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शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.

 कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।हिंदी में.


By:-DrVirenderMadhan.

[कब्ज|Constipation]

कब्ज का-मलग्रह, मलावरोध, मलस्तंभ, मलबंधन, मलनिग्रह, मलसंग, बद्धकोष्ठ ,आदि नामों से आयुर्वेद में वर्णन मिलता है।

#क्या है?मलावरोध|Constipation?

जब व्यक्ति को आसानी से मलत्याग न हो, व्यक्ति एक सप्ताह में तीन से कम मल त्याग करता है या उसे मल त्याग करने में कठिनाई होती है।

 #कब्ज के लक्षण क्या हैं?

एक सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग।

- मल त्याग करना मुश्किल या दर्दनाक।

- सूखा, सख्त और या ढेलेदार मल।

- सूजन और मतली।

- पेट दर्द या ऐंठन।

एक मोशन के बाद ऐसा महसूस होना की मल त्याग ठीक से नहीं हुआ।

कब्ज के कारण

#प्रमुख कारण

सामान्य कारणों में

कब्ज के ऐसे कारण हो सकते हैं जो शरीर की बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:- निर्जलीकरण, आहार फाइबर की कमी, शारीरिक निष्क्रियता या दवा के दुष्प्रभाव शामिल हैं।

- कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना .

- भोजन में फाईबर (Fibers) का अभाव।

- अल्पभोजन ग्रहण करना।

- शरीर में पानी का कम होना

- कम चलना या काम करना।

-किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना.

- आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना।

- कुछ खास दवाओं का सेवन करना

- बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण 

* कुछ शरीर के रोग भी कब्ज का कारण बनते है.बीमारियां, जैसे स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग और डायबिटीज।

आंतों की रुकावट, आईबीएस, या डायवर्टीकुलोसिस सहित बृहदान्त्र या मलाशय की समस्याएं

- जुलाब का ज्यादा प्रयोग या दुरुपयोग

- हार्मोनल समस्याएं, जैसे थायरॉयड ग्रंथि का कम काम करना.

#कब्ज के 6 उत्तम आयुर्वेदिक योग व सुलभ चिकित्सा।

1- त्रिफलादि योग:-

त्रिफला, कालीहरड,सनाय,गुलाब के फूल, मुन्नका, बादाम की गिरी, बनफ्शा,

सभी द्रव्य 25-25 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें।

रात को सोते समय एक चम्मच(6 ग्राम ) गर्म दूध के साथ ले ले. सवेरे पेट साफ हो जायेगा।  

2- मुन्नका:-

मुन्नका को दूध में उबालकर खायें और ऊपर से दूध पीले।रोज इसका प्रयोग करने से पेट भी साफ रहता है।

3- त्रिफले का दूसरा योग:-

 त्रिफला- 50 ग्राम,

 बादाम -50 ग्राम,

 सौफ -50 ग्राम,

 सौठ -10 ग्राम,

मिश्री - 30 ग्राम,

सबका महीन चूर्ण बनाकर रखलें। 

रात्रि में सोते समय दवा की 6 ग्राम मात्रा मे दूध के साथ लें।

कब्ज दूर करने की यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है यह न तो को खुश्क करती है और न ही कमजोरी लाती है।

यह योग कब्ज को दूर कर दिमाग को शक्ति प्रदान करता है।

4- सनाय की गोली:-

सनाय के पत्ते - 20 ग्राम,

मुन्नका - 30 ग्राम,

पहले सनाय का बारीक चूर्ण बना ले फिर मुन्नका को चूर्ण के साथ धोटकर गोली बनाने लायक  करलें छोटे बेर जैसी गोली बना ले.

रात मे 1 से 2 गोली दूध या पानी से ले ले। सवेरे पेट साफ हो जायेगा।

5 - काबूली हरड:-

काबूली हरड को  आधा कप पानी मे भिगो दे प्रातः हरड को थोडा घीसकर (एक हरड 4-5 दिन चलती है) उसी पानी मे धोल ले थोड़ा सा नमक मिला कर पीलें।

एक मास मे वर्षों पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।

6 - कास्ट्रोल ओयल:-

20 से 31 Ml कास्ट्रोल ओयल मिश्री मिला गर्म दूध में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है।


[अधिक जानकारी के लिए अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरुर लें।]

धन्यवाद!

