Guru Ayurveda

शनिवार, 21 जनवरी 2023

आयुर्वेद क्यों विचित्र है||Fact of ayurveda.inhindi

 आयुर्वेद क्यों विचित्र है||Fact of ayurveda.inhindi.



आयुर्वेद की खुबियां:-

Fact no 1.

- आयुर्वेद पश्चिमी चिकित्सा के विपरीत,आयुर्वेद चिकित्सा और दवाएं दुष्प्रभाव से मुक्त हैं।  - पश्चिमी चिकित्सा प्रणाली की  रासायनिक ओवरडोज होने से,

या हमारे शरीर में बेमेल होने के कारण विपरीत दुष्प्रभाव होते हैं।  

आयुर्वेद प्रणाली की दवाएं  रसायन मुक्त  होती हैं  जड़ी बूटियों की प्रकृति जंतुओं की प्रकृति  मेल खाने से  प्राकृतिक पूरक होती हैं।पंचमहाभूत से बनी जडीबुटी पंचमहाभूतों से पुर्ण शरीर के अनुकूल होती है.

पंचमहाभूतों से ही श्रृष्टि का निर्माण हुआ है।

Fact no 2.

#आयुर्वेद के 5  महाभूत सिद्धांत क्या हैं? 

आयुर्वेद का मानना है कि संपूर्ण ब्रह्मांड पांच तत्वों से बना है: Vayu (वायु), जल water (पानी), खालित्व,आकाश (अंतरिक्ष या ईथर), पृथ्वी Earth (पृथ्वी) और तेज,अग्नि (आग)। 

- पंचमहाभूतों से दोषों (वात,पित्त, कफ) की उत्पत्ति

1.  वायु महाभूत से शरीरगत वात दोष की उत्पति होती है,

2. अग्नि महाभूत से पित्त दोष की उत्पत्ति होती है,

3. जल तथा पृथ्वी महाभूतों के मिलने से कफ दोष की उत्पति होती है।

* शरीर मे रस,रक्त,मांस, मेद,अस्थि, मज्जा और शुक्र आदि धातु से निर्मित होता है एवं मल (मल,मूत्र, स्वेद आदि)शरीर को स्तंभ की तरह थामे हुये हैं।

- दोष, धातु, मल प्राकृतिक रूप से उचित रहकर ही शरीर को धारण करते है।

- शरीर की क्षय, वृद्धि, शरीरगत् अवयवो द्रव्यों की विकृति, आरोग्यता-रुग्णता, इन दोष धातु मलों पर ही आधारित है

 यद्यपि शरीर के लिए दोष, धातु, मल तीनों प्रधान द्रव्य है फिर भी शारीरिक क्रिया के लिए वातादि दोषों के अधिक क्रियाशील होने से शरीर में दोषो की प्रधानता रहती है।

“रोगस्तु दोषवैषम्यं दोषसाम्यमरोगता"

(दोषों की विषमता ही रोग है और दोषों का साम्य आरोग्य है।)

तीनों दोषों में सर्वप्रथम वात दोष ही विरूद्ध आहार-विहार से प्रकुपित होता है यह वात अन्य दोष एवं धातु को दूषित कर रोग पैदा करता है। वात दोष प्राकृतिक रूप से प्राणियों का “प्राण" माना जाता है। 

आयुर्वेद चिकित्सा में जिस जिस धातु दोष आदि की कमी या अधिकता होने पर जो रोग उत्पन्न होते है दोष,धातु के अनुसार जडीबुटी के पंचमहाभूतों को देखकर रोगों की औषधि निर्माण की व्यवस्था की गई है।शरीर के अनुकूल औषधि होने के कारण इनका कोई दूष्यप्रभाव नही होता है।

डा०वीरेंद्र मढान,

सोमवार, 16 जनवरी 2023

नींबू फल क्या है|नींबू के गुण और उपयोग क्या है In hindi.


#नींबू फल क्या है|नींबू के गुण और उपयोग क्या है In hindi.



By :-

Dr.VirenderMadhan

</>Nimbu नीबूं .

