Guru Ayurveda

शनिवार, 28 जनवरी 2023

क्या हमें कच्ची सब्जियों खाना चाहिए?हिंदी में.

 क्या हमें कच्ची सब्जियों खाना चाहिए?हिंदी में.

<>kya hamen kachchee sabjiyon khaana chaahie? In hindi.

#Should we eat raw vegetables? In Hindi.



[कच्ची सब्जीKachi Sabji]:-

Dr.VirenderMadhan.

अगर हम कच्ची सब्जियाँ खाते हैं तो कच्ची सब्जियों में भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स मिलते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए,स्किन के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। 

कच्ची सब्जियां से आपको  स्वास्थ्य के लिए जरूरी अधिकांश एंजाइम, विटामिन और खनिज भी मिल जाते हैं । 

#कच्ची सब्जी खाने से ओर क्या क्या लाभ होते है?

>What are the other benefits of eating raw vegetables?

– कच्ची सब्जी खाने से वजन नही बढता है। मोटापे मे भी लाभप्रद है।

– कच्ची सब्जी खाने से एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण डायबिटीज, कैंसर, पार्किंसन जैसे रोगों के होने का खतरा बहुत कम हो जाता है।

– कच्ची सब्जी खाने से शरीर को अधिक एनर्जी मिलती है।

– कच्ची सब्जी खाने से पाचनशक्ति बढती है।

– त्वचा स्वस्थ होती है।

– कच्ची सब्जी खाने से हृदय रोग होने की सम्भावना घट जाती है।

#कौन सी कच्ची सब्जीयाँ खाई जा सकती है?

#Which vegetables can be eaten raw?

खीरा, टमाटर, गाजर,शलजम, मूली, पालक, चुकंदर, प्याज, कुंदरू आदि सब्जियों का कच्चे रूप में सेवन किया जा सकता है।

#कौन सी सब्जियां कच्ची नहीं खानी चाहिए?

–Which vegetables should not be eaten raw?

-आलू, पालक, मशरूम,

बिन्स, ग्वारफली, राजमा,

गोभी, ब्रोकली और पत्ता गोभी,बैंगन आदि को कच्चा नहीं खाना चाहिए।

अन्यथा हो सकती है कोई न कोई परेशानी।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

क्या होगा अगर आदमी दूबघास खायें?In hindi.

 क्या होगा अगर आदमी दूबघास खायें?In hindi.



Dr Virender Madhan.

Dube ghass|दूब घास.

- दुब घास दुसरी घासों से अधिक लंबी होती हैं. यह घास हरी और जमीन से पसरने वाली घास हैं. यह घास पुरे वर्ष पाई जाती हैं.

दूर्वा (दूब)घास साधारण जगहो पर कही भी उग जाती है जो बहुधा जमीन से लगभग 6 इंच तक होती है इसका देव पूजा में उपयोग होता है और पशु इसे बडे चाव से खाते हैं।

 इस घास के पौधे का उपयोग उपचार और औषधि के रूप में किया जाता है। 

- यह स्वाद में कड़वी होती है और यह अपनी मंद-मंद खुशबू के लिए मशहूर है। दस्त, मुंहासे, दमा, शुगर, खुजली, गंजापन आदि जैसी बीमारियों में दूधी घास का इस्तेमाल किया जाता है।

# दूब घास के फायदे – 

–––––––––

दस्त :-

 दस्त से परेशान लोगों के लिए दूब घास के लाभ हो सकते हैं। 

–मधुमेह के लिए :-

दूब घास में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, यह शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।

–प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए:-

दूब घास शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सहायक हो सकते हैं।  एक शोध के अनुसार, दूब घास के अर्क में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव होता है। यह प्रभाव इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकता है

–पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) :-

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) होने पर महिलाओं में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन का स्तर बढ़ने से महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म, बांझपन और मुंहासे की समस्याएं हो जाती हैं।

- मुंह के रोग:-

मुहं के रोगों में दूब चबाने से लाभ मिलता है।

- रक्तविकार:-

रक्त साफ करने के लिए दूब का रस या काढा पीते हैं त्वचा पर लेप करते है।

– हृदय के लिए:-

दूब घास के प्रयोग से हृदय स्वस्थ रहता है।

– उदर रोग मे:-

दूब पेट और लीवर संबंधी रोगों के लिए लाभप्रद होती है.

