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मंगलवार, 25 अक्तूबर 2022

पीलिया रोग क्यों होता हैऔर क्या करें उपाय?जाने हिन्दी में.


 #पीलिया #Health care #पांडू रोग #लीवर विकार #प्लीहा #घरेलू उपाय #आयुर्वेदिक चिकित्सा #लाईफ स्टाइल,

#पीलिया रोग क्यों होता हैऔर क्या करें उपाय?जाने हिन्दी में.

Why is jaundice and what to do?

#पीलिया|jaundice,क्या है?

#Dr.VirenderMadhan.

पीलिया एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के उत्तकों और खून में होता है। आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है।

आयुर्वेद के अनुसार पित्त कुछ कारणों से अपने स्थान से भ्रष्ट हो कर रक्त के द्वारा शाखाओं में फैल जाता है।तो पीलिया रोग उत्पन्न हो जाता है।


आयुर्वेद में पाण्डू का 5 प्रकार का माना है 

1- वातज पाण्डू

2- पित्तज पाण्डू

3- कफज पाण्डू

4- सन्निपातज पाण्डू

6- मिट्टी खाने से उत्पन्न पाण्डू

#पीलिया होने का मुख्य कारण क्या है? 

 - Causes of Jaundice:-

- खट्टे पदार्थों के खाने से, 

- अधिक शराब पीने से,

- मिट्टी खाने से

- गंदा भोजन, बासी भोजन के कारण,

- दिन मे सोने से,

- चिन्ता करने से, 

- तला भुना, फ्राईड,तेज मसालों के खाने से,

- मल मूत्र के रोकना,



*पीलिया के वायरस मरीज के मल में मौजूद होते हैं जिसके कारण इस बीमारी का प्रसार हो सकता है। 

- दूषित पानी, दूध और दूषित भोजन से पीलिया रोग फैल सकता है।

#पीलिया रोग के लक्षण:-

- बुखार रहना।

- भूख न लगना।

- भोजन से अरूचि।

- जी मिचलाना और कभी कभी उल्टियॉं होना।

- सिर में दर्द होना।

- आंख व नाखून का रंग पीला होना।

- पेशाब पीला आना।

- अत्‍यधिक कमजोरी और थकान रहना.

#पीलिया की अच्छी व घरेलू  दवाई :-

- रोज नीम के ताजे पत्तों का रस निकाल कर रोगी को देने से सप्ताह भर में पीलिया उतर जाता है। 

- पपीता, आमला, तुलसी, अनानास, छाछ और दही आदि का सेवन करने से भी पीलिया को दूर करने में मदद मिलती है।

- मूली के रस मे मिश्री मिला कर पीने से 15-20 दिनों में पीलिया नष्ट हो जाता है।

मात्रा :- 25-30 ग्राम

बच्चों के लिए 6 से 10 ग्राम दें।

- सुहागा की भस्म( सुहागा का फूला) 250 mg. सवेरे शाम मक्खन मे लपेटकर दे।

-मूली के पत्तों का रस 40 ग्राम चीनी मिला कर प्रातः खाली पेट देने से पीलिया नष्ट हो जाता है यह रामबाण दवा है।

पीलिया 7 दिनों में ठीक हो जाता है।

हल्दी व अकेले दूध का सेवन न करें।

- एरण्ड के पत्तों का रस 30 ml  खाली पेट देने से पीलिया 3 दिनो मे.ठीक हो जाता है।

रोगी को खिलायें।

-अनार, पपीता, अंजीर, मुन्नका खाने को दें।

- साबुत धनिया रात भर भोगोकर रखें सवेरे उसका पानी पीने को दें।

-त्रिफला क्वाथ सवेरे शाम पीने से भी पीलिया मे आराम होता है।

- नीमपत्र का रस 10- 25ग्राम पीने से पीलिया शीध्र ठीक हो जाता है।


#पीलिया है तो क्या करें क्या न करें ?