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.


 गुर्दे के दर्द|kidney pain का चमत्कारिक ईलाज. हिंदी में.

#Gurde ke derd ka chamatkarik illaj.in hindi.

गुर्दे का दर्द.

By:- Dr.VirenderMadhan.

 गुर्दे, पीठ में निचली पसलियों के नीचे स्थित अंगों में शारीरिक परेशानी होना या दर्द होना।सामान्य कारणों में गुर्दे में दर्द के कुछ ऐसे कारण हो सकते हैं जो बीमारी की वजह से नहीं हों.  जैसे:-

- मूत्र को बहुत देर तक रोके रखना, 

- आघात या पेशी-कंकालीय पीठ दर्द जो वास्तव में गुर्दे से नहीं आ रहा है।

#किडनी का दर्द कहां होता है?

* किडनी का दर्द कोक (बगल) में अनुभव होता है, जो आपकी रीढ़ की हड्डी (पसलियों) के नीचे और आपके कूल्हों के बीच का हिस्सा है। 

- यह शरीर के एक तरफ होता है, लेकिन यह दोनों तरफ भी हो सकता है। 

दर्द के प्रकार:-

किडनी में पथरी होने पर किडनी का दर्द तेज होता है और संक्रमण होने पर हल्का दर्द होता है।

#किडनी में दर्द होने के लक्षण (Symptoms of Kidney pain)

किडनी के दर्द के निम्न ल ण होते है।

 -पेट में दोनों तरफ और कमर में दर्द रहना.

-पेशाब में खून आना।

- बार-बार पेशाब जाना

- पेशाब करते समय दर्द होना

--झागदार पेशाब आना

- उल्टी और जी मिचलाना

- बुखार आना, 

- ठंड लगना

* पथरी होने की दशा में गुर्दे मे दर्द की तीव्रता हल्की से बहुत गंभीर हो सकती है। 

#गुर्दों के दर्द की चमत्कारिक आयुर्वेदिक औषधियां:-

(तत्कालिक चिकित्सा व निर्दोष  औषधियां)

1- मक्का के बाल

- एक मक्का के भुट्टे के ऊपर वाले बाल-20 ग्राम०

-पानी 250 ग्राम०

लेकर उबालें।100 ग्राम रहने पर बालों को मसल कर छान लें।गुनगुना रहने पर ही रोगी को पीला दें।

यह हर प्रकार के गुर्दो के दर्द के लिए रामबाण औषध है।

2- क्षारावलेह:-(इस योग का नाम हमने सुविधा के लिए रखा है)

यवाक्षार( जवाखार),सज्जीक्षार,कच्चा सुहागा,नौशादर, कालीमिर्च, सेंधानमक, हीरा हींग, कलमीशोरा,सांमभर नमक, ये सभी 6-6 ग्राम लेकर पीसकर एक बर्तन में रखे उसमे अंग्रेजी सिरका इतना डाले कि अवलेह ( हलवा सा)बन जाये।

*जब दर्द हो तो 3-3 ग्राम हर 20 मिनट पर चाटे।

2-3 खुराक लेने से ही दर्द ठीक हो जाता है।

यह ऐसी चमत्कारी ,अद्भुत एवं अद्वैत औषधि है।

3- तुलसी आदि चूर्ण:-

तुलसी के सुखे पत्ते - 20 ग्राम
अजवायन - 20 ग्राम
सैंधवनमक - 10 ग्राम
तीनों को एक साथ पीसकर रख ले। जरूर पडने पर  3ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी से दे दें।
इस योग से गुर्दे के दर्द के अलावा ..

पेट दर्द, अफारा, बदहजमी, खट्टे डकारें, कब्ज , उल्टी ,नजला , जुकाम, खाँसी की रामबाण औषधि है .इसे बनाकर प्रतिएक घर मे रखना चाहिए।

इसे दंतमंजन की तरह भी प्रयोग किया जाता है यह दांत दर्द, दांतों का मैलापन, मवाद ,बूदबु को दूर. करता है।