-अनिद्रा रोग:-

 दूब के प्रयोग से अनिद्रा मे आराम मिलता है. 

– त्‍वचा विकार:-

त्वचा विकारों जैसे कील, मुहाँसे, झाईयां मे इसका लेप लगाने से त्वचारोग ठीक हो जाता है और त्वचा का रंग साफ होता है।

#दूब घास का प्रयोग कैसे करें?

दूबघास का प्रयोग आप 

स्वरस,काढा,चूर्ण और लेप के रुप मे कर सकते है।जैसे– 

नासारक्तस्राव मे दूब और अनार का जूस मिलाकर नाक मे कुछ बुंदे डालने से आराम मिलता है।

 – दूबधास के रस को धाव पर लगाने से बहता हुआ खुन बन्द हो जाता है।

- दूब घास के लेप को माथे पर लगाने से सिरदर्द कम होता है।

धन्यवाद!


गुरुवार, 26 जनवरी 2023

किशमिश क्या है खास गुण और किस काम आते हैं? In hindi.

 किशमिश क्या है और किस काम आते हैं? In hindi.



#किशमिश|Raisins:-

By:- Dr.Virender Madhan.

किशमिश सूखे अंगूरों को कहा जाता है। ये एक फ़ारसी शब्द है,  बड़े आकार के अंगूरों की दाख (किशमिश) को हिन्दी में मुनक्का कहा जाता है।छोटे आकार की किशमिश कहलाती है। किशमिश ऊर्जा का भण्डार होती है और फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होती है।  किशमिश प्राकृतिक रूप से मीठी और चीनी और कैलोरी में उच्च होती है, 

 जब किशमिश कम मात्रा में खाया जाता है तो यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। 

- किशमिश पाचनशक्ति बढा सकती है, आयरन की मात्रा को बढ़ा सकती है और आपकी हड्डियों को मजबूत रख सकती है।

– किशमिश के पानी में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं,जो त्वचा की सुरक्षित रखती है.

– विटामिन सी और विटामिन ई से भरपूर पानी त्वचा के डेड सेल्स हटाता है जिसके कारण चेहरे की चमक बढ़ जाती है। 

#किशमिश खाने से शरीर में क्या लाभ होता है?

किशमिश में अच्छी मात्रा में प्रोटीन, आयरन और फाइबर होता है. इसीलिए किशमिश खाने से शरीर में विटामिन बी6, कैल्शियम, पोटैशियम और कॉपर की कमी को पूरा किया जा सकता है. 

– किशमिश खाने से शरीर को भरपूर एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण मिलते हैं. किशमिश में विटामिन ई और हेल्दी फैट भी पाया जाता है.

– किशमिश खाने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है.

–भीगी हुई किशमिश खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है.

–किशमिश से कैल्शियम मिलता है जिससे हड्डियां और दांत हैल्दी रहते हैं.

- किशमिश सेवन से स्पर्म बढतेहै

 – किशमिश खाने का सही समय है सुबह खाली पेट लेकिन अगर आप कब्ज हैं तो इसको दूध के साथ रात में लें सकते हैं।

#किशमिश खाने से हानि?

अधिक किशमिश खाने से लिवर को नुकसान हो सकता है। क्योंकि इसमें ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा काफी ज्यादा होती हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकती हैं। 

–अधिक किशमिश खाने से डायबिटीज और फैटी लिवर जैसी अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।

बुधवार, 25 जनवरी 2023

Uric acid है तो क्या खायें क्या न खायें.in hindi


 #Uric acid है तो क्या खायें क्या न खायें.in hindi.  