नींबू एक रसीला फल है जो आता तो फल की श्रेणी में है 
- नींबू का स्वाद खट्टा होता है
- यह उष्ण वीर्य होता है।लघू होता है।
- नींबू के रस से किसी भी सब्जी का स्वाद और ज्यादा बढ़ जाता है। 
- यह फल  स्वादिष्ट होने के साथ -साथ  विटामिन सी से भरपूर भी है। 

#नींबू के आयुर्वेदिक गुण व प्रयोग.

* वक्रशोधि:-

– नींबू के रस का प्रयोग जब कुल्ला करने के मे प्रयोग करते है तो मुंह की शुद्धि करता है जीभ साफ होती है   सांसों की दुर्गंध दूर होती है.

* रोचना:-

- नींबू मे पाचन शक्ति बढाने की शक्ति होती है।

* दंतहर्षन:-

 – स्वाद में खट्टा होने के कारण यह दांतों में झुनझुनी अनुभव होती है।

* तृष्णा निवारण:-

- नींबू का रस
 प्यास से राहत दिलाता है।तरावट देता है।

*शुला निवारण :- 

नीबूं पेट के शूल दर्द मे लाभदायक है। जिसका उपयोग गैस के दर्द और कुपच के कारण होने वाले पेट दर्द के लिए किया जाता है। 
पाचनतंत्र सम्बंधित आयुर्वेदिक औषधियों मे नींबू का बहुत प्रयोग किया जाता है 
जैसे:- लशुनादि वटी का यह एक घटक है।

*कासा निवारण :- 

खांसी दूर करने के लिए नींबू का प्रयोग किया जाता है। 

* कफोत्क्लेश, छर्दि निवारण:-  

पेट में कफ का अत्यधिक संचय होने पर नींबू लेने से लाभ मिलता है, उदर मे कफ के कारण जब उल्टी होती है।  जी मिचलाना, ज्यादा लार आती है तो नींबू के रस का सेवन किया जाता है।

*आमदोषहर :– 

नींबू अपच और कुअवशोषण के उत्पादन आम को पचा देता है।

*हृत्पीड़ा: – 

जठरशोथ के कारण छाती में होने वाले दर्द मेआराम देता है।

*वहनिमंद्याहर: - 

यह पाचन को बढाता है। इसलिए, यह अपच के लिए कई आयुर्वेदिक औषधियों में नीबूं एक घटक है जैसे - हिंग्वादिचूर्ण ।

#नींबू के घरेलू उपयोग:-

 1-  एक नींबू का रस व एक चम्मच शहद एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है और बढा हुआ फैट घटने लगता है।
2-  एक नींबू एक गिलास  पानी में निचोड़कर रात को सोते समय पीने से पेट साफ़ हो जाता है। 
3- नींबू के रस के पीने से पेट के कीडे मर जाते है।
4- चेहरे पर नींबू के रस और जैतून का तेल मिलाकर  मलने से चेहरे के धब्बे,मुहांसे तथा झाईयां नष्ट होती हैं। 
5- खांसी-जुक़ाम से परेशान होने पर आधे नींबू के रस को दो चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से ठीक हो जाता है 
 6-  आधा कप गाजर के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर में खून की कमी मे लाभ मिलता है।
7-  उल्टी के रोग तथा हैजा होने पर नींबू का पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए, इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।

Guru Ayurveda Faridabad.

शनिवार, 14 जनवरी 2023

चना और गुड़ एक साथ खाने से क्या होता है?In hindi.


 चना और गुड़ एक साथ खाने से क्या होता है?In hindi.

-अगर हम रोजाना गुड़ और चने का साथ में सेवन करते है तो इम्यूनिटी को मजबूत बनती है. गुड़ और चने का सेवन करने से पेट कई रोगों से बचा जा सकता है. 

गुड़ और भुने चने में फाइबर  होते है जिसके कारण पाचन तंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है.

 खून की कमी है तो आप गुड़ और चने का सेवन कर सकते हैं इससें खून की पूर्ति हो जाती है।

# कैसे गुड़ चना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?  

भुना चना और गुड़ खाने के फायदे- Bhuna Chana Aur Gud Khane Ke Fayde.