4- खरबूजे के छिलके :-

गर्मी के दिनों में खरबूजे के छिलको पेस्ट(कल्क) बनाकर 6ग्राम ले उसे 250 Ml पीने मे घोलकर पीला दें।
सर्दियों में सुखे खरबूजे के छिलको का चूर्ण पानी मे धोलकर पीला दें। या
छिलकों की भस्म बनाकर गुनगुने पानी से खिला देने से गुर्दा का दर्द बंद हो जाता है।यह भी एक चमत्कारी औषधि है।

5- कलमीशोरा व खुरासानी अजवाइन 

इन दोनों को मिलाकर चूर्ण बनालें इसमे से 1ग्राम चूर्ण ताजा पानी से खाने से गुर्दा का दर्द ठीक हो जाता है।

6- आकाशबेल का योग:-

आकाशबेल 10 ग्राम
  गुलदाउदी - 6 ग्राम 
150 ग्राम पानी मे चाय की तरह पकायें जब एक कप शेष रह जाये तो छानकर गुनगुना ही रोगी को पीला दे। आधा घंटे बाद ही रोगी ठीक हो जायेगा। यह दिव्य औषधि है।

7 - लालमिर्च के पत्ते:-

लालमिर्च के पत्ते 20 ग्राम
कालीमिर्च 6-7 दाने
नौशादर 1 ग्राम 
100 ग्राम पानी में सब को घोट पीस कर फिर छानकर रोगी को पीने से दर्द में आराम मिल जाता है।

किसी भी औषधि के प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरूर करें।


धन्यवाद।

बुधवार, 24 अगस्त 2022

कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय.हिंदी में

 कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय.हिंदी में.



#There will never be sugar, keep doing these 7 remedies. In Hindi.

जीवनशैली बदले स्वस्थ रहें।

शुगर की शुरुआत कैसे होती है?

शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?

शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-#

  शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?  

शुगर की शुरुआत कैसे होती है?   कभी शुगर न होगी करते रहे यें 7 उपाय जीवनशैली बदले स्वस्थ रहे   शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-     

शुगर से बचने के उपाय।

Dr.VirenderMadhan.

#शुगर की शुरुआत कैसे होती है?

#How does sugar start?

* शुगर से बचने के लिए जानना जरूरी है कि शुगर बनता कैसे है। जब हमारे शरीर के हार्मोन इंसुलिन (बीटा सेल्स के अंदर पैंक्रियास से निकलने वाला हार्मोन) हमारे शरीर के साथ सही ताल-मेल नहीं बिठा पाता है तब यह बीमारी होती है। मधुमेह को डायबिटीज मिलिटियस(Diabetes Mellitus) भी कहते हैं। यह एक खराब जीवनशैली के कारण होता है।यानि प्रज्ञापराध के कारण यह रोग होता है।

जैसे दिन में सोना, रात मे जागरण करना, प्ररिश्रम न करना, अत्यधिक गरिष्ट भोजन करना आदि।

# शुगर से बचने के लिए क्या उपाय करें?

#What are some ways to avoid sugar?

* शुगर से बचने के लिए 7 उपाय.

1- अंजीर के पत्ते-

अंजीर के पत्तों की चाय पीयें।

  इसमें मधुमेह विरोधी गुण होते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है. अंजीर के पत्तों को खाली पेट चबाने या पानी में उबाल कर क्वाथ बना कर पीने से मधुमेह मे लाभ मिलता है. अंजीर के पत्तों में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है. 

2-- मेथी- 

रोज मेथी दाना पीने भिगोकर खाये और उसका पानी भी पी लें.मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत लाभदायक मानी जाती है. 

3- दालचीनी- 

मसालों में दालचीनी का उपयोग होता है वही दालचीनी का चूर्ण या पानी या दूध मे या आयुर्वेदिक चाय के रुप में लेते रहे। दालचीनी से कई रोगो मे लाभ मिलता है।

4- आंवला- 

आवला किसी न किसी रूप मे खायें।आंवला एक रसायन है।जीवनशक्ति बढती है तथा रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है 

शुगर जैसे अनेक रोगो से बच जाते है।

5- नीम के पत्ते:-

रोज सुबह खाली पेट नीम की कुछ पत्तियों को खाने या पीसकर पानी के साथ लेने से शुगर व त्वचा रोग नही होते है

 6- ग्रीन टी:-

ग्रीन टी को रोज पीना बहुत फायदेमंद होता है। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो शुगर जैसे रोगो को नही होने देगा।

#जीवनशैली बदले स्वस्थ रहें।

Change your lifestyle and be healthy.