आजकल युरिक एसिड एक आम परेशानी बनी हुई है।इस तकलीफ को कम करने के लिए सोचना होगा कि क्या खायें क्या न खायें? 

.#यूरिक एसिड के मरीजों कौन कौन से फल खाने चाहिए? 

- यूरिक एसिड हाई है तो अपनी डाइट में सिट्रस फ्रूट्स जैसे- संतरा, आंवला और नींबू को जरूर शामिल करें। रोजाना इनका सेवन करने से बहुत जल्द और आराम से यूरिक एसिड लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। खट्टे फलों में विटामिन सी की अधिक मात्रा मौजूद होती है । *कुछ खट्टे फल जिन्हें खाया जा सकता है:- 

 1. संतरा (Orange)

 संतरे मे विटामिन सी,  विटामिन ई फोलेट और पोटेशियम की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है यह शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को कम करते है. इससे यूरिक एसिड बढ़ने का खतरा भी कम हो जाता है. 

2. सेब (Apple) 

यूरिक एसिड के रोगी को सेब का सेवन बढ़ा देना चाहिए क्योंकि इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है,  यूरिक एसिड के लेवल को कम करने मे मदद मिलती है. 

 3. कीवी (Kiwi)

कीवी यूरिक एसिड के मरीजों के लिए लाभकारी माना जाता है. इसमें विटामिन सी,विटामिन ई और फोलेट भी पाए जाते हैं. 

4. केला (Banana) 

केला फ्रूट में प्यूरीन (Purine) कम पाया जाता है जिससे गाउट का खतरा भी कम हो जाता है।

 #यूरिक एसिड के लिए कौन सी दाल सबसे अच्छी है?

 -(थुअर) तूर दाल मे जैसे एंथोसायनिन जैसे घटक होते हैं जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करते हैं। जिससे शरीर में यूरिक एसिड में कमी होकर  गठिया से संबंधित सूजन को रोक सकती है - हाई यूरिक एसिड वाले रोगी कभी कभी उड़द की दाल या काले चने का सेवन कर सकते हैं. -  वैसे आपको यूरिक एसिड बढते ही सभी दालें बन्द करने की सलाह दी जाती है। 

#यूरिक एसिड में आलू खा सकते हैं क्या?

 यूरिक एसिड से राहत पाने के लिए आप आलू का सेवन भी कर सकते हैं. दरअसल, आलू फैटी फूड है जिसमें कार्ब्स की मात्रा अधिक होती है, जिससे अक्सर लोग परहेज करते हैं, लेकिन आलू का रस यूरिक एसिड से बचाने का काम करता है. यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए आप हरी सब्जियों का सेवन भी कर सकते हैं.

 #कौनसी सब्जी यूरिक एसिड रोगी को खाना चाहिए?:- 

आप गाजर, चुकंदर, पुदीना, टमाटर, खीरा, प्याज का सेवन कर सकते हैं.  

*प्याज खाने से यूरिक एसिड बढ़ता है क्या?

 प्याज में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम ,फास्फोरस और फोलेट मौजूद होता है. इसके साथ ही प्याज में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी एलर्जिक, और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर में हाई यूरिक एसिड को कंट्रोल या कम करने में मदद कर सकते हैं.

मूली:-

 –यूरिक एसिड के मरीजों के लिए मूली का सेवन ठीक है। यह एक अच्छी सब्जी है क्योंकि इसमें प्यूरीन की मात्रा कम होती है। इसमें कम कैलोरी वाला, हाई फाइबर और विटामिन सी से भरपूर होती है। 

#यूरिक एसिड और गठिया को ठीक करने के लिए क्या घरेलू उपाय करें?