-पिलिया की शिकायत दूर होती है  

- शरीर की हड्डियां  मजबूत होती है।

- गुड और भुना चना खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है.

-पेट को ठीक रखने मे लिए भी लाभदायक होता है।

- शरीर के वजन मे बृद्धि होती है.

- शरीर में शक्ति बनी रहती है यानि चना और गुड बलबर्द्धक होता है.

#गुड़ और चना खाने के क्या नुकसान होते है?

- चना खाते ही अगर खुजली होने लगे, 

-उल्टी या फिर एलर्जी की समस्या है तो आपको भी इसे खाने से बचना चाहिए।  

- कफज रोगों से परेशान व्यक्ति को गुड चना नही खाना चाहिए।

-शुगर के रोगी को, मोटे व्यक्ति को, त्वचा रोगी को गुडचना खाने से बचना चाहिए.

-अगर अपना वजन कम करना चाहते हैं या 

- आप अपना मोटापा कम करना चाहते हैं तो आपको गुड और चने का सेवन नहीं करना.

By:-

Dr.Virender Madhan

गुरुवार, 12 जनवरी 2023

सर्दियों में सभी रोगों से कैसे दूर रहें?हिंदी में.


 सर्दियों में सभी रोगों से कैसे दूर रहें?हिंदी में.

How to stay away from all diseases in winter? In Hindi.

Dr.Virender Madhan.

मुख्य सिद्धांत:-

–सर्दियों में सभी रोगों से दूर रहने के लिये वात-पित्त और कफ का समान होना जरूर है

–पाचन क्रिया का ठीक होना जरुरी है।

–जीवनशैली ठीक होनी चाहिये।

–पौष्टिक आहार होना चाहिए।

</>कैसे करें वात,पित्त कफ का संतुलन?

How to balance Vata, Pitta Kapha?

>इन्हें ठीक रखने के लिए आयुर्वेदिक रसायनोंका सेवन करना चाहिए।यहां कुछ रसायन फलो का वर्णन करना आवश्यक है जिन्हें हम अमृतफल कहते है

1–आँवला:-

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>आँवला सर्दियों में आराम से मिल जाता है यह लवण रस को छोड़ कर पाँच सभी रसो से युक्त होता है।(मधुर, अम्ल, कटू, तिक्त,कषाय।)यह 5 रस इसमे होते है।

इसमें विटामिन सी, एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन, ऐन्थो साइनिन, फ्लैवोनोइड्स और पोटेशियम होता है जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं. 

#आँवला खाने से क्या लाभ होता है?

What is the benefit of eating Amla?

*सर्दियों में इसका सेवन बहुत ज्यादा लाभकारी होता है. - खाली पेट आंवला खाने से शरीर अच्छे ढंग से डिटॉक्स हो जाता है.

– मेटाबॉलिज्म और इम्यून को बूस्ट करता है.

–कच्चा आंवला खाने से आपका इम्यूनिटी सिस्टम और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। – खाली पेट में कच्चा आंवला खाने से आपकी आंखों की रोशनी और बालों में चमक आती है। 

– कब्ज और दस्त से भी आराम मिलता है।

2– बहेडा Terminalia bellirica

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बहेड़ा मे भी लवण छोड़ कर अन्य पाँच रस होने है।इसे भी अमृतफलो मे गिनते है।

बिभीतकी में कई एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जैसे कि एलेजिक एसिड, टैनिन, लिग्नन्स और फ्लेवोन। यौगिक रक्त शर्करा के स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है।

#बहेड़ा खाने से क्या लाभ मिलता है?

What is the benefit of eating Beheda?

