

- केले का छिलका फाइबर से भरपूर होता है और अगर इसका रोज सेवन किया जाए तो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है. 

- ये कब्ज और दस्त की समस्याओं को दूर करता है. अगर आपको इरिटेबल बोल सिड्रोम की समस्या है तो केले के छिलके का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए.

#केले के छिलके को चेहरे पर कैसे लगाए?

कैसे करें इस्तेमाल –

केले के छिलके को छोटे टुकड़े काट लें. पहले चेहरे को साफ कर लें ताकि आपकी त्वचा पर कोई धूल या पसीना न हो. अब केले के छिलके का पीस लें और चेहरे पर मसाज करें. 

#तुरंत चमक के लिए केले के फेस पैक कैसे बनाये?

* एक पका केला लें और उसमें 2 से 3 चम्मच चावल का आटा और 1 चम्मच शहद मिला दें. अब इस पेस्ट को चेहरे और गले पर लगाएं और 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें. बाद में चेहरे को ठंडे पानी से धो दें. कुछ ही आपको चेहरे पर फर्क नजर आ जाता है।


#केले के छिलके की चाय कैसे बनायें?

banana peel tea

बनाने की विधि:-

- केले के छिलकों के टुकड़ों में काट कर उबलते पानी में डालते है. जब यह अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में इसे छान लें। फिर इसमें दालचीनी और शहद मिलाएं और पी लें।

- यह ​दिल की बीमारियों से बचाता है

#आम का छिलका

आम के छिलका में पाए जाने वाले फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है। यह आपके दिल की सेहत के लिए अच्छा है और हार्ट अटैक, कार्डिट अरेस्ट जैसी हृदय संबंधी समस्याओं से बचाता है। आम के छिलके में उच्च फाइबर सामग्री भी दिल की समस्याओं को दूर करती है।

आलू के छिलके

#आलू के छिलके में कौन सा विटामिन पाया जाता है?

आलू के छिलके में भरपूर मात्रा में विटामिन बी3 पाया जाता है. विटामिन बी3 ताकत देने का काम करता है. 

- आलू के छिलके में ढेर सारा आयरन भी पाया जाता है, जो लाल रक्त कोशिका के कार्य में मदद करता है। इसमें आपको ढेर सारा विटामिन-बी 3 भी मिलेगा, 

- यह आपकी कोशिकाओं को शारीरिक तनाव से उबरने में भी सहायता करता है।

#घिया के छिलके



इन छिलकों को सुखाकर पाउडर बना लें और इसे रोजाना ठंडे पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करें। 

- दस्त की समस्या में छूटकारा दिलाने में भी लौकी के छिलके बड़े लाभकारी होता हैं। 

-कब्‍ज और गैस- 

लौकी के छिलके में भरपूर मात्रा में फाइबर और आवश्‍य‍क तत्‍व पाए जाते हैं।

- लौकी ऐसी सब्जी है, जिसे कई बीमारियों में खाने की सलाह दी जाती है। लौकी के छिलके भी कम फायदेमंद नहीं हैं। 

- लौकी के छिलकों में विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5 और बी6, कैल्शियम, आयरन, जिंक, पोटेशियम, मैग्रीशियम और मैग्नीज जैसे तत्व पाए जाते हैं। 

- गैस

गैस की समस्या से परेशान हैं तो लौकी के छिलके खायें.  -लौकी के छिलकों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो गैस, कब्ज की समस्या को ठीक करने में मदद करता है।

-पाइल्स

 पाइल्स के लिए लौकी के छिलके फायदेमंद हो सकते हैं।  लौकी के छिलकों को सुखाकर पाउडर बनाये और इसे रोजाना ठंडे पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करना है। यह पाइल्स की समस्या मे लाभकारी है। 

- जलन

गर्मियों के मौसम में हाथ पैर के तलवे  जलते हैं, ऐसे में लौकी के छिलके कारगर होता हैं। लौकी के जूस का सेवन करने से भी जलन में आराम मिलती है।

- बालों

लौकी में फोलेट, विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन और जिंक जैसे आवश्कोल तत्वट शामिल होते हैं, जो बालों की हेल्थ के लिए अच्छे माने जाते हैं। लौकी के छिलकों का इस्तेमाल कर बालों को हेल्दी रखा जा सकता है।

- वेट लॉस  के लिये लौकी के छिलके.