 –रोजाना सुबद 2 से 3 अखरोट खाएं। 
 –ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राईस (ब्राउन चावल) खाने से यूरिक एसिड की मात्रा नही बढती है।
 – बेकिंग सोडा के सेवन से भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिलेगी।दिन मे एक बार जरूर बेकिंग सोडा मिला पानी पीयें। 
–अजवाईन का सेवन रोजाना करने से भी लाभ मिलता है.
 – बढ़े यूरिक एसिड के लिए गुडूची, जिसे हम गिलोय के नाम से जानते हैं सेवन करना चाहिए. 
–त्रिफला मे एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।आपको त्रिफला पाउडर रात में लेना चाहिए। 
– यूरिक एसिड के मरीजों को हल्दी वाला दुध हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।

 #यूरिक एसिड के मरीजों को क्या नही खाना चाहिए?

 – गाउट के मरीजों को अरबी का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे जोड़ों में दर्द और यूरिक एसिड बढ़ सकता है.
 -यूरिक एसिड के मरीजों को फूलगोभी, पत्तागोभी, हरे मटर, बीन्स, भिंडी और मशरूम भी नही खानी चाहिए क्योंकि इनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है. 
–मकई  शरीर में यूरिक एसिड बढा सकता है । जब आप मक्के का सेवन करते हैं, तो आपके शरीर को भोजन में मौजूद फाइबर को तोड़ने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिन लोगों को गाउट है, उनके लिए यह कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे पेशाब का बढ़ना और जोड़ों में सूजन जाना।
 -साबुत अनाज जैसे गेहूँ के बीज, चोकर, और दलिया सभी में बहुत प्यूरीन होते हैं, इसलिए इन्हें नही खाना चाहिए।
धन्यवाद!

Dr.Virender Madhan.

सोमवार, 23 जनवरी 2023

मसाज (अभ्यंग-massage) के बारे में 11 मजेदार वास्तविकता.हिंदी में।

 #fact #ghreluupaye  #स्वास्थ्य #healthtips,

मसाज (अभ्यंग-massage) के बारे में 11 मजेदार वास्तविकता.हिंदी में। 



*अभ्यंग भोजन की तरह शरीर के लिये आवश्यक है|

मालिस के महत्व. 

# परस्तुत द्वारा- डा०वीरेंद्र मढान. गुरु आयुर्वेद Fbd.

 - आयुर्वेद के अनुसार मसाज करना किसी के स्वास्थ्य की दिनचर्या का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम होना चाहिए.  
इसके बहुत से फायदे हैं।  यहां मसाज (मालिस) के बारे में 11 "मजेदार सच" बता रहे है। 

</>{11Fun Truth} 

 1-  मालिश करने से शरीर के प्राकृतिक दर्द निवारकों को क्रियाशील कर सकते है, जिन्हें “एंडोर्फिन” कहा जाता है। यह शरीर के दर्द को कम करने और मूड को ठीक रखने में मदद कर सकता है।
 2- मालिश होने से शरीर के कई कार्यों में सुधार होता है  नर्वस सिस्टम, लसीका प्रणाली, इम्यूनिटी प्रणाली मे सुधार होता है।
 3- चोटों का कारण बनने वाले  जोखिम को कम कर होते हैं. शरीर को चोट कलश सहने की शक्ति बढ जाती है. 
4- मालिस सिर मे होने वाले सिरदर्द और यहां तक   कि माइग्रेन को कम करती है।
 5-  मालिस करके लसीका प्रणाली में सुधार होकर सूजन में सुधार हो जाता है 
 6- मालिस शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता को ,सुदृढ़ बनाता है।
 7- मालिश से कोर्टिसोल के स्तर को कम कर सकती है, जो कि मानसिक तनाव कम करता है।  जिसके फलस्वरुप चिंता, तनाव  कम होती है.
 8- मालिश करने से रक्तचाप को कम करके हमारे हृदय के कार्य को व्यवस्थित किया जा सकता है। 
9- मालिश  करने से सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ता है, जिसे  "हैप्पी हारमोन्स" कहा जाता है क्योंकि यह खुशी को बढा देता है।
 10- मालिश से अनिद्रा रोग ठीक हो कर स्वास्थ्य में सुधार होता है। 
11-शरीर मे बल बढता है.