>बहेड़ा भूख, प्यास, सूजन और पेट फूलने की कमी को प्रबंधित करने में मदद करता है।

 यह इसकी उष्ण (गर्म) शक्ति के कारण है। बहेड़ा पाचक अग्नि (पाचन अग्नि) को बढ़ाता है जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है। 

― यह अपने रेचन (रेचक) प्रकृति के कारण कब्ज को प्रबंधित करने में भी मदद करता है।

– बहेड़ा का उपयोग गैस्ट्रिक, अल्सर और गैस्ट्राइटिस से निजात पाने के लिए किया जाता है। 

– इसका हाइड्रोक्लोरिक अर्क एसिडिटी को कम करने में मदद करता है, 

– बहेड़ा कीड़ों को मारने वाली औषधि है।

– बहेड़े के फल की मींगी मोतियाबिन्द को दूर करती है। –इसकी छाल खून की कमी, पीलिया और सफेद कुष्ठ में लाभदायक है। 

–इसके बीज कड़वे, नशा लाने वाले, अत्यधिक प्यास, उल्टी, तथा दमा रोग का नाश करने वाले हैं।

3–हरीतकी (हरड)

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*हरीतकी (वानस्पतिक नाम:Terminalia chebula) एक ऊँचा वृक्ष होता है  हिन्दी में इसे 'हरड़' और 'हर्रे' भी कहते हैं। 

आयुर्वेद मे इसे अमृता, प्राणदा, कायस्था, विजया, मेध्या आदि नामों से जाना जाता है।

हरड भी 5 रसो से युक्त होता है ।हरड़ का इस्तेमाल बुखार, पेट फूलना, उल्टी, पेट गैस और बवासीर जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में किया जाता है.

यह एक रसायन है।

–यह पेट की गैस को खत्म करने में मदद करता है। –Terminalia chebula के पाचक और क्षुधावर्धक गुण पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करते हैं।

–कब्ज के लिए रामबाण है हरड़ जिन लोगों को कब्ज है उनके लिए भी हरड़ का इस्तेमाल करना काफी लाभदायक साबित हो सकता है।

– त्वचा संबंधी रोगों का इलाज-

 त्वचा संबंधी रोगों का इलाज करने में भी हरड़ का इस्तेमाल काफी लाभदायक होता है। 

–डायबिटीज के रोगियों को राहत मिलती है।

–एक कप गर्म पानी में 1-3 ग्राम हरड़ का सेवन आपको पाचन संबंधी परेशानियों में राहत दिलाता है।

 –हरड़ का सेवन उल्टी में भी आराम दिला सकता है। 

#ऋतु अनुसार हरीतकी का प्रयोग :-

Use of greenery according to season: -

>हरीतकी एक प्रभावी औषधि भी है| इसके गुणों का लाभ लेने के लिए सभी ऋतुओं में ही इसका सेवन करना चाहिए।

>हरड खाने की सब ऋतुओं मे सेवन विधि अलग अलग है

–वर्षा ऋतु में सेंधा नमक के साथ।

–शरद ऋतु में शकर के साथ।

–हेमंत ऋतु में सोंठ के साथ।

–शिशिर ऋतु में पीपल के साथ।

–वसंत ऋतु में शहद के साथ।


#उपरोक्त तीनों फलों को मिलाकर बनाये महारसायन.

त्रिफला

हरड,बेहडा और आँवला को मिलाकर जो योग बनता है उसे हमारे ऋषियों ने त्रिफला नाम दिया है।

त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें आमलकी, बिभीतक और हरीतकी के बीज निकाल कर 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"

आजकल अधिकतर लोग तीनो की समान मात्रा मे प्रयोग करते हैं।

#त्रिफला क्या करता है?

–कब्ज़ दूर करने में सहायक

–पेट में गैस की समस्या –(एसिडिटी) से राहत

–आंखों के लिए फायदेमंद

–वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक

–पाचन शक्ति बढ़ाता है

–बालों का झड़ना रोकता है

–भूख बढ़ाता है

–मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी

–इम्यूनिटी बढाता है

 त्रिफला का चूर्ण का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है और शरीर में कोई बीमारी भी नहीं लगती। 

–त्वचा के लिए फायदेमंद 

–यह रक्त शर्करा के स्तर,  –त्रिफला में जीवाणुरोधी, इम्यूनोमॉड्यूलेटर, एंटीऑक्सिडेंट, रक्त शुद्ध करने और घाव भरने के गुण होते हैं।

–त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है. 