7- क्या पैदल चलने से शुगर कम होता है?



आयुर्वेदिक शास्त्रों में वर्णन है कि कुआ खोदने से,नंगे पैर लम्बी दूरी तक पैदल चलने से राजरोग (मधुमेह) समाप्त हो जाता है।अगर आपका शुगर से बचना है तो जितना हो सके पैदल चलें।पैदल चलने से हमारी सभी ग्रन्थियों अच्छा काम करती है।मांसपेशियों बलिष्ठ होती है।हड्डियां मजबूत बनती है।रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है।

साथ मे पानी की मात्रा खूब लें।

ब्लड शुगर लेवल के स्तर को कम करने का सबसे आसान विधि है पानी। अगर आप पानी पीते हैं तो यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।  पानी के जरिए किडनी टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने का काम करता है।और हम स्वस्थ बने रहते है।

#शुगर से बचने के लिए हमारा भोजन:-

#Our food to avoid sugar:-

शुगर से बचने के लिए आप अपने भोजन मे कटू,कषाय,रस वाले भोजन समलित करें।



मधुमेह से बचने का सर्वोत्तम आहार प्राकृतिक खाद्य, अंकुरित अनाज, फल एवं हरी सब्जी है । यह क्षारीय आहार है । पूर्ण अन्न, कूटू एवं हरी सोया, मेथी अत्यंत लाभप्रद हैं ।

 फलों में संतरा जामुन, अनानास, आवंला, सेब तथा पपीता आदि लिए जा सकते हैं।

चीनी, मिठाई, शर्बत,आम, अंगूर, बेदाना,आलू, चावल से परहेज करना चाहिए। अधिक खाने से मधुमेह बनने का भय रहता है।

- सेव और नारंगी ले सकते हैं। चावल कम मात्रा में कभी कभार लिया जा सकता है। हरी सब्जी खा सकते हैं।

-जब भुख लगे तभी खायें।

-पहला भोजन पच जाने के बाद ही भोजन करें।

धन्यवाद!

मंगलवार, 23 अगस्त 2022

ये 10 लक्षणों है तो किडनी हो रही है खराब.हिंदी में.


#kidneycare #Healthtips #Ayurvedic medicine.

 ये 10 लक्षणों है तो किडनी हो रही है खराब.हिंदी में.

If these are 10 symptoms, then the kidney is getting bad.

#गुर्दा|किडनी क्या है?

By:-Dr.VirenderMadhan.

वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है।एक प्रकार से रक्त साफ करने की छलनी है।

 किडनी हमारे शरीर का वह अंग है जो गंदगी बाहर निकालने का काम करती हैं। दोनों किडनियों में छोटे-छोटे लाखों फिल्टर होते हैं जिन्हें नेफरोंस कहते हैं। नेरोफेंस हमारे खून को साफ करने का काम करते हैं।

 अगर किडनी में किसी प्रकार की समस्या होने पर शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते जिससे कई रोग पैदा हो सकते है।

 इन रोगों से बचने के लिए उन लक्षण का ज्ञान होना जरुरी है जिनसे किडनी के खराब होने का ज्ञान होता हैं - 

#बीमार किडनी के 10 लक्षण:-

 1- पेशाब का रंग रुप:-

 युरिनरी इफंक्शन में पेशाब के रंग,रूप, मात्रा और कितने बार पेशाब आती है, इन चीजों में बदलाव आने लगते है।

मूत्र गंदेला,पीला, भुरा,लालभ,आने लगता है।

2 - शरीर में सूजन आना :-

 जब किडनियों शरीर से बाहर गंदगी और तरल पदार्थ न निकाल पाये, जिनसे शरीर में सूजन आ जाती है। यह सूजन हाथों, पैरों, जोड़ों, चेहरे और आंखों के नीचे हो सकती है। 

3-  चक्कर आना और कमजोरी :-

 जब किडनियों की कार्यप्रणाली में विषाक्तता भर जाती है, तो आपको चक्कर आने की अशंका बढ़ जाती है। 

4- थकान व कमजोरी :-

विषाक्तता के कारण रोगी थकावट महसूस करते हैं और कमजोरी का एहसास होता है। ये लक्षण खून की कमी और वजन गिरने लगता है।

5- पीठ दर्द का कारण न समझ पाना : 