- रोगी को गरिष्ट भोजन नही देना चाहिए।

- रोगी को तरल पदार्थ पर रहना चाहिए।

- ठीक होने तक विश्राम करना चाहिए।

-  साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, खानपान की चीजों का सेवन करने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोना चाहिए

धन्यवाद

सोमवार, 24 अक्तूबर 2022

भूमि आंवला एक आयुर्वेदिक दिव्य औषधि.जाने हिंदी में.

भूमि आंवला एक आयुर्वेदिक दिव्य औषधि.जाने हिंदी में.

#भूमि आंवला का परिचय लाभ क्या क्या है?



#डा०वीरेंद्र मढान.

भूमि आंवला,लीवर के साथ शरीर में अनेक बीमारीयों के लिए चमत्कारिक औषधि है।

- भुई आंवला एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला के फायदे।

 से अनेक बीमारियों को ठीक किया जाता है। 

- भूमि आंवला से भूख की कमी, और

 -कामोत्तेजना बढ़ाने में मदद मिलती हैं। 

- भूमि आंवला लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, बिलीरुबिन बढ़ने पर, 

- पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में बहुत लाभदायक हैं।

* भूमि आंवला का पौधा लीवर व किडनी के रोगो मे बहुत लाभ करता है। 

#यह कहाँ मिलता है?

यह बरसात मे अपने आप उग जाता है और छायादार नमी वाले स्थानो पर पूरा साल मिलता है। इसके पत्ते के नीचे छोटा सा फल लगता है जो देखने मे आंवले जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए इसे भुई आंवला कहते है। इसको भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है। 

इसका सम्पूर्ण भाग, पंचांग प्रयोग किया जाता है

 *  कई बाज़ीगर भूमि आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं।

मात्रा:-

साधारण सेवन मात्रा

आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ दिन मे 2-3 बार तक। या पानी मे उबाल कर छान कर भी दे सकते हैं। 

* लीवर की सूजन, बिलीरुबिन और पीलिया में फायदेमंद।

- लीवर की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है। लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा। बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पौधे को जड़ों समेत उखाडकर, उसका काढ़ा सुबह शाम लें। सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी। 

इसे अन्य दवाइयो के साथ भी दे सकते (जैसे कुटकी/रोहितक/भृंगराज) अकेले भी दे सकते हैं। पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है।

या इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। 

- पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।

अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी।

- LIVER CIRRHOSIS जिसमे यकृत मे घाव हो जाते हैं यकृत सिकुड़ जाता है उसमे भी बहुत लाभ करता है।

- Fatty LIVER जिसमे यकृत मे सूजन आ जाती है पर बहुत लाभ करता है।

-हेपेटायटिस B और C में. Hepatitis b – hepatitis c

हेपेटायटिस B और C के लिए यह रामबाण है। भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें। ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी ठीक हो जाती है।

- डी टॉक्सिफिकेशन

इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है।

- मुंह में छाले और मुंह पकने पर पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें। यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है 

- स्तन में सूजन या गाँठ।

स्तन में सूजन या गाँठ हो तो इसके पत्तों का पेस्ट लगा लें पूरा आराम होगा।

– जलोदर या असाईटिस

जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें।

- खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .

- यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है। इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है। 

– SERUM CREATININE बढ़ गया हो,तो भी लाभदायक होता है।

- प्रदर या प्रमेह की बीमारी भी इससे ठीक होती है। 

*रक्त प्रदर की बीमारी होने पर इसके साथ दूब का रस मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात: सायं लें। 

- पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें। पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा। ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है।

- शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है।

– पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर, काढ़ा बनाकर लें। इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है। 

* मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।

- आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .

- खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है।

- प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है।

इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है।

- इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।

- यह एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जाता है।

#डा०वीरेंद्र मढान.

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2022

शिलाजीत के आयुर्वेदिक गुण व उपयोग क्या है जाने हिंदी में।.

शिलाजीत के आयुर्वेदिक गुण व उपयोग क्या है जाने हिंदी में।.

शिलाजीत

By:-Dr.VirenderMadhan.

#शिलाजीत के नाम.



शिलाजीत,शिलाजतु,आद्रिजतु,शैलनिर्यास, गैरेय,अश्मज,गिरिज,शैलधातुज आदि नामों से जाना जाता है।

#कैसा होता है शिलाजीत?