#त्रिफला किस तरह मे खा सकते है?

चूर्ण बनाकर 1-1चम्मच दिन मे दो बार खा सकते है

सवेरे पानी से, रात मे दुध के साथ ।

चाय (काढा):-

काढा बनाकर 20 मि०लि० –40  मि०लि०।

गुरुआयुर्वेद

रविवार, 8 जनवरी 2023

अलसीके बीज खाने से क्या होता है?हिन्दी में.

 अलसीके बीज खाने से क्या होता है?हिन्दी में.

#अलसी क्या है?

What is linseed?



नाम:-

अतसी,नीलपुष्पी, क्षुमा,तीसी,अलसी,फ्लैक्स flax , Linseed कहते है।

–अलसी या तीसी समशीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है। रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैं। इसके बीज से तेल निकाला जाता है और तेल का प्रयोग वार्निश, रंग, साबुन, रोगन, पेन्ट तैयार करने में किया जाता है। 

आयुर्वेदिक गुण:-

गुण–

गुरु यानि भारी, स्निग्ध यानि चिकने,पिच्छल होते हैं.

#अलसी कौन सी बीमारी में काम आती है?

–वात विकारों में काम आता है

–व्रणशोथ पर इसकी पुल्टिस बनाकर बांधते है.

–फुफ्फुस शोथ,व पार्श्वशूल मे इसका लेप करते हैं।

– इसका तैल वातरोगों मे,चर्मरोगों मे अभ्यंग करने के काम आता है.

–कमजोरी मे भी इसके तैल से मालिस करते है।

–अतिसार, ग्रहणी रोग में अलसी को भुन कर खाते हैं।

–विबन्ध Constipation,अर्श(बवासीर)अनाह (अफारा) मे इसके तैल को 5 एम एल की मात्रा में पीलाते है.

–हृदयरोगियों को इसक पुष्प खिलाते हैं।

–कामोत्तेजक के रुप मे इसके बीजों का प्रयोग करते हैं।

#आधुनिक विज्ञान के अनुसार अलसी के बीज के गुण:-

–अलसी में मौजूद फैटी एसिड स्किन को सॉफ्ट बनाए रखने में भी मदद करते हैं। 

– यह बालों के झड़ने, एक्जिमा और रूसी को रोकने में भी मददगार साबित होते हैं। – कैंसर से बचा सकता है-  अलसी में मौजूद कंपाउंड ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और पेट के कैंसर से बचा सकता हैं।

–अलसी का नियमति सेवन करने से आप पाचन शक्ति को बढ़ा सकते हैं.

–हृदय रोग कम करने में मददगार है.

–बेड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में हेल्पफुल अलसी के बीज से बेड कोलेस्ट्रॉल में मददगार होते है. 

–पाचन शक्ति बेहतर होती है –अलसी का नियमति सेवन करने से आप पाचन शक्ति को बढ़ा सकते हैं. 

–त्वचा के लिए फायदेमंद

इसमें प्रोटीन और ओमेगा-3, होता है, बढ़े हुए Cholesterol और Blood Sugar को एक साथ कम करती है।

#अलसी खाने का सही समय (alsi ke beej kab khaye)

अलसी का सेवन सुबह खाली पेट किया जा सकता है. ऐसे में आप सुबह उठकर खाली पेट गर्म पानी के साथ अलसी के पाउडर का सेवन कर सकते हैं.

मात्रा:-

इसे एक दिन में 1चम्मच से अधिक नही खाना चाहिए।

यानि बीज चूर्ण 3-6 ग्राम,

तैल-5 ML

पुष्प कल्क:-3-6 ग्राम.

Dr.VirenderMadhan

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

यूरिक एसिड क्या है ?हिंदी में.

Uric acid, यूरिक एसिड क्या है ?हिंदी में.



#what is uric acid?

Dr.VirenderMahan.