आपकी पीठ और पेट के किनारों में बिना वजह दर्द महसूस होना, किडनी में इंफेक्शन या किडनी संबंधी बिमारियों के लक्षण हो सकते हैं।

6- त्वचा की समस्या होना:-

त्वचा खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,अचानक त्वचा का फटना, रेशेज होना, शरीर की गंदगी के एकत्रित होने के परिणाम हो सकते हैं। 

7-  उल्टियां' और उबाक आना:-

 आप उल्टी के दवाईयां लेने के बाद भी समस्या को जस की तस पाएं तो किडनी प्रोब्लम हो सकती है।

8- ठंड लगना तथा मांसपेशियों में ऐठन होना।

अच्छे मौसम के बावजूद अजीब-सी ठंड लगना और कभी-कभी ठंड लगकर बुखार भी आ जाना।

9-मूत्र में बूदबु और भोजन में अरूचि होना:-

यूरिनिया की स्थिति में मूत्र से दुर्गंध आने लगती है। तथा भोजन से मन हट जाता है।

10- रक्त की कमी होना, एनिमिया तथा सांस लेने में परेशानी होना

ये सभी लक्षण अगर किसी को है तो उसे तुरंत अपने चिकित्सक को दिखाये।

किडनी को सुरक्षित रखने के लिए आप शुरू से ही आयुर्वेद अपनाये

धन्यवाद!

सोमवार, 22 अगस्त 2022

मर्दाना ताकत का खजाना गोखरू पाक.हिंदी में.

 मर्दाना ताकत का खजाना गोखरू पाक.हिंदी में.

#mardaana taakat ka khajaana gokharoo paak.in hindi.

#क्या है गोखरू पाक?

By:-Dr.VirenderMadhan.

#गोखरू पाक|Gokharoo paak.


See also:-

https://youtu.be/HTBkpYc5lX4

पुरुषों के रोग मे उपयोगी, गोखरू पाक कामशक्ति बढाता है, गोखरू एक बहुत ही गुणकारी एवं दिव्य जड़ी बूटी है | आयुर्वेद में गोखरू के पंचाग का उपयोग करके बहुत सी प्रभावी औषधियां बनायी जाती हैं | मूत्र विकार, किडनी के रोग, शारीरिक क्षमता एवं पौरुष कामशक्ति बढाने के लिए गोखरू का उपयोग किया जाता है | 



यह गोखरू पाक (Gokhru Pak) वीर्यस्तंभक है, शरीर को पुष्ट करता है, वाजीकरण है। 

यह पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि है | प्रमेह, क्षय, मूत्र जनित रोग, शुक्रजनित शारीरिक कमजोरी एवं यौन शक्ति बढाने के लिए इसका सेवन करना चाहिए |

#गोखरू से बनने वाली कुछ प्रमुख औषधियां :-

गोक्षुरादी चूर्ण

गोखरू पाक

गोखरू मोदक



गोक्षुरादी क्वाथ

त्रिकंटादि क्वाथ

गोक्षुरुदि गुग्गूलू

गोखरू पाक:-

#गोखरू पाक के घटक द्रव्यों के बारे में :-

गोखरू (चूर्ण किया हुआ) – 64 तोला

दूध – 256 तोला

लौंग, लौह भस्म, काली मीर्च

कपूर, सफ़ेद आक की जड़, कत्था,सफ़ेद जीरा, श्याह जीरा, हल्दी

आंवला, पीपल, नागकेशर

जायफल, जावित्री, अजवायन, खस,सोंठ, करंजफल की गिरी (सभी 1 तोला)

गो घृत – 32 तोला

मिश्री 



#गोखरू पाक बनाने की विधि :- 

गोखरू (बड़ा) के सूक्ष्म चूर्ण को दूध में पकाकर खोया बनाले। तत्पश्चात समस्त औषधों के समान मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें पूर्वनिर्मित खोया और सभी औषधि द्रव्य मिला कर पकाते है अवलेह पाक जब हो जाये तो ठंडा करके सुरक्षित रख लेते है।



गोखरू पाक (Gokhru Pak) को सबेरे, शाम दूध के साथ सेवन करने से सब प्रकार के प्रमेह और सब प्रकार के वीर्य दोष मिटकर काम शक्ति बहुत प्रबल होती है।