शिलाजीत एक गाढ़ा भूरे रंग का, चिपचिपा पदार्थ है जो मुख्य रूप से हिमालय की चट्टानों से पाया जाता है। इसका रंग सफेद, गाढ़ा भूरा रंग का होता है।

#शिलाजीतका उपयोग:-

 शिलाजीत का उपयोग आमतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा की है जहाँ इसे बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत के प्रयोग किये जाते है।

शिलाजीत के गुण:-

चरपरा, कडवा, गर्म , पाक मे चरपरा, रसायन , मलछेदन करने वाला ,योग वाही और कफ,मेद ,पथरी, शर्करा, मूत्रकृच्छ, क्षय, श्वास, वातरोग, बवासीर, पाण्डू, मृगी, उन्माद, सूजन, कुष्ठ, उदररोग, तथा उदरक्रमि  नाशक होता है।

#शिलाजीत के खाने से क्या क्या लाभ होते है?

-पेट साफ करता है।

-रसायन होने से यह जराव्याधि को दूर करता है।

- ऊर्जा और पुनरोद्धार प्रदान करता है।

-मस्तिष्क बल को बढ़ावा देता है।

- मोटापा करने मे लाभदायक है।

- बलदायक है,क्षयरोग,श्वास रोग मे लेने से लाभ मिलता है।

- हार्मोन और इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करता है।

- प्रमेह,मधुमेह को दूर करने में मदद करता है।

- कैंसर जैसे रोगों में बचाव और रक्षा में मदद करता है।

- सूजन कम करता है 

- पेट के कीडो को नष्ट करता है।

- बवासीर रोग में लाभकारी है।

- वात रोगों में भी बहुत कारगर है।

(इसके खाने से कोई हानि नहीं होती फिर भी शिलाजीत खाने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें)

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

यौवन शक्ति कैसे बढायें.हिंदी में.

 यौवन शक्ति कैसे बढायें.हिंदी में.

आयुर्वेद मे क्या है वाजीकरण का मतलब ?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

बाजीकरण,



बाजीकरण, आयुर्वेद के आठ अंगों (अष्टांग आयुर्वेद) में से एक अंग है।

इसके अन्तर्गत शुक्रधातु की उत्पत्ति, पुष्टता एवं उसमें उत्पन्न दोषों एवं उसके क्षय, वृद्धि आदि कारणों से उत्पन्न लक्षणों की चिकित्सा आदि विषयों के साथ उत्तम स्वस्थ संतोनोत्पत्ति संबंधी ज्ञान का वर्णन आते हैं।


"“वाजीकरणतंत्रं नाम अल्पदुष्ट क्षीणविशुष्करेतसामाप्यायन

प्रसादोपचय जनननिमित्तं प्रहर्षं जननार्थंच। (सु.सू. १.८)।”


आयुर्वेद मे रसायन और वाजीकरण योगों का यथासमय सेवन करना उपयोगी बताया गया है। इनको स्वस्थ और व्याधि, सामान्य अवस्था में भी सेवन किया जा सकता है, क्योंकि रसायन गुण वाले पदार्थ, योग आदि शक्ति देने वाले, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले और वृद्धावस्था के लक्षणों को दूर रखने वाले होते हैं। 

- रसायन योग शरीर के बल की क्षतिपूर्ति करने वाले होते हैं और वाजीकरण योग यौन शक्ति और क्षमता बढ़ाने वाले तथा नपुंसकता दूर करने वाले होते हैं।

 'वाजी' शब्द घोड़े के समान सामर्थ्य करना। 

जो दवाएं और आहार किसी व्यक्ति में ताकत या जीवन शक्ति में सुधार करने की क्षमता (घोड़े के समान) रखता है,उसे वाजीकरण द्रव्य माना जाता है।

#रावण संहिता अनुसार 6 वाजीकरण योग :-

दुर्बलांगों तथा शरीर रक्षाणार्थ बाजीकरण का सेवन किया जाता है।

पहले स्निग्ध तथा शुद्ध व्यक्ति को सर्वप्रथम धृत,तैल,मांस रस,दूध, शक्कर और मधु से युक्त निरुहबस्ति और आनुवासन का प्रयोग किया जाता है।