यूरिक एसिड शरीर में पैदा होने वाला कचरा है। यह खाद्य पदार्थों के पाचन से उत्पन्न होता है और इसमें प्यूरिन होता है। जब शरीर में प्यूरिन टूटता है तो उससे यूरिक एसिड निकलता है। हमारे शरीर में किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर करती है और फिर पेशाब के जरिए उसे शरीर से बाहर निकाल देती है।

- यूरिक एसिड बढ़ जाने पर जोड़ों में असहनीय दर्द होता है और उठने-बैठने में परेशानी होती है।

 -इसमें व्यक्ति ज्यादा जल्दी थकान भी महसूस करने लगता है।

 -हाथ-पैर की उंगलियों में सूजन आ जाती है और भयंकर दर्द होता है।

 -यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने पर इसको नियंत्रित करने के लिए आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

#यूरिक एसिड के लक्षण:- 

Symptoms of uric acid:-

*जोड़ों में दर्द होना।

*उठने-बैठने में परेशानी होना।

*उंगलियों में सूजन आ जाना

*जोड़ों में गांठ की शिकायत होना

*इसके अलावा पैरों और हाथों की उंगलियों में चुभन वाला दर्द होता है जो कई बार असहनीय हो जाता है। इसमें आदमी ज्यादा जल्दी थक भी जाता है। 

#यूरिक एसिड बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?

What is the main reason for increasing uric acid?

किसी के भी शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा तब बढ़ती है जब आपकी किडनी यूरिक एसिड को खत्म नहीं कर पाते. 

– जीवनशैली खराब होने से,

–अधारणीय वेगो (मल-मूत्र रोकना)को रोकने से,

– अधिक वजन होना, –डायबिटीज होना,

– अधिक मेडिकेशन,

– अधिक शराब पीना वाले लोगों की किडनी यूरिक एसिड को खत्म नहीं कर पाती और इस कारण उनके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ती जाती है.

#यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा:-

Ayurvedic medicine for uric acid:-

इसके लिए इन 7 आयुर्वेदिक जड़ी-

1- पुनर्नवा काढ़ा- 

इस जड़ी-बूटी में जोड़ों में सूजन को कम करने के औषधीय गुण हैं। 

2-  वरूण चूर्ण- 

वरूण चूर्ण का लेप यूरिक एसिड के कारण होने वाले दर्द वाले जोड़ पर लगाया जाता है। 

3-  काली किशमिश- 

इका प्रयोग यूरिक एसिड मे लाभदायक होता है।

4- गुडुची- 

गुडुची का काढा बनाकर पीने से यूरिक एसिड कम होता है।

5-  मुस्ता- 

मोथे के प्रयोग से सूजन कम होती है और यूरिक एसिड कम होता है।

6-  गुग्गुल - 

शुद्ध गुग्गुल या गुग्गुल की गोली  कुछ दिन खाने से जोडदर्द ,सुजन ठीक होते है।

7-  शुंठी और हल्दी पाउडर-

सौठ,हल्दी का मिश्रण खाने से जोडदर्द ,व यूरिक एसिड कम होता है

#यूरिक एसिड का घरेलू उपाय?

Home remedy for uric acid?

- खूब पानी पिएं 

 अगर आप ज्यादा से ज्यादा पानी पिएंगे तो इससे यूरिक एसिड के शरीर से बाहर निकलने की संभावना बढ़ जाएगी. इससे यह आपकी बॉडी में जमा नहीं हो पाएगा.  

- सोडा, कोल्ड ड्रिंक्स, स्पोर्ट्स ड्रिंक्स अन्य ड्रिंक्स का सेवन करने से बचना चाहिए. 

- हेल्दी लिक्विड ले सकते हैं.

जैसे संतरा और नींबू–

 संतरा, आंवला और नींबू को जरूर शामिल करें। रोजाना इनका सेवन करने से बहुत जल्द और आसानी से यूरिक एसिड लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। खट्टे फलों में विटामिन सी की अच्छी-खासी मात्रा मौजूद होती है इसके अलावा इनमें विटामिन सी भी पाया जाता है।

- लहसुन बढ़े हुए यूरिक एसिड की समस्या से निजात दिलाने में कारगर साबित होता है। यदि रोजाना 3-4 लहसुन की कलियों का खाली पेट सेवन किया जाए तो यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर से छुटकारा पाया जा सकता है। 

– यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में लौकी का जूस (Bottle gourd Juice) काफी मददगार माना जाता है. तो अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो आप घर पर आसानी से लौकी का जूस बना कर इसे कंट्रोल कर सकते हैं.