मात्रा: 

½ से 1 तोला तक अग्निबलानुसार। (1 तोला=11.66 ग्राम)

#गोखरू पाक के अन्य लाभ:-

- अर्श एवं प्रमेह नाशक यह औषधि बहुत गुणकारी है | 

- यह उत्तम बलवर्धक एवं पौष्टिक उत्पाद है | मूत्र विकारों में यह बहुत असरदार है | 

- क्षय रोग में बहुत फायदेमंद औषधि है |

- मूत्र पिंड की सुजन को कम करता है |

- प्रमेह रोग से उत्पन्न कमजोरी को दूर करता है |

- वीर्य विकारों में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है |

- पौरुष यौन शक्ति बढाने के लिए इसका उपयोग करें |

- गर्भाशय को सशक्त बनाता है|

धन्यवाद!

रविवार, 21 अगस्त 2022

ऐप्पल साइडर ,सिरका क्या है?हिंदी में.

 ऐप्पल साइडर|Apple cider vinegar.



By :-Dr.Virender Madhan.

ऐप्पल साइडर ,सिरका क्या है?हिंदी में.

सेव कि सिरका किन किन रोगो मे ले सकते है?

[सेव के सिरके के लाभ व हानि क्या क्या होते है जानने के लिए लेख को अन्त तक पढे।]

#ऐप्पल साइडर क्या होता है?

ऐप्पल साइडर सिरका, या साइडर सिरका, किण्वित सेब के रस से बना एक सिरका है, और सलाद ड्रेसिंग, मैरिनेड, विनैग्रेट्स, खाद्य संरक्षक और चटनी में उपयोग किया जाता है।  इसे सेबों को कुचलकर, फिर रस निचोड़कर बनाया जाता है

aippal saidar siraka, ya saidar siraka, kinvit seb ke ras se bana ek siraka hai, aur salaad dresing, mairined, vinaigrets, khaady sanrakshak aur chatanee mein upayog kiya jaata hai. ise sebon ko kuchalakar, phir ras nichodakar banaaya jaata hai

#सुबह खाली पेट में सेब सिरका पीने के फायदे

- वजन कम करता है

 सेब का सिरका पीने से तेजी से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। 

-पाचन समस्या को ठीक करता है।

- इम्यून सिस्टम मजबूत बनाए।

- कोलेस्ट्रोल कम करता है।

- डायबिटीज को कंट्रोल करता है।

- जोड़ों के दर्द में आराम

#सेव के सिरका और मोटापा:-

- सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है, और पेट की चर्बी भी कम होती है। सेब के सिरके में मौजूद एसेटिक एसिड पेट की चर्बी कम करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है।


#सेब का सिरका और पाचन शक्ति :-

पाचन के लिए

यह आपके पेट के पीएच लेवल को संतुलित रखता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। सुबह खाली पेट पीने के अलावा आप थोड़ी मात्रा में सेब के सिरके का सेवन भोजन से पहले भी कर सकते हैं। इससे पाचक रस उत्तेजित होते हैं और पाचन क्रिया अच्छी होती है।


#सेब का सिरका और मधुमेह:-

सेब का सिरका शरीर में एल्कलाइन स्तर को बढ़ाता है जो कि मधुमेह के रोगी के लिए लाभकारी होता है। मधुमेह के रोगी एक दिन में एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब के सिरके को डालकर पिएं। इसका सेवन रोजाना करने से उन्हें फायदा होगा। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि इसका ज्यादा अधिक प्रयोग सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।


#सेब का सिरका और थायरॉयड:-

- अगर थाइराइड रोगी सेब के सिरके का सेवन करते हैं, तो इससे हार्मोन्स के संतुलित करने मे मदद मिलती है। 

#सेब का सिरका और कैंसर:-

सेब के सिरके में कई विटामिन, एंजाइम, प्रोटीन और लाभ पहुंचाने वाले बैक्टीरिया भी मौजूद होते हैं। एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर सिरका डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। यह कैंसर, हृदय की समस्याओं और हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है।

#युरिक एसिड और सेव का सिरका:-

सेब का सिरका यूरिक एसिड में क्या काम करता है?