किन्तु मांस खाने वालों को दूध और मांस रस देना चाहिए उसके बाद वीर्यवर्धक और सन्ततिकारक औषधियों का सेवन करना चाहिए।

#6 बाजीकरण योग-

1- विदारीकंद, पीपर,चौलाई, चिरौंजी, गन्ना, कौच की जड,और मधु ये सब 160-160 ग्राम, 2kg शक्कर,320ग्राम नूतन धी मिला कर रखें

इसकी तोले (भर 10 ग्राम)मात्रा पुरुषों को योग्य बनाती है।

2- कौचके बीज और गेहूं का आटा अथवा उडद दुध में पकाकर पहली बार ब्याही गौ के दुध के साथ खाने वाला व्यक्ति स्त्रियों को संतुष्ट रखता है।

3- बकरे के अण्डकोष  को दुध मे पकाकर कालेतिल,मिश्री मिलाकर खाने से नारियाँ का मान मर्दन कर सकता है।

विदारीकंद का चूर्ण को  विदारीकंद के रस की भावना दे कर चूर्ण को शहद और धी से मिलाकर चाटने से पुरुषों मे सामर्थ्य आ जाती है।

4-मुलहठी चूर्ण को धी शहद के साथ चाटकर ऊपर से दूध पीने वाला व्यक्ति की कामवासना बढ जाती है।

5-काकडासिंगी के कल्क (पिष्टी) को दूध मे मथकर पान करें बाद मे मिश्री, धृत, शहद और दूध का सेवन करने वाला व्यक्ति सांड की तरह बलवान हो जाता है।

6- क्षीरकाकोली के कल्क, दूध मे पकाकर धृत शहद के साथ खाकर ऊपर से गौदूध पीने से परुष की जनेन्द्रिय शिथिल नही होती तथा प्रचंड वेगवान हो जाता है।

ये सब योग रावण संहिता से संग्रहित है।

धन्यवाद।

#डा०वीरेंद्रमढान.

सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

शराब से हुआ हैंगओवर कैसे दूर करें?In hindi.

 #शराब से हुआ हैंगओवर कैसे दूर करें?In hindi.

How to get rid of hangover caused by alcohol?



[hangover|हैंगओवर]

#VirenderMadhan.

 शराब पीना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।शराब पीने के बाद लोग अलग व्यवहार करते हैं। शराब पीने के बाद जब सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षणों होते है।  इसे ही हैंगओवर कहते है। 

#शराब का नशा उतारने के लिए घरेलू उपाय क्या हैं?

What are the home remedies to get rid of alcohol addiction? 

#शराब का नशा कैसे उतारें? 

शराब का नशा उतारने के लिए घरेलू उपाय- 

- नारियल का पानी पिएं

नारियल का पानी शराब के नशे को उतारने में मदद कर सकता है।  

- नींबू पानी पिएं

नींबू पानी शराब के नशे को उतारने में असरदार साबित हो सकता है। इसके लिए आप एक गिलास गुनगुना पानी मे नींबू का रस निचोड़ें और पी लें।इससे शराब का हैंगओवर पूरी तरह से उतर जाएगा। साथ ही सिरदर्द में भी आराम मिलेगा।

- केला खाएं

- शराब का नशा उतारने के लिए आप केला खा सकते हैं। केला शराब का हैंगओवर उतारने में काफी लाभदायक होता है।

- अदरक का रस लें

- अदरक शराब का नशा उतारने में उपयोगी होता है।  शराब की वजह से होने वाला सिरदर्द, घबराहट और उल्टियों को भी कम करने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप अदरक का रस निकाल पी सकते हैं, इसमें शहद मिलाकर भी पी सकते हैं। 

- पुदीने का पानी पिएं.

- आप 3-4 पत्ते पुदीने की लें। इन्हें पानी में डालें और अच्छी तरह से उबाल लें। इसे गुनगुना पी लें। 

- दही खायें

दही खाने से हैंगओवर मे लाभ मिलता है।

- नमक, शक्कर का शर्बत पीयें.