– ग्रीन टी ले सकते है

-–अदरक वाली ग्रीन टी पीने से दर्द व यूरिक एसिड कम होने मे सहायक हो सकती है।

डा०वीरेंद्र मढान,

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

विरुद्ध आहार किसे कहते है?In hindi


 #विरुद्ध आहार किसे कहते है?In hindi.

By:- Dr.VirenderMadhan.

 अघिकतर लोग ये बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते कि किस चीज के साथ क्या नहीं खाना चाहिए। बहुत से खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो एक साथ नही खा सकते है।जिनका मेल सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।  आयुर्वेद में खानपान को लेकर कई नियम बताए गये हैं जिसमें से विरूद्ध आहार का नियम प्रमुख है।

#विरूद्ध आहार  Viruddha Aahar:-

 किन खाद्य पदार्थों को साथ में क्या नहीं खाना चाहिए। इस लेख में हम आपको विरुद्ध आहार के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

#विरूद्ध आहार किसे कहते है ?

Who says the diet against:-

कुछ पदार्थ बहुत गुणकारी और स्वास्थ्य-वर्धक होते हैं, लेकिन जब इन्हीं पदार्थों को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए तो ये फायदे की बजाय नुकसान पहुँचाते हैं। ये ही विरुद्धाहार कहलाते हैं। विरुद्ध आहार का सेवन करने से कई तरह के रोग होने का खतरा रहता है। क्योंकि ये रस, रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हैं, दोषों को बढ़ाते हैं तथा मलों को शरीर से बाहर नहीं निकालते।

कई बार आपको कुछ गंभीर रोगों के कारण समझ नहीं आते हैं, असल में उनका कारण विरुद्धाहार होता है। क्योंकि आयुर्वेद में कहा है कि इस प्रकार के विरुद्ध आहार का लगातार सेवन करते रहने से ये शरीर पर धीरे-धीरे दुष्प्रभाव डालते हैं और धातुओं को दूषित करते रहते हैं। अतः विरुद्धाहार कई तरह के रोगों का कारण बनता है। ये विरुद्धाहार अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-

1- देश की दृष्टि से 

विरुद्धाहार :  जैसे- नमी-प्रधान स्थानों में नमी वाले, चिकनाई युक्त, ठंडी गुण वाली चीजों का सेवन करना मना होता है।

2- मौसम की दृष्टि से 

विरुद्धाहार- जैसे- जाड़ों में ठंडी व रुखी चीजें खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है।

3- पाचक-अग्नि की दृष्टि से :

जैसे- मन्द अग्नि वाले व्यक्ति को भारी, चिकनाई युक्त, ठण्डे और मधुर रस वाले या मिठास युक्त भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

4- मात्रा की दृष्टि से:-

 जैसे- शहद और घी का समान मात्रा में सेवन करना विष के समान है, परन्तु अलग अलग मात्रा में सेवन करना अमृत माना गया है।

5- दोषों की दृष्टि से:- 

जैसे- वात-प्रकृति वाले लोगों को वात बढ़ाने वाले पदार्थ और कफ-प्रकृति वाले लोगों को  कफ-वर्द्धक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

6- संस्कार या पाक की दृष्टि से:-

 जैसे- खट्टे पदार्थों को ताँबे या पीतल के बर्तन में पका कर खाना।

7-  वीर्य की दृष्टि से :-

  शीतवीर्य पदार्थों को उष्ण वीर्य पदार्थों के साथ खाना, जैसे – शीतवीर्य संतरा, मौसम्मी, अनानास आदि को दही अथवा लस्सी के साथ सेवन  करना।