यूरिक एसिड की समस्या को दूर करने के लिए सेब का सिरका काफी लाभदायक माना जाता है। दरअसल, सेब के सिरके में भरपूर मात्रा में एंटी-इमफ्लेमेंटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं, जो ब्लड में पीएच लेवल को बढ़ाने का काम करता है और साथ ही शरीर में मौजूद यूरिक एसिड को कंट्रोल करते हैं।

#सेब का सिरका और इम्यूनिटी:-

सेब का सिरका (Apple cider vinegar) कुचले हुए सेब से बना किण्वित (fermented) रस है। इसमें एसिटिक एसिड (acetic acid) और विटामिन C और B विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं। इम्यूनिटी बढती है।

#सेब का सिरका के नुकसान:-

सेब के सिरके के नुकसान -

सेब के सिरके में एसिड होने के कारण यह शरीर में मौजूद ब्लड में पोटैशियम के स्तर को कम करता है। सेब के सिरके को सीधा दांतों पर इस्तेमाल करने से दांतों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा इसका सीधा प्रयोग करना दांतों में पीलेपन की समस्या को भी बढ़ाता है।

#सेव के सिरके की मात्रा:-

10 Ml.सिरका पीनी मे मिलाकर लेना चाहिए इसे अकेले नही पीना चाहिये।

*इसके प्रयोग से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सिक से सलाह जरुर करें।

See also
https://youtube.com/channel/UCt8y6DawRXrSU9kGfNGHbLg

खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi

 खुद जाने अपने शरीर की प्रकृति क्या है ? In hindi.



#Know yourself what is the nature of your body?In hindi.

प्रकृति कितने प्रकार की होती है?

#अपनी प्रकृति के दोष को कैसे शांत करें [लेख को पुरा पढें]

#Khud jane apne sharir ki prakriti kya hain ?

Nature of body|शरीर की प्रकृति.

By:-Dr.VirenderMadhan.

जन्म के समय माता-पिता के आर्तव,शुक्र मे उपस्थित वातादि दोषों के स्थिति यानि कौन सा दौष कम या अधिक है उसीसे मानव के शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है।ये 7 प्रकार की होती है।

#प्रकृति के प्रकार

प्रकृति सात प्रकार की होतीं हैं।

1- वातज

2- पित्तज

3- कफज

4- वात-कफज

5- पित्त-कफज

6- वात-पित्तज

7-वात-पित्त-कफज(समदोषज)


मुख्य तीन प्रकृति होती है।

वात प्रकृति – Vata Nature

पित्‍त प्रकृति – Bile Nature

कफ प्रकृति – Phlegm 

#अपने शरीर का स्‍वयं Nature परीक्षण करें – Test Your Body Yourself

आयुर्वेद के अनुसार आपका शरीर एक निश्चित प्रकृति का होता है।जो 

 शरीर के बनावट, 

हमारे स्‍वभाव, 

आदत, के अनुसार हमारे शरीर की प्रकृति निर्धारित होती है । 

 #प्रकृति के लक्षण देखकर अपनी प्रकृति जाने।

#वात प्रकृति के लक्षण – Signs of Vata Nature

वात प्रकृति के लोग

- छरहरे शरीर के या पतले-दुबले होते हैं ।

- शरीर का वजन कम होता है ।

- रूखी त्‍वचा, 

- बालों का रंग गहरा होता है ।

- यें वाचाल स्‍वभाव के बातुनी होते है मतलब ज्‍यादा बोलने वाले होते हैं ।

-यें व्‍यक्ति जल्‍दबाज होते हैं मतलब किसी भी काम को जल्‍दी करना चाहते हैं ।  -सहनशीलता कम पाई जाती है।

- स्‍मरण शक्ति कमजोर होता है।

- चिंता करना और जल्‍दी से डर जाना वात प्रकृति के लोगों का पहचान होता है ।

- किसी भी बात को आसानी से समझ सकते हैं । 

- शरीर में सक्रियता अधिक होती हैं जैसे बैठे हुए भी हाथ-पैर हिलाते रहते हैं । 

- इन्हें ठंड अधिक लगती है ।

#वात बर्द्धक विहार:-

अत्यधिक परिश्रम करना, अधिक चिंता करना, अधिक ठंडे स्थान मे रहना,तेज हवा का सेवन करना,रात्रि जागरण करना,दुस्साहस करना, आदि।