 #सामान्यतः शरीर पर किस तैल की मालिस की जा सकती है। 

शरीर पर बल बढाने के लिए,या सुरक्षा के लिए आयुर्वेद में तिल तैल को अधिक महत्वपूर्ण माना है आप सरसौं का तैल,नारियल तेल, बादाम तैल,जैतून तैल,और सूरजमुखी का तैल प्रयोग कर सकते हो. 

लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर बतायें. धन्यवाद!

शनिवार, 21 जनवरी 2023

आयुर्वेद क्यों विचित्र है||Fact of ayurveda.inhindi

 आयुर्वेद क्यों विचित्र है||Fact of ayurveda.inhindi.



आयुर्वेद की खुबियां:-

Fact no 1.

- आयुर्वेद पश्चिमी चिकित्सा के विपरीत,आयुर्वेद चिकित्सा और दवाएं दुष्प्रभाव से मुक्त हैं।  - पश्चिमी चिकित्सा प्रणाली की  रासायनिक ओवरडोज होने से,

या हमारे शरीर में बेमेल होने के कारण विपरीत दुष्प्रभाव होते हैं।  

आयुर्वेद प्रणाली की दवाएं  रसायन मुक्त  होती हैं  जड़ी बूटियों की प्रकृति जंतुओं की प्रकृति  मेल खाने से  प्राकृतिक पूरक होती हैं।पंचमहाभूत से बनी जडीबुटी पंचमहाभूतों से पुर्ण शरीर के अनुकूल होती है.

पंचमहाभूतों से ही श्रृष्टि का निर्माण हुआ है।

Fact no 2.

#आयुर्वेद के 5  महाभूत सिद्धांत क्या हैं? 

आयुर्वेद का मानना है कि संपूर्ण ब्रह्मांड पांच तत्वों से बना है: Vayu (वायु), जल water (पानी), खालित्व,आकाश (अंतरिक्ष या ईथर), पृथ्वी Earth (पृथ्वी) और तेज,अग्नि (आग)। 

- पंचमहाभूतों से दोषों (वात,पित्त, कफ) की उत्पत्ति

1.  वायु महाभूत से शरीरगत वात दोष की उत्पति होती है,

2. अग्नि महाभूत से पित्त दोष की उत्पत्ति होती है,

3. जल तथा पृथ्वी महाभूतों के मिलने से कफ दोष की उत्पति होती है।

* शरीर मे रस,रक्त,मांस, मेद,अस्थि, मज्जा और शुक्र आदि धातु से निर्मित होता है एवं मल (मल,मूत्र, स्वेद आदि)शरीर को स्तंभ की तरह थामे हुये हैं।

- दोष, धातु, मल प्राकृतिक रूप से उचित रहकर ही शरीर को धारण करते है।

- शरीर की क्षय, वृद्धि, शरीरगत् अवयवो द्रव्यों की विकृति, आरोग्यता-रुग्णता, इन दोष धातु मलों पर ही आधारित है

 यद्यपि शरीर के लिए दोष, धातु, मल तीनों प्रधान द्रव्य है फिर भी शारीरिक क्रिया के लिए वातादि दोषों के अधिक क्रियाशील होने से शरीर में दोषो की प्रधानता रहती है।

“रोगस्तु दोषवैषम्यं दोषसाम्यमरोगता"

(दोषों की विषमता ही रोग है और दोषों का साम्य आरोग्य है।)

तीनों दोषों में सर्वप्रथम वात दोष ही विरूद्ध आहार-विहार से प्रकुपित होता है यह वात अन्य दोष एवं धातु को दूषित कर रोग पैदा करता है। वात दोष प्राकृतिक रूप से प्राणियों का “प्राण" माना जाता है। 

आयुर्वेद चिकित्सा में जिस जिस धातु दोष आदि की कमी या अधिकता होने पर जो रोग उत्पन्न होते है दोष,धातु के अनुसार जडीबुटी के पंचमहाभूतों को देखकर रोगों की औषधि निर्माण की व्यवस्था की गई है।शरीर के अनुकूल औषधि होने के कारण इनका कोई दूष्यप्रभाव नही होता है।

डा०वीरेंद्र मढान,

सोमवार, 16 जनवरी 2023

नींबू फल क्या है|नींबू के गुण और उपयोग क्या है In hindi.