- पेट भर खाना खायें।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.


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रविवार, 16 अक्तूबर 2022

मानसिक रोगों से बचने के लिए क्या करें?

 #मानसिक रोगों को कैसे पहचाने?

#मानसिक रोगों से बचने के लिए क्या करें?



#Dr.VirenderMadhan.

#मन के रोग

मनोविज्ञान में हमारे लिए असामान्य और अनुचित व्यवहारों को मनोविकार कहा जाता है। ये धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। 

मनोविकारों के कारण(कारक)क्या क्या है?

- आनुवांशिकता,

- कमजोर व्यक्तित्व, -सहनशीलता का अभाव, -बाल्यावस्था के अनुभव,   -तनावपूर्ण परिस्थितियां और इनका सामना करने की असामर्थ्य होना हैं।

एसी स्थितियां, जिन्हें हल कर पाना एवं उनका सामना करना किसी व्यक्ति को मुश्किल लगने लगता है, 

[उन्हें 'तनाव के कारक' कहते हैं।]

 तनाव किसी व्यक्ति पर ऐसी आवश्यकताओं व मांगों को थोप देता है जिसे पूरा करना वह अति दूभर और मुश्किल समझता है। इन मांगों को पूरा करने में लगातार असफलता मिलने पर व्यक्ति में मानसिक तनाव पैदा होता है।


#मानसिक रोग क्या है

जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोज़मर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है।

#मानसिक रोग की पहचान कैसे करें?

तनाव की स्थिति में व्यक्ति को सिरदर्द और पीठ दर्द की समस्या होती है.

- नींद न आना,

- गुस्सा और हताशा का भाव होना,

- किसी एक चीज पर फोकस ना कर पाना,

- दूसरों को नजरअंदाज करना और अपने आप में रहना,   -उदास रहना, इसके प्रमुख लक्षण हैं.

#मानसिक स्वास्थ्य के लिये क्या करें?

- हमेशा निश्चित समय पर व्यायाम करें।

- अपने अच्छे शौक के काम को कुछ समय दें.

- बुरे शौक या आदत को छोड़ दें।

- आहार समय पर, ऋतु के अनुसार, और पौष्टिक भोजन ही करें.

 - अपने पूरे दिन का प्रोग्राम बनायें, व्यस्त रहे.

- बच्चों के साथ खेलें.

- तनाव के लिए हर्ब चाय लें

-प्रतिदिन शरीर की मालिस करें या कराये।

- तरक्की करने वाले पोजेटिव लोगों के साथ समय व्यतीत करें

-अपनी सोच को बदले 

यह मै कर सकता हूँ

I can do.

कोई काम ऐसा नही जो आदमी न कर सके

- सवरे जल्दी उठे ,जल्दी सोने की आदत बना लें.

-प्राणायाम करें,अपने इष्टदेव की प्रार्थना करें।

#अधिक मानसिक परेशानियों से कौन कौन सी बीमारी हो सकती है।

- मानसिक तनाव,अधिक दिनों तक रहने से भयंकर परिणाम भुगतने पडते है।

-रोगी को उच्च रक्तचाप (B.P.)बढने लगता है। लकवा जैसे वातरोग हो सकते है।

-हृदय रोग हो सकता है।

-डाइबिटीज होता है।

धन्यवाद!

शनिवार, 15 अक्तूबर 2022

छाती मे जलन व खट्टी डकारें आती है तो क्या करें क्या न करें?

 #छाती मे जलन व खट्टी डकारें आती है तो क्या करें क्या न करें?

#खट्टे डकारें क्यों आती है?

 #एसिडिटी(अम्लपित्त) में आयुर्वेदिक औषधि ही कारगर है.



[अम्लपित्त|एसिडिटी|खट्टी डकारें|छाती मे जलन|हार्टबर्न|तेजाब बनना]

By:-Dr.Virender Madhan.