#वातवर्धक आहार

- गैस बनाने वाले भोज्‍य पदार्थ जैसे आलू एवं आलू से बने पदार्थ, छोले, मठर,कढी,गोभी आदि ।

#वातशमनकारीआहार:- 

-मेथी दाना, दालचीनी, गर्म पानी, शुद्धतेल, चूना, दही, छाछ, फल सब्जियों का रस, और रेशेदार भोजन आदि ।


पित्तप्रकृति:-

#पित्त प्रकृति के लक्षण – Signs of Bile Nature

पित्त प्रकृति के व्‍यक्तियों का -शारीरिक बनावट सामान्‍य होता है, 

- शरीर का वजन भी सामान्‍य होता है । 

- त्‍वचा का रंग गोरा या चमकदार, 

- बालों का रंग हल्‍का काला होता है ।

- यें व्‍यक्ति गुस्‍सैल स्‍वभाव के होते है मतलब इन्‍हें जल्‍दी ही गुस्‍सा आता है । 

- जल्‍दी ही अधीर हो जातेहै और ईर्ष्‍यालु होते हैं।

- मानसिक रूप से सक्षम बुद्धिमान होते हैं । 

- याददाश्‍त तेज होती है।

- ये भूक्‍कड़ स्‍वभाव के होते हैं  - इन्‍हें भूख-प्‍यास अधिक लगता है । 

- पित्त प्रकृति के लोगों गर्मी अधिक लगती है । 

- शरीर से दुर्गन्‍ध आ सकती है।

पितबर्द्धक विहार:-

गर्म स्थान पर रहना,अत्यधिक धूप सेवन करना, क्रोध करना, खाली पेट रहना, नशा-शराब गांजा आदि लेना।

#पित्त वर्धक आहार:-

-चाय, काफी, मिर्च-मसाले, तीखे तले पदार्थ, शराब, बीड़ी सिगरेट, गुटका आदि मांसाहार, पनीर

#पित्त शमनकारी आहार

-जीरा हिंग, देशी गाय का घी, नारियल खीरा, ग्‍वारभाटा घृतकुमारी, जामुन, घडे का पानी.

कफ प्रकृति:-

कफ प्रकृति के लक्षण – Signs of Phlegm Nature

कफ प्रकृति के

- व्‍यक्ति के शरीर मे वजन अधिक होता है, ज्‍यादातर लोग मोटे होते हैं ।

-इनकी त्‍वचा तैलीय, बालों का रंग भूरा होता है । 

- यें लोग बेफ्रिक स्‍वभाव के होते हैं किसी बात की ज्‍यादा चिंता नहीं करते । 

- आलसी होते है।

- इन्हें जल्‍दी गुस्‍सा नहीं आता है। अधिकतर शांत स्‍वभाव के होते हैं । 

- यें देर में समझते हैं, आसानी से बात समझ में नहीं आती ।

कफ बर्द्धक विहार:-

ठंडे पेय लेना,ठंडे स्थान में रहना, आलस्य मे रहना, बिस्तर पर पढे रहना,व्ययाम न करना, आदि।

#कफवर्धक आहार:-

-दूध, मलाई, चावल, पनीर, केला, कुल्‍फी तथा तले हुये पदार्थ ।

#कफशमनकारीआहार:-

-गुड, मेथी, शहद, अदरक, सोठ, हल्‍दी, सौफ, गौमूत्र, लहसून

आयुर्वेद के अनुसार हर व्‍यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है, समय के अनुरूप, मौसम के अनुकूल एवं आयु के अनुकूल दोष उत्‍पन्‍न हो सकते हैं । इन दोषों को अपने खान-पान एव रहन-सहन में अनुशासन लाकर दूर किया जा सकता है । आपका शरीर जिस प्रकृति का है उसके वर्धक भोज्‍य पदार्थ लेने से बचें एवं शमनकारी भोज्‍य पदार्थ का सेवन करें । 

*इन लक्षणों के आधार पर हम अपने शरीर की प्रकृति तय कर सकते हैं । 

अपने शरीर की प्रकृति जानने के बाद  आहार विहार मे परिवर्तन करके बहुत से रोगो से बचा जा सकता है।इस लिए ही हमने प्रकृति के साथ ही वात पित और कफ बर्द्धक आहार का वर्णन किया है

-- योग्‍य वैद्य से सलाह लें ।

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