मोटापे से परेशान हैं, तो लौकी के छिलके का इस्तेमाल कर सकते हैं। लौकी में कैलोरी की मात्रा बहुत कम पाई जाती है। लौकी के छिलकों का जूस पीने से वजन को आसानी से कम किया जा सकता है।

नारियल की जटा

#नारियल की जटा के क्या क्या फायदे है?

(Coconut peel benefits)

- नारियल की जटा में फाइबर की अधिकता होती है, यह आपको पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में असरकारी माना जाता है। बवासीर से पीड़ित मरीजों के लिए नारियल की जटा काफी फायदेमंद हो सकती है। इसके इस्तेमाल से आप पुरानी से पुरानी बवासीर की समस्या को दूर कर सकते हैं।

नारियल की जटा को जलाकर भस्म बन लें .

यह भस्म पेट की समस्या, जलन,गैस,बवासीर, खांसी,सांस फुलना आदि रोगो मे लाभदायक है

संतरे के छिलके

#संतरे के छिलके लगाने से क्या होता है?

- त्वचा के लिए है फायदेमंद रहता है

-त्वचा को जवां बनाए रखता है - इससे त्वचा पर मौजूद ब्लैक हेड्स, दाग-धब्बे, मुंहासों, झाइयों की समस्या दूर हो सकती है. 

- त्वचा पर निखार आता है. प्रीमैच्योर एजिंग से बचे रहते हैं.

 #संतरे के छिलकों को चेहरे पर कैसे लगाएं?

एक बड़े चम्मच संतरे के छिलके के पाउडर में दही मिलाकर फेस पैक बनाएं. इसे चेहरे और गर्दन पर लगाएं. इसे 15 से 20 मिनट के लिए लगा रहने दें.बाद मे साफ करें.

#संतरे के छिलके का लेप कैसे बनाएं?

- एक बर्तन में संतरे के छिलके का पाउडर और हल्दी को मिला लें और इसमें गुलाब जल डालकर पेस्ट तैयार कर लें।

 इसे चेहरे और गर्दन पर लगाकर 10 से 15 मिनट के लिए सूखने दें।

 बाद मे चेहरे को धो लें।


अनार के छिलके

#अनार के छिलके के फायदे

अनार के छिलके

- हृदय के लिए फायदेमंद  होता है। 

- अनार के छिलके में मेथनॉल अर्क में एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं यह बेड कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है. 

- मुंह की बदबू को दूर करता है.

- पीरियड्स के दर्द से राहत दिलाता है.

- झुर्रियों को कम करता है.

धुप के दुष्प्रभाव को दूर करता है.

#अनार के छिलके चेहरे पर कैसे लगाएं?

- अनार के छिलकों को सूखा ले फिर चूर्ण बना लें. अब दो चम्मच पाउडर में दो चम्मच गुलाब जल मिला कर अच्छे से मिक्स कर लें. इसके बाद इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगा लें. 20 से 25 मिनट के बाद साफ पानी से अपना चेहरा धो लें.

खीरे का छिलका

खीरे का छिलका विटामिन A  पाया जाता है, 

- यह आई साइट को स्ट्रांग करने में मदद करता है और आंखों को स्वस्थ रखता है. खीरा के छिलके में विटामिन K  होता है, जो ब्लड क्लॉटिंग को रोकने में मदद करता है. साथ ही यह ब्लड वेसेल्स को हेल्दी बनाता है, 

धन्यवाद!