खट्टी डकारें,छाती मे जलन होने को एसिडिटी (अम्लपित्त)कहते है।

- एसिडिटी को चिकित्सकीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) कहते है। 

- आयुर्वेद में इसे 'अम्ल पित्त' कहते हैं।हमारे शरीर में तीन दोष हैं वात, पित्त और कफ। इनमें संतुलन रहता है तो शरीर सामान्य स्थिति में रहता है। जब शरीर की जठराग्नि में विकृति आ जाती है तो गैस या एसिडिटी की समस्या पैदा होती है।

- आमाशय के भित्ति में उपस्थित जठर ग्रंथियों के द्वारा जठराम्ल (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) का स्राव किया जाता है पाचन के लिए आवश्यक है।

आमाशय तथा भोजन नली के जोड पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा कुछ खाते-पीते ही खुलती है। जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती है और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।

लक्षण:-

एसिडिटी का प्रमुख लक्षण है 

-रोगी के सीने या छाती में जलन होना।

अनेक बार एसिडिटी की वजह से सीने में दर्द और मुंह में खट्टा पानी आता है। जब यह परेशानी बार-बार होती है तो बडी समस्या का रूप धारण कर लेती है। रात्रि में सोते समय इस तरह की शिकायत ज्यादा होती है। कई बार एसिड भोजन नली से सांस की नली में भी पहुंच जाता है, जिसके कारण रोगी को दमा या खांसी की हो सकती है। कभी-कभी मुंह में खट्टे पानी के साथ खून भी आ सकता है।

तीखा भोजन, मानसिक तनाव लेने के कारण भी हमारे शरीर में पित्त बढ़ता है। इसके अलावा खट्टी चीजें, गर्म तासीर, सिरके से बनी चीजों का अधिक सेवन करने वाले लोगों के शरीर में पित्त बढ़ जाता है।

पित्त दोष (Pitta Dosha) वाले लोगों को पेट में एसिडिटी और कब्ज (Acidity and Constipation ) की समस्या बनी रहती है. पित्त दोष होने पर खाना अच्छी तरह से पाचन नहीं हो पाता है. स्वस्थ रहने के लिए शरीर में पित्त का संतुलन होना जरूरी है. ऐसे लोगों को खाने में ठंडी और मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए

#एसिडिटी होने पर क्या करें उपाय?

- 1ग्राम मुलहठी को 1 लीटर पानी डालकर गर्म करके पिलाने से वमन होगी जिससे शीध्र ही आराम मिल जाता है।

- अम्लपित्त रोग में मृदु विरेचन  देना चाहिए। इसके लिये 

-त्रिफला का प्रयोग या 

- दूध के साथ गुलकंद का प्रयोग या

- दूध में मुनक्का उबालकर सेवन करना चाहिए। 

- मानसिक तनाव कम करने हेतु योग, आसन एवं औषध का प्रयोग करें। 

- अम्लपित्त रोगी को मिश्री, आँवला, गुलकंद, मुनक्का आदि मधुर द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।

#आयुर्वेदिक औषधियां-

- अविपत्तिकर चूर्ण
- सुतशेखर रस 
- लधूसुतशेखर रस
- नारियल खण्ड

आयुर्वेदिक चमत्कारिक औषधि

- बडी हरड ,शहद या गुड 6-6 ग्राम खाने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।
- सुखा घनिया ,सौठ 10 - 10 ग्राम ,400 ग्राम पानी मे पका कर 100 ग्राम शेष रहने पर  शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।


#एसिडिटी में कौन सा फल खाना चाहिए?

*केला- कैल्शियम, फाइबर रिच केला गैस तेजाब से राहत पाने में काफी फायदेमंद होता है

*तरबूज खाने से भी अम्लपित्त मे शान्ति मिलती है।

*कीवी भी लाभदायक है।

*अंजीर,खीरा,स्ट्रॉबेरी खट्टे डकार जलन मे आराम देते है।

क्या न खायें?



परहेज़:-

- दिन मे सोना, रात मे जागना रोगों को बढाता है।

- आचार या बहुत ज्यादा नमक और सिरके वाली चीजें न खाये.

 - टमाटर का रस या चटनी खाना भी आपकी परेशानी बढ़ा सकता है.

 - मिर्च मसाले न खायें।

 - नशा, शराब आदि पीने से अम्लपित्त बढ जाता है।

धन्यवाद!