#नींबू फल क्या है|नींबू के गुण और उपयोग क्या है In hindi.



By :-

Dr.VirenderMadhan

</>Nimbu नीबूं .

नींबू एक रसीला फल है जो आता तो फल की श्रेणी में है 
- नींबू का स्वाद खट्टा होता है
- यह उष्ण वीर्य होता है।लघू होता है।
- नींबू के रस से किसी भी सब्जी का स्वाद और ज्यादा बढ़ जाता है। 
- यह फल  स्वादिष्ट होने के साथ -साथ  विटामिन सी से भरपूर भी है। 

#नींबू के आयुर्वेदिक गुण व प्रयोग.

* वक्रशोधि:-

– नींबू के रस का प्रयोग जब कुल्ला करने के मे प्रयोग करते है तो मुंह की शुद्धि करता है जीभ साफ होती है   सांसों की दुर्गंध दूर होती है.

* रोचना:-

- नींबू मे पाचन शक्ति बढाने की शक्ति होती है।

* दंतहर्षन:-

 – स्वाद में खट्टा होने के कारण यह दांतों में झुनझुनी अनुभव होती है।

* तृष्णा निवारण:-

- नींबू का रस
 प्यास से राहत दिलाता है।तरावट देता है।

*शुला निवारण :- 

नीबूं पेट के शूल दर्द मे लाभदायक है। जिसका उपयोग गैस के दर्द और कुपच के कारण होने वाले पेट दर्द के लिए किया जाता है। 
पाचनतंत्र सम्बंधित आयुर्वेदिक औषधियों मे नींबू का बहुत प्रयोग किया जाता है 
जैसे:- लशुनादि वटी का यह एक घटक है।

*कासा निवारण :- 

खांसी दूर करने के लिए नींबू का प्रयोग किया जाता है। 

* कफोत्क्लेश, छर्दि निवारण:-  

पेट में कफ का अत्यधिक संचय होने पर नींबू लेने से लाभ मिलता है, उदर मे कफ के कारण जब उल्टी होती है।  जी मिचलाना, ज्यादा लार आती है तो नींबू के रस का सेवन किया जाता है।

*आमदोषहर :– 

नींबू अपच और कुअवशोषण के उत्पादन आम को पचा देता है।

*हृत्पीड़ा: – 

जठरशोथ के कारण छाती में होने वाले दर्द मेआराम देता है।

*वहनिमंद्याहर: - 

यह पाचन को बढाता है। इसलिए, यह अपच के लिए कई आयुर्वेदिक औषधियों में नीबूं एक घटक है जैसे - हिंग्वादिचूर्ण ।

#नींबू के घरेलू उपयोग:-

 1-  एक नींबू का रस व एक चम्मच शहद एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है और बढा हुआ फैट घटने लगता है।
2-  एक नींबू एक गिलास  पानी में निचोड़कर रात को सोते समय पीने से पेट साफ़ हो जाता है। 
3- नींबू के रस के पीने से पेट के कीडे मर जाते है।
4- चेहरे पर नींबू के रस और जैतून का तेल मिलाकर  मलने से चेहरे के धब्बे,मुहांसे तथा झाईयां नष्ट होती हैं। 
5- खांसी-जुक़ाम से परेशान होने पर आधे नींबू के रस को दो चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से ठीक हो जाता है 
 6-  आधा कप गाजर के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर में खून की कमी मे लाभ मिलता है।
7-  उल्टी के रोग तथा हैजा होने पर नींबू का पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए, इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।

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