8-  पाचन के आधार पर :- 

कुछ लोगों का पाचन तंत्र बहुत ख़राब होता है जिसकी वजह से वे बहुत कठोर मल का त्याग करते हैं। आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज़ से पीड़ित हैं और उन्हें मलत्याग करने में कठिनाई होती है। ऐसे लोगों को कब्ज़ बढ़ाने वाले, वात और कफ बढ़ाने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा ऐसे लोग जिन्हें मलत्याग करने में बिल्कुल भी कठिनाई नहीं होती है। जिनके मल विसर्जन की क्रिया द्रव्य रूप में होती है। उन्हें सर व रेचक द्रव्यों का सेवन नहीं करना चाहिए।  

10- शारीरिक अवस्था की दृष्टि से:- 

जैसे- अधिक चर्बी वाले अर्थात् मोटे व्यक्तियों द्वारा चिकनाई युक्त पदार्थों (घी, मक्खन, तेल आदि) का सेवन तथा कमजोर मनुष्यों द्वारा रूक्ष और हल्के (लघु) पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

12- निषेध की दृष्टि से:- 

कुछ विशेष पदार्थों के सेवन के बाद उनके कुप्रभाव से बचने के लिए किसी अन्य विशेष पदार्थ का सेवन अवश्य करना चाहिए या उसके बाद किसी पदार्थ का सेवन एकदम नहीं करना चाहिए।  इस नियम का उल्लंघन करना निषेध की दृष्टि से विरुद्धाहार है। जैसे- घी के बाद ठण्डे जल आदि पदार्थों का सेवन करना, जबकि घी के बाद गर्म जल या गर्म पेय लेने का नियम है। गेहूँ व जौ से बने गर्म भोजन के साथ ठण्डा पानी पीना, भोजन के पश्चात् व्यायाम करना, इत्यादि।


14 – संयोग की दृष्टि से:- 

कुछ पदार्थों को एक-साथ या आपस में मिला कर खाना संयोग की दृष्टि से विरुद्धाहार है, जैसे खट्टे पदार्थों को दूध के साथ खाना, दूध के साथ तरबूज व खरबूजा खाना, दूध के साथ लवण युक्त पदार्थों का सेवन करना।

15- रुचि की दृष्टि से:- 

अच्छे न लगने वाले भोजन को विवशता से तथा रुचिकर भोजन को भी अरुचि से खाना।

#किन चीजों के साथ क्या नहीं खाना चाहिए? (Food Combinations to Avoid) : 

 * दूध के साथ :-

 दही, नमक, मूली, मूली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, नींबू, करौंदा,जामुन, अनार, आँवला, गुड़, तिलकुट,उड़द, सत्तू, तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई, मछली आदि चीजें ना खाएं।

Milk and Fish

*दही के साथ :-

  खीर, दूध, पनीर, गर्म पदार्थ, व गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा आदि ना खाएं।

Curd and Cucumber


*खीर के साथ :-

  कटहल, खटाई (दही, नींबू, आदि), सत्तू, शराब आदि ना खाएं।

शहद के साथ:-

 घी (समान मात्रा में पुराना घी), वर्षा का जल, तेल, वसा, अंगूर, कमल का बीज, मूली, ज्यादा गर्म जल, गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ, शार्कर (शर्करा से बना शरबत) आदि चीजं ना खाएं। शहद को गर्म करके सेवन करना भी हानिकारक है।

 *ठंडे जल के साथ:- 

घी, तेल, गर्म दूध या गर्म पदार्थ, तरबूज, अमरूद, खीरा, ककड़ी, मूंगफली, चिलगोजा आदि चीजें ना खाएं।

 * गर्म जल या गर्म पेय के साथ:- 

शहद, कुल्फी, आइसक्रीम व अन्य शीतल पदार्थ का सेवन ना करें।

 *घी के साथ:– 

समान मात्रा में शहद, ठंडे पानी का सेवन ना करें।

 *खरबूजा के साथ:- 

लहसुन, दही, दूध, मूली के पत्ते, पानी आदि का सेवन ना करें.

 * तरबूज के साथ:–  ठण्डा पानी, पुदीना आदि विरुद्ध हैं।

डा०वीरेंद्र